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#रेपो रेट्स
krazyshoppy · 2 years
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कल शुरू होगी मौद्रिक समीक्षा की बैठक, रेपो रेट्स में होगा इजाफा! जानें क्या है एक्सपर्ट की राय?
कल शुरू होगी मौद्रिक समीक्षा की बैठक, रेपो रेट्स में होगा इजाफा! जानें क्या है एक्सपर्ट की राय?
RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) बुधवार को अपनी आगामी मौद्रिक समीक्षा नीति (MPC Meeting) की बैठक करेगा. इस समय मुद्रास्फीति में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि आगामी बैठक में सरकार नीतिगत दरों में इजाफा कर सकती है. एक्सपर्ट ने यह अनुमान जताते हुए कहा कि गवर्नर शक्तिकांत दास पहले ही इसके संकेत दे चुके हैं. 0.35 फीसदी की हो सकती है…
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dainiksamachar · 1 year
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न हों परेशान, लोन की ईएमआई कम कर देंगे ये स्मार्ट तरीके, एक्सपर्ट्स ने समझाया पूरा गणित
नई दिल्ली: होम लोन सबसे लंबे समय तक चलने वाला लोन होता है। इसमें ग्राहकों को भारी-भरकम ब्याज चुकाना पड़ता है। पिछले दिनों में आरबीआई ने रेपो रेट में कई बार बढ़ोतरी की है। रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर लोन पर पड़ा है। लोन महंगा हो गया है। लोगों की जेब पर पहले से ज्यादा ढीली हो रही है। कई बार लोगों की किस्ते देरी से भी जाती हैं। किस्त के भुगतान में देरी से आपका सिबिल स्कोर प्रभावित होता है। इससे बैंक पीनल इंटरेस्ट के रूप में जुर्माना वसूलते हैं जो EMI एक से दो फीसदी होता है। बार-बार भुगतान में देरी से रिकवरी एजेंट्स भी परेशान करने लगते हैं। अगर आप भी लोन की ईएमआई के बोझ से परेशान हो रहे हैं तो इससे राहत के उपाए हैं। एक्सपर्ट्स ने कई ऐसे स्मार्ट तरीके बताए हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी लोन की ईएमआई के बोझ को कम कर सकते हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसे कौन से तरीके हैं जिनसे ईएमआई के बोझ को कम किया जा सकता है। ट्रांसफर करा लें लोन हालांकि इस समय सभी बैंकों में ही होम लोन के रेट्स बढ़ चुके हैं। लोन के रेट्स में ज्यादा अंतर नहीं है। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आपने जिस बैंक से होम लोन लिया है, उसका रेट दूसरे बैंक से बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में आप दूसरे बैंक में लोन को ट्रांसफर करा सकते हैं। अगर आपने 0.50 फीसदी कम ब्‍याज पर लोन ट्रांसफर करा लिया तो आपको कम किस्त के साथ ब्याज भी कम चुकाना होगा। लेकिन जानकारों का कहना है कि शुरुआती वर्षों में ही लोन ट्रांसफर कराने का फायदा मिलता है। लोन का टेन्योर बढ़वा लें अगर आपकी ईएमआई की किस्तें आपके बजट पर असर डाल रही हैं तो इसे कम किया जा सकता है। आप अपने लोन का टेन्‍योर बढ़वा कर किस्त कम करा सकते हैं। लेकिन इससे आपको लंबे समय तक ब्याज देना पड़ेगा। आप अपने टेन्योर को बढ़वा लें। इससे आपकी ईएमआई कम हो जाएगी। एकमुश्त रकम चुकाएं अगर आपके पास नकदी रखी हुई है, तो आप कुछ एकमुश्त रकम चुकाकर अपने होम लोन टर्म को छोटा कर सकते हैं। आप इस बारे में अपने बैंक से बात करें। इस तरह आप लोन रीफाइनेंस करके अपनी होम लोन की अवधि कम करा सकते हैं। होम लोन जैसे बड़े लोन के मामले में शुरुआती वर्षों में प्रीपेमेंट आपके लोन की अवधि काफी ज्यादा कम कर देता है। लोन में प्रीपेमेंट से आप उस कर्ज की अवधि घटा सकते हैं या उसकी EMI की रकम कम कर सकते हैं। http://dlvr.it/Sq0KKW
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nationalnewsindia · 1 year
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365store · 2 years
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केनरा बैंक के अधिकारियों को झटका! बैंक ने अपनी एमसीएलआर और आरएलएलआर में की वृद्धि, अच्छी ईएमआई
केनरा बैंक के अधिकारियों को झटका! बैंक ने अपनी एमसीएलआर और आरएलएलआर में की वृद्धि, अच्छी ईएमआई
केनरा बैंक ने एमसीएलआर आरएलएलआर बढ़ाया: देश के बड़े क्षेत्र के बैंक केनरा बैंक (केनरा बैंक) ने अपनी ऋण की स्थिति में सुधार किया है। इसके बाद ग्राहकों को झटका लगा। बैंक ने अपने मंगलमय भोजन ऑफ लेंडिग्स (ऋण दरों की सीमांत लागत) 15 से 20 बेसिस की वृद्धि की है। एंटिली रेपो रेट लेंडिंग रेट्स (Repo Rate Lending Rates) में भी वृद्धि होती है। यह नई तारीख 7 2022 तक लागू होती है। ऐसे में बैंक के ग्राहकों को…
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rudrjobdesk · 2 years
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Fixed Deposits: अब इस प्राइवेट बैंक ने FD पर बढ़ाया ब्याज, चेक करें लेटेस्ट रेट्स
Fixed Deposits: अब इस प्राइवेट बैंक ने FD पर बढ़ाया ब्याज, चेक करें लेटेस्ट रेट्स
नई दिल्ली. रेपो रेट और सीआरआर (कैश रिजर्व रेश्यो) में बढ़ोतरी के बाद से फिक्स्ड डिपॉजिट्स  (Fixed Deposits) पर ब्याज दरें बढ़ाए जाने का सिलसिला लगातार जारी है. प्राइवेट सेक्टर के फेडरल बैंक ने भी एफडी (FD) की ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है. नई दरें 16 मई, 2022 से प्रभावी हो गई है. फेडरल बैंक ने 2 करोड़ रुपये तक की एफडी पर ब्याज दरें बढ़ाने की घोषणा की है. यह इजाफा सभी अवधियों की जमाओं पर किया…
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technicalsk9 · 3 years
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कैनरा बैंक लोन पर MCLR 6.90% रखने का लिया फैसला, इससे पहले बैंक ने FD पर बढ़ाई थी ब्याज दरें
कैनरा बैंक लोन पर MCLR 6.90% रखने का लिया फैसला, इससे पहले बैंक ने FD पर बढ़ाई थी ब्याज दरें
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सार्वजनिक क्षेत्र की कैनरा बैंक ने लोन पर अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेडिंग रेट्स MCLR समान रखने का फैसला लिया है। यह विभिन्न अवधियों के लिए 7 दिसंबर से लागू हो गई हैं। इसमें रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) भी 6.90% रहेगा।
अलग-अलग अवधियों के लिए बैंक द्वारा 7 दिसंबर से प्रभावी MCLR
अवधि ब्याज दर एक दिन 6.80% एक महीना 6.80% तीन महीना 6.95% छह महीना 7.30% एक साल 7.35%
MCLR…
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latest-news-pm · 3 years
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RBI ने मॉनिटरी पॉलिसी में नहीं किया बदलाव, REPO Rate जस की तस
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा कर दी है। लगातार तीसरी बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने कहा कि इंटरेस्ट रेट्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है और पहले की तरह ही रहेंगी। रेपो रेट (Repo Rate) को पहले की तरह 4% पर ही रखा गया है। हालांकि, रिजर्व बैंक ने यह भरोसा दिलाया है कि जरूरत पड़ने पर भविष्य में इंटरेस्ट रेट्स में बदलाव किया जा सकता है। RBI के MPC ने एकमत होकर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया।
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hotnewslink · 4 years
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SBI से ले रखा है होम लोन, तो उठाइए इस सुविधा का फायदा
SBI से ले रखा है होम लोन, तो उठाइए इस सुविधा का फायदा
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अभी एसबीआई के होम इक्विटी इंटेरेस्ट रेट्स यह बाहरी बेंचमार्क रेट (ईबीआर) पर आधारित है जो रेपो रेट पर आरबीआई के ऑर्डर से जुड़ा है। रेपो रेट में किसी भी तरह के बदलाव से ईबीआर में भी बदलाव होगा। एसबीआई ने महिला कर्जदारों को ब्याज दर पर 0.05 फीसदी की विशेष छूट दी है। देश में कोरोना वायरस महामारी के फैलने के बाद से आरबीआई ने रेपो रेट में भारी कटौती की है और यह 4 फीसदी पर आ गया है। कैसे काम करता…
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vilaspatelvlogs · 4 years
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करना चाहते हैं FD में निवेश, जानिए कौन से बैंक दे रहें हैं 7% तक ब्याज
करना चाहते हैं FD में निवेश, जानिए कौन से बैंक दे रहें हैं 7% तक ब्याज
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नई दिल्ली: जो लोग अपने निवेश पर किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहते, उनमें से ज्यादातर लोग फिक्स्ड डिपॉजिट में पैसे डालना पसंद करते हैं. FD मार्केट के जोखिमों से दूर तो होता ही है, एक गारंटीड रिटर्न भी देता है. हालांकि पिछले एक साल के दौरान फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें गिरीं हैं, क्योंकि रिजर्व बैंक ने लगातार रेपो रेट्स में कटौती की है. जिसकी वजह से बैंकों को भी लोन की ब्याज दरें कम…
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zeenewsworld · 4 years
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यहां FD पर मिल रहा है सबसे ज्यादा मुनाफा! 9 फीसदी की दर से मिलेगा ब्याज-Fixed Deposit Interest Rates Best FD Rates 9 Percent of Top Banks in November | online-business - News in Hindi
यहां FD पर मिल रहा है सबसे ज्यादा मुनाफा! 9 फीसदी की दर से मिलेगा ब्याज-Fixed Deposit Interest Rates Best FD Rates 9 Percent of Top Banks in November | online-business – News in Hindi
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आरबीआई ने इस साल लगातार 5 बार रेपो रेट में कटौती किया है. इस साल RBI ने रेपो रेट (Repo Rate) में लगातार 5 बार कटौती किया है, जिसके बाद बैंकों ने एफडी रेट्स (Interest Rates on FD) को भी कम कर दिया है. ऐसे में अधिक…
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krazyshoppy · 2 years
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HDFC Bank Hikes FD Rates: एफडी पर अब मिलेगा ज्यादा ब्याज, HDFC Bank ने बढ़ाई ब्याज दरें
HDFC Bank Hikes FD Rates: एफडी पर अब मिलेगा ज्यादा ब्याज, HDFC Bank ने बढ़ाई ब्याज दरें
HDFC Bank Hikes Fixed Deposit Rates: फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) के तौर पर बैंक में अपनी गाढ़ी कमाई रखने वालों के लिए खुशखबरी है. आरबीआई (RBI) के रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ाने के फैसले के बाद एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने एक हफ्ते में दूसरी बार फिक्स्ड डिपॉजिट्स (Fixed Deposit) पर ब्याज दरें बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. एचडीएफसी बैंकने एफडी रेट्स पर 25 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है जो 17 जून,…
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chaitanyabharatnews · 5 years
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आज से कार, होम और अन्य सभी लोन लेना हुआ सस्ता, SBI ने घटाई ब्याज दर
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चैतन्य भारत न्यूज नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दो दिन पहले ही सभी बैंकों से कहा था कि, वह जल्द से जल्द रेपो रेट कट का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाए। उनकी अपील के बाद ही बुधवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) में 5 पॉइंट्स की कटौती कर दी है। इस कटौती के बाद कार लोन, होम लोन और अन्य तरह के सभी लोन सस्ते हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक, बैंकों ने सभी तरह के लोन के लिए ब्याज दरों में कटौती कर दी है। इस कटौती के बाद एक साल के लिए लोन पर ब्याज दर 8.45 प्रतिशत प्रतिवर्ष से घटकर 8.40 प्रतिशत प्रतिवर्ष हो गई है। एसबीआअई ने एक बयान में कहा कि, 'इसके परिणामस्वरूप एमसीएलआर से जुड़े सभी लोन पर ब्याज दर 10 जुलाई, 2019 से पांच आधार अंक घट जाएगा।' बता दें वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह तीसरी बार है जब रेट दर में कटौती हुई है। इस कटौती से होम लोन 10 अप्रैल 2019 के बाद 0.20 फीसदी सस्ता हो गया है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा था कि, 'रेपो रेट में अब तक 75 प्वाइंट्स की कटौती की जा चुकी है। लेकिन, ग्राहकों तक इसका एक तिहाई लाभ ही पहुंच पाया है।' उन्होंने आगे बताया कि, 'पहले के मुकाबले रेट कट ट्रांसमिशन में अब कम समय लगता है।' शक्तिकांत दास के मुताबिक, इस काम में पहले कम से कम 6 महीने लगते थे, लेकिन अब महज 2 से 3 महीने में ही इसका लाभ ग्राहकों तक पहुंचने लगा है। क्या है एमसीएलआर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स (MCLR) भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई एक पद्धति है जो कॉमर्शियल बैंक्स द्वारा ऋण ब्याज दर तय करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसे भारत में नोटबंदी के बाद लागू किया गया है जिसकी वजह से लोन लेना थोड़ा आसान हो गया है। जब आप किसी बैंक से कर्ज लेते हैं तो बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्याज की न्यूनतम दर को आधार दर कहा जाता है। लेकिन अब इसी आधार दर की जगह बैंक ��मसीएलआर का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस���ी गणना धनराशि की सीमांत लागत, आवधिक प्रीमियम, संचालन खर्च और नकदी भंडार अनुपात को बनाए रखने की लागत के आधार पर की जाती है। यह आधार दर से थोड़ा सस्ता होता है। इसलिए होम लोन जैसे लोन्स भी इसके लागू होने के बाद से काफी सस्ते हुए हैं। Read the full article
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hsnews-blog1 · 5 years
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नई दिल्‍ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की इस साल की आखिरी बाईमंथली मॉनिटरी पॅालिसी का ऐलान आज होगा. क्‍या इसमें रेपो रेट्स में कोई बदलाव होगी, लेकिन जैसी संभावना दिख रही है उसमें संभावना तो नहीं दिख रही है, क्‍योंकि इससे पहले हुई दो बाईमंथली पॉलिसी में भी आरबीआई का यही रूख रहा था.
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365store · 2 years
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पीएनबी और बैंक बैंक ने अपने FD एक्सचेंजों को खुला छोड़ दिया! 7.00% तक रिटर्न
पीएनबी और बैंक बैंक ने अपने FD एक्सचेंजों को खुला छोड़ दिया! 7.00% तक रिटर्न
सावधि जमा दरों में वृद्धि: बैंक ऑफ इंडिया (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के रेपो (आरबीआई रेट्स के रेपो रेट) में ग्रोथ रेट्स के साथ ही सभी प्रकार के बैंकों के लिए ब्याज दरें (एफडी दरें) लेखा (बचत खाता) की गुणवत्ता खराब है। अब इस लिस्टिंग में शामिल हो सकते हैं। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के प्रकाशन ने 2 करोड़ डॉलर से कम की बिक्री पर 50 बेसिस की वृद्धि की है। इस विकास के बाद से अब आम लोगों को 6.50%…
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shaileshg · 4 years
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कोरोनावायरस महामारी की वजह से स्टॉक मार्केट्स में जो गिरावट आई थी, उससे बाजार पूरी तरह उबरते नजर आ रहे हैं। दुनियाभर के ज्यादातर स्टॉक मार्केट फरवरी यानी कोरोनावायरस से पहले के दौर में आ चुके हैं, वहीं कुछ तेजी से आ रहे हैं।
भारत के सेंसेक्स और निफ्टी-50 ही नहीं बल्कि अमेरिका के डाउ जोंस इंडस्ट्रीयल इंडेक्स और एसएंडपी 500 इंडेक्स भी 37% तक की गिरावट के बाद 6 महीने के भीतर ही अब अपने पुराने स्तर पर लौट रहे हैं।
दूसरी ओर, सेफ हैवन असेट समझे जाने वाले सोने की कीमतों में गिरावट नजर आ रही है। सात अगस्त को 56 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंचने के बाद सोना लगातार फिसल रहा है। अब तक पांच-छह हजार रुपए तक की गिरावट इसमें आ गई है।
लेकिन, एनालिस्ट कह रहे हैं कि सोने की कीमतों में गिरावट का कारण सिर्फ स्टॉक मार्केट में तेजी नहीं है। बल्कि कई अन्य कारण भी हैं। ऐसे में यदि आपको लग रहा है कि स्टॉक मार्केट में तेजी के साथ सोना और सस्ता होगा, तो आपका अंदाजा गलत भी हो सकता है।
कितने गिर गए थे स्टॉक मार्केट, अब क्या है स्थिति?
कोरोनावायरस के मामले फरवरी में सामने आने लगे थे। तब तक सरकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन अमेरिका जैसे देशों में बढ़ते मामलों का असर शेयर बाजारों पर भी दिखा। जो शेयर बाजार फरवरी में अपने ऑलटाइम हाई पर थे, 14 फरवरी के बाद फिसलते चले गए। दुनियाभर के ज्यादातर शेयर बाजारों ने 20 से 23 मार्च के बीच बॉटम छू लिया था।
यह गिरावट इतनी तेज थी कि कोई संभल ही नहीं सका। जापान के निक्केई 225 को ही लें, 20 मार्च को वह अपने एक जनवरी के स्तर से करीब 28.67% नीचे था। इसी तरह अमेरिका का एसएंडपी 500 इंडेक्स 30.75%, सेंसेक्स 37.02%, निफ्टी 37.46%, यूके का एफटीएसई 100 इंडेक्स 33.79% तक गिर गए थे।
चीन का शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स सबसे कम गिरा था। उसमें 23 मार्च को एक जनवरी के मुकाबले महज 12.78% की गिरावट आई थी। अच्छी बात यह है कि एसएंडपी 500 इंडेक्स, निक्केई 225 और शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स अब इस साल की शुरुआत से ऊपर के स्तर पर है। हालांकि, अब भी उनका इस साल के शिखर पर लौटना बाकी है।
किन वजहों से आई शेयर मार्केट्स में तेजी?
जब कोरोनावायरस की वजह से अनिश्चितता का माहौल बना, तब बाजार में आई गिरावट को रोकने के लिए सरकारें भी सक्रिय हुईं। भारत में भी केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की। इसी तरह, अमेरिका सहित अन्य देशों में स्टिमुलस उपायों से गिरते बाजारों को उम्मीद बंधी।
भारत में रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की घोषणा की। ब्याज दरें घटाईं। केडिया कैपिटल के डायरेक्टर और रिसर्च हेड अजय केडिया का कहना है कि स्टिमुलस पैकेज ने शेयर बाजारों के लिए स्टेरॉइड का काम किया। इससे जो तेजी आई, उसे नेचरल तेजी नहीं कह सकते। जब कोरोना महामारी भारत में आई तो मार्केट गिरने लगे थे।
अब जब भारत दुनिया का नंबर दो देश बन चुका है, तब मार्केट ऊपर आ रहे हैं। आप खुद ही समझ सकते हैं कि यदि कोरोना की स्थिति नहीं सुधरी तो सरकार को फिर स्टिमुलस पैकेज लाना होगा। जिसकी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। इससे बाजार में लिक्विडिटी तो आएगी, लेकिन यह दावा नहीं किया जा सकता कि कोरोना का संकट टल गया है और अब बाजार में सब अच्छा ही अच्छा होने वाला है।
तो क्या सोने की तेजी की वजह यही थी?
एंजेल ब्रोकरेज की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल में सेंसेक्स और निफ्टी ने 9.05% और 8.5% के सालाना औसत से वृद्धि दर्ज की है। 2010 और 2015 के बीच 2012 की मंदी के बाद भी वृद्धि देखी गई। फरवरी 2016 से फरवरी 2020 तक सेंसेक्स की वृद्धि देखें तो वह 17,500 से बढ़कर 40,000 अंकों तक पहुंच गया। साफ है कि रिस्क होने के बाद भी इक्विटी में निवेश का ट्रेंड बढ़ा है।
दूसरी ओर, 2007 में सोना 9 हजार रुपए प्रति दस ग्राम के आसपास था, जो 2016 में 31 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया था। यानी नौ साल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी। यह भी समझना होगा कि जब-जब ब्याज दरें घटती हैं, तब सोने में निवेश बढ़ता है।
इसी तरह का संबंध है शेयर मार्केट और सोने का। जब-जब शेयर मार्केट में गिरावट दर्ज होती है या मंदी की आहट होती है, पीली धातु की रफ्तार बढ़ जाती है। ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म डेलोइट ने अप्रैल के आउटलुक में कहा था कि ब्याज दरों में गिरावट होगी। ऐसा ही हुआ।
आज देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बैंक की ब्याज दरें एक दशक में सबसे कम हैं। आज की तारीख में भारत की बात करें तो रेपो रेट सिर्फ 4 प्रतिशत के आसपास है। ब्याज दरें कम हैं, ऐसे में लोगों के लिए सोना ही निवेश का बेहतर विकल्प बना हुआ है।
आगे क्या… क्या सोने में निवेश करना अब भी आकर्षक विकल्प है?
केडिया कैपिटल के अजय केडिया कहते हैं कि सोने में ग्रोथ साइकिल में होती है। 2008 से 2013 की साइकिल हो या 2018 से अब तक की साइकिल। सोने के रेट्स अचानक नहीं बढ़े हैं। सितंबर 2018 से इसमें तेजी आने लगी थी। यदि आप 2008 से 2013 तक की अवधि को समझेंगे तो पाएंगे कि आज की स्थिति बहुत ज्यादा अलग नहीं है।
ब्याज दरें कम हुई थी। मंदी का खतरा था, इसलिए सरकारों ने स्टिमुलस पैकेज घोषित किए थे। जियो-पॉलिटिकल टेंशन उस समय यूएस, ईरान और मिडिल ईस्ट में थे, आज भारत-चीन, अमेरिका-चीन और अमेरिका-ईरान में दिख रहे हैं। यह सब सोने के लिए फेवरेबल है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से इकोनॉमी ठप थी। हमारे यहां तो जीडीपी ही निगेटिव में चली गई। यदि आप निवेशक हैं तो कहां निवेश करना चाहेंगे? आपके सामने दो ही ऑप्शन हैं- इक्विटी और सोना। अगस्त की ही बात करें तो एफआईआई ने भारत में 5,500 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।
यह बताता है कि भारत से उम्मीदें बढ़ गई हैं। वहीं, यदि भारतीयों की मानसिकता समझने की कोशिश करेंगे तो उन्हें सोना ही आकर्षक विकल्प लगता है। हमारे यहां तो सोने में निवेश लोग तभी करते हैं जब इसके दाम बढ़ते हैं। इसका सीधा-सीधा उदाहरण है गोल्ड सोवरिन बॉन्ड में बढ़ रहा निवेश।
वह कहते हैं कि सोने की कीमतों में जो गिरावट आई है, उसकी वजह है पिछले दो महीनों में रुपए में आई मजबूती। रुपया अभी 73-74 रुपए प्रति डॉलर की रेंज में है। कुछ महीनों पहले 76-77 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया था। इससे भी सोने की कीमत कम हुई है।
लेकिन, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि डॉलर में तेजी आएगी तो लॉन्ग टर्म में सोने के दाम और तेजी से बढ़ेंगे। यानी अगले साल तक सोना 60 से 70 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच सकता है।
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Stock markets are recovering even after falling by 37%; But gold does not return at last year's rate, know why
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pinkbonkweaselkid · 4 years
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37% तक लुढ़कने के बाद भी रिकवर कर रहे हैं स्टॉक मार्केट; लेकिन सोना नहीं लौटने वाला पिछले साल के रेट पर, जानिए क्यों
कोरोनावायरस महामारी की वजह से स्टॉक मार्केट्स में जो गिरावट आई थी, उससे बाजार पूरी तरह उबरते नजर आ रहे हैं। दुनियाभर के ज्यादातर स्टॉक मार्केट फरवरी यानी कोरोनावायरस से पहले के दौर में आ चुके हैं, वहीं कुछ तेजी से आ रहे हैं।
भारत के सेंसेक्स और निफ्टी-50 ही नहीं बल्कि अमेरिका के डाउ जोंस इंडस्ट्रीयल इंडेक्स और एसएंडपी 500 इंडेक्स भी 37% तक की गिरावट के बाद 6 महीने के भीतर ही अब अपने पुराने स्तर पर लौट रहे हैं।
दूसरी ओर, सेफ हैवन असेट समझे जाने वाले सोने की कीमतों में गिरावट नजर आ रही है। सात अगस्त को 56 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पर पहुंचने के बाद सोना लगातार फिसल रहा है। अब तक पांच-छह हजार रुपए तक की गिरावट इसमें आ गई है।
लेकिन, एनालिस्ट कह रहे हैं कि सोने की कीमतों में गिरावट का कारण सिर्फ स्टॉक मार्केट में तेजी नहीं है। बल्कि कई अन्य कारण भी हैं। ऐसे में यदि आपको लग रहा है कि स्टॉक मार्केट में तेजी के साथ सोना और सस्ता होगा, तो आपका अंदाजा गलत भी हो सकता है।
कितने गिर गए थे स्टॉक मार्केट, अब क्या है स्थिति?
कोरोनावायरस के मामले फरवरी में सामने आने लगे थे। तब तक सरकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। लेकिन अमेरिका जैसे देशों में बढ़ते मामलों का असर शेयर बाजारों पर भी दिखा। जो शेयर बाजार फरवरी में अपने ऑलटाइम हाई पर थे, 14 फरवरी के बाद फिसलते चले गए। दुनियाभर के ज्यादातर शेयर बाजारों ने 20 से 23 मार्च के बीच बॉटम छू लिया था।
यह गिरावट इतनी तेज थी कि कोई संभल ही नहीं सका। जापान के निक्केई 225 को ही लें, 20 मार्च को वह अपने एक जनवरी के स्तर से करीब 28.67% नीचे था। इसी तरह अमेरिका का एसएंडपी 500 इंडेक्स 30.75%, सेंसेक्स 37.02%, निफ्टी 37.46%, यूके का एफटीएसई 100 इंडेक्स 33.79% तक गिर गए थे।
चीन का शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स सबसे कम गिरा था। उसमें 23 मार्च को एक जनवरी के मुकाबले महज 12.78% की गिरावट आई थी। अच्छी बात यह है कि एसएंडपी 500 इंडेक्स, निक्केई 225 और शंघाई कम्पोजिट इंडेक्स अब इस साल की शुरुआत से ऊपर के स्तर पर है। हालांकि, अब भी उनका इस साल के शिखर पर लौटना बाकी है।
किन वजहों से आई शेयर मार्केट्स में तेजी?
जब कोरोनावायरस की वजह से अनिश्चितता का माहौल बना, तब बाजार में आई गिरावट को रोकने के लिए सरकारें भी सक्रिय हुईं। भारत में भी केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की। इसी तरह, अमेरिका सहित अन्य देशों में स्टिमुलस उपायों से गिरते बाजारों को उम्मीद बंधी।
भारत में रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की घोषणा की। ब्याज दरें घटाईं। केडिया कैपिटल के डायरेक्टर और रिसर्च हेड अजय केडिया का कहना है कि स्टिमुलस पैकेज ने शेयर बाजारों के लिए स्टेरॉइड का काम किया। इससे जो तेजी आई, उसे नेचरल तेजी नहीं कह सकते। जब कोरोना महामारी भारत में आई तो मार्केट गिरने लगे थे।
अब जब भारत दुनिया का नंबर दो देश बन चुका है, तब मार्केट ऊपर आ रहे हैं। आप खुद ही समझ सकते हैं कि यदि कोरोना की स्थिति नहीं सुधरी तो सरकार को फिर स्टिमुलस पैकेज लाना होगा। जिसकी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। इससे बाजार में लिक्विडिटी तो आएगी, लेकिन यह दावा नहीं किया जा सकता कि कोरोना का संकट टल गया है और अब बाजार में सब अच्छा ही अच्छा होने वाला है।
तो क्या सोने की तेजी की वजह यही थी?
एंजेल ब्रोकरेज की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 10 साल में सेंसेक्स और निफ्टी ने 9.05% और 8.5% के सालाना औसत से वृद्धि दर्ज की है। 2010 और 2015 के बीच 2012 की मंदी के बाद भी वृद्धि देखी गई। फरवरी 2016 से फरवरी 2020 तक सेंसेक्स की वृद्धि देखें तो वह 17,500 से बढ़कर 40,000 अंकों तक पहुंच गया। साफ है कि रिस्क होने के बाद भी इक्विटी में निवेश का ट्रेंड बढ़ा है।
दूसरी ओर, 2007 में सोना 9 हजार रुपए प्रति दस ग्राम के आसपास था, जो 2016 में 31 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया था। यानी नौ साल में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी। यह भी समझना होगा कि जब-जब ब्याज दरें घटती हैं, तब सोने में निवेश बढ़ता है।
इसी तरह का संबंध है शेयर मार्केट और सोने का। जब-जब शेयर मार्केट में गिरावट दर्ज होती है या मंदी की आहट होती है, पीली धातु की रफ्तार बढ़ जाती है। ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म डेलोइट ने अप्रैल के आउटलुक में कहा था कि ब्याज दरों में गिरावट होगी। ऐसा ही हुआ।
आज देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बैंक की ब्याज दरें एक दशक में सबसे कम हैं। आज की तारीख में भारत की बात करें तो रेपो रेट सिर्फ 4 प्रतिशत के आसपास है। ब्याज दरें कम हैं, ऐसे में लोगों के लिए सोना ही निवेश का बेहतर विकल्प बना हुआ है।
आगे क्या… क्या सोने में निवेश करना अब भी आकर्षक विकल्प है?
केडिया कैपिटल के अजय केडिया कहते हैं कि सोने में ग्रोथ साइकिल में होती है। 2008 से 2013 की साइकिल हो या 2018 से अब तक की साइकिल। सोने के रेट्स अचानक नहीं बढ़े हैं। सितंबर 2018 से इसमें तेजी आने लगी थी। यदि आप 2008 से 2013 तक की अवधि को समझेंगे तो पाएंगे कि आज की स्थिति बहुत ज्यादा अलग नहीं है।
ब्याज दरें कम हुई थी। मंदी का खतरा था, इसलिए सरकारों ने स्टिमुलस पैकेज घोषित किए थे। जियो-पॉलिटिकल टेंशन उस समय यूएस, ईरान और मिडिल ईस्ट में थे, आज भारत-चीन, अमेरिका-चीन और अमेरिका-ईरान में दिख रहे हैं। यह सब सोने के लिए फेवरेबल है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से इकोनॉमी ठप थी। हमारे यहां तो जीडीपी ही निगेटिव में चली गई। यदि आप निवेशक हैं तो कहां निवेश करना चाहेंगे? आपके सामने दो ही ऑप्शन हैं- इक्विटी और सोना। अगस्त की ही बात करें तो एफआईआई ने भारत में 5,500 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।
यह बताता है कि भारत से उम्मीदें बढ़ गई हैं। वहीं, यदि भारतीयों की मानसिकता समझने की कोशिश करेंगे तो उन्हें सोना ही आकर्षक विकल्प लगता है। हमारे यहां तो सोने में निवेश लोग तभी करते हैं जब इसके दाम बढ़ते हैं। इसका सीधा-सीधा उदाहरण है गोल्ड सोवरिन बॉन्ड में बढ़ रहा निवेश।
वह कहते हैं कि सोने की कीमतों में जो गिरावट आई है, उसकी वजह है पिछले दो महीनों में रुपए में आई मजबूती। रुपया अभी 73-74 रुपए प्रति डॉलर की रेंज में है। कुछ महीनों पहले 76-77 रुपए प्रति डॉलर तक पहुंच गया था। इससे भी सोने की कीमत कम हुई है।
लेकिन, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि डॉलर में तेजी आएगी तो लॉन्ग टर्म में सोने के दाम और तेजी से बढ़ेंगे। यानी अगले साल तक सोना 60 से 70 हजार रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच सकता है।
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