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#त्रेता युग
ramanan50 · 1 year
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क्या श्री राम की मृत्यु श्रीकृष्ण की मृत्यु से केवल 200 वर्ष पहले हुई थी
कृष्ण द्वापर युग में रहते थे, जो त्रेता युग के 8,64,000 साल बाद हुआ था। हम सभी जानते हैं कि रामायण त्रेता युग में हुई थी हालांकि, जब हम वास्तविक खगोलीय घटनाओं जैसे राम की कुंडली, रामायण और महाभारत के दौरान हुए ग्रहणों से विभिन्न पुराणों और ज्योतिषीय आंकड़ों को क्रॉस-सारणीबद्ध करते हैं, तो ये जांच स्थापित करती हैं कि श्री राम की मृत्यु कृष्ण से केवल 200 साल पहले हुई थी। मेरे विचार से यह…
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satyaparkashsworld · 9 months
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solankirakesh · 11 months
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ratanlal01 · 11 months
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sodansinghsblog · 11 months
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singhmeena · 11 months
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sanjaygarg · 1 year
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nkataria2024 · 25 days
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#KabirIsRealGod
#GodMorningThursday
त्रेता युग में कबीर परमेश्वर मुनींद्र नाम से प्रकट हुए तथा नल व नील को शरण में लिया।
#SantRampajiQuotes
#सत_भक्ति_संदेश
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kisturdas · 4 months
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SATLOKASHRAMSOJAT . कबीर .इतनी लंम्बी उमर .मरेगा अंत रे
सतगुरू मिले . तो पहुँचेगा सतलोक रे……
============================
।।सर्व प्रभुओं की आयु मानव वर्ष अनुसार।।
इंद्र - 31 करोड़ लगभग
शची
(14 इन्द्रौं
की पत्नी) - 4 अरब लगभग
ब्राह्मा जी - 31 लाख करोड़ लगभग
विष्णु जी - 2 अरब लाख लगभग
शिवजी - 15 लाख अरब लगभग
ब्रह्म-काल- 25 खरब करोड़ लगभग
परब्रह्म - 2 पदम अरब लगभग
पूर्णब्रह्म कबिर्देव- अजर-अमर
एक ब्रह्मा की आयु 100 (सौ) वर्ष है,किस तरह के 100 वर्ष की है। गौर से नीचे देखिये
@@@@@@@@@@@@@@@@@@
ब्रह्मा का एक दिन = 1008 (एक हजार) चतुर्युग तथा इतनी ही 1008 (एक हज़ार)चतुर्युग की रात्री।
दिन+रात = 2016 (दो हजार सोलह) चतुर्युग।
चार युगो ( (चतुर्युग) की आयु
@@@@@@@@@@@@@@@
सतयुग की आयु = 17,28,000 वर्ष
(17 लाख 28 हजार)
द्वापर युग की आयु = 12,96,000 वर्ष
(12 लाख 96 हज़ार)
त्रेता युग की आयु = 8,64,000 वर्ष
(8 लाख 64 हज़ार)
कलयुग की आयु = 4,32,000 वर्ष
(4 लाख 32 हज़ार)
चार युगौं (चतुर्युग)
की आयु = 43,20,000 वर्ष
43 लाख 20 हज़ार
{नोट - ब्रह्मा जी के एक दिन में 14 इन्द्रों का शासन काल समाप्त हो जाता है। एक इन्द्र का शासन काल बहतर चतुर्युग का होता है।
इंद्र की बीबी शची 14 ईन्द्रौं की बीबी बनती है, फ़िर ये सभी 14 ईन्द्र मर कर गधे बनते है और शची भी मर कर गधी का जीवन प्राप्त होता है.)
इस प्रकार इंद्र का जीवनकाल
®®®®®®®®®®®®®®®
72 चतुर्युग × 43,20,000 = 31,10,40,000
मानव बर्ष
(31 करोड़ 10 लाख 40 हजार मानव वर्ष अनुसार )
शची (14 इंद्रौ की पत्नी) का जीवन काल
®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®
1008 चतुर्युग× 43,20,000 = 4,35,45,60,000 मानव वर्ष
(4 अरब 33 करोड़ 45 लाख 60 हजार मानव वर्ष अनुसार)
इस प्रकार ब्रह्मा जी का एक दिन और रात 2016 चतुर्युग.
1 महीना = 30 गुणा 2016 = 60480 चतुर्युग।
वर्ष = 12 गुणा 60480 = 725760चतुर्युग ।
ब्रह्मा जी की आयु -
®®®®®®®®®
1 महीना = 30 × 2016 = 60480 चतुर्युग।
वर्ष = 12 × 60480 = 725760चतुर्युग ।
7,25,760 × 100 =7,25,76,000 चतुर्युग × 43,20,000(1चतुर्युग)=31,35,28,32,00,00,000 मानव वर्ष
ब्राह्मा जी की आयु है.
(31 नील 33 खरब 28 अरब 32 लाख मानव वर्ष अनुसार )
ब्रह्मा जी से सात गुणा विष्णु जी की आयु -
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7,25,76,000 × 7 = 50,80,32,000 चतुर्युग × 43,20,000(1चतुर्युग) = 2,19,46,98,24,00,00,000 मानव वर्ष
विष्णुजी की आयु है।
(2 पदम 19 मील 46 खरब 98 अरब 24 करोड़ मानव वर्ष अनुसार)
विष्णु से सात गुणा शिव जी की आयु -
®®®®®®®®®®®®®®®®®®
50,80,32,000 × 7 = 3,55,62,24,000 चतुर्युग 15,36,28,87,68,00,00,000 मानव वर्ष .
शिवजी की आयु है
(15 पदम 36 मील 48 खरब 87 अरब 68 करोड़ मानव वर्ष अनुसार )
ऐसे 3,55,62,24,000 चतुर्युग वाले जब सत्तर हजार (70,000) शिवजी मरते है तब ब्राह्मा-विश्नू -शंकर के पिता ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) और इनकी माता दुर्गा -शेरावाली भी मर जाते है.
ब्राह्मा-विश्नू -शंकर के पिता ज्योति निरंजन और दुर्गा -शेरावाली की आयु-
®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®
3,55,62,24,000×70000= 24,89,35,68,00,00,000 चतुर्युग × (1चतुर्युग) = 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 मानव वर्ष
( 25 खरब करोड़ लगभग मानव वर्ष अनुसार)
पूर्ण परमात्मा के द्वारा पूर्व निर्धारित किए 24,89,35,68,00,00,000 चतुर्युग अर्थात 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 मानव वर्ष
समय में काल- ब्राह्म और दुर्गा शेरावाली के 21 ब्रह्मांडो मे से जिस 1 ब्रह्मांड में स्रषटि चल रही होती है उस ब्रह्मांड में महाप्रलय होती है।
यह (सत्तर हजार शिव की मृत्यु अर्थात् एक सदाशिव/ज्योति निरंजन की मृत्यु होती है) एक युग होता है परब्रह्म का।
परब्रह्म का 1 दिन एक हजार युग का होता है इतनी ही 1 हज़ार युग की रात्री होती है 30 दिन-रात का 1 महिना तथा 12 महिनों का परब्रह्म का 1 वर्ष हुआ तथा इस प्रकार का 100 व���्ष की परब्रह्म की आयु है। परब्रह्म की भी मृत्यु होती है। ब्रह्म अर्थात् ज्योति निरंजन की मृत्यु परब्रह्म के एक दिन के पश्चात् ही हो जाती है
परब्रह्म की आयु
®®®®®®®®®
इस प्रकार परब्रह्म जी का एक दिन और रात 1,000 +1,000 = 2,000 युग
1 महीना = 30 × 2,000= 6,000 युग
1 वर्ष = 12 × 6,000= 72,000 युग ।
100 वर्ष = 100 × 72,000 = 72,00,000 युग.
72,00,000 युग × 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 काल के जीवन के मानव वर्ष = 2,01,63,79,00,80,00,00,00,00,00,00,000
(2 पदम अरब लगभग मानव वर्ष अनुसार)
नोट-
अर्थात परब्रह्म के जीवन काल में 72,00,000 बार काल- ब्राह्म और दुर्गा शेरावाली का जन्म-मरण हो जाता है!!!.
परब्रह्म के सौ वर्ष पूरे होने के पश्चात परब्रह्म की भी म्रत्यु हो जाती है.ईस तीसरी दिव्य महाप्रलय में एक धुधुंकार शंख बजता है .और परब्रह्म सहित इसके 7 संख ब्रह्मांडो के सभी जीव ,काल-ब्रह्म और दुर्गा सहित सर्व 21 ब्रह्मण्ड,उसके जीव ,ब्रह्मा- विश्नू -शिवजी , देव,ऋषि व अन्य ब्रह्मांड सब कुछ नष्ट हो जाते हैं।
कबीर .इतनी लंम्बी उमर .मरेगा अंत रे
सतगुरू मिले . तो पहुँचेगा सतलोक रे.……………………
केवल सतलोक व ऊपर के तीनों लोक अगम लोक,अलख लोक,अनामी लोक ही शेष रहते हैं।
सतपूरुष के बनाये विधान द्वारा सतपूरुष के पुत्र अचिन्त द्वारा ये तीसरी दिव्य महाप्रलय और फ़िर स्रषटि रची जाती है. किंतु सतलोक गये जीव फ़िर जन्म -मरण में नही आते है.
इस प्रकार कबिर्देव परमात्मा ने कहा है कि करोड़ों ज्योति निरंजन मर लिए मेरी एक पल भी आयु कम नहीं हुई है अर्थात् मैं वास्तव में अमर पुरुष कबिर्देव हुँ|
www.jagatgururampalji.org पर जाकर ज्ञान गंगा पुस्तक डाउन्लोड कर अवश्य पढीये. या घर पर मुफ़्त पुस्तक प्राप्त करने के लिए अपना पता मेसेज किजिये.
सर्वजन हित में जारी.
शेयर अवश्य किजिये.. कबीर .इतनी लंम्बी उमर .मरेगा अंत रे
सतगुरू मिले . तो पहुँचेगा सतलोक रे……
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।।सर्व प्रभुओं की आयु मानव वर्ष अनुसार।।
इंद्र - 31 करोड़ लगभग
शची
(14 इन्द्रौं
की पत्नी) - 4 अरब लगभग
ब्राह्मा जी - 31 लाख करोड़ लगभग
विष्णु जी - 2 अरब लाख लगभग
शिवजी - 15 लाख अरब लगभग
ब्रह्म-काल- 25 खरब करोड़ लगभग
परब्रह्म - 2 पदम अरब लगभग
पूर्णब्रह्म कबिर्देव- अजर-अमर
एक ब्रह्मा की आयु 100 (सौ) वर्ष है,किस तरह के 100 वर्ष की है। गौर से नीचे देखिये
@@@@@@@@@@@@@@@@@@
ब्रह्मा का एक दिन = 1008 (एक हजार) चतुर्युग तथा इतनी ही 1008 (एक हज़ार)चतुर्युग की रात्री।
दिन+रात = 2016 (दो हजार सोलह) चतुर्युग।
चार युगो ( (चतुर्युग) की आयु
@@@@@@@@@@@@@@@
सतयुग की आयु = 17,28,000 वर्ष
(17 लाख 28 हजार)
द्वापर युग की आयु = 12,96,000 वर्ष
(12 लाख 96 हज़ार)
त्रेता युग की आयु = 8,64,000 वर्ष
(8 लाख 64 हज़ार)
कलयुग की आयु = 4,32,000 वर्ष
(4 लाख 32 हज़ार)
चार युगौं (चतुर्युग)
की आयु = 43,20,000 वर्ष
43 लाख 20 हज़ार
{नोट - ब्रह्मा जी के एक दिन में 14 इन्द्रों का शासन काल समाप्त हो जाता है। एक इन्द्र का शासन काल बहतर चतुर्युग का होता है।
इंद्र की बीबी शची 14 ईन्द्रौं की बीबी बनती है, फ़िर ये सभी 14 ईन्द्र मर कर गधे बनते है और शची भी मर कर गधी का जीवन प्राप्त होता है.)
इस प्रकार इंद्र का जीवनकाल
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72 चतुर्युग × 43,20,000 = 31,10,40,000
मानव बर्ष
(31 करोड़ 10 लाख 40 हजार मानव वर्ष अनुसार )
शची (14 इंद्रौ की पत्नी) का जीवन काल
®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®
1008 चतुर्युग× 43,20,000 = 4,35,45,60,000 मानव वर्ष
(4 अरब 33 करोड़ 45 लाख 60 हजार मानव वर्ष अनुसार)
इस प्रकार ब्रह्मा जी का एक दिन और रात 2016 चतुर्युग.
1 महीना = 30 गुणा 2016 = 60480 चतुर्युग।
वर्ष = 12 गुणा 60480 = 725760चतुर्युग ।
ब्रह्मा जी की आयु -
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1 महीना = 30 × 2016 = 60480 चतुर्युग।
वर्ष = 12 × 60480 = 725760चतुर्युग ।
7,25,760 × 100 =7,25,76,000 चतुर्युग × 43,20,000(1चतुर्युग)=31,35,28,32,00,00,000 मानव वर्ष
ब्राह्मा जी की आयु है.
(31 नील 33 खरब 28 अरब 32 लाख मानव वर्ष अनुसार )
ब्रह्मा जी से सात गुणा विष्णु जी की आयु -
®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®
7,25,76,000 × 7 = 50,80,32,000 चतुर्युग × 43,20,000(1चतुर्युग) = 2,19,46,98,24,00,00,000 मानव वर्ष
विष्णुजी की आयु है।
(2 पदम 19 मील 46 खरब 98 अरब 24 करोड़ मानव वर्ष अनुसार)
विष्णु से सात गुणा शिव जी की आयु -
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50,80,32,000 × 7 = 3,55,62,24,000 चतुर्युग 15,36,28,87,68,00,00,000 मानव वर्ष .
शिवजी की आयु है
(15 पदम 36 मील 48 खरब 87 अरब 68 करोड़ मानव वर्ष अनुसार )
ऐसे 3,55,62,24,000 चतुर्युग वाले जब सत्तर हजार (70,000) शिवजी मरते है तब ब्राह्मा-विश्नू -शंकर के पिता ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) और इनकी माता दुर्गा -शेरावाली भी मर जाते है.
ब्राह्मा-विश्नू -शंकर के पिता ज्योति निरंजन और दुर्गा -शेरावाली की आयु-
®®®®®®®®®®®®®®®®®®®®
3,55,62,24,000×70000= 24,89,35,68,00,00,000 चतुर्युग × (1चतुर्युग) = 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 मानव वर्ष
( 25 खरब करोड़ लगभग मानव वर्ष अनुसार)
पूर्ण परमात्मा के द्वारा पूर्व निर्धारित किए 24,89,35,68,00,00,000 चतुर्युग अर्थात 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 मानव वर्ष
समय में काल- ब्राह्म और दुर्गा शेरावाली के 21 ब्रह्मांडो मे से जिस 1 ब्रह्मांड में स्रषटि चल रही होती है उस ब्रह्मांड में महाप्रलय होती है।
यह (सत्तर हजार शिव की मृत्यु अर्थात् एक सदाशिव/ज्योति निरंजन की मृत्यु होती है) एक युग होता है परब्रह्म का।
परब्रह्म का 1 दिन एक हजार युग का होता है इतनी ही 1 हज़ार युग की रात्री होती है 30 दिन-रात का 1 महिना तथा 12 महिनों का परब्रह्म का 1 वर्ष हुआ तथा इस प्रकार का 100 वर्ष की परब्रह्म की आयु है। परब्रह्म की भी मृत्यु होती है। ब्रह्म अर्थात् ज्योति निरंजन की मृत्यु परब्रह्म के एक दिन के पश्चात् ही हो जाती है
परब्रह्म की आयु
®®®®®®®®®
इस प्रकार परब्रह्म जी का एक दिन और रात 1,000 +1,000 = 2,000 युग
1 महीना = 30 × 2,000= 6,000 युग
1 वर्ष = 12 × 6,000= 72,000 युग ।
100 वर्ष = 100 × 72,000 = 72,00,000 युग.
72,00,000 युग × 2,24,04,21,12,00,00,00,00,000 काल के जीवन के मानव वर्ष = 2,01,63,79,00,80,00,00,00,00,00,00,000
(2 पदम अरब लगभग मानव वर्ष अनुसार)
नोट-
अर्थात परब्रह्म के जीवन काल में 72,00,000 बार काल- ब्राह्म और दुर्गा शेरावाली का जन्म-मरण हो जाता है!!!.
परब्रह्म के सौ वर्ष पूरे होने के पश्चात परब्रह्म की भी म्रत्यु हो जाती है.ईस तीसरी दिव्य महाप्रलय में एक धुधुंकार शंख बजता है .और परब्रह्म सहित इसके 7 संख ब्रह्मांडो के सभी जीव ,काल-ब्रह्म और दुर्गा सहित सर्व 21 ब्रह्मण्ड,उसके जीव ,ब्रह्मा- विश्नू -शिवजी , देव,ऋषि व अन्य ब्रह्मां��� सब कुछ नष्ट हो जाते हैं।
कबीर .इतनी लंम्बी उमर .मरेगा अंत रे
सतगुरू मिले . तो पहुँचेगा सतलोक रे.……………………
केवल सतलोक व ऊपर के तीनों लोक अगम लोक,अलख लोक,अनामी लोक ही शेष रहते हैं।
सतपूरुष के बनाये विधान द्वारा सतपूरुष के पुत्र अचिन्त द्वारा ये तीसरी दिव्य महाप्रलय और फ़िर स्रषटि रची जाती है. किंतु सतलोक गये जीव फ़िर जन्म -मरण में नही आते है.
इस प्रकार कबिर्देव परमात्मा ने कहा है कि करोड़ों ज्योति निरंजन मर लिए मेरी एक पल भी आयु कम नहीं हुई है अर्थात् मैं वास्तव में अमर पुरुष कबिर्देव हुँ|
www.jagatgururampalji.org पर जाकर ज्ञान गंगा पुस्तक डाउन्लोड कर अवश्य पढीये. या घर पर मुफ़्त पुस्तक प्राप्त करने के लिए अपना पता मेसेज किजिये.
सर्वजन हित में जारी.
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junusworld · 11 months
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🍁कबीर परमेश्वर चारों युगों में आते हैं।🍁
कबीर परमेश्वर 600 वर्ष पहले सिर्फ कलयुग में ही लीला करने नहीं आए बल्कि वे चारों युगों में आते हैं।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) वेदों के ज्ञान से भी पूर्व सतलोक में विद्यमान थे तथा अपना वास्तविक ज्ञान (तत्वज्ञान) देने के लिए चारों युगों में भी स्वयं प्रकट हुए हैं।
सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करूणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए हैं।
यजुर्वेद के अध्याय नं. 29 के श्लोक नं. 25:-
जिस समय पूर्ण परमात्मा प्रकट होता है उस समय सर्व ऋषि व सन्त जन शास्त्र विधि त्याग कर मनमाना आचरण अर्थात् पूजा कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं ही कबीर प्रभु ही आता है।
कबीर परमेश्वर चारों युगों में अपने सत्य ज्ञान का प्रचार करने आते हैं।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, चारों युग प्रवान।
झूठे गुरुवा मर गए, हो गए भूत मसान।।
कबीर परमात्मा अन्य रूप धारण करके कभी भी प्रकट होकर अपनी लीला करके अन्तर्ध्यान हो जाते हैं। उस समय लीला करने आए परमेश्वर को प्रभु चाहने वाले श्रद्धालु नहीं पहचान पाते, क्योंकि सर्व महर्षियों व संत कहलाने वालों ने प्रभु को निराकार बताया है। वास्तव में परमात्मा आकार में है। मनुष्य सदृश शरीर युक्त है।
परमेश्वर का शरीर नाड़ियों के योग से बना पांच तत्व का नहीं है। एक नूर तत्व से बना है। पूर्ण परमात्मा जब चाहे यहाँ प्रकट हो जाते हैं वे कभी मां से जन्म नहीं लेते क्योंकि वे सर्व के उत्पत्ति कर्ता हैं।
द्वापर युग में भक्ति को जिंदा रखने के लिए कबीर परमेश्वर ने ही द्रौपदी का चीर बढ़ाया जिसे जन समाज मानता है कि वह भगवान कृष्ण ने बढ़ाया। कृष्ण भगवान तो उस वक्त अपनी पत्नी रुकमणी के साथ चौसर खेल रहे थे।
गरीब, पीतांबर कूं पारि करि, द्रौपदी दिन्ही लीर।
अंधेकू कोपीन कसि, धनी कबीर बधाये चीर।।
कोई कहता था कि त्रेता युग में हनुमान जी ने पत्थर पर राम का नाम लिख दिया था इसलिए पत्थर तैर गये। कोई कहता था कि नल-नील ने पुल बनाया था। कोई कहता था कि श्रीराम ने पुल बनाया था। परन्तु सत्य यह है कि समुद्र पर पुल त्रेतायुग में ऋषि मुनिदर जी रूप में आए कबीर साहेब जी के आशीर्वाद से बना। प्रमाणित वाणी:-
रहे नल नील जतन कर हार। तब सतगुरू से करी पुकार।।
जा सत रेखा लिखी अपार, सिन्धु पर शिला तिराने वाले। धन-धन सतगुरु सत कबीर, भक्त की पीर मिटाने वाले।।
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17
शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निमरूतः गणेन।
कविर्गीर्भि काव्येना कविर् सन्त् सोमः पवित्रम् अत्येति रेभन्।।
विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर पूर्ण परमात्मा कविर्देव अपने वास्तविक ज्ञान को अपनी कविर्गिभिः अर्थात् कबीर बाणी द्वारा पुण्यात्मा अनुयायियों को कवि रूप में कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा वर्णन करता है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही होता है।
#SantRampalJiMaharaj
#AppearanceOfGodKabirInKalyug
#GodKabir_Appears_In_4_Yugas
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rohit-daas · 1 year
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#DivineTeachings_Of_GodKabir
चारों युग प्रमाण
सतयुग में सत सुकृत कह टेरा, त्रेता नाम मुर्नीद्र मेरा | द्वापर में करूणामय कहाया, कलयुग नाम कबीर धराया ।
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melancholic-academia · 5 months
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मैं रस ढूंढ लेता हूं
मैं कश यूं लेता हूं
की बस झूम लेता हूं
मैं द्वापर युग में त्रेता हूं
मैं स्वैग का विक्रेता हूं
मैं हर बला की जड़ भी हूं
दवा दुआ असर भी हूं
मैं स्वर्ण की अशर्फी हूं
जो खोटा सिक्का हो गया
मैं स्वर्ण की अशर्फी हूं
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satyaparkashsworld · 9 months
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indrabalakhanna · 6 months
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#Tuesday
#tuesdaymotivations
#TuesdayFeeling
#tuesdayvibe
#KabirIsGod
#हिन्दूसाहेबान_नहीं_समझे गीता वेद पुराण
Sant Rampal Ji Maharaj App
🙏
#सनातन_धर्म_ही_ सर्वश्रेष्ठ_है
#Hindu #hinduism
#Gita #BhagavadGita #Vedas #vedicastrology #trending #photograhy #photooftheday
परमात्मा शरीर के कमलों में तथा बाहर सब जगह विद्यमान है |
आदि सनातन हिंदू धर्म महान है |
कबीर साहेब भगवान है 📕वेदों में प्रमाण है |🙏
👉🏽श्रीमदभगवतगीता अध्याय 15 श्लोक 17 अनुसार सबका धारण पोषण करने वाला परमात्मा कौन? 👉🏽सतयुग और त्रेता युग तथा द्वापर युग में एक सनातन धर्म ही था,तो कलयुग में मानव अनेक धर्म में क्यों और कैसे बंट गया | 👉🏽सनातनी पूजा का अंत कैसे हुआ और सनातनी पूजा का पुनः उत्थान कैसे होगा |
👉🏽पवित्र गीता में अध्याय 18 श्लोक 62 में निहित सनातन परमधाम कौन सा है?,जहां परम शांति है और वह कैसे? प्राप्त होगा |
👉🏽पूजा और साधना में क्या अंतर है ?
👉🏽देवी के अनेकों मंदिरों की स्थापना कैसे हुई ?
👉🏽शिवलिंग की पूजा कैसे प्रारंभ हुई ?इस पूजा से क्या लाभ संभव है ?
👉🏽क्या गीता ज्ञान दाता क्षर पुरुष (ब्रह्म) की भक्ति करनी चाहिए |
अपने सभी प्रश्नों का शास्त्र युक्त सत्य तत्व ज्ञान से भरा सत्य उत्तर जानने के लिए 🙏 अवश्य पढ़ें पवित्र 📙हिन्दू साहेबान! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण
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ranjit19372 · 6 months
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#SpiritualMessageOnDussehra
क्या आप जानते हैं रावण की पत्नी मंदोदरी ने त्रेता युग में मुनिंद्र रुप में आए परमात्मा कबीर साहेब जी से अपने पति रावण को भी अपनी शरण में लेने को कहा। लेकिन अभिमानी रावण नहीं माना और पतन को प्राप्त हुआ।
ज्ञान गंगा पढें और विस्तार से जानें कौन थे मुनींद्र जी।
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