जब जर्जर हुई झोपड़ी की छत को सही करने के लिए नामदेव जी की
माता जी ने नामदेव को घास फूस लाने भेजा, तो रास्ते में नामदेव सत्संग सुनने बैठ गए और घास फूस की व्यवस्था नहीं कर पाये। तब नामदेव के रूप में परमात्मा कबीर साहेब जी ने आकर उनके घर की छत डालकर झोपड़ी को ठीक किया।
श्री रामचंद्र द्वारा रावण वध के बाद माता सीता की अयोध्या वापसी पर जब एक घटनाक्रम के दौरान माता सीता जी ने हनुमान जी का अपमान किया तो हनुमान जी वापिस जंगल में चले गए। तब दुखी हनुमान जी को मुनिंदर रूप में आए परमात्मा कबीर जी ने मोक्ष की राह दिखाई और असली राम की जानकारी दी।
कबीर परमात्मा के दर्शन गरुड़ जी को हुए थे, कबीर सागर में 11वां अध्याय ‘‘गरूड़ बोध‘‘ पृष्ठ 65 (625) पर प्रमाण है कि परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैंने विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई।
परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को भी सत्य ज्ञान का उपदेश देकर शरण में लिया था।
कबीर परमेश्वर जी जिंदा सन्त रूप में जम्भेश्वर जी महाराज (बिश्नोई धर्म प्रवर्तक) को समराथल में आकर मिले थे। अपना तत्वज्ञान समझाया। उन्होंने अपनी वाणी में प्रमाण दिया: -
जो जिन्दो हज काबे जाग्यो, थलसिर(समराथल) जाग्यो सोई।
वह परमात्मा जिन्दा रूप में थल सिर (समराथल) स्थान में आया और मुझे जगाया।
त्रेता युग में कबीर साहेब जी ने रावण की पत्नी मंदोदरी और भाई विभीषण का कल्याण किया
त्रेता युग में मुनीन्द्र ऋषि नाम से आए परमात्मा कबीर जी ने रावण की पत्नी मंदोदरी और उनके भाई विभीषण को मोक्ष दायक ज्ञान देकर मुक्ति का मार्ग दिखाया।
♦️कबीर परमात्मा के दर्शन गरुड़ जी को हुए थे, कबीर सागर में 11वां अध्याय ‘‘गरूड़ बोध‘‘ पृष्ठ 65 (625) पर प्रमाण है कि परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैंने विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई।
परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को भी सत्य ज्ञान का उपदेश देकर शरण में लिया था।
कबीर परमात्मा के दर्शन गरुड़ जी को हुए थे, कबीर सागर में 11वां अध्याय ‘‘गरूड़ बोध‘‘ पृष्ठ 65 (625) पर प्रमाण है कि परमेश्वर कबीर जी ने धर्मदास जी को बताया कि मैंने विष्णु जी के वाहन पक्षीराज गरूड़ जी को उपदेश दिया, उनको सृष्टि रचना सुनाई।
परमेश्वर कबीर जी ने गरुड़ जी को भी सत्य ज्ञान का उपदेश देकर शरण में लिया था।
♦️कबीर परमेश्वर हजरत मुहम्मद जी को मिले थे।
कबीर साहेब हजरत मुहम्मद जी को सतलोक लेकर गए, सर्व लोकों की स्थिति से परिचय करवाया। किन्तु हज़रत मुहम्मद जी ने मान-बड़ाई के कारण कबीर साहेब का ज्ञान स्वीकार नहीं किया था।
फारसी भाषा में ‘‘तमा’’ गाय को कहते हैं। खू = खून यानि रक्त को कहते हैं। यह तमाखू गाय के रक्त से उपजा है। इसके ऊपर गाय के बाल जैसे रूंग (रोम) जैसे होते हैं। हे मानव! तेरे को सौ बार सौगंद है कि इस तमाखू का सेवन किसी रूप में भी मत कर। तमाखू का सेवन गाय का खून पीने के समान पाप लगता है।
भारत! तू संपूर्ण भाव से उस परमेश्वर की ही शरण में जा। उस परमात्मा की कृपा से ही तू परम शान्ति को तथा सदा रहने वाले अविनाशी स्थान को अर्थात् सतलोक को प्राप्त होगा।”
यही प्रमाण गीता जी अध्याय 18 श्लोक 66 में भी दिया गया है।
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मार्कण्डेय पुराण (गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित पृष्ठ 237) में श्राद्ध के विषय मे एक कथा का वर्णन मिलता है जिसमें रूची नामक एक ऋषि को अपने चार पूर्वज जो शास्त्र विरुद्ध साधना करके पितर बने हुए थे तथा कष्ट भोग रहे थे, दिखाई दिए। “पितरों ने कहा कि बेटा रूची हमारे श्राद्ध निकाल, हम दुःखी हो रहे हैं।" रूची ऋषि ने जवाब दिया की पित्रामहों वेद में कर्म काण्ड मार्ग (श्राद्ध, पिण्ड भरवाना आदि) को मूर्खों की साधना कहा है, अर्थात यह क्रिया व्यर्थ व शास्त्र विरुद्ध है।
श्रीमद्भगवदगीता अध्याय 17, श्लोक 5 व 6 में भगवान ने स्पष्ट कहा है कि जो लोग जबरदस्ती ध्यान कराते हैं, वे आडंबर कर रहे हैं और वास्तव में मुझे ही कष्ट पहुंचा रहे हैं, जिससे ब्रह्माकुमारीज तथा अन्य अनेक पंथों द्वारा बताया गया ध्यान का मार्ग व्यर्थ हो जाता है।
🔸मनुष्य केवल मनुष्य के रूप में पुनर्जन्म लेता है जबकि जानवर पशु के रूप में पुनर्जन्म लेते हैं। ब्रह्माकुमारी पंथ का मानना है कि मनुष्य को 84 लाख योनियों के जीवन से गुजरना नहीं पड़ता है, जिससे पता चलता है कि ब्रह्माकुमारी का ज्ञान हिंदू धर्म से संबंधित पवित्र ग्रंथों में दिए गए ज्ञान के बिल्कुल विपरीत है।
ब्रह्माकुमारीज़ श्रीमद्भगवद्गीता को सत्य मानती हैं लेकिन उनका अपना ज्ञान पवित्र गीता में दिए गए ज्ञान के विपरीत है। उनका मानना है कि महाभारत के समय भगवान शिव ने श्रीकृष्ण के शरीर में प्रवेश करके गीता का ज्ञान दिया था। ये पूरी तरह सही नहीं है। गीता अध्याय 11 श्लोक 32 में गीता ज्ञान दाता कहता है कि मैं "काल" हूँ तथा अभी प्रकट हुआ हूँ। वास्तव में भगवान "काल" ने ही श्री कृष्ण के शरीर में प्रवेश करके गीता का ज्ञान दिया था।
सत्तर जन्म कटत हैं शीशम, साक्षी साहिब हैं जगदीशम।।
सुरापान व मांस आदि खाने का अंजाम जब इतना बुरा है तो इससे त्यागने में ही भलाई है।
🌬️नशा चाहे शराब, सुल्फा, अफीम, हेरोइन आदि-आदि किसी का भी करते हो, यह आपका सर्वनाश का कारण बनेगा।
इस का किसी भी शास्त्र में उल्लेख नहीं कि नशा करें।
यह मानव समाज को बर्बाद कर रहा है।
🌬️नशा करने से नाश होता है। इसलिए पूर्ण संत के सत्संग सुनें जिससे गृह क्लेश भी समाप्त हो जाता है।
🌬️शराब मानव जीवन बर्बाद करती है। इस बारे में परमात्मा कबीर साहेब जी कहते हैं-
भांग तम्बाकू छोतरा, आफू और शराब
गरीबदास कौन करे बंदगी, ये तो करें खराब।
शराब भक्ति का नाश करती है। इसे त्यागने में ही भलाई है।
🌬️ शराब गृह क्लेश को जन्म देती है व आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक बदहाली अपने साथ लेकर आती है।
इससे दूरी रखना ही समझदारी है।
🌬️ यदि आप शराब की लत नहीं छोड़ पा रहे हैं और नशा मुक्ति केंद्र से भी आपको इस बारे में सफलता नहीं मिली है।
तो निराश न हों संत रामपाल जी महाराज से उपदेश लेकर आप इसे बड़ी आसानी से छोड़ सकते हैं।
🌬️ नशा सर्वप्रथम तो इंसान को शैतान बनाता है फिर शरीर का नाश हृदय है। शरीर के चार महत्वपूर्ण अंग हैं फेफड़े, लीवर, गुर्दे, हृदय। शराब सबसे प्रथम इन चारों अंगों को खराब करती है। इन सब से निजात पाने के लिए संत रामपाल जी महाराज के सत्संग अवश्य सुनें।
🌬️शराब में ऐसा नशा है जो अनमोल मानव जीवन को बर्बाद कर देती है। सद्भगति में ऐसा नशा है जो मर्यादा में रहकर की जाए तो जीवन को आबाद कर देती है। फैसला आपको करना है।
🌬️शराब व अन्य विकारों में मानव जीवन को उलझाकर मानव को सद्भगति से दूर रखना काल की सुनियोजित चाल है।
भोली जनता काल कसाई की चाल में फंस रही है।
🌬️शराबी व्यक्ति का शरीर रोगों की खान बन जाता है। जिस कारण उनके परिवार को उनके नशे और बीमारियों पर खर्च के कारण दोहरी मार पड़ती है।
🌬️शराब एक ऐसी खतरनाक बुराई है जो बसे बसाए खुशहाल परिवार को भी उजाड़ देती है, तथा धन व बल दोनों का नाश करती है।
🌬️शराबी व्यक्ति विचार करें
आज किसी की भी संतान उस समय बहुत गर्व महसूस करती है जब उसे अपने स्वावलंबी पिता का परिचय देना हो।
शराबी परिजन का परिचय देने में बच्चे हीन भावना का शिकार होते हैं।
🌬️भगवान के संविधान अनुसार एक बार शराब पीने वाले के 70 जन्म कुत्ते के होते हैं।
🌬️देवता भी मनुष्य जीवन को तरसते हैं क्योंकि मोक्ष मनुष्य जीवन में ही हो सकता है।
और परमात्मा का विधान है कोई भी नशा करने वाला मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता और आप इस अनमोल जीवन को शराब पीने में बर्बाद कर रहे हो।
🌬️शराब के पीने से कैंसर जैसी भयानक बीमारियाँ होती हैं। इससे मनुष्य हरदम दुःखी होता है। नए नए रोग होते हैं नशे की वजह से।
🌬️नशा हमारे भक्ति मार्ग में सबसे बड़ा बाधक है।
- संत रामपाल जी महाराज
🌬️सतभक्ति से शराब छूट सकती है।
आज संत रामपाल जी से उपदेश लेकर बहुत लोग शराब छोड़ चुके हैं और उनके परिवार में खुशहाली आई है।