रणवीर सिंह चाहते हैं कि प्रियंका चोपड़ा भारत लौटें: 'वापस आओ, यार'
रणवीर सिंह चाहते हैं कि प्रियंका चोपड़ा भारत लौटें: ‘वापस आओ, यार’
रणवीर सिंह ने प्रियंका चोपड़ा से उनके जन्मदिन पर भारत वापस आने का एक सरल अनुरोध किया है। अभिनेता ने अपने जन्मदिन की शुभकामना का जवाब देते हुए अनुरोध किया। अनवर्सेड के लिए रणवीर ने हाल ही में अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया। हमारी ओजी देसी गर्ल सहित कई लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। प्रियंका ने अपनी इंस्टाग्राम कहानियों पर फिल्म गुंडे से दोनों की एक तस्वीर साझा की और लिखा, “जन्मदिन मुबारक हो बाबा…
प्रतिबंधित मादक औषधे , गांजा , गावठी दारू ? सब मिलेगा ' आओ कभी रावेर मे ' : जनता त्रस्त पोलीस मस्त !
प्रतिबंधित मादक औषधे , गांजा , गावठी दारू ? सब मिलेगा ‘ आओ कभी रावेर मे ‘ : जनता त्रस्त पोलीस मस्त !
प्रतिबंधित मादक औषधे , गांजा , गावठी दारू ? सब मिलेगा ‘ आओ कभी रावेर मे ‘ : जनता त्रस्त पोलीस मस्त !
रावेर : विशेष प्रतिनिधी , मध्य प्रदेश च्या जवळच आणि महाराष्ट्रातील प्रमुख केळी उत्पादक शहर म्हणजे रावेर. देश भरातून अनेक फळविक्रेते व्यापारी येथे येत असतात. त्यांच्या पाहुणचारासाठी तसेच येथील समृद्ध जनतेला आणि शेतकरी तसेच दरडोई उत्पन्नावर आपले आणि आपल्या परिवाराच्या गाडा खेचणाऱ्या मजूर वर्गाला…
उत्तरी अमेरिका के आसमान में सोमवार की रात उल्का बौछार होने की संभावना
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डिजीटल, फ़ेलिफ़। नैंक्स के, क्षेत्र के अनुपात में भेद करने वाले खिलाड़ी और स्पेस के हिसाब से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं। अतिरिक्त ने कहा कि ताऊ हर कुलीडेड हो सकता है, जब 30 मई और 31 मई को समाप्त होने का अनुमान लगाया गया। हालांकि, यह .
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🧭जितने भी नकली संत, महंत हैं वे सभी सनातन धर्मग्रंथ के विपरीत विधान बताते हैं कि परमात्मा निराकार है।
जबकि संत रामपाल जी महाराज सनातन धर्म ग्रंथ पवित्र यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15, अध्याय 5 मंत्र 1, पवित्र ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 82 मंत्र 1-2, सूक्त 86 मंत्र 26-27 आदि से स्पष्ट करते हैं कि परमात्मा मानव सदृश्य साकार, राजा के समान दर्शनीय है, उसका नाम कबीर है
सनातन परमात्मा एवं सनातन धर्म की सम्पूर्ण जानकारी केवल सूक्ष्मवेद में ही उपलब्ध होती है,
जिसके लिए गीताजी अध्याय 4 श्लोक 32 में संकेत है। एवं अध्याय 4 श्लोक 34 अनुसार उस सूक्ष्मवेद के गूढ़ आध्यात्मिक तत्वज्ञान को तत्वदर्शी संतों से ही यथार्थ स्प में समझा जा सकता है।
वर्तमान मे संतो की स्थिति को समझने की नितांत आवश्यकता है तो चलिये इसकी शुरूवात सतयुग से करते हैं ।
भगवान के विषय में सतयुग के वृहत संतों का ज्ञान केवल इतना ही रहा कि शेषनाग (विष्णु) ने पृथ्वी सर पर रख ली इसलिये वो भगवान, कृष्ण जी ने गोवर्धन उठाया इसलिये वो भगवान, हनुमान जी ने पर्वत उठाया इसलिये वो भगवान मतलब चमत्कार को ही भगवान का पैमाना माना गया जबकी वैदिक मान्यताओ को देखे तो भगवान कोई और ही परिभाषित होता है ।
भगवान के विषय में सतयुग के वृहत संतों के ज्ञान का वर्णन गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित, श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार और चिमन लाल गोस्वामी द्वारा संपादित श्रीमद् देवी भागवत पुराण में मिलता है ।
हठयोग से न तो परमात्मा मिलता है और न ही जन्म-मृत्यु से मुक्ति मिलती है। बल्कि पवित्र गीता अध्याय 17 श्लोक 5 व 6 में मनमाने घोर तप (हठयोग) करने वालों को गीता ज्ञान दाता ने अज्ञानी, आसुर स्वभाव वाले बताया है।
तत्वदर्शी संत से सत्यनाम और सारनाम प्राप्त करके जोकि सच्चे नाम मंत्र की ओर संकेत करते हैं और मर्यादा में रहकर सतभक्ति करने से पूर्ण मोक्ष प्राप्त होगा।
पवित्र गीताजी के अध्याय 18 श्लोक 62 में उस परमात्मा के सनातन परम धाम की महिमा की गई है एवं अध्याय 15 के श्लोक 17 में तीनों लोकों में प्रवेश करके सबका धारण पोषण करने वाले उत्तम पुरुष को अविनाशी, परमेश्वर, परमात्मा बताया गया है।
Did you know? Vishnu confesses that he, along with Brahma and Shiva are not the immortal Gods, on page 123 of Chapter 5 from Skand 3 in the Shrimad Devi Bhagavad Purana. Jagatguru Tatvdarshi Sant Rampal Ji Mahara
💥श्री ज्ञानानंद जी ने गीता अध्याय 4 श्लोक 32 में ’’ब्रह्म’’ शब्द का अर्थ ’’वेद’’ लिखा है जोकि गलत है क्योंकि ’’ब्रह्म’’ का अर्थ ’’परमात्मा’’ होता है। वेद परमात्मा का संविधान है। ’’ब्रह्म’’ का अर्थ ’’वेद’’
नहीं लिखना चाहिए। ये अर्थ का अनर्थ करना है, जबकि इन्हीं अनुवादकतार्ओं ने गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में
’’ब्रह्म’’ का अर्थ ’’सच्चिदानंद घन ब्रह्म’’ अर्थात पूर्ण परमात्मा किया है जिससे स्पष्ट होता है कि गीता अध्याय 4 श्लोक 32 में ’’ब्रह्म का अर्थ ’’वेद सही नहीं है।
- जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज
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