सफ़र ज़िंदगी की
अपेक्षायें, सफ़ाई और
कई जज़्बा-ए-बेनाम,
आने लगे सफ़र-ए-ज़िंदगी के बीच।
जो चैन और सुकून छीन ले,
तब
लोगों को ना करे कोशिश बदलें की।
आसपास के लोगों को बदल दें।
अर्थ- जज़्बा-ए-बेनाम: अनाम अहसास / nameless emotions.
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आपको अपने बच्चों के साथ अधिक यात्रा करने की आवश्यकता क्यों है; विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि साझा करते हैं
आपको अपने बच्चों के साथ अधिक यात्रा करने की आवश्यकता क्यों है; विशेषज्ञ अंतर्दृष्टि साझा करते हैं
बच्चों के साथ यात्रा अगणित लाभ हैं। हमारे बच्चे अधिक खुली और सुलभ दुनिया में रहते हैं। अब उनके पास उन अवसरों तक पहुंच है जो पहले यात्रा में आसानी के कारण अप्राप्य थे। बच्चेके क्षितिज और दृष्टिकोण यात्रा से विस्तारित होते हैं, जो उन्हें अन्य संस्कृतियों के प्रति अधिक लचीला और दयालु बनने में भी मदद करता है। यहां तक कि जब वे छोटे होते हैं, यह प्रभावित कर सकता है कि वे कैसे बोलना सीखते हैं। बिना…
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कुछ बातें हैं दिल में
ज़ुबान पर आती नहीं
फिर भी सुन लोगे ना?
बेहत लंबी सफ़र है हमारी
और उतनी ही मुश्किलें
साथ चल लोगे ना?
अनजान रस्तूँ पे चलने से डरती हूँ
रात को अंधेरे से भी डरती हूँ
तुम मुझे थाम सम्भाल लोगे ना?
avis
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गुफ़्तुगू अच्छी लगी ज़ौक़-ए-नज़र अच्छा लगा
मुद्दतों के बाद कोई हम-सफ़र अच्छा लगा
दिल का दुख जाना तो दिल का मसअला है ��र हमें
उस का हँस देना हमारे हाल पर अच्छा लगा
हर तरह की बे-सर-ओ-सामानियों के बावजूद
आज वो आया तो मुझ को अपना घर अच्छा लगा
बाग़बाँ गुलचीं को चाहे जो कहे हम को तो फूल
शाख़ से बढ़ कर कफ़-ए-दिलदार पर अच्छा लगा
कोई मक़्तल में न पहुँचा कौन ज़ालिम था जिसे
तेग़-ए-क़ातिल से ज़ियादा अपना सर अच्छा लगा
हम भी क़ाइल हैं वफ़ा में उस्तुवारी के मगर
कोई पूछे कौन किस को उम्र भर अच्छा लगा
अपनी अपनी चाहतें हैं लोग अब जो भी कहें
इक परी-पैकर को इक आशुफ़्ता-सर अच्छा लगा
'मीर' के मानिंद अक्सर ज़ीस्त करता था 'फ़राज़'
था तो वो दीवाना सा शा'इर मगर अच्छा लगा
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मौत से ठन गई l
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यूं लगा जिंदगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
जिंदगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?
तू दबे पांव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आजमा।
मौत से बेखबर, जिंदगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई!
- shree Atal Bihari Vajpayee
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एक सुबह
एक सुबह ऐसी आएगी,
जो जीने की उत्सुकता जगाएगी
तब ख़ुद बिस्तर छोड़ दुनिया की नज़रों में देख पायेंगे
ना कोई दुःख या डर सताएगी ।
एक सुबह ऐसी भी आएगी
जो हाथ थाम अपनी पहचान बताएगी
तब सूरज की किरणें आँखों को चुभेंगी नहीं
अपने बलबूते पर उभरना सिखाएगी ।
एक सुबह ऐसी भी आएगी
जो ख़ुद पर विश्वास दिलाएगी
तब आँखों में चमक और होठों पर मुस्कान लेके
भूले सपनों को उनका सफ़र दिखाएगी ।
हाँ एक सुबह ऐसी भी आएगी ।
~ साँझ 🌻
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यह जो मुश्किलों का सफ़र है ना,
यह सफ़र,
सबक, सबर और दुनिया दारी,
सब अच्छे से सिखाता है।
_सोबिया।
Yeh jo mushkilon ka safar hai na,
yeh safar,
sabak, sabar aur duniya dari,
Sab achey se sikhata hai.
@scribblersobia
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तन्हा तन्हा सफ़र
जहान में आए तन्हा,
जाना है यहाँ से तन्हा।
तन्हाई अकेलापन नहीं, है एकांत।
ग़र मिलना है ख़ुदा से, ख़ुद से।
तन्हाईयाँ हीं मुलाक़ात हैं करातीं।
अक्सर जीवन का सफ़र होता है क़ाफ़िले में,
फिर भी होती हैं दिल में तनहाइयाँ।
मिलो सबों से,
पर करो अपने साथ सफ़र।
ना जाने क्यों ख़ूबसूरत तन्हाईयाँ हैं बदनाम।
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अलविदा Tumblr लाइव.
हेलो, Tumblr. 24 जनवरी, 2024 से Tumblr लाइव की सुविधा खत्म हो रही है.
इसका क्या मतलब है?
अब से आपके डैशबोर्ड में सबसे ऊपर Tumblr लाइव का निशान दिखाई नहीं पडेगा, लाइव के आइकन को हटाया जा रहा है और आपकी सेटिंग में इसे स्नूज़ करने का ऑप्शन भी नहीं दिखेगा. अब आप लाइव नहीं हो सकेंगे और स्ट्रीम भी नहीं देख सकेंगे.
सवाल?
अपने लाइव अकाउंट और क्रेडिट्स के बारे में आपके मन में जो भी सवाल आ सकते हैं, हमने उन्हें एक FAQ में शामिल किया है. अगर इस फ़ैसले के बारे में आपकी कोई चिंता या सवाल है, तो हमें
[email protected] पर ईमेल करें और हम आपको जवाब भेजेंगे.
उन सभी स्ट्रीमर्स का शुक्रिया जो इस सफ़र में हमारे साथ जुड़े. आपकी LEGO बिल्डिंग, वाइल्डलाइफ़ स्ट्रीमिंग और लाइव ड्रा ने हमारा बहुत मनोरंजन किया.
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तुम कहो ना कहो,
मगर फिर भी
तुम्हारे हर सफ़र में
तुम्हारे साथ हूँ मैं
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وہ ہم سفر تھا مگر اس سے ہم نوائی نہ تھی
کہ دھوپ چھاؤں کا عالم رہا جدائی نہ تھی
عداوتیں تھیں، تغافل تھا، رنجشیں تھیں بہت
بچھڑنے والے میں سب کچھ تھا، بے وفائی نہ تھی
वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी कि धूप छाँव का आलम रहा जुदाई न थी
अदावतें थीं, तग़ाफ़ुल था, रंजिशें थीं बहुत बिछड़ने वाले में सब कुछ था, बेवफ़ाई न थी
Naseer Turabi
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भले दिनों की बात है
भली सी एक शक्ल थी
न ये कि हुस्न-ए-ताम हो
न देखने में आम सी
न ये कि वो चले तो कहकशाँ *सी रहगुज़र लगे
मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे
~अहमद फराज़
**कहकशाँ - आकाशगंगा
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इश्क़ और मोहब्बत!
तुम्हारी तड़प की ख़बर है मुझे भी
मेरी तड़प से कहाँ बे-ख़बर तुम भी
जब दोनों को एहसास है तड़प का
फिर क्यों बना रखी दूरियाँ अब भी
बढ़ते फ़ासले तो तय करने ही होंगे
वरना गहरी खाइयाँ भरेंगी न कभी
डर के बोझ से फ़ासला बना लिया
दिल टूटने का भी सोचा होता कभी
इश्क़ का मोहब्बत तक का सफ़र
ख़ूबसूरत एहसास है ये तबाही नहीं
इश्क़ को किसी हद में बाँधे रखना
मोहब्बत को कोई सुकून देगा नहीं
ग़र तबाही है तो तय है हर हाल ही
दिल से मोहब्बत हो या न हो कभी
बेवजह ही बदनाम हुई है मोहब्बत
इश्क़ को धड़कना कहाँ आया कभी
साँसों में बसी ख़ुशियाँ छुपतीं कैसे
उनमें बेइंतहा मोहब्बत छुपी है जभी
ख़ुश-बाश देखी हैं मोहब्बत में डूबीं
वीरानियाँ इश्क़ से बसीं न थीं कभी!
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चले सफ़र पर
चले सफर पर साथ ही अपने ये गम निकले।
सोच रहे है,न जाने कबअपना ये दम निकले।
बहुत सुलझाया मैने तकदीर को जुल्फ को,
मगर कब जाने इसका आखिर ये ख़म निकले।
चीरा जो मैने दिल को था आखिर जो एक दिन,
जख्म बहुत थे, खून के कतरे ही कम निकले।
दुशमनो पर तो नज़र यूं ही रखते रहे हम।
कातिल तो हमारे,अपने ही सनम निकले।
SurinderBlackpen
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