Bacchon Ke Liye Kahaniyan - Santa Banta Story
Bacchon Ke Liye Kahaniyan
Bacchon Ke Liye Kahaniyan Santa Banta Story In Hindi छोटे बच्चों की कहानी, छोटे बच्चों की मज़ेदार कहानियां ! आज हम आपके लिए लेकर आए वर्ल्ड फेमस संता बंता की फनी मजेदार हिंदी कहानी। आज तक आपने संता बंता के जोक्स खूब सुने होंगे, पर आज आपको Santa Banta Ki Kahani पढ़ने का मौका मिलेगा तो चलिए जानते हैं Bacchon Ke Liye Kahaniyan Santa Banta Story, Kids Story In Hindi बाल कहानी,…
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दोस्त की बीवी के साथ रात भर चुदाई
दोस्तो, सबसे पहले मैं अपना परिचय दे देता हूँ.
मेरा नाम समीर है मैं बहराइच शहर का रहने वाला हूँ. मैं पाँच फिट ग्यारह इंच लम्बा हूँ और मेरे बाल काफ़ी लम्बे हैं.
मैं अपने दोस्तों में सबसे ज्यादा स्मार्ट हूँ.
सेक्स मेरी कमज़ोरी है.
किसी भी लड़की को देखता हूँ तो अपने पर कंट्रोल नहीं कर पाता और मौक़ा मिलते ही मुठ मार लेता हूँ.
मैं अपने दोस्त जुनैद खान की शादी में ना जा सका था.
उस दिन किसी काम के सिलसिले में फंस गया था.
उसके बाद मैं अपने कामों में ऐसा फंसा कि क़रीब पाँच साल तक दोस्ती यारी सब भूल गया.
जब मैं काम से थोड़ा आजाद हुआ तो दोस्तों की याद आई.
मगर अब दोस्त भी सब अपने अपने कामों में लगे हुए थे.
फिर एक दिन अचानक से जुनैद से यहीं मार्केट में मुलाक़ात हुई.
उसके साथ उसकी बीवी भी थी.
हम दोनों दोस्त अपनी बातों में मस्त हो गया.
कुछ देर में मेरी नज़र जुनैद की बीवी पर पड़ी.
वह बड़ी मस्त माल थी. यह Xxx सेक्सी हिंदी कहानी उसी के साथ की है.
उसके 36 साइज़ के चूचे और 38 इंच की गांड एकदम आग बरपा रही थी.
मैंने भाभी से हैलो की और सॉरी बोलते हुए कहा- सॉरी भाभी, मैंने आप पर ध्यान ही नहीं दिया. हम दोनों दोस्त अपनी पुरानी यादों में मस्त हो गए, माफ़ी चाहता हूँ!
जुनैद की बीवी ने जवाब दिया- आपने मुझ पर ध्यान नहीं दिया, कोई बात नहीं. पर आप शादी में भी नहीं आए. जुनैद हमेशा आपकी बातें करते रहते थे. मैं भी आपसे मिलने को उतावली थी.
ये कहती हुई उसने मेरे हाथ को दबा दिया.
मैं समझ गया कि भाभी चालू माल है.
मैंने बात को खत्म करते हुए हंसते हुए कहा- अरे भाभी, यहीं सब बातें कर लेंगी या कभी घर भी बुलाएंगी.
फिर हमारी बातें ख़त्म हुईं.
भाभी ने जाते वक्त कहा- आपका घर है, जब चाहें आ जाएं. जुनैद तो रात को दो के बाद ही आते हैं. आपकी जब मर्ज़ी हो, आ जाइए.
मैं भाभी का इशारा समझ गया और वहां से निकलते हुआ बोला- ओके भाभी, आपसे जल्दी ही मिलता हूँ.
मैं वहां से निकल गया.
इस बात को दो दिन हो गए थे.
मैं घर पर आराम कर रहा था.
उसी वक्त व्हाट्सैप पर अनजान नम्बर से एक मैसेज आया ‘क्या कर रहे हो मेरी जान!’
मेरे दोस्त अक्सर मैसेज से मुझे परेशान करते रहते हैं तो मैंने इस मैसेज पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया कि किसी दोस्त ने अनजान नंबर से मैसेज करके मुझसे शैतानी की होगी.
मैं उस मैसेज का बिना कोई जवाब दिए सो गया.
सुबह जब उठा तो देखा कि उसी नंबर से काफ़ी मैसेज आए हुए थे और दो मिस्ड कॉल भी थीं.
मैंने उसी नंबर पर कॉलबैक की, तो उधर से एक सुरीली सी आवाज़ आई- हैलो मिस्टर समीर, गुड मॉर्निंग. कैसी कटी आपकी रात!
मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे सीधा बोल दिया कि अपनी भाभी के साथ सपने में कबड्डी खेलता रहा.
मेरी इस बात से उस तरफ से ज़ोर ज़ोर की हंसी के साथ आवाज आई- सही पहचाना, मैं ही हूँ आपकी कबड्डी खेलने वाली भाभी.
मैंने एकदम से अपने कहे पर खेद जताते हुए उनसे पूछा- सॉरी मेम, आप कौन?
‘मैं नादिया भाभी बोल रही हूँ.’
मैंने अब स्क्रीन पर उनका नंबर और ट्रू कॉलर पर आया हुआ नाम देखा.
फिर कहा- जी हां मुझे पता लग गया है. ट्रू कॉलरपर आपका नाम लिखा हुआ आया है. आप बताएं भाभीजान … सुबह सुबह अपने देवर को कैसे याद कर लिया?
वह बोली- सुबह सुबह तो छोड़िए, मैं तो सारी रात से आपको काफ़ी याद कर रही थी. कई मैसेज किये और दो बार कॉल भी किया, पर आपने फ़ोन ही नहीं उठाया. लगता है मुझसे नाराज़ हैं?
मैंने कहा- अरे भाभी जान, आपसे नाराज़ होकर कहां जाऊंगा. अपन तो दिल से ही आपके ही पास हैं.
वह हंसती हुई कहने लगी- काफ़ी अनुभव है आपको बात करने का … लगता है काफ़ी गर्लफ़्रेंड पटा रखी हैं.
मैं बोला- गर्लफ्रेंड तो नहीं, हां आप जैसी कुछ भाभियां हैं. जो समय समय पर अनुभव करवा देती हैं.
नादिया भाभी मेरी बात को क़ाटती हुई बोली- अच्छा वो सब छोड़ो … ये बताओ कि क्या आप मेरे घर आ सकते हैं?
मैंने कहा- कोई ज़रूरी काम हो, तो अभी आ जाऊं?
उधर से जवाब आया- अरे यार समीर … कल से जुनैद घर पर है नहीं. मैं अकेले बोर हो रही हूँ. आप आ जाएंगे तो आपसे जरा दिल बहला लूँगी.
मैं खुश होते हुए बोला- भाभी अभी तो ��ुबह हुई है, रात को आता हूँ.
उसने कहा- चलो मैं आपका इंतजार करूंगी.
कुछ देर और इधर उधर की बातचीत के बाद मैंने फ़ोन कट कर दिया.
अब मुझे और भाभी को रात का बेसब्री से इंतज़ार था कि कब रात हो और हम दोनों का मिलन हो.
मैं सोच रहा था कि बस कैसे भी करके नादिया भाभी को चोद लूं.
तो मैं नहाने गया तो झांटें साफ कर लीं.
रात होते ही मैंने मेडिकल से दो पैकेट कंडोम के ले लिए और भाभी के घर चला आया.
उनके घर पहुंचते ही मैंने दरवाजे की घंटी बजाई.
कुछ पल बाद दरवाज़ा खुला. दरवाजा खुलते ही मैं भाभी को देखता रह गया.
भाभी तो कहीं से शादीशुदा लग ही नहीं रही थी. उसने शॉर्ट्स और टॉप पहना था.
उसका रेड कलर का टॉप एकदम पारदर्शी था.
उस टॉप में से भाभी के दोनों चूचे और उन पर तने हुए गुलाबी निप्पल साफ़ दिख रहे थे.
उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
सीन देख कर तो दिल कर रहा था कि अभी ही इसे पकड़ कर चोद दूँ. पर ऐसा करना ठीक नहीं होता है.
सेक्स का जो मज़ा आराम से करने में है, वह ज़बरदस्ती में नहीं है.
हालांकि मेरा मुँह खुला का खुला रह गया था.
भाभी ने इतराते हुए कहा- अन्दर आ जाओ, फिर इस खुले हुए मुँह का इलाज भी कर देती हूँ.
मैं झेंप गया.
अन्दर जाते ही मैंने अपनी पैंट एडजस्ट की क्योंकि मेरा लंड खड़ा हो गया था.
भाभी ने बैठने को कहा और बोली- क्या लोगे, चाय कॉफ़ी!
मैंने कहा- भाभी आप जो देंगी, प्यार से ले लूँगा. वैसे दूध मिल जाता तो और अच्छा होता.
भाभी मुस्कुराती हुई अपने दूध हिला कर बोलीं- ठीक है, मैं लाती हूँ.
वह किचन जाने के लिए मुड़ी ही थी कि मैंने हाथ बढ़ाया और भाभी को अपनी ओर खींच लिया.
हम दोनों बेड पर गिर गए.
भाभी ने कहा- अरे, ये क्या कर रहे हो देवर जी?
मैंने कहा- भाभी, मैं तो दूध ताज़ा वाला ही पीता हूँ.
ये कहते हुए मैंने भाभी का टॉप तेज़ी से खींचा और उसको बाहर निकाल फेंका.
मैं उसके दोनों रसभरे चूचों पर टूट पड़ा.
भाभी की 36 साइज़ की चूचियां मेरे हाथों में नहीं आ रही थीं.
नादिया भाभी को अपने नीचे दबा कर उसकी दोनों चूचियों को हाथ से पकड़ कर मसलने लगा और एक चूची के निप्पल को अपने होंठों में दबा कर खींच खींच कर चूसने लगा.
भाभी की मादक आहें और कराहें निकलना शुरू हो गईं.
मैंने क़रीब दस मिनट तक भाभी के दोनों चूचे चूसे … और चूस चूस लाल कर दिए.
अब हम दोनों का किस चालू हुआ.
मैं भाभी के पूरे बदन पर किस करता रहा.
वह आपे से बाहर हो रही थी.
किस करते करते मैं नीचे को सरकने लगा और भाभी की चूत पर आ गया.
भाभी की चूत शॉर्ट्स से ढकी हुई थी.
मैंने झटके से शॉर्ट्स को उतारा और चूत के अन्दर अपनी ज़ुबान डाल कर चूसने लगा.
अपनी चूत पर मेरी जुबान का अहसास पाते ही भाभी एकदम से सिहर उठी और छटपटाने लगी.
मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने हाथों से दबोचा और चूत को चाटना शुरू कर दिया.
भाभी की चिकनी चूत एकदम कचौड़ी सी फूली हुई थी और रस छोड़ रही थी.
उसकी चूत का नमकीन रस चाटने से मुझे नशा सा आ गया और मैं पूरी शिद्दत से उसकी चूत को चाटने में तब तक लगा रहा, जब तक चूत का पानी नहीं निकल गया.
मैं चूत का रस चाटने लगा और चाट चाट कर भाभी की चूत को वापस कांच सा चमका दिया.
अब वह एकदम से निढाल हो गई थी और तेज तेज सांसें भर रही थी.
कुछ देर के बाद मैं उसके चेहरे को चूमने लगा तो वह बोली- सच में बड़े जानवर हो तुम … तुमने मेरी चूत में से पानी निकाल कर इसमें दोगुनी आग लगा दी है.
मैंने कहा- नादिया मेरी जान … अभी फायर बिर्गेड वाला पाइप खड़ा है … कहो तो तत्काल पाइप घुसेड़ कर आग बुझा दूँ.
वह बोली- आग तो बुझवानी ही है, पर उसके पहले मुझे उस पाइप को प्यार करना है जो मेरी आग बुझाएगा.
मैंने कहा- हां हां कर लो प्यार!
ये कहते हुए मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया.
उसने लंड मसलते हुए कहा- ये तो बड़ा अकड़ रहा है. इसे पहले मेरे मुँह में डालो … मैं इसकी अकड़ निकालती हूँ.
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए.
नादिया भाभी ने मेरे लंड को बहुत प्यार से चूसा और उसे एकदम गर्म लोहे से तप्त सरिया बना दिया.
वह मेरे लौड़े को गले के आखिरी छोर तक लेकर चूस रही थी.
मैंने आह भरते हुए कहा- आह भाभी … मेरी जान और चूसो.
उधर भाभी भी दुबारा से गर्मा गई थी.
उससे रहा ना गया और वह बोली- समीर, मैं बहुत प्यासी हूँ. पहले मेरी चूत की प्यास मिटा दो. जुनैद के साथ कभी ऐसा मज़ा नहीं आया. वह तो मेरे ऊपर चढ़ता है और दो मिनट में झड़ कर सो जाता है. आज तक न तो उसने कभी मुझे ओरल सेक्स का सुख नहीं दिया.
मैंने कहा- अरे मेरी भाभी जान … अभी तो ये शुरुआत है. अगर आपको मुझसे चुदवाने में मज़ा ना आया, तो मेरा नाम भी समीर नहीं.
बस ये कह कर मैंने भाभी को अपनी तरफ़ खींचा और लंड पर कंडोम लगा कर अपने लंड को भाभी की मखमली चूत पर सैट कर दिया.
लौड़े को सैट करते ही मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा. मेरा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया.
एकदम से लौड़े ने चूत को फाड़ा, तो भाभी की चीख निकल गई.
भाभी की आंख से आंसू निकल आए और वह चिल्लाने लगी- समीर, मेरी चूत फट गई है, प्लीज़ निकाल लो.
लेकिन मैंने भाभी की एक ना सुनी और दोबारा झटका मार कर अपने लंड को पूरा अन्दर तक डाल दिया.
फिर मैं थोड़ी देर रुक गया.
Xxx सेक्सी भाभी दर्द से चीखती रही और छटपटाती रही.
कुछ देर बाद जब भाभी के चेहरे पर थोड़ा बदलाव आया और वह अपनी गांड को थोड़ा थोड़ा हिलाने लगी, तो मैं समझ गया कि भाभी को मज़ा आने लगा है.
अब मैंने भाभी को और तेज़ी से चोदना चालू कर दिया.
भाभी का सुर बदल गया था और वह बार बार कह रही थी- समीर, और तेज चोदो … और तेज.
यही सब कहते हुए वह अपने सर को इधर से उधर पटक रही थी.
हम दोनों की चुदाई का यह सिलसिला क़रीब बीस मिनट तक चला.
उसके बाद वह झड़ गई और उसके झड़ते ही मैं भी कंडोम में निकल गया.
झड़ने के बाद काफी थकान हो गई थी तो हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए.
आधा घंटा बाद उठे और वापस चुदाई चालू हो गई.
उस रात हम दोनों ने चार बार सेक्स किया.
यह सिलसिला अभी तक चल रहा है.
मैं आगे बताऊंगा कि भाभी की बहन को सेक्स की गोली खिला कर उसकी सील पैक चूत को कैसे चोदा.
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बहना तेरे प्यार में by
प्रभा मिश्रा 'नूतन'
किताब के बारे में...
'बहना तेरे प्यार में' ये कहानी दो बहनों के अथाह प्रेम को व्यक्त करती हुई कहानी है । दो बहनें नव्या और भव्या जो मैकेनिक पिता की बेटियाँ हैं । उनके पिता अस्वस्थ हैं और अपने पिता की अस्वस्थता के चलते उन्होनें दुकान चलाने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है और घर की जिम्मेदारी निभाते हुए दुकान को भी बखूबी सँभाल रही हैं । जहाँ नव्या टाॅम ब्वाॅय जैसी रहती है तेज तर्रार है वहीं भव्या सीधी और सरल है ,जहाँ नव्या पैंट शर्ट पहनती ,लड़कों जैसे बाल वाली है वहीं भव्या लम्बे बाल वाली सलवार कुर्ता पहनती है ।दोनों एक दूसरे की सबकुछ हैं , एक साँस लेती है तो उसकी साँस दूसरी के दिल से होकर जाती है । अपने इस अथाह प्रेम के वशीभूत होकर दोनों ने निर्णय लिया है कि दोनों एक ही व्यक्ति से विवाह करेंगी । क्या उनका ये निर्णय भावनाओं के वशीभूत लिया निर्णय है ? क्या दोनों का ये निर्णय समय के साथ बदल जाएगा या दोनों का निर्णय अटल निर्णय है !! क्या दोनों को एक ही लड़के से प्यार होगा !! यदि हाँ तो वो क्या दोनों से विवाह करने को तैयार होगा !! अगर दोनों को अलग अलग लड़कों से प्यार हुआ तो क्या वो अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेंगी !! उनका ये निर्णय क्या मोड़ लाएगा उनके जीवन में ,ये जानने के लिए हमें चलना होगा नव्या व भव्या के जीवन में -- तो आइए चलते हैं नव्या और भव्या को जानने...
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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Love story in Hindi
देसिकहानियाँ में हम हर दिन एक से बढ़कर एक अजब गजब प्य���र की कहानी प्रकाशित करते हैं। इसी कड़ी में हम आज “love story in hindi ” प्रकाशित कर रहे हैं। आशा है ये आपको अच्छी लगेगी।
short stories in Hindi
लेखक – खुश्बू
श्रेया बहुत खुश थी. क्योंकि उसकी हाल ही में शादी होने वाली थी. लड़का पढ़ा लिखा पढ़ा लिखा और सुंदर सुशील था. और अमेरिका में नौकरी करता था. और वहां श्रेया से बहुत प्यार करता था. श्रेया की शादी उसके पिताजी ने बड़ी धूमधाम से की. क्योंकि वह उनके एकलौती संतान थी. श्रेया घर में सबकी लाडली थी. उसकी विदाई हो चुकी थी, श्रेया को विदाई का इतना रोना नहीं आ रहा था, जितनी खुशी उसे आशीष के साथ जाने में हो रही थी. ऐसे बता दें, कि आशीष और श्रेया बचपन के दोस्त है, साथी स्कूल पड़े, साथी कॉलेज गए. शादी पूरी तरीके से हो चुकी थी. और शादी के अगले दिन उन्हें हनीमून पर निकलना था. श्रेया और आशीष दोनों अपनी कार में बैठकर जा रहे थे. और श्रेया से बात करने के चक्कर में कार का ट्रक से भीषण एक्सीडेंट हो गया. और आशीष की वही मौके पर ही मौत हो गई. और श्रेया को मामूली खरोच आई. श्रेया के तो जैसे प्राणी निकल गए 1 दिन पहले ही शादी हुई और विधवा हो गई, श्रेया के लिए सब कुछ टूट चुका था. वह अंदर से ही मर चुकी थी. और ऊपर से रोज उसके साथ ससुर उसे ताने देते. फिर एक दिन स्वर्गीय आशीष की बुआ आई. और उसे मथुरा ले जाने की जिद करने लगी. और श्रेया और आशीष के मां बाप मान गए. और उसे वहां मथुरा विधवा आश्रम में भेज दिया. वहां जाते से ही उसके बाल कटवा दिए गए, सुंदर सी दिखने वाली श्रेया. जो कि अपने बालों से बहुत अत्यधिक प्यार करती थी. उसके भी बाल कटवा दिए गए. अब श्रेया का जीवन नर्क से कम नहीं था, श्रेया रोज आशीष को याद करते करते घुट-घुट कर मरते और सोचती कि मेरी ही गलती थी. ना में बात करती, ना आशीष की मौत होती. मैं ही जिम्मेदार हूं, और फिर एक दिन विधवा आश्रम में मुंबई का एक छात्र विक्रांत आया. विक्रांत दिखने में बहुत ही खूबसूरत था. और फोटोग्राफी का कोर्स कर रहा था. वह एक प्रोजेक्ट के तहत विधवा आश्रम आया था. वहां पर उसे विधवा आश्रम मैं जीवन के विषय का टॉपिक मिला था. उसने विधवा आश्रम के पंडित जी से बात कर ली थी. कि वह वही रहेगा, 1 महीने तक, पंडित जी मान चुके थे. विक्रांत बहुत ही खुशमिजाज इंसान था. जहां भी जाता, खुशियां फैला देता विधवा आश्रम में जाते से ही उसने दुखी विधवाओं के चेहरे पर मुस्कान सी ला दी. पंडित जी भी उसे बहुत खुश थे. वह बहुत शरारती था. तो सारी महिला उसके साथ हास-परिहास करती थी. फिर एक दिन उसने श्रेया को देखा और उसे भी हंसाने की कोशिश की पर वह नाकामयाब रहा. फिर एक महीने के अंदर उसे श्रेया से प्यार हो गया. उसने श्रेया से कहा, कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं.
और तुम्हें यहां से ले जाना चाहता हूं. श्रेया ने मानने से मना कर दिया, और कहां की वह कभी शादी नहीं करेगी. क्योंकि उसके कारण आशीष की जान गई थी. विक्रांत के लाख समझाने पर भी श्रेया नहीं मानी. पर श्रेया फिर भी विक्रांत ने जिद नहीं छोड़ी. फिर एक दिन विक्रांत ने इस विषय में पंडित जी से बात की पंडित जी उसकी बात सुनकर आग बबूला हो गए. और उसे बुरी तरीके से पीटा गया. फिर भी विक्रांत के हौसले और प्यार कम नहीं हुआ. फिर विक्रांत श्रेया को लेने के लिए आया. विक्रांत को उसे देखकर श्रेया को रोना आ गया.श्रेया ने कहा, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं. पर तुम भी मर जाओगे. विक्रांत ने समझाया जीवन मरण, भगवान के हाथ में है. इंसान के हाथ में कुछ नहीं होता. पर फिर भी श्रेया संकोच में थी और फिर पंडित जी ने दोनों को बात करते हुए देख लिया. पंडित जी का क्रोध सातवें आसमान पर था उन्होंने बाहर से अखाड़े के आदमियों को बुलाया. और विक्रांत की पिटाई करना शुरु की इतना देख कर श्रेया से रहा नहीं गया, और श्रेया ने विक्रांत को बचा लिया. दोनों की अब शादी हो चुकी है, दोनों बहुत खुश है, और साल में तीन से चार बार विधवा आश्रम में जाकर सेवा देते हैं.
मैं आशा करता हूँ की आपको ये ” hindi stories for reading” कहानी आपको अच्छी लगी होगी। कृपया इसे अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ फेसबुक और व्हाट्स ऍप पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। धन्यवाद्। ऐसी ही और कहानियों के "Short story in Hindi with moral" लिए देसिकहानियाँ वेबसाइट पर घंटी का चिन्ह दबा कर सब्सक्राइब करें। इस कहानी का सर्वाधिकार मेरे पास सुरक्छित है। इसे किसी भी प्रकार से कॉपी करना दंडनीय होगा।
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Muft Hi Muft JKBOSE Class 4 Question Answers
पाठ ” मुफ्त ही मुफ्त ” JKBOSE के कक्षा 4 (JKBOSE Class 4th Hindi) की पाठ्य-पुस्तक सरस भारती भाग 4 हिंदी का बारहवां (Chapter 14) पाठ है। यह पाठ भारतीय बाल साहित्य लेखिका ममता पाण्ड्या द्वारा लिखित और संध्या राव द्वारा अनुवादित कहानी है। यह पोस्ट Muft Hi Muft JKBOSE Class 4 Question Answers के बारे में है। इस पोस्ट में आप पाठ ” मुफ्त ही मुफ्त ” के शब्दार्थ, सारांश और उससे जुड़े प्रश्न उत्तर (Muft Hi…
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गाँव की भाभी पर दिल आ गया- 2 (New Hindi Xxx Bhabhi Chudai)
न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई का मजा मैंने लिया अपने पड़ोस की सेक्सी भाभी को पटाकर! इस आशिकी के चक्कर में मेरी एक बार पिटाई भी हो गयी थी.
कहानी के पहले भाग
गर्म देसी भाभी से प्यार का इजहार
में अपने पढ़ा कि मैंने अपने पड़ोस की एक भाभी को चोदना चाहता था. मैंने भाभी को सेट भी करलिया था और चुदाई की बात भी तय हो चुकी थी.
अब आगे न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई:
अगले दिन भाभी ने मुझे बता दिया कि रात के 10:00 बजे आ जाना।
बड़ी बेसब्री से मैंने रात होने का इंतजार किया।
रात को 10:00 बजे मैं भाभी के घर की दीवार को फांद कर चुपके से भाभी के कमरे की तरफ जो कि ऊपर था वहां पर पहुंच गया।
सावधानी से मैंने दरवाजा खोला।
Hindi sex story देखा रचना भाभी बेड पर लेटी हुई थी।
जैसे ही हमारी नजरें मिली, भाभी ने एकदम कहा- 2 मिनट बाद आना!
मैं 2 मिनट के बाद अंदर गया तो देखा कि भाभी ने घूंघट किया हुआ था और बेड पर बैठी थी।
मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी।
मैं कांपती टांगों से भाभी के बेड पर चला गया.
मैंने देखा भाभी ने ब्लैक कलर का पटियाला सलवार सूट पहना हुआ था।
भाभी ने अपने हाथों में काले रंग की चूड़ियां से अपनी कलाइयों को भर रखा था।
उन्होंने अपने पांव में पाजेब डाल रखी थी।
मैं भाभी के पास बैठ गया, भाभी के घूंघट के अंदर झांकने लगा.
भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा, मुस्कुराई और अपनी गर्दन नीचे कर ली।
तब मैं भाभी के बिल्कुल पास बैठा था।
भाभी बोली- देवर जी, मुझे मेरा मुंह दिखाई चाहिए।
मेरे पास भाभी को देने के लिए कुछ नहीं था तो मैंने कहा- मेरे पास तो कुछ भी नहीं है देने को!
भाभी मुस्कुरा कर बोली- जी, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस आपका प्यार चाहिए.
इतना कहते ही मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
मेरा एक हाथ भाभी के के चूतड़ों के पास था।
भाभी के मस्त मोटे मोटे चूतड़ों को मेरी उंगलियां छू रही थी।
मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
भाभी के मोटे मोटे उरोज मेरी छाती से लग रहे थे।
मैंने एक हाथ भाभी के चूतड़ों पर रख दिया, उन्होंने दबाने लगा.
भाभी सीसी करने लगी।
मैं भाभी के मोटे मोटे चूतड़ों को सहलाने की बजाय उनको फुटबॉल की तरह दबा रहा था।
भाभी को नशा सा हो रहा था- उफ्फ देवर जी … ऐसे ना छेड़ो … आई उफ्फ!
वे मेरी बांहों में छटपटा रही थी।
इस छटपटाहट में मेरा मोटा तना हुआ लौड़ा भाभी के हाथ से लग रहा था।
या यूं कहूं कि भाभी जानबूझ के मेरे लौड़े से खेल रही थी।
भाभी बोली- उफ्फ मोटा है देवर जी! नही … मेरी लाडो फट जाएगी।
मैंने भाभी के हाथ को पकड़ कर अपने तने हुए लौड़े पे रख दिया।
भाभी ने झट से किसी डंडे की तरह मेरे लौड़े को पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके लौड़े को सहलाने लगी।
मैं जल्द से जल्द भाभी की सलवार खोलना चाहता था।
भाभी के मोटे और कसे हुए चूतड़ों का कब से दीवाना था मैं!
मैंने एक उंगली भाभी के लटकते हुए नाड़े में फंसाई और एक ही झटके में भाभी की काली सलवार का नाड़ा खोल दिया।
सलवार अपने आप भाभी की चिकनी चौड़ी फैली हुई गांड से फिसल कर नीचे सरक गई।
अब भाभी के सुडौल चूतड़ों पे मात्र काली छोटी सी पैंटी बची थी।
मैं पागलों की तरह भाभी के मोटे दूधिया या ये कहूं लालिमा लिए हुए पुष्ट कूल्हों को काली कसी हुई पैंटी में निहार रहा था।
मैंने कांपते हाथों से भाभी की चिकनी गांड को छुआ तो मेरे हाथ अपने आप फिसल कर नीचे पैंटी से टकरा गए।
मेरी हालत को देख कर भाभी ने मेरे लन्ड पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी और जोर जोर से उसको सहलाने लगी।
मैंने भाभी के कमोज को उतारने के लिए इशारा किया तो भाभी मुस्करा दी और खुद अपना सूट उतार दिया।
अब भाभी मात्र काली डिजाइनर ब्रा और पैंटी में थी।
मैं भाभी को देख कर पागल सा हो गया था।
भाभी का मंगलसूत्र भाभी की 36 साइज की गोरी तनी हुई चूचियों में फंसा हुआ था।
उन्होंने आज मेरी फरमाइश पर लाल की बजाय काले रंग की चूड़ियां को अपनी कोहनियों तक डाला हुआ था।
भाभी की पतली नागिन सी बल खाती हुई कमर पर चांदी की घुंगरुओं वाली तागड़ी थी जो भाभी के थोड़ा सा भी हिलने पर आवाज कर रही थी।
नीचे भाभी ने पांवों में पायल पहनी हुई थी।
भाभी के आगे रंभा, उर्वशी, मेनका जैसी स्वर्ग लोक को अप्सरा भी फीकी पड़ जाएं भाभी का रूप और यौवन देख कर!
उनके चेहरे पे बाल बिखरे हुए थे जिनमें से भाभी का लाल गोरा दमकता हुआ चेहरा चमक रहा था।
भाभी ने मेरी तरफ मुस्करा कर देखा और कहा- लाडले देवर जी, देखने से मन भर गया हो तो आ जाओ अपनी लाडली भाभी के पास!
मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में अपने तने हुए तंबू को लेकर भाभी के डबल बेड पर भाभी के करीब जाकर भाभी को अपनी बाहों की गिरफ्त में ले लिया।
मैंने भाभी के चांद से रोशन चेहरे को देखते हुइ अपने होठों को भाभी के गुलाबी होठों पे रख दिया।
भाभी मेरे निचले होठ को अपने होठों में दबा कर चूस रही थी।
मेरा एक हाथ भाभी की चिकनी कमर को दबोचे हुए था और एक हाथ पैंटी के ऊपर से भाभी की गोल मांसल गांड पे फेर रहा था।
भाभी मस्ती से अपनी गांड को हिला रही थी।
कभी मैं, कभी भाभी एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे।
मैंने एक हाथ भाभी की पैंटी में डाल दिया।
पैंटी में हाथ जाते ही मैंने पाया कि भाभी की योनि से काम रस की नदियां बहती हुई प्रतीत हो रही थी।
मेरा पूरा हाथ भाभी के काम रस से भीग चुका था।
भाभी का चेहरा और आँखें वासना से गुलाबी हो चुके थे।
मैंने भाभी की कमर के पीछे हाथ ले जाकर भाभी की काले रंग की ब्रा का हुक खोल दिया।
भाभी की ब्रा के खुलते ही दो सफेद कबूतर आजाद हो गए।
उनके दोनों चूचे बिलकुल तने हुए थे।
मोटे गोरे चूचों पर दो ब्राउन रंग के तने हुए निप्पल थे।
मैं जरा भी देर ना करते हुए भाभी की चूचियों को पागलों की तरह चूसने लगा। मैं चूचियों को बदल बदल के चूस रहा था।
भाभी पागल सी हो गई थी।
रचना भाभी ने मेरे लौड़े को अंडरवियर में हाथ डालकर पकड़ लिया और उसको मुठियाने लग गई।
भाभी के लन्ड के मुठियाने और मेरे चूचियों को चूसने के कारण भाभी की चूड़ियों, पायल, कमर में बंधी तागड़ी की आवाज कमरे में म्यूजिक का काम कर रही थी।
छन छन की आवाज से कमरे का माहौल और मादक हो गया था।
भाभी ने एकदम से मुझे नीचे गिरा लिया और भूखी शेरनी की तरह से मेरे लौड़े को अंडरवियर से आजाद कर दिया और उसपे टूट पड़ी।
कभी अपने गोरे गर्म गालों को मेरे लन्ड पे रगड़ती, कभी उसको मुठिया के अपने दोनों चूचों के बीच भरती।
दो मिनट के बाद भाभी ने मेरे सात इंची लन्ड के टोपे पे अपने गुलाबी हाथ रख दिए।
जिसके परिणाम स्वरूप मेरा लन्ड उत्तेजना से प्रीकम उगलने लगा।
भाभी प्रीकम को अपनी नुकीली जीभ से चाट चाट कर तुरंत साफ करने लगी।
उनकी इस हरकत से मैं अपनी कमर को उछलने लगा।
भाभी ने अपना पूरा मुंह खोलकर मेरे मोटे लन्ड का स्वागत किया।
वे ज्यादा से ज्यादा मेरे लौड़े को मुंह में लेने को कोशिश कर रही थी।
कभी टोपे को कभी अंडकोष को मुंह में भरकर चूसने से मेरा लौड़ा अब वीर्य उगलने वाला था।
मैंने भाभी को इशारा भी किया कि मेरा वीर्य निकलने वाला है।
भाभी बोली- लाडले देवर के यास का टेस्ट करके रहूंगी। आह आजा देवर जी … उगल दो वीर्य!
“उफ्फ भाभी आह … सी आई आई”
मेरे लन्ड से पिचकारी सीधी भाभी के गले में उतर गई।
भाभी ने एक बूंद को भी बाहर नहीं आने दिया; सारा का सारा वीर्य घूंट घूंट कर भाभी अपने गले में उतार गई।
वीर्य की दो बूंद उनकी ठोढ़ी पे लगी हुई थी जिससे उनका चेहरा और भी मादक लग रहा था।
अब मेरी बारी थी; मैं बेड से नीचे उतरा और भाभी को घोड़ी बना दिया।
मैं भाभी के चूतड़ों के पीछे आ गया।
भाभी के मोटे चूतड़ों के दोनों पट काफी विशाल थे।
उनकी कमर में बंधी चांदी की तागड़ी भाभी की कमर और चूतड़ों को और कामुक बना रही थी।
इन विशाल चूतड़ों की सबसे बड़ी खासियत थी उनका गोरापन … और उनके ऊपर एक बड़ा कला सा तिल।
भाभी की काली पैंटी उनकी गान्ड की दरार में फंसे होने के कारण पूरी तरह से काम रस में भीगी हुई थी।
मैं किसी सांड की तरह अपने मुंह को भाभी की गान्ड के पास ले गया और अपने नाक को बदहवास होकर भाभी के चूतड़ों की गहरी खाई में घिसने लगा।
मुझे एक मादक गंध ने मदहोश कर दिया था।
मैंने एक झटके में भाभी पैंटी को भाभी के चूतड़ों से अलग कर दिया।
उनके मोटे चूतड़ों से जैसी ही पैंटी अलग हुई, भाभी की योनि के दर्शन मात्र से मेरा लौड़ा पागल हो गया था।
भाभी की योनि के दोनों होठ बहुत मोटे और गुलाबी रंगत लिए हुए थे।
योनि के बीचों बीच डेढ़ इंच का एक चीरा था जो गहरा गुलाबी था जिस पर भाभी के योनिरस की बूंदें चमक रही थी।
मुझसे अब और इंतजार नहीं हो रहा था।
मैं अपने चेहरे को भाभी की चिकनी डबल रोटी जैसी योनि के पास ले गया और किसी कुत्ते की तरह जीभ निकाल कर भाभी के योनि द्वार से छेड़छाड़ करने लगा।
मेरी इस हरकत से भाभी सिर से लेकर पांव तक कांप गई।
मैं अपनी जीभ से उनके मोटे गोरे मांसल चूतड़ों को चाटने लग गया था।
पूरे के पूरे चूतड़ चाट चाट कर लाल बना दिए।
मैं घोड़ी बनी भाभी की गान्ड के बीचों बीच अपनी जीभ को फेर रहा था।
भाभी की योनि के मोटे होठों को कुरेद कुरेद कर भाभी को उत्तेजित कर रहा था।
वे धीरे धीरे अपनी कमर और गांड को हिला रही थी।
अब मैंने अपनी पूरी जीभ भाभी की योनि में डाल दी थी।
भाभी ज्यादा से ज्यादा अपनी गांड को मेरे मुंह पर धकेल रही थी।
मैं उनकी योनि के अंगूर के दाने को अपने दोनों होठों में दबा कर चूस रहा था।
भाभी जोर जोर से अपनी गांड को मेरे मुंह पर मार मार कर बड़बड़ा रही थी- आह्ह देवर जी … उफ्फ गई … आह उफ्फ! देवर जी आह … सी आई उफ्फ! गई मैं!
ये बोल कर भाभी ने ढेर सारा पानी मेरे मुंह पर छोड़ दिया।
मैंने अभी भाभी की रसीली योनि को छोड़ा नहीं था।
मैं पागल हो गया था।
एक पल भी मैं रचना भाभी को छोड़ना नहीं चाहता था।
पांच मिनट योनि चाटने के बाद भाभी फिर से बड़बड़ाने लगी- डाल दे ना मूसल लौड़ा अब … आह्ह्ह डाल दो ना लाडले देवर जी! चोदो ना अभी चुड़ककड़ भाभी को! लव यू देवर जी … चौड़ी कर दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से!
मैंने झट से भाभी की कमर को थाम लिया।
लन्ड का टोपा भाभी की गोरी और चिकनी चूत पे सेट किया और एक झटके में आधे से ज्यादा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया।
मेरे इस प्रकार लन्ड की चोट के लिए भाभी तैयार नहीं थी- उई मां देवर जी … आह्ह हआ धीरे से देवर जी!
मैंने किसी बात की परवाह नही की बल्कि भाभी की कहराती आवाज ने मुझे हौंसला दिया और जालिम तरीके से भाभी को पेलने लगा।
भाभी भी गांड उठा उठा के मेरे लौड़े पर पटकने लगी।
वे अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी।
भाभी की पहनी गई चूड़ियों, पायल ने कमरे में एक तरह का म्यूजिक चला दिया था।
मैं अपनी घोड़ी का घुड़सवार बन गया था।
भाभी के मोटे विशाल चूतड़ मेरी जांघों से टकराने पर पूरे कमरे में पटापट की आवाजें आ रहीं थीं।
पांच मिनट में घोड़ी बना कर चोदने के बाद भाभी बोली- देवर जी, मुझे भी अब सवारी करने दो।
भाभी का मतलब मैं समझ गया और भाभी झट से मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े पर बैठ कर उछलने लगी।
पूरा का पूरा लौड़ा भाभी ने अपनी चिकनी चूत के अंदर ले लिया था।
“अह्ह देवर जी … आई लव यू! उफ्फ … सीआई!” भाभी पागलों की तरह मेरे लौड़े पर उछल उछल कर चुदवा रही थी।
मेरे दोनों हाथ भाभी की गोरी गांड को दबोचे हुए थे।
मैं नीचे से भाभी को चोद रहा था और उपर से भाभी अपनी विशाल गांड को पटक रही थी।
भाभी के मोटे चूचे हवा में झूल रहे थे।
चार मिनट की इस चुदाई के बाद भाभी गर्र गर्र करती हुई झड़ गई और मेरे ऊपर ढेर हो गई।
मैं अभी फारिग नही हुआ था।
मैंने भाभी को मिशनरी पोजीशन में लिया और योनिरस से सने लन्ड को भाभी की चूत में डाल दिया।
मैं कमर को उचका कर धक्कों को रफ्तार से भाभी की योनि में लौड़ा अंदर बाहर कर रहा था।
मैंने भाभी की हिलती चूचियों को अपने मुंह में जितनी आ सकती थी, उतनी भर लिया।
मैं भाभी को चोदने के साथ साथ उनकी मस्त चूचियों का रसपान कर रहा था।
भाभी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा लौड़ा सटासट अंदर ले रही थी- रज्जा आ आई आआई आई … चोदो मेरे बलम … मेरे सैंया … आई … गई सी …आई उफ्फ श्सह देवर जी चोदो … बना लो अपनी! आह देवर जी, आपके मोटे लौड़े से फाड़ दो मेरी चूत!
उनके इतना बोलते ही मैं और भाभी दोनों एक साथ झड़ने लग गए।
मैं निढाल हो कर भाभी की मस्त चूचियों के ऊपर सिर रख कर भाभी के सीने से चिपक गया.
भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
पूरी रात हमने जमकर चुदाई की।
इसके बाद जब भी मौका मिलता, मैं और भाभी एक दूसरे से मिलते और सेक्स का मजा लेते.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली सेक्स स्टोरी?
इस न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई के बारे में जरूर मुझे ईमेल पे बताइए।
अपनी फैंटेसी शेयर कीजिए।
आपका अपना अमित
[email protected]
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गाँव की भाभी पर दिल आ गया- 2
न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई का मजा मैंने लिया अपने पड़ोस की सेक्सी भाभी को पटाकर! इस आशिकी के चक्कर में मेरी एक बार पिटाई भी हो गयी थी.
कहानी के पहले भाग
गर्म देसी भाभी से प्यार का इजहार
में अपने पढ़ा कि मैंने अपने पड़ोस की एक भाभी को चोदना चाहता था. मैंने भाभी को सेट भी करलिया था और चुदाई की बात भी तय हो चुकी थी.
अब आगे न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई:
अगले दिन भाभी ने मुझे बता दिया कि रात के 10:00 बजे आ जाना।
बड़ी बेसब्री से मैंने रात होने का इंतजार किया।
रात को 10:00 बजे मैं भाभी के घर की दीवार को फांद कर चुपके से भाभी के कमरे की तरफ जो कि ऊपर था वहां पर पहुंच गया।
सावधानी से मैंने दरवाजा खोला।
मैंने देखा रचना भाभी बेड पर लेटी हुई थी।
जैसे ही हमारी नजरें मिली, भाभी ने एकदम कहा- 2 मिनट बाद आना!
मैं 2 मिनट के बाद अंदर गया तो देखा कि भाभी ने घूंघट किया हुआ था और बेड पर बैठी थी।
मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी।
मैं कांपती टांगों से भाभी के बेड पर चला गया.
मैंने देखा भाभी ने ब्लैक कलर का पटियाला सलवार सूट पहना हुआ था।
भाभी ने अपने हाथों में काले रंग की चूड़ियां से अपनी कलाइयों को भर रखा था।
उन्होंने अपने पांव में पाजेब डाल रखी थी।
मैं भाभी के पास बैठ गया, भाभी के घूंघट के अंदर झांकने लगा.
भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा, मुस्कुराई और अपनी गर्दन नीचे कर ली।
तब मैं भाभी के बिल्कुल पास बैठा था।
भाभी बोली- देवर जी, मुझे मेरा मुंह दिखाई चाहिए।
मेरे पास भाभी को देने के लिए कुछ नहीं था तो मैंने कहा- मेरे पास तो कुछ भी नहीं है देने को!
भाभी मुस्कुरा कर बोली- जी, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस आपका प्यार चाहिए.
इतना कहते ही मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
मेरा एक हाथ भाभी के के चूतड़ों के पास था।
भाभी के मस्त मोटे मोटे चूतड़ों को मेरी उंगलियां छू रही थी।
मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
भाभी के मोटे मोटे उरोज मेरी छाती से लग रहे थे।
मैंने एक हाथ भाभी के चूतड़ों पर रख दिया, उन्होंने दबाने लगा.
भाभी सीसी करने लगी।
मैं भाभी के मोटे मोटे चूतड़ों को सहलाने की बजाय उनको फुटबॉल की तरह दबा रहा था।
भाभी को नशा सा हो रहा था- उफ्फ देवर जी … ऐसे ना छेड़ो … आई उफ्फ!
वे मेरी बांहों में छटपटा रही थी।
इस छटपटाहट में मेरा मोटा तना हुआ लौड़ा भाभी के हाथ से लग रहा था।
या यूं कहूं कि भाभी जानबूझ के मेरे लौड़े से खेल रही थी।
भाभी बोली- उफ्फ मोटा है देवर जी! नही … मेरी लाडो फट जाएगी।
मैंने भाभी के हाथ को पकड़ कर अपने तने हुए लौड़े पे रख दिया।
भाभी ने झट से किसी डंडे की तरह मेरे लौड़े को पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके लौड़े को सहलाने लगी।
मैं जल्द से जल्द भाभी की सलवार खोलना चाहता था।
भाभी के मोटे और कसे हुए चूतड़ों का कब से दीवाना था मैं!
मैंने एक उंगली भाभी के लटकते हुए नाड़े में फंसाई और एक ही झटके में भाभी की काली सलवार का नाड़ा खोल दिया।
सलवार अपने आप भाभी की चिकनी चौड़ी फैली हुई गांड से फिसल कर नीचे सरक गई।
अब भाभी के सुडौल चूतड़ों पे मात्र काली छोटी सी पैंटी बची थी।
मैं पागलों की तरह भाभी के मोटे दूधिया या ये कहूं लालिमा लिए हुए पुष्ट कूल्हों को काली कसी हुई पैंटी में निहार रहा था।
मैंने कांपते हाथों से भाभी की चिकनी गांड को छुआ तो मेरे हाथ अपने आप फिसल कर नीचे पैंटी से टकरा गए।
मेरी हालत को देख कर भाभी ने मेरे लन्ड पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी और जोर जोर से उसको सहलाने लगी।
मैंने भाभी के कमोज को उतारने के लिए इशारा किया तो भाभी मुस्करा दी और खुद अपना सूट उतार दिया।
अब भाभी मात्र काली डिजाइनर ब्रा और पैंटी में थी।
मैं भाभी को देख कर पागल सा हो गया था।
भाभी का मंगलसूत्र भाभी की 36 साइज की गोरी तनी हुई चूचियों में फंसा हुआ था।
उन्होंने आज मेरी फरमाइश पर लाल की बजाय काले रंग की चूड़ियां को अपनी कोहनियों तक डाला हुआ था।
भाभी की पतली नागिन सी बल खाती हुई कमर पर चांदी की घुंगरुओं वाली तागड़ी थी जो भाभी के थोड़ा सा भी हिलने पर आवाज कर रही थी।
नीचे भाभी ने पांवों में पायल पहनी हुई थी।
भाभी के आगे रंभा, उर्वशी, मेनका जैसी स्वर्ग लोक को अप्सरा भी फीकी पड़ जाएं भाभी का रूप और यौवन देख कर!
उनके चेहरे पे बाल बिखरे हुए थे जिनमें से भाभी का लाल गोरा दमकता हुआ चेहरा चमक रहा था।
भाभी ने मेरी तरफ मुस्करा कर देखा और कहा- लाडले देवर जी, देखने से मन भर गया हो तो आ जाओ अपनी लाडली भाभी के पास!
मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में अपने तने हुए तंबू को लेकर भाभी के डबल बेड पर भाभी के करीब जाकर भाभी को अपनी बाहों की गिरफ्त में ले लिया।
मैंने भाभी के चांद से रोशन चेहरे को देखते हुइ अपने होठों को भाभी के गुलाबी होठों पे रख दिया।
भाभी मेरे निचले होठ को अपने होठों में दबा कर चूस रही थी।
मेरा एक हाथ भाभी की चिकनी कमर को दबोचे हुए था और एक हाथ पैंटी के ऊपर से भाभी की गोल मांसल गांड पे फेर रहा था।
भाभी मस्ती से अपनी गांड को हिला रही थी।
कभी मैं, कभी भाभी एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे।
मैंने एक हाथ भाभी की पैंटी में डाल दिया।
पैंटी में हाथ जाते ही मैंने पाया कि भाभी की योनि से काम रस की नदियां बहती हुई प्रतीत हो रही थी।
मेरा पूरा हाथ भाभी के काम रस से भीग चुका था।
भाभी का चेहरा और आँखें वासना से गुलाबी हो चुके थे।
मैंने भाभी की कमर के पीछे हाथ ले जाकर भाभी की काले रंग की ब्रा का हुक खोल दिया।
भाभी की ब्रा के खुलते ही दो सफेद कबूतर आजाद हो गए।
उनके दोनों चूचे बिलकुल तने हुए थे।
मोटे गोरे चूचों पर दो ब्राउन रंग के तने हुए निप्पल थे।
मैं जरा भी देर ना करते हुए भाभी की चूचियों को पागलों की तरह चूसने लगा। मैं चूचियों को बदल बदल के चूस रहा था।
भाभी पागल सी हो गई थी।
रचना भाभी ने मेरे लौड़े को अंडरवियर में हाथ डालकर पकड़ लिया और उसको मुठियाने लग गई।
भाभी के लन्ड के मुठियाने और मेरे चूचियों को चूसने के कारण भाभी की चूड़ियों, पायल, कमर में बंधी तागड़ी की आवाज कमरे में म्यूजिक का काम कर रही थी।
छन छन की आवाज से कमरे का माहौल और मादक हो गया था।
भाभी ने एकदम से मुझे नीचे गिरा लिया और भूखी शेरनी की तरह से मेरे लौड़े को अंडरवियर से आजाद कर दिया और उसपे टूट पड़ी।
कभी अपने गोरे गर्म गालों को मेरे लन्ड पे रगड़ती, कभी उसको मुठिया के अपने दोनों चूचों के बीच भरती।
दो मिनट के बाद भाभी ने मेरे सात इंची लन्ड के टोपे पे अपने गुलाबी हाथ रख दिए।
जिसके परिणाम स्वरूप मेरा लन्ड उत्तेजना से प्रीकम उगलने लगा।
भाभी प्रीकम को अपनी नुकीली जीभ से चाट चाट कर तुरंत साफ करने लगी।
उनकी इस हरकत से मैं अपनी कमर को उछलने लगा।
भाभी ने अपना पूरा मुंह खोलकर मेरे मोटे लन्ड का स्वागत किया।
वे ज्यादा से ज्यादा मेरे लौड़े को मुंह में लेने को कोशिश कर रही थी।
कभी टोपे को कभी अंडकोष को मुंह में भरकर चूसने से मेरा लौड़ा अब वीर्य उगलने वाला था।
मैंने भाभी को इशारा भी किया कि मेरा वीर्य निकलने वाला है।
भाभी बोली- लाडले देवर के यास का टेस्ट करके रहूंगी। आह आजा देवर जी … उगल दो वीर्य!
“उफ्फ भाभी आह … सी आई आई”
मेरे लन्ड से पिचकारी सीधी भाभी के गले में उतर गई।
भाभी ने एक बूंद को भी बाहर नहीं आने दिया; सारा का सारा वीर्य घूंट घूंट कर भाभी अपने गले में उतार गई।
वीर्य की दो बूंद उनकी ठोढ़ी पे लगी हुई थी जिससे उनका चेहरा और भी मादक लग रहा था।
अब मेरी बारी थी; मैं बेड से नीचे उतरा और भाभी को घोड़ी बना दिया।
मैं भाभी के चूतड़ों के पीछे आ गया।
भाभी के मोटे चूतड़ों के दोनों पट काफी विशाल थे।
उनकी कमर में बंधी चांदी की तागड़ी भाभी की कमर और चूतड़ों को और कामुक बना रही थी।
इन विशाल चूतड़ों की सबसे बड़ी खासियत थी उनका गोरापन … और उनके ऊपर एक बड़ा कला सा तिल।
भाभी की काली पैंटी उनकी गान्ड की दरार में फंसे होने के कारण पूरी तरह से काम रस में भीगी हुई थी।
मैं किसी सांड की तरह अपने मुंह को भाभी की गान्ड के पास ले गया और अपने नाक को बदहवास होकर भाभी के चूतड़ों की गहरी खाई में घिसने लगा।
मुझे एक मादक गंध ने मदहोश कर दिया था।
मैंने एक झटके में भाभी पैंटी को भाभी के चूतड़ों से अलग कर दिया।
उनके मोटे चूतड़ों से जैसी ही पैंटी अलग हुई, भाभी की योनि के दर्शन मात्र से मेरा लौड़ा पागल हो गया था।
भाभी की योनि के दोनों होठ बहुत मोटे और गुलाबी रंगत लिए हुए थे।
योनि के बीचों बीच डेढ़ इंच का एक चीरा था जो गहरा गुलाबी था जिस पर भाभी के योनिरस की बूंदें चमक रही थी।
मुझसे अब और इंतजार नहीं हो रहा था।
मैं अपने चेहरे को भाभी की चिकनी डबल रोटी जैसी योनि के पास ले गया और किसी कुत्ते की तरह जीभ निकाल कर भाभी के योनि द्वार से छेड़छाड़ करने लगा।
मेरी इस हरकत से भाभी सिर से लेकर पांव तक कांप गई।
मैं अपनी जीभ से उनके मोटे गोरे मांसल चूतड़ों को चाटने लग गया था।
पूरे के पूरे चूतड़ चाट चाट कर लाल बना दिए।
मैं घोड़ी बनी भाभी की गान्ड के बीचों बीच अपनी जीभ को फेर रहा था।
भाभी की योनि के मोटे होठों को कुरेद कुरेद कर भाभी को उत्तेजित कर रहा था।
वे धीरे धीरे अपनी कमर और गांड को हिला रही थी।
अब मैंने अपनी पूरी जीभ भाभी की योनि में डाल दी थी।
भाभी ज्यादा से ज्यादा अपनी गांड को मेरे मुंह पर धकेल रही थी।
मैं उनकी योनि के अंगूर के दाने को अपने दोनों होठों में दबा कर चूस रहा था।
भाभी जोर जोर से अपनी गांड को मेरे मुंह पर मार मार कर बड़बड़ा रही थी- आह्ह देवर जी ��� उफ्फ गई … आह उफ्फ! देवर जी आह … सी आई उफ्फ! गई मैं!
ये बोल कर भाभी ने ढेर सारा पानी मेरे मुंह पर छोड़ दिया।
मैंने अभी भाभी की रसीली योनि को छोड़ा नहीं था।
मैं पागल हो गया था।
एक पल भी मैं रचना भाभी को छोड़ना नहीं चाहता था।
पांच मिनट योनि चाटने के बाद भाभी फिर से बड़बड़ाने लगी- डाल दे ना मूसल लौड़ा अब … आह्ह्ह डाल दो ना लाडले देवर जी! चोदो ना अभी चुड़ककड़ भाभी को! लव यू देवर जी … चौड़ी कर दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से!
मैंने झट से भाभी की कमर को थाम लिया।
लन्ड का टोपा भाभी की गोरी और चिकनी चूत पे सेट किया और एक झटके में आधे से ज्यादा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया।
मेरे इस प्रकार लन्ड की चोट के लिए भाभी तैयार नहीं थी- उई मां देवर जी … आह्ह हआ धीरे से देवर जी!
मैंने किसी बात की परवाह नही की बल्कि भाभी की कहराती आवाज ने मुझे हौंसला दिया और जालिम तरीके से भाभी को पेलने लगा।
भाभी भी गांड उठा उठा के मेरे लौड़े पर पटकने लगी।
वे अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी।
भाभी की पहनी गई चूड़ियों, पायल ने कमरे में एक तरह का म्यूजिक चला दिया था।
मैं अपनी घोड़ी का घुड़सवार बन गया था।
भाभी के मोटे विशाल चूतड़ मेरी जांघों से टकराने पर पूरे कमरे में पटापट की आवाजें आ रहीं थीं।
पांच मिनट में घोड़ी बना कर चोदने के बाद भाभी बोली- देवर जी, मुझे भी अब सवारी करने दो।
भाभी का मतलब मैं समझ गया और भाभी झट से मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े पर बैठ कर उछलने लगी।
पूरा का पूरा लौड़ा भाभी ने अपनी चिकनी चूत के अंदर ले लिया था।
“अह्ह देवर जी … आई लव यू! उफ्फ … सीआई!” भाभी पागलों की तरह मेरे लौड़े पर उछल उछल कर चुदवा रही थी।
मेरे दोनों हाथ भाभी की गोरी गांड को दबोचे हुए थे।
मैं नीचे से भाभी को चोद रहा था और उपर से भाभी अपनी विशाल गांड को पटक रही थी।
Antarvasna के मोटे चूचे हवा में झूल रहे थे।
चार मिनट की इस चुदाई के बाद भाभी गर्र गर्र करती हुई झड़ गई और मेरे ऊपर ढेर हो गई।
मैं अभी फारिग नही हुआ था।
मैंने भाभी को मिशनरी पोजीशन में लिया और योनिरस से सने लन्ड को भाभी की चूत में डाल दिया।
मैं कमर को उचका कर धक्कों को रफ्तार से भाभी की योनि में लौड़ा अंदर बाहर कर रहा था।
मैंने भाभी की हिलती चूचियों को अपने मुंह में जितनी आ सकती थी, उतनी भर लिया।
मैं भाभी को चोदने के साथ साथ उनकी मस्त चूचियों का रसपान कर रहा था।
भाभी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा लौड़ा सटासट ��ंदर ले रही थी- रज्जा आ आई आआई आई … चोदो मेरे बलम … मेरे सैंया … आई … गई सी …आई उफ्फ श्सह देवर जी चोदो … बना लो अपनी! आह देवर जी, आपके मोटे लौड़े से फाड़ दो मेरी चूत!
उनके इतना बोलते ही मैं और भाभी दोनों एक साथ झड़ने लग गए।
मैं निढाल हो कर भाभी की मस्त चूचियों के ऊपर सिर रख कर भाभी के सीने से चिपक गया.
भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
पूरी रात हमने जमकर चुदाई की।
इसके बाद जब भी मौका मिलता, मैं और भाभी एक दूसरे से मिलते और सेक्स का मजा लेते.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली सेक्स स्टोरी?
इस न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई के बारे में जरूर मुझे ईमेल पे बताइए।
अपनी फैंटेसी शेयर कीजिए।
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गाँव की भाभी पर दिल आ गया- 2
न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई का मजा मैंने लिया अपने पड़ोस की सेक्सी भाभी को पटाकर! इस आशिकी के चक्कर में मेरी एक बार पिटाई भी हो गयी थी.
कहानी के पहले भाग
गर्म देसी भाभी से प्यार का इजहार
में अपने पढ़ा कि मैंने अपने पड़ोस की एक भाभी को चोदना चाहता था. मैंने भाभी को सेट भी करलिया था और चुदाई की बात भी तय हो चुकी थी.
अब आगे न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई:
अगले दिन भाभी ने मुझे बता दिया कि रात के 10:00 बजे आ जाना।
बड़ी बेसब्री से मैंने रात होने का इंतजार किया।
रात को 10:00 बजे मैं भाभी के घर की दीवार को फांद कर चुपके से भाभी के कमरे की तरफ जो कि ऊपर था वहां पर पहुंच गया।
सावधानी से मैंने दरवाजा खोला।
मैंने देखा रचना भाभी बेड पर लेटी हुई थी।
जैसे ही हमारी नजरें मिली, भाभी ने एकदम कहा- 2 मिनट बाद आना!
मैं 2 मिनट के बाद अंदर गया तो देखा कि भाभी ने घूंघट किया हुआ था और बेड पर बैठी थी।
मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी।
मैं कांपती टांगों से भाभी के बेड पर चला गया.
मैंने देखा भाभी ने ब्लैक कलर का पटियाला सलवार सूट पहना हुआ था।
भाभी ने अपने हाथों में काले रंग की चूड़ियां से अपनी कलाइयों को भर रखा था।
उन्होंने अपने पांव में पाजेब डाल रखी थी।
मैं भाभी के पास बैठ गया, भाभी के घूंघट के अंदर झांकने लगा.
भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा, मुस्कुराई और अपनी गर्दन नीचे कर ली।
तब मैं भाभी के बिल्कुल पास बैठा था।
भाभी बोली- देवर जी, मुझे मेरा मुंह दिखाई चाहिए।
मेरे पास भाभी को देने के लिए कुछ नहीं था तो मैंने कहा- मेरे पास तो कुछ भी नहीं है देने को!
भाभी मुस्कुरा कर बोली- जी, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस आपका प्यार चाहिए.
इतना कहते ही मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
मेरा एक हाथ भाभी के के चूतड़ों के पास था।
भाभी के मस्त मोटे मोटे चूतड़ों को मेरी उंगलियां छू रही थी।
मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
भाभी के मोटे मोटे उरोज मेरी छाती से लग रहे थे।
मैंने एक हाथ भाभी के चूतड़ों पर रख दिया, उन्होंने दबाने लगा.
भाभी सीसी करने लगी।
मैं भाभी के मोटे मोटे चूतड़ों को सहलाने की बजाय उनको फुटबॉल की तरह दबा रहा था।
भाभी को नशा सा हो रहा था- उफ्फ देवर जी … ऐसे ना छेड़ो … आई उफ्फ!
वे मेरी बांहों में छटपटा रही थी।
इस छटपटाहट में मेरा मोटा तना हुआ लौड़ा भाभी के हाथ से लग रहा था।
या यूं कहूं कि भाभी जानबूझ के मेरे लौड़े से खेल रही थी।
भाभी बोली- उफ्फ मोटा है देवर जी! नही … मेरी लाडो फट जाएगी।
मैंने भाभी के हाथ को पकड़ कर अपने तने हुए लौड़े पे रख दिया।
भाभी ने झट से किसी डंडे की तरह मेरे लौड़े को पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके लौड़े को सहलाने लगी।
मैं जल्द से जल्द भाभी की सलवार खोलना चाहता था।
भाभी के मोटे और कसे हुए चूतड़ों का कब से दीवाना था मैं!
मैंने एक उंगली भाभी के लटकते हुए नाड़े में फंसाई और एक ही झटके में भाभी की काली सलवार का नाड़ा खोल दिया।
सलवार अपने आप भाभी की चिकनी चौड़ी फैली हुई गांड से फिसल कर नीचे सरक गई।
अब भाभी के सुडौल चूतड़ों पे मात्र काली छोटी सी पैंटी बची थी।
मैं पागलों की तरह भाभी के मोटे दूधिया या ये कहूं लालिमा लिए हुए पुष्ट कूल्हों को काली कसी हुई पैंटी में निहार रहा था।
मैंने कांपते हाथों से भाभी की चिकनी गांड को छुआ तो मेरे हाथ अपने आप फिसल कर नीचे पैंटी से टकरा गए।
मेरी हालत को देख कर भाभी ने मेरे लन्ड पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी और जोर जोर से उसको सहलाने लगी।
मैंने भाभी के कमोज को उतारने के लिए इशारा किया तो भाभी मुस्करा दी और खुद अपना सूट उतार दिया।
अब भाभी मात्र काली डिजाइनर ब्रा और पैंटी में थी।
मैं भाभी को देख कर पागल सा हो गया था।
भाभी का मंगलसूत्र भाभी की 36 साइज की गोरी तनी हुई चूचियों में फंसा हुआ था।
उन्होंने आज मेरी फरमाइश पर लाल की बजाय काले रंग की चूड़ियां को अपनी कोहनियों तक डाला हुआ था।
भाभी की पतली नागिन सी बल खाती हुई कमर पर चांदी की घुंगरुओं वाली तागड़ी थी जो भाभी के थोड़ा सा भी हिलने पर आवाज कर रही थी।
नीचे भाभी ने पांवों में पायल पहनी हुई थी।
भाभी के आगे रंभा, उर्वशी, मेनका जैसी स्वर्ग लोक को अप्सरा भी फीकी पड़ जाएं भाभी का रूप और यौवन देख कर!
उनके चेहरे पे बाल बिखरे हुए थे जिनमें से भाभी का लाल गोरा दमकता हुआ चेहरा चमक रहा था।
भाभी ने मेरी तरफ मुस्करा कर देखा और कहा- लाडले देवर जी, देखने से मन भर गया हो तो आ जाओ अपनी लाडली भाभी के पास!
मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में अपने तने हुए तंबू को लेकर भाभी के डबल बेड पर भाभी के करीब जाकर भाभी को अपनी बाहों की गिरफ्त में ले लिया।
मैंने भाभी के चांद से रोशन चेहरे को देखते हुइ अपने होठों को भाभी के गुलाबी होठों पे रख दिया।
भाभी मेरे निचले होठ को अपने होठों में दबा कर चूस रही थी।
मेरा एक हाथ भाभी की चिकनी कमर को दबोचे हुए था और एक हाथ पैंटी के ऊपर से भाभी की गोल मांसल गांड पे फेर रहा था।
भाभी मस्ती से अपनी गांड को हिला रही थी।
कभी मैं, कभी भाभी एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे।
मैंने एक हाथ भाभी की पैंटी में डाल दिया।
पैंटी में हाथ जाते ही मैंने पाया कि भाभी की योनि से काम रस की नदियां बहती हुई प्रतीत हो रही थी।
मेरा पूरा हाथ भाभी के काम रस से भीग चुका था।
भाभी का चेहरा और आँखें वासना से गुलाबी हो चुके थे।
मैंने भाभी की कमर के पीछे हाथ ले जाकर भाभी की काले रंग की ब्रा का हुक खोल दिया।
भाभी की ब्रा के खुलते ही दो सफेद कबूतर आजाद हो गए।
उनके दोनों चूचे बिलकुल तने हुए थे।
मोटे गोरे चूचों पर दो ब्राउन रंग के तने हुए निप्पल थे।
मैं जरा भी देर ना करते हुए भाभी की चूचियों को पागलों की तरह चूसने लगा। मैं चूचियों को बदल बदल के चूस रहा था।
भाभी पागल सी हो गई थी।
रचना भाभी ने मेरे लौड़े को अंडरवियर में हाथ डालकर पकड़ लिया और उसको मुठियाने लग गई।
भाभी के लन्ड के मुठियाने और मेरे चूचियों को चूसने के कारण भाभी की चूड़ियों, पायल, कमर में बंधी तागड़ी की आवाज कमरे में म्यूजिक का काम कर रही थी।
छन छन की आवाज से कमरे का माहौल और मादक हो गया था।
भाभी ने एकदम से मुझे नीचे गिरा लिया और भूखी शेरनी की तरह से मेरे लौड़े को अंडरवियर से आजाद कर दिया और उसपे टूट पड़ी।
कभी अपने गोरे गर्म गालों को मेरे लन्ड पे रगड़ती, कभी उसको मुठिया के अपने दोनों चूचों के बीच भरती।
Antarvasna मिनट के बाद भाभी ने मेरे सात इंची लन्ड के टोपे पे अपने गुलाबी हाथ रख दिए।
जिसके परिणाम स्वरूप मेरा लन्ड उत्तेजना से प्रीकम उगलने लगा।
भाभी प्रीकम को अपनी नुकीली जीभ से चाट चाट कर तुरंत साफ करने लगी।
उनकी इस हरकत से मैं अपनी कमर को उछलने लगा।
भाभी ने अपना पूरा मुंह खोलकर मेरे मोटे लन्ड का स्वागत किया।
वे ज्यादा से ज्यादा मेरे लौड़े को मुंह में लेने को कोशिश कर रही थी।
कभी टोपे को कभी अंडकोष को मुंह में भरकर चूसने से मेरा लौड़ा अब वीर्य उगलने वाला था।
मैंने भाभी को इशारा भी किया कि मेरा वीर्य निकलने वाला है।
भाभी बोली- लाडले देवर के यास का टेस्ट करके रहूंगी। आह आजा देवर जी … उगल दो वीर्य!
“उफ्फ भाभी आह … सी आई आई”
मेरे लन्ड से पिचकारी सीधी भाभी के गले में उतर गई।
भाभी ने एक बूंद को भी बाहर नहीं आने दिया; सारा का सारा वीर्य घूंट घूंट कर भाभी अपने गले में उतार गई।
वीर्य की दो बूंद उनकी ठोढ़ी पे लगी हुई थी जिससे उनका चेहरा और भी मादक लग रहा था।
अब मेरी बारी थी; मैं बेड से नीचे उतरा और भाभी को घोड़ी बना दिया।
मैं भाभी के चूतड़ों के पीछे आ गया।
भाभी के मोटे चूतड़ों के दोनों पट काफी विशाल थे।
उनकी कमर में बंधी चांदी की तागड़ी भाभी की कमर और चूतड़ों को और कामुक बना रही थी।
इन विशाल चूतड़ों की सबसे बड़ी खासियत थी उनका गोरापन … और उनके ऊपर एक बड़ा कला सा तिल।
भाभी की काली पैंटी उनकी गान्ड की दरार में फंसे होने के कारण पूरी तरह से काम रस में भीगी हुई थी।
मैं किसी सांड की तरह अपने मुंह को भाभी की गान्ड के पास ले गया और अपने नाक को बदहवास होकर भाभी के चूतड़ों की गहरी खाई में घिसने लगा।
मुझे एक मादक गंध ने मदहोश कर दिया था।
मैंने एक झटके में भाभी पैंटी को भाभी के चूतड़ों से अलग कर दिया।
उनके मोटे चूतड़ों से जैसी ही पैंटी अलग हुई, भाभी की योनि के दर्शन मात्र से मेरा लौड़ा पागल हो गया था।
भाभी की योनि के दोनों होठ बहुत मोटे और गुलाबी रंगत लिए हुए थे।
योनि के बीचों बीच डेढ़ इंच का एक चीरा था जो गहरा गुलाबी था जिस पर भाभी के योनिरस की बूंदें चमक रही थी।
मुझसे अब और इंतजार नहीं हो रहा था।
मैं अपने चेहरे को भाभी की चिकनी डबल रोटी जैसी योनि के पास ले गया और किसी कुत्ते की तरह जीभ निकाल कर भाभी के योनि द्वार से छेड़छाड़ करने लगा।
मेरी इस हरकत से भाभी सिर से लेकर पांव तक कांप गई।
मैं अपनी जीभ से उनके मोटे गोरे मांसल चूतड़ों को चाटने लग गया था।
पूरे के पूरे चूतड़ चाट चाट कर लाल बना दिए।
मैं घोड़ी बनी भाभी की गान्ड के बीचों बीच अपनी जीभ को फेर रहा था।
भाभी की योनि के मोटे होठों को कुरेद कुरेद कर भाभी को उत्तेजित कर रहा था।
वे धीरे धीरे अपनी कमर और गांड को हिला रही थी।
अब मैंने अपनी पूरी जीभ भाभी की योनि में डाल दी थी।
भाभी ज्यादा से ज्यादा अपनी गांड को मेरे मुंह पर धकेल रही थी।
मैं उनकी योनि के अंगूर के दाने को अपने दोनों होठों में दबा कर चूस रहा था।
भाभी जोर जोर से अपनी गांड को मेरे मुंह पर मार मार कर बड़बड़ा रही थी- आह्ह देवर जी … उफ्फ गई … आह उफ्फ! देवर जी आह … सी आई उफ्फ! गई मैं!
ये बोल कर भाभी ने ढेर सारा पानी मेरे मुंह पर छोड़ दिया।
मैंने अभी भाभी की रसीली योनि को छोड़ा नहीं था।
मैं पागल हो गया था।
एक पल भी मैं रचना भाभी को छोड़ना नहीं चाहता था।
पांच मिनट योनि चाटने के बाद भाभी फिर से बड़बड़ाने लगी- डाल दे ना मूसल लौड़ा अब … आह्ह्ह डाल दो ना लाडले देवर जी! चोदो ना अभी चुड़ककड़ भाभी को! लव यू देवर जी … चौड़ी कर दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से!
मैंने झट से भाभी की कमर को थाम लिया।
लन्ड का टोपा भाभी की गोरी और चिकनी चूत पे सेट किया और एक झटके में आधे से ज्यादा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया।
मेरे इस प्रकार लन्ड की चोट के लिए भाभी तैयार नहीं थी- उई मां देवर जी … आह्ह हआ धीरे से देवर जी!
मैंने किसी बात की परवाह नही की बल्कि भाभी की कहराती आवाज ने मुझे हौंसला दिया और जालिम तरीके से भाभी को पेलने लगा।
भाभी भी गांड उठा उठा के मेरे लौड़े पर पटकने लगी।
वे अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी।
भाभी की पहनी गई चूड़ियों, पायल ने कमरे में एक तरह का ��्यूजिक चला दिया था।
मैं अपनी घोड़ी का घुड़सवार बन गया था।
भाभी के मोटे विशाल चूतड़ मेरी जांघों से टकराने पर पूरे कमरे में पटापट की आवाजें आ रहीं थीं।
पांच मिनट में घोड़ी बना कर चोदने के बाद भाभी बोली- देवर जी, मुझे भी अब सवारी करने दो।
भाभी का मतलब मैं समझ गया और भाभी झट से मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े पर बैठ कर उछलने लगी।
पूरा का पूरा लौड़ा भाभी ने अपनी चिकनी चूत के अंदर ले लिया था।
“अह्ह देवर जी … आई लव यू! उफ्फ … सीआई!” भाभी पागलों की तरह मेरे लौड़े पर उछल उछल कर चुदवा रही थी।
मेरे दोनों हाथ भाभी की गोरी गांड को दबोचे हुए थे।
मैं नीचे से भाभी को चोद रहा था और उपर से भाभी अपनी विशाल गांड को पटक रही थी।
भाभी के मोटे चूचे हवा में झूल रहे थे।
चार मिनट की इस चुदाई के बाद भाभी गर्र गर्र करती हुई झड़ गई और मेरे ऊपर ढेर हो गई।
मैं अभी फारिग नही हुआ था।
मैंने भाभी को मिशनरी पोजीशन में लिया और योनिरस से सने लन्ड को भाभी की चूत में डाल दिया।
मैं कमर को उचका कर धक्कों को रफ्तार से भाभी की योनि में लौड़ा अंदर बाहर कर रहा था।
मैंने भाभी की हिलती चूचियों को अपने मुंह में जितनी आ सकती थी, उतनी भर लिया।
मैं भाभी को चोदने के साथ साथ उनकी मस्त चूचियों का रसपान कर रहा था।
भाभी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा लौड़ा सटासट अंदर ले रही थी- रज्जा आ आई आआई आई … चोदो मेरे बलम … मेरे सैंया … आई … गई सी …आई उफ्फ श्सह देवर जी चोदो … बना लो अपनी! आह देवर जी, आपके मोटे लौड़े से फाड़ दो मेरी चूत!
उनके इतना बोलते ही मैं और भाभी दोनों एक साथ झड़ने लग गए।
मैं निढाल हो कर भाभी की मस्त चूचियों के ऊपर सिर रख कर भाभी के सीने से चिपक गया.
भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
पूरी रात हमने जमकर चुदाई की।
इसके बाद जब भी मौका मिलता, मैं और भाभी एक दूसरे से मिलते और सेक्स का मजा लेते.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली सेक्स स्टोरी?
इस न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई के बारे में जरूर मुझे ईमेल पे बताइए।
अपनी फैंटेसी शेयर कीजिए।
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गाँव की भाभी पर दिल आ गया- 2
न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई का मजा मैंने लिया अपने पड़ोस की सेक्सी भाभी को पटाकर! इस आशिकी के चक्कर में मेरी एक बार पिटाई भी हो गयी थी.
कहानी के पहले भाग
गर्म देसी भाभी से प्यार का इजहार
में अपने पढ़ा कि मैंने अपने पड़ोस की एक भाभी को चोदना चाहता था. मैंने भाभी को सेट भी करलिया था और चुदाई की बात भी तय हो चुकी थी.
अब आगे न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई:
अगले दिन भाभी ने मुझे बता दिया कि रात के 10:00 बजे आ जाना।
बड़ी बेसब्री से मैंने रात होने का इंतजार किया।
रात को 10:00 बजे मैं भाभी के घर की दीवार को फांद कर चुपके से भाभी के कमरे की तरफ जो कि ऊपर था वहां पर पहुंच गया।
सावधानी से मैंने दरवाजा खोला।
मैंने देखा रचना भाभी बेड पर लेटी हुई थी।
जैसे ही हमारी नजरें मिली, भाभी ने एकदम कहा- 2 मिनट बाद आना!
मैं 2 मिनट के बाद अंदर गया तो देखा कि भाभी ने घूंघट किया हुआ था और बेड पर बैठी थी।
मैंने दरवाजे की कुंडी लगा दी।
मैं कांपती टांगों से भाभी के बेड पर चला गया.
मैंने देखा भाभी ने ब्लैक कलर का पटियाला सलवार सूट पहना हुआ था।
भाभी ने अपने हाथों में काले रंग की चूड़ियां से अपनी कलाइयों को भर रखा था।
उन्होंने अपने पांव में पाजेब डाल रखी थी।
मैं भाभी के पास बैठ गया, भाभी के घूंघट के अंदर झांकने लगा.
भाभी ने एक बार मेरी तरफ देखा, मुस्कुराई और अपनी गर्दन नीचे कर ली।
तब मैं भाभी के बिल्कुल पास बैठा था।
भाभी बोली- देवर जी, मुझे मेरा मुंह दिखाई चाहिए।
मेरे पास भाभी को देने के लिए कुछ नहीं था तो मैंने कहा- मेरे पास तो कुछ भी नहीं है देने को!
भाभी मुस्कुरा कर बोली- जी, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए, बस आपका प्यार चाहिए.
इतना कहते ही मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
मेरा एक हाथ भाभी के के चूतड़ों के पास था।
भाभी के मस्त मोटे मोटे चूतड़ों को मेरी उंगलियां छू रही थी।
मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया।
भाभी के मोटे मोटे उरोज मेरी छाती से लग रहे थे।
मैंने एक हाथ भाभी के चूतड़ों पर रख दिया, उन्होंने दबाने लगा.
भाभी सीसी करने लगी।
मैं भाभी के मोटे मोटे चूतड़ों को सहलाने की बजाय उनको फुटबॉल की तरह दबा रहा था।
भाभी को नशा सा हो रहा था- उफ्फ देवर जी … ऐसे ना छेड़ो … आई उफ्फ!
वे मेरी बांहों में छटपटा रही थी।
इस छटपटाहट में मेरा मोटा तना हुआ लौड़ा भाभी के हाथ से लग रहा था।
या यूं कहूं कि भाभी जानबूझ के मेरे लौड़े से खेल रही थी।
भाभी बोली- उफ्फ मोटा है देवर जी! नही … मेरी लाडो फट जाएगी।
Hindi sex story भाभी के हाथ को पकड़ कर अपने तने हुए लौड़े पे रख दिया।
भाभी ने झट से किसी डंडे की तरह मेरे लौड़े को पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके लौड़े को सहलाने लगी।
मैं जल्द से जल्द भाभी की सलवार खोलना चाहता था।
भाभी के मोटे और कसे हुए चूतड़ों का कब से दीवाना था मैं!
मैंने एक उंगली भाभी के लटकते हुए नाड़े में फंसाई और एक ही झटके में भाभी की काली सलवार का नाड़ा खोल दिया।
सलवार अपने आप भाभी की चिकनी चौड़ी फैली हुई गांड से फिसल कर नीचे सरक गई।
अब भाभी के सुडौल चूतड़ों पे मात्र काली छोटी सी पैंटी बची थी।
मैं पागलों की तरह भाभी के मोटे दूधिया या ये कहूं लालिमा लिए हुए पुष्ट कूल्हों को काली कसी हुई पैंटी में निहार रहा था।
मैंने कांपते हाथों से भाभी की चिकनी गांड को छुआ तो मेरे हाथ अपने आप फिसल कर नीचे पैंटी से टकरा गए।
मेरी हालत को देख कर भाभी ने मेरे लन्ड पर अपनी पकड़ मजबूत कर दी और जोर जोर से उसको सहलाने लगी।
मैंने भाभी के कमोज को उतारने के लिए इशारा किया तो भाभी मुस्करा दी और खुद अपना सूट उतार दिया।
अब भाभी मात्र काली डिजाइनर ब्रा और पैंटी में थी।
मैं भाभी को देख कर पागल सा हो गया था।
भाभी का मंगलसूत्र भाभी की 36 साइज की गोरी तनी हुई चूचियों में फंसा हुआ था।
उन्होंने आज मेरी फरमाइश पर लाल की बजाय काले रंग की चूड़ियां को अपनी कोहनियों तक डाला हुआ था।
भाभी की पतली नागिन सी बल खाती हुई कमर पर चांदी की घुंगरुओं वाली तागड़ी थी जो भाभी के थोड़ा सा भी हिलने पर आवाज कर रही थी।
नीचे भाभी ने पांवों में पायल पहनी हुई थी।
भाभी के आगे रंभा, उर्वशी, मेनका जैसी स्वर्ग लोक को अप्सरा भी फीकी पड़ जाएं भाभी का रूप और यौवन देख कर!
उनके चेहरे पे बाल बिखरे हुए थे जिनमें से भाभी का लाल गोरा दमकता हुआ चेहरा चमक रहा था।
भाभी ने मेरी तरफ मुस्करा कर देखा और कहा- लाडले देवर जी, देखने से मन भर गया हो तो आ जाओ अपनी लाडली भाभी के पास!
मैंने अपने कपड़े उतारे और सिर्फ अंडरवियर में अपने तने हुए तंबू को लेकर भाभी के डबल बेड पर भाभी के करीब जाकर भाभी को अपनी बाहों की गिरफ्त में ले लिया।
मैंने भाभी के चांद से रोशन चेहरे को देखते हुइ अपने होठों को भाभी के गुलाबी होठों पे रख दिया।
भाभी मेरे निचले होठ को अपने होठों में दबा कर चूस रही थी।
मेरा एक हाथ भाभी की चिकनी कमर को दबोचे हुए था और एक हाथ पैंटी के ऊपर से भाभी की गोल मांसल गांड पे फेर रहा था।
भाभी मस्ती से अपनी गांड को हिला रही थी।
कभी मैं, कभी भाभी एक दूसरे की जीभ को चूस रहे थे।
मैंने एक हाथ भाभी की पैंटी में डाल दिया।
पैंटी में हाथ जाते ही मैंने पाया कि भाभी की योनि से काम रस की नदियां बहती हुई प्रतीत हो रही थी।
मेरा पूरा हाथ भाभी के काम रस से भीग चुका था।
भाभी का चेहरा और आँखें वासना से गुलाबी हो चुके थे।
मैंने भाभी की कमर के पीछे हाथ ले जाकर भाभी की काले रंग की ब्रा का हुक खोल दिया।
भाभी की ब्रा के खुलते ही दो सफेद कबूतर आजाद हो गए।
उनके दोनों चूचे बिलकुल तने हुए थे।
मोटे गोरे चूचों पर दो ब्राउन रंग के तने हुए निप्पल थे।
मैं जरा भी देर ना करते हुए भाभी की चूचियों को पागलों की तरह चूसने लगा। मैं चूचियों को बदल बदल के चूस रहा था।
भाभी पागल सी हो गई थी।
रचना भाभी ने मेरे लौड़े को अंडरवियर में हाथ डालकर पकड़ लिया और उसको मुठियाने लग गई।
भाभी के लन्ड के मुठियाने और मेरे चूचियों को चूसने के कारण भाभी की चूड़ियों, पायल, कमर में बंधी तागड़ी की आवाज कमरे में म्यूजिक का काम कर रही थी।
छन छन की आवाज से कमरे का माहौल और मादक हो गया था।
भाभी ने एकदम से मुझे नीचे गिरा लिया और भूखी शेरनी की तरह से मेरे लौड़े को अंडरवियर से आजाद कर दिया और उसपे टूट पड़ी।
कभी अपने गोरे गर्म गालों को मेरे लन्ड पे रगड़ती, कभी उसको मुठिया के अपने दोनों चूचों के बीच भरती।
दो मिनट के बाद भाभी ने मेरे सात इंची लन्ड के टोपे पे अपने गुलाबी हाथ रख दिए।
जिसके परिणाम स्वरूप मेरा लन्ड उत्तेजना से प्रीकम उगलने लगा।
भाभी प्रीकम को अपनी नुकीली जीभ से चाट चाट कर तुरंत साफ करने लगी।
उनकी इस हरकत से मैं अपनी कमर को उछलने लगा।
भाभी ने अपना पूरा मुंह खोलकर मेरे मोटे लन्ड का स्वागत किया।
वे ज्यादा से ज्यादा मेरे लौड़े को मुंह में लेने को कोशिश कर रही थी।
कभी टोपे को कभी अंडकोष को मुंह में भरकर चूसने से मेरा लौड़ा अब वीर्य उगलने वाला था।
मैंने भाभी को इशारा भी किया कि मेरा वीर्य निकलने वाला है।
भाभी बोली- लाडले देवर के यास का टेस्ट करके रहूंगी। आह आजा देवर जी … उगल दो वीर्य!
“उफ्फ भाभी आह … सी आई आई”
मेरे लन्ड से पिचकारी सीधी भाभी के गले में उतर गई।
भाभी ने एक बूंद को भी बाहर नहीं आने दिया; सारा का सारा वीर्य घूंट घूंट कर भाभी अपने गले में उतार गई।
वीर्य की दो बूंद उनकी ठोढ़ी पे लगी हुई थी जिससे उनका चेहरा और भी मादक लग रहा था।
अब मेरी बारी थी; मैं बेड से नीचे उतरा और भाभी को घोड़ी बना दिया।
मैं भाभी के चूतड़ों के पीछे आ गया।
भाभी के मोटे चूतड़ों के दोनों पट काफी विशाल थे।
उनकी कमर में बंधी चांदी की तागड़ी भाभी की कमर और चूतड़ों को और कामुक बना रही थी।
इन विशाल चूतड़ों की सबसे बड़ी खासियत थी उनका गोरापन �� और उनके ऊपर एक बड़ा कला सा तिल।
भाभी की काली पैंटी उनकी गान्ड की दरार में फंसे होने के कारण पूरी तरह से काम रस में भीगी हुई थी।
मैं किसी सांड की तरह अपने मुंह को भाभी की गान्ड के पास ले गया और अपने नाक को बदहवास होकर भाभी के चूतड़ों की गहरी खाई में घिसने लगा।
मुझे एक मादक गंध ने मदहोश कर दिया था।
मैंने एक झटके में भाभी पैंटी को भाभी के चूतड़ों से अलग कर दिया।
उनके मोटे चूतड़ों से जैसी ही पैंटी अलग हुई, भाभी की योनि के दर्शन मात्र से मेरा लौड़ा पागल हो गया था।
भाभी की योनि के दोनों होठ बहुत मोटे और गुलाबी रंगत लिए हुए थे।
योनि के बीचों बीच डेढ़ इंच का एक चीरा था जो गहरा गुलाबी था जिस पर भाभी के योनिरस की बूंदें चमक रही थी।
मुझसे अब और इंतजार नहीं हो रहा था।
मैं अपने चेहरे को भाभी की चिकनी डबल रोटी जैसी योनि के पास ले गया और किसी कुत्ते की तरह जीभ निकाल कर भाभी के योनि द्वार से छेड़छाड़ करने लगा।
मेरी इस हरकत से भाभी सिर से लेकर पांव तक कांप गई।
मैं अपनी जीभ से उनके मोटे गोरे मांसल चूतड़ों को चाटने लग गया था।
पूरे के पूरे चूतड़ चाट चाट कर लाल बना दिए।
मैं घोड़ी बनी भाभी की गान्ड के बीचों बीच अपनी जीभ को फेर रहा था।
भाभी की योनि के मोटे होठों को कुरेद कुरेद कर भाभी को उत्तेजित कर रहा था।
वे धीरे धीरे अपनी कमर और गांड को हिला रही थी।
अब मैंने अपनी पूरी जीभ भाभी की योनि में डाल दी थी।
भाभी ज्यादा से ज्यादा अपनी गांड को मेरे मुंह पर धकेल रही थी।
मैं उनकी योनि के अंगूर के दाने को अपने दोनों होठों में दबा कर चूस रहा था।
भाभी जोर जोर से अपनी गांड को मेरे मुंह पर मार मार कर बड़बड़ा रही थी- आह्ह देवर जी … उफ्फ गई … आह उफ्फ! देवर जी आह … सी आई उफ्फ! गई मैं!
ये बोल कर भाभी ने ढेर सारा पानी मेरे मुंह पर छोड़ दिया।
मैंने अभी भाभी की रसीली योनि को छोड़ा नहीं था।
मैं पागल हो गया था।
एक पल भी मैं रचना भाभी को छोड़ना नहीं चाहता था।
पांच मिनट योनि चाटने के बाद भाभी फिर से बड़बड़ाने लगी- डाल दे ना मूसल लौड़ा अब … आह्ह्ह डाल दो ना लाडले देवर जी! चोदो ना अभी चुड़ककड़ भाभी को! लव यू देवर जी … चौड़ी कर दो मेरी चूत को अपने मोटे लौड़े से!
मैंने झट से भाभी की कमर को थाम लिया।
लन्ड का टोपा भाभी की गोरी और चिकनी चूत पे सेट किया और एक झटके में आधे से ज्यादा लन्ड भाभी की चूत में डाल दिया।
मेरे इस प्रकार लन्ड की चोट के लिए भाभी तैयार नहीं थी- उई मां देवर जी … आह्ह हआ धीरे से देवर जी!
मैंने किसी बात की परवाह नही की बल्कि भाभी की कहराती आवाज ने मुझे हौंसला दिया और जालिम तरीके से भाभी को पेलने लगा।
भाभी भी गांड उठा उठा के मेरे लौड़े पर पटकने लगी।
वे अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे धक्कों का जवाब देने लगी थी।
भाभी की पहनी गई चूड़ियों, पायल ने कमरे में एक तरह का म्यूजिक चला दिया था।
मैं अपनी घोड़ी का घुड़सवार बन गया था।
भाभी के मोटे विशाल चूतड़ मेरी जांघों से टकराने पर पूरे कमरे में पटापट की आवाजें आ रहीं थीं।
पांच मिनट में घोड़ी बना कर चोदने के बाद भाभी बोली- देवर जी, मुझे भी अब सवारी करने दो।
भाभी का मतलब मैं समझ गया और भाभी झट से मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े पर बैठ कर उछलने लगी।
पूरा का पूरा लौड़ा भाभी ने अपनी चिकनी चूत के अंदर ले लिया था।
“अह्ह देवर जी … आई लव यू! उफ्फ … सीआई!” भाभी पागलों की तरह मेरे लौड़े पर उछल उछल कर चुदवा रही थी।
मेरे दोनों हाथ भाभी की गोरी गांड को दबोचे हुए थे।
मैं नीचे से भाभी को चोद रहा था और उपर से भाभी अपनी विशाल गांड को पटक रही थी।
भाभी के मोटे चूचे हवा में झूल रहे थे।
चार मिनट की इस चुदाई के बाद भाभी गर्र गर्र करती हुई झड़ गई और मेरे ऊपर ढेर हो गई।
मैं अभी फारिग नही हुआ था।
मैंने भाभी को मिशनरी पोजीशन में लिया और योनिरस से सने लन्ड को भाभी की चूत में डाल दिया।
मैं कमर को उचका कर धक्कों को रफ्तार से भाभी की योनि में लौड़ा अंदर बाहर कर रहा था।
मैंने भाभी की हिलती चूचियों को अपने मुंह में जितनी आ सकती थी, उतनी भर लिया।
मैं भाभी को चोदने के साथ साथ उनकी मस्त चूचियों का रसपान कर रहा था।
भाभी अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरा लौड़ा सटासट अंदर ले रही थी- रज्जा आ आई आआई आई … चोदो मेरे बलम … मेरे सैंया … आई … गई सी …आई उफ्फ श्सह देवर जी चोदो … बना लो अपनी! आह देवर जी, आपके मोटे लौड़े से फाड़ दो मेरी चूत!
उनके इतना बोलते ही मैं और भाभी दोनों एक साथ झड़ने लग गए।
मैं निढाल हो कर भाभी की मस्त चूचियों के ऊपर सिर रख कर भाभी के सीने से चिपक गया.
भाभी ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
पूरी रात हमने जमकर चुदाई की।
इसके बाद जब भी मौका मिलता, मैं और भाभी एक दूसरे से मिलते और सेक्स का मजा लेते.
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली सेक्स स्टोरी?
इस न्यू हिंदी Xxx भाभी चुदाई के बारे में जरूर मुझे ईमेल पे बताइए।
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30 साल पहले IVF से जन्मा, अब उसी अस्पताल में बेटे का बर्थ, लव सिंह की कहानी कमाल है!
मुंबई: लगभग 30 साल पहले चेंबूर के एक दंपती ने उपचार के बाद एक बच्चों को जन्म दिया था। इस बच्चे का नाम था लव सिंह। लव सिंह भारत का पहला आईसीएसआई (इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन) वाला बच्चा था। अब ये बच्चा 30 साल का हो गया है और उसका नाम है लव सिंह। लव सिंह पेशे से वकील हैं। आईवीएफ तकनीक से पैदा होने वाले लव सिंह 28 जनवरी को पिता बने। उनकी पत्नी हरलीन ने एक बेटे को जन्म दिया। उनके बेटे का जन्म पेडर रोड पर जसलोक अस्पताल में हुआ। यह वही अस्पताल है जहां लव सिंह का भी जन्म हुआ था। डॉ. फिरोजा पारिख को सम्मान देने के लव और पत्नी हरलीन ने अपने बेटे को जन्म देने के लिए उन्हीं के अस्पताल को चुना। फिरोजा पारिख आईसीएसआई तकनीक को भारत लेकर आईं थीं और उनके माता-पिता का इलाज किया था।डॉ. पारिख लव की कई जन्मदिन पार्टियों और उनकी शादी में शामिल हुईं थी। डॉ. पारिख ने बताया कि लव की पत्नी गर्भधारण स्वाभाविक था लेकिन वे चाहते थे कि मैं उनके बच्चे की डिलीवरी में करवाऊं। क्योंकि वे मुझे अपना परिवार मानते हैं। हरलीन और उनके बेटे को गुरुवार को अस्पताल से छ��ट्टी दे दी गई। दंपती ने बच्चे के जन्म के लिए हरलीन की एमकॉम की पढ़ाई पूरी होने तक इंतजार किया। बता दें कि लव सिंह दक्षिण पूर्व एशिया का पहला आईसीएसआई बच्चा था। उसके बाद से बांझपन का इलाज विकसित हुआ है। अब लव पिता बनकर काफी खुश है। वह इस समय परिवार में नए सदस्य के स्वागत के लिए कई पारिवारिक समारोहों और पार्टियों की योजना बना रहे हैं।1989 में येल विश्वविद्यालय से लौटीं थी फिरोजा पारिखडॉ पारिख ने बताया कि जब 1989 में येल विश्वविद्यालय से लौटीं तो उन्होंने माइक्रोमैनिपुलेशन नामक एक प्रयोगात्मक तकनीक का प्रदर्शन करने के लिए उपकरण प्राप्त किए। अभ्यास कई शुक्राणुओं का उपयोग करने का था, लेकिन आईसीएसआई ने डॉक्टरों के लिए एक शुक्राणु के साथ निषेचन प्राप्त करना संभव बना दिया। उन्होंने बताया कि हमारे पास इस प्रविष्टि के लिए आवश्यक रेडीमेड माइक्रोपीपेट नहीं थे। इसे अंडे में डालने के लिए मानव बाल की तुलना में कई गुना पतले कांच के पिपेट पीसते थे। जिसकी वजह से उनकी सीखने की अवस्था चार वर्षों तक बढ़ी। http://dlvr.it/T2BzQc
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जीवन शक्ति अस्पताल: हिसार के सर्वश्रेष्ठ बाल चिकित्सक
परिचय
हिसार, जो अपनी प्राचीनता और आधुनिकता के समर्थन में मिला जुला है, यहां बाल स्वास्थ्य की मांग में एक नाम उभरता है - जीवन शक्ति अस्पताल के सर्वश्रेष्ठ बाल चिकित्सक, डॉ. एस स्फोगट। इस आर्टिकल में, हम जानेंगे कि जीवन शक्ति अस्पताल के इस अद्वितीय बाल चिकित्सक ( Best hair doctor in Hisar) और डॉ. एस स्फोगट की पांच साल से अधिक की अनुभवशीलता की कहानी कैसे बनी है।
जीवन शक्ति अस्पताल: संपूर्ण स्वास्थ्य का केंद्र
जीवन शक्ति अस्पताल एक ऐसा स्थान है जहां स्वास्थ्य के सभी पहलुओं का संपूर्ण ध्यान रखा जाता है। यहां के चिकित्सा कर्मचारी और विशेषज्ञ चिकित्सकों का समृद्ध संघ है जो रोगियों को सशक्त बनाने के लिए मिल जुलकर काम करते हैं।
डॉ. एस स्फोगट: सर्वोत्तम बाल चिकित्सक
डॉ. एस स्फोगट, जो जीवन शक्ति अस्पताल में बाल चिकित्सा के विशेषज्ञ के रूप में सेवा कर रहे हैं, उनकी अधिक से अधिक पाँच साल की अनुभवशीलता उन्हें इस क्षेत्र में एक विशेष जानकार बना देती है।
डॉ. एस स्फोगट का अनुभव
डॉ. एस स्फोगट ने बाल चिकित्सा के क्षेत्र में अपने पूर्वी अनुभव और योगदान के लिए पांच साल से अधिक का समय दिया है। उनकी समर्पणशीलता और योगदान ने उन्हें हिसार के सर्वश्रेष्ठ बाल चिकित्सकों में एक नाम बना दिया है।
जीवन शक्ति अस्पताल: बाल स्वास्थ्य के लिए समर्पित
जीवन शक्ति अस्पताल, डॉ. एस स्फोगट के साथ, बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक समृद्ध सेवा प्रदान करता है। यहां के चिकित्सा कर्मचारी और विशेषज्ञ चिकित्सक रोगियों को उनके बाल समस्याओं का सटीक और प्रभावी समाधान प्रदान करने में सक्षम हैं।
नवीनतम और प्रौद्योगिकी में कदम
जीवन शक्ति अस्पताल ने नवीनतम चिकित्सा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कदम रखा है, जिससे रोगियों को उच्चतम स्तर की देखभाल प्राप्त होती है। यहां के चिकित्सक समर्पित हैं और रोगियों को नवीनतम और सबसे अच्छा इलाज प्रदान करने के लिए तैयार हैं।
समापन
इस आर्टिकल के माध्यम से हमने जीवन शक्ति अस्पताल के सर्वश्रेष्ठ बाल चिकित्सक डॉ. एस स्फोगट की अद्वितीयता को जाना है, जो हिसार के लोगों को उनके बाल स्वास्थ्य की देखभाल में सहारा प्रदान करते हैं। इस अनुभवशील चिकित्सक के साथ, जीवन शक्ति अस्पताल बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान पर स्थापित हो रहा है।
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Girl Child Abandonment को रोकने में क्या ‘डोरी’ होगा सफल!
बालिका परित्याग पर Colors का नया शो, WCD Ministry से मिलाया हाथ
पहल स्वागतयोग्य, बदलाव लाने में निभाए प्रभावशाली भूमिका- पालोना
सृष्टि श्रीवास्तव
कलर्स टीवी और महिला व बाल विकास मंत्रालय ने बच्चियों की जिंदगी में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है। इसके तहत, बच्चियों के प्रति लोगों की मानसिकता बदलने के लिए कलर्स एक नया शो लेकर आया है– डोरी।
हाल ही में जारी एक प्रेस रिलीज़ से पता चला है कि कलर्स टीवी के इस नए शो में बालिका परित्याग जैसे गंभीर मुद्दे पर आवाज़ उठाई जाएगी। शो के माध्यम से लोगों में बालिका परित्याग और उससे होने वाले परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।इस शो की शुरुआत 06 नवंबर 2023 को रात 9 बजे हो चुकी है। इसका प्रसारण सोमवार से शुक्रवार कलर्स टीवी पर होगा। सुधा चंद्रन, अमर उपाध्याय, और माही भानुशाली जैसे मंझे हुए कलाकार इस शो का हिस्सा होंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस शो की कहानी 06 साल की एक बच्ची के जरिए आगे बढ़ेगी। "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान के समर्थन में कलर्स टीवी ने महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ हाथ मिलाया है।
इस शो के माध्यम से कलर्स टीवी देश भर में किसी भी परित्यक्त बालिका के लिए जो लोग सहायता करना चाहते हैं, 24 घंटे के आपातकालीन टोल फ्री चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर (1098) को बढ़ावा देगा।
महिला एवं बाल विकास (WCD) और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा कि जैसे एक देश की उन्नति का पता उस देश की महिलाओं और बच्चों के विकास को देख कर होता है, वैसे ही मनोरंजन का प्रभाव उसके द्वारा किये गए मानसिक बदलावों को देखकर होता है।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की बहुत ख़ुशी है कि कलर्स टीवी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" आंदोलन का समर्थन करते हुए इस नए शो की शुरुआत कर रहा है। वह उम्मीद करती हैं कि इससे अक्सर नजरअंदाज किये जाने वाले बालिका परित्याग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर लोगों में जागरूकता बढ़ेगी।
केविन वाज़, सीईओ- ब्रॉडकास्ट एंटरटेनमेंट, वायोकोम 18 के अनुसार, उन्हें बहुत ख़ुशी है कि वो महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर ऐसे गंभीर मुद्दे पर रौशनी डाल रहे हैं। उनका मानना है कि इस शो के जरिये वे लोगों में बालिका परित्याग के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल होंगे।
श्रीमती मोनिका आर्य, पत्रकार और संस्थापक पालोना अभियान ने इस शो को सकारात्मक पहल बताते हुए इसकी सराहना की है। वह उम्मीद करती हैं कि ये शो शिशु परित्याग को रोकने में अहम भूमिका निभाएगा और ये अभी तक बनी फिल्मों और सीरियल्स से अलग होगा।
लेकिन वह थोड़ा निराश भी हैं। उनका सवाल है कि जब भी नवजात शिशुओं के परित्याग की बात होती है तो लोग लड़कों को क्यों भूल जाते हैं। देखा गया है कि परित्यक्त होने वाले बच्चों में लड़कों की भी अच्छी खासी संख्या होती है।
श्रीमती आर्य का मानना है कि सुरक्षा और देखभाल की जरूरत जितनी एक नवजात बच्ची को होती है, उतनी ही एक नवजात बालक को भी होती है। इसके अलावा, सरकार को जेंडर बेस्ड अभियान चलाने की बजाय सम दृष्टि से किसी समस्या को देखकर उसका समाधान खोजना चाहिए।
उनका कहना है कि सरकार की सुरक्षित समर्पण (Safe Surrender) पॉलिसी को भी बढ़ावा देना चाहिए और इस शो के माध्यम से उससे जुड़े सही तथ्यों को लोगों के सामने लाना चाहिए।
उन्होंने सरकार से अपील भी की है कि वह बच्चों में भेद न करते हुए शिशु परित्याग के खिलाफ सशक्त माहौल बनाने का प्रयास करे।
वहीं, डब्ल्यूएआईसी की श्रीमती मीरा मारती ने कहा कि लड़कियों को जरूर बढ़ावा देना चाहिए, लेकिन हम लड़कों को पीछे छोड़ रहे हैं | एडॉप्शन में भी देखा गया है कि लड़कों से ज्यादा लड़कियां अडॉप्ट हो रही हैं। यह भी सही नहीं है।मालूम हो कि पालोना देश का वह अभियान है, जो नवजात शिशुओं के परित्याग और उनकी क्रूर तरीके से की जा रही हत्याओं पर लगातार आवाज उठा रहा है। यह सुरक्षित और असुरक्षित परित्याग के अंतर को प्रमुखता से लोगों को बताता है। साथ ही सुरक्षित समर्पण और सुरक्षित परित्याग के सहारे मासूमों की जान बचाने की वकालत भी करता है।
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मतलबी दुनिया- नारी विशेष
Ramesh Babu
किताब के बारे में...
इस कहानी और पात्र में किसी नारी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। अपितु उनके ऊपर हो रहे। अमानवीय व्यवहार (बाल विवाह ,दहेज प्रथा, लड़का- लड़की में अंतर आदि) का विरोध बे स्वयं नारी को सही निर्णय लेने का अधिकार इसके लिए स्वयं को आगे आना होगा। " कामयाबी की बुलंदियों पर हम यूं ही बढ़ते जायेगे। " कभी मदर टरेसा तो कभी झांसी का रूप दिखायेगे। साथ ही पुरुषों की सोच बदलना जरूरी है। क्योंकि सोच कर सोचो वहीं नारी मां 'बहन, बेटी के रूप में समाज परिवार मैं पुरुषों के बराबर भागीदारी निभा रही है। अगर नारी नहीं रहेगी तो पुरुष���ं का अस्तित्व ही गायब हो जाएगा। पाठ विशेष- भारत में आंकड़ों (W.H.O) के आधार पर हर 5 मिनट में से एक मां की मृत्यु हो जाती है। सोच बदली, दुनिया बदली, हालात सुधरे, नहीं सुधरी तो केवल एक गांव की स्थिति- आइऐ ? कहानी के आधार पर पड़ते हैं।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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https://newsguru.in/rekhas-life-struggle-and-success-story/
रेखा के जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी के बारे में जानिए
चांद को ज़मीन पर देखना हो तो वहां देखिए जहां कांजीवरम साड़ी पहने रेखा खड़ी हों। अभिनेत्री का चमकदार चेहरा, नागिन से बलखाते बाल और गजरे की महक आज भी लोगों की दिल की धड़कनें बढ़ा देती है। हर साल 10 अक्तूबर को अपना जन्मदिन मनाने वाली बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री रेखा ने लोगों के साथ ही हिन्दी सिनेमा के महानायक को भी अपना दीवाना बना दिया था।
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CHILDREN’S DAY 2023: बाल दिवस का इतिहास, उत्सव, अर्थ और महत्व
बाल दिवस का अर्थ है कि बच्चों के अधिकारों को उनकी भलाई के लिए कैसे उपयोग किया जाता है।
क्या देश के हर बच्चे को शिक्षा, चिकित्सा और परिवार के अधिकारों का पूरा अधिकार मिल सकता है? बाल शोषण की कोई शिकायत नहीं है?क्या जो बच्चे खतरनाक नौकरियों में काम करते हैं, उनकी समस्या हल हो गई है? यदि ऐसा नहीं है, तो कम से कम हम माता-पिता को इसके बारे में बता सकते हैं और उन्हें अपने बच्चों को एक ऐसी जगह देने के लिए कह सकते हैं जहां वे अच्छा कर सकते हैं। उन्हें सम्मान और आत्मविश्वास सिखाने के लिए जिम्मेदार होना, और किसी दूसरे की राय सुनने के बजाय अपनी राय बनाने देना।
साथ ही बाल दिवस एक बालिका और एक लड़के को अलग नहीं करने पर भी केंद्रित है। हम युवा लोगों को यह सिखाना चाहिए कि साथियों के दबाव के आगे झुकने से बचना चाहिए, हर संभव कोशिश करना चाहिए और मदद माँगने से नहीं डरना चाहिए जब वे तनाव से गुजर रहे हैं। अब नवीन भारत में शिक्षा, विचार और विकास की नई संभावनाएं हैं। हमारे युवा भावुक और दिलचस्प हैं, इसलिए उनके पास मजबूत विचार हैं। उन्हें दिखाना कि उनकी इच्छाएँ पूरी की जा सकती हैं, उनकी मदद करने का एक तरीका है।
ये बातें बाल दिवस के महत्व को वापस लाएंगी। आइए लक्ष्य को ध्यान में रखने और उस पर कार्य करने का वादा करें ताकि युवा और बच्चे वास्तव में इस दिन का आनंद उठा सकें। 14 नवंबर सिर्फ एक दिन है, लेकिन इसे ऐसा बीज बोने दें जो आने वाले वर्षों में लाभ देगा।
बाल दिवस कब है?
14 नवंबर को भारत बाल दिवस मनाता ��ै।
यह पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है। पंडित नेहरू भी बच्चों के प्रति उनकी दयालुता के लिए प्रसिद्ध थे।
नेहरू ने भी चिल्ड्रन्स फिल्म सोसाइटी इंडिया की स्थापना की, जो सिर्फ बच्चों के लिए भारतीय फिल्में बनाती है।
बाल दिवस की उत्पत्ति
14 नवंबर 1889 को कश्मीर के एक ब्राह्मण परिवार में जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ। वह भारत के पहले राष्ट्रपति थे। 1800 के दशक की शुरुआत में उनका परिवार दिल्ली आया था। वे बुद्धिमान थे और व्यवसाय चलाने में अच्छे थे। वह मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रसिद्ध वकील थे। बाद में महात्मा गांधी के करीबी दोस्त मोतीलाल नेहरू बन गए। जवाहरलाल के चार बच्चों में दो लड़कियां सबसे बड़ी थीं। उसकी बहन विजया लक्ष्मी पंडित ने संयुक्त राष्ट्र महासभा का पहला नेतृत्व किया था।
माना जाता है कि बच्चे नेहरू को भारत की शक्ति मानते थे, इसलिए उन्हें “चाचा नेहरू” कहते थे। लेकिन दूसरी कहानी कहती है कि पूर्व प्रधान मंत्री गांधी के करीबी थे, जिन्हें सब लोग “बापू” कहते थे, इसलिए उन्हें “चाचा” कहा जाता था। जवाहरलाल नेहरू को लगता था कि वह “राष्ट्रपिता” के छोटे भाई हैं, इसलिए लोगों ने उन्हें “चाचा” कहा।
1947 में, नेहरू भारत की आजादी की लड़ाई में प्रधानमंत्री बन गए। गांधी ने उन्हें यह कैसे करना सिखाया। उन्होंने स्वतंत्र, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक भारत की नींव रखी। इसलिए नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता बताया जाता है।
1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद संसद ने सर्वसम्मति से उनका सम्मान करने का प्रस्ताव पारित किया। संकल्प ने बाल दिवस को उनके जन्मदिन की आधिकारिक तिथि बनाया। 1956 से पहले, भारत में 20 नवंबर को हर साल बाल दिवस मनाया जाता था। इसका कारण यह था कि संयुक्त राष्ट्र ने 1954 में 20 नवंबर को सार्वभौमिक बाल दिवस घोषित किया था। 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधान मंत्री का जन्म हुआ था। 14 नवंबर को उनके जन्मदिन की याद में बाल दिवस मनाया जाता है।
अब स्कूल बाल दिवस मनाने के लिए मनोरंजक और प्रेरक कार्यक्रम करते हैं। बाल दिवस पर बहुत से लोग भाषण लिखते हैं। बच्चों को अक्सर कहा जाता है कि वे स्कूल के कपड़े को छोड़ दें और अलग-अलग कपड़े पहनें। यह समय बच्चों, उनके माता-पिता और शिक्षकों की खुशी का है।
बाल दिवस उत्सव
स्कूलों और अन्य स्थानों पर जो लोग सीखते हैं, कई गतिविधियाँ होती हैं, जो इसे एक मजेदार उत्सव बनाते हैं। बच्चों को खास दिन बनाने के लिए खिलौने, उपहार और मिठाई दी जाती हैं। कुछ स्कूलों में शिक्षकों ने बच्चों को मनोरंजन करने के लिए कार्यक्रमों को दिखाया जाता है।
विश्व बाल दिवस
संयुक्त राष्ट्र का सार्वभौमिक बाल दिवस 1954 में शुरू हुआ था और 20 नवंबर को हर साल मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर से लोगों को एकजुट करना है, बच्चों को उनके अधिकारों का ज्ञान देना और बच्चों के कल्याण में सुधार करना है।
20 नवंबर 1959 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणा को पारित किया। इस दिन बहुत महत्वपूर्ण है। 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन भी पारित किया था।
1990 के बाद से, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन और बाल अधिकारों की घोषणा दोनों पारित की हैं, जो सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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Jamshedpur bhagwat katha : भगवान श्रीकृष्ण ने माखन चोरी कर गोपियों के साक्षात् प्रेम को किया जागरित, बिष्टुपुर भागवत कथा में हिमांशु महाराज ने सुनाई गोवर्धन पूजा की दिव्य कहानी
जमशेदपुर : बिष्टुपुर सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर में चल रही भागवत कथा के पांचवें दिन गुरुवार को कथा वाचक हिमांशु महाराज ने ठाकुर जी की मनमोहक झांकी की प्रस्तुति के बीच श्रीबाल कृष्ण लाल की अनेक बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि व्रज में तीन उत्सव मनाये जाते हैं, जन्मोत्सव, नंदोत्सव एवं गोकुलोत्सव. इस अवसर पर भगवान गोवर्धन महाराज की झांकी के दर्शन कराया गया. साथ ही भगवान गिरिराज जी महाराज के समक्ष…
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