SATLOKASHRAMSOJAT . कबीर .इतनी लंम्बी उमर .मरेगा अंत रे
सतगुरू मिले . तो पहुँचेगा सतलोक रे……
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।।सर्व प्रभुओं की आयु मानव वर्ष अनुसार।।
इंद्र - 31 करोड़ लगभग
शची
(14 इन्द्रौं
की पत्नी) - 4 अरब लगभग
ब्राह्मा जी - 31 लाख करोड़ लगभग
विष्णु जी - 2 अरब लाख लगभग
शिवजी - 15 लाख अरब लगभग
ब्रह्म-काल- 25 खरब करोड़ लगभग
परब्रह्म - 2 पदम अरब लगभग
पूर्णब्रह्म कबिर्देव- अजर-अमर
एक ब्रह्मा की आयु 100 (सौ) वर्ष है,किस तरह के 100 वर्ष की है। गौर से नीचे देखिये
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ब्रह्मा का एक दिन = 1008 (एक हजार) चतुर्युग तथा इतनी ही 1008 (एक हज़ार)चतुर्युग की रात्री।
दिन+रात = 2016 (दो हजार सोलह) चतुर्युग।
चार युगो ( (चतुर्युग) की आयु
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सतयुग की आयु = 17,28,000 वर्ष
(17 लाख 28 हजार)
द्वापर युग की आयु = 12,96,000 वर्ष
(12 लाख 96 हज़ार)
त्रेता युग की आयु = 8,64,000 वर्ष
(8 लाख 64 हज़ार)
कलयुग की आयु = 4,32,000 वर्ष
(4 लाख 32 हज़ार)
चार युगौं (चतुर्युग)
की आयु = 43,20,000 वर्ष
43 लाख 20 हज़ार
{नोट - ब्रह्मा जी के एक दिन में 14 इन्द्रों का शासन काल समाप्त हो जाता है। एक इन्द्र का शासन काल बहतर चतुर्युग का होता है।
इंद्र की बीबी शची 14 ईन्द्रौं की बीबी बनती है, फ़िर ये सभी 14 ईन्द्र मर कर गधे बनते है और शची भी मर कर गधी का जीवन प्राप्त होता है.)
इस प्रकार इंद्र का जीवनकाल
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72 चतुर्युग × 43,20,000 = 31,10,40,000
मानव बर्ष
(31 करोड़ 10 लाख 40 हजार मानव वर्ष अनुसार )
शची (14 इंद्रौ की पत्नी) का जीवन काल
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1008 चतुर्युग× 43,20,000 = 4,35,45,60,000 मानव वर्ष
(4 अरब 33 करोड़ 45 लाख 60 हजार मानव वर्ष अनुसार)
इस प्रकार ब्रह्मा जी का एक दिन और रात 2016 चतुर्युग.
1 महीना = 30 गुणा 2016 = 60480 चतुर्युग।
वर्ष = 12 गुणा 60480 = 725760चतुर्युग ।
ब्रह्मा जी की आयु -
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1 महीना = 30 × 2016 = 60480 चतुर्युग।
वर्ष = 12 × 60480 = 725760चतुर्युग ।
7,25,760 × 100 =7,25,76,000 चतुर्युग × 43,20,000(1चतुर्युग)=31,35,28,32,00,00,000 मानव वर्ष
ब्राह्मा जी की आयु है.
(31 नील 33 खरब 28 अरब 32 लाख मानव वर्ष अनुसार )
ब्रह्मा जी से सात गुणा विष्णु जी की आयु -
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7,25,76,000 × 7 = 50,80,32,000 चतुर्युग × 43,20,000(1चतुर्युग) = 2,19,46,98,24,00,00,000 मानव वर्ष
विष्णुजी की आयु है।
(2 पदम 19 मील 46 खरब 98 अरब 24 करोड़ मानव वर्ष अनुसार)
विष्णु से सात गुणा शिव जी की आयु -
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50,80,32,000 × 7 = 3,55,62,24,000 चतुर्युग 15,36,28,87,68,00,00,000 मानव वर्ष .
शिवजी की आयु है
(15 पदम 36 मील 48 खरब 87 अरब 68 करोड़ मानव वर्ष अनुसार )
ऐसे 3,55,62,24,000 चतुर्युग वाले जब सत्तर हजार (70,000) शिवजी मरते है तब ब्राह्मा-विश्नू -शंकर के पिता ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) और इनकी माता दुर्गा -शेरावाली भी मर जाते है.
ब्राह्मा-विश्नू -शंकर के पिता ज्योति निरंजन और दुर्गा -शेरावाली की आयु-
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3,55,62,24,000×70000= 24,89,35,68,00,00,000 चतुर्युग × (1चतुर्युग) = 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 मानव वर्ष
( 25 खरब करोड़ लगभग मानव वर्ष अनुसार)
पूर्ण परमात्मा के द्वारा पूर्व निर्धारित किए 24,89,35,68,00,00,000 चतुर्युग अर्थात 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 मानव वर्ष
समय में काल- ब्राह्म और दुर्गा शेरावाली के 21 ब्रह्मांडो मे से जिस 1 ब्रह्मांड में स्रषटि चल रही होती है उस ब्रह्मांड में महाप्रलय होती है।
यह (सत्तर हजार शिव की मृत्यु अर्थात् एक सदाशिव/ज्योति निरंजन की मृत्यु होती है) एक युग होता है परब्रह्म का।
परब्रह्म का 1 दिन एक हजार युग का होता है इतनी ही 1 हज़ार युग की रात्री होती है 30 दिन-रात का 1 महिना तथा 12 महिनों का परब्रह्म का 1 वर्ष हुआ तथा इस प्रकार का 100 व���्ष की परब्रह्म की आयु है। परब्रह्म की भी मृत्यु होती है। ब्रह्म अर्थात् ज्योति निरंजन की मृत्यु परब्रह्म के एक दिन के पश्चात् ही हो जाती है
परब्रह्म की आयु
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इस प्रकार परब्रह्म जी का एक दिन और रात 1,000 +1,000 = 2,000 युग
1 महीना = 30 × 2,000= 6,000 युग
1 वर्ष = 12 × 6,000= 72,000 युग ।
100 वर्ष = 100 × 72,000 = 72,00,000 युग.
72,00,000 युग × 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 काल के जीवन के मानव वर्ष = 2,01,63,79,00,80,00,00,00,00,00,00,000
(2 पदम अरब लगभग मानव वर्ष अनुसार)
नोट-
अर्थात परब्रह्म के जीवन काल में 72,00,000 बार काल- ब्राह्म और दुर्गा शेरावाली का जन्म-मरण हो जाता है!!!.
परब्रह्म के सौ वर्ष पूरे होने के पश्चात परब्रह्म की भी म्रत्यु हो जाती है.ईस तीसरी दिव्य महाप्रलय में एक धुधुंकार शंख बजता है .और परब्रह्म सहित इसके 7 संख ब्रह्मांडो के सभी जीव ,काल-ब्रह्म और दुर्गा सहित सर्व 21 ब्रह्मण्ड,उसके जीव ,ब्रह्मा- विश्नू -शिवजी , देव,ऋषि व अन्य ब्रह्मांड सब कुछ नष्ट हो जाते हैं।
कबीर .इतनी लंम्बी उमर .मरेगा अंत रे
सतगुरू मिले . तो पहुँचेगा सतलोक रे.……………………
केवल सतलोक व ऊपर के तीनों लोक अगम लोक,अलख लोक,अनामी लोक ही शेष रहते हैं।
सतपूरुष के बनाये विधान द्वारा सतपूरुष के पुत्र अचिन्त द्वारा ये तीसरी दिव्य महाप्रलय और फ़िर स्रषटि रची जाती है. किंतु सतलोक गये जीव फ़िर जन्म -मरण में नही आते है.
इस प्रकार कबिर्देव परमात्मा ने कहा है कि करोड़ों ज्योति निरंजन मर लिए मेरी एक पल भी आयु कम नहीं हुई है अर्थात् मैं वास्तव में अमर पुरुष कबिर्देव हुँ|
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सर्वजन हित में जारी.
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सतगुरू मिले . तो पहुँचेगा सतलोक रे……
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।।सर्व प्रभुओं की आयु मानव वर्ष अनुसार।।
इंद्र - 31 करोड़ लगभग
शची
(14 इन्द्रौं
की पत्नी) - 4 अरब लगभग
ब्राह्मा जी - 31 लाख करोड़ लगभग
विष्णु जी - 2 अरब लाख लगभग
शिवजी - 15 लाख अरब लगभग
ब्रह्म-काल- 25 खरब करोड़ लगभग
परब्रह्म - 2 पदम अरब लगभग
पूर्णब्रह्म कबिर्देव- अजर-अमर
एक ब्रह्मा की आयु 100 (सौ) वर्ष है,किस तरह के 100 वर्ष की है। गौर से नीचे देखिये
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ब्रह्मा का एक दिन = 1008 (एक हजार) चतुर्युग तथा इतनी ही 1008 (एक हज़ार)चतुर्युग की रात्री।
दिन+रात = 2016 (दो हजार सोलह) चतुर्युग।
चार युगो ( (चतुर्युग) की आयु
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सतयुग की आयु = 17,28,000 वर्ष
(17 लाख 28 हजार)
द्वापर युग की आयु = 12,96,000 वर्ष
(12 लाख 96 हज़ार)
त्रेता युग की आयु = 8,64,000 वर्ष
(8 लाख 64 हज़ार)
कलयुग की आयु = 4,32,000 वर्ष
(4 लाख 32 हज़ार)
चार युगौं (चतुर्युग)
की आयु = 43,20,000 वर्ष
43 लाख 20 हज़ार
{नोट - ब्रह्मा जी के एक दिन में 14 इन्द्रों का शासन काल समाप्त हो जाता है। एक इन्द्र का शासन काल बहतर चतुर्युग का होता है।
इंद्र की बीबी शची 14 ईन्द्रौं की बीबी बनती है, फ़िर ये सभी 14 ईन्द्र मर कर गधे बनते है और शची भी मर कर गधी का जीवन प्राप्त होता है.)
इस प्रकार इंद्र का जीवनकाल
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72 चतुर्युग × 43,20,000 = 31,10,40,000
मानव बर्ष
(31 करोड़ 10 लाख 40 हजार मानव वर्ष अनुसार )
शची (14 इंद्रौ की पत्नी) का जीवन काल
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1008 चतुर्युग× 43,20,000 = 4,35,45,60,000 मानव वर्ष
(4 अरब 33 करोड़ 45 लाख 60 हजार मानव वर्ष अनुसार)
इस प्रकार ब्रह्मा जी का एक दिन और रात 2016 चतुर्युग.
1 महीना = 30 गुणा 2016 = 60480 चतुर्युग।
वर्ष = 12 गुणा 60480 = 725760चतुर्युग ।
ब्रह्मा जी की आयु -
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1 महीना = 30 × 2016 = 60480 चतुर्युग।
वर्ष = 12 × 60480 = 725760चतुर्युग ।
7,25,760 × 100 =7,25,76,000 चतुर्युग × 43,20,000(1चतुर्युग)=31,35,28,32,00,00,000 मानव वर्ष
ब्राह्मा जी की आयु है.
(31 नील 33 खरब 28 अरब 32 लाख मानव वर्ष अनुसार )
ब्रह्मा जी से सात गुणा विष्णु जी की आयु -
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7,25,76,000 × 7 = 50,80,32,000 चतुर्युग × 43,20,000(1चतुर्युग) = 2,19,46,98,24,00,00,000 मानव वर्ष
विष्णुजी की आयु है।
(2 पदम 19 मील 46 खरब 98 अरब 24 करोड़ मानव वर्ष अनुसार)
विष्णु से सात गुणा शिव जी की आयु -
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50,80,32,000 × 7 = 3,55,62,24,000 चतुर्युग 15,36,28,87,68,00,00,000 मानव वर्ष .
शिवजी की आयु है
(15 पदम 36 मील 48 खरब 87 अरब 68 करोड़ मानव वर्ष अनुसार )
ऐसे 3,55,62,24,000 चतुर्युग वाले जब सत्तर हजार (70,000) शिवजी मरते है तब ब्राह्मा-विश्नू -शंकर के पिता ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) और इनकी माता दुर्गा -शेरावाली भी मर जाते है.
ब्राह्मा-विश्नू -शंकर के पिता ज्योति निरंजन और दुर्गा -शेरावाली की आयु-
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3,55,62,24,000×70000= 24,89,35,68,00,00,000 चतुर्युग × (1चतुर्युग) = 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 मानव वर्ष
( 25 खरब करोड़ लगभग मानव वर्ष अनुसार)
पूर्ण परमात्मा के द्वारा पूर्व निर्धारित किए 24,89,35,68,00,00,000 चतुर्युग अर्थात 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 मानव वर्ष
समय में काल- ब्राह्म और दुर्गा शेरावाली के 21 ब्रह्मांडो मे से जिस 1 ब्रह्मांड में स्रषटि चल रही होती है उस ब्रह्मांड में महाप्रलय होती है।
यह (सत्तर हजार शिव की मृत्यु अर्थात् एक सदाशिव/ज्योति निरंजन की मृत्यु होती है) एक युग होता है परब्रह्म का।
परब्रह्म का 1 दिन एक हजार युग का होता है इतनी ही 1 हज़ार युग की रात्री होती है 30 दिन-रात का 1 महिना तथा 12 महिनों का परब्रह्म का 1 वर्ष हुआ तथा इस प्रकार का 100 वर्ष की परब्रह्म की आयु है। परब्रह्म की भी मृत्यु होती है। ब्रह्म अर्थात् ज्योति निरंजन की मृत्यु परब्रह्म के एक दिन के पश्चात् ही हो जाती है
परब्रह्म की आयु
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इस प्रकार परब्रह्म जी का एक दिन और रात 1,000 +1,000 = 2,000 युग
1 महीना = 30 × 2,000= 6,000 युग
1 वर्ष = 12 × 6,000= 72,000 युग ।
100 वर्ष = 100 × 72,000 = 72,00,000 युग.
72,00,000 युग × 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 काल के जीवन के मानव वर्ष = 2,01,63,79,00,80,00,00,00,00,00,00,000
(2 पदम अरब लगभग मानव वर्ष अनुसार)
नोट-
अर्थात परब्रह्म के जीवन काल में 72,00,000 बार काल- ब्राह्म और दुर्गा शेरावाली का जन्म-मरण हो जाता है!!!.
परब्रह्म के सौ वर्ष पूरे होने के पश्चात परब्रह्म की भी म्रत्यु हो जाती है.ईस तीसरी दिव्य महाप्रलय में एक धुधुंकार शंख बजता है .और परब्रह्म सहित इसके 7 संख ब्रह्मांडो के सभी जीव ,काल-ब्रह्म और दुर्गा सहित सर्व 21 ब्रह्मण्ड,उसके जीव ,ब्रह्मा- विश्नू -शिवजी , देव,ऋषि व अन्य ब्रह्मां��� सब कुछ नष्ट हो जाते हैं।
कबीर .इतनी लंम्बी उमर .मरेगा अंत रे
सतगुरू मिले . तो पहुँचेगा सतलोक रे.……………………
केवल सतलोक व ऊपर के तीनों लोक अगम लोक,अलख लोक,अनामी लोक ही शेष रहते हैं।
सतपूरुष के बनाये विधान द्वारा सतपूरुष के पुत्र अचिन्त द्वारा ये तीसरी दिव्य महाप्रलय और फ़िर स्रषटि रची जाती है. किंतु सतलोक गये जीव फ़िर जन्म -मरण में नही आते है.
इस प्रकार कबिर्देव परमात्मा ने कहा है कि करोड़ों ज्योति निरंजन मर लिए मेरी एक पल भी आयु कम नहीं हुई है अर्थात् मैं वास्तव में अमर पुरुष कबिर्देव हुँ|
www.jagatgururampalji.org पर जाकर ज्ञान गंगा पुस्तक डाउन्लोड कर अवश्य पढीये. या घर पर मुफ़्त पुस्तक प्राप्त करने के लिए अपना पता मेसेज किजिये.
सर्वजन हित में जारी.
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