🇨🇳 2️⃣1️⃣ 21 Chino - 中文 - Chinese 我沒有 #憤怒 反對 他們 我的憤怒是針對他的 #是時候把你放在我身邊了,#晚的 🇭🇺 2️⃣2️⃣ 22 Húngaro - magyar - Hungarian nekem nincs #harag ellenük a haragom ellene van #ideje mellém ültetni, #késő 🇮🇸 2️⃣3️⃣ 23 Islandés - íslenska - Icelandic ég hef ekki #reiði gegn þeim reiði mín er gegn honum #tími til að setja þig við hliðina á mér, #seint 🇮🇳 2️⃣4️⃣ 24 Hindú - हिन्दी - Hindi मैं नहीं #उन पर मेरा क्रोध उस पर भड़का है #वक्त आ गया है तुझे अपने पास रखने का, #स्वर्गीय 🇮🇩 2️⃣5️⃣ 25 Indonesio - bahasa Indonesia - Indonesian aku belum #kemarahan terhadap mereka kemarahan saya terhadapnya #waktunya menempatkanmu di sampingku, #terlambat 🇮🇱 2️⃣6️⃣ 26 Hebreo - עִבְרִית, Ivrit - Hebrew אני לא #זעם עליהם הכעס שלי נגדו #זמן לשים אותך לידי, #מאוחר 🇮🇹 2️⃣7️⃣ 27 Italiano - italiano - Italian Non ho #rabbia contro di loro la mia rabbia è contro di lui #tempo di metterti accanto a me, #tardi 🇯🇵 2️⃣8️⃣ 28 Japones - 日本語, Nihongo - Japanese していません #彼らに対する怒り 私の怒りは彼に対するものです #あなたを私の隣に置く時が来ました #遅い 🇰🇿 2️⃣9️⃣ 29 Kazajo - қазақ - Kazakh Мен істеген жоқпын Оларға #ашу менің ашуым оған #сені жаныма қоятын уақыт, #кеш 🇰🇪 🇹🇿 🇺🇬 3️⃣0️⃣ 30 Suajili - Kiswahili - Swahili bado sijafanya #ghadhabu juu yao hasira yangu iko juu yake #wakati wa kukuweka karibu yangu, #marehemu (en Il-Fliegu ta' Kemmuna) https://www.instagram.com/p/CnIudmvNlmc/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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स्वर्गीय गोपीनाथरावजी मुंडे यांच्या 73 व्या जयंतीनिमित्त ढाकणी येथे दैवत फाउंडेशन तर्फे रक्तदान शिबिर.
स्वर्गीय गोपीनाथरावजी मुंडे यांच्या 73 व्या जयंतीनिमित्त ढाकणी येथे दैवत फाउंडेशन तर्फे रक्तदान शिबिर.
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स्वर्गीय अधिकारीको स्मरणमा दुई आर्थिक पुरस्कार स्थापना
अर्थमन्त्री स्वर्गीय भरतमोहन अधिकारीको स्मरणमा रु ५० हजार राशिको दुई वटा आर्थिक पुरस्कार स्थापना गरिएको छ ।
नेकपा (एमाले)का नेता तथा पहिलो कम्युनिष्ट अर्थमन्त्री स्वर्गीय भरतमोहन अधिकारीको स्मरणमा रु ५० हजार राशिको दुई वटा आर्थिक पुरस्कार स्थापना गरिएको छ ।
नेपाल आर्थिक पत्रकार सङ्घ (नाफिज) र भरतमोहन अधिकारी स्मृति फाउण्डेसनको सहकार्यमा आर्थिक समाचार लेखनमा सञ्चारकर्मीहरुको सम्मानका लागि पुरस्कारको स्थापना गरिएको हो । आर्थिक तथा सहकारीका क्षेत्रमा क्रियाशील आर्थिक पत्रकारको वृत्तिविकास, क्षमता विकास र…
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स्वर्गीय अधिकारीको स्मरणमा दुई आर्थिक पुरस्कार स्थापना
अर्थमन्त्री स्वर्गीय भरतमोहन अधिकारीको स्मरणमा रु ५० हजार राशिको दुई वटा आर्थिक पुरस्कार स्थापना गरिएको छ ।
नेकपा (एमाले)का नेता तथा पहिलो कम्युनिष्ट अर्थमन्त्री स्वर्गीय भरतमोहन अधिकारीको स्मरणमा रु ५० हजार राशिको दुई वटा आर्थिक पुरस्कार स्थापना गरिएको छ ।
नेपाल आर्थिक पत्रकार सङ्घ (नाफिज) र भरतमोहन अधिकारी स्मृति फाउण्डेसनको सहकार्यमा आर्थिक समाचार लेखनमा सञ्चारकर्मीहरुको सम्मानका लागि पुरस्कारको स्थापना गरिएको हो । आर्थिक तथा सहकारीका क्षेत्रमा क्रियाशील आर्थिक पत्रकारको वृत्तिविकास, क्षमता विकास र…
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Haryana News: स्वर्गीय राव दाताराम की पुण्यतिथि पर पाठ्य सामग्री वितरित
Haryana News: स्वर्गीय राव दाताराम की पुण्यतिथि पर पाठ्य सामग्री वितरित
धारूहेडा: खरखड़ा के पूर्व सरपंच स्वर्गीय राव दाताराम की पुण्यतिथि प्राथमिक पाठशाला में उनके सुपुत्र राकेश खोला ने पांचवी तक के 200 बच्चों पाठ्य सामग्री वितरित की।
Haryana News: इस बार कहां बनेगी डेरा प्रमुख की दीवाली, कौन है डेरा का अध्यक्ष, जानिए सच्चाई
कार्यक्रम का शुभारंभ दाताराम जी के छोटे भाई मास्टर लाल सिंह, धारूहेड़ा थाना अधिकारी विजेंद्र सिंह ,भूतपूर्व हेड मास्टर पंडित दिलीप शास्त्री जी,…
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श्रीदेवी की 5 फिल्में जो जाह्नवी कपूर के साथ बननी चाहिए
श्रीदेवी की 5 फिल्में जो जाह्नवी कपूर के साथ बननी चाहिए
श्रीदेवी को लेजेंड कहना गलत नहीं होगा। ऐसे कई सितारे हैं जिन्होंने भारतीय सिनेमा पर एक अमिट छाप छोड़ी है, लेकिन बहुत कम ही ऐसे हैं जो श्रीदेवी के प्रतिष्ठित कद को हासिल करने के करीब आए हैं। चार साल की उम्र में एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू करने के बाद, उन्होंने बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योगों में काम किया। उनकी पहली व्यावसायिक हिट हिम्मतवाला (1983) थी, और फिर उनका उल्कापिंड उदय…
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मेधावी छात्र छात्राओं को रतन पार्टी हॉल में सम्मानित करेगा भविष्य फाउंडेशन, मुख्य अतिथि होंगी जिला की मेयर
मेधावी छात्र छात्राओं को रतन पार्टी हॉल में सम्मानित करेगा भविष्य फाउंडेशन, मुख्य अतिथि होंगी जिला की मेयर
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लखनऊ, 28.02.2024 | प्रसिद्ध एवं वरिष्ठ अधिवक्ता आदरणीय श्री ज्योतिन्द्र मिश्र जी के आकस्मिक निधन से, अत्यंत दुःख हुआ | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट परिवार को, स्वर्गीय श्रद्धेय श्री ज्योतिंद्र मिश्रा जी के परिवार में हुई अपूरणीय क्षति से गहरी पीड़ा पहुंची है |
हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने सानिध्य में चिरशांति प्रदान करें | दुःख की इस घड़ी में, हमारी संवेदनाएँ स्वर्गीय श्री ज्योतिंद्र मिश्रा जी के सांसारिक और बृहत धर्म परिवार के साथ हैं | ईश्वर परिवार को असहनीय दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे |
हम दिवंगत आदरणीय श्री ज्योतिंद्र मिश्रा जी को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं |
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MERI KAHANI, MERI ZUBANI : EP 1
मेरा जन्म इलाहबाद में हुआ । मेरे पिताजी नैनी T.S.L में कार्य करते थे । नैनी Glass Factory में मेरे बाबा स्वर्गीय श्री कृष्ण बिहारी माथुर काम करते थे । वहीं पर स्टाफ़ क्वॉर्टर में हमारा घर था, वहाँ एक एक बगिया हुआ करती थी बड़ी धुंधली यादे हैं वहाँ के आम के बाग की । ज़मीन तक लटकते हुए आम ऐसे की लेट कर मुँह में आ जाएँ । मेरी उम्र शायद २.५ या ३ साल की रही होगी, सबसे पहली यादें हैं यह मेरी पेड़ में लगे हुई आम की । बाबा जी मुझे cycle पर बैठा कर स्कूल ले जाते थे इस वक़्त एक ही convent school था नैनि में Bethany convent school. सुबह सुबह रोज़ वहाँ के church में जाना और Father Francis की मज़ेदार बातें सुन ना हमारा रोज़ का नियम था ।
समय बीतता गया कुछ सालों में नैनी के गुरु नानक नगर कॉलोनी में हमारा अपना घर बन गया । एक छोटी सी बगिया भी लगाई गई…और बहुत सारे फलों के पेड़ भी लगाए गए …
मुझे याद नही सेब के अलावा हमने कभी कोई फल ख़रीद कर खाया हो ।
मेरी माँ बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनातीं हैं । मेंने हमेशा उन्हें हम लोगों के लिए तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते देखा ।
मेरे पापा ख़ानदान में सबसे बड़े थे तो रिश्तेदारों का आना जाना हमेशा से बहुत अधिक था । माँ के हाथ के बने अचार विशेष रूप से सभी को बहुत पसंद आते थे ।
खाते तो थे ही बांध कर भी ले जाते थे । धीरे धीरे उन्ही के हाथों का स्वाद मेरे बनाए खाने में भी आने लगा । घर के कामों में मदद करने के साथ साथ अनाज, मसालों को सहेजना, अचार बनाना कब सीख लिया पता ही नही चला … पता नहीं माँ के हाथों में क्या जादू था कि कुछ भी दे दो स्वाद hiबने गा ।
गर्मी की छुट्टियों में नानी जी के घर जाते तो सभी मामा मौसी के बच्चे होते थे और हम सब भाई बहनों का प्रिय नाश्ता आम का अचार और पराठा था । दुपहर में जब मेरी नानी सो जाती तब बरनी में से चुरा कर आम की फाँक खाने में जो स्वाद आता था आहाऽऽऽ !!! जैसे सब कुछ मिल गया हो । आज कल के पिज़्ज़ा बर्गर में भी वह स्वाद कहाँ…
अब तो वो खेल मस्ती और ननिहाल का आँगन, आँगन में ढेर सारी गौरयों का स्थायी घर , रोज़ उनका चहकना बस यादों में ही रह गया है ।
हाँ ! साथ बचा है तो उन हाथों का स्वाद जो कब धीरे से सरक के मेरे पास आ गया पता ही नही चला ।
सच है खाना बनाना सीखना कोई kuch दिन ka crash course नहीं। खाना बनाना आपसे बहुत सारा dedication माँगता है । अपनों के लिए प्यार और समर्पण का भाव माँगता है । किसी recipe से नही बनता । प्यार से फिर भी बन जाए ।
आज के लिए बस इतना ही ।
शेष फिर ।
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Ruchi Mathur
Founder: Divine Bite pickles and food
Website : https://divinebite.co.in/
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Rajiv Gandhi International Stadium, Hyderabad Pitch Report ,Records and Stats,Weather Report ,IPL
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राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम भारत का एक प्रमुख क्रिकेट स्टेडियम है इस स्टेडियम को हैदराबाद क्रिकेट स्टेडियम के नाम से भी जाना जाता है, इस स्टेडियम का नाम पहले विशाखा अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम रखा गया था लेकिन साल 2005 में किस स्टेडियम का नाम बदलकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय…
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Haryana News : Former Home Minister Late Kanhaiyalal Poswal को किया नमन
Haryana News : Former Home Minister Late Kanhaiyalal Poswal को किया नमन
रेवाड़ी: पोसवाल चौक पर हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री एवं पूर्व राज्यसभा सांसद स्वर्गीय श्री कन्हैयालाल पोसवाल के 20वी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन गुर्जर समाज के जिलाध्यक्ष चरण सिंह खटाणा के नेतृत्व में किया गया। खटाणा ने पूर्व मंत्री के कार्यों एवं एवम उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए अनेक संस्मरण बताये एवं स्वर्गीय पोसवाल के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
NH 48 पर जमा पानी बना नासूर,…
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Love story in Hindi
देसिकहानियाँ में हम हर दिन एक से बढ़कर एक अजब गजब प्यार की कहानी प्रकाशित करते हैं। इसी कड़ी में हम आज “love story in hindi ” प्रकाशित कर रहे हैं। आशा है ये आपको अच्छी लगेगी।
short stories in Hindi
लेखक – खुश्बू
श्रेया बहुत खुश थी. क्योंकि उसकी हाल ही में शादी होने वाली थी. लड़का पढ़ा लिखा पढ़ा लिखा और सुंदर सुशील था. और अमेरिका में नौकरी करता था. और वहां श्रेया से बहुत प्यार करता था. श्रेया की शादी उसके पिताजी ने बड़ी धूमधाम से की. क्योंकि वह उनके एकलौती संतान थी. श्रेया घर में सबकी लाडली थी. उसकी विदाई हो चुकी थी, श्रेया को विदाई का इतना रोना नहीं आ रहा था, जितनी खुशी उसे आशीष के साथ जाने में हो रही थी. ऐसे बता दें, कि आशीष और श्रेया बचपन के दोस्त है, साथी स्कूल पड़े, साथी कॉलेज गए. शादी पूरी तरीके से हो चुकी थी. और शादी के अगले दिन उन्हें हनीमून पर निकलना था. श्रेया और आशीष दोनों अपनी कार में बैठकर जा रहे थे. और श्रेया से बात करने के चक्कर में कार का ट्रक से भीषण एक्सीडेंट हो गया. और आशीष की वही मौके पर ही मौत हो गई. और श्रेया को मामूली खरोच आई. श्रेया के तो जैसे प्राणी निकल गए 1 दिन पहले ही शादी हुई और विधवा हो गई, श्रेया के लिए सब कुछ टूट चुका था. वह अंदर से ही मर चुकी थी. और ऊपर से रोज उसके साथ ससुर उसे ताने देते. फिर एक दिन स्वर्गीय आशीष की बुआ आई. और उसे मथुरा ले जाने की जिद करने लगी. और श्रेया और आशीष के मां बाप मान गए. और उसे वहां मथुरा विधवा आश्रम में भेज दिया. वहां जाते से ही उसके बाल कटवा दिए गए, सुंदर सी दिखने वाली श्रेया. जो कि अपने बालों से बहुत अत्यधिक प्यार करती थी. उसके भी बाल कटवा दिए गए. अब श्रेया का जीवन नर्क से कम नहीं था, श्रेया रोज आशीष को याद करते करते घुट-घुट कर मरते और सोचती कि मेरी ही गलती थी. ना में बात करती, ना आशीष की मौत होती. मैं ही जिम्मेदार हूं, और फिर एक दिन विधवा आश्रम में मुंबई का एक छात्र विक्रांत आया. विक्रांत दिखने में बहुत ही खूबसूरत था. और फोटोग्राफी का कोर्स कर रहा था. वह एक प्रोजेक्ट के तहत विधवा आश्रम आया था. वहां पर उसे विधवा आश्रम मैं जीवन के विषय का टॉपिक मिला था. उसने विधवा आश्रम के पंडित जी से बात कर ली थी. कि वह वही रहेगा, 1 महीने तक, पंडित जी मान चुके थे. विक्रांत बहुत ही खुशमिजाज इंसान था. जहां भी जाता, खुशियां फैला देता विधवा आश्रम में जाते से ही उसने दुखी विधवाओं के चेहरे पर मुस्कान सी ला दी. पंडित जी भी उसे बहुत खुश थे. वह बहुत शरारती था. तो सारी महिला उसके साथ हास-परिहास करती थी. फिर एक दिन उसने श्रेया को देखा और उसे भी हंसाने की कोशिश की पर वह नाकामयाब रहा. फिर एक महीने के अंदर उसे श्रेया से प्यार हो गया. उसने श्रेया से कहा, कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं.
और तुम्हें यहां से ले जाना चाहता हूं. श्रेया ने मानने से मना कर दिया, और कहां की वह कभी शादी नहीं करेगी. क्योंकि उसके कारण आशीष की जान गई थी. विक्रांत के लाख समझाने पर भी श्रेया नहीं मानी. पर श्रेया फिर भी विक्रांत ने जिद नहीं छोड़ी. फिर एक दिन विक्रांत ने इस विषय में पंडित जी से बात की पंडित जी उसकी बात सुनकर आग बबूला हो गए. और उसे बुरी तरीके से पीटा गया. फिर भी विक्रांत के हौसले और प्यार कम नहीं हुआ. फिर विक्रांत श्रेया को लेने के लिए आया. विक्रांत को उसे देखकर श्रेया को रोना आ गया.श्रेया ने कहा, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं. पर तुम भी मर जाओगे. विक्रांत ने समझाया जीवन मरण, भगवान के हाथ में है. इंसान के हाथ में कुछ नहीं होता. पर फिर भी श्रेया संकोच में थी और फिर पंडित जी ने दोनों को बात करते हुए देख लिया. पंडित जी का क्रोध सातवें आसमान पर था उन्होंने बाहर से अखाड़े के आदमियों को बुलाया. और विक्रांत की पिटाई करना शुरु की इतना देख कर श्रेया से रहा नहीं गया, और श्रेया ने विक्रांत को बचा लिया. दोनों की अब शादी हो चुकी है, दोनों बहुत खुश है, और साल में तीन से चार बार विधवा आश्रम में जाकर सेवा देते हैं.
मैं आशा करता हूँ की आपको ये ” hindi stories for reading” कहानी आपको अच्छी लगी होगी। कृपया इसे अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ फेसबुक और व्हाट्स ऍप पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। धन्यवाद्। ऐसी ही और कहानियों के "Short story in Hindi with moral" लिए देसिकहानियाँ वेबसाइट पर घंटी का चिन्ह दबा कर सब्सक्राइब करें। इस कहानी का सर्वाधिकार मेरे पास सुरक्छित है। इसे किसी भी प्रकार से कॉपी करना दंडनीय होगा।
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