🤷𝗔𝗺𝗮𝘇𝗶𝗻𝗴 𝗙𝗮𝗰𝘁𝘀 𝗔𝗯𝗼𝘂𝘁 🥕 𝗖𝗮𝗿𝗿𝗼𝘁 𝗙𝗮𝗿𝗺𝗶𝗻𝗴 - 🥕गाजर की खेती की पूरी जानकारी
🥕गाजर एक महत्वपूर्ण जड़वाली सब्जी की फ़सल है गाजर की खेती पूरे भारतवर्ष में की जाती है गाजर को कच्चा एवं पकाकर दोनों ही तरह से लोग प्रयोग करते है गाजर में कैरोटीन एवं विटामिन ए पाया जाता है जो कि मनुष्य के शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है नारंगी रंग की गाजर में कैरोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है गाजर की हरी पत्तियो में बहुत ज्यादा पोषक तत्व पाये जाते है जैसे कि प्रोटीन, मिनिरल्स एवं विटामिन्स आदि जो कि जानवरो को खिलाने पर लाभ पहुचाते है गाजर की हरी पत्तियां मुर्गियों के चारा बनाने में काम आती है गाजर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, असाम, कर्नाटक, आंध्रा प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा में उगाई जाती हैI
🥕गाजर की खेती के लिए जलवायु
गाजर मूलत ठंडी जलवायु कि फसल है इसका बीज 7.5 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सफलतापूर्वक उग सकता है जड़ों कि बृद्धि और उनका रंग तापमान से बहुत अधिक प्रभावित होता है 15-20 डिग्री तापमान पर जड़ों का आकार छोटा होता है परन्तु रंग सर्वोत्तम होता है विभिन्न किस्मों पर तापमान का प्रभाव - भिन्न भिन्न होता है यूरोपियन किस्मों 4-6 सप्ताह तक 4.8 -10 डिग्री से 0 ग्रेड तापमान को जड़ बनते समय चाहिए I
🥕भूमि कि तैयारी
शुरू में खेत को दो बार विक्ट्री हल से जोतना चाहिए , इसके 3-4 जुताइयाँ देशी हल से करें प्रत्येक जुताई के उपरांत पाटा अवश्य लगाएं , ताकि मिटटी भुरभुरी हो जाए 30 सेमी 0 गहराई तक भुरभुरी होना चाहिए
Malegaon District | मालेगावकरांना नाशिकचाच हेलपाटा, जिल्हा निर्मितीचे पुन्हा गाजर, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदेंचं आश्वासन हवेतच
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Malegaon District | मालेगाव जिल्हा निर्मितीची घोषणा पुन्हा हवेतच विरली. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी जिल्हा निर्मितीचे आश्वासन दिले होते. पण त्यांनी संपूर्ण कार्यक्रमात साधा उल्लेख ही केला नाही.
Malegaon District | मालेगाव जिल्हा (Malegaon District) निर्मितीसाठी सकारात्मक…
Gajar ke beej for periods in Hindi (इस तरह करें सेवन)
Periods में दर्द होना, अन्य मासिक धर्म के लक्षण, देरी से मासिक धर्म आना, इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि गलत जीवन शैली, तनाव और अस्वास्थ्यकर भोजन, डॉक्टर के अनुसार period नियमित करने के लिए और होने वाली समस्याओं से छुटकारा पाने व बुनियादी सुविधाओं के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव करना और अपने खानपान पर भी ध्यान देना जरूरी है, जिससे मासिक धर्म संबंधी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है।
Gajar ke beej for…
Gajar Ka Halwa: सर्दियों का स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक रेसिपी 😋
Gajar Ka Halwa: इस सर्दी के मौसम में अपने परिवार के लिए बनाएं स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक गाजर का हलवा। हमारी खास रेसिपी से सीखें कैसे तैयार करें यह पारंपरिक हलवाआसान और सरल तरीके से। गाजर के स्वास्थ्य लाभों के साथ, यह नुस्खा आपके परिवार को जरूर पसंद आएगा। पौष्टिक तत्वों से भरपूर, यह हलवा न केवल आपके स्वाद की कलियों को तृप्त करेगा बल्कि सर्दियों में आपकी सेहत का भी ख्याल रखेगा।
मुख्य…
देखें: इम्यूनिटी के लिए कैसे बनाएं गाजर, चुकंदर और टमाटर (CBT) सूप
देखें: इम्यूनिटी के लिए कैसे बनाएं गाजर, चुकंदर और टमाटर (CBT) सूप
सर्दियों में, हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है और हम सर्दी और खांसी जैसे सामान्य संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। लेकिन सर्दियों का उत्पादन खाद्य पदार्थों का खजाना देता है जो हमें उसी संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है और यदि पहले से ही उनसे पीड़ित है तो उनके लक्षणों को कम कर सकता है। सर्दियों में सभी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए सीबीटी सूप एक लोकप्रिय घरेलू…
व्हायरल : श्वानाने सश पार्टी डुक्कर पिलाला दिली गाजराची, पाहा हा क्यूट व्हिडिओ
व्हायरल : श्वानाने सश पार्टी डुक्कर पिलाला दिली गाजराची, पाहा हा क्यूट व्हिडिओ
श्वान हे मनुष्य सुख मित्र निभावतात आणि संकटातही मदत करतात. विविध व्हिडिओ अनुभव त्यांचा चांगुलपणा आला आहे. असाच एक व्हिडिओ सोशल मीडियावर व्हायरल होत आहे. एका श्वानाने आपला उदारपणा शोधला आहे. हा गोंडस व्हिडिओ नेटकऱ्यांच्या पसंतीस उतरला आहे.
Buitengbieden नावाच्या नावाच्या ट्विटर युजरने एक व्हिडिओ शेअर केला आहे. मध्ये एक श्वान इटुकल्या सस आणि एका डुक्करच्या पिलाला गाजरची चव चारचौघात देत आहे.…
अगस्त में ऐसे लगाएं गोभी-पालक-शलजम, जाड़े में होगी बंपर कमाई, नहीं होगा कोई गम
अगस्त में करें सब्जियों की ऐसे तैयारी
जानिये शलजम की किस्में लाभकारी
इन बातों का रखें ध्यान लगाते समय तरकारी
मानसून सीजन में भारत में इस बार बारिश का मिजाज किसानों की समझ से परे है। मानसून के देरी से देश के राज्यो में आमद दर्ज कराने से धान, सोयाबीन जैसी प्रतिवर्ष ली जाने वाली फसलों की तैयारी में देरी हुई, वहीं अगस्त माह में अतिवर्षा के कारण कुछ राज्यों में फसलों को नुकसान होने के कारण किसान मुआवजा मांग रहे हैं।
लेकिन हम बात नुकसान के बजाए फायदे की कर रहे हैं। अगस्त महीने में कुछ बातों का ध्यान रखकर किसान यदि कुछ फसलों पर समुचित ध्यान देते हैं, तो आगामी महीनों में किसानों को भरपूर कृषि आय प्राप्त हो सकती है।
जुलाई महीने तक भारत में कई जगह सूखा, गर्मी सरीखी स्थिति रही। ऐसे में अगस्त माह में किसान सब्जी की फसलों पर ध्यान केंद्रित कर अल्पकालिक फसलों से मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। अगस्त के महीने को साग-सब्जियों की खेती की तैयारी के लिहाज से काफी मुफीद माना जाता है। मानसून सीजन में सब्जियों की खेती से किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं, हालांकि उनको ऐसी फसलों से बचने की कृषि वैज्ञानिक सलाह देते हैं, जो अधिक पानी की स्थिति में नुकसान का सौदा हो सकती हैं।
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ऐसे में अगस्त के महीने में समय के साथ ही किसान को सही फसल का चुनाव करना भी अति महत्वपूर्ण हो जाता है। अगस्त में ऐसी कुछ सब्जियां हैं जिनकी खेती में नुकसान के बजाए फायदे अधिक हैं। एक तरह से अगस्त के मौसम को ठंड की साग-सब्जियों की तैयारी का महीना कहा जा सकता है। अगस्त के महीने में बोई जाने वाली सब्जियां सितंबर माह के अंत या अक्टूबर माह के पहले सप्ताह तक बाजार में बिकने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं।
शलजम (Turnip) की खेती
जड़ीय सब्जियों (Root vegetables) में शामिल शलजम ठंड के मौसम में खाई जाने वाली पौष्टिक सब्जियों में से एक है। कंद रूपी शलजम की खेती (Turnip Cultivation) में मेहनत कर किसान जाड़े के मौसम में बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। गांठनुमा जड़ों वाली सब्जी शलजम या शलगम को ��ारतीय चाव से खाते हैं। अल्प समय में पचने वाली शलजम को खाने से पेट में बनने वाली गैस आदि की समस्या का भी समाधान होता है।
कंद मूल किस्म की इस सब्जी की खासियत यह है कि इसे पथरीली अथवा किसी भी तरह की मिट्टी वाले खेत में उपजाया जा सकता है।
हालांकि किसान मित्रों को शलजम की बोवनी के दौरान इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखना होगा कि, खेत में जल भराव न होता हो एवं शलजम बोए जाने वाली भूमि पर जल निकासी का समुचित प्रबंध हो।
शलजम की किस्में :
कम समय में तैयार होने वाली शलजम की प्रजातियों में एल वन (L 1) किस्म भारत में सर्वाधिक रूप से उगाई जाती है। महज 45 से 60 दिनों के भीतर खेत में पूरी तरह तैयार हो जाने वाली यह सब्जी अल्प समय में कृषि आय हासिल करने का सर्वोत्कृष्ट उपाय है। इस किस्म की शलजम की जड़ें गोल और पूरी तरह सफेद, मुलायम होने के साथ ही स्वाद में कुरकुरी लगती हैं। अनुकूल परिस्थितियों में किसान प्रति एकड़ 105 क्विंटल शलजम की पैदावार से बढ़िया मुनाफा कमा सकता है।
इसके अलावा पंजाब सफेद फोर (Punjab Safed 4) किस्म की शलजम का भी व्यापक बाजार है। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है, खास तौैर पर पंजाब और हरियाणा में इस प्रजाति की शलजम की खेती किसान करते हैं।
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शलजम की अन्य किस्में :
शलजम की एल वन (L 1) एवं पंजाब सफेद फोर (Punjab Safed 4) किस्म की प्रचलित किस्मों के अलावा, भारत के अन्य राज्यों के किसान पूसा कंचन (Pusa Kanchan), पूसा स्वेति (Pusa Sweti), पूसा चंद्रिमा (Pusa Chandrima), पर्पल टॉप व्हाइट ग्लोब (Purple top white globe) आदि किस्म की शलजम भी खेतों में उगाते हैं।
गाजर की खेती (Carrot farming)
जमीन के भीतर की पनपने वाली एक और सब्जी है गाजर। अगस्त के महीने में गाजर (Carrot) की बोवनी कर किसान ठंड के महीने में बंपर कमाई कर सकते हैं।
मूल तौर पर लाल और नारंगी रंग वाली गाजर की खेती भारत के किसान करते हैं। भारत के प्रसिद्ध गाजर के हलवे में प्रयुक्त होने वाली लाल रंग की गाजर की ठंड में जहां तगड़ी डिमांड रहती है, वहीं सलाद आदि में खाई जाने वाली नारंगी गाजर की साल भर मांग रहती है। गाजर का आचार आदि में प्रयोग होने से इसकी उपयोगिता भारतीय रसोई में किसी न किसी रूप मेें हमेशा बनी रहती है। अतः गाजर को किसान के लिए साल भर कमाई प्रदान करने वाला जरिया कहना गलत नहीं होगा।
अगस्त का महीना गाजर की फसल की तैयारी के लिए सर्वाधिक आदर्श माना जाता है। हालांकि किसान को गाजर की बोवनी करते समय शलजम की ही तरह इस बात का खास ख्याल रखना होता है कि, गाजर की बोवनी की जाने वाली भूमि में जल भराव न होता हो एवं इस भूम�� पर जल निकासी के पूरे इंतजाम हों।
फूल गोभी (Cauliflower) की तैयारी
सफेद फूल गोभी की खेती अब मौसम आधारित न होकर साल भर की जाने वाली खेती प्रकारों में शामिल हो गई है।
आजकल किसान खेतों में साल भर फूल गोभी की खेती कर इसकी मांग के कारण भरपूर मुनाफा कमाते हैं। हालांकि ठंड के मौसम में पनपने वाली फूल गोभी का स्वाद ही कुछ अलग होता है। विंटर सीजन में कॉलीफ्लॉवर की डिमांड पीक पर होती है। अगस्त महीने में फूल गोभी के बीजों की बोवनी कर किसान ठंड के मौसम में तगड़ी कमाई सुनिश्चित कर सकते हैं।
चाइनीज व्यंजनों से लेकर सूप, आचार, सब्जी का अहम हिस्सा बन चुकी गोभी की सब्जी में कमाई के अपार अवसर मौजूद हैं। बस जरूरत है उसे वक्त रहते इन अवसरों को भुनाने की।
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पर्ण आधारित फसलें
बारिश के मौसम में मैथी, पालक (Spinach) जैसी पर्ण साग-सब्जियों को खाना वर्जित है। जहरीले जीवों की मौजूदगी के कारण स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका के कारण वर्षाकाल में पर्ण आधारित सब्जियों को खाना मना किया गया है। बारिश में सड़ने के खतरे के कारण भी किसान पालक जैसी फसलों को उगाने से बचते हैं। हालांकि अगस्त का महीना पालक की तैयारी के लिए मददगार माना जाता है।
लौह तत्व से भरपूर पालक (Paalak) को भारतीय थाली में सम्मानजनक स्थान हासिल है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर हरी भरी पालक को सब्जी के अलावा जूस आदि में भरपूर उपयोग किया जाता है।
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सर्दी के मौसम में पालक के पकौड़े, पालक पनीर, पालक दाल आदि व्यंजन लगभग प्रत्येक भारतीय रसोई का हिस्सा होते हैं। अगस्त के महीने में पालक की तैयारी कर किसान मित्र ठंड के मौसम में अच्छी कृषि आय प्राप्त कर सकते हैं।
चौलाई (amaranth) में भलाई
चौलाई की भाजी की साग के भारतीय खासे दीवाने हैं। गरमी और ठंड के सीजन में चौलाई की भाजी बाजार मेें प्रचुरता से बिकती है। चौलाई की भाजी किसान किसी भी तरह की मिट्टी में उगा सकता है।
अगस्त के महीने में सब्जियों की खेती की तैयारी कर ठंड के मौसम के लिए कृषि आय सुनिश्चित कर सकते हैं। तो किसान मित्र ऊपर वर्णित किस्मों विधियों से अगस्त के दौरान खेत में लगाएंगे गोभी, पालक और शलजम तो ठंड में होगी भरपूर कमाई, नहीं रहेगा किसी तरह का कोई गम।
Source अगस्त में ऐसे लगाएं गोभी-पालक-शलजम, जाड़े में होगी बंपर कमाई, नहीं होगा कोई गम
■ Ingredients finely grated carrot 3 cups an orange zest vegetable oil 3 tbsp cinnamon 3 pieces cardamom 3 pieces bay leaf 2 liquid milk ½ cup sugar 1½ cup powder milk ½ cup ghee ½ tbsp
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चाय सुबह शाम, धूप से प्यार, गाजर का हलवा और त्योहारों की बौछार। गेंदे के फूलों से सजावट ,संतरों की चुस्कियां, फूलों का पूरी धरती पर बिखरना और पेड़ पर सुख चुकी वो आखरी पत्ते सी उम्मीदें। शामों में भुट्टे का स्वाद और एक भीनी सी खुशबू पूरे पतझड़ के मौसम हमारे साथ।
जब भी वो थककर बैठ जाता तो अपनी जेब से वजह की पर्चियाँ निकालकर देख लेता। वो कितनी दूर निकल आया था, थकान कभी कभी उसके दिमाग़ को सुन्न कर देती और उस सुन्न स्थिति में उसे अपने ही रास्तों पर शक होने लगता। वो ख़ुद से पूछता कि लगातार इतना चलते रहने का क्या मतलब है? अधिकतर उसे ऐसे वक़्त, अपनी जेब में टटोलने से, सही पर्ची मिल जाती और वो अपनी थकान से कहता कि थोड़ा सुस्ताकर आगे पढ़ते हैं। उसकी थकान कुछ सुस्ताने की साँसें खींचकर फिर आगे के सफ़र के लिए तैयार हो जाती। पर फिर कुछ दिन आते कि थकान दिमाग़ सुन्न नहीं करती, बल्कि वो दिमाग़ को ज़रूरत से तेज़ चलने पर मजबूर कर देती। वो सुस्ताने की साँसें खींचता पर दिमाग़ रुकने का नाम नहीं लेता। वो अपनी जेब में रखी सारी पर्चियाँ खर्च कर देता पर ठीक वो पर्ची उसे नहीं मिलती जिसकी वजह से उसके दिमाग़ का चलना बंद हो जाए।
कहीं पहुँच जाना अगर त्रासदी है, तो इतना चलना क्यों? इस लगातार चलने का क्या अंत है? अगर कहीं पहुँचना काल्पनिक है तो चलते रहने का इंधन महज़ झूठ है? कौन चल रहा है, और वो कौन है जो झूठ की गाजर सामने लटकाए हुए है?
जब कोई पर्ची काम नहीं आती तो ऐसे वक़्त वो अपने चलने को स्थगित करके, इन पर्चियों के झूठ के आगे समर्पण करने लगता है। तभी एक अजान आदमी (या कोई दोस्त) आकर उसके बग़ल में बैठता है और कहता है मैं समझता हूँ तुम्हारा लगातार चलना, बहुत सही चल रहे हो तुम। ये सुनते ही दिमाग़ का चलना बंद हो जाता है, सारी थकान मिट जाती है। बहुत वक़्त बाद उसे पता चलता है कि जेब में रखी वजह की पर्चियों के अलावा भी पर्चियाँ हैं, वो पर्चियाँ वो लोग हैं, दोस्त हैं जो सही वक़्त पर सही बात कह देते हैं और आपकी सारी थकान मिट जाती है।
बाग़बानी - gardening, horticulture (feminine), also उद्यान-विज्ञान (masculine)
खेती, कृषि - farming, agriculture (feminine)
माली - gardener (masculine), मालिन (feminine)
बग़ीचा, बाग़ - garden (masculine), also उद्यानभूमि (feminine)
* सब्ज़ियों का बाग़ / बग़ीचा - vegetable garden (masculine)
* जड़ी बूटियों का बगीचा - herb garden (masculine)
फलों का वृक्ष / पेड़ - fruit tree (masculine)
बेरी की झाड़ी - berry bush (feminine)
लता - creeper, vine (feminine)
सब्ज़ी, तरकारी - vegetable (feminine), also साग (masculine)
* जड़ वाली सब्ज़ी - root vegetable (feminine)
पौधा, पादप - plant (masculine)
* a plant can be खाद्य (edible), सजावटी (decorative, ornamental), औषधीय (medicinal) or मसालेदार (spice plant).
* also पत्तेदार (leafy), फलदार (fruitful, fruit-bearing), स्वस्थ (healthy), पुष्ट (thriving, nourished) or रोगग्रस्त (diseased).
फूल, पुष्प - flower (masculine)
* a flower can be for example सुगंधित (fragrant) or खिलता हुआ (blooming).
कंद - bulb (masculine)
पत्ती - leaf (feminine)
किशलय - new, fresh leaf (masculine)
तना - stem (masculine)
टहनी - twig (feminine)
डाल, डाली - branch (feminine)
पानी - water (masculine)
जारक - oxygen (masculine)
सूर्य का प्रकाश - sunlight (masculine)
ताप - heat, warmth (masculine)
प्रकाश संश्लेषण - photosynthesis (masculine)
Planting and Growing Crops
बुवाई - sowing (feminine)
बुवाई का मौसम - sowing season (masculine)
बढ़ने का मौसम - growing season (masculine)
बढ़ना, उगना - to grow (intransitive)
उगाना - to grow [plants, flowers, berries etc.] (transitive)
की देख रेख करना - to nurse, take care of (transitive)
मुरझाना - to wither (intransitive)
जोताई, जुताई - plowing, tillage (feminine)
जोतना - to plow (transitive)
बीज - seed, seedling (masculine)
बोना, रोपना, बीज लगाना - to sow, plant (transitive)
पंक्तियों में लगाना - to sow in rows (transitive)
पादपों की परस्पर दूरी - distance between plants (feminine)
भूमि, ज़मीन, मिट्टी - soil, ground, earth (feminine)
* soil can be हल्की, बालुकामय (light, sandy) or भारी, चिकनी (heavy, clay soil).
* ground can be सूखी (dry) or नम (wet, moist).
भूमि की आर्द्रता / नमी - soil moisture (feminine)
गमला - pot (masculine)
गमले में लगा पौधा - potted plant (masculine)
गमले की मिट्टी - potting soil (feminine)
मिट्टी डालना - to pour soil (transitive)
अंकुर - shoot, bud, sprout (masculine)
अंकुरित - sprouting, budding (adjective)
अंकुरण - sprouting (masculine)
जड़ - root (feminine)
जड़ वाला - rooted (adjective)
जड़ जमाना - to root, take root (transitive)
छिड़काव करना - to spray, water (transitive)
पानी डालना - to water (transitive)
सिंचाई - irrigation (feminine)
सींचना, सिंचाई करना - to irrigate (transitive)
भूमि को नम रखना - to keep the soil moist (transitive)
खाद, उर्वरक - fertilizer, manure (masculine)
खाद डालना - to apply fertilizer (transitive)
कीटनाशक - insecticide, pesticide (masculine)
कीट, कीड़ा - pest, insect (masculine)
छँटाई - pruning (feminine)
काट-छाँट करना - to prune (transitive)
घास पात - weeds (masculine)
गोड़ना - to hoe, scrape (transitive)
गोड़ाई निराना, निराई करना, गुड़ाई करना - to weed (transitive)
फूलना, फूल लगना, खिलना - to bloom, flower (intransitive)
फलना - to flourish, carry fruit (intransitive)
फसल - crop, harvest (feminine)
उपज - yield, produce (feminine)
उत्पादन करना - to produce [fruit, berries, crops] (transitive)
गाजर की खेती में उन्नत तकनीक: बेहतर उत्पादकता के लिए
गाजर की खेती में उन्नत तकनीकों का उपयोग करके बेहतर उत्पादकता हासिल करने के तरीके जानें। गाजर की खेती के लिए ध्यान देने योग्य दूसरे महत्वपूर्ण तत्वों में उच्च गुणवत्ता के बीज, प्राकृतिक उर्वरक और व्यवस्थित पानी की आपूर्ति शामिल होती है। गाजर को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है, खासकर मौसमी परिवर्तन के समय। इसके अलावा, खेती के दौरान कीटनाशकों और रोग प्रबंधन की आवश्यकता भी होती है। यह लेख गाजर उत्पादन में नवीनतम तकनीकों की बात करता है।
veg biryani-कैसे बनाएं आज हम घर पर बेहतरीन veg biryani बनाने के बारे में बताएंगे वैसे तो बिरयानी बहुत तरह से बनाई जाती हैं मगर आपको शुद्ध शाकाहारी बिरयानी बनाना बताएंगे जो होगी खाने में बहुत ही स्वादिष्ट ।
Veg biryani बनाने की सामग्री :-
वेज बिरयानी बनाने के लिए सब्जियां
4 प्याज
200 ग्राम पनीर
लहसुन अदरक का पेस्ट
3 लम्बी कटी हुई हरी मिर्च
250 ग्राम गोभी
2 गाजर
100 ग्राम हरा मटर दाना
100 ग्राम बीन्स
1 आलू
पुदीने के पत्ते
हरा धनिया
वेज बिरयानी बनाने के लिए मसाला
1 तेजपान
7-8 लौंग
5 छोटी इलायची
1 चम्मच जीरा
1 चम्मच काली मिर्च
1 टुकड़ा दालचीनी
1 चम्मच लाल मिर्च पाउडर
½ चम्मच हल्दी पाउडर
1 चम्मच धनिया पाउडर
1 चम्मच गरम मसाला पाउडर
2 चम्मच बिरयानी मसाला पाउडर
वेज बिरयानी बनाने के लिए अन्य सामग्री
200 ग्राम बासमती चावल
4 बड़े चम्मच तेल
1 चम्मच देसी घी
1 कप दूध
1 चुटकी केसर
veg biryani recipe step by step
Step 1:-सबसे पहले veg biryani बनाने के लिए हम लेंगे 200 ग्राम बासमती चावल और चावल को 2 से 3 बार साफ पानी से धो लेंगे अब चावल को धोने के बाद चावल को निकाल कर एक पात्र में रख लेंगे ।
Step 2 :-अब हम veg biryani recipe बनाने के लिए कुकर का इस्तेमाल करेंगे । अब हम प्रेशर कुकर में 4 बड़े चम्मच तेल डालकर तेल को हाय फ्लेमिंग पर गर्म कर लेंगे । अब हम उसमे 2 लम्बी कटी हुई प्याज डालकर प्याज को गोल्डन ब्राउन होने तक फ्राई कर लेंगे । प्याज फ्राई होने के बाद प्याज को निकाल लेंगे ।अब हम इसी तरह इस तेल में पनीर को भी हल्का फ्राई कर लेंगे और अब पनीर को भी निकाल कर रख देंगे ।अब हम Veg biryani में अच्छा टेस्ट लाने के लिए इसमें खडा मसाला एड करेंगे । मसाले में हम 1 तेज पान 7-8 लौंग 5 छोटी इलायची 1 चम्मच जीरा 1 चम्मच काली मिर्च और 1 टुकड़ा दालचीनी डालकर 10 सेकेंड तक फ्राई कर लेंगे ।मसाले फ्राई होने के बाद more
सर्दियां आ चुकी हैं, और जब हम सभी आराम से खाने और खाने के लिए उत्साहित हैं, तो यह हमारे स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। किसी भी अन्य मौसम की तरह, सर्दी भी शरीर को सर्द हवाओं के लिए तैयार करने के लिए विशिष्ट आहार और जीवनशैली में बदलाव की मांग करती है। पोषण सलाहकार रूपाली दत्ता कहती हैं, “सर्दियों के दौरान शरीर के सामान्य तापमान को बनाए रखने की आवश्यकता के कारण, हमारे शरीर अधिक…
दिनांक - 19 अप्रैल 2024
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2081
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - चैत्र
पक्ष - शुक्ल
तिथि - एकादशी रात्रि 08:04 तक तत्पश्चात द्वादशी
नक्षत्र - मघा सुबह 10:57 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग- वृद्धि रात्रि 01:45 अप्रैल 20 तक तत्पश्चात ध्रुव
राह��� काल - सुबह 11:38 से दोपहर 12:38 तक
सूर्योदय - 06:18
सूर्यास्त - 06:57
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:33 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक
निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 20 से रात्रि 01:00 अप्रैल 20 तक
व्रत पर्व विवरण- कामदा एकादशी
विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
कामदा एकादशी - 19 अप्रैल 2024
एकादशी व्रत के लाभ
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?
एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।
स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।
हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।
एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
`ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।
चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।
एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।
व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।
फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।
जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रह��ा चाहिए ।
भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।
एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।
इस दिन बाल नहीं कटायें ।
इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।
एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।
जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।
Akshay Jamdagni:
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