Tumgik
#अज्ञेय
notsohots-blog · 1 year
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"I write because I want to know myself why I write - without writing this question cannot be answered. This is actually the true answer. It is only by writing that the writer recognizes the internal compulsion due to which he wrote – and only by writing does he become free from it."
Translated from the book "मैं क्यों लिखता हूं?" (Why I Write?) by Agyeya.
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essentiallyoutsider · 10 months
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घर
(अज्ञेय)
घर
मेरा कोई है नहीं
घर मुझे चाहिए
घर के भीतर प्रकाश हो
इसकी भी मुझे चिंता नहीं है
प्रकाश के घेरे के भीतर मेरा घर हो
इसी की मुझे तलाश है
ऐसा कोई घर आपने देखा है ?
देखा हो
तो मुझे भी उसका पता दें
न देखा हो
तो मैं आपको भी
सहानुभूति तो दे ही सकता हूँ
मानव होकर भी हम-आप
अब ऐसे घरों में नहीं रह सकते
जो प्रकाश के घेरे में हैं
पर हम
बेघरों की परस्पर हमदर्दी के
घेरे में तो रह ही सकते हैं
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helpukiranagarwal · 1 year
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शक्ति रहे तेरे हाथों में-छुट न जाय यह चाह सृजन की;
शक्ति रहे तेरे हाथों में-रुक न जाय यह गति जीवन की!"
 अज्ञेय प्रयोगवाद एवं नई कविता को हिंदी साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले महान साहित्यकार, कवि, कथाकार, क्रांतिकारी, ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !
 #SachchidanandHiranandVatsyayan
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helputrust · 1 year
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शक्ति रहे तेरे हाथों में-छुट न जाय यह चाह सृजन की;
शक्ति रहे तेरे हाथों में-रुक न जाय यह गति जीवन की!"
 अज्ञेय प्रयोगवाद एवं नई कविता को हिंदी साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले महान साहित्यकार, कवि, कथाकार, क्रांतिकारी, ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !
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drrupal-helputrust · 1 year
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शक्ति रहे तेरे हाथों में-छुट न जाय यह चाह सृजन की;
शक्ति रहे तेरे हाथों में-रुक न जाय यह गति जीवन की!"
 अज्ञेय प्रयोगवाद एवं नई कविता को हिंदी साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले महान साहित्यकार, कवि, कथाकार, क्रांतिकारी, ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !
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helputrust-drrupal · 1 year
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शक्ति रहे तेरे हाथों में-छुट न जाय यह चाह सृजन की;
शक्ति रहे तेरे हाथों में-रुक न जाय यह गति जीवन की!"
 अज्ञेय प्रयोगवाद एवं नई कविता को हिंदी साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले महान साहित्यकार, कवि, कथाकार, क्रांतिकारी, ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि !
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helputrust-harsh · 1 year
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"सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी
और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।"
 प्रसिद्ध कवि, अज्ञेय प्रयोगवाद व नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले, तथा ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन ।
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nageshchandramishra · 19 days
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राजवर्धन आज़ाद की नई किताब : “नीम का शहद” आद्योपांत पढ़ा।बारंबार पढ़ने का मन हुआ,इसलिए कई बार पढ़ा ।
इस किताब के बारे में कुछ कहने से पहले, एक वाक़या शेयर करना चाहूँगा । सुप्रसिद्ध हार्ट सर्जन डॉ पी. वेणु गोपाल से एम्स,दिल्ली में भेँट हुई ।उन्होंने मेरे बड़े भाई की ओपेन हार्ट सर्जरी की थी- जहां तक मुझे याद है,वह तारीख़ थी 12 जनवरी 1992 ! मैंने उनके प्रति कृतज्ञता प्रगट की और उन्होंने आत्मीय भाव से मेरी ओर देखा । मैं उनका फ़ैन हो गया ।बाद के बर्षों में जब उन्होंने सफलतापूर्वक पहला हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी किया और एक के बाद एक नयी ऊँचाइयों को छूने लगे- तभी किसी इंटरव्यू में उनसे किसी ने सवाल किया, “डॉक्टर साहब,आप शत प्रतिशत सफलता के साथ इतने सारे कठिन सर्जरी कैसे कर लेते हैं ?”
डॉक्टर वेणु गोपाल ने बड़ी सादगी से ऊपर ईश्वर की ओर देखने की मुद्रा में जवाब दिया, “आइ सिम्पली मूव माइ हैंड्स, रेस्ट एवरीथिंग इज डन बाइ द ऑलमाइटी हिमसेल्फ” !
डॉ. पी. वेणु गोपाल जैसे सुविख्यात हार्ट सर्जन और डॉ. राजबर्धन आज़ाद जैसे सुविख्यात रेटिनल सर्जन की सृजन शक्तियों में यह ‘कॉमन थ्रेड’ नजर आया - इसलिए मैंने उस वाक़ये की चर्चा की । कोई ज़रूरी नहीं है कि उनके अन्य विचार भी एक-दूसरे से मिलते ही हों । मुझे लगता है कि किसी भी सफल और ईमानदार प्रोफेशनल के लिए- चाहे साइंटिस्ट,डॉक्टर , इंजीनियर हो , लेखक या किसी अन्य विधा में पारंगत व्यक्ति - “ग्रैटिच्युड” प्राईम मूवर है - ���Finding smoother pebbles on the sea shore” (न्यूटन)
“नीम का शहद” के सभी 240 कविताओं को पढ़कर,रचनाकार में वही भाव दिखे जिसमें कहीं कर्ता होने का लेश मात्र कोई दंभ नहीं है।
किसी रचनाकार की कृतियों को पढ़ने से पहले, मेरा सहज स्वभाव है कि यह जानूँ कि उसने अपनी कृति किन्हें समर्पित किया है और खुद अपनी बात में, उनका क्या कहना है ?
इन्होंने “जिन लक्ष्मी दुर्गा सरस्वती” को अपनी यह पहली कृति समर्पित किया है,उन्हें उसी श्रद्धा के साथ प्रणाम करता हूँ जिन्हें महर्षि अरविन्द ‘प्लेन्स ऑफ कॉन्शसनेस’ सत्-चित्-आनन्द ( Existence-Consciousness-Bliss ) कहते हैं - ये ही मोटिवेशन की अक्षय ऊर्जा के स्रोत हैं।
“अपनी बात” में रचनाकार ने प्रयोगवादी नई कविता का ज़िक्र करते समय अज्ञेय द्वारा सम्पादित ‘दूसरा सप्तक’ की चर्चा की है- अपने स्कूली जीवन के दौरान अज्ञेय कृत गद्य रचनाएँ यथा: “नदी के द्वीप”; “शेखर : एक जीवनी” पढ़ पाया,पर ‘दूसरा सप्तक’ मैंने अभी तक नहीं पढ़ा था । राज वर्धन जी की प्रेरणा से,
अज्ञेय सम्पादित “तार सप्तक”, “दूसरा सप्तक” , “तीसरा सप्तक” और “चौथा सप्तक” के दरवाज़ों पर सिर्फ़ दस्तक देकर ताका-झांका- इसी क्रम में, अज्ञेय की प्रिय कविता, “दु:ख सबको माँजता है” की यादें ताज़ा हो गईं ।
”नदी के द्वीप” उपन्यास के शुरुआती पन्ने पर ‘अज्ञेय’ ने पी.बी. शेली की कविता उद्धरित कर इसका अनुवाद इस तरह से किया है:
दु:ख सबको मांजता है
व्यथा के गहरे और फैले सागर में
कई हरे - भरे द्वीप भी अवश्य होंगे
नहीं तो थका-हारा सागरिक
कभी ऐसे यात्रा करता न रह सकता!”
-अज्ञेय
Many a green isle needs must be
In the deep wide sea of Misery,
Or the mariner, worn and wan,
Never thus could voyage on
- P.B. Shelley
“नीम का शहद” काव्य संग्रह में रचनाकार ने अपनी अकुलाहट,छटपटाहट,मानवीय संवेदनाओं को कम-से-कम शब्दों में कहने का प्रयास किया है ।किसी एक कविता में औसतन 50 शब्द ही पूरे पेज पर दिखेंगे (हो सकता है,कुछ कविताओं में अधिकतम 100 शब्द भी मिल जायें ) पर वे आपको ‘गागर में सागर’ की तरह महसूस होंगे । सभी कविताएँ स्वत:स्फूर्त हैं ।ये सब ’देखन में छोटन’ भले लगते हों,पर ‘गंभीर घाव’ नहीं करते बल्कि अंधेरे से वास्तविकता की ओर ले जाते हैं मानो ज्योति के लिए तरस रहे किसी मरीज़ के आँख की पट्टी खुलते ही अचानक रोशनी दिख जाने पर उसके चेहरे पर उल्लास की ख़ुशी दमक उठे ! रचना काल 2021 - 22 है जो कोरोना-काल की यादें लेकर दर्द का एहसास भी ताज़ा कराता है ।
अपने रोज़मर्रा ज़िंदगी के ऐसे ‘डिफाइनिंग मोमेंट्स’ को बिना किसी आयास के कम से कम शब्दों में गढ़ने की अद्भुत क्षमता है रचनाकार में - उनमें यह नैसर्गिक गुण ईश्वर प्रदत्त है। वे ‘ओम्’ की असीम शक्ति कम से कम शब्दों में पिरोना चाहते हैं जिसे वे ‘मौन की अभिव्यक्ति’ के रूप में देखते हैं - यही तो असली साधना और इबादत है ।
‘कर्टेन रेजर’ के बतौर “नीम का शहद” काव्य संग्रह से , मात्र सात कविताएँ शेयर कर रहा हूँ जिन्हें ‘सप्तक’ की तरह पढ़कर शेष दो सौ तैंतीस ( 233 ) कविताओं का रसास्वादन करने की उत्कंठा आपमें बनी रहे और राजकमल प्रकाशन का यह अनूठा काव्य संग्रह , मूल्य 895 रू. ( आमेजन पर उपलब्ध हार्ड कवर 605/- रूपये में ) आप मंगा कर पढ़ सकें ।
1) धृतराष्ट्र आज भी ज़िन्दा है:
धृतराष्ट्र आज भी
ज़िन्दा है
फ़र्क़ इतना है कि
ऑंख होते हुए भी
अंधा है
2) ज़िन्दगी :
ज़िन्दगी है उल्फ़त
ज़िन्दगी है क़िस्मत
जिनके हैं ख़ादिम
उनकी है जन्नत
ज़िन्दगी है दीवानी
करती है मनमानी
चाहत की आड़ में
लिख रही कहानी
ज़िन्दगी ज़माना है
आना और जाना है
चलती किसी की नहीं
लिक्खा ठिकाना है
3) बीमार है मुल्क :
हवा लिये कन्धे पर
हवा को ढूँढ़ रहे हैं
बिस्तर लिये सर पर
घर को ढूँढ़ रहे हैं
बीमार है मुल्क
बीमार हैं कुर्सियाँ
बीमार हकीम से
हम दवा पूछ रहे हैं
श्मशान में है भीड़
हम घाट ढूँढ़ रहे हैं
बचे हैं जो लोग
चालीसा पढ़ रहे हैं
कुदरत का है क़हर
परवरदिगार बेख़बर
हर गाँव हर शहर
हम रहमत ढूँढ़ रहे हैं
4) कब तक साथ चलोगी मॉं तुम
कब तक साथ चलोगी मॉं तुम
कब तक साथ चलोगे पापा
कष्ट सहकर दिया जन्म
पढ़ा- लिखाकर बड़ा किया
खड़ा पॉंव पर कर मॉं तुमने
ब्याह रचाकर घर दिया
पग-पग पर पापा तुमने
मुश्किल से आगाह किया
जीने का मूल मंत्र देकर
बढ़ने की राह प्रशस्त किया
माँ तुमने घर और बाहर
हम सबको सँभाल दिया
पापा तुमने साहस देकर
कवच में हमको ढ़ाल दिया
हम तो चाहते हैं तुम दोनों
अनन्त काल तक संग रहो
ईश्वर की भी है इच्छा
समस्त परिवार के अंग रहो
पर जीवन तो क्षणभंगुर है
यही तो है इसका स्यापा
कब तक साथ चलोगी मॉं तुम
कब तक साथ चलोगे पापा
5) नीतीश कुमार:
ऑंखें तेज़
आवाज़ बुलन्द
चाल सहज
भाषा स्वच्छन्द
अपार शक्ति
अपरिमित क्षमता
इच्छा सेवा
विश्वास समता
देश- सेवा
करने तैयार
चित्त उदार
नीतीश कुमार
6) नीम का शहद
कुर्सी बनी जागीर
खोखले बने अमीर
नकार का ताज
लिये स्वयं आज
लिख रहे रोज़ लेख
अनभिज्ञता का आलेख
प्रतिरूप अवरोध का
बन रहे हैं प्रत्येक
गा रहे जो संगीत
द्रव्य का हर तरफ़
पिला रहे सदियों से
वो नीम का शहद
7) सात दशक :
सात दशक
पहचानी महक
हर रोज़
दे रही दस्तक
एक फूल
मेरा रसूल
कभी प्रतिकूल
कभी अनुकूल
एक चिन्तन की
अनोखी पाठशाला
वो चमका
जिसने पढ़ डाला
एक लौ जिसने
किया उजाला
एक शक्ति पुंज
अनन्त वाला
हर दशक की
अपनी झलक
थोड़ी ललक
थोड़ी कसक
मेरे संग थे
मेरे उसूल
घर बना
हमारा गुरूकुल
अंत में, मेरे मन में यह जिज्ञासा उठी कि डॉ. राजवर्धन आज़ाद ने अपने इस खूबसूरत काव्य संग्रह के शीर्षक का नाम “नीम का शहद” ही क्यों चुना ?
क्या इसलिए कि विश्व रूप दर्शन कराने के लिए श्रीमद्भागवत गीता के ग्यारहवें अध्याय में वर्णित, “पश्य मे पार्थ रूपाणि” की दिव्य दृष्टि चाहिए जो भगवत्कृपा के बिना संभव नहीं है, अत: साधारण ऑंखों से, उन चकाचौंध तेज शक्ति-पुंज के सौम्य दर्शन हेतु, कोरेंटाइन औषधीय गुणों से परिपूर्ण “नीम का शहद” एक प्रयोगात्मक प्रतीक ( Allegorical Significance ) के रूप में सहजता प्रदान कर सके ?
मेरा यह पूर्ण विश्वास है कि “नीम का शहद” कृति को अप्रत्याशित सफलता मिलेगी । डॉक्टर राजवर्धन आज़ाद को दिल की गहराइयों से बहुत बहुत बधाई , हार्दिक शुभकामनाएँ एवं अनेकों धन्यवाद - भगवान श्री राम एवं माता जानकी की कृपा उनके समस्त परिवार पर सदैव बनी रहे !
मेरी ओर से इस खूबसूरत काव्य संग्रह को फ़ाइव स्टार 🌟 🌟 🌟 🌟 🌟 !
शुभाकांक्षी : नागेश चन्द्र मिश्र
पटना, 9 अप्रैल 2024 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
चैती नवरात्र का पहला दिन: नव वर्ष का आरंभ
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sharpbharat · 2 months
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Jamshedpur tulsi bhawan : तुलसी भवन में मनी महादेवी वर्मा, फणीश्वरनाथ रेणु, भवानी प्रसाद मिश्र एवं अज्ञेय की जयंती, नगर के रचनाकारों ने 10 स्वरचित कहानियों का किया पाठ
जमशेदपुर : तुलसी भवन साहित्य समिति की ओर से संस्थान के प्रयाग कक्ष में रविवार को मासिक ‘कथा मंजरी’ सह महादेवी वर्मा, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायान अज्ञेय, फणीश्वर नाथ रेणु एवं भवानी प्रसाद मिश्र जयंती समारोह का आयोजन किया गया. संस्थान के न्यासी अरुण कुमार तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित कथा गोष्ठी की शुरुआत उपस्थित साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती एवं चारों साहित्यकारों के चित्र के समक्ष दीप…
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angrezzzz · 4 months
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भूत भगाने का मंत्र हिंदी में(Bhoot Bhagane Ka Mantra)भूतों का होगा चुटकियों में सर्वनाश
भूत भगाने का मंत्र हिंदी में(Bhoot Bhagane Ka Mantra): भारत ही नहीं बल्कि बहुत से ऐसे देश हैं जहाँ भूत प्रेत से जुड़ी घटनाएं होती हैं और ऐसी घटनाएं अक्सर गांव जैसे इलाको में होना आम बात है। आज हम आपको इस लेख के द्वारा कुछ ऐसे भूत भागने के मंत्र लेकर आएं जो आपकी सभी प्रकार की भूत बाधाओं को समाप्त कर देंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
भूत भगाने का मंत्र हिंदी में : Bhoot Bhagane Ka Mantra
भूत-प्रेत, नकरात्मक ऊर्जाओं का अहसास हर किसी के जीवन में होता है। यह अत्यंत रहस्यमय और अज्ञेय स्वरूप की शक्तियों से जुड़ा होता है। विभिन्न संस्कृतियों में भूत-प्रेतों की मौजूदगी को मान्यता दी गयी है, और कई लोग मानते हैं कि इन ऊर्जाओं को शांत करने के लिए विशेष मंत्रों का उपयोग किया जा सकता है।
हमारे हिन्दू शास्त्रों में एक प्रमुख भूत भगाने का मंत्र है, “ॐ नमः शिवाय, भूताय भवाय भगवते रुद्राय। कल्याण रूपाय नमः कालाय नमः महाकालाय।” इस मंत्र का उच्चारण करते समय ध्यान और आध्यात्मिक भावना को बनाए रखना जरुरी है।
इस मंत्र का जाप करने से पूरे शरीर और मन को ऊर्जाओं के साथ भरा हुआ महसूस होता है। ध्यान में रहकर मंत्र का जाप करने से भूत-प्रेत शक्तियों को दूर किया जा सकता है और व्यक्ति को आत्मिक शांति प्राप्त हो सकती है।
मंत्र का उपयोग करने से पहले, ध्यान और आदर्श भावना से यह सुनिश्चित करें कि आप इसे सही तरीके से पढ़ रहे हैं और आपमें श्रद्धा है। मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से आप अपनी आत्मा को शक्तिशाली बना सकते हैं और आपका आत्मिक विकास हो सकता है। ॐ नमः शिवाय के अलावा भी कुछ शक्तिशाली मंत्र हैं जो हमने निचे साझा किये हैं। Read more…
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hindigurujithings · 8 months
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मैं क्यों लिखता हूँ MAI KYON LIKHTA HUN #KVS #NVS #CBSE #NCERT
लेखक-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ में लेखक ने अपने लिखने के कारणों के साथ-साथ एक लेखक के प्रेरणा-स्रोतों पर भी प्रकाश डाला है। लेखक के अनुसार लिखे बिना लिखने के कारणों को नहीं जाना जा सकता। वह अपनी आंतरिक व्याकुलता से मुक्ति प���ने तथा तटस्थ होकर उसे देखने और पहचानने के लिए लिखता है।प्रायः प्रत्येक रचनाकार की आत्मानुभूति ही उसे लेखन कार्य के लिए प्रेरित करती है,…
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essentiallyoutsider · 9 months
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पक गई खेती / अज्ञेय
वैर की परनालियों में हँस-हँस के
हमने सींची जो राजनीति की रेती
उसमें आज बह रही खूँ की नदियाँ हैं
कल ही जिसमें ख़ाक-मिट्टी कह के हमने थूका था
घृणा की आज उसमें पक गई खेती
फ़सल कटने को अगली सर्दियाँ हैं।
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casualflowerglitter · 8 months
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सांप !
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना
भी तुम्हें नहीं आया।
एक बात पूछूँ - उत्तर दोगे ?
तब कैसे सीखा डसना-
विष कहां पाया ?
अज्ञेय
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helpukiranagarwal · 1 year
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"सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी
और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।"
 प्रसिद्ध कवि, अज्ञेय प्रयोगवाद व नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले, तथा ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन ।
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helputrust · 1 year
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"सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी
और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।"
 प्रसिद्ध कवि, अज्ञेय प्रयोगवाद व नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले, तथा ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन ।
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drrupal-helputrust · 1 year
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"सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी
और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी।"
 प्रसिद्ध कवि, अज्ञेय प्रयोगवाद व नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले, तथा ज्ञानपीठ एवं साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन ।
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