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#यूकेलिप्टस
sureshs2hrmaa · 4 months
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veryfireenemy · 1 year
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merikheti · 2 years
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एक एकड़ में नीलगिरी की खेती से कमाई ७० लाख
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नीलगिरी (यूकेलिप्टस (Eucalyptus)) एक मध्यम आकार का बड़ी तेजी से बढ़ने वाला पेड़ है जो 25 मीटर से 50 मीटर लंबा और 2 मीटर व्यास तक बढ़ सकता है. यह पेड़ “माइरटेसी” परिवार का सदस्य है, जिसकी 325 से अधिक प्रजातियां हैं. नीलगिरी ऑस्ट्रेलिया, तस्मानिया और आसपास के द्वीपों में होते हैं.
अंग्रेजों ने 1843 के आसपास तमिलनाडु के नीलगिरी हाइलैंड्स में ईंधन और लकड़ी के उपयोग के लिए नीलगिरी की खेती की शुरुआत की. इस पेड़ को “गोंद का पेड़”, “लाल लोहे का पेड़” और “सफ़ेदा या नीलगिरी का पेड़” भी कहा जाता है. नीलगिरी के पत्ते और तेल अपने चिकित्सीय लाभों के लिए जाने जा���े हैं और हर्बल सामानों में भी उपयोग किए जाते हैं.
यूकेलिप्टस की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
यूकेलिप्टस की खेती विभिन्न प्रकार की जलवायु में की जा सकती है. हालाँकि, यह उष्णकटिबंधीय जलवायु में सबसे अच्छा बढ़ता है. भारत में नीलगिरी के पेड़ों की खेती 0°C से 47°C तक के तापमान में की जा सकती है.
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नीलगिरी की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी
जल निकासी क्षमता वाली मिट्टी का चयन करना निलगिरी के विकास के लिए आवश्यक है. यह अच्छी तरह से सूखा, जैविक समृद्ध दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा बढ़ता है. नीलगिरी उगाने के लिए जलजमाव, क्षारीय या लवणीय मिट्टी उपयुक्त नहीं है.
नीलगिरी की बुवाई का समय
यूकेलिप्टस की बुवाई का सबसे अच्छा समय जून से अक्टूबर तक है.
यूकेलिप्टस का नर्सरी प्रबंधन और प्रत्यारोपण
यूकेलिप्टस को बीज और कलम दोनों तरीकों से उगाया जा सकता है. नर्सरी के लिए क्यारियों को छाया में तैयार करें और उनमें पौध डालें. 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर अंकुर तेजी से विकसित होते हैं. रोपण के छह सप्ताह बाद, या दूसरी पत्ती आने की अवस्था में, पॉलीथीन बैग में स्थानांतरित करने या रोपाई के लिए तैयार हो जाती है. ये बीज बोने के 3-5 महीने बाद खेत में रोपाई के लिए उपयुक्त होते हैं. गीले मौसम के दौरान कलम लगाना सही होता है.
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नीलगिरी के पौधों की सिंचाई
खेत में पौध लगाते ही सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए. जगह में नमी बनाए रखने के लिए ड्रिप सिंचाई का उपयोग किया जा सकता है. हालाँकि, सिंचाई की मात्रा मिट्टी के प्रकार और मौसम की परिस्थितियों से निर्धारित होती है. पूरी विकास अवधि में लगभग 25 सिंचाई की जानी चाहिए.
नीलगिरी की फसल और उपज
यूकेलिप्टस के पौधों को तैयार होने और पेड़ बनने में तकरीबन दस से बारह साल का समय लगता है, साथ ही साथ इसकी खेती में लागत भी कम आती है. यूकेलिप्टस के पेड़ का वजन लगभग चार सौ किलोग्राम होता है. एक हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग एक से डेढ़ हजार पेड़ लगाए जा सकते हैं. पेड़ के पकने के बाद इन लकड़ियों को बेचकर किसान आसानी से सत्तर लाख से एक करोड़ तक कमा सकते हैं.
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नीलगिरी की खेती में अंतरफसल
नीलगिरी की खेती करने वाले किसान नीलगिरी के पेड़ की पंक्तियों के बीच हल्दी, अदरक, अलसी और लहसुन जैसी कम अवधि की लाभदायक फसलें लगा सकते हैं. ये फसलें यूकेलिप्टस की खेती की लागत को कम करने में मदद करती हैं.
नीलगिरी लगायें, पर ध्यान दें
नीलगिरी का पेड़ मिट्टी के पोषक तत्वों और नमी के भंडार को कम कर देता है और ऐलोपैथिक गुणों के कारण अंडरग्रोथ को रोकता है. यह भी पाया गया है कि मृत पौधे की पत्तियां और छाल बहुत देर से मिट्टी में मिलती हैं, जिसके कारण पोषक तत्वों का चक्र धीमा हो जाता है. इसलिए, उन क्षेत्रों के लिए नीलगिरी की खेती की सिफारिश नहीं की जाती है जहां जल स्तर कम हो रहा है. इसकी खेती अधिक पानी वाले मिट्टी में करना चाहिए.
source एक एकड़ में नीलगिरी की खेती से कमाई ७० लाख
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sharpbharat · 4 months
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jamshedpur police arresting : सीतारामडेरा पुलिस ने दो ट्रक में लदे महंगे लकड़ियों को किया बरामद, पांच गिरफ्तार
जमशेदपुर : जमशेदपुर के सीतारामडेरा थाना क्षेत्र के भुइयांडीह बस स्टैंड के पास से पुलिस ने एक ट्रक पर लदे अवैध लकड़ी के साथ पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार लोगों में कुलेश्वर महतो उर्फ विद्युत वरण महतो, रामू सिंह, जादूगोहन कुंभकार, भागवत महतो और ओमियो मांझी उर्फ सोहेल शामिल है. इन लोगों के पास से पुलिस ने ट्रक पर लदे यूकेलिप्टस का 119 बोटा, अर्जुन, साल, करम और सिरिस के 169 बोटा को बरामद…
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arjupoonia123 · 5 months
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मनाली में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें
बर्फ से ढके पहाड़, हरे भरे जंगल, ऊंचे देवदार और यूकेलिप्टस के पेड़, ताजी हवा, बहती धाराएं ये सभी प्राकृतिक सुंदरता मनाली को ट्रेकर्स और पर्यटकों के लिए स्वर्ग बनाती हैं। मनाली, भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश का एक शहर है जिसे हनीमून की भारत की राजधानी माना जाता है। यह कुल्लू जिले में, राज्य की राजधानी शिमला से लगभग 270 किमी उत्तर में, चंडीगढ़ से 309 किमी उत्तर पूर्व और दिल्ली से 544 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है। यह लाहौल और स्पीति की घाटी के रास्ते लद्दाख के रास्ते पर भी है।
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kisanofindia · 1 year
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रोशा घास (Palmarosa Farming): बंजर और कम उपयोगी ज़मीन पर रोशा घास की खेती से पाएँ शानदार कमाई
रोशा घास की बहुवर्षीय खेती में पारम्परिक फसलों की तुलना में लागत कम और मुनाफ़ा ज़्यादा है, पहले साल से ज़्यादा कमाई अगले वर्षों में
भारत में सुगन्धित तेलों के उत्पादन में रोशा घास तेल का एक महत्वपूर्ण स्थान है। देश में बड़े पैमाने पर इसकी इसकी व्यावसायिक खेती होती है। भारत ही इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। इससे प्रथम वर्ष में प्रति हेक्टेयर डेढ़ लाख रुपये से ज़्यादा का शुद्ध लाभ मिल सकता है। इससे आगामी वर्षों में मुनाफ़ा और बढ़ता है। रोशा घास की खेती करने के लिए सीमैप, लखनऊ और इससे जुड़े केन्द्रों की ओर से किसानों की भरपूर मदद की जाती है। उन्हें बीज के अलावा ज़रूरी मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाया जाता है।
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रोशा घास या Palmarosa एक बहुवर्षीय सुगन्धित पौधा है। इससे सुगन्धित रोशा तेल (Palmarosa Oil) निकाला जाता है। रोशा घास का मूल स्थान भारत को माना गया है। भारत ही इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। इसकी खेती में पारम्परिक फसलों की तुलना में लागत कम और मुनाफ़ा ज़्यादा होता है। कम उपजाऊ और कम बारिश वाले यानी शुष्क इलाकों में भी रोशा घास की खेती से बढ़िया कमाई होती है। एक बार रोपाई के बाद रोशा घास की पैदावार 3 से लेकर 6 साल तक मिलती है। इसमें से चार साल तक उपज ज़्यादा मिलती है, फिर तेल की मात्रा घटने लगती है। रोशा घास पर कीटों और रोगों का हमला भी बहुत मुश्किल से होता है।
कठिन खेती को आसान बनाती है रोशा घास
रोशा घास की खेती उपजाऊ, कम उपजाऊ या pH मान 9.0 के आसपास की ऊसर मिट्टी में भी हो सकती है। इसे कम सिंचाई वाले इलाकों और सीधे बढ़ने वाले पेड़ों जैसे यूकेलिप्टस और पॉपुलर के बीच भी सफलतापूर्वक लगाया जा सकता है। खेती की ऐसी प्रतिकूल दशाओं का रोशा घास के तेल की गुणवत्ता पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है। रोशा घास के विभिन्न हिस्सों में तेल की मात्रा अलग-अलग मिलती है। पूरे पौधे में औसतन 0.1 से 0.4 प्रतिशत, फूलों में 0.45 से 0.52 प्रतिशत, पत्तियों में 0.16 से 0.25 प्रतिशत ���र डंठल में 0.01 से 0.03 प्रतिशत तेल पाया जाता है।
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रोशा घास के तेल का इस्तेमाल
रोशा तेल की ख़ुशबू, ग़ुलाब से मिलती-जुलती सी होती है। इत्र, सौन्दर्य प्रसाधन और मसाले के रूप में इसका व्यापक इस्तेमाल होता है। एंटीसेप्टिक, दर्द निवारक, त्वचा रोगों, हड्डी के जोड़ों का दर्द और लूम्बेगो (कमर की अकड़न) से सम्बन्धित दवाईयों के निर्माण में तथा मच्छरों से बचाने वाली क्रीम में भी रोशा तेल का इस्तेमाल होता है। रोशा घास की खेती करने के लिए CSIR-केन्द्रीय औषधीय तथा सगन्ध पौधा संस्थान (सीमैप), लखनऊ और इससे जुड़े अनेक अनुसन्धान केन्द्रों की ओर से किसानों की भरपूर मदद की जाती है। उन्हें बीज के अलावा ज़रूरी मार्गदर्शन भी उपलब्ध करवाया जाता है।
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रोशा घास तेल का भारत सबसे बड़ा उत्पादक
‘सीमैप’ ने रोशा घास की अनेक उन्नत किस्में भी विकसित की हैं। जैसे PRC-1, तृष्णा, तृप्ता, वैष्णवी और हर्ष। इसमें से PRC-1 तो किसानों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है। भारत में सुगन्धित तेलों के उत्पादन में रोशा घास तेल का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
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dgnews · 1 year
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ग्रामीणों ने पूर्व प्रधान पर चक मार्ग के पेड़ बेंच लेने का लगाया आरोप ।
मिश्रिख सीतापुर / कोतवाली क्षेत्र के ग्राम उलुवापुर मजरा टेड़वा निवासी आधा दर्जन तक ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराकर आरोप लगाया है । कि ग्राम उलुवापुर से पश्चिम खेतों तक सरकारी चक मार्ग स्थित है । उपरोक्त मार्ग पर 16 यूकेलिप्टस के पेड़ खड़े थे । ग्राम टेड़वा निवासी पूर्व प्रधान गुरपाल सिंह तथा ग्राम उलुवापुर निवासी राजाराम , मनोहर पुत्र राजाराम , गंगा पुत्र परभू ,…
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marketingstrategy1 · 1 year
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Barabanki:टायर में लगी आग से आग का गोला बना ट्रक, 30 लाख रुपये का सीधा नुकसान - A Truck Catches Fire In Lonikatra Thana In Barabanki.
Barabanki:टायर में लगी आग से आग का गोला बना ट्रक, 30 लाख रुपये का सीधा नुकसान – A Truck Catches Fire In Lonikatra Thana In Barabanki.
ट्रक में यूकेलिप्ट की लकड़ियां रखी गई थीं। – फोटो : amar ujala ख़बर सुनें ख़बर सुनें सुल्तानपुर लखनऊ नेशनल हाईवे पर लोनीकटरा थाना क्षेत्र में बुधवार सुबह चलते ट्रक में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते आग ने पूरे ट्रक को आगोश में ले लिया। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां जब तक आग बुझातीं ट्रक जल गया। करीब 30 लाख रुपए के नुकसान की संभावना जताई गई है। सुल्तानपुर के कूरेभार से यूकेलिप्टस की लकड़ी लादकर ट्रक…
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ghazipurhindinews · 2 years
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dainikuk · 2 years
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Dehradun Marathon 2022 : देहरादून मैराथन को लेकर ट्रैफ़िक प्लान जारी, वाहनों के लिए डाइवर्ट रहेंगे यह रूट
Dehradun Marathon 2022 : देहरादून मैराथन को लेकर ट्रैफ़िक प्लान जारी, वाहनों के लिए डाइवर्ट रहेंगे यह रूट
Dehradun Marathon 2022 : देहरादून मैराथन को लेकर यातायात पुलिस ने ट्रैफ़िक प्लान जारी किया है। 30 अक्टूबर को पुलिस मैराथन दौड़ के अवसर पर पुलिस लाइन देहरादून से रन फॉर यूनिटी के आयोजन पर रुट डायवर्जन निम्न प्रकार से किया जायेगा। / दूरी – 10/ 21 किमी पुलिस लाईन – आराघर टी जंक्शन – आराघर चौक – द्वारिका स्टोर – सर्वे चौक – यूकेलिप्टस चौक – दिलाराम चौक – ग्रेट वैल्यू (10 km U turn) – कैनाल रोड़ –…
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tazacoverage · 2 years
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Dehradun Marathon 2022 : देहरादून मैराथन को लेकर ट्रैफ़िक प्लान जारी, वाहनों के लिए डाइवर्ट रहेंगे यह रूट
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uttarakhandjan · 2 years
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Dehradun Marathon 2022 : देहरादून मैराथन को लेकर ट्रैफ़िक प्लान जारी, वाहनों के लिए डाइवर्ट रहेंगे यह रूट
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swarajtv · 2 years
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100newsup · 2 years
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लकड़ी काटने के एवज में ठेकेदार से प्रधान ने मांगे दस हजार रुपए
लकड़ी काटने के एवज में ठेकेदार से प्रधान ने मांगे दस हजार रुपए
रिपोर्ट- पुनीत मिश्रा कोथावां/हरदोई, विकासखंड की ग्राम पंचायत काकूपुर के मजरा जियन खेड़ा में नीरज मेमोरियल विद्यालय की जमीन पर खड़े यूकेलिप्टस पेड़ों को काटने संबंधी प्रार्थना पत्र विद्यालय के प्रबंधक रामशंकर अवस्थी ने उप जिलाधिकारी संडीला को दिया प्रार्थना पत्र के माध्यम से उन्होंने बताया कि मैंने अपने दिवंगत पुत्र नीरज की स्मृति में बीते चकबंदी के समय अपनी कृषि भूमि का हिस्सा गाटा संख्या…
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sharpbharat · 7 months
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Jamshedpur rural tree cutting case : चाकुलिया के मटियाबांधी हाई स्कूल से पेड़ काटने के मामले में तीन पर मामला दर्ज, स्कूल के सहायक शिक्षक के बयान पर दर्ज हुई प्राथमिकी
चाकुलिया : चाकुलिया प्रखंड के मटियाबांधी आंचलिक प्लस टू हाई स्कूल परिसर से अज्ञात लोगों ने रविवार को यूकेलिप्टस के 18 पेड़ अवैध रूप से काट लेने एवं लकड़ियों को पिक अप वैन से टपा देने के मामले में तीन लोगों के खिलाफ चाकुलिया थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. विद्यालय की प्रधानाध्यापिका के निर्देश पर सहायक शिक्षक भूपेन गोप के बयान पर थाना में मामला दर्ज किया गया है. प्राथमिकी में गांव के मणींद्र…
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navabharat · 2 years
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आंध्र प्रदेश में वज्रपात से चार मजदूरों की मौत, तीन झुलसे
आंध्र प्रदेश में वज्रपात से चार मजदूरों की मौत, तीन झुलसे
अमरावती: आंध्र प्रदेश के एलुरु जिले में वज्रपात होने से खेत में काम कर रहे चार मजदूरों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। पुलिस सूत्रों ने कहा कि ये लोग यूकेलिप्टस के एक खेत में काम कर रहे थे और मंगलवार रात जब बिजली गिरी तब वे खेत में एक तंबू में आराम कर रहे थे। तीन घायल मजदूरों को इलाज के लिए विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल ले जाया गया। घटना ंिलगपालेम गांव की है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि शवों को…
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