छत्तीसगढ़ सरकारी नौकरी: सरकारी विभागों में सैकड़ों पदों पर निकली भर्ती, 8 मई से भर सकेंगे फॉर्म
छत्तीसगढ़ सरकारी नौकरी : रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश में सरकारी नौकरी में भर्तियों का सिलसिला लगातार जारी है। इसी कड़ी में आज रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण अधिकारी के 366 रिक्त पदों के लिए छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। छत्तीसगढ़ व्यवसायिक परीक्षा मंडल के माध्यम से इन पदों पर भर्ती की जाएगी।
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MP Forest Guard Recruitment 2023 : वन और जेल विभागों में दसवीं पास के लिए सरकारी नौकरी
MP Forest Guard Recruitment 2023 के बारे में संपूर्ण जानकारी आपको इस आर्टिकल में बताई गई है | अगर आप भी 10वीं पास है और Forest Guard, Field Guard और Jail Prahari की नौकरी प्राप्त करना चाहते है | तो आप सभी के बड़ी अपडेट लेकर आये है इस अपडेट के तहत हम आपको बताना चाहते है की MP Forest Guard Recruitment 2023 को जारी कर दिया गे है | इस भर्ती में आवेदन ऑनलाइन माध्यम से लिए जायेंगे | इस भर्ती से जुडी…
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ग्रामीण, शहरी विकास और वित्त विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ छठे राज्य वित्त आयोग की बैठक हुई
नि. स. संवाददाता
गंगटोक: 6वें राज्य वित्त आयोग की अध्यक्षा ताशी चो चो ने यहां चिंतन भवन के सम्मेलन कक्ष में ग्रामीण विकास, शहरी विकास और वित्त विभागों के राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक का उद्देश्य पीआरआई और यूएलबी के लिए 3 एफ (वित्त, कार्य और कार्यकर्ता) के हस्तांतरण और गतिविधि मानचित्रण की वर्तमान स्थिति को समझना था।
बैठक के दौरान, प्रतिभागियों द्वारा उनके…
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सनातन धर्म का सच्चा हितैषी कौन?
गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में तत्वज्ञान की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए कहा गया है और उस तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अध्याय 15 श्लोक 1 में दी गई है कि जो संत उल्टे लटके हुए पीपल के वृक्ष के सभी विभागों को वेदों अनुसार बता देगा, वह तत्वदर्शी संत होगा। आज तक गीता के इस गूढ़ रहस्य को किसी संत ने उजागर नहीं किया है। जबकि संत रामपाल जी महाराज सूक्ष्मवेद से स्पष्ट करते हैं:
कबीर, अक्षर पुरूष एक पेड़ है, क्षर पुरूष वाकि डार।
तीनों देवा शाखा हैं, पात रूप संसार।।
कबीर, हम ही अलख अल्लाह हैं, मूल रूप करतार।
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#kabir_is_supreme_God
गीता अः15 श्लोक नं 1 , 2 , 3 गीता भागवतदाता ब्रह्म कहते है , कि हे अर्जुन ये संसार उल्टा लटका हुआ पीपल के वृक्ष है ,जो जड़ , तना , शाखा , डारा , टहनिया एवं पत्ते सभी विभागों को बतायेगा , वह तत्व को अर्थात वेद के तात्पर्य को जानते है वह तत्वदर्शी संत होगा । (ऋगवेद मंडल 1 सुक्त 24 मंत्र 1,2 व यजुर्वेद अः 19 मंत्र 25
वर्तमान में जगत उद्धारक पुर्ण संत रामपाल महराज है जो शास्त्रों के गुण रहस्यो को खोलकर रख दिया है ।
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#FridayMotivation
गीता अ. 4 श्लोक 34 में तत्वज्ञान की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए कहा गया है और तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अ. 15 श्लोक 1 में दी गई है कि जो संत उल्टे लटके हुए पीपल के वृक्ष के सभी विभागों को वेदों अनुसार बता देगा, वह तत्वदर्शी संत होगा।
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#GodMorningFriday
गीता अ. 4 श्लोक 34 में तत्वज्ञान की प्राप्ति के लिए तत्वदर्शी संत की शरण में जाने के लिए कहा गया है और तत्वदर्शी संत की पहचान गीता अ. 15 श्लोक 1 में दी गई है कि जो संत उल्टे लटके हुए पीपल के वृक्ष के सभी विभागों को वेदों अनुसार बता देगा, वह तत्वदर्शी संत होगा।
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🍀संत रामपाल जी महाराज ने क्या नया ज्ञान दिया है?🍀
आइए हम जानते हैं कि संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान का क्या आधार है और यह अन्य संतों से भिन्न कैसे हैं? संत रामपाल जी ने प्रत्येक बात पर शास्त्रों का हवाला दिया है।
संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान हैं। संत रामपाल जी ने ही शास्त्रों द्वारा पूर्ण संत की क्या पहचान है, बताई है। उन्होंने बताया कि गीता में लिखा है जो व्यक्ति शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है उसको कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है तथा न उसको परमगति प्राप्त होती है।
सन्त रामपाल जी महाराज जी को छोड़कर अन्य सभी सन्तों का ज्ञान मात्र अंधविश्वास और पाखंड तक सीमित है। सभी सन्त, धर्मगुरु, कथावाचक मात्र पुराणों में लिखी कहानियाँ दोहराते हैं किन्तु उससे शिक्षा क्या मिल रही है इस पर ज़ोर नहीं देते हैं। आज तक के इतिहास में कभी किसी भागवत कथावाचक द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता खोलकर नहीं दिखाई गई और न ही उसमें वर्णित श्लोकों का अर्थ बताया गया। सभी धर्मगुरु केवल उपवास और राशियों, ग्रह एवं नक्षत्रों के ऊपर बल देते हैं। मोक्ष के विषय में न उनके पास स्वयं कोई ज्ञान है और न ही वे इसके विषय में कुछ भी बोल पाते हैं। सभी सन्त ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्य सभी देवी देवताओं की भक्ति के विषय में बताते हैं। जबकि सन्त रामपाल जी महाराज ने एक सही तरीका और सही भक्ति से लोगों को अवगत कराया है।
संत रामपाल जी महाराज बताते हैं गीता अध्याय 6 श्लोक 16 में व्रत, उपवास, जागरण वर्जित है। किन्तु सभी धार्मिक गुरु व्रत करने पर बल देते हैं। वे बताते हैं व्रत कैसे, किस विधि से, किस मुहूर्त में करें।
संत रामपाल जी महाराज ने बताया कि भगवतगीता में तप करना स्पष्ट रूप से मना है। अध्याय 17 के श्लोक 5 से 6 में तप करने सम्बंधी वर्जना स्पष्ट है। साथ ही तप करने वाले पाखंडी और दम्भी कहे गए हैं।
संत रामपाल जी ने बताया कि ब्रह्मा विष्णु शिव जी की उपासना श्रीमद्भगवद्गीता में वर्जित है। फिर ये धर्मगुरु रात और दिन किसके गुणगान करते हैं? श्रीमद्भागवत गीता अध्याय 7 श्लोक 12 से 15, 20 से 23 तथा अध्याय 9 श्लोक 20 से 23 में प्रत्यक्ष प्रमाणित कर दिया गया है कि तीनों गुणों ( रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु, तथा तमगुण शिव) अर्थात तीनों भगवानों की भक्ति करने वालों को असुर स्वभाव को धारण किये हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले, मूढ़ लोग बताया है।
वेदों में परमेश्वर का नाम कविर्देव यानी कबीर बताया है। जबकि ये धर्मगुरु वेदों का क, ख भी ��हीं जानते हैं।
संत रामपाल जी महाराज ने सर्वप्रथम यह ज्ञान दिया कि गीता ज्ञान दाता काल भगवान है जो कृष्ण भगवान से अलग है।
संत रामपाल जी महाराज ने संसार रूपी पीपल के वृक्ष का वर्णन उसके विभागों सहित सही-सही किया जो आज तक हमें कोई नहीं बता पाया था।
गीता के अध्याय 4 श्लोक 34 में तत्वदर्शी सन्त की शरण में जाने के लिए कहा है एवं अध्याय 15 श्लोक 1 से 5 में तत्वदर्शी सन्त के लक्षण भी बताए हैं। किन्तु कोई सन्त या धार्मिक गुरु यह नहीं प्रमाणित कर पाया कि कौन है तत्वदर्शी सन्त।
वे कहते हैं विधि का विधान नहीं बदल सकता जबकि सन्त रामपाल जी महाराज ने यह करके दिखाया है इसकी गवाही वेद देते हैं।
वे मंत्र जाप मनमुखी तरीके से देते हैं। जबकि गीता अध्यय 17 श्लोक 23 के अनुसार ॐ, तत, सत ये तीन मन्त्र हैं पूर्ण परमेश्वर को पाने के लिए जिसका इन नकली धर्मगुरुओं को कोई अंदेशा नहीं है।
वर्तमान समय में पूर्ण गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही हैं जिनकी शरण में आने से ही मानव का कल्याण हो सकता है। पूरे विश्व से निवेदन है कि देर ना करके पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी के ज्ञान को समझें और ग्रहण करें व अपने मनुष्य जीवन को सफल बनाएं। इस संसार में एक पल का भरोसा नहीं कब क्या हो जाए। इसलिए जब भी ज्ञान समझ में आए उसी समय पूर्ण गुरु की शरण ग्रहण कर लेना चाहिए।
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छत्तीसगढ़ में CGPSC ( Chhatisgarh public Service Commission ) वेकेंसी के महत्व इतने अधिक क्यों ???
CGPSC नौकरियां सरकारी क्षेत्र में विभिन्न विभागों और सेवाओं में अवसर प्रदान करती हैं, जिसमें उम्मीदवारों को कई लाभ प्राप्त होता है जैसे
आगे पढ़े ......
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प्रदेश में संचालित कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत/निवासरत विद्यार्थियों को मानसिक सम्बलन एवं सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से गाइडलाइन्स-2022 को स्वीकृति दी है। उक्त स्वीकृति से कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को एक तनावमुक्त तथा सुरक्षित माहौल मिल सकेगा।
गाइडलाइन्स में विद्यार्थियों पर प्रतिस्पर्धा एवं शैक्षणिक दबाव के कारण उत्पन्न हुए मानसिक तनाव एवं अवसाद के निराकरण हेतु मनोचिकित्सकीय सेवा प्रदान करना, प्रवेशित तथा छात्रावासों में निवास करने वाले विद्यार्थियों की पूर्ण सुरक्षा, विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने की व्यवस्थाएं, जिला प्रशासन स्तर पर पर्याप्त निगरानी तंत्र की स्थापना, कोचिंग छात्र-छात्राओं के लिए सुविधा केन्द्र, साफ-सफाई का बेहतर प्रबंधन, कोचिंग संस्थानों के स्तर पर अपेक्षित कार्यवाही, कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों के लिए आमुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन, विद्यार्थियों की दिनचर्या में साइबर कैफे की सुविधा आदि दिशा-निर्देश शामिल किए गए हैं।
गाइडलाइन्स में कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को आईआईटी एवं मेडिकल संस्थानों की प्रवेश परीक्षाओं में उत्तीर्ण ना होने की स्थिति में उपलब्ध करिअर विकल्पों के बारे में बताया जाएगा। इसके अतिरिक्त संस्थान छोड़ने की स्थिति में ईजी एक्जिट पॉलिसी एवं फीस रिफण्ड का प्रावधान किया गया है। गाइडलाइन्स के तहत एक कम्पलेन्ट पोर्टल का निर्माण किया जाएगा। साथ ही, नई गाइडलाइन्स में कोचिंग सेंटर के सभी कार्मिकों का पुलिस वेरिफिकेशन सुनिश्चित किया जाएगा। आवासीय कोचिंग संस्थानों में सभी प्रकार के मूवमेंट का डाटा संधारित करने का प्रावधान भी गाइडलाइन्स में शामिल है। कोचिंग संस्थानों द्वारा किसी भी प्रकार की मिथ्या प्रचार की रोकथाम की व्यवस्था गाइडलाइन्स में की गई है। इन दिशा-निर्देशों की पालना नहीं करने पर कोचिंग संस्था��ों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी।
कोचिंग संस्थानों द्वारा गाइडलाइन्स का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसमें उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, मेडिकल शिक्षा, गृह विभाग सहित सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त गाइडलाइन्स के अंतर्गत प्रत्येक जिले में जिला स्तरीय कोचिंग संस्थान निगरानी समिति का गठन किया गया है, जिसमें विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ-साथ अभिभावकों, कोचिंग संस्थानों, एनजीओ के प्रतिनिधि एवं मनोवैज्ञानिक तथा मॉटिवेशनल स्पीकर और जिले के अतिरिक्त जिला कलक्टर शामिल हैं।
प्रदेश के कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थियों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कोचिंग संस्थानों के प्रभावी नियमन के लिए बनाए गए ‘राजस्थान निजी शिक्षण संस्थान विनियामक प्राधिकरण विधेयक-2022’ के लागू होने तक माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना में उक्त गाइडलाइन्स को मंजूरी दी है।
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#गहरीनजरगीता_में_Part_256 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#गहरीनजरगीता_में_part_257
हम पढ़ रहे है पुस्तक "गहरी नजर गीता में"
पेज नंबर 495-496
।।पंद्रहवे अध्याय के अनुवाद सहित श्लोक।।
अध्याय 15 का श्लोक 1
ऊध्र्वमूलम्, अधःशाखम्, अश्वत्थम्, प्राहुः, अ��्ययम्,
छन्दांसि, यस्य, पर्णानि, यः, तम्, वेद, सः, वेदवित्।।1।।
अनुवाद: (ऊध्र्वमूलम्) ऊपर को पूर्ण परमात्मा यानि आदि पुरुष परमेश्वर रूपी जड़ वाला (अधःशाखम्) नीचे को तीनों गुण अर्थात् रजगुण ब्रह्मा, सतगुण विष्णु व तमगुण शिव रूपी शाखा वाला (अव्ययम्) अविनाशी (अश्वत्थम्) विस्तारित पीपल का वृक्ष है, (यस्य) जिसके (छन्दांसि) जैसे वेद में छन्द है ऐसे संसार रूपी वृक्ष के भी विभाग छोटे-छोटे हिस्से टहनियाँ व (पर्णानि) पत्ते (प्राहुः) कहे हैं (तम्) उस संसाररूप वृक्ष को (यः) जो (वेद) विस्तार से जानता है यानि सर्व विभागों
को जानता है (सः) वह (वेदवित्) वेद के तात्पर्य को जानने पूर्ण ज्ञानी अर्थात् तत्वदर्शी है।(1)
भावार्थ:- गीता अध्याय 4 श्लोक 34 में कहा है कि अर्जुन पूर्ण परमात्मा के तत्वज्ञान को जानने वाले तत्वदर्शी संतों के पास जा कर उनसे विनम्रता से पूर्ण परमात्मा का भक्ति मार्ग प्राप्त
कर, मैं उस पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग नहीं जानता। इसी अध्याय 15 श्लोक 3 में भी कहा है कि इस संसार रूपी वृक्ष के विस्तार को अर्थात् सृष्टि रचना को मैं यहाँ विचार काल में अर्थात् इस गीता ज्ञान में नहीं बता पाऊँगा क्योंकि मुझे इस के आदि (प्रारम्भ) तथा अन्त (जहाँ तक यह फैला है अर्थात् सर्व ब्रह्मण्डों का विवरण) का ज्ञान नहीं है। तत्वदर्शी सन्त के विषय में इस अध्याय 15
श्लोक 1 में बताया है कि वह तत्वदर्शी संत कैसा होगा जो संसार रूपी वृक्ष का पूर्ण विवरण बता देगा कि मूल तो पूर्ण परमात्मा है, तना अक्षर पुरुष अर्थात् परब्रह्म है, डार ब्रह्म अर्थात् क्षर पुरुष है तथा शाखा तीनों गुण (रजगुण ब्रह्मा जी, सतगुण विष्णु जी, तमगुण शिव जी)है तथा पात रूप संसार अर्थात् सर्व ब्रह्मण्ड़ों का विवरण बताएगा वह तत्वदर्शी संत है।
अध्याय 15 का श्लोक 2
अधः, च, ऊध्र्वम्, प्रसृताः, तस्य, शाखाः, गुणप्रवृद्धाः,
विषयप्रवालाः, अधः, च, मूलानि, अनुसन्ततानि, कर्मानुबन्धीनि, मनुष्यलोके।।2।।
अनुवाद: (तस्य) उस वृक्ष की (अधः) नीचे (च) और (ऊध्र्वम्) ऊपर (गुणप्रवृद्धाः) तीनों गुणों ब्रह्मा-रजगुण, विष्णु-सतगुण, शिव-तमगुण रूपी (प्रसृता) फैली हुई हैं (विषयप्रवालाः) विकार-काम क्रोध, मोह, लोभ अहंकार रूपी कोपल (शाखाः) डाली ब्रह्मा, विष्णु, शिव (कर्मानुबन्धीनि) जीव को कर्मों में बाँधने की (मूलानि) जड़ें मुख्य कारण हैं (च) तथा (मनुष्यलोके) मनुष्य लोक, स्वर्ग-नरक
लोक, पृथ्वी लोक में (अधः) नीचे -पाताल लोक, चैरासी लाख जूनियों में ऊपर स्वर्ग लोक आदि में (अनुसन्ततानि) व्यवस्थित किए हुए हैं। (2)
अध्याय 15 का श्लोक 3
न, रूपम्, अस्य, इह, तथा, उपलभ्यते, न, अन्तः, न, च, आदिः, न, च,
सम्प्रतिष्ठा, अ���्वत्थम्, एनम्, सुविरूढमूलम्, असङ्गशस्त्रोण, दृढेन, छित्वा।।3।।
अनुवाद: (अस्य) इस रचना का (न) न (आदिः) शुरूवात (च) तथा (न) न (अन्तः) अन्त है (न) न (तथा) और वैसा (रूपम्) इसका वास्तविक स्वरूप (उपलभ्यते) पाया जाता है (च) तथा
(इह) यहाँ विचार काल में अर्थात् मेरे द्वारा दिया जा रहा गीता ज्ञान में पूर्ण जानकारी मुझे भी (न) नहीं है (सम्प्रतिष्ठा) क्योंकि सर्वब्रह्मण्डों की रचना की अच्छी तरह स्थिति का मुझे भी ज्ञान नहीं है (एनम्) इस (सुविरूढमूलम्) अच्छी तरह स्थाई स्थिति वाला (अश्वत्थम्) पीपल के वृक्ष के ज्ञान को
(असङ्गशस्त्रोण) निर्लेप तत्वज्ञान रूपी (दृढेन्) दृढ़ शस्त्रा से अर्थात् निर्मल तत्वज्ञान के द्वारा (छित्वा) काटकर अर्थात् निरंजन की भक्ति को क्षणिक जानकर। (3)
अध्याय 15 का श्लोक 4
ततः, पदम्, तत्, परिमार्गितव्यम्, यस्मिन्, गताः, न, निवर्तन्ति, भूयः,
तम्, एव्, च, आद्यम्, पुरुषम्, प्रपद्ये, यतः, प्रवृत्तिः, प्रसृता, पुराणी।।4।।
अनुवाद: {जब गीता अध्याय 4 श्लोक 34 अध्याय 15 श्लोक 1 में वर्णित तत्वदर्शी संत मिल जाए} (ततः) इसके पश्चात् (तत्) उस परमेश्वर के (पदम्) परम पद अर्थात् सतलोक को
(परिमार्गितव्यम्) भलीभाँति खोजना चाहिए (यस्मिन्) जिसमें (गताः) गये हुए साधक (भूयः) फिर (न, निवर्तन्ति) लौटकर संसारमें नहीं आते (च) और (यतः) जिस परम अक्षर ब्रह्म से (पुराणी) आदि (प्रवृत्तिः) रचना-सृष्टि (प्रसृता) उत्पन्न हुई है (तम्) उस (आद्यम्) सनातन (पुरुषम्) पूर्ण
परमात्मा की (एव) ही (प्रपद्ये) मैं शरण में हूँ। पूर्ण निश्चय के साथ उसी परमात्मा का भजन करना
चाहिए।(4)
अध्याय 15 का श्लोक 5
निर्मानमोहाः, जितसंगदोषाः, अध्यात्मनित्याः, विनिवृत्तकामाः,
द्वन्द्वैः, विमुक्ताः, सुखदुःखसज्ञैः, गच्छन्ति, अमूढाः, पदम्, अव्ययम्, तत्।।5।।
अनुवाद: (निर्मानमोहाः) जिनका मान और मोह नष्ट हो गया है (जितसंगदोषाः) आसक्तता नष्ट हो गई (अध्यात्मनित्याः) हर समय पूर्ण परमात्मा में व्यस्त रहते हैं (विनिवृत्तकामाः) कामनाओं से रहित (सुखदुःखसजैः) सुख-दुःख रूपी (द्वन्द्वैः) अधंकार से (विमुक्ताः) अच्छी तरह रहित (अमूढाः) विद्वान (तत्) उस (अव्ययम्) अविनाशी (पदम्) सतलोक स्थान को (गच्छन्ति) जाते हैं। (5)
( अब आगे अगले भाग में)
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। संत रामपाल जी महाराज YOUTUBE चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान गुरु बिन दोनों निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण पवित्र वेद और पुराणों में यह सिद्ध किया हुआ है कि बिना गुरु धारण किए हुए की गया भक्ति और दान धर्म मनुष्य को पूर्ण मोक्ष और सास्वत स्थान की प्राप्ति नहीं करवा सकता और बिन गुरु मनुष्य को अधूरा बताया गया है लेकिन आज समाज में हर रोज एक नया धर्म गुरु सामने आता है तो समाज के सामने यह है प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है कि कौन सही भक्ति बताता है और कौन नहीं इसका भी उत्तर हमारे सभी ग्रंथ है हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद भगवत गीता में बताया गया है कि जो संत उल्टी लटके हुए संसार रूपी वृक्ष के तने से लेकर पत्तों तक सभी विभागों को बता दे वही तत्वदर्शी संत है जो सत भक्ति देखकर मनुष्य जीवन का उद्धार कर सकता है और आज की वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही वह तत्वदर्शी संत हैं जो श्रीमद भगवत गीता चारों वेद पुराणों और सभी धर्मों के पवित्र शास्त्रों के अनुसार भक्ति विधि बता रहे हैं अतः आप से विनम्र प्रार्थना है कि संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तक ज्ञान गंगा जीने की राह गीता तेरा ज्ञान अमृत आदि पुस्तकों को पढ़ें और अपने सद ग्रंथों के बारे में जाने और सत भक्ति लेकर जीवन का कल्याण करवाएं I
सत साहेब
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कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में फायर सेफ्टी कार्यशाला सम्पन्न आग लगने के कारण, सुरक्षा उपाय तथा अग्निशमन यंत्रों के उपयोग की दी गई जानकारी
जिला जनसम्पर्क कार्यालय, रायसेन (म0प्र0)
समाचार
संवाददाता गोविन्द दुबे रायसेन
कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कलेक्टर श्री अरविंद दुबे के निर्देशानुसार फायर सेफ्टी कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें पीआईयू तथा विद्युत विभाग के अधिकारियों द्वारा कलेक्ट्रेट भवन में संचालित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को आग लगने के कारण, बचाव, सुरक्षा उपायों तथा अग्निशमन यंत्रों के उपयोग की विस्तृत जानकारी दी गई। इस अवसर पर…
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Himachal Pradesh Upcoming Govt Jobs 2024
Himachal Pradesh Upcoming Govt Jobs 2024
Himachal Pradesh Upcoming Govt Jobs 2024: पिछले १८ महीनों से हिमाचल में कोई भी बड़ी भर्ती नही हुई है और सरकारी विभागों में बहुत सारे पद रिक्त चल रहे है, ऐसे में उम्मीद यही है की जून के महीने में बहुत सारे रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार विज्ञापन जारी कर दे
हिमाचल सरकार की लगभग सभी विभागों में पद खाली है, जैसे राजस्व विभाग में पटवारी के 900 से ज्यादा पद…
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tata steel blood donation camp : टाटा स्टील के इस विभाग में कर्मचारियों ने किया ताबड़तोड़ रक्तदान, लोगों में दिखा उत्साह
जमशेदपुर : टाटा स्टील के जी ब्लास्ट फर्नेस में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. इसमें कर्मचारियों ने भारी उत्साह से रक्तदान किया. कुल 174 यूनिट रक्त संग्रह हुआ. इस मौके पर वीपी आयरन मेकिंग उत्तम सिंह एवं चीफ ऑफ ब्लास्ट फर्नेस पदम् पाल ने भी रक्तदान किया. (नीचे भी पढ़े)
प्लांट के पदाधिकारी व कमिटी मेम्बर भी मौजूद रहे. टाटा स्टील के सारे विभागों में लगातार रक्तदान कराया जा रहा है ताकि रक्त की कमी…
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जनहित से जुड़े प्रकरणों का उसी दिन हो निस्तारण- जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल
संपर्क पोर्टल पर दर्ज प्रकरणों की नियमित मॉनिटरिंग करें अधिकारी
न्यूज़ चक्र, कोटपूतली- बहरोड़। जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल की अध्यक्षता में सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में विभिन्न विभागों की साप्ताहिक समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में सम्पर्क पोर्टल पर विभिन्न विभागों के लम्बित प्रकरणों, स्टार मार्क प्रकरणों, शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, पेयजल, विद्युत की वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर…
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