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studycarewithgsbrar · 2 years
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ज्योतिष: बुध की शुभ स्थिति से बढ़ेगी गुरु की दृष्टि, इन राशियों को मिलेगी तरक्की - Punjab News Latest Punjabi News Update आज
ज्योतिष: बुध की शुभ स्थिति से बढ़ेगी गुरु की दृष्टि, इन राशियों को मिलेगी तरक्की – Punjab News Latest Punjabi News Update आज
बुध का कन्या राशि में गोचर: पंचांग के अनुसार बुध 21 अगस्त को कन्या राशि में प्रवेश कर चुका है और 26 अक्टूबर 2022 तक यहां गोचर करेगा। इस दौरान बुध इन राशियों पर अपना शुभ प्रभाव डालेगा। इस गोचर परिवर्तन के समय गुरु की दृष्टि से बुध का प्रभाव सकारात्मक रूप से बढ़ेगा। जिससे इन राशियों को विशेष लाभ मिलेगा। नौकरी और व्यापार में धन की प्राप्ति होगी। मिथुन राशि राशि, बुध के इस गोचर से मिथुन राशि के…
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बुध गोचर अगस्त 2022: 21 अगस्त को बुध ग्रह कन्या राशि में गोचर करेगा, इन 4 राशियों का भाग्य बदलेगा
बुध गोचर अगस्त 2022: 21 अगस्त को बुध ग्रह कन्या राशि में गोचर करेगा, इन 4 राशियों का भाग्य बदलेगा
बुद्ध का कन्या राशि में प्रवेश: सभी ग्रहों में बुध ग्रह को बुद्धि के देवता की उपाधि दी गई है। बुध का प्रभाव व्यक्ति के आत्मविश्वास से बोलने की क्षमता पर पड़ता है। इसलिए वैदिक ज्योतिष बुध को विशेष स्थान देता है। 12 राशियों में से मिथुन और कन्या दो राशियाँ हैं जिन पर बुध ग्रह का नियंत्रण है। साथ ही मीन इसकी नीच राशि है और कन्या इसकी उच्च राशि है। 21 अगस्त 2022, रविवार मध्यरात्रि 01:55 बजे बुध ग्रह…
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profnarayanaraju · 2 months
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Sri Ramcharit Manas, Sundarkand, pad 44 | कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू । ...
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sharpbharat · 3 months
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west singhbhum - महाशिवरात्रि पर सुबानसाई हनुटोटा आमबगान में दो दिवसीय छऊ नृत्य प्रतियोगिता आयोजित, विजेताओं को किया गया पुरस्कृत
रामगोपाल जेना कोल्हान/बंदगांव: महाशिवरात्रि पर बंदगांव प्रखंड के सुबानसाई हनुटोटा आमबगान में दो दिवसीय छऊ नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन शनिवार को हुआ. सुबानसाई के कलाकारों द्वारा छऊ नृत्य प्रस्तुत किया गया. इस दौरान कलाकारों ने पौराणिक कथाओं पर आधारित छऊ नृत्य गणेश वंदना प्रस्तुत कर किया. उसके बाद नीचे टोला छऊ नृत्य मंडली द्वारा आरती, काली पूजन, वनदेवी, महिषासुर बध, राधा कृष्ण, शिकारी आदि छऊ नृत्य…
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ना बन आइना
ना बनने की कोशिश कर आइना सच दिख जायेगा गर देख लिया संच जिंदगी का आइना टूट जायेगा वह वीरान कर देंगे नफरतों में बस्तियों की बस्तियां गर सच बोल दिया तो सब्र का बांध टूट जायेगा। में हूं रफीक उस शख्सियत ए बा कमाल का रेनाइयो के साथ जलवा अफरोज हो समा बध जायेगा मुहब्बतों के दरिया में तैर तू बड़े वाशुक से गर तुझे मुहब्बत न हुआ तो तेरा आशिक टूट जायेगा
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jyotishwithakshayg · 6 months
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Ravana as Acharya for Rameshwaram : भगवान श्री राम द्वारा रावण को रामेश्वरम् देवस्थान के लिए आचार्य के स्वरुप में सम्मान देना
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भगवान श्री राम द्वारा रामेश्वरम् देवस्थान के लिए रावण को आचार्य स्वीकारना बाल्मीकि रामायण और तुलसीकृत रामायण में इस कथा का वर्णन नहीं है, पर तमिल भाषा में लिखी *महर्षि कम्बन की #इरामावतारम्# में यह कथा है.!
(अद्भुत प्रसंग, भावविभोर करने वाला प्रसंग जरुर पढ़ें)
रावण केवल शिवभक्त, वि���्वान एवं वीर ही नहीं, अति-मानववादी भी था..! उसे भविष्य का पता था..! वह जानता था कि श्रीराम से जीत पाना उसके लिए असंभव है..!
जब श्री राम ने खर-दूषण का सहज ही बध कर दिया, तब तुलसी कृत मानस में भी रावण के मन भाव लिखे हैं--! खर दूसन मो सम बलवंता.! तिनहि को मरहि बिनु भगवंता.!! रावण के पास जामवंत जी को #आचार्यत्व# का निमंत्रण देने के लिए लंका भेजा गया..! जामवन्त जी दीर्घाकार थे, वे आकार में कुम्भकर्ण से तनिक ही छोटे थे.! लंका में प्रहरी भी हाथ जोड़कर मार्ग दिखा रहे थे.! इस प्रकार जामवन्त को किसी से कुछ पूछना नहीं पड़ा.! स्वयं रावण को उन्हें राजद्वार पर अभिवादन का उपक्रम करते देख जामवन्त ने मुस्कराते हुए कहा कि मैं अभिनंदन का पात्र नहीं हूँ.! मैं वनवासी राम का दूत बनकर आया हूँ.! उन्होंने तुम्हें सादर प्रणाम कहा है.! रावण ने सविनय कहा -- आप हमारे पितामह के भाई हैं.! इस नाते आप हमारे पूज्य हैं.! कृपया आसन ग्रहण करें.! यदि आप मेरा निवेदन स्वीकार कर लेंगे, तभी संभवतः मैं भी आपका संदेश सावधानी से सुन सकूंगा.! जामवन्त ने कोई आपत्ति नहीं की.! उन्होंने आसन ग्रहण किया.! रावण ने भी अपना स्थान ग्रहण किया.! तदुपरान्त जामवन्त ने पुनः सुनाया कि वनवासी राम ने सागर-सेतु निर्माण उपरांत अब यथाशीघ्र महेश्व-लिंग-विग्रह की स्थापना करना चाहते हैं.! इस अनुष्ठान को सम्पन्न कराने के लिए उन्होंने ब्राह्मण, वेदज्ञ और शैव रावण को आचार्य पद पर वरण करने की इच्छा प्रकट की है.! "मैं उनकी ओर से आपको आमंत्रित करने आया हूँ.!" प्रणाम.! प्रतिक्रिया, अभिव्यक्ति उपरान्त रावण ने मुस्कान भरे स्वर में पूछ ही लिया..! "क्या राम द्वारा महेश्व-लिंग-विग्रह स्थापना लंका-विजय की कामना से किया जा रहा है..?" "बिल्कुल ठीक.! श्रीराम की महेश्वर के चरणों में पूर्ण भक्ति है..!" जीवन में प्रथम बार किसी ने रावण को ब्राह्मण माना है और आचार्य बनने योग्य जाना है.! क्या रावण इतना अधिक मूर्ख कहलाना चाहेगा कि वह भारतवर्ष के प्रथम प्रशंसित महर्षि पुलस्त्य के सगे भाई महर्षि वशिष्ठ के यजमान का आमंत्रण और अपने आराध्य की स्थापना हेतु आचार्य पद अस्वीकार कर दे..? रावण ने अपने आपको संभाल कर कहा –"आप पधारें.! यजमान उचित अधिकारी है.! उसे अपने दूत को संरक्षण देना आता है.! राम से कहिएगा कि मैंने उसका आचार्यत्व स्वीकार किया.!"
जामवन्त को विदा करने के तत्काल उपरान्त लंकेश ने सेवकों को आवश्यक सामग्री संग्रह करने हेतु आदेश दिया और स्वयं अशोक वाटिका पहुँचे, जो आवश्यक उपकरण यजमान उपलब्ध न कर सके जुटाना आचार्य का परम कर्त्तव्य होता है.! रावण जानता है कि वनवासी राम के पास क्या है और क्या होना चाहिए.!
अशोक उद्यान पहुँचते ही रावण ने सीता से कहा कि राम लंका विजय की कामना से समुद्रतट पर महेश्वर लिंग विग्रह की स्थापना करने जा रहे हैं और रावण को आचार्य वरण किया है..!
"यजमान का अनुष्ठान पूर्ण हो यह दायित्व आचार्य का भी होता है.! तुम्हें विदित है कि अर्द्धांगिनी के बिना गृहस्थ के सभी अनुष्ठान अपूर्ण रहते हैं.! विमान आ रहा है, उस पर बैठ जाना.! ध्यान रहे कि तुम वहाँ भी रावण के अधीन ही रहोगी.! अनुष्ठान समापन उपरान्त यहाँ आने के लिए विमान पर पुनः बैठ जाना.!"
स्वामी का आचार्य अर्थात स्वयं का आचार्य.!
यह जान, जानकी जी ने दोनों हाथ जोड़कर मस्तक झुका दिया.!
स्वस्थ कण्ठ से "सौभाग्यवती भव" कहते रावण ने दोनों हाथ उठाकर भरपूर आशीर्वाद दिया.!
सीता और अन्य आवश्यक उपकरण सहित रावण आकाश मार्ग से समुद्र तट पर उतरे.!
" आदेश मिलने पर आना" कहकर सीता को उन्होंने विमान में ही छोड़ा और स्वयं राम के सम्मुख पहुँचे.!
Lord Shri Ram accepting Ravana as Acharya for Rameshwaram Devasthan. Ravana as Acharya for Rameshwaram
जामवन्त से संदेश पाकर भाई, मित्र और सेना सहित श्रीराम स्वागत सत्कार हेतु पहले से ही तत्पर थे.! सम्मुख होते ही वनवासी राम आचार्य दशग्रीव को हाथ जोड़कर प्रणाम किया.!
" दीर्घायु भव.! लंका विजयी भव.!"
दशग्रीव के आशीर्वचन के शब्द ने सबको चौंका दिया.!
सुग्रीव ही नहीं विभीषण की भी उन्होंने उपेक्षा कर दी.! जैसे वे वहाँ हों ही नहीं.!
भूमि शोधन के उपरान्त रावणाचार्य ने कहा..!
लंकाधीश रावण कि मांग "यजमान.! अर्द्धांगिनी कहाँ है.? उन्हें यथास्थान आसन दें.!"
श्रीराम ने मस्तक झुकाते हुए हाथ जोड़कर अत्यन्त विनम्र स्वर से प्रार्थना की, कि यदि यजमान असमर्थ हो तो योग्याचार्य सर्वोत्कृष्ट विकल्प के अभाव में अन्य समकक्ष विकल्प से भी तो अनुष्ठान सम्पादन कर सकते हैं..!
"अवश्य-अवश्य, किन्तु अन्य विकल्प के अभाव में ऐसा संभव है, प्रमुख विकल्प के अभाव में नहीं.! यदि तुम अविवाहित, विधुर अथवा परित्यक्त होते तो संभव था.! इन सबके अतिरिक्त तुम संन्यासी भी नहीं हो और पत्नीहीन वानप्रस्थ का भी तुमने व्रत नहीं लिया है.! इन परिस्थितियों में पत्नीरहित अनुष्ठान तुम कैसे कर सकते हो.?"
" कोई उपाय आचार्य.?"
"आचार्य आवश्यक साधन, उपकरण अनुष्ठान उपरान्त वापस ले जाते हैं.! स्वीकार हो तो किसी को भेज दो, सागर सन्निकट पुष्पक विमान में यजमान पत्नी विराजमान हैं.!"
श्रीराम ने हाथ जोड़कर मस्तक झुकाते हुए मौन भाव से इस सर्वश्रेष्ठ युक्ति को स्वीकार किया.! श्री रामादेश के परिपालन में, विभीषण मंत्रियों सहित पुष्पक विमान तक गए और सीता सहित लौटे.!
"अर्द्ध यजमान के पार्श्व में बैठो अर्द्ध यजमान .."
आचार्य के इस आदेश का वैदेही ने पालन किया.!
गणपति पूजन, कलश स्थापना और नवग्रह पूजन उपरान्त आचार्य ने पूछा - लिंग विग्रह.?
यजमान ने निवेदन किया
नाया गया.! श्री सीताराम ने वही महेश्वर लिंग-विग्रह स्थापित किया.!
आचार्य ने परिपूर्ण विधि-विधान के साथ अनुष्ठान सम्पन्न कराया.!
अब आती है बारी आचार्य की दक्षिणा की..!
रामेश्वरम् देवस्थान में आचार्य बने रावण की दक्षिणा ?
श्रीराम ने पूछा - "आपकी दक्षिणा.?"
पुनः एक बार सभी को चौंकाया … आचार्य के शब्दों ने..
"घबराओ नहीं यजमान.! स्वर्णपुरी के स्वामी की दक्षिणा सम्पत्ति नहीं हो सकती.! आचार्य जानते हैं कि उनका यजमान वर्तमान में वनवासी है.."
"लेकिन फिर भी राम अपने आचार्य की जो भी माँग हो उसे पूर्ण करने की प्रतिज्ञा करता है.!"
"आचार्य जब मृत्यु शैय्या ग्रहण करे तब यजमान सम्मुख उपस्थित रहे ….." आचार्य ने अपनी दक्षिणा मांगी.!
"ऐसा ही होगा आचार्य.!" यजमान ने वचन दिया और समय आने पर निभाया भी----- " रघुकुल रीति सदा चली आई.! " प्राण जाई पर वचन न जाई.!!"
यह दृश्य वार्ता देख सुनकर उपस्थित समस्त जन समुदाय के नयनाभिराम प्रेमाश्रुजल से भर गए.! सभी ने एक साथ एक स्वर से सच्ची श्रद्धा के साथ इस अद्भुत आचार्य को प्रणाम किया.!
रावण जैसे भविष्यदृष्टा ने जो दक्षिणा माँगी, उससे बड़ी दक्षिणा क्या हो सकती थी.? जो रावण यज्ञ-कार्य पूरा करने हेतु राम की बंदी पत्नी को शत्रु के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है, वह राम से लौट जाने की दक्षिणा कैसे मांग सकता है.?
( रामेश्वरम् देवस्थान में लिखा हुआ है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना श्रीराम ने रावण द्वारा करवाई थी)
!! यह है रावण का एक ब्राह्मण स्वरुप जो सम्माननीय है!!
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dh5-presents · 9 months
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#शुभ_मंगलवार।🙏🏻
#आपका_दिन_मंगलमय_हो।।🙏🏻
✥✵✥✵✥✵✥✵✥✵✥✵✥
एक- दूसरे को देख लेतें हैं लोग यहाँ,
पर कुछ लोग अंजान क्यूँ बन जातें हैं
कोई भी न देता यहाँ साथ किसी का,
भले ही जख्मों पर नमक मल जातें हैं
झूठी बन गई हैं बाबा ये दुनियाँ सारी,
सच्चाई को ताला ये लोग बध जातें हैं
राम नाम से जोड़ा मैंने हर किसी को,
हृदय में दीपक क्यों सब जगा जातें हैं
✥✵✥✵✥✵✥✵✥✵✥✵✥
#लेखक- दीप सिंह- दीपक
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#dh5presents #hanumanji #bajrangbali #mehandipurbalaji #salasarbalaji #balaji #balajisarkar #shreeram #sitaram #writer #newpost
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sirjitendrayadav · 11 months
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hindi-india · 1 year
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Online MBA कैसे और कहा से करें? जानिए फीस, मान्यता और बेस्ट कॉलेज
दोस्तों MBA की डिग्री एक जॉब में अच्छी पोजीशन हासिल करने के लिए बहुत आवश्यक होती है भारत में MBA College और MBA Students कि तादात तेजी से बध रही है ऐसे मे यदि देखा जाये तो एक Best MBA college सभी को मिल पान बहुत मुशकिल होत जा रह है Online MBA खस तौर पर उन लोगो के लिये अधिक जरुरत बनता जा रहा है जो लोग अभी किसी जॉब मे पहले से हि कार्यरत है ऐसे मे यदि आप भी अपने काम के सथ सथ Online MBA करने कि सोच…
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prakhar-pravakta · 1 year
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मानस पीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामललाचार्य जी महाराज मानस पीठ खजुरीताल सतना के द्वारा केन्द्रीय सतना में आज षष्ठम दिवस श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ का अमृत पान कराया गया
सतना। श्रीमद् भागवत कथा में आज भगवान श्रीकृष्ण की गोपियों संग रासलीला, भगवान का मथुरा गमन और कस-बध, भगवान श्रीकृष्णकमणि के विवाह की कथा का अमृत पान कराया गया। श्रोतागणों ने मंत्र मुग्ध होकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण किया। भगवान श्रीकृष्ण के मथुरा गमन प्रसंग में माता यशोदा, राधा, गोपियों के विरह का वर्णन करते हुए कथा व्यास महाराज भावुक हो गये। उनके नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली, गला रूद्ध गया।…
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studycarewithgsbrar · 2 years
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बुध और केतु पाप से मुक्ति पाने के लिए है गणेश चतुर्थी का सर्वोत्तम समय, करें ये उपाय - Punjab News Latest Punjabi News Update Today
बुध और केतु पाप से मुक्ति पाने के लिए है गणेश चतुर्थी का सर्वोत्तम समय, करें ये उपाय – Punjab News Latest Punjabi News Update Today
गणेश चतुर्थी 2022, बुधवार: दस दिवसीय गणेश जन्म उत्सव गणेश चतुर्थी से शुरू हो रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व हर वर्ष भाद्रपद के शुभ पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 31 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भक्त इस विशेष दिन पर ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता भगवान गणेश की पूजा करते हैं। पूजा के…
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nationalnewsindia · 1 year
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rickztalk · 1 year
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Budh Uday 2023: बुध के उदित होते ही इन राशियों की खुल जाएगी किस्मत, धनलाभ समेत हर कामना होगी पूरी
Budh Uday 2023: बुध के उदित होते ही इन राशियों की खुल जाएगी किस्मत, धनलाभ समेत हर कामना होगी पूरी
Budh Uday 2023: बुध के उदित होते ही इन राशियों की खुल जाएगी किस्मत, धनलाभ समेत हर कामना होगी पूरी #Budh #Uday #बध #क #उदत #हत #ह #इन #रशय #क #खल #जएग #कसमत #धनलभ #समत #हर #कमन #हग #पर
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ashokgehlotofficial · 2 years
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hindi-matribhasha · 2 years
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P60
बालचरित अति सरल सुहाए। सारद सेष संभु श्रुति गाए॥ जिन कर मन इन्ह सन नहिं राता। ते जन बंचित किए बिधाता॥ भए कुमार जबहिं सब भ्राता। दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता॥ गुरगृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल बिद्या सब आई॥ जाकी सहज स्वास श्रुति चारी। सो हरि पढ़ यह कौतुक भारी॥ बिद्या बिनय निपुन गुन सीला। खेलहिं खेल सकल नृपलीला॥ करतल बान धनुष अति सोहा। देखत रूप चराचर मोहा॥ जिन्ह बीथिन्ह बिहरहिं सब भाई। थकित होहिं सब लोग लुगाई॥ दो0- कोसलपुर बासी नर नारि बृद्ध अरु बाल। प्रानहु ते प्रिय लागत सब कहुँ राम कृपाल॥204॥
बंधु सखा संग लेहिं बोलाई। बन मृगया नित खेलहिं जाई॥ पावन मृग मारहिं जियँ जानी। दिन प्रति नृपहि देखावहिं आनी॥ जे मृग राम बान के मारे। ते तनु तजि सुरलोक सिधारे॥ अनुज सखा सँग भोजन करहीं। मातु पिता अग्या अनुसरहीं॥ जेहि बिधि सुखी होहिं पुर लोगा। करहिं कृपानिधि सोइ संजोगा॥ बेद पुरान सुनहिं मन लाई। आपु कहहिं अनुजन्ह समुझाई॥ प्रातकाल उठि कै रघुनाथा। मातु पिता गुरु नावहिं माथा॥ आयसु मागि करहिं पुर काजा। देखि चरित हरषइ मन राजा॥ दो0-ब्यापक अकल अनीह अज निर्गुन नाम न रूप। भगत हेतु नाना बिधि करत चरित्र अनूप॥205॥
यह सब चरित कहा मैं गाई। आगिलि कथा सुनहु मन लाई॥ बिस्वामित्र महामुनि ग्यानी। बसहि बिपिन सुभ आश्रम जानी॥ जहँ जप जग्य मुनि करही। अति मारीच सुबाहुहि डरहीं॥ देखत जग्य निसाचर धावहि। करहि उपद्रव मुनि दुख पावहिं॥ गाधितनय मन चिंता ब्यापी। हरि बिनु मरहि न निसिचर पापी॥ तब मुनिवर मन कीन्ह बिचारा। प्रभु अवतरेउ हरन महि भारा॥ एहुँ मिस देखौं पद जाई। करि बिनती आनौ दोउ भाई॥ ग्यान बिराग सकल गुन अयना। सो प्रभु मै देखब भरि नयना॥ दो0-बहुबिधि करत मनोरथ जात लागि नहिं बार। करि मज्जन सरऊ जल गए भूप दरबार॥206॥
मुनि आगमन सुना जब राजा। मिलन गयऊ लै बिप्र समाजा॥ करि दंडवत मुनिहि सनमानी। निज आसन बैठारेन्हि आनी॥ चरन पखारि कीन्हि अति पूजा। मो सम आजु धन्य नहिं दूजा॥ बिबिध भाँति भोजन करवावा। मुनिवर हृदयँ हरष अति पावा॥ पुनि चरननि मेले सुत चारी। राम देखि मुनि देह बिसारी॥ भए मगन देखत मुख सोभा। जनु चकोर पूरन ससि लोभा॥ तब मन हरषि बचन कह राऊ। मुनि अस कृपा न कीन्हिहु काऊ॥ केहि कारन आगमन तुम्हारा। कहहु सो करत न लावउँ बारा॥ असुर समूह सतावहिं मोही। मै जाचन आयउँ नृप तोही॥ अनुज समेत देहु रघुनाथा। निसिचर बध मैं होब सनाथा॥ दो0-देहु भूप मन हरषित तजहु मोह अग्यान। धर्म सुजस प्रभु तुम्ह कौं इन्ह कहँ अति कल्यान॥207॥
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mantralipi · 2 years
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Dashera me puja kyun kiya jate he || दशोरा में न दिन पूजा क्यों किया जाते हे
दशेरा दुर्गा पूजा या नवरात्रि हिंदुओ के प्रचलित एक बहुत बड़ा उत्सव है।इस नवरात्रि में मां दुर्गा की न रूपो का न दिनो में पूजा की जाती है और दश्मा दिन में रावण के बध विधि मनाया जाते हे ।हिंदू शास्त्र में चैत्र मास में नव रात्रि मनाया जाते ।दिखा जाए इसी समय अजोद्या के भगवान राजा राम चंद्र ने रावण के बध करने हेतु मां भगवती दुर्गा की आराधना किया था और मां प्रसन्न होके वरदान भी दिया था जिससे दशमी के दिन लंका पति रावण का बध किया हे।इसी खुशी की तिहार में दुर्गा पूजा मनाया जाते हे।दुर्गा पूजा करने का अलग अलग लोगो का अलग अलग मत हे कही कहते हे देवी दुर्गा इस समय महीसाशुर नामक एक राक्षस को बध किया था इस लिए बुराई पर अच्छाई की प्रतीक के रूपमे मां दुर्गा की पूजा किया जाते हे।और कही कहते हे इस समय मां दुर्गा अपनी ससुराल को छोड़कर अपनी पितृलय में निवास करने की आती हे इसलिए साल के यह ९ दिन उत्सव मनाए जाते हे।इस दुर्गा पूजा सबसे अधिक पश्चिम बंगाल में मनाया जाते है।अभी भारत के सवि प्रांत में दुर्गा पूजा के प्रचलन हो गए ।भारत को चोडके नेपाल में भी दुर्गा पूजा प्रचलन है। मां दुर्गा की पूजा मंदिर को ज्यादा पड़ने के लिये
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