KABHI KHUSHI KABHIE GHAM... [कभी ख़ुशी कभी ग़म] (2001) dir. Karan Johar
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मैं कोई पेंटिंग नहीं
कि इक फ़्रेम में रहूँ
वही जो मन का मीत हो
उसी के प्रेम में रहूँ
तुम्हारी सोच जो भी हो
मैं उस मिज़ाज की नहीं
मुझे वफ़ा से बैर है
ये बात आज की नहीं
न उस को मुझ पे मान था
न मुझ को उस पे ज़ोम ही
जो अहद ही कोई न हो
तो क्या ग़म-ए-शिकस्तगी
सो अपना अपना रास्ता
हँसी-ख़ुशी बदल दिया
वो अपनी राह चल पड़ी
मैं अपनी राह चल दिया
भली सी एक शक्ल थी
भली सी उस की दोस्ती
अब उस की याद रात दिन
नहीं, मगर कभी कभी
~अहमद फ़राज़
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हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम
हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं
तुम कौन हो ये ख़ुद भी नहीं जानती हो तुम
मैं कौन हूँ ये ख़ुद भी नहीं जानता हूँ मैं
तुम मुझ को जान कर ही पड़ी हो अज़ाब में
और इस तरह ख़ुद अपनी सज़ा बन गया हूँ मैं
तुम जिस ज़मीन पर हो मैं उस का ख़ुदा नहीं
पस सर-ब-सर अज़िय्यत ओ आज़ार ही रहो
बेज़ार हो गई हो बहुत ज़िंदगी से तुम
जब बस में कुछ नहीं है तो बेज़ार ही रहो
तुम को यहाँ के साया ओ परतव से क्या ग़रज़
तुम अपने हक़ में बीच की दीवार ही रहो
मैं इब्तिदा-ए-इश्क़ से बे-मेहर ही रहा
तुम इंतिहा-ए-इश्क़ का मेआ'र ही रहो
तुम ख़ून थूकती हो ये सुन कर ख़ुशी हुई
इस रंग इस अदा में भी पुरकार ही रहो
मैं ने ये कब कहा था मोहब्बत में है नजात
मैं ने ये कब कहा था वफ़ादार ही रहो
अपनी मता-ए-नाज़ लुटा कर मिरे लिए
बाज़ार-ए-इल्तिफ़ात में नादार ही रहो
जब मैं तुम्हें नशात-ए-मोहब्बत न दे सका
ग़म में कभी सुकून-ए-रिफ़ाक़त न दे सका
जब मेरे सब चराग़-ए-तमन्ना हवा के हैं
जब मेरे सारे ख़्वाब किसी बेवफ़ा के हैं
फिर मुझ को चाहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं
तन्हा कराहने का तुम्हें कोई हक़ नहीं
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हे प्रिय!
बेकार उम्मीदों के भ्रम में पड़ प्रिय न हो जाना बर्बाद यूँही
अब न तो तुम कोई शशि ठहरी न मैं भी हूँ फरहाद कोई
क्विक फ़िक्स के दौर में प्रिय कब कोई दिल जुड़ पाते हैं
टाँके उधड़ ही जाते हैं प्रिय इंस्टैंट जोड़ कहाँ रुक पाते हैं
गये दौर के प्यार जताने के अंदाज़ भी अब तो हुए पुराने हैं
इस बदलते ज़माने में अब रिश्तों के भी नये हुए अफ़साने हैं
महबूबा प्रेयसी प्रियतमा कहाँ कोई अब हैं बेबी बेब प्रिय
आशिक प्रेमी प्रीतम नहीं कोई अब लवर्स हैं अरमान लिए
जो कभी दिल में सुलग उठती थी कोई चिंगारी इश्क़ की
बस जलाती रहती थी आशिक को ताउम्र दिल में दहकती
वो धूआँ जो उठता था आशिकों के ख़ाक हो जाने तलक
कोई निशाँ नहीं बस ख़ाक है हर तरफ़ ख़ामोश है ख़ल्क़
लवर्स जलते नहीं ब-ख़ूबी जानते हैं वो बचना आग से सभी
जानते ���ैं ये आग जला देगी दिल लगाने वालों को ही कभी
जज़्बात की चिंगारी ही न रही जो सुलगे और जला भी सके
अब तो स्पार्क है जिसकी आतिश दिल में कुछ पल ही रुके
न सीने पर ज़ख़्म लिए घूमता है न कोई दिल ही टूटते हैं यहाँ
ब्रेकअप होते हैं अब नया सिलसिला शुरू पुराना ख़त्म है जहां
न तो मैं ख़ुशी में बावरा बन नाचूँगा न मोहब्बत में चिल्लाते गाऊँगा
न होंगे ग़म में डूबे गीत कोई न ही ग़म भुलाने नशे में होश गँवाऊँगा
न रांझा हूँ मैं न देवदास कोई न मैं छोड़ूँगा मोहब्बत में घरबार प्रिय
सोहनी नहीं हो तुम भी खुद को बचा लेना कच्चे घड़ों से हर बार प्रिय!
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A फ़ॉर Amitabh🌹
B फ़ॉर Bachchan 🌹
C फ़ॉर Con banega Crorepati ?
11/10/2022
परस्पर संवाद की मौन प्रेरक,
आशा की अभिलाषा की आशा से प्रेरित
मूक अभिवादन करती संयोग-प्रयास के संयोग से स्थापित घनिष्ठ मित्रता, और
अभिव्यक्ति की व्यक्तिगत संगोष्ठी के पश्चात वक्तव्य की सार्वजनिक अभिव्यक्ति:
यही कि कभी-कभी एक अकेला
अग्निपथ पार करके भी अपनी मंज़िल तक पहुँच जाता है!❤️
पर जहां चार यार मिल जायें
वहाँ चौपाटि बनने में देर नहीं लगती—
फिर कभी ख़ुशी और कभी ग़म।
हम नसीब और मुक़्क़दर से मजबूर ना होकर कभी झुंड और कभी लाइन बनाकर
एक साथ मंज़िल का सफ़र तय कर लेते हैं❤️
ठीक कहा ना मैंने…देवियों और सज्जनों?
❤️
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La famille indienne (2001)
Regarder La famille indienne 2001 Film complet en streaming français VF et gratuit – कभी ख़ुशी कभी ग़म (2001)
Yash et son épouse ont élevé leurs fils avec amour tout en leur inculquant le respect des traditions familiales. Ce que dit leur père, Rahul et Rohan n’y dérogeraient sous aucun prétexte. Mais Rahul tombe amoureux de Anjali, une jeune fille de Dehli.
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स्टार सम्मेलन मिड-डे के साथ करण और किंग खान की अनमोल गपशप
शाहरुख खान और करण जौहर की दोस्ती पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री में मशहूर है। दोनों एक साथ कई प्रोजेक्ट में काम कर चुके हैं। कुछ-कुछ होता है, कभी ख़ुशी कभी ग़म और माई नेम इज खान से दोनों ने लोगों का जमकर मनोरंजन किया है। हाल ही में एक इंटरव्यू में करण ने शाहरुख खान के साथ अपनी गहरी दोस्ती के बारे में बात की।
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SAD QUOTES AND SHAYARI IN HINDI
"दर्द भरी मेरी यादें, तनहाई में रोज़ आती हैं, जिंदगी भर के गम, एक पल में बिखर जाते हैं।"
"कभी खुशियों की चादर ओढ़ के हम रह गए, और फिर तन्हाई के सहारे रो रहे हैं।"
"तेरे जाने से बदल गई हैं जिंदगी मेरी, अब तो तन्हाई ही मेरा साथी है।"
"दिल के दर्द को बयां करने की तरीक़ा मिली है, रूठ कर तुझसे, खुद को सुकून मिली है।"
"खुद को तन्हा और अकेला महसूस करो, फिर जानो दर्द को, कितना अलग महसूस करो।"
"जब ज़िन्दगी लगे बेहाल, तो यादें सजाएं जाती हैं, कभी खुशियाँ तो कभी ग़म, दिल के जज़्बात समझाए जाती हैं।"
"दर्द उसे ही महसूस होता है, जो दर्द को समझता है।"
"खो जाने का ग़म होता है, दर्द होता है, पर जब वही इंसान वापस आता है, तो वही इंसान ख़ुशी होता है।"
"दिल की गहराइयों में छुपे दर्द को कौन समझेगा, तन्हाईयों में दरिया वो कौन पार करेगा।"
"ज़िन्दगी के क़िस्से हज़ार सुनाए नहीं जाते, बिछड़ने के सफ़र को तुम भूलाए नहीं जाते।"
शायरी और उद्धरण हमारे भावनाओं को अभिव्यक्त करने का एक सुंदर माध्यम हैं। हिंदी भाषा में दुखी उद्धरण और शायरी का उपयोग अभिव्यक्ति के लिए एक शक्तिशाली रूप है। यह लेख "दुखी उद्धरण और शायरी: हिंदी में दर्द भरी भावनाएं" है जिसमें हम दुखी भावनाओं, अनुभवों, और समय के अन्तर्भाव से संबंधित विभिन्न उद्धरण और शायरी पर चर्चा करेंगे।
दुखी उद्धरण और शायरी का महत्व
1 भाषा में भावना का प्रभाव
शायरी का साहित्यिक महत्व
दुखी उद्धरण की भावनाओं को समझना
भाषा के माध्यम से दर्द के अनुभव का व्यक्तिगतीकरण
2 भारतीय संस्कृति में शायरी का विकास
दर्द और गम का सांस्कृतिक संबंध
महाकवि और शायरों के योगदान
संघर्षों से बढ़ते हुए भावनात्मक संदेश
प्रेम, विरह, और दुख के उद्धरण और शायरी
1 प्रेम और अलविदा के उद्धरण
दिल की धड़कन को अनुभव करने वाले शायरी
प्रेमी के विरह की भावना का व्यक्तिगतीकरण
संगी के जाने के लिए विदाई के उद्धरण
2 अकेलापन और दर्द के उद्धरण
तन्हाई में उदासियों को अभिव्यक्त करने वाले शेर
दर्द के समय खुद को संभालने और सामंजस्य बनाने की भावना
संघर्षों के दौरान उम्मीद की रौनक से भरे शेर
व्यक्तिगत संघर्षों का सामना
1 खुद को सामंजस्य रखने की प्रेरणा
जीवन की चुनौतियों का सामना करने वाले उद्धरण
खुद को उत्साहवादी बनाने और विकास करने के लिए उद्धरण
दुखी समय में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने वाले शेर
2 विश्वास और उम्मीद के उद्धरण
दुखी समय में उत्साहवादी रहने के लिए प्रेरक उद्धरण
असफलता से सीख और सफलता की राह तय करने के लिए शेर
संघर्ष से प्रेरित होकर सफल लोगों के उद्धरण
समाजिक मुद्दों के उद्धरण और शायरी
1 समाज की बुराइयों का दर्द प्रकट करने वाले उद्धरण
जन-जन की आवाज़ बनने वाले शायरी
समाज की समस्याओं पर चिंता प्रकट करने वाले उद्धरण
अन्याय और न्याय के मुद्दे पर प्रेरक शेर
2 स्वतंत्रता और राष्ट्रीय भावना के उद्धरण
स्वतंत्रता संग्राम के दिनों की यादें ताजगी भरे उद्धरण
राष्ट्रीय भावना को उभारते हुए शायरी
देशभक्ति की भावना से भरे उद्धरण
इस लेख में, हमने हिंदी में दुखी उद्धरण और शायरी के विभिन्न रूपों का अध्ययन किया है। ये उद्धरण और शायरी हमें समझाते हैं कि जीवन में दुख और संघर्ष के समय में हम खुद को कैसे संभाल सकते हैं और उत्साहवादी रहकर अगले क़दम की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। ये उद्धरण हमारे मन को शांति और सहानुभ���ति का अनुभव कराते हैं, और हमें जीवन के सभी अवसरों में संघर्ष करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं।
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'कभी खुशी कभी गम' में शाहरुख खान और काजोल का बेटा कृष बड़ा होकर दिखता हैंडसम हंक, लेटेस्ट PHOTOS देख कर फैंस बोले- 'सुपर क्यूट'
‘कभी खुशी कभी गम’ में शाहरुख खान और काजोल का बेटा कृष बड़ा होकर दिखता हैंडसम हंक, लेटेस्ट PHOTOS देख कर फैंस बोले- ‘सुपर क्यूट’
‘कभी खुशी कभी गम’ में शाहरुख खान और काजोल का बेटा कृष बड़ा होकर दिखता हैंडसम हंक
नई दिल्ली :
अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शाहरुख खान, काजोल, ऋतिक रोशन और करीना कपूर स्टारर फिल्म कभी ख़ुशी कभी ग़म… 2001 में आई थीं. यह एक फैमिली ड्रामा फिल्म थी जो काफी पसंद की गई. यह करण जौहर द्वारा लिखित और निर्देशित थी और इसका निर्माण यश जौहर ने किया था. यह फिल्म देश ही नहीं विदेशों में भी काफी पसंद की गई थी. भारत…
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गौरी खान आर्यन खान को प्यार से देखती हैं, जया बच्चन शरमाती हैं क्योंकि अमिताभ बच्चन उन्हें K3G के पर्दे के पीछे की तस्वीरों में गले लगाते हैं
गौरी खान आर्यन खान को प्यार से देखती हैं, जया बच्चन शरमाती हैं क्योंकि अमिताभ बच्चन उन्हें K3G के पर्दे के पीछे की तस्वीरों में गले लगाते हैं
करण जौहर की कभी ख़ुशी कभी ग़म 14 दिसंबर को रिलीज के 20 साल पूरे किए। इस उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए, हिंदी फिल्म उद्योग की कई हस्तियों ने सोशल मीडिया पर फिल्म के प्रतिष्ठित दृश्यों को फिर से बनाया। फोटोग्राफर आयशा ब्रोचा ने भी इंस्टाग्राम पर अमिताभ बच्चन, करीना कपूर खान, काजोल, शाहरुख खान, जया बच्चन और ऋतिक रोशन सहित कलाकारों की कई पर्दे के पीछे की तस्वीरें साझा कीं।
एक तस्वीर में बच्चन अपनी…
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19 साल बाद लोगों को याद आया अमिताभ बच्चन का ये डायलॉग, मीम्स की आई ऐसी बहार, पेट पकड़कर हंसता रह जाएगा। कभी खुशी कभी गम अमिताभ बच्चन डायलॉग मेमे जोमातो पोहा पर प्रफुल्लित करने वाला पोस्ट | बॉलीवुड - समाचार हिंदी में
19 साल बाद लोगों को याद आया अमिताभ बच्चन का ये डायलॉग, मीम्स की आई ऐसी बहार, पेट पकड़कर हंसता रह जाएगा। कभी खुशी कभी गम अमिताभ बच्चन डायलॉग मेमे जोमातो पोहा पर प्रफुल्लित करने वाला पोस्ट | बॉलीवुड – समाचार हिंदी में
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अमिताभ बच्चन के डायलॉग पर बना मीम (फोटो क्रेडिट वायरल मेम) फिल्म कभी खुशी कभी गम के एक डायलॉग पर जबरदस्त मीम (कभी खुशी कभी गम अमिताभ बच्चन डायलॉग मेम) बन रही हैं। जिसमें जोमाटो (Zomato) ने भी हिस्सा लिया…
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आज, बड़े दिनों बाद, मैंने मेरी Diary खोली,
तब एकदम से, ग़ुस्से में, वो मुझसे बोली -
“मैं तुमसे ख़फ़ा हु, हूँ मैं तुमसे नाराज़,
अब नहीं बताते तुम मुझे अपने सारे राज़।
पहले तुम हर रात दौड़ कर आते,
अपने दिन-भर की दास्ताँ तुम मुझे सुनाते।
ज़ाहिर करते तुम अपनी ख़ुशी और बाँटते तुम अपना ग़म,
कभी बहुत कुछ कह जाते, और कभी बातें होती कम।
पलटकर मेरा नाज़ुक सा पन्ना, बिखेरते तुम उसपर स्याही,
लिखते तुम इत्मिनान से, रखकर अपनी कोमल कलाई।
पर आज-कल तो तुम दूर से हो गए हो,
अपनी ज़िंदगी में ही कहीं खो गए हो।
लगता हैं तुम्हें कोई और मिल गया हैं,
फूल, इस बगीचे में, कोई और खिल गया हैं।
हालाँकि, नहीं छोड़ी थी मैंने यह आस,
पता था आओगे एक-दिन फिर पास।
अब जो तुम आ ही गए हो, तो दूर कभी मत जाना,
अपनी सारी समस्याएँ यहीं तुम लाना।
मैं वादा करती हूँ-
परखूँगी तुम्हारी अभिलाषाएँ, सुनूँगी तुम्हारी हर एक बात,
रहना तुम मेरे क़रीब, रहूँगी मैं तुम्हारे साथ।”
- तुम्हारी Diary
April 1 , 2021
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करीना कपूर ने बॉलीवुड में 20 साल पूरे कर लिए हैं, काम जारी रखना चाहती हैं
करीना कपूर ने बॉलीवुड में 20 साल पूरे कर लिए हैं, काम जारी रखना चाहती हैं
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बॉलीवुड स्टार करीना कपूर फिल्म उद्योग में उनकी लंबी उम्र के पीछे का कारण जहां महिला अभिनेताओं को उनकी long शेल्फ लाइफ ’की याद दिलाई जाती है, वह उनका वफादार प्रशंसक है जो उनके दो दशक के लंबे करियर में उनके साथ रहा है।
39 वर्षीय स्टार, जिन्होंने जेपी दत्ता की शरणार्थी के साथ 2000 में अपनी शुरुआत की, का कहना है कि वह अभी भी उन परियोजनाओं में काम करके एक सुनहरा रन बना रही हैं जो वह हमेशा से…
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दिल में बसीं यादें!
यादें तो यादें ही हैं कहाँ बस है कोई इन पर
कब आने लगें कब आकर तड़पाने लगें सब!
वो तो अपने ज़हन में ही बस रही हैं हर वक्त
मिटाये भी तो कहाँ मिट पाती हैं ये कम्बख़्त!
लगता है कि मिले थे बिछड़ने के लिये ही तब
पीछे छोड़ गये जाते अपनी यादें न जाने कब!
काश पीछे मुड़कर देख लेते वो जो हमें अग़र
तभी जान पाते कि क्या गुज़र रही है हम पर!
वो दर्द भरी यादें समेटे दर्द से कराहता चेहरा
साथी बना है उन आँसुओं से भरीं आँखों का!
कभी ये मन की मुस्कुराहटें झलकाता चेहरा
अनायास ही पटल बन जाए मीठी यादों का!
आख़िर क्या करें आँखें बस भर ही आतीं है
यादें पुराने घाव ही बस जो हरे कर जातीं हैं!
यादें मुस्कान दें तो ख़ुशी के आँसू आ टपकें
यादें हों गमगीन तो ग़म आँखों से आ छलकें!
इन यादों बिना कहीं कोई गुज़ारा भी तो नहीं
इनके बिना जीने का कोई सहारा भी तो नहीं!
———
-ps
03-Aug-2020
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काजोल के ऑन-स्क्रीन बेटे जिब्रान खान शाहरुख खान ने कभी ���ुशी कभी गम के 20 साल पूरे होने का जश्न मनाया। घड़ी
काजोल के ऑन-स्क्रीन बेटे जिब्रान खान शाहरुख खान ने कभी खुशी कभी गम के 20 साल पूरे होने का जश्न मनाया। घड़ी
करण जौहर निर्देशन के क्षेत्र में कभी ख़ुशी कभी ग़म कल 20 साल का हो रहा है। और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, मशहूर हस्तियां और प्रशंसक सोशल मीडिया पर वीडियो और संदेश साझा कर रहे हैं।
हाल ही में, अभिनेता जिब्रान खान, जिन्होंने शाहरुख खान और काजोलफिल्म में उनके बेटे ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर एक संवाद करते हुए खुद का एक वीडियो साझा किया, जो उन्होंने और शाहरुख ने K3G में कहा था।
उस क्रम को याद…
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ये खेल क्या है
मिरे मुख़ालिफ़ ने चाल चल दी है
और अब
मेरी चाल के इंतिज़ार में है
मगर मैं कब से
सफ़ेद-ख़ानों
सियाह-ख़ानों में रक्खे
काले सफ़ेद मोहरों को देखता हूँ
मैं सोचता हूँ
ये मोहरे क्या हैं
अगर मैं समझूँ
के ये जो मोहरे हैं
सिर्फ़ लकड़ी के हैं खिलौने
तो जीतना क्या है हारना क्या
न ये ज़रूरी
न वो अहम है
अगर ख़ुशी है न जीतने की
न हारने का ही कोई ग़म है
तो खेल क्या है
मैं सोचता हूँ
जो खेलना है
तो अपने दिल में यक़ीन कर लूँ
ये मोहरे सच-मुच के बादशाह ओ वज़ीर
सच-मुच के हैं प्यादे
और इन के आगे है
दुश्मनों की वो फ़ौज
रखती है जो कि मुझ को तबाह करने के
सारे मंसूबे
सब इरादे
मगर ऐसा जो मान भी लूँ
तो सोचता हूँ
ये खेल कब है
ये जंग है जिस को जीतना है
ये जंग है जिस में सब है जाएज़
कोई ये कहता है जैसे मुझ से
ये जंग भी है
ये खेल भी है
ये जंग है पर खिलाड़ियों की
ये खेल है जंग की तरह का
मैं सोचता हूँ
जो खेल है
इसमें इस तरह का उसूल क्यूँ है
कि कोई मोहरा रहे कि जाए
मगर जो है बादशाह
उस पर कभी कोई आँच भी न आए
वज़ीर ही को है बस इजाज़त
कि जिस तरफ़ भी वो चाहे जाए
मैं सोचता हूँ
जो खेल है
इसमें इस तरह उसूल क्यूँ है
पियादा जो अपने घर से निकले
पलट के वापस न जाने पाए
मैं सोचता हूँ
अगर यही है उसूल
तो फिर उसूल क्या है
अगर यही है ये खेल
तो फिर ये खेल क्या है
मैं इन सवालों से जाने कब से उलझ रहा हूँ
मिरे मुख़ालिफ़ ने चाल चल दी है
और अब मेरी चाल के इंतिज़ार में है!
~ जावेद अख़्तर
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