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#छोटे बच्चों की कहानी छोटे बच्चों की कहानी
knowledgeworld07 · 3 months
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छोटे बच्चों की कहानी श्रद्धा और कैटी की दोस्ती Moral Stories In Hindi 
छोटे बच्चों की कहानी श्रद्धा और कैटी छोटे बच्चों की कहानी, छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां, Bacchon Ke Liye Kahaniyan, Moral Stories In Hindi ! एक बार एक छोटे से गाँव में श्रद्धा नाम की एक छोटी लड़की रहती थी। श्रद्धा अपने दयालु हृदय और जानवरों, विशेषकर बिल्लियों के प्रति अपने प्यार के लिए जानी जाती थीं। वह हमेशा अपनी खुद की एक पालतू बिल्ली रखना चाहती थी, लेकिन उसका परिवार एक का खर्च नहीं उठा सकता…
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dainiksamachar · 28 days
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चीख-पुकार, हाहाकार... ढाई घंटे में तेंदुए ने नौ लोंगों को बनाया शिकार, हिला देगी कोहराम की यह कहानी
नई दिल्ली: सोमवार की सुबह नॉर्थ दिल्ली के जगतपुर गांव में जो हुआ, ऐसा दिल्ली में पहले न कभी हुआ न किसी ने सुना। लोग घरों में नींद से उठे ही थे कि एक घर में चीख पुकार और कोहराम मच गया। पूरे इलाके के लोग अपने तौर पर कयास लगाते हुए कुछ समझ पाते। मालूम चला कि गांव में तेंदुआ घुस आया है और कई लोगों को जख्मी कर दिया है। जिसके बाद लोगों में अफरा-तफरी मच गई। घटना की जानकारी मिलते ही लोकल पुलिस, दमकल विभाग की टीम, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट व संबंधित ऐेजेंसी पहुंच गए। कई घंटे तक इलाके में तेंदुए के लिए चले धरपकड़ ऑपरेशन के बाद उसे पकड़ा जा सका। शुरुआती जानकारी के तौर पर पुलिस ने पहले तीन लोगों के गंभीर तौर पर जख्मी होने की पुष्टि की। इसके बाद घायलों की संख्या टोटल 9 हो गई। पुलिस ने बताया कि अस्पताल में 9 लोगों को भर्ती कराया गया। जिसमें चार को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।सुबह सवा 6 बजे पुलिस को मिली थी सूचनापुलिस के मुताबिक सुबह 6:14 बजे वजीराबाद पुलिस को कॉल मिली। कॉलर ने बताया कि आदर्श नगर गली नंबर 3 के पास जगतपुर गांव में तेंदुआ घर में घुस गया है। पुलिस फौरन मौके पर पहुंची। वन अधिकारियों को सूचित किया गया। सुबह के समय पुलिस ने गंभीर रूप से घायल 3 लोगों पर अस्पताल में भर्ती कराया। उनकी पहचान महेंद्र, आकाश और रामपाल के रूप में हुई। ये सभी जगतपुर गांव के रहने वाले हैं। मौके पर वन विभाग की टीम के 7 लोग और स्थानीय पुलिस के साथ दमकल विभाग की टीम मौजूद रही। रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा। लोगों पर हमला करने के बाद तेंदुआ करीब 8:25 बजे एक घर के अंदर दाखिल हो गया। घर के छोटे आंगन में पहुंचने पर तेंदुए को अंदर बंद कर लिया गया। स्थानीय लोगों की भीड़ जमा हो गई। वन विभाग की टीम ने तेंदुए को पकड़ने के लिए जाल फेंका। करीब ढाई घंटे की मशक्कत के बाद तेंदुए को वन विभाग की टीम पकड़ सकी।सुबह-सुबह इलाके में मची चीख पुकारसुबह करीब 6 बजे का वक्त, जिस वक्त लोग अपने-अपने कामों में लगे रहते हैं। ऐसे में दिल्ली के जगतपुर गांव में एक तेंदुए के आतंक से हर कोई सहम गया। सोमवार सुबह से ही लोगों में अफरा तफरी का माहौल था। लोग इधर-उधर भागते हुए दिखाई दे रहे थे, हर कोई अपने घर की खिड़की-दरवाजों को बंद करने की बात कहते हुए चीख पुकार रहा था। सुबह के करीब 6 बजे का समय रहा होगा, उस वक्त अचानक जगतपुर गांव में एक तेंदुआ गांव की गली नंबर 1,2 और इसके आसपास के घर व छतों पर देख गया। लोग हाथों में लाठी-डंडे लेकर तेंदुए के पीछे भाग रहे थे। इसी दौरान तेंदुए ने कई लोगों को अपने चपेट में ले लिया और उन्हें घायल कर दिया। गांव में तेंदुए की घुसने की जानकारी फैल गई। लोगों में दहशत देखने को मिली। आसपास के लोग घरों में कैद हो गए, कई परिवारों ने अपने बच्चों को स्कूल तक नहीं भेजा तो वहीं कुछ लोग आज ऑफिस दफ्तर भी नहीं पहुंच सके।कई लोगो पर किया तेंदुए ने हमलालोगों ने इसकी जानकारी पुलिस और वन विभाग को दी। जिस वक्त पुलिस वहां पहुंची, तेंदुआ यमुना पुश्ता से लगे एक गाय व भैंसों के तबेले में बैठा हुआ था। तबेले का मालिक नरेश ने एनबीटी से बात करते हुए बताया कि सुबह करीब 6 बजे का समय था। तेंदुआ उनके मवेशियों के तबेले और उससे लगे घर के अंदर घुस आया। तेंदुए को देख वे घर की छत की ओर भागने लगा। परिवार के दूसरे लोग भी छत की तरफ भागे, इसी दौरान तेंदुआं खुली सीढ़ियों से होते हुए छत पर पहुंच गया। इस दौरान उसने उनके छोटे बेटे आकाश जिनकी उम्र 28 वर्ष की है, उस पर हमला कर दिया। इसी द���रान गांव के कई सारे लोग वहां इकट्ठा हो गए। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी, लेकिन वन विभाग की टीम का कोई अता-पता नहीं था। छत पर बेटे पर हमला करने के बाद वह गली में नीचे कूदा, जिसके बाद कई और दूसरे लोगों को भी उसने अपने पंजे और नाखूनों से घायल कर दिया। 61 वर्षीय दिल्ली सरकार से रिटायर सतीश कुमार भी उन घायलों में से एक हैं, जिस पर तेंदुआ ने हमला किया। प्राथमिक उपचार के बाद वह घर लौट आए हैं। उन्होंने बताया कि लोगों के शोर सुनकर वह घर से बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि एक लड़के को उसने अपने पैरों से दबा लिया है। इसे देख वह लाठी लेकर उसके पीछे भागे, किसी तरह उस लड़के को छोड़कर वह तेंदुआ उनके ऊपर कूद पड़ा, जिसकी वजह से वह भी घायल हो गए, उनके पीठ और पेट पर गहरे जख्म हैं। इसके बाद कई और लोगों को उसने घायल किया और फिर पास में ही महेंद्र के मकान में घुस गया। जिसमें कई घंटे तक कैद रहा, करीब 12 बजे वन विभाग पुलिस और अन्य एजेंसियों की टीम की ओर से चार-पांच घंटे तक चले रेस्क्यू के बाद उसे यहां से निकलकर ले जाया गया।पहले बिछाया जाल फिर बेहोश कर तेंदुए को पकड़ातेंदुआ एक घर के कमरे में घुसा हुआ था। मौके पर भीड़ भी काफी अधिक हो गई थी। वन विभाग ने तेंदुए को घर के अंदर ही पकड़ने का प्लान बनाया। इसके लिए चीफ वाइल्डलाइफ वॉर्डन डॉ.… http://dlvr.it/T4xTcS
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digital-morcha · 6 months
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Short Hindi Story | Short Hindi Kahaniyan
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Table of Contentsलड़का और स्टार फ़िश : Boy and Star Fish story कौआ और लोमड़ी: Crow and Fox Short Hindi Story "द अग्ली डकलिंग": The Ugly Duckling "द थ्री लिटिल पिग्स" तीन छोटे सुअर Short Hindi Story Other Blogs
लड़का और स्टार फ़िश : Boy and Star Fish story
Short Hindi Story: एक बार, एक शांत तटीय गाँव में, असाधारण करुणा की भावना वाला एक युवा लड़का रहता था। वह हर सुबह समुद्र के किनारे जाता था, जहाँ अनगिनत स्टार फ़िश घटते ज्वार के कारण फँस गई थीं। बड़ी सावधानी से, वह उन्हें एक-एक करके उठाता और वापस विशाल महासागर में फेंक देता। यह एक श्रमसाध्य कार्य था, फिर भी उन्होंने इसे अटूट समर्पण के साथ किया। एक दिन, लड़के के लगातार प्रयासों से प्रभावित होकर एक बूढ़ा व्यक्ति उसके पास आया। उन्होंने पूछा, "तुम ऐसा क्यों करते हो, मेरे बच्चे? समुद्र तट मीलों तक फैला हुआ है, और वहाँ बहुत सारी स्टार फ़िश हैं। तुम संभवतः उन सभी को नहीं बचा सकते।" लड़का एक क्षण के लिए रुका, उसके हाथ में एक तारामछली थी। दृढ़ दृष्टि से, उसने उसे पानी में फेंक दिया और उत्तर दिया, "आप सही हैं; मैं उन सभी को नहीं बचा सकता। लेकिन मैं इसके लिए बदलाव ला सकता हूँ।" लड़के की बातों की बुद्धिमत्ता से बूढ़ा व्यक्ति आश्चर्यचकित रह गया। उसने समझ में सिर हिलाया और लड़के को अपना काम जारी रखने के लिए छोड़कर चला गया। लड़के और स्टार फ़िश की कहानी हमें सिखाती है कि दुर्गम चुनौतियों के सामने भी, दयालुता और करुणा के हमारे छोटे-छोटे कार्य किसी के जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। यह हमें याद दिलाता है कि हमें किसी भी अच्छे काम की शक्ति को कम नहीं आंकना चाहिए।
कौआ और लोमड़ी: Crow and Fox Short Hindi Story
एक हरे-भरे, प्राचीन जंगल में, एक चतुर कौवा अपनी चोंच में स्वादिष्ट पनीर का एक टुकड़ा लेकर एक शाखा पर बैठा था। कौवे को अपने पुरस्कार पर गर्व हुआ। नीचे, एक धूर्त लोमड़ी ने पनीर को देखा, उसके मुँह में पानी आ गया। लोमड़ी, जो अपने चालाक तरीकों के लिए जानी जाती है, कौवे के पास आई और बोली, "ओह, तुम कितने शानदार पक्षी हो! तुम्हारे पंख सबसे अच्छे हैं, और तुम्हारी आवाज़, मैंने सुना है, जंगल में सबसे मधुर है। मैं निश्चित रूप से आपका गायन आपकी उपस्थिति की तरह ही मनमोहक है। क्या आप मुझे एक गीत सुनाकर अनुग्रहित करेंगे?" चापलूसी से खुश होकर कौआ विरोध नहीं कर सका। उसने गाने के लिए अपनी चोंच खोली और उसी क्षण पनीर जमीन पर गिर गया। लोमड़ी ने तेजी से उसे पकड़ लिया और बोली, "प्यारे कौए, तुम कितने चतुर हो, लेकिन सुंदरता और तारीफ ज्ञान जितनी मूल्यवान नहीं हैं।" कहानी का सार स्पष्ट है: चापलूसी और खोखले शब्दों से सावधान रहें, क्योंकि वे आपके नुकसान का कारण बन सकते हैं।
"द अग्ली डकलिंग": The Ugly Duckling
हंस क्रिश्चियन एंडरसन की एक क्लासिक कहानी है। यह बत्तखों के बीच पले हुए एक युवा हंस की कहानी बताती है, जिसे अलग होने के कारण तिरस्कृत किया जाता है और बदसूरत माना जाता है। हालाँकि, जैसे-जैसे मौसम बदलता है, "बदसूरत बत्तख" एक शानदार हंस में विकसित हो जाता है। यह कहानी इस सबक को खूबसूरती से दर्शाती है कि सुंदरता व्यक्तिपरक है और हर किसी के अपने अद्वितीय गुण होते हैं। युवा हंस का परिवर्तन हमें याद दिलाता है कि हमें दूसरों को उनकी उपस्थिति या अंतर के आधार पर नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि ये अंतर उभरने की प्रतीक्षा कर रहे असाधारण गुणों को छिपा सकते हैं। अपने व्यक्तित्व को अपनाना और अपने और दूसरों के भीतर अंतर्निहित सुंदरता को पहचानना एक महत्वपूर्ण सबक है। "द अग्ली डकलिंग" दयालुता, सहानुभूति और विविधता के उत्सव को प्रोत्साहित करती है, जिससे यह बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए एक कालातीत और शक्तिशाली कहानी बन जाती है।
"द थ्री लिटिल पिग्स" तीन छोटे सुअर Short Hindi Story
तीन सुअर भाई-बहनों के बारे में एक प्रिय लोककथा है जो अपना घर बनाने के लिए निकले थे। एक सुअर पुआल का घर बनाता है, दूसरा लकड़ियों का उपयोग करता है, और तीसरा एक मजबूत ईंट का घर बनाता है। एक चालाक भेड़िया उनके घरों को उड़ा देने की धमकी देता है। पहले दो सूअरों के कमज़ोर घर भेड़िये की हड़बड़ाहट और फुसफुसाहट की भेंट चढ़ जाते हैं। हालाँकि, तीसरे सुअर का ईंट का घर सुरक्षित है। कहानी का नैतिक कड़ी मेहनत, दूरदर्शिता और भविष्य के लिए योजना के महत्व पर जोर देता है। तीसरे सुअर की मेहनत और तैयारी रंग लाई, जिसने चुनौतियों का सामना करते समय लचीलेपन और संसाधनशीलता ��े मूल्य पर प्रकाश डाला। यह क्लासिक कहानी बच्चों को सिखाती है कि बुद्धिमानी से निर्णय लेने और एक मजबूत नींव बनाने के प्रयास से उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिल सकती है और अंततः एक सुरक्षित और सुरक्षित भविष्य प्राप्त हो सकता है।
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citizensdaily12 · 7 months
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CHILDREN’S DAY 2023: बाल दिवस का इतिहास, उत्सव, अर्थ और महत्व
बाल दिवस का अर्थ है कि बच्चों के अधिकारों को उनकी भलाई के लिए कैसे उपयोग किया जाता है।
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क्या देश के हर बच्चे को शिक्षा, चिकित्सा और परिवार के अधिकारों का पूरा अधिकार मिल सकता है? बाल शोषण की कोई शिकायत नहीं है?क्या जो बच्चे खतरनाक नौकरियों में काम करते हैं, उनकी समस्या हल हो गई है? यदि ऐसा नहीं है, तो कम से कम हम माता-पिता को इसके बारे में बता सकते हैं और उन्हें अपने बच्चों को एक ऐसी जगह देने के लिए कह सकते हैं जहां वे अच्छा कर सकते हैं। उन्हें सम्मान और आत्मविश्वास सिखाने के लिए जिम्मेदार होना, और किसी दूसरे की राय सुनने के बजाय अपनी राय बनाने देना।
साथ ही बाल दिवस एक बालिका और एक लड़के को अलग नहीं करने पर भी केंद्रित है। हम युवा लोगों को यह सिखाना चाहिए कि साथियों के दबाव के आगे झुकने से बचना चाहिए, हर संभव कोशिश करना चाहिए और मदद माँगने से नहीं डरना चाहिए जब वे तनाव से गुजर रहे हैं। अब नवीन भारत में शिक्षा, विचार और विकास की नई संभावनाएं हैं। हमारे युवा भावुक और दिलचस्प हैं, इसलिए उनके पास मजबूत विचार हैं। उन्हें दिखाना कि उनकी इच्छाएँ पूरी की जा सकती हैं, उनकी मदद करने का एक तरीका है।
ये बातें बाल दिवस के महत्व को वापस लाएंगी। आइए लक्ष्य को ध्यान में रखने और उस पर कार्य करने का वादा करें ताकि युवा और बच्चे वास्तव में इस दिन का आनंद उठा सकें। 14 नवंबर सिर्फ एक दिन है, लेकिन इसे ऐसा बीज बोने दें जो आने वाले वर्षों में लाभ देगा।
बाल दिवस कब है?
14 नवंबर को भारत बाल दिवस मनाता है।
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यह पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है। पंडित नेहरू भी बच्चों के प्रति उनकी दयालुता के लिए प्रसिद्ध थे।
नेहरू ने भी चिल्ड्रन्स फिल्म सोसाइटी इंडिया की स्थापना की, जो सिर्फ बच्चों के लिए भारतीय फिल्में बनाती है।
बाल दिवस की उत्पत्ति
14 नवंबर 1889 को कश्मीर के एक ब्राह्मण परिवार में जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ। वह भारत के पहले राष्ट्रपति ��े। 1800 के दशक की शुरुआत में उनका परिवार दिल्ली आया था। वे बुद्धिमान थे और व्यवसाय चलाने में अच्छे थे। वह मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रसिद्ध वकील थे। बाद में महात्मा गांधी के करीबी दोस्त मोतीलाल नेहरू बन गए। जवाहरलाल के चार बच्चों में दो लड़कियां सबसे बड़ी थीं। उसकी बहन विजया लक्ष्मी पंडित ने संयुक्त राष्ट्र महासभा का पहला नेतृत्व किया था।
माना जाता है कि बच्चे नेहरू को भारत की शक्ति मानते थे, इसलिए उन्हें “चाचा नेहरू” कहते थे। लेकिन दूसरी कहानी कहती है कि पूर्व प्रधान मंत्री गांधी के करीबी थे, जिन्हें सब लोग “बापू” कहते थे, इसलिए उन्हें “चाचा” कहा जाता था। जवाहरलाल नेहरू को लगता था कि वह “राष्ट्रपिता” के छोटे भाई हैं, इसलिए लोगों ने उन्हें “चाचा” कहा।
1947 में, नेहरू भारत की आजादी की लड़ाई में प्रधानमंत्री बन गए। गांधी ने उन्हें यह कैसे करना सिखाया। उन्होंने स्वतंत्र, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक भारत की नींव रखी। इसलिए नेहरू को आधुनिक भारत का निर्माता बताया जाता है।
1964 में जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद संसद ने सर्वसम्मति से उनका सम्मान करने का प्रस्ताव पारित किया। संकल्प ने बाल दिवस को उनके जन्मदिन की आधिकारिक तिथि बनाया। 1956 से पहले, भारत में 20 नवंबर को हर साल बाल दिवस मनाया जाता था। इसका कारण यह था कि संयुक्त राष्ट्र ने 1954 में 20 नवंबर को सार्वभौमिक बाल दिवस घोषित किया था। 14 नवंबर को भारत के पहले प्रधान मंत्री का जन्म हुआ था। 14 नवंबर को उनके जन्मदिन की याद में बाल दिवस मनाया जाता है।
अब स्कूल बाल दिवस मनाने के लिए मनोरंजक और प्रेरक कार्यक्रम करते हैं। बाल दिवस पर बहुत से लोग भाषण लिखते हैं। बच्चों को अक्सर कहा जाता है कि वे स्कूल के कपड़े को छोड़ दें और अलग-अलग कपड़े पहनें। यह समय बच्चों, उनके माता-पिता और शिक्षकों की खुशी का है।
बाल दिवस उत्सव
स्कूलों और अन्य स्थानों पर जो लोग सीखते हैं, कई गतिविधियाँ होती हैं, जो इसे एक मजेदार उत्सव बनाते हैं। बच्चों को खास दिन बनाने के लिए खिलौने, उपहार और मिठाई दी जाती हैं। कुछ स्कूलों में शिक्षकों ने बच्चों को मनोरंजन करने के लिए कार्यक्रमों को दिखाया जाता है।
विश्व बाल दिवस
संयुक्त राष्ट्र का सार्वभौमिक बाल दिवस 1954 में शुरू हुआ था और 20 नवंबर को हर साल मनाया जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया भर से लोगों को एकजुट करना है, बच्चों को उनके अधिकारों का ज्ञान देना और बच्चों के कल्याण ��ें सुधार करना है।
20 नवंबर 1959 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों की घोषणा को पारित किया। इस दिन बहुत महत्वपूर्ण है। 1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन भी पारित किया था।
1990 के बाद से, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों पर कन्वेंशन और बाल अधिकारों की घोषणा दोनों पारित की हैं, जो सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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straytostays · 1 year
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मैं रश्मि पाराशर अवीवा कंपनी  में कार्यरत थी | मैंने बेघर जानवरों के लिए एक वेबसाईट खोली है जिसका नाम है https://straytostays.tumblr.com/  इसमे आपके योगदान से मैं और बेघर जानवरों के लिए मदद कर सकती हूँ और उन्हे ज्यादा से ज्यादा उनकी मदद कर सकती हूँ | आपके इस योगदान से किसी भूखे बेजूबान बच्चों का पेट भर सकती हूँ और उनका अच्छा इलाज कर सकती हूँ | इस कार्य को सफल बनाने के लिए आप आगे बढ़कर मेरी मदद कर सकते हैं और आप एक छोटी सी राशि 200 रुपये से लेकर अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी राशि डाल सकते हैं |  आगे बढ़कर आप मेरे इस नेक काम मे सहयोग कर सकते हैं | दान के लिए यह click  करें
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StraytoStays · Story of Ladu-peda two dogs
आज मैं आपको एक सच्ची बात बताता हूं जा रही हूं, इसमें कोई मिर्च मसाला नहीं है, सिर्फ सच्ची बातें हैं।
जब मैं छोटी थी तो मैं कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ती थी जो हमारे घर से थोड़ी ही दूर पर था, आते जाते मैं हमेशा छोटे छोटे पपी को देखती थी और उन्हें अपने बैग में डाल कर स्कूल ले जाति थी। किताबें सब अपने दोस्त के बैग में डाल देती थी। जब वाह पप्पी रोता तो मैं उसे अपना टिफिन खिलाती थी। मैम को पता चलता था कि मेरे बैग में पपी है तो मेरे माता-पिता को बुलाया जाता था. इसके बाद मुझे बहुत दान पड़ी थी. कभी मुझे कोई पप्पी रोड पर अकेला मिलता था तो उसे मैं घर लाकर नहलाकर पाउडर लगा कर छुपा देती थी। मेरी मम्मी वर्किंग लेडी थी तो वह शाम को घर आती तो उसका पाउडर का डब्बा खाली मिलता था। पुरा पाउडर उन पपी को लगा देती थी। इस तरह मैं हमेशा से ही पिल्ले को प्यार करती थी। ना केवल  पप्पी बाल्की मेरे घर के पास गाय ने बच्चा  दिया था तो उसे भी रस्सी से बाँध  कर घुमाने ले जाती थी। सभी कॉलोनी वाले  मुझे देख कर हंसते थे। मेरी मम्मी को बोलते हैं कि आपकी बेटी को जानवर बहुत पसंद है, मेरी मम्मी ��ंस के चली जाती थी।
 मेरी जिंदगी बदली ,उस दिन से जब उस रात मेरे पड़ोस में छोटे से मेरे पप्पी को लात  मार मारकर मार डाला। जब रात को मुझे और मेरे भाईयों को पता चला तो हम तीन रोने लगे। जब मेरे डैडी रात को वापस आए तो हम सब रो रहे थे। जब मेरे डैडी को कहानी पता चला तो तुरत मेरे पड़ौसी से झगड़ने चले गए, उनको पडोसी को बहुत कुछ कहा।  उस दिन मैं चुपचाप मन में सोचती रही की मैं कभी भी किसी भी जानवर को मरने नहीं दूँगी उनकी सेवा करुंगी तथा उनकी रक्षा करूंगी । बस यही सोचते रात को सो गई। यह घंटा आज भी मेरे मन से जाती नहीं  है, जब भी मैं किसी कुत्ते को मारता देखता हूं तो मुझे मेरी पड़ोशी  याद आ जाती है। मैं हर  कुत्ते को बचाने में लग जाती हूं। इस तरह मैं बचपन से लेकर आज तक मैं बच्चों को बचाने में लगी रहती हूं। काई बार लोगों  ने मुझे बुरा बोला मेरा मजाक उड़ाया  लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा आज भी मैं वैसा ही हूं।
इसके लिए ही मैंने एक वेबसाईट खोला ताकि मेरे जैसे बहुत से प्यार करने वाले लोग हैं जो बेजूबानों की मदद करना चाहते हैं| इस कार्य को सफल बनाने के लिए आप आगे बढ़कर मेरी मदद कर सकते हैं और आप एक छोटी सी राशि 200 रुपये से लेकर अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी राशि डाल सकते हैं |
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StraytoStays · Story of Ladu-peda two dogs
आज मैं आपको दो बच्चों की कहानी बताता हूं जिन बच्चों का नाम है लड्डू और पेड़ा जो मैंने रखा है। मैंने यह नाम क्यों रखा है? क्योंकि मैं मधुमेह रोगी हूं तो मुझे मीठा खाना मना  है। इस लिए मैंने प्यार से पपी का नाम लड्डू और पेड़ा रखा जिससे जब मैं बुलाती हूं तो मेरे मन और जिंदगी में मिठास  भर जाती है। वह दौर कर मेरे पास आते हैं वही मेरी मिठाई है। बच्चों के लिए मैंने बहुत परेशानियां उठाई हैं।
मैं चेन्नई में एक सरकारी ऑफिसर के क्वार्टर में रहती हूं। एक दिन मैं कहीं बहार से आ रही थी तो मुझे 3 पपी दिखा तो मैंने कार रुकवा कर देखा तो तीनो बच्चे और उनकी मान बहुत कमजोर थी। मैं घर आकर राघवेंद्र जो मेरे सेवादार हैं उससे पूछा यह बच्चा कहां से आया? उसने जवाब दिया कि ये यहीं पड़े थे 6 थे  3 मर गए 3 बचे हुए हैं जिनमे एक बहुत बीमार है। मैंने देखा तो उनके शरीर में एक बड़ा सा छिद्र  था। मैंने उसका उपचार किया उसे स्प्रे और दवा दिया परंतु वो जी नहीं पाया। अब माँ  के पास केवल 2 पिल्ले  रह गए थे। मैंने सोचा कि बच्चे  अपने घर ही रख लूं। लेकिन माँ  से जुदा करना मुझे अच्छा नहीं लगा तो मैंने मेरे घर से अगले  ब्लॉक में बैठे। मान बच्चे को मैंने राघवेंद्र की मदद से उनको अच्छा आहार  और सेवा देना शुरू कर दिया।
लेकिन हर कहानी एक विलेन जरूर होता है। उसी ब्लॉक में पहली मंजिल पर रहने वाली एक महिला को यह बहुत तकलीफ देता था कि हम ��हाँ  जाकार खाना रखते थे। उस महिला को हमेशा से ही जानवरों  से दुश्मनी थी। हमेशा मुझसे यही कहती थी कि ऑफिसर्स कॉलोनी में गंदगी होती है, मेरे घर मेहमान आते हैं उनके सामने शर्मिंदा होती है। राघवेंद्र जब भी खाना देने जाता उसे डांटती थी, लेकिन वो खाना देकर चुपचाप चल आता था। एक दिन उसने नगर निगम चेन्नई के कुत्ते पकड़ने वाले टीम को बुलवा लिया। मैंने गाड़ी देख कर तुरंत ही बच्चे को मेरे बागीचे में रख दिया, जब तक माँ  को लाते तब तक गाड़ी वाले उठा चुके थे, मैंने कॉलोनी में इतने साल तक जिन्हे पाला, खाना खिलाया सबको उठा ले गए।
 मैं बहुत रोई और मुझे बचपन का दर्द याद आया और दिल से आह निकलती रही  उनलोगों के लिए जो निर्दयी हैं। इतना ही नहीं मैंने हर जगह पानी के लिए बर्तन  भी लगा रखा था सबको तोड़ दिया गया। जो पानी कुत्ते, बिलियों और पक्षियों के लिए था। पक्षी को नहाते  देख कर खुशी मिलती थी पर उन लोगों  ने वह भी छिन  लिया। मैंने हार नहीं मानी फिर से सब जगह पानी के बर्तन  लगा दिया।
आज लड्डू और पेड़ा मेरे जीवन का एक हिस्सा बन गया है। अभी लड्डू पेड़ा और ज़ूबी (जो मेरा 8 साल पूराना लेब्रा डॉग है) 2 माहिना से रह रहे हैं और सभी अच्छे दोस्त की तरह रहते हैं। मेरा सब से प्रार्थना है कि भगवान के बनाए सृष्टि को मत तंग करो, ये जानवर भी सृष्टि का ही  हिस्सा है इसे  कुछ भी मत दो। यह भी प्यार के हक़दार है। इन्हे कुछ भी देदो ये चुप चाप खाकर चले जाते हैं और दुआ भी देते हैं। इनकी आह भी मान लो |
इसके लिए ही मैंने एक वेबसाईट खोला ताकि मेरे जैसे बहुत से प्यार करने वाले लोग हैं जो बेजूबानों की मदद करना चाहते हैं| इस कार्य को सफल बनाने के लिए आप आगे बढ़कर मेरी मदद कर सकते हैं और आप एक छोटी सी राशि 200 रुपये से लेकर अपनी इच्छा के अनुसार कोई भी राशि डाल सकते हैं |
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StraytoStays · Story of Ladu-peda two dogs
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suraj2356 · 1 year
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2023 की सबसे Best bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी
दोस्तों आज की इस bedtime stories मे हम 3 सबसे मजेदार और नई bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी ले कर आए है जीसे पढ़ने के बाद आप को काफी मजा आने वाला है और ये कहानी पढ़ने के बाद आप को कुछ नया शिखने को जरूर मिलेगा
और मे आप से वादा करता हु की ये bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी पढ के आप के बच्चे को जरूर अच्छा लगेगा क्योंकी हम ये bedtime story केवल बच्चों को ध्यान मे रख कर लिखी है
मुझे 2 साल से भी ज्यादा हो गए है Moral Stories for childrens in Hindi वाली स्टोरी लिखते और मेने काफी सारी bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी भी लिखी है और लोगों को मेरी कहानी काफी पसंद आती है
3 bedtime stories for kids in hindi
चूहा और पनीर का खजाना
शरारती चूहा और जादुई परी
शेर और जादुई लोमड़ी
चूहा और पनीर का खजाना
एक बार की बात है, दूर एक जादुई भूमि में, मिलो नाम का एक बहादुर छोटा चूहा था। वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ एक आरामदायक बिल में रहता था, लेकिन वह हमेशा रोमांच की तलाश में रहता था। एक रात, उसने प्रसिद्ध पनीर के खजाने को खोजने के लिए यात्रा पर जाने का फैसला किया
मिलो अपनी यात्रा पर आपूर्ति से भरा एक बैग और एक नक्शा लेकर निकला, जिसे उसने खुद बनाया था। उन्होंने रास्ते में कई चुनौतियों का सामना करते हुए जंगलों, पहाड़ों और नदियों के पार यात्रा की। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा हर बाधा को पार करने का रास्ता खोज लिया।
यात्रा मे मिलो के साथ क्या हुआ | bedtime stories for kids in hindi
यात्रा के दौरान, उसने कई नए दोस्त बनाए, जिसमें एक बुद्धिमान बूढ़ा उल्लू भी शामिल था जिसने उसे रात के आकाश के रहस्य सिखाए, और एक दोस्ताना गिलहरी जिसने उसे दिखाया कि जंगल में भोजन कैसे खोजना है। मिलो को कई खतरों का भी सामना करना पड़ा, जैसे कि भेड़ियों का एक भयंकर झुंड और एक भयंकर तूफान, लेकिन वह हमेशा सुरक्षित बच निकलने में सफल रहा।
अंत में, कई दिनों की यात्रा के बाद, मिलो उस गुफा में पहुँचे जहाँ पनीर का खजाना छिपा होने की बात कही गई थी। वह पहरेदारों के पास से गुज़रा और गुफा में घुस गया, जहाँ उसे पनीर के ब्लॉक का एक बड़ा ढेर मिला। उसने एक ब्लॉक लिया और उसका स्वादिष्ट स्वाद चखते हुए उसे खा लिया।
लेकिन जैसे ही वह निकलने वाला था, उसने गुफा के भीतर गहरे से एक अजीब सी आवाज सुनी। उसने ध्वनि का पीछा किया और जाल में फंसे छोटे चूहों का एक समूह पाया। मिलो जानता था कि उसे उनकी मदद करनी है, इसलिए उसने अपने तीखे दांतों का इस्तेमाल जाल को काटने और उन्हें आज़ाद करने के लिए किया।
छोटे चूहे बहुत खुश हुए और उन्होंने मिलो को उसकी दया के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने उसे बताया कि उन्हें एक दुष्ट बिल्ली ने फँसाया है जो उन्हें पकड़कर एक सर्कस को बेचना चाहती है। मिलो जानता था कि उसे बिल्ली को रोकना होगा और छोटे चूहों को बचाना होगा।
उसने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया और उन्होंने मिलकर बिल्ली को हराने की योजना बनाई। उन्होंने अपने अलग-अलग कौशल और प्रतिभा का उपयोग करते हुए एक साथ काम किया, और एक लंबी और कठिन लड़ाई के बाद, उन्होंने आखिरकार बिल्ली को हरा दिया और छोटे चूहों को बचा लिया।
मिलो और उसके दोस्त नायक के रूप में घर लौट आए, और छोटे चूहे ने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने के लिए खुद पर गर्व महसूस किया। जैसे-जैसे वह अपने आरामदायक बिल में घुसा, वह जानता था कि उसने नए दोस्त बनाए हैं, कई नई चीजें सीखी हैं, और एक रोमांचक साहसिक कार्य किया है जिसे वह कभी नहीं भूल पाएगा। और जैसे ही उसने अपनी आँखें बंद कीं और सो गया, वह जानता था कि भविष्य में उसके लिए और भी कई साहसिक कार्य इंतज़ार कर रहे थे
शरारती चूहा और जादुई परी
एक बार जेम्स नाम का एक चालाक छोटा चूहा था जो एक दूर के इलाके में रहता था। जेम्स को शरारत करने और समस्याएँ पैदा करने के अलावा और कुछ पसंद नहीं था।
एक शाम जब जेम्स जंगल से गुजर रहा था, उसे एक अद्भुत पेड़ मिला। पेड़ के चारों ओर चमकीले मशरूम उग रहे थे, जो चमक रहे थे। जेम्स की आँखें कितनी अविश्वसनीय थीं! उसने ऊपर की जगह का पता लगाने के लिए पेड़ पर चढ़ने का फैसला किया।
जेम्स को एक फुसफुसाहट सुनाई दी। जेम्स ने पूछा की वह कौन है लिकीन किसी की भी आवाज नहीं आई । जेम्स खुद को पेड़ के नियंत्रण मे था ।
तब उन्हें समझ में आया कि यह तो कोई साधारण लोग नही है इसलिए जेम्स ने तर्क किया कि उसे परी से बात करनी चाहिए। उस परी का नाम फे था जेम्स फे के जादू में आ गया था। फे ने उसे कई आकर्षक तकनीकों का प्रदर्शन किया, जिसमें मशरूम की रोशनी को कैसे बढ़ाया जाए और एक बुलबुला बनाया जाए जो हवा में तैर सके।
जब वे मस्ती कर रहे थे तो उन्हें झाड़ियों में हलचल सुनाई दी। शरारती रैकून का एक गिरोह था जो परेशानी पैदा कर रहा था। वह जेम्स और फे को मस्ती करते हुए देखने के बाद जादू के पेड़ को आजमाने और अपने लिए उस पेड़ को लेने का फैसला करता है। जेम्स और फे ने यह महसूस करने के बाद कि उन्हें पेड़ की रक्षा करनी है, एक रणनीति तैयार की।
जबकि फे पेड़ को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करता है, जेम्स रेकून का ध्यान हटा देता है। जेम्स जानवरों पर कूद कर अपने अभिनय का अभ्यास करता है और जोर से शोर करते हुए एक भयानक राक्षस की तरह अभिनय करता है।
रैकून जितनी जल्दी हो सके भाग गए क्योंकि वे बहुत डरे हुए थे। जेम्स और फे दोनों एक जैसे ही थे हैं क्योंकि वे अपनी उपलब्धियों से खुश हैं। शाम का बाकी समय खेलने और अच्छा समय बिताने में बीता, और जेम्स ने कुछ नए जादू कौशल भी सीखे।
सूरज के उगते ही जेम्स को एहसास हुआ कि घर लौटने का समय आ गया है। वह फे को विदा करता है और शीघ्र ही उसे देखने के लिए लौटने की प्रतिबद्धता बनाता है। बिस्तर पर चढ़ते ही जेम्स अपनी शानदार यात्रा के बारे में सोचना बंद नहीं कर सका।
वह जानता था कि वह फे में एक नए दोस्त से मिला था और अगर आप जादू में विश्वास करते हैं तो सब कुछ संभव है। जेम्स ने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपनी आने वाली यात्रा के बारे में दिवास्वप्न देखते हुए सो गया।
शेर और जादुई लोमड़ी
लियो नाम का एक मजेदार शेर एक बार एक विशाल जंगल में रहता था। लियो जंगल के अन्य शेरों से अलग था। चाहे वह तितलियों का पीछा कर रहा हो या अपनी नाक पर गेंद को संतुलित करने का प्रयास कर रहा हो, वह हमेशा कुछ मनोरंजक करने की कोशिश करता था।
लियो का सामना एक बार अलौकिक लोमड़ी फेलिक्स से हुआ। फेलिक्स को जंगल की सबसे मजबूत लोमड़ी के रूप में जाना जाता था। उनके पास अनुरोधों को स्वीकार करने और कई तरह के जादुई कृत्यों को करने की क्षमता थी।
जब उसने उसे देखा तो लियो को फेलिक्स के पास जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। "फेलिक्स, हैलो! वह क्यों है?" शेर ने पूछा। फेलिक्स ने लियो की ओर मुड़ते हुए कहा, "लियो, मैं बहुत अच्छा कर रहा हूं। मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूं?" "फेलिक्स, मैं ऊब गया हूं।
क्या आपके पास हमारे लिए कोई रोमांचक विचार है?" लियो ने सवाल किया। इस पर कुछ विचार करने के बाद, फेलिक्स ने उत्तर दिया, "ओह, मैं एक ऐसी जगह के बारे में जानता हूँ जहाँ पेड़ मिठाइयाँ बरसाते हैं
।" "कैंडी? सच में?" लियो चिल्लाया में उस जगह पर जाने के लिए तैयार हु बताओ कब चल रहे हो यह सिर्फ कोई कैंडी नहीं है, हालांकि। आप इस जादुई कैंडी को खा भी सकते हो !" फेलिक्स ने स्पष्ट किया।
लियो अपनी आँखों को उत्साह से चौड़ा करते हुए कहता है, “कृपया, फेलिक्स! मुझे वहाँ पहुंचाओ!”
लियो और फेलिक्स जादुई पेड़ के पास | bedtime stories for kids in hindi
फेलिक्स ने मुस्कुराते हुए अपना पंजा लहराया। वे दोनों अचानक अपने आप को एक सुंदर जगह पर पाते हैं जहाँ पेड़ों से कैंडी गिरती हैं। लियो जो कुछ देख रहा था उससे अचंभित था। मुँह चौड़ा करके वह जितनी मिठाइयाँ पकड़ सकता था, पकड़ने लगा।
उसके पास एक होने के बाद, वह तुरंत उड़ना शुरू कर दिया। "फेलिक्स, मुझे देखो! अब में उड़ रहा है!" लियो चिल्लाया। फेलिक्स लियो के उत्साह से चकित था और उसने टिप्पणी की, "लियो, तुम वास्तव में उड़ रहे हो।
हालांकि, ध्यान रखना क्योंकि कैंडी का आकर्षण बस क्षणभंगुर है।" लियो ने हवा में उड़ान भरी, काल्पनिक जगहों की यात्रा की और खूब मस्ती की। इसके अलावा, वह अन्य बंदरों के संपर्क में आया, जो कैंडी पकड़ने के लिए उत्साह साझा करते थे।
फेलिक्स ने टिप्पणी की जब वे विदा होने वाले थे, "मुझे खुशी है कि तुमने मज़ा किया, लियो। लेकिन, अब जंगल लौटने का समय है।" लियो ने सिर हिलाकर जवाब दिया, हा बिलकुल और में तुम्हे धन्यवाद कहना चाहता हु, फेलिक्स। लियो ने कहा आज तक का सबसे अच्छा दिन था!"
फेलिक्स द्वारा अपना पंजा लहराने के बाद उन दोनों को वापस जंगल में ले जाया गया। उस सारी उड़ान के बाद, जब लियो नीचे छूता है तो उसे थोड़ा हल्कापन महसूस होता है। फेलिक्स, तुम सबसे अच्छे हो, उसने टिप्पणी की जैसे ही वह फेलिक्स की ओर मुड़ा।
फ़ेलिक्स ने मुस्कराते हुए कहा “लियो, यह मेरा सौभाग्य था। बस मुझे बताएं कि क्या आपको कभी अपने जीवन में थोड़े से जादू की आवश्यकता है।”
लियो और फेलिक्स उसके बाद घनिष्ठ मित्र बन गए। वे उपन्यास और रोमांचकारी अनुभवों की तलाश में अक्सर एक साथ यात्रा पर जाते थे। लियो ने पाया कि आपके जीवन में थोड़ा सा जादू होने से सब कुछ बेहतर हो सकता है और यह कि कभी-कभी सबसे अप्रत्याशित स्थानों से सबसे अच्छा रोमांच आ सकता है।
दोस्तों आप को ये नई bedtime stories for kids in hindi वाली कहानी कैसी लगी हमें comment कर के जरूर बताये क्योकि हम इसी प्रकार के bedtime stories और bedtime stories in hindi panchtantra वाली भी स्टोरी लिखते है
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nationalnewsindia · 1 year
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prabudhajanata · 1 year
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 नवी मुंबई : अनिल बेदाग - दुनिया का सबसे बड़ा वर्टिकली इंटीग्रेटेड हेल्थकेयर प्रोवाइडर अपोलो (Apollo) भारत में मरीजों की देखभाल में सबसे आगे रहा है और हेल्थकेयर में अंग प्रत्यारोपण क्रांति का नेतृत्व किया है। आज अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप ने 500 बच्चों के लिवर प्रत्यारोपण के सफल समापन की घोषणा की। अपोलो प्रत्यारोपण कार्यक्रम दुनिया के सबसे बड़े और सबसे व्यापक प्रत्यारोपण कार्यक्रमों में से एक है, जो अत्याधुनिक सेवाओं की पेशकश करता है। इसमें लीवर रोग का प्रबंधन, किडनी रोग का प्रबंधन, लीवर और किडनी प्रत्यारोपण, हृदय और फेफड़े का प्रत्यारोपण शामिल है। 90% सफलता दर के साथ अपोलो लिवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम दुनिया भर के रोगियों के लिए गुणवत्ता और आशा का प्रकाश स्तंभ है। अपोलो अस्पताल में 50 से अधिक देशों से लिवर प्रत्यारोपण के मरीज आते हैं। फिलीपींस, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, जॉर्डन, पाकिस्तान, केन्या, इथियोपिया, नाइजीरिया, सूडान, तंजानिया, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, सीआईएस, म्यांमार और कई अन्य देशों के मरीजों ने भारत में परिवर्तनकारी और किफायती समाधान पाया है। डॉ.अनुपम सिब्बल, ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर-सीनियर पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा, “हमें इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर तक पहुंचने पर गर्व है और इतने बच्चों और परिवारों की मदद करने में सक्षम होने पर हमें गर्व है। पिछले कुछ वर्षों में कई चुनौतियों पर काबू पाया है। 4 किलोग्राम से कम वजन वाले छोटे बच्चों में प्रत्यारोपण, लिवर विफलता के अलावा गंभीर चिकित्सा स्थितियों वाले बच्चों और बच्चों में प्रत्यारोपण, एबीओ असंगत प्रत्यारोपण जब परिवार के पास रक्त समूह संगत दाता नहीं है। हम बहुत खुश हैं कि हमारी 500वीं मरीज एक बच्ची है और हमारे लगभग 45% मरीज अब लड़कियां हैं। डॉक्टरों, नर्सों और सपोर्ट स्टाफ की हमारी समर्पित टीम ने काम किया है। 1998 में जब हमने भारत में पहला सफल लिवर ट्रांसप्लांट किया, तब से अपोलो ट्रांसप्लांट प्रोग्राम ने बच्चों और वयस्कों में 4100 से अधिक लिवर ट्रांसप्लांट किए हैं।'' अपोलो की 500 वीं बालचिकित्सा लिवर रोगी कहानी - प्रिशा बिहार के जहानाबाद में एक युवा मध्यवर्गीय जोड़े ने खुशी और श्रद्धा से अपनी पहली बेटी का नाम "प्रिशा" रखा, जिसका शाब्दिक अर्थ है भगवान का उपहार। एक शिक्षक पति और गृहिणी पत्नी, पहले कुछ सप्ताह आनंदमय थे लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि प्रिशा को पीलिया हो गया है। एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास जाने की कठिन राह ने पूरी निराशा और पीड़ा को जन्म दिया जब उन्हें बताया गया कि उसे एक ऐसी बीमारी है जो मौत की सजा है, बाइलरी एट्रेसिया जिसके कारण उसका लीवर फेल हो जाएगा। वे हार मानने के लिए तैयार नहीं थे और शीर्ष विशेषज्ञों से संपर्क करने के लिए अपनी विनम्र पहुंच से आगे बढ़ गए, जब तक कि उन्हें एहसास नहीं हुआ कि लिवर प्रत्यारोपण जीवन रक्षक होगा, और लगभग 6 महीने की उम्र में उसे अपोलो ले आए। चुनौतियां वास्तव में कई थीं लेकिन परिवार के संकल्प और टीम की प्रतिबद्धता के कारण उन पर काबू पा लिया गया। जब तैयारी की जा रही थी, तब पूरक आहार देने और प्रत्यारोपण के लिए पोषण पुनर्वास प्राप्त करने के लिए उसकी नाक के माध्यम से एक फीडिंग ट्यूब डाली गई थी। उसकी मां ने उसके लिवर का एक हिस्सा दान कर दिया और एक सफल लिवर ट्रांसप्लांट के बाद प्रिशा खूबसूरती से ठीक हो गई।
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thedhongibaba · 1 year
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एक चोर चोरी के इरादे से खिड़की की राह, एक घर में घुस रहा था।
खिड़की की चौखट के टूटने से वह जमीन पर गिर पड़ा और उसकी टांग टूट गई।
चोर ने इसके लिए घर के मालिक पर अदालत में मुकदमा कर दिया।
गृहपति ने कहा, ‘इसके लिए तो चौखट बनाने वाले बढ़ई पर मुकदमा होना चाहिए।’
बढ़ई जब बुलाया गया, तब उसने कहा, ‘मिस्त्री ने खिड़की का द्वार ठीक से नहीं बनाया, इसलिये दोषी मिस्त्री है।'
और मिस्त्री ने अपनी सफाई में कहा कि मेरे दोष के लिए वह सुंदर स्त्री जिम्मेवार है, जो उसी वक्त उधर से निकली थी, जब मैं खिड़की पर काम करता था।
और उस स्त्री ने अपनी सफाई में कहा, ‘उस समय मैं एक बहुत खूबसूरत दुपट्टा ओढ़े थी। साधारणतः तो मेरी ओर कोई ताकता नहीं है। यह इस दुपट्टे का कसूर है, जो कि चतुराई के साथ इंद्रधनुषी रंग में रंगा गया।'
इस पर न्यायपति ने कहा, ‘अब अपराधी का पता चल गया। उस चोर की टांग टूटने के लिए यह रंगरेज जिम्मेवार है।'
लेकिन जब रंगरेज पकड़ा गया, तब वह उस स्त्री का पति निकला।
और यह भी पता चला कि वही खुद चोर भी था!
_____
कहानी मधुर है और बड़ी गहरी है। और उसे ठीक से समझना, हंसना मत। क्योंकि इस कहानी का उपयोग करीब-करीब लोग भूल ही गए हैं। यह बात ही भूल गए कि यह सूफियों की कथा है। यह तो बच्चों की किताबों में लिखी जा रही है। छोटे बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं और हंस रहे हैं, जैसे कि यह कोई व्यंग्य हो! यह कोई जोक नहीं है, यह तो बड़ी आधारभूत बात है। यह किसी पागल, विक्षिप्त मजिस्ट्रेट का झक्कीपन नहीं है, यह तुम्हारे जीवन की कथा है। यह कर्म का सिद्धांत है। देर-अबेर तुम पकड़े जाओगे और पाओगे कि तुम ही चोर हो, तुम ही रंगरेज हो।
कब तक इसे टालोगे? इन दोनों छोरों को जल्दी मिला लो, कहानी को पूरा करो। ये दोनों छोर मिले कि तुम बाहर हो सकते हो इस वर्तुल के। यह जो जीवन का चक्र है, इससे तुम कूद सकते हो। जब तक तुम इसको न समझ पाओगे, तब तक तुम इस संसार के इस चक्र में भटकते ही रहोगे। इस बात को समझना कि मैं ही चोर हूं और मैं ही रंगरेज हूं, अपनी स्वतंत्रता को समझ लेना है। अपनी शक्ति को समझ लेना है। अपनी सामर्थ्य को समझ लेना है।
तुम्हारी सामर्थ्य अपरंपार है। यह तुम्हारी सामर्थ्य का फल है कि तुमने इतना बड़ा नरक अपने आसपास निर्मित किया है। इसलिये मैं नहीं कहता कि परमात्मा ने जगत बनाया। मैं कहता हूं, तुमने बनाया। एक तरफ से दुपट्टा रंगा है और एक तरफ से चोरी करने निकल गए हो। बायें हाथ से दुपट्टा रंग रहे हो, दायें हाथ से चोरी कर रहे हो। और तुम्हारा, दोनों हाथों के बीच में तुम्हारा ही सिर फूट रहा है।
- बिन बाती बिन तेल (प्रवचन-05)
🌹🙏|| OSHO ||🙏🌹
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theblogarticle · 1 year
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05+ Moral Stories in Hindi | हिंदी नैतिक कहानियां | Kids Story
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आज हम इस लेख में नैतिक कहानियों (Short Moral Stories in Hindi) के बारे में जानेगे। जिन्हे पढ़ने के बाद आपको बहुत कुछ सिखने को मिलेगा। जब भी हम कहानियों के बारे में पड़ते है| मोरल स्टोरीज इन हिंदी (Moral Stories in Hindi) में आपका स्वागत है। दोस्तों, आपके लिए Top 06 Moral Stories in Hindi सुनाने जा रहा हूं। आशा रखता हूँ की आपको बेहद पसंद आएगा। कहानी एक (Story) आपके बच्चों को Engaged रखने का एक शानदार तरीका है। शायद आपके बचपन की सबसे स्पष्ट यादों में से एक वह Stories हैं जो आपने बचपन में पढ़ी थीं। तो हमें ज्यादातर कहानियां बच्चो से समन्धित पढ़ने के लिए मिलती है। क्योकिं एक छोटे बच्चो को कुछ भी समझाने के लिए कहानियों को सुनाना बहुत जरुरी है। क्योकिं बच्चे कहानियों को बहुत ध्यान से सुनते है। कुछ नैतिक कहानियां तो ऐसी होती है, जो की सीधे हमारे हृदय मन उतर जाती है। हमें इन कहानियों से बहुत सिखने को मिलता है। ज्यादातर छोटे बच्चे अपने दादा – दादी और नाना – नानी से कहानियां सुनना पसंद करते है। अगर आप भी अपने बच्चो को कहानियां सुनना चाहते है, तो आप यहाँ पर लिखी सभी कहानियों को अपने बच्चो को सुना सकते है। यह सभी कहानियां शिक्षाप्रद है। कहानियों को लेखक कई प्रकार से लिखते है, जिससे की किसी भी कहानी को अधिक ��े अधिक रोचक बनाया जा सके।
Short Moral Stories in Hindi | हिंदी नैतिक कहानियां
यहाँ पर हम आपको सभी ऐसी कहानियों की List देने जा रहे है, जो की शिक्षाप्रद होने के साथ साथ बहुत मनोरंजक, और रोचक भी है। जिन्हे पढ़ते हुए आपको बहुत मजा आने वाला है। यहाँ पर लिखी गयी सारी कहानियां सभी वर्ग के आयु के लोगो के लिए है। क्योकिं कोई भी कहानी सिर्फ बच्चो को ही कुछ नहीं सिखाती है। बल्कि बड़े लोगो को भी कहानियों से बहुत कुछ सिखने के लिए मिलता है। अगर आप भी अपने बच्चो को कुछ रोचक कहानियां सुनाना चाहते है, तो आप यहाँ से पढ़कर सुना सकते है।
1. लकड़हारा और कुल्हाड़ी की कहानी (Short Stories in Hindi)
एक समय की बात है, एक गांव में एक लकड़हारा रहता है, जो की जंगल से लकड़ियों को काटकर उन्हें बाजार में बेचकर पैसे कमाता था, जो भी पैसे उसे लकड़ी बेच कर मिलते थे|
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वह उसी से अपना और अपने परिवार का पाल�� पोषण करता था। एक दिन वह जंगल में रोज की तरह लकड़ी काटने के लिए गया, और नदी किनारे एक वृक्ष से लकड़ी काटने लगा। अचानक उसके हाथ से कुल्हाड़ी छूटकर नदी में गिर गयी। इससे लकड़हारे को बहुत दुःख हुआ, और वह नदी में कुल्हाड़ी ढूंढ़ने का प्रयत्न करने लगा। लेकिन उसे नदी में अपनी कुल्हाड़ी नहीं मिली। इस बात से लकड़हारा बहुत ज्यादा दुखी था, और वह नदी के किनारे बैठकर रोने लगा। जब वह नदी किनारे रो रहा था, तो लकड़हारे की आवाज सुनकर नदी से भगवान प्रकट हुए। भगवान् जी ने लकड़हारे से पूछा की तुम क्यों रो रहे हो, इस पर लकड़हारे ने शुरू से अंत की पूरी कहानी भगवान को सुनाई। लकड़हारे की कहानी सुनकर भगवान को उस पर दया आ गयी, और उन्होंने लकड़हारे की मेहनत को देखते हुए उसकी मदद करने की योजना बनाई। https://www.youtube.com/watch?v=zPpsQJhPlaI इसके बाद भगवान जी नदी में गायब हो गए, और एक सोने की कुल्हाड़ी लकड़हारे को देते हुए बोले ये लो तुम्हारी कुल्हाड़ी। सोने की कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारे बोलै की “हे भगवन” यह कुल्हाड़ी मेरी नहीं है| इस बात को सुनकर भगवान फिर से नदी में गायब हो गए और इस बार एक चांदी की कुल्हाड़ी लकड़हारे को देते हुए बोले यह लोग तुहारी कुल्हाड़ी, इस बार भी लकड़हारे ने यही कहा की यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है, और मुझे सिर्फ मेरी कुल्हाड़ी चाहिए। भगवान् ने फिर से नदी में गायब होकर एक लोहे की कुल्हाड़ी निकाली और लकड़हारे को देते हुए कहा ये लो तुम्हारी कुल्हाड़ी। इस बार लकड़हारे के चेहरे पर मुस्कान थी, क्योकिं यह कुल्हाड़ी लकड़हारे की थी। उसने कहा ये मेरी कुल्हाड़ी है। भगवान ने लकड़हारे की ईमानदारी से खुश होकर उसे सोने और चंडी की दोनों कुल्हाड़ियाँ भी उसी लकड़हारे को दे दी। इससे लकड़हारा ख़ुशी ख़ुशी घर चला गया। Moral of This Story लकड़हारे की इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की , "हमें हमेशा अपनी ईमानदारी पर ही रहना चाहिए।" क्योकिं जीवन में ईंमानदार व्यक्ति को कोई भी नहीं हरा सकता है।
2. खजाने की खोज की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)
पुराने समय की बात है, गांव में धनीराम नाम का एक किसान रहता था, उसके पास चार लड़के थे। धनीराम अपना घर चलने के लिए अपने खेत में कृषि कार्य करता था। लेकिन धनीराम के चारो लड़के बहुत ज्यादा आलसी थे, वह कभी भी खेतो में काम करने के लिए नहीं गए थे। वह सारा दिन अपना समय गांव में इधर उधार बैठ कर बिताया करते थे।
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एक दिन धनीराम अपनी पत्नी से बोला की आज तो में जिन्दा हूँ तो सब कुछ सही चल रहा है, मेरे बाद कौन खेती करेगा। हमारे बच्चो ने तो आज तक खेतो में कदम तक भी नहीं रखा है। धनीराम पत्नी ने इस पर कहाँ कोई बात नहीं धीरे धीरे यह काम करने लगेंगे। इसी तरह से धीरे धीरे समय गुजरता जा रहा था। एक दिन धनीराम की अचानक से तबियत ख़राब हो जाती है, और वह बहुत ज्यादा बीमार पड़ जाता है। इस दौरान धनीराम अपनी पत्नी से कहता है, की चारो लड़को को मेरे पास बुलाऊँ मेरे पास समय बहुत कम है। इतना सुनने के बाद धनीराम की पत्नी अपने चारो लकड़ो को उनके पिता के पास बुलाकर लाती है। धनीराम इस बात से बहुत ज्यादा चिंतित था, की उसके बाद उसके लड़को का क्या होगा। इसलिए उसने अपने चारो लकड़ो को अपने पास बैठाकर कहा, की मेरे पास जितना भी कमाया हुआ धन था, मैंने वह सारा अपने खेतो के निचे दबाया हुआ है। जब में इस दुनिया में ना रहूं, तो मेरे बाद तुम खेतो में से दबाया हुआ सारा खजाना निकल कर आपस में बाँट लेना है। इतना सुनने के बाद धनीराम के चारो बेटे बहुत खुश हुए। https://www.youtube.com/watch?v=6zt-wkylO9M इसके कुछ समय बाद धनीराम की बहुत ज्यादा बीमार होने की वजह से मृत्यु हो गयी। धनीराम की मृत्यु के कुछ दिन बाद, उसके चारो बेटे खेत में दबे हुए खजाने को खोदने के लिए निकल गए। खेत में पहुंचने के बाद चारो बेटों ने पूरा खेत खोद डाला लेकिन उनमे से किसी को भी खजाने जैसा कुछ नहीं मिला। इस बात से वह चारो बहुत निराश हुए, और उन्होंने घर आकर अपनी माँ से कहा, की पिताजी ने खेत जो खोजने के बारे में बताया था, वह एक झूठ था। हम चारो ने पूरा खेत खोद डाला लेकिन हमें खेत में कोई भी खजाना नहीं मिला। यह सुनकर उनकी माँ बोली की तुम्हारे पिताजी ने अपने पुरे जीवन में यह घर और खेत ही कमाया है, अब जब तुमने इतनी मेहनत करके पूरा खेत खोद दिया है, तो अब उसमे बीज भी डाल दो। इसके बाद चारो बेटों ने खेत में बीज वो दिए, और माँ के कहे गए अनुसार खेत में समय पर पानी और खाद डालने लगे। समय बीतता गया है, और कुछ समय बाद खेत में फसल तैयार हो गयी। फसल काटने के बाद चारो बेटों ने फसल को बाजार में बेचा और उससे जो भी पैसे मिले उससे उन्हें बहुत ख़ुशी मिली। इसके बाद जब चारो बेटे घर गए, तो माँ ने कहा की बेटा तुम्हारे पिताजी तुम्हे यही समझाना चाहते है, की जो हम मेहनत करते है, उसके बदले में ही हमें खजाना मिलता है। Moral of The Story इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है। अगर हमें अपने जीवन में सफल होना है, "तो हमें मेहनत करनी चाहिए।" अगर कोई भी व्यक्त ज्यादा आलस करता है, तो वह अपने जीवन का कीमती समय बर्बाद कर रहा होता है। आपको हमेशा अपने जीवन में सही दिशा में मेहनत करनी चाहिए।
3. नकारात्मक लोगो की बि��्कुल भी नहीं सुननी चाहिए (Short Moral Stories in Hindi)
एक बार एक जंगल में बहुत सारे मेंढकों का ग्रुप घूम रहा था। यह सभी जंगल में आगे यात्रा करते जा रहे है। तभी उनमे से दो मेंढक एक गड्डे में गिर जाते है। यह देखकर दूसरे सभी मेंढक को लगा की अब यह जीवित नहीं बचेंगे, क्योकिं वह गड्डा बहुत गहरा था।
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सभी मेंढक एक साथ चिल्ला रहे थी, की अब तुम बाहर नहीं आ सकते हो। हालाकिं दोनों मेंढक गड्डे से बहार निकलने का प्रयास कर रहे थे। उनके लगातार प्रयास करने पर भी अन्य मेंढक उन्हें यही बोल रहे थे, की तुम्हारी कोशिश बेकार है, तुम गड्डे से बहार नहीं निकल सकते हो। यह बात गड्डे में गिरे एक मेंढक ने सुन ली। और वह हिम्मत हर गया और अंत तक प्रयास करते करते मर गया। लेकिन दूसरे मेंढक ने हिम्मत नहीं हारी वह अपना पूरा प्रयास करता रहा। पहले मेंढक के मरने पर दूसरे मेंढक जोर जोर से चिल्ला रहे थे। लेकिन गड्डे में गिरा हुआ मेंढक अभी भी बहार निकलने का पूरा प्रयत्न कर रहा था। और उसने सभी को नजर अंदाज करके बार बार प्रयास करने के कारण कूद कूद कर गड्डे से बहार निकलने में सफल हो गया। https://www.youtube.com/watch?v=WYZb0vdmB6k जब वह मेंढक गड्डे से बाहर आया तो अन्य सभी मेंढक बोले की जब हम तुम्हे जोर जोर से बोल रहे थे, की तुम गड्डे से बहार नहीं निकल सकते हो, तो क्या तुम्हे यह आवाज नहीं सुनाई दी थी। उस मेंढक ने कहा नहीं मुझे किसी की कोई भी आवाज नहीं सुनाई दी। क्योकिं में बहरा हूँ और मुझे लगा आप सब जोर जोर से बोलकर मेरा उत्साह बढ़ा रहे हो। इसी कारण में गड्डे से बहार निकलने में सफल रहा। Moral of The Story इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है। "की हमें कभी भी किसी भी ऐसे व्यक्ति की नहीं सुननी चाहिए, जो हमें ऊपर उठने में या किसी समस्यां को हल करने से रोकते है।" बस आपको आपने ऊपर पूरा विशवास रखना चाहिए। अगर आपको अपने ऊपर पूरा विशवास है, तो आप किसी भी समस्यां का हल ढूंढ सकते है।
4. भेड़िया और सारस की कहानी (Short Moral Stories in Hindi)
एक जंगल में एक भेड़िया रहता था। वह एक दिन एक शिकार करके उस जानवर को खा रहा था। खाते खाते उसके गले में एक हड्डी अटक जाती है। बहुत कोशिश करने के बाद भी भेड़ियाँ अपने गले से उस हड्डी को नहीं निकाल पाता है।
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और उसकी स्तिथि बहुत ज्यादा बुरी हो जाती है। अब वह बहुत परेशान हो जाता है। तभी उसे सामने एक सारस दिखाई देता है। उसकी लम्बी चोंच देखर भेड़ियाँ उस सारस से मदद मांगता है। पहले तो सारा बहुत ज्यादा डरा हुआ सा रहता है, क्योकिं उसे एक भेड़ियें की मदद करना अच्छा नहीं लगता है। लेकिन जब भेड़ियाँ उससे बोलता है, की तुम मेरे गले में फांसी हड्डी को निकालो में तुम्हे इनाम दूंगा| तो इस पर सारस को लालच आ जाता है, और वह भेड़ियें की गले की हड्डी को अपनी लम्बी चोंच से निकल देता है। हड्डी निकल जाने के बाद भेड़ियाँ वहां से जाने लगता है। https://www.youtube.com/watch?v=FbgTukX6oc8 यह देखकर सारस कहता है, मैंने तुम्हारे गले की हड्डी निकाली है, मेरा इनाम कहाँ है। यह सुनकर भेड़ियाँ सारस से कहता है, तुम्हारी गर्दन मेरे गले से सुरक्षित बहार आ गयी है। यही तुम्हारा इनाम है। इस बात से सारस को बहुत दुःख हुआ। Moral of The Story इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, "की हमें कभी भी स्वार्थी लोगो के साथ नहीं रहना चाहिए।" जिस व्यक्ति का कोई आत्मसम्मान नहीं होता है, उसकी सहायता करने पर बदले में किसी भी तरह के लाभ की अपेक्षा ना करें।
5. डरपोक पत्थर की कहानी (Moral Stories in Hindi)
बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक मूर्तिकार रहता था। उसे एक मूर्ति बनाने के लिए पत्थर की आवश्यकता थी। वह पत्थर खोजने के लिए जंगल में चला गया, वहां पर उसे एक अच्छा और सुन्दर सा पत्थर मिल जाता है|
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जिसे मूर्ति का आकार देना बहुत ही आसान था, वह इस पत्थर को देखकर खुश हो जाता है। और उस पत्थर को उठाकर अपने साथ अपने घर ले जाने लगता था। जब वह रस्ते में आ रहा होता है, तो उसे एक पत्थर और मिल जाता है, म���र्तिकार उस पत्थर को भी अपने साथ ले जाता है। मूर्तिकार दोनों पत्थर को घर ले जाता है, और अपने औजारों से पत्थर को मूर्ति का आकार देने लगता है। जैसे ही वह पत्थर पर चोट मरता है, पत्थर कहने लगता है, की मुझे छोड़ दो इससे मुझे दर्द हो रहा तुम किसी और पत्थर की मूर्ति बना लो। अगर तुम मेरे ऊपर ज्यादा चोट मरोगे तो में टूट कर बिखर जाऊंगा। पत्थर की यह बात सुनकर मूर्तिकार को उस पर दया आ जाती है, और वह उस पत्थर को छोड़ देता है, और दूसरे पत्थर की मूर्ति बनाने लग जाता है। यह पत्थर कुछ नहीं बोला और कुछ ही समय में मूर्तिकार इस पत्थर को एक भगवान की मूर्ति मन बदल देता है। https://www.youtube.com/watch?v=AAb1fD82ZE0 भगवान् की मूर्ति बनने के बाद गांव वाले उस मूर्ति को लेने केलिए आते है। जब गांव वाले उस मूर्ति को ले जाने लगते है, तो वह सोचते है, की मूर्ति के पास नारियल तोड़ने के लिए एक पत्थर की आवश्यकता और पड़ेगी। इसके लिए वह दूसरे पत्थर को भी अपने साथ ले जाते है। गांव वालों ने मूर्ति को मंदिर में रख दिया और उसी मूर्ति के निचे दूसरे पत्थर को भी रख दिया। जब भी मंदिर में लोग पूजा करने के लिए आते तो वह मूर्ति पर दूध चढ़ाते और फूलो की माला डालते और निचे रखे पत्थर पर नारियल को फोड़ते थे। इससे पत्थर बहुत परेशान होता था। जब भी लोग उस पर नारियल फोड़ते थे, उसको दर्द होता था। इस पर वह पत्थर मूर्ति बने पत्थर से बोलता है, की तुम तो बहुत ही आराम मन हो लोग तुम्हे दूध स्नान कराते है, और तुम्हे लड्डू का भोग लगाते है, और मेरी किस्मत तो बहुत ही ख़राब है। इस बात पर मूर्ति वाले पत्थर ने जबाब दिया की मूर्तिकार तो तुम्हे मूर्ति बनाना चाहता था, लेकिन तुमने दर्द की वजह से इंकार कर दिया अगर तुम उस समय ऐसा नहीं करते तो शायद आज में तुम्हारी जगह पर होता, और लोग मेरे ऊपर नारियल फोड़ रहे होते। लेकिन तुमने शुरुआत का दर्द सहन नहीं किया और तुमने आराम का रास्ता चुना जिसकी वजह से अब तुम्हे दर्द सहना पड़ रहा है। यह बात उस पत्थर को समझ आ गयी, और वह आगे से कभी कुछ नहीं बोला जब भी लोग उस पर नारियल को फोड़ते वह सभी दुःख हसकर सहता था। जब लोग मूर्ति को लड्डू का भोग लगाते थे, तो उस पत्थर पर भी लड्डू का भोग लगाते थे। Moral of The Story इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है, "की हमें कभ भी किसी भी कठिन से कठिन परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए। क्योकिं शुरुआत में हमारे जीवन में कठिनाइयां आती है, लेकिन बाद में सब कुछ ठीक हो जाता है।" जो व्यक्ति शुरुआत की कठिनाइयों को सामना करके आगे बढ़ जाता है, उसका आने वाला जीवन पूरा सुखमय हो जाता है।
6. मेहनत के फल की कहानी (Moral Stories in Hindi)
एक गांव में दो दोस्त रहते थे, एक का नाम मोहन और दूसरे का नाम सोहन था। दोनों में बहुत ही गहरी मित्रता थी। मोहन बहुत ही धार्मिक व्यक्ति था, वह हमेशा भगवान की भक्ति में लीन रहता था, जबकि सोहन बहुत ज्यादा मेहनती था।
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एक बार दोनों ने एक बीघा जमीन लेकर उसमे फसल उगाने के बारे में सोचा, जिसके बाद वह एक अच्छा सा घर बनाना चाहते थे। इसके बाद दोनों दोस्तों ने खेत खरीद लिया, सोहन दिन रात खेत में मेहनत करता, और मोहन मंदिर में बैठकर फसल अच्छी होने के लिए भगवान से प्रार्थना किया करता। इसी तरह से समय बीतता गया, और कुछ दिन बाद फसल पक गयी। फसल पकने के बाद उसकी कटाई करके उसे बाजार में जाकर बेच दिया। इसके बाद उन्हें अच्छा पैसा मिला। इस पर सोहन ने कहा की इसमें से मेरा ज्यादा हिस्सा है, क्योकिं मैंने दिन रात एक करके खेत को खाद पानी देकर फसल उगाई है। https://www.youtube.com/watch?v=8amQs9oJ3Ks लेकिन यह बात सुनकर मोहन गुस्सा हो जाता है, और कहने लगता है, की धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलना छाइये, क्योकिं मैंने अपने खेत में अच्छी फसल होने के लिए भगवान से प्रार्थना की है। और जब तक भगवान की मर्जी ना हो तब तक कोई भी कुछ नहीं कर सकता है। दोनों इसी बात को लेकर लड़ने लगे, अब यह बात गांव के मुखिया तक पहुंच गयी। गांव के मुखियां ने सारी बात सुनने के बाद एक फैसला किया। मुखियां ने दोनों दोस्तों को चावलों की एक एक बोरी दी, जिसमे चावलों के बिच छोटे छोटे कंकड़ मिले हुए थे। मुखियां ने कहाँ इस चावलों की बोरी को घर ले जाओ और इसमें से सुबह तक चावल और कंकड़ अलग अलग करके लेकर आओ फिर में सुबह फैसला करूँगा की फसल का ज्यादा ��न किसको मिलना चाहिए। दोनों अपनी अपनी चावलों की बोरी लेकर घर चले गए। सोहन अपने चावलों की बोरी को खोलकर उसमे से कंकड़ अलग अलग करने में लगा गया। मोहन अपनी चावलों की बोरी को लेकर मंदिर में चला गया और भगवान से चावलों से कंकड़ को अलग करने के लिए प्रार्थना करने लगा, बोलै ही भगवान मेरे चावलों से कंकड़ अलग कर दो। दोनों अगली सुबह मुखियां के पास पहुंचे, सोहन ने तो पूरी रात जागकर चावलों से एक एक करके सारे कंकड़ अलग कर दिए।इस पर मुखियां बहुत खुश हुआ। और मोहन ने अपनी बोरी मंदिर से ले जाकर ऐसी की ऐसी मुखिया के सामने रख दी। और मुखिया से बोला आप बोरी को खोल कर देख लीजिये मुझे भगवान पर पूरा विशवास है, की इस चावल की बोरी से सारे कंकड़ निकल चुके होंगे। लेकिन जब मुखियां ने चावलों की बोरी खुलवाई तो देखा सारे कंकड़ चावलों के बिच ही मौजूद थे। मुखियां ने मोहन को समझाते हुए कहाँ, की भगवान भी हमारी मदद जब ही करते जब हम अपनी तरफ से मेहनत करते है। यह बात समझाते हुए मुखियां ने फसल का ज्यादा धन सोहन को दे दिया। इसके बाद से मोहन भी सोहन के साथ खेत में मन लगाकर मेहनत करने लगा। इस बार इनके खेत में और भी ज्यादा अच्छी फसल हुई। Moral of The Story यह कहानी हमें सिखाती है, "की हमें कभी भी पूरी तरह से भगवान के भरोसे पर नहीं बैठना चाहिए।" क्योकिं भगवान भी हमारी सहायता तभी करते है, जब हम अपनी तरफ से मेहनत करते है। Some Best Post: now gg Roblox | full form for computer Read the full article
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knowledgeworld07 · 11 days
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Baccho Ki Kahani Chinti Aur Hathi Ki Dosti 
Baccho Ki Kahani Chinti Aur Hathi Ki Dosti  Baccho Ki Kahani Chinti Aur Hathi Ki Dosti छोटे बच्चों की कहानी, छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां, Bacchon Ke Liye Kahaniyan, चींटी और हाथी की कहानी ! एक बार पंचवन की जादुई भूमि में मीठी नाम की एक छोटी चींटी और गोलू नाम का एक विशाल हाथी रहता था। अपने आकार के अंतर के बावजूद वे सबसे अच्छे दोस्त थे और एक साथ रोमांचक कारनामों पर जाना पसंद करते थे। एक दिन सुबह…
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cbnews · 1 year
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भारतीय बल्लेबाज #अजिंक्य_रहाणे कुछ महीनों पहले ही एक बेटे के पिता बने हैं. रहाणे ने इस बात की जानकारी अपने फैन्स के साथ पहले ही साझा कर दी थी, लेकिन अब उन्होंने अपने बेटे की झलक भी फैन्स को दिखा दी है. #रहाणे ने पत्नी #राधिका_धोपावकर ने अपने ऑफिशियल #Instagram से बेटे की तस्वीरें शेयर की हैं. इसके साथ उन्होंने बेटे के नाम का खुलासा भी किया है. #राधिका ने अपने बेटे की दो तस्वीरें शेयर की हैं, जिनमें से एक तस्वीर में बेटा और बेटी दोनों नजर आ रहे हैं. इन तस्वीरों को शेयर करते हुए राधिका ने लिखा है- पेश है #आर्या के छोटे भाई " #राघव_रहाणे." यानी अजिंक्य रहाणे और राधिका ने अपने बेटे को #RaghavRahane नाम दिया है. #AjinkyaRahane के बेटे का जन्म 5 अक्टूबर 2022 को हुआ था. यह अजिंक्य और राधिका की दूसरी संतान है. इससे पहले यह कपल 5 अक्टूबर 2019 को बेटी का माता-पिता बना था. रहाणे ने अपनी बेटी को #Aarya नाम दिया है. रहाणे के दोनों बच्चों का जन्मदिन एक ही दिन यानी 5 अक्टूबर को होता है. अजिंक्य रहाणे और #RadhikaDhopavkar की शादी 26 सितंबर 2014 में हुई थी, जिसके बाद 2019 में उनके घर पहली संतान बेटी का ज��्म हुआ था. अजिंक्य रहाणे और राधिका धोपावकर की प्रेम कहानी आपको पुरानी बॉलीवुड फिल्मों की याद दिलाएगी, अजिंक्य और राधिका पड़ोस में ही रहते थे. अजिंक्य रहाणे और राधिका धोपावकर दोनों के स्वभाव बिल्कुल विपरीत थे, लेकिन वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए. फिल्मों की तरह ही ये दोनों बड़े होकर एक-दूसरे को बहुत पसंद करने लगे. अजिंक्य एक विनम्र व्यक्ति हैं, लेकिन उनके डेटिंग के दिन उतने शर्मीले नहीं थे. वे दोस्तों की तरह मिलते और समय बिताते थे. अजिंक्य रहाणे और राधिका धोपावकर के परिवारों को एक-दूसरे के प्रति उनकी पसंद का आभास हो गया,उन्होंने उनसे पूछा कि क्या वे हमेशा साथ रहना चाहते हैं. तब #Love बर्ड्स ने अपने प्यार का इजहार परिवार के सामने किया. परिवारों ने उनकी शादी की व्यवस्था की. यह काफी सिंपल और प्यारी सी #LoveStory है. #CBnews #Chandrakant_cb #TrendingNews #BaghelNews #ViralNews #BreakingNews #News #LatestNews #TodayNews #HindiNews #Status #Stories #ShareChatTrendingNews #Viral #Trending You can follow on social media 👇🏻 SC https://sharechat.com/profile/chandrakant_cb?d=n IG - https://www.instagram.com/Chandrakant_cb/ TW - https://twitter.com/Chandrakant_cb1?t=LMJ-0GLKb7pLagjXwkHslQ&s=09 FB - https://www.facebook.com/chandrakantbaghelgwalior/ (at Mumbai - मुंबई) https://www.instagram.com/p/Cl1gTIKvYcE/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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telnews-in · 1 year
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No Tender For Gujarat Bridge Repair Contract, Old Wires Weren't Changed
No Tender For Gujarat Bridge Repair Contract, Old Wires Weren’t Changed
गुजरात के मोरबी में रविवार शाम एक दुल्हन के गिरने से 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई मोरबी: सूत्रों ने कहा कि गुजरात में सदी पुराने पुल के कुछ केबल सात महीने के नवीनीकरण के दौरान एक निजी कंपनी द्वारा नहीं बदले गए। पुल कल गिर गया था, जिसमें दो साल के सबसे छोटे 47 बच्चों सहित 130 से अधिक लोग मारे गए थे। इस बड़ी कहानी के लिए आपकी 10-सूत्रीय चीट शीट इस प्रकार है: गुजरात स्थित घड़ी निर्माता ओरेवा…
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छोटे से गांव से निकलकर बिना कोचिंग के पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा पास करने वाली दिव्या तंवर की प्रेरक कहानी
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हर साल यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में कई अभ्यर्थी हिस्सा लेते हैं। लेकिन अपनी कड़ी मेहनत और लगन से इस परीक्षा ��ें कुछ ही लोग सफलता हासिल करने में कामयाब हो पाते हैं। ऐसे में कई लोग अपनी बुरी परिस्थिति का हवाला देकर खुद को आगे बढ़ने से रोक लेते हैं। वहीं कुछ ऐसे प्रतिभावान लोग भी हैं जो विपरीत परिस्थितियों को भी अपने अनुकूल बनाकर सफलता की नई कहानियां लिख देते हैं। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण बनी हैं हरियाणा के छोटे से गांव से आने वाली दिव्या तंवर जिन्होंने बिना कोचिंग के यूपीएससी परीक्षा पास की है। दिव्या के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे, उनकी माँ ने मजदूरी कर के कैसे तैसे उन्हें पढ़ाया। लेकिन दिव्या ने अपने सपनों को अपने हालातों के आगे आने नहीं दिया। उन्होंने कठिन मेहनत से पढ़ाई कर के बिना कोंचिग के ही सिविल सर्विस की परीक्षा को पास कर अपने नाम का परचम लहरा दिया। तो आइए जानते हैं यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2021 में रैंक 438 रैंक प्राप्त करने वाली दिव्या तंवर के जीवन की प्रेरक कहानी।
माँ ने मजदूरी कर उठाया पढ़ाई का खर्च
हरियाणा के महेंद्रगढ़ के एक सामान्य परिवार में जन्मीं दिव्या अपने भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं। वे बेहद साधारण परिवार से आती हैं। बहुत ही कम उम्र में उनके सर से पिता का साया उठ गया। जिसके बाद पूरे घर की जिम्मेदारी उनकी माँ के कंधों पर आ गईं। उसके बाद से उनकी माँ ने दूसरों के खेतों में मजदूरी कर अपना घर चलाया और अपने बच्चों का पालन-पोषण किया। दिव्या ने अपनी प्राथमिक शिक्षा निम्बी जिले के मनु स्कूल से प्राप्त की। जिसके बाद उन्होंने नवोदय विद्यालय में दाखिला लिया। स्कूल से निकलने के बाद उन्होंने अपना ग्रेजुएशन बीएससी में गवर्नमेंट पीजी कॉलेज से किया। साथ में घर चलाने के लिए माँ की मदद करने के लिए दिव्या अक्सर बच्चों को पढ़ाया भी करती थी।
10-10 घंटे तक करती थी पढ़ाई
दिव्या के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। लेकिन दिव्या के सपने हमेशा से बड़े थे। वो कुछ करना चाहती थी, कुछ बनना चाहती थी। इसी कड़ी में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास करने की ठानी। दिव्या का घर बहुत छोटा है लेकिन उन्होंने वहीं रहकर तैयारी की। तैयारी के लिए उन्होंने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया क्योंकि कोचिंग की फीस देने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उन्हें खुद पर पूरा भरोसा था इसलिए वो रोज 10-10 घंटे तक पढ़ाई करती थी और घर से कभी बाहर नहीं जाती थी। खाना, पढ़ना और सोना, बस यही उनकी तैयारी का शेड्यूल रहा था।
ऐसे पास की यूपीएससी परीक्षा
लगातार कठिन परीश्रम कर दिव्या तंवर ने यूपीएससी की परीक्षा दी। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में इस कठिन परीक्षा को पास कर लिया। यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2021 में उन्होंने 438 रैंक प्राप्त की। दिव्या अपनी माँ को अपनी सफलता का क्रेडिट देती हैं जिन्होंने अपनी बेटी का हाथ हमेशा थामे रखा और कभी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी।
दिव्या तंवर ने उन लोगों को दिखा दिया जो परिस्थिति का हवाला देकर अपने सपनों को छोड़ देते हैं। दिव्या ने खुद मेहनत की और यूपीएससी जैसी बड़ी परीक्षा को पास कर लिया। आज वो लाखों लोगों को प्रेरित कर रही हैं। उन्होंने अपनी मेहनत से सफलता की कहानी लिखी है। दिव्या की मानें तो परीक्षा पास करने में किस्मत से अधिक मेहनत का रोल होता है। यदि किसी ने ठान लिया कि यह करना है तो वह मेहनत के दम पर वह हासिल कर ही लेता है।
Source: https://hindi.badabusiness.com/motivational/success-story-of-divya-tanwar-11519.html
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savitaa · 2 years
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मायका और माँ ( कितनी खूबसूरत सच्ची कहानी है ). जिससे आपको अपनी माँ की याद आयेगी
मायका और माँ ( कितनी खूबसूरत सच्ची कहानी है ). जिससे आपको अपनी माँ की याद आयेगी
मायका और माँ ( कितनी खूबसूरत सच्ची कहानी है ).माँ थीं तो मोहल्ले भर को मेरे आने का पता होता थामाँ थीं तो बने होते थे राजमाह चावल पुदीने की चटनीमाँ थीं तो बिलकुल बुरा नहीं लगता थाबिस्तर में लेटे रहना , सुस्ताना , टी वी देखना , चाय पीनामाँ थीं तो अपने साथ साथ मेरे लिए भी डाल लेती थीं आम का अचार साल भर के लिएले लेती साल भर के लिए देसी चावलजब छोटे छोटे बच्चों के साथ जातीतो कहतीभूल जाओ सब , आनंद करो ,…
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