बरसात में सब्जी की खेती - Unnat Kheti Badi
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डेयरी फार्मिंग और भी बहुत कुछ ओम श्री राधाकृष्ण बिजनेस डेवलपर्स
डेयरी फार्मिंग एक महत्वपूर्ण कृषि पद्धति है जो सदियों से चली आ रही है। इसमें दूध और पनीर, मक्खन और दही जैसे डेयरी उत्पादों के उत्पादन के लिए डेयरी मवेशियों का प्रजनन, देखभाल और प्रबंधन शामिल है। डेरी खेती खाद्य उद्योग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो दुनिया भर के उपभोक्ताओं को पौष्टिक और आवश्यक डेयरी उत्पाद प्रदान करती है।
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एक बीघा से 60 हजार की कमाई...इस फसल ने बदल दी इस महिला की किस्मत, दूर-दूर से देखने आ रहे लोग
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: बदलते परिवेश के साथ अब जिले की महिलाएं घर की जिम्मेदारियां संभालने के साथ ही पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रोजगार और खेती किसानी में भी सफल हो रही है. ऐसे समय पर जिले के याकूतगंज निवासी प्रगतिशील महिला किसान निशा देवी भी इस समय अपने खेतों में नकदी वाली तुरई की फसल लगा कर लाभ कमा रही हैं.
फर्रुखाबाद के किसान खेती में नए-नए प्रयोग करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. अब…
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छत्तीसगढ़ में किसान कर रहे है लेमनग्रास की खेती
छत्तीसगढ़ में किसान कर रहे है लेमनग्रास की खेती
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छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में किसानों ने लेमनग्रास की खेती की विधि सीख ली है। इन्हें औषधि पादप बोर्ड द्वारा निःशुल्क औषधीय पौधे एवं मार्गदर्शन मिला है। इसके परिणाम स्वरूप वर्तमान में छत्तीसगढ़ के 800 एकड़ से भी अधिक क्षेत्र में लेमनग्रास की खेती की जा रही है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वन मंत्री मोहम्मद अकबर की मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं…
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लखनवी सौंफ की खेती से जुड़ी अहम बातें, स्वाद और सेहत का खज़ाना है ये सौंफ
स्वाद और सुंगध में होती है लाजवाब
लखनवी कबाब और चिकनकारी के बारे में तो सुना ही होगा, जो बहुत लोकप्रिय है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन सबकी तरह ही लखनवी सौंफ भी बहुत मशहूर है अपने स्वाद और सुगंध के लिए।
लखनवी सौंफ की खेती (Lucknowi Fennel Farming): सौंफ का इस्तेमाल हर घर में मसाले या औषधि के रूप में होता है। किसी भी व्यंजन की खुशबू बढ़ाने वाला सौंफ वज़न घटाने से लेकर सांसों की दुर्गंध दूर करने और पाचन को दुरुस्त रखने में मदद करता है। बाज़ार में आपने कई तरह की सौंफ देखी होगी, कुछ हरे तो कुछ हल्के भूरे रंग की होती है, जबकि कुछ सौंफ बहुत बारीक होती है।
दरअसल, ये बारीक सौंफ चबाकर खाने के लिए ही उगाई जाती है और इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है। इसे लखनवी सौंफ कहते हैं। लखनवी सौंफ का लखनऊ शहर से लेना-देना नहीं है, इसकी स्वाद व खुशबू बेहतरीन होती है और ये सामान्य सौंफ से महंगा बिकता है। लखनवी सौंफ की और क्या ख़ासियत हैं, आइए जानते हैं।
महंगी होती है लखनवी सौंफ
सौंफ के पौधों में फूल निकलने के करीब एक महीने बाद इनमें सौंफ के हरे-हरे पतले दाने या बीज दिखाई देने लगते हैं। ये हरे-हरे दाने करीब दो से तीन हफ़्ते में परिपक्व होते हैं। इस समय ये दाने नाज़ुक होते हैं और इसी समय अगर इन्हें काट लिया जाता है तो इसकी कीमत अधिक मिलती हैं। क्योंकि ये सौंफ की बारीक अवस्था होती है और चबाकर खाने के लिए इसे बहुत अच्छा माना जाता है। इस अवस्था में कटने वाली सौंफ को ही लखनवी सौंफ कहा जाता है।
अगर आप सोच रहे हैं कि लखनवी सौंफ और मसाले वाली सौंफ में फर्क कैसे पहचाना जाए, तो हम आपको बता दें कि लखनवी सौंफ हल्के हरे रंग की होती है, जबकि मसाले वाली सौंफ के दाने थोड़े पीले होते हैं। ये सौंफ दूसरी सौंफ से महंगी भी मिलती है, क्योंकि इसके दाने बहुत छोटे होते हैं और इसका वज़न भी पूर्ण विकसित सौंफ से आधा होता है।
सौंफ की उपज
दरअसल, सौंफ की उन्नत खेती करने पर मसाले वाली सौंफ प्रति हेक्टेयर 10-15 क्विंटल तक प्राप्त होती है, जबकि छोटे दानों वाली लखनवी सौंफ की उपज 5 से 7.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो सकती है। लखनवी सौंफ के उत्पादन के लिए सौंफ के दानों के गुच्छों की कटाई करके उसे साफ़ और छायादार जगह में फैलाकर सुखाया जाता है। इसे धूप में नहीं सुखाया जाता है, क्योंकि इसके दानों का रंग पीला पड़ सकता है।
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51 किलो गांजे के साथ एक तस्कर धराया, तस्करो में हड़कंप
नवादा। अकबरपुर थाने की पुलिस ने छापेमारी कर 51 किलो गांजा बरामद करते हुए तस्कर श्रीकांत सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। थानाध्यक्ष के नेतृत्व में छापेमारी जिले के अकबरपुर थाना क्षेत्र के कुलना गांव में की गई। इससे इलाके के तस्करो में हड़कंप है। थानाध्यक्ष अजय कुमार ने बताया कि कुलना गांव में बड़े पैमाने पर गांजे की खेती होने और उसकी तस्करी की सूचना मिली थी। इस सूचना पर थाने की पुलिस ने छापेमारी कर…
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वैकल्पिक खेती के लिए चैनपुर प्रखंड कृषि कार्यालय द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे हैं बीज
वैकल्पिक खेती के लिए चैनपुर प्रखंड कृषि कार्यालय द्वारा उपलब्ध करवाए जा रहे हैं बीज
Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के वैसे पंचायत जहां बारिश के अभाव में धान के पौधों की बुवाई नहीं हो सकी है या पौधों की बुवाई होने के उपरांत, पौधे सूख गए हैं, वैसे पंचायतों को चैनपुर कृषि विभाग के द्वारा सर्वे के माध्यम से चिन्हित करते हुए वैकल्पिक खेती के लिए मुफ्त में बीज उपलब्ध करवा रही है जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया प्रारंभ है, जबकि कई किसानों के आवेदनों को स्वीकृत भी…
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जैविक, हर्बल और बागवानी खेती ओम श्री राधाकृष्ण बिजनेस डेवलपर्स
जैविक हर्बल और बागवानी खेती ने हाल के वर्षों में लोकप्रियता हासिल की है क्योंकि उपभोक्ता जैविक उत्पादों के लाभों के बारे में अधिक जागरूक हो गए हैं। इस प्रकार की खेती पौधों को उगाने के लिए प्राकृतिक प्रक्रियाओं और संसाधनों का उपयोग करने पर केंद्रित है,सिंथेटिक कीटनाशकों, उर्वरकों या आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों के उपयोग के बिना।
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पपीते की खेती देश की विभिन्न राज्यों उत्तर प्रदेश आंध्रप्रदेश,हरियाणा , बिहार, असम, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब,तमिलनाडु , दिल्ली, जम्मू एवं कश्मीर,मिज़ोरम और
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🚜 महिंद्रा 575 Di - आपके खेतों का सच्चा साथी! 🚜
अगर आपका मन है अच्छे खेती का और सपना है बढ़ती हुई किसानी का, तो हमारा Mahindra 575 Di आपके लिए है! 💪
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