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#सौंफ की खेती
kisanofindia · 9 months
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लखनवी सौंफ की खेती से जुड़ी अहम बातें, स्वाद और सेहत का खज़ाना है ये सौंफ
स्वाद और सुंगध में होती है लाजवाब
लखनवी कबाब और चिकनकारी के बारे में तो सुना ही होगा, जो बहुत लोकप्रिय है, लेकिन क्या आपको पता है कि इन सबकी तरह ही लखनवी सौंफ भी बहुत मशहूर है अपने स्वाद और सुगंध के लिए।
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लखनवी सौंफ की खेती (Lucknowi Fennel Farming): सौंफ का इस्तेमाल हर घर में मसाले या औषधि के रूप में होता है। किसी भी व्यंजन की खुशबू बढ़ाने वाला सौंफ वज़न घटाने से लेकर सांसों की दुर्गंध दूर करने और पाचन को दुरुस्त रखने में मदद करता है। बाज़ार में आपने कई तरह की सौंफ देखी होगी, कुछ हरे तो कुछ हल्के भूरे रंग की होती है, जबकि कुछ सौंफ बहुत बारीक होती है।
दरअसल, ये बारीक सौंफ चबाकर खाने के लिए ही उगाई जाती है और इसका स्वाद बहुत अच्छा होता है। इसे लखनवी सौंफ कहते हैं। लखनवी सौंफ का लखनऊ शहर से लेना-देना नहीं है, इसकी स्वाद व खुशबू बेहतरीन होती है और ये सामान्य सौंफ से महंगा बिकता है। लखनवी सौंफ की और क्या ख़ासियत हैं, आइए जानते हैं।
महंगी होती है लखनवी सौंफ
सौंफ के पौधों में फूल निकलने के करीब एक महीने बाद इनमें सौंफ के हरे-हरे पतले दाने या बीज दिखाई देने लगते हैं। ये हरे-हरे दाने करीब दो से तीन हफ़्ते में परिपक्व होते हैं। इस समय ये दाने नाज़ुक होते हैं और इसी समय अगर इन्हें काट लिया जाता है तो इसकी कीमत अधिक मिलती हैं। क्योंकि ये सौंफ की बारीक अवस्था होती है और चबाकर खाने के लिए इसे बहुत अच्छा माना जाता है। इस अवस्था में कटने वाली सौंफ को ही लखनवी सौंफ कहा जाता है।
अगर आप सोच रहे हैं कि लखनवी सौंफ और मसाले वाली सौंफ में फर्क कैसे पहचाना जाए, तो हम आपको बता दें कि लखनवी सौंफ हल्के हरे रंग की होती है, जबकि मसाले वाली सौंफ के दाने थोड़े पीले होते हैं। ये सौंफ दूसरी सौंफ से महंगी भी मिलती है, क्योंकि इसके दाने बहुत छोटे होते हैं और इसका वज़न भी पूर्ण विकसित सौंफ से आधा होता है।
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सौंफ की उपज
दरअसल, सौंफ की उन्नत खेती करने पर मसाले वाली सौंफ प्रति हेक्टेयर 10-15 क्विंटल तक प्राप्त होती है, जबकि छोटे दानों वाली लखनवी सौंफ की उपज 5 से 7.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो सकती है। लखनवी सौंफ के उत्पादन के लिए सौंफ के दानों के गुच्छों की कटाई करके उसे साफ़ और छायादार जगह में फैलाकर सुखाया जाता है। इसे धूप में नहीं सुखाया जाता है, क्योंकि इसके दानों का रंग पीला पड़ सकता है।
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newswave-kota · 1 year
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मसाला उद्यमियों की नेशनल मीट 28 व 29 जनवरी को जयपुर में
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राजस्थान एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस (RAS) द्वारा आयोजित बिजनेस मीट में विभिन्न राज्यों के 600 से अधिक मसाला व्यवसायी भाग लेंगे न्यूजवेव @ जयपुर राजस्थान एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस (RAS) के तत्वावधान में 28 व 29 जनवरी को जयपुर में कूकस स्थित एक रिसोर्ट में दो दिवसीय नेशनल बिजनेस मीट-2023 आयोजित की जायेगी। जिसका उद्घाटन शनिवार सायं 4 बजे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला करेंगे। समारोह में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर एवं कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी को भी आमंत्रित किया गया है। समारोह में आची मसाला, चेन्नई के चेयरमैन पदम सिंह आईसेक, एमडीएच मसाला, नागौर के निदेशक सुरेश राठी, जेब्स इंटरनेशनल, मुंबई के एमडी भास्कर शाह, गोल्डी मसाले, कानपुर के चेयरमैन सुरेंद्र गुप्ता, शक्ति मसाला, इरोड के ऑनर पीसी दुरैस्वामी, एवरेस्ट मसाला, मुंबई के हेड राजीव शाह एवं भारत मसाला, कटक सहित कई मसाला निर्यातक, व्यवसायी एवं कृषि अनुसंधान अधिकारी भाग लेंगे। रास के संस्थापक निदेशक विनित चौपडा, बनवरी लाल अग्रवाल, जोधपुर जीरा मंडी अध्यक्ष पुरूषोत्तम मूंदडा, पीसीके माहेश्वरन, श्याम सुदर जाजू, लाडेश जैन, महावीर गुप्ता ने एक बैठक में बताया कि नेशनल मीट में विभिन्न राज्यों से प्रमुख मसाला निर्माता, निर्यातक, मिलर्स, व्यवसायी एवं स्पाइस सेवा प्रदाता साझा मंच पर जीरा, धनिया, सौफ, कसूरी मैथी आदि मसाला उत्पादों की वर्तमान पैदावार एवं भविष्य में संभावनाओं तथा प्रदेश की नई कृषि उद्योग नीति पर विशेषज्ञों के साथ पैनल चर्चा की जायेगी। जिससे प्रदेश में नये मसाला उद्योग स्थापित होने की संभावना बढ़ सकती है। मसाला उत्पादन में भारत सबसे अग्रणी देश है। इसी तरह, मसालों की पैदावार में राजस्थान सबसे आगे है। केंद्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र दुर्गापुरा जयपुर के अनुसार, प्रदेश के जालौर में जीरा, ईसबगोल, नागौर में मैथी, बिलाडा में सौंफ, कोटा व बारां में धनिया, सौंफ व लहसुन, जोधपुर में जीरा, मिर्च, नागौर में कसूरी मैथी की खेती बहुतायत से होती है। नागौर जिले की मेडता सिटी में जीरा मंडी, रामगंजमंडी कोटा में धनिया मंडी, सोजत पाली में मेंहदी मंडी प्रसिद्ध है। इन क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मसाला व्यवसायी शामिल होंगे। सेटेलाइट सर्वे की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे रास द्वारा तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात के 20 जिलों में होने वाली मसाला पैदावार की वास्तविक स्थिति की पडताल करने के लिये व्यापक सेटेलाइट सर्वे किया जा रहा है। आरएमएसआई, बैंगलुरू के निदेशक कुमार जीत मजूमदार ने बताया कि तीनों प्रदेश के मसाला उत्पादन की वैज्ञानिक सेटेलाइट सर्वे रिपोर्ट को नेशनल बिजनेस मीट में प्रस्तृत किया जायेगा, जिससे व्यवसायियों, निर्यातकों, उद्यमियों एवं किसानों को मांग-आपूर्ति के आधार पर भविष्य की संभावनाओं का पता चल सकेगा। इसमें क्रॉप सर्वे, डाटा और क्रॉप हैल्थ पर विश्लेषण के साथ सार्थक चर्चा की जायेगी। Read the full article
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marwarhalchal · 3 years
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अफीम की अवैध खेती : सौंफ की खेती के बीच अवैध तरीके से उगाए अफीम के 2090 पौधे किये बरामद, रायपुर पुलिस ने बर में एक खेत में की कार्रवाई
अफीम की अवैध खेती : सौंफ की खेती के बीच अवैध तरीके से उगाए अफीम के 2090 पौधे किये बरामद, रायपुर पुलिस ने बर में एक खेत में की कार्रवाई
रायपुर। जिला पुलिस अधीक्षक कालुराम रावत व एडिशनल एसपी डॉक्टर तेजपाल सिंह के आदेशों पर जिले भर में अवैध मादक पदार्थों व नशे की तस्करी की रोकथाम व तस्करों की धरपकड़ के लिए चलाये जा रहे विशेष अभियान के तहत सोमवार को जैतारण डिप्टी सुरेश कुमार व प्रोबेश्नल आरपीएस प्रतीक मील के निर्देशों पर रायपुर थानाधिकारी मनोज राणा के नेतृत्व में रायपुर पुलिस टीम ने मुखबिर की सुचना पर अफीम की अवैध खेती के खिलाफ बड़ी…
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goankisan · 3 years
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chefjain · 3 years
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Watch "ANTIOXIDANT CANDY || BOOST IMMUNITY || DATES & TAMARIND || सेहतमंद कैंडी || NJ-CHEF NITIN JAIN" on YouTube
youtube
https://youtu.be/oTd3HQQ_CAY
क्या आपको पता था !
दुनिया में सबसे पुराने खेती में खजूर फलों को माना जाता है, सबूत बताते हैं कि खजूर कम से कम 50 मिलियन साल पुराना है।
खजूर से सभी खजूर खाने योग्य नहीं होते हैं। ऐसा बहुत से लोग मानते हैं क्योंकि हम सभी 14 खजूर की प्रजातियों को नियमित रूप से नहीं खाते हैं, इसलिए वह मानते हैं कि सारे खजूर योग्य नही है। यह, हालांकि, गलत है। ... "सच में" खजूर को सुखाकर या कच्चा खाया जा सकता है।
DID YOU KNOW !
Considered the oldest cultivated fruit in the world, fossil evidence indicates that dates go back at least 50 million years ago.
Not all dates from date palms are edible. Many people assume that because we do not regularly eat dates from all of the 14 date palm species, they must not be edible. This, however, is false. ... The “true” date palm dates can be dried and eaten raw.
Immunity booster candy
Ingredients
Dates - 1/2 cup or 100 gms
Seedless tamarind - 1/2 cup or 100 gms
Jaggery - 02 teaspoon
Anardana - 02 teaspoon
Fennel powder - 01 teaspoon
Cumin pwd - 01 Teaspoon
Black pepper - 1/4 teaspoon
Rock salt - 1/2 teaspoon
Water - 1/4 cup
Icing sugar - for coating ( optional )
सामग्री
खजूर - 1/2 कप या 100 ग्राम
सीडलेस इमली - 1/2 कप या 100 ग्राम
गुड़ - 02 चम्मच
अनारदाना - 02 चम्मच
सौंफ पाउडर - 01 चम्मच
जीरा पाव - 01 चम्मच
काली मिर्च - 1/4 चम्मच
सेंधा नमक - १/२ चम्मच
पानी - 1/4 कप
आइसिंग शुगर - कोटिंग के लिए (वैकल्पिक)
तो आप किस बात का इंतजार कर रहे हैं। अपना फोन उठाएं मेरा वीडियो देखें, इस डिश को घर पर ट्राई करें। ऐसा स्वाद आप नहीं भूल पाएंगे।
मेरे वीडियो को सब्सक्राइब करें कमेंट करें लाइक करें और शेयर करें।
NJ- SIMPLY CULINARY
प्रतिबद्ध है| आपको वह दिखाने के लिए, जो आप देखना चाहते हैं पर एक नए अंदाज में।
SpEnD LeSs,EaT BeSt - देखिए।। परखिए|| बनाइए || महसूस करिए ||
So what are you waiting for? Pick up your phone, watch my video, try this dish at home. You will not forget such a taste.
Subscribe to my video, like, comment and share.
NJ- SIMPLY CULINARY committed to show you what you want to see in a new way.
SpEnD LeSs, EaT BeSt - See it || Try it || Make it || Feel it ||
NJ-SiMpLy CuLiNaRy by Chef Nitin Jain
[SpEnD LeSs EaT BeSt]
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Nitin Jain (@NitinJa97257532): https://twitter.com/NitinJa97257532?s=08
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shaileshg · 4 years
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राजस्थान के जालोर जिले के रहने वाले योगेश जोशी जीरा, सौंफ, धनिया, मेथी व कलौंजी जैसे मसालों की खेती करते हैं। सात किसानों के साथ मिलकर उन्होंने 10 साल पहले खेती शुरू की थी। आज उनके साथ 3000 से ज्यादा किसान जुड़े हैं। अभी 4 हजार एकड़ जमीन पर वो खेती कर रहे हैं। सालाना 50 करोड़ रु से ज्यादा का टर्नओवर है।
35 साल के योगेश कहते हैं,' घर के लोग नहीं चाहते थे कि मैं खेती करूं। वे चाहते थे कि पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी करूं। एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन के बाद उनका कहना था कि मुझे इसी फील्ड में सरकारी सर्विस के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्हें डर था कि खेती में कुछ नहीं मिला तो फिर आगे मेरा क्या होगा, लेकिन मेरा इरादा खेती करने का था।
योगेश कहते हैं कि ग्रेजुएशन के बाद मैंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में मैंने डिप्लोमा किया। इसके बाद मैंने 2009 में खेती करना शुरू किया। मुझे खेती किसानी के बारे में कोई आइडिया नहीं था। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल था कि कौन सी फसल लगाई जाए। काफी रिसर्च के बाद मैंने तय किया कि जीरे की खेती करूंगा, क्योंकि जीरा कैश क्रॉप है, इसे कभी भी बेच सकते हैं।
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35 साल के योगेश पिछले 10 साल से खेती कर रहे हैं। उन्होंने अपने साथ 3 हजार से ज्यादा किसानों को जोड़ा है।
वो बताते हैं- पहली बार एक एकड़ जमीन पर मैंने जीरे की खेती की। तब सफलता नहीं मिली, नुकसान हो गया। इसके बाद भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। हमें अनुभव और सलाह न होने के चलते शुरुआत में नुकसान हुआ था, इसलिए सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इंस्टिट्यूट (CAZRI) के कृषि वैज्ञानिक डॉ. अरुण के शर्मा की मदद ली। उन्होंने मेरे साथ कई और किसानों को गांव आकर ट्रेनिंग दी, जिसके बाद हम लोगों ने फिर जीरा उगाया और मुनाफा भी हुआ। इसके बाद हमने खेती का दायरा बढ़ा दिया। साथ ही दूसरी फसलों की भी खेती शुरू की।
योगेश ने ऑनलाइन मार्केटिंग के सारे टूल्स यूज किए। इसके अलावा कई कंपनियों से संपर्क किया। फिलहाल वो कई देशी-विदेशी कंपनियों के साथ कर कर रहे हैं। उन्होंने हैदराबाद की एक कंपनी के साथ 400 टन किनोवा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी समझौते पर खेती के लिए करार किया है। इसके साथ ही उन्होंने एक जापानी कंपनी के साथ करार किया है। वे उनके लिए जीरे उगाते हैं और सप्लाई करते हैं। जापान से उनके प्रोडक्ट को बेहतर रिस्पॉन्स मिला है। अब उन्होंने अमेरिका में भी सप्लाई करना शुरू किया है।
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योगेश को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई सम्मान मिल चुके हैं।
योगेश बताते हैं,'ऑर्गेनिक खेती को बिजनेस का रूप देने के लिए मैंने रैपिड ऑर्गेनिक कंपनी बनाई। जिसके जरिए मेरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को इसमें जोड़ा जाए और उन्हें अच्छा मुनाफा दिलाया जा सके। शुरुआत में किसान हमारे साथ जुड़ने से कतराते थे, लेकिन अब वो खुद ही जुड़ने के लिए उत्सुक रहते हैं। ये हमारी लिए उपलब्धि है कि पिछले 5-7 वर्षों में हमारे समूह के 1000 किसान ऑर्गेनिक सर्टिफाइड हो चुके हैं।'
वो कहते हैं- ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन होने पर तो किसानों की उपज बेचने में आसानी होती है। जिन किसानों के पास सर्टिफिकेशन नहीं होता, उन्हें दिक्कत होती है। वो बताते हैं कि ऐसे कई किसान हैं, जो आर्गेनिक खेती करते तो हैं, लेकिन वे अपने प्रोडक्ट बेच नहीं पाते हैं। ऐसे किसानों के लिए इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट सुविधा है। इस सुविधा के तहत जिन किसानों के पास सर्टिफिकेशन नहीं होता है, उनकी भी उपज खरीद ली जाती है।
मां फैक्ट्री सुपरवाइजर थीं, बेटा पर्चे बांटता, फिर खड़ी की 20 लाख टर्नओवर की कंपनी
योगेश अभी दो कंपनियों को चला रहे हैं। एक के जरिए वे किसानों को ट्रेनिंग देते हैं। उन्हें खेती के बारे में जानकारी देते हैं और भी जरूरी मदद हो वो पहुंचाते हैं। वो उनके लिए मेडिकल कैंप, एजुकेशनल कैंप और ट्रेनिंग कैंप लगवाते हैं। उनकी दूसरी कंपनी प्रोडक्शन और मार्केटिंग का काम देखती है।
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योगेश कई देशी-विदेशी कंपनियों के साथ कर कर रहे हैं, जिसमें हैदराबाद की एक कंपनी के साथ 400 टन किनोवा की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए करार किया है।
उनकी टीम में अभी 50 लोग काम कर रहे हैं। योगेश की पत्नी भी उनके काम में सहयोग करती हैं और कंपनी में अहम जिम्मेदारी निभा रही हैं। उन्होंने महिला किसानों के लिए एक ग्रुप बनाया है और वो उन्हें ट्रेनिंग दे रही हैं। इसके साथ ही वो यूट्यूब पर खाना बनाने और तरह-तरह की रेसिपीज को लेकर भी प्रोग्राम बनाती हैं।
योगेश बताते हैं कि ऑर्गेनिक खेती में बेहतर करिअर ऑप्शन हैं। जो भी इस फील्ड में काम करना चाहता है, उसे दो-तीन साल समय देना चाहिए। अगर वह समय देता है तो जरूर कामयाब होगा। देश में ऐसे कई लोग हैं, जो इस फील्ड में शानदार काम कर रहे हैं। योगेश को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से कई सम्मान मिल चुके हैं।
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योगेश ने सात किसानों के साथ मिलकर 10 साल पहले खेती शुरू की थी। आज उनके साथ 3000 से ज्यादा किसान जुड़े हैं।
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सौंफ की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
सौंफ की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
सौंफ की उन्नत खेती एवं उत्पादन तकनीक
सौंफ की खेती मुख्य रूप से मसाले के रूप में की जाती है। इसके बीजों से ओलेटाइल तेल (0.4-1.2) प्रतिशत भी निकाला जाता है। सौंफ एक खुशबूदार बीज वाला मसाला होता है। इसके दाने आकार में छोटे और हरे रंग के होते हैं।
आमतौर पर छोटे और बड़े दाने भी होते हैं। फूलों में खुशबू होती हैं, सौंफ (Fennel cultivation) का उपयोग आचार बनाने में और सब्जियों में खुशबू और स्वाद बढ़ाने…
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