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#बच्चे की नींद
guiasmaternos · 10 months
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प्राथमिक देखभाल: आपके बच्चे के कल्याण की गारंटी
आपके बच्चे की कल्याण सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण देखभाल की खोज करें। यह व्यापक मार्गदर्शिका स्वच्छता, पोषण, नींद और बच्चे के विकास पर मार्गदर्शन प्रदान करती है।
मातृत्व के आश्चर्यमय दुनिया में आपका स्वागत है, जहाँ प्रत्येक दिन नया साहस, प्यार और हां, आपके प्रिय बच्चे की महत्वपूर्ण देखभाल की चरणबद्ध और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। चाहे आप पहली बार की माता हो या एक अनुभवी वेटरन, एक नवजात शिशु की देखभाल एक समझदार ज्ञान और विश्वसनीय मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। इस व्यापक मार्गदर्शिका में, हम उन महत्वपूर्ण देखभाल की खोज करेंगे जो आपके बच्चे के…
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jyotishgher · 1 month
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शकुन शास्त्र के 12 सूत्र
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घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अपशकुन जुड़े होते हैं, जो जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाते हैं। शकुन शुभ फल देते हैं, वहीं अपशकुन इंसान को आने वाले संकटों से सावधान करते हैं। हम आपको घर से जुड़ी वस्तुओं के शकुनों के बारे में बता रहे हैं।
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1-दूध का शकुन
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सुबह-सुबह दूध को देखना शुभ कहा जाता है। दूध का उबलकर गिरना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान व वैभव की उन्नति होती है। दूध का बिखर जाना अपशकुन मानते हैं, जो किसी दुर्घटना का संकेत है। दूध को जान-बूझकर छलकाना अपशकुन माना जाता है , जो घर में कलह का कारण है।
2-दर्पण का शकुन
हर घर में दर्पण का बहुत महत्व है। दर्पण से जुड़े कई शकुन-अपशकुन मनुष्य जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य करते हैं। दर्पण का हाथ से छूटकर टूट जाना अशुभ माना जाता है। एक वर्ष तक के बच्चे को दर्पण दिखाना अशुभ होता है। यदि कोई नव विवाहिता अपनी शादी का जोड़ा पहन कर श्रृंगार सहित खुद को टूटे दर्पण में देखती है तो भी अपशकुन होता है। तात्पर्य यह है कि दर्पण का टूटना हर दृष्टिकोण से अशुभ ही होता है। इसके लिए यदि दर्पण टूट जाए तो इसके टूटे हुए टुकड़ों को इकटठा करके बहते जल में डाल देने से संकट टल जाते हैं।
3-पैसे का शकुन
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आज के इस युग में पैसे को भगवान माना जाता है। जेब को खाली रखना अपशकुन मानते हैं। कहा जाता है कि पैसे को अपने कपड़ों की हर जेब में रखना चाहिए। कभी भी पर्स खाली नहीं रखना चाहिए।
4-चाकू का शकुन
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चाकू एक ऐसी वस्तु है, जिसके बिना किसी भी घर में काम नहीं चल सकता। इसकी जरूरत हर छोटे-छोटे कार्य में पड़ती है। इससे जुड़े भी अनेक शकुन-अपशकुन होते हैं। डाइनिंग टेबल पर छुरी-कांटे का क्रास करके रखना अशुभ मानते हैं, इसके कारण घर के सदस्यों में झगड़ा हो जाता है। मेज से चाकू का नीचे गिरना भी अशुभ होता है। नवजात शिशु के तकिए के नीचे चाकू रखना शुभ होता है तथा छोटे बच्चे के गले में छोटा सा चाकू डालना भी अच्छा होता है। इससे बच्चों की बुरी आत्माओं से रक्षा होती ह��� व नींद में बच्चे रोते भी नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति आपको चाकू भेंट करे तो इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए एक सिक्का अवश्य दें।
5-झाडू का शकुन
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घर के एक कोने में पड़े हुए झाडू को घर की लक्ष्मी मानते हैं, क्योंकि यह दरिद्रता को घर से बाहर निकालता है। इससे भी कई शकुन व अपशकुन जुड़े हैं। दीपावली के त्यौहार पर नया झाडू घर में लाना लक्ष्मी जी के आगमन का शुभ शकुन है। नए घर में गृह प्रवेश से पूर्व नए झाडू का घर में लाना शुभ होता है। झाडू के ऊपर पांव रखना गलत समझा जाता है। यह माना जाता है कि व्यक्ति घर आई लक्ष्मी को ठुकरा रहा है। कोई छोटा बच्चा अचानक घर में झाडू लगाने लगे तो समझ लीजिए कि घर में कोई अवांछित मेहमान के आने का संकेत है। सूर्यास्त के बाद घर में झाडू लगाना अपशकुन होता है, क्योंकि यह व्यक्ति के दुर्भाग्य को निमंत्रण देता है।
6-बाल्टी का शकुन
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सुबह के समय यदि पानी या दूध से भरी बाल्टी दिखाई दे तो शुभ होता है। इससे मन में सोचे कार्य पूरे होते हैं। खाली बाल्टी देखना अपशकुन समझा जाता है, जो बने-बनाए कार्यों को बिगाड़ देता है। रात को खाली बाल्टी को प्रायः उल्टा करके रखना चाहिए एवं घर में एक बाल्टी को अवश्य भरकर रखें, ताकि सुबह उठकर घर के सदस्य उसे देख सकें।
7-लोहे का शकुन
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घर में लोहे का होना शुभ कहा जाता है। लोहे में एक शक्ति होती है, जो बुरी आत्माओं को घर से भगा देती है। पुराने व जंग लगे लोहे को घर में रखना अशुभ है। घर में लोहे का सामान साफ करके रखें।
8-हेयरपिन का शकुन
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हेयरपिन एक बहुत ही मामूली सी चीज है, परंतु इसका प्रभाव बड़ा आश्चर्यजनक होता है। यदि किसी व्यक्ति को राह में कोई हेयरपिन पड़ा मिल जाये तो समझो कि उसे कोई नया मित्र मिलने वाला है। वहीं यदि हेयर पिन खो जाये तो व्यक्ति के नए दुश्मन पैदा होने वाले हैं। हेयरपिन को घर में कहीं लटका दिया जाए तो यह अच्छे भाग्य का प्रतीक है।
9-काले वस्त्र का शकुन
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काले वस्त्र बहुत अशुभ माने जाते हैं। किसी व्यक्ति के घर से बाहर जाते समय यदि कोई आदमी काले वस्त्र पहने हुए दिखाई दे तो अपशकुन माना जाता है, जिसके बुरे प्रभाव से जाने वाले व्यक्ति की दुर्घटना हो सकती है। अतः ऐसे व्यक्ति को अपना जाना कुछ मिनट के लिए स्थगित कर देना चाहिए।
10-रुई का शकुन
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रूई का कोई टुकड़ा किसी व्यक्ति के कपड़ों पर चिपका मिले तो यह शुभ शकुन है। यह किसी शुभ समाचार आने का संकेत है या किसी प्रिय व्यक्ति के आने का संकेत है। कहा जाता है कि रूई का यह टुकड़ा व्यक्ति को किसी एक अक्षर के रूप में नजर आता है व यह अक्षर उस व्यक्ति के नाम का प्रथम अक्षर होता है, जहां से उस व्यक्ति के लिए शुभ संदेश या पत्र आ रहा है।
11-चाबियों का शकुन
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चाबियों का गुच्छा गृहिणी की संपूर्णता का प्रतीक है। यदि गृहिणी के पास चाबियों का कोई ऐसा गुच्छा है, जिस पर बार-बार साफ करने के बाद भी जंग चढ़ जाए तो यह एक अच्छा शकुन है। इसके फलस्वरूप घर का कोई रिश्तेदार अपनी जायदाद में से आपको कुछ देना चाहता है या आपके नाम से कुछ धन छोड़कर जाना चाहता है। चाबियों को बच्चे के तकिए के नीचे रखना भी अच्छा होता है, इससे बुरे स्वप्नों एवंबुंरी आत्माओं से बच्चे का बचाव होता है।
12-बटन का शकुन
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कभी-कभी कमीज़, कोट या अन्य कोई कपड़े का बटन गलत लग जाए तो अपशकुन होता है, जिसके अनुसार सीधे काम भी उल्टे पड़ जाएंगे। इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए कपड़े को उतारकर सही बटन लगाने के बाद पहनें। यदि रास्ते चलते आपको कोई बटन पड़ा मिल जाए तो यह आपको किसी नए मित्र से मिलवाएगा।
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n7india · 7 days
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बच्चों के मुंडन संस्कार के लिये आ रहे थे बाबा धाम, पेड़ से टकराई कार, जुड़वा बच्चे समेत पांच की हो गई मौत
Deoghar: देवघर-चकाई मुख्यमार्ग स्थित बसबुटिया गांव के समीप शुक्रवार की अहले सुबह करीब 4 बजे एक स्वीफ्ट कारअनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई। जिसमें दो बच्चा समेत पांच लोगों की मौत हो गई। वहीं चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बताया जाता है कि चालक को नींद लगने से उक्त घटना घटी। घटना के उपरांत स्थानीय लोगों की मदद से एंबुलेंस से 6 लोगों को देवघर सदर अस्पताल और तीन लोगों को जमुई भेजा गया। देवघर सदर…
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राधे राधे भाई बहनों
दोस्तों दूसरों के बारे में तो हम रोज ही चर्चा करते हैं,
आज मैं अपने खुद के बारे में चर्चा करना चाहता हूं,
अपने खुद के बीते हुए समय को
याद करके हमने क्या गलतियां की है,
और उसे हम वर्तमान में ना दोहराते हुए
जीवन में आगे बढ़े तो हो सकता है
हमारा भविष्य उतना सफल न हो
जितना हम चाहते हैं,
लेकिन बहुत हद तक हम सुधार कर लेंगे!
इसकी शुरुआत एक कविता की दो लाइन से शुरू करता हूं,
बड़ा आसान है ज्ञान झाड़ना
किसी की नाकामी पर,
विश्लेषण अच्छा कर लेते हैं
हारे हुए जुवारी का,
जिना दूभर कर देते हैं
हालात के शिकार हुए बेचारे का!
"मेरी कहानी"
मेरी उम्र कोई 13 से 14 साल की रही होगी,
हमारे पड़ोस में एक महानुभव को उपन्यास पढ़ने का शौक था !
और वह दिन रात उपन्यास पढ़ने में ही व्यस्त रहता था !
लोगों से उसका कोई रिश्ता नहीं था,
रात को 1:00 बजे भी आप उसको देखेंगे तो उसके कमरे की लाइट जली हुई मिलेगी,
सुबह 4:30 बजे 5:00 बजे उठकर भी उसको देखेंगे तो भी
उसके कमरे की लाइट जली हुई मिलेगी!
वह लगभग दुनिया से कट चुका था
समाज में क्या हो रहा है,
मोहल्ले में क्या हो रहा है उसको किसी से कोई मतलब नहीं,
बस इस सप्ताह कौन सा नया उपन्यास आया है
यही बातें करते रहता था,
किस उपन्यासकार ने क्या लिखा
कौन सा उपन्यासकार सबसे बढ़िया
कौन सा उपन्यासकार सामाजिक बातें लिखता कौन सा उपन्यासकार सस्पेंस बातें लिखता
बस लोगों से इसी के बारे में चर्चा करता था!
उस जमाने में फिल्मों का थोड़ा चलन था,
लेकिन टीवी का कोई चलन नहीं था !
उनकी बातें सुन सुनकर लोग दूसरे भी उपन्यास की तरफ पढ़ने के शौकीन हो गए,
मैं भी छोटा था उनकी बातें सुनता था तो मुझे भी कुछ कुछ उनकी बातों में रास आने लगा,
उस वक्त में छठी क्लास के अंदर पढ़ता था,
एक दिन मैंने भी उनसे उपन्यास मांग कर
पढ़ने की सोची,
फिर मैंने हिम्मत करके एक दिन उनसे कहा
भाई साहब
आप मुझे भी आपका यह उपन्यास
पढ़ने के लिए दो ना,
उन्होंने पहले तो मना कर दिया,
फिर न जाने क्या सोचकर कहां
सिर्फ आज के लिए दे रहा हूं,
कल वापस दे देना
उस दिन मैंने उपन्यास पढ़ना शुरू किया
रात को खाना खाकर मैं पढ़ने बैठ गया!
लगभग रात को 2:00 बज गए थे
लेकिन अभी तो सिर्फ आधा चैप्टर भी
पूरा नहीं हुआ,
सुबह तो वापस उसको देना था,
मुझे उसको पढ़ते-पढ़ते इंटरेस्ट आने लगा,
जैसे तैसे में अब उस उपन्यास को रखकर
सोने की कोशिश करने लगा,
मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं,
सुबह देर से उठा मां ने मुझे डॉट कर उठाया
उठने के बाद मुझे स्कूल जाना था,
स्कूल देरी से गया
स्कूल से वापस आते ही
पढ़ने का काम करने की जगह,
मैं उस उपन्यास की कहानी को पढ़ने बैठ गया,
जैसे-तैसे 4:00 बजे 5:00 बजे तक
मैंने उस कहानी को पूरा किया
और उन भाई साहब को
वापस किताब देने पहुंच गया!
उन्होंने कहा चलो ठीक है
लो यह दूसरा उपन्यास इसको पढ़ना
यह कहानी बहुत अच्छी है!
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा
क्योंकि मैं भी यही चाहता था,
इस प्रकार में भी इन कहानी उपन्यास का
इतना आदी हो गया कि अब तो
मुझे मां की डांट भी पड़ने लग गई!
मां बेचारी क्या जाने की मैं क्या पढ़ रहा हूं,
वह तो यह समझती थी कि
बच्चा पढ़ाई कर रहा है चलो ठीक है!
पर उसे क्या मालूम की पढ़ाई की जगह
यह अपने जीवन को बर्बाद कर रहा है!
स्कूल का होमवर्क पूरा नहीं होने की
वजह से स्कूल में भी डांट पड़ने लग गई!
धीरे धीरे मेरी रुचि पढ़ाई की तरफ कम
ओर इन उपन्यास की कहानियों की
तरफ ज्यादा हो गयी!
अब तो मैं भी धीरे-धीरे मां से पैसे लेकर
उपन्यास खरीदने लग गया,
मां को जेब खर्ची के नाम से
पैसे मांगता और उपन्यास
जाकर खरीदने लग गया,
किराए पर लाने लग गया,
यह रोग मुझे अपनी पढ़ाई को
खत्म करने तक लगा रहा,
5 साल तक में इस रोग का शिकार रहा!
जिन बच्चों के ऊपर मां-बाप का अंकुश नहीं होता है,
वह बच्चे इसी प्रकार से अपने भविष्य को बिगाड़ देते हैं!
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" सारांश "
मेरी अपनी इस कहानी को बताने का मकसद
सिर्फ इतना था कि मैंने इस उपन्यास और कहानियों के चक्कर में,
अपनी जिंदगी को बर्बाद कर दी 9 क्लास से आगे नहीं पढ़ सका,
मैट्रिक पास भी मैंने पत्राचार के माध्यम से की है,
क्योंकि यह नशा ही कुछ ऐसा होता है कि इंसान उसमें फंस कर रह जाता है!
अतः जब भी मैं किसी बच्चे को ऐसी किताबें या उपन्यास पढ़ते हुए देखता हूं तो भड़क जाता हूं!
मेरा ऐसा मानना है कि मेरी जिंदगी तो बर्बाद हुई लेकिन अब मैं किसी बच्चे को इन कहानियों और उपन्यासों के चक्कर में बर्बाद नहीं होने देना चाहता
सारे उपन्यास और सारी कहानियां खराब नहीं होती,
यह अपने विवेक से सोच समझ कर ही लोग कहानियां और उपन्यास पढ़ने की चेष्टा करें!
मेरी बर्बादी का मूल कारण इन उपन्यास को भी नहीं दे सकता
क्योंकि शायद होनी को यही मंजूर था
विधि के विधान को भी शायद यही मंजूर था
लेकिन बच्चों को इन कहानियों और उपन्यासों से दूर रखें ऐसा मेरा मानना है!
क्योंकि बच्चों का काम है अपने स्कूल की किताबें और सब्जेक्ट पर ध्यान देना,
आध्यात्मिक तरीके से भी अगर देखा जाए तो इंसान को जिस समय जो कार्य करना होता है,
उस पर ध्यान नहीं देकर अन्य गतिविधियों में लगा रहता है,
वह इंसान जीवन में कभी भी सफल नहीं हो सकता!
मेरे जीवन में मेरे फेल होने का कारण है,
मेरे घर में मुझे कोई सही दिशा देने वाला नहीं था!
मेरी मां मजदूरी करके मुझे पढ़ रही थी,
और पिताजी की डेथ में जब 3 साल का था तभी हो गई थी!
मां बेचारी सुबह मजदूरी करने निकल जाती थी और मुझे मेरे भविष्य के बारे में अच्छा या बुरा बताने वाला नहीं था!
कहते हैं जैसी संगत वैसी रंगत,
मोहल्ले में जिन लड़कों के साथ में रहता था वही संगत और इसी माहौल में बड़ा हुआ,
गलत संगत में जाने के बाद भी मैं कैसे बाहर निकल कर आया हूं,
यह मेरी आत्मा जानती है,
यह मेरे दादी मां के दिए हुए भक्ति के विचारों का प्रभाव है!
यहां पर मेरे खुद के ऊपर लिखी हुई एक कविता है जिसे मैं शेयर करना चाहता हूं!
न ले सका लाभ में अपने
अच्छे कुल और वंश का,
मिला दिया मिट्टी में,
दादी मां की भगवत भक्ति को!
भाव दृष्टि को देखकर,
भगवन ने निर्माण किया
वैसे ही सृष्टि का,
मिले जो हमें
संगी साथी दुराचारी,
ग्रहण कर लिया हमने
नीचकर्म वाले पापाचारों को!
गंवा दिया अनमोल समय
मैंने तेरे और मेरे
कुकर्मों को तोलनें में!
बड़ा अच्छा लगता है
लोगों की बुराई
देखने और सुनने में,
संगी साथी पहुंच गए सभी
माया के शिखर पर,
जहां पहुंचने की
ख्वाहिश हमारी भी थी!
दौड़ हमने भी खूब लगाई,
माया के शिखर पर पहुंचने की,
पर जैसे ही पहुंचते हैं
शिखर के करीब,
गिरकर फिर से आ पहुंचे हैं
वहां जहां से शुरुआत की!
ऐसा एक बार नहीं
कई बार हुआ
या यूं कहो हर बार हुआ!
रहकर एकांत में
जब मंथन किया,
ब्रह्म ज्ञानियों की वाणी का!
पक्का हुआ विश्वास हमें,
अंतर मन में वास है
परमपिता का!
मिला है मौका इसी जन्म में,
पापाचारों से मुक्ति का!
संतुष्ट हैं हम अपनी
तंगहाली भरी जिंदगी से,
यह सब असर है
हमारी दादी मां के दिए हुए
भक्ति के संस्कारों का!
गम नहीं हमें अब
माया के शिखर पर,
ना पहुंच पाने का!
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
हो सकता है जो मैं सोच रहा हूं
उससे आप सहमत नहीं हो तो
उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं!
स्वरचित मौलिक रचना
राधेश्याम खटीक
भीलवाड़ा राजस्थान
"राम राम जी"
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tvsandeshbharat09 · 2 months
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Viral Photo: मां के सामने दोनों बच्चियों की मौत… बाथरूम में इस हालत में मिलीं विधायक की दोनों भतीजियां
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Mohammad Salim Shabbo Qureshi: मुरादाबाद देहात सीट से सपा विधायक नासिर कुरेशी के छोटे भाई और देश के सबसे बड़े मांस निर्यातक हाजी मोहम्मद सलीम शब्बो कुरेशी के दिल्ली स्थित घर में भीषण आग लग गई। इससे पहले कि पुलिस और अग्निशमन दल आग पर काबू पाते, मांस निर्यातक की दो बेटियों गुलश्ना (15) और अनाया (13) की दम घुटने से मौत हो गई। निर्यातक की पत्नी गुलिस्तां कुरैशी, नौकर आदि ने किसी तरह भागकर जान बचा ली, लेकिन उनकी दो बेटियां पहली मंजिल पर बाथरूम में फंस गईं। मीट निर्यातक सलीम का उत्तरी दिल्ली के सदर बा��ार के कुरैश नगर में चमेलियन रोड पर आलीशान दो मंजिला बंगला है। करीब 750 गज जमीन पर बने इस बंगले में उनकी पत्नी गुलिस्तां कुरैशी, बेटे शारिक और खिजर के अलावा दो बेटियां गुलश्ना और अनाया रहती थीं। सलीम बिजनेस के सिलसिले में दुबई गया हुआ है।
Mohammad Salim Shabbo Qureshi: बचावकर्मी बंगले के अंदर जाते हैं
मंगलवार दोपहर 2.07 बजे बंगले के ग्राउंड फ्लोर पर बने होम थिएटर से अचानक धुआं उठने लगा। देखते ही देखते धुएं ने आग का रूप ले लिया। ग्राउंड फ्लोर पर होने के कारण सलीम की पत्नी गुलिस्तां, गार्ड, ड्राइवर और दो नौकर बाहर चले गए।
आग लगने के कारणों का पता लगाने में जुटी टीम
पहली मंजिल पर कमरे में मौजूद दोनों बेटियां फंस गईं। बचने के लिए दोनों ने खुद को बाथरूम में बंद कर लिया. इसी बीच पुलिस और फायर ब्रिगेड पहुंच गई और आग पर काबू पाने के प्रयास शुरू कर दिए। फायर ब्रिगेड कर्मी बीए सेट (मास्क) पहनकर घर में दाखिल हुए। शीशा तोड़कर धुआं निकाला गया।
रेस्क्यू टीम शीशा तोड़कर अंदर दाखिल हुई
आग पर काबू पाने के बाद जब घर की तलाशी ली गई तो बेटियां कहीं नजर नहीं आईं। पहली मंजिल पर बंद बाथरूम का दरवाजा तोड़ा गया तो दोनों बेहोश मिले। उन्हें तुरंत पास के जीवन माला अस्पताल ले जाया गया, जहां दोनों को मृत घोषित कर दिया गया। जांच टीम ने जांच के लिए नमूने लिए। दोनों बच्चियों की मौत उनकी मां के सामने ही हो गई मंगलवार दोपहर कुरैश नगर के अमानत मकान में जब आग लगी तो सलीम के चारों बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे। दरअसल, रोजे की वजह से सभी लोग सुबह सेहरी खाकर देर से उठते थे. दोपहर को जब घर में आग लगी तो सलीम के दोनों बेटे ग्राउंड फ्लोर पर बने कमरे में सो रहे थे। दोनों बेटियां पहली मंजिल पर बने कमरे में सो रही थीं। जांच टीम ने जांच के लिए नमूने लिए। मां गुलिस्तां अपने काम में व्यस्त थी। आग लगने के बाद जब थिएटर से धुआं उठा तो गुलिस्तां ने अपने बेटों शारिक और खिजर को बाहर निकाला। दोनों बेटियां ऊपर अपने कमरे में फंस गईं। बेटों को बाहर छोड़कर गुलिस्तां ने घर में घुसने की कोशिश की तो अंदर आग और धुआं फैला हुआ था।
Mohammad Salim Shabbo Qureshi: जांच टीम मौके पर
इसके बावजूद जब गुलिस्तां अंदर घुसने लगा तो बाहर मौजूद लोगों की भीड़ ने उसे रोक दिया. गुलशना और अनाया की मौत उनकी मां के सामने ही हो गई. परिवार के एक सदस्य ने बताया कि हाजी सलीम का बड़ा बेटा बीबीए प्रथम वर्ष का छात्र है। बड़ी बेटी 11वीं क्लास में आ गई थी.
घटना के बाद जांच टीम मौके पर पहुंची
अनाया आठवीं क्लास में पढ़ती थी. छोटा बेटा खिजर छठी क्लास में पढ़ता है. एक पड़ोसी ने बताया कि हाजी सलीम कुरेशी का आलीशान मकान पूरे इलाके में चर्चा में था. घर में सेंट्रलाइज्ड एसी के अलावा 12-14 लोगों के लिए मूवी देखने के लिए थिएटर भी है. थिएटर में आग एसी से शुरू हुई. थिएटर में ज्वलनशील पदार्थ होने के कारण यह तेजी से पूरे घर में फैल गया और दो लड़कियों की जान चली गयी.
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yogisonugami · 2 months
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दूसरे में रस लेने वाला बड़ा ही उपद्रवी होता है असली आनंद तो अपने भीतर के ज्ञान से ही आता है । Yogi Sonu Quotes ।।
सबसे गुलाम भरा जीवन एक छोटे बच्चे का होता है नींद न आए तब पर भी जबर्दस्ती सोना पड़ेगा जैसे एक स्विच हो 
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अपने मर्जी के तुम काम नहीं कर सकते जो पसंद न हो उसे भी खाना पड़ता है 
मैं पूछता हूं अगर तुम्हारी नींद 6 घंटे के बजाए तीन चार घंटे में पूरा हो जाता है तो तुम्हे सोने की जरूरत क्या है योगी सोनू जीवन वैसे भी कम है उतने समय परमात्मा को याद कर लोगे 
दूसरा क्या सोचेगा यही चीज का तुम्हे भय बना रहता है अरे दूसरे के पास वक्त ही कहां है तुम्मे रस लेने का योगी सोनू 
अगर लेता है तो उसने अपना समय बर्बाद किया बेचारा एक कदम आत्मज्ञान की ओर जा सकता था इतने समय परमात्मा को याद कर सकता था 
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दूसरे में रस लेने वाला बड़ा ही उपद्रवी होता है असली आनंद तो अपने भीतर के ज्ञान से ही आता है । योगी सोनू
चल पगले आत्मज्ञान की ओर प्रभु के धाम की ओर ।
Q
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maakavita · 4 months
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 श्रवण-सा बेटा (sharvan sa beta )
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण -सा बेटा पैदा हो जाए,
*      *        *         *        *
अपने कीमती वक्त में से थोड़ा वक्त निकालकर,
माता-पिता के साथ बातें करें जमकर,
दुसरों के लिए एक मिसाल बने,
पहले खुद दिखाएं एक श्रवण सा बेटा बनकर,
शायद हर बेटा ना बन पाए,
श्रवण के जैसा महान,
पर माता-पिता का घर में,
हम कर सकते हैं सम्मान,
जिसने माता-पिता के लिए,
अपना पूरा जीवन किया कुर्बान,
पर श्रवण की बस्ती थी,
अपने माता-पिता में जान,
माता-पिता की हर इच्छा,
श्रवण कुमार ने की है पूरी,
सोचकर देखना एक पल कभी,
माता-पिता के बिन ज़िंदगी है हमारी अधूरी,
जीते -जी करें उनका आदर -सत्कार,
इससे पहले की लम्बी नींद की,गोद में ,
माता-पिता ना सो जाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण -सा बेटा पैदा हो जाए,
*       *        *        *       *
 माता-पिता का‌ सेवक बनकर,
श्रवण के जैसे हम जिम्मेदारी उठाएंगे,
उठाएं ये सौगंध अगर,
हम बेटे का फर्ज सच्चे दिल से निभाएंगे,
उम्र के इस पड़ाव पर माता-पिता को,
हर पल जरूरत हमारी है,
ये ठान लें दिल में हम सब,
अपने माता-पिता से बढ़कर,
और कोई चीज ना हमको प्यारी है,
माता-पिता के चरणों में बैठने का,आँ
हर रोज लीजिए आंनद,
महसूस कीजिए माता-पिता के  प्यार की सुगंध
उनकी बुढ़ी आँखें देखती है,
हर पल हमारी ओर,
अपने हाथों में बच्चे थाम लें,
हमारे जीवन की डोर,
धन-दौलत नहीं चाहिए,
बस हों प्यार के दो मीठे बोल,
पास बैठकर दुख-सुख बांटे ,
ताकि हम चैन की नींद सो पाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण -सा बेटा पैदा हो जाए,
*       *         *       *       * 
हर पल माता-पिता की फ़िक्र हो
जुबान पर हर घड़ी उनका जिक्र हो,
बोझ ना माने जन्मदाता को,
याद रखें सदा उस विधाता को
हर खुशी में हों शामिल उनकी,
उनके हर ग़म को लगाएं सीने से,
ये आसमान से उतरे दो फ़रिश्ते,
एक पल भी दिल ना लगे,
माता-पिता के बिन ज़ीने में,
बेटा हो तो श्रवण के जैसा,
सब फीके हैं इस दुनिया के,
चमकते हीरे -जवांरात और पैसा,
रात-दिन एक किया जिस माता-पिता ने,
हमारे जीवन में लाने के लिए खुशियों की बहार,
बस इतना ध्यान रहे सदा,
बुढ़ापे में ना हों वो ठोकरों के शिकार,
माता-पिता के अनमोल प्यार की ,
सदा अपने दिल में लौ जगाएं,
माता-पिता बुढ़ापे में,
ठोकरें खाते -खाते ना गुम हो जाएं,
अगर मेरे देश के हर घर में,
एक श्रवण -सा बेटा पैदा हो जाए
*       *         *       *       *
creater-राम सैणी
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atenwellness · 4 months
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ज्यादा देर तक सेक्स कैसे करें: सुझाव और तकनीकें
एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने का हिस्सा बनाए रखने के लिए सेक्स महत्वपूर्ण है, लेकिन कई बार यह सवाल उठता है कि कैसे सेक्स को लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है। यहां हम आपको कुछ सुझाव और तकनीकें प्रदान करेंगे, जिनसे आप और आपका साथी संतुष्ट रह सकते हैं और सेक्स का समय बढ़ा सकते हैं:
सुखद और सुरक्षित सेक्स: दीर्घकालिक आनंद के लिए 5 सरल टिप्स
सेक्स एक प्राकृतिक और स्वास्थ्यप्रद क्रिया है जो सही रूप से किया जाए तो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रख सकता है। दीर्घकालिक सेक्स का अनुभव करने के लिए, इसे सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम आपको दीर्घकालिक सेक्स करने के  5 सरल टिप्स बताएंगे।
सही समय चयन:
दीर्घकालिक सेक्स करने से पहले सही समय चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। तनाव और दुनियाभर की चिंताएँ सेक्स का आनंद कम कर सकती हैं। इसलिए, समय का चयन ध्यानपूर्वक करें और शांति और सुख भरे माहौल में इसे अनुभव करें।
सही संबंध:
दीर्घकालिक सेक्स के लिए सही संबंध महत्वपूर्ण हैं। आपके साथी के साथ खुले और सच्चे संबंधों का होना बहुत जरूरी है ताकि आप एक दूसरे के साथ सहजता से बातचीत कर सकें।
संरक्षण का ध्यान रखें:
सुरक्षित सेक्स अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि आप बच्चे प्राप्त करने की योजना नहीं बना रहे हैं, तो अनुकरण करने वाला उपाय, जैसे कि कंडोम, का प्रयोग करें। यह सेक्स से संबंधित समस्याओं से बचने में मदद कर सकता है।
शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें:
शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना दीर्घकालिक सेक्स के लिए महत्वपूर्ण है। नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, और पर्याप्त नींद से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, जिससे सेक्स का आनंद भी बढ़ सकता है।
सही तकनीक का अध्ययन करें:
दीर्घकालिक सेक्स के लिए सही तकनीक का अध्ययन करना अच्छा रहेगा। आप और आपके साथी को एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझने में समय निकालना चाहिए। एक दूसरे की सुरुचि को समझकर सही तकनीक का अध्ययन करें ताकि सेक्स का आनंद बढ़े।
दुर्बल सेक्स के लिए ख़ास टिप्स और तकनीकें: ज्यादा देर तक सुखद साथी बनाएं
सेक्स मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो संबंधों में मजा और संबंधों को मजबूती प्रदान कर सकता है। इस लेख में, हम ज्यादा देर तक सेक्स करने के लिए कुछ टिप्स और तकनीकें साझा करेंगे जो आपको और आपके साथी को दुर्बल और सुखद अनुभव प्रदान कर सकती हैं।
संवेदनशीलता और सहमति:
सेक्स के दौरान संवेदनशीलता और सहमति बहुत महत्वपूर्ण हैं। आपका साथी आपकी इच्छाओं का समर्थन करना और आपकी संवेदनशीलता का ख्याल रखना चाहिए। यह दोनों को अधिक संबंधित और सुरक्षित महसूस करने में मदद कर सकता है।
सही स्थिति:
सही स्थिति चयन करना भी महत्वपूर्ण है ताकि आप और आपका साथी आराम से मिल सकें और आप ज्यादा देर तक सेक्स कर सकें। विभिन्न स्थितियों को प्रयास करें और जिसमें आपको सबसे अधिक आराम मिलता है, उसे अपनाएं।
स्लो डाउन:
ज्यादा देर तक सेक्स करने का एक तरीका है स्लो डाउन करना। जल्दी बढ़ने की बजाय धीरे-धीरे आगे बढ़ें ताकि आपका शरीर समय तक सह सके और सुखद महसूस कर सके।
श्वास कंट्रोल:
अपनी श्वास को संयंत्रित करना भी जरूरी है। अगर आप श्वास को सही तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं, तो आप ज्यादा देर तक सेक्स करने में सक्षम हो सकते हैं। ध्यान लगाकर श्वास को बनाए रखें और सही समय पर विश्राम करें।
शरीर का सही ख्याल:
अपने शरीर का सही ख्याल रखना भी महत्वपूर्ण है। सही खानपान, पर्याप्त आराम और नियमित व्यायाम से आप अपनी शारीरिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं, जिससे आप ज्यादा देर तक सेक्स कर सकते हैं।
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pradeepdasblog · 9 months
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( #MuktiBodh_Part42 के आगे पढिए.....)
📖📖📖
#MuktiBodh_Part43
हम पढ़ रहे है पुस्तक "मुक्तिबोध"
पेज नंबर (81)
वाणी नं. 107 का सरलार्थ :-
‘‘भक्त नंदा नाई (सैन) की कथा’’
नाई समुदाय में एक महान भक्त नंदा जी हुए हैं। नाई को सैन भी कहते हैं। वे
परमात्मा की धुन (लगन) में लगे रहते थे। राजा के निजी नाई थे। प्रतिदिन राजा की हजामत करने (दाढ़ी काटने) जाया करते थे। राजा के सिर की मालिश करने भी जाते थे। भक्त नंदा जी एक दिन भगवान की भक्ति में इतना मग्न हो गया कि उसको ध्यान नहीं रहा कि मैंने राजा की हजामत करने जाना था। राजा की सेव (दाढ़ी बनाने) करने जाने का निर्धारित समय था। वह समय जा चुका था। दो घण्टे देर हो चुकी थी। राजाओं की जुबान
पर दण्ड रहता था। जो भी नौकर जरा-सी गलती करता था तो उसको बेरहमी (निर्दयता) से कोड़ों से पीटा जाता था। अचेत होने पर छोड़ा जाता था। शरीर की खाल उतर जाती थी। रो-रोकर बेहोश हो जाता था। यह दृश्य (seen) भक्त नंदा कई नौकरों के साथ देख चुके थे। आज उनको वही भय सता रहा था। काँपते-काँपते राजा के निवास पर पहुँचे। राजा के पैरों में गिरकर देर से आने की क्षमा याचना करने लगा। कहा कि माई-बाप आगे से कभी गलती नहीं करूँगा। भक्त ने देखा कि राजा की दाढ़ी बनाई हुई थी। सिर में मालिश भी कर रखी थी। भक्त सैन को समझते देर नहीं लगी कि किसी अन्य नाई से हजामत तथा मालिश कराई है। राजा ने पूछा कि हे हजाम (हजामत करने वाला यानि नाई)! आप क्या कह रहे हो? आप पागल हो गये हो क्या? भक्त नंदा जी ने कहा, महाराज! आज मुझे ध्यान ही नहीं रहा, मैं भूल गया। मैं आपके दाढ़ी बनाने के समय पर नहीं आया। जीवन में पहली व अंतिम गलती है। कभी नहीं करूँगा। उसका विलाप सुनकर रानी तथा अन्य मंत्री भी आ गए थे। राजा ने कहा कि सैन! आप अभी-अभी दाढ़ी बनाकर सिर में मालिश करके गए हो। आप क्या कह रहे हो? आप देर से आए हो। क्या नींद में बोल रहे हो? भक्त नंदा जी ने कहा कि नहीं महाराज! आपने किसी अन्य नाई से हजामत कराई है। मैं तो अभी-अभी आया हूँ। राजा ने सैन भक्त के घर पर मंत्री भेजकर पता कराया तो उनकी पत्नी भी रो रही थी कि आज पति देर से गए हैं, उनको दण्ड दिया जा रहा होगा। मंत्री ने पूछा कि क्यों रो रही हो बहन? भक्तमति ने बताया कि मेरे से गलती हो गई। मैंने भक्त को याद नहीं दिलाया। भक्ति पर बैठने से पहले भक्त ने कहा था कि कुछ समय पश्चात् मुझे याद दिलाना कि राजा की सेवा करने जाना है। मैं भी भूल गई, भक्त भी भक्ति में व्यस्त थे। दो घण्टे बाद उठे तो याद आया। उनकी नौकरी जाएगी तो हम क्या खाऐंगे? बच्चे भूखे मर जाऐंगे। पति को दण्ड मिलेगा। मंत्री जी तुरंत वापिस आए और राजा से बताया कि वास्तव में नंदा तो देर से अभी आया है। इनके रूप में कोई और आया था जो आपकी हजामत तथा मालिश करके चला गया। यह बात सुनकर राजा को समझते देर नहीं लगी कि भक्त सैन के रूप में भगवान आए थे। राजा सिंहासन से नीचे आया और भक्त सैन जी को सीने से लगाया और कहा कि भक्त! मैं तेरे को सेवा से मुक्त करता हूँ। तेरे को राजदरबार में दरबारी रखता हूँ। मेरे को दोष लगा है कि भक्त के स्थान पर भगवान ने मेरी दाढी़ बनाई, सिर की मालिश की। मैं इस पाप को कैसे धो पाऊँगा? नंदा जी भी समझ गए कि मेरे कारण परमात्मा को कष्ट हुआ तो और जोर-जोर से रोने लगे कि हे परवरदिगार! मुझ दो कोड़ी के दास के कारण आप स्वर्ग छोड़कर हजाम (नाई=सैन) बने। मुझे उठा देते भगवान। आपको कष्ट उठाना नहीं पड़ता। मैं समय पर आ जाता। इसलिए वाणी के माध्यम से बताया है कि सच्चे भक्त पर परमात्मा ऐसे कृपा करते हैं।(107)
क्रमशः_____
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आध्यात्मिक जानकारी के लिए आप संत रामपाल जी महाराज जी के मंगलमय प्रवचन सुनिए। साधना चैनल पर प्रतिदिन 7:30-8.30 बजे। संत रामपाल जी महाराज जी इस विश्व में एकमात्र पूर्ण संत हैं। आप सभी से विनम्र निवेदन है अविलंब संत रामपाल जी महाराज जी से नि:शुल्क नाम दीक्षा लें और अपना जीवन सफल बनाएं।
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sabkuchgyan · 10 months
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वर्षों बाद बन रहा अद्भुत संयोग इन 4 राशि के लोगो को होगा धन का लाभ, सुधरेगा किस्मत का हाल…
Jyotish :-बुरी लाठी से आकर्षित न हों। यात्राएं अधिक होती हैं। पदोन्नति के साथ स्थानान्तरण होता है। काम को बढ़ाने की इच्छा होगी लेकिन उच्च लागत से परेशानी होगी। स्वास्थ्य एक चिंता है। अत्यधिक नींद आएगी। परिवार का समर्थन कम है। बच्चे गुस्सा कर रहे हैं। दिसंबर के बाद धन का आगमन तेज होगा। अवसाद हावी है और कार्य अटक सकते हैं। एक सावधान रहना चाहिए और संघर्ष से बचना चाहिए। घरेलू विवाद उत्पन्न हो सकते…
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guiasmaternos · 10 months
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एक शांत रात: बच्चे की नींद की रणनीतियाँ
शांत सांस की हलकी आवाज़, बच्चे की नींद में आराम से सुते चेहरा… बच्चे की नींद। एक बड़ी खुशी और मातृत्व के भी सबसे बड़े चुनौतियों में से एक। अगर आप पहली बार मां बनी हैं या पहले से गुजर चुकी हैं, तो आपको पता है कि बच्चे की नींद एक जटिल परिदृश्य हो सकता है। अपने छोटे को कैसे मदद कर सकते हैं कि वह अच्छी तरह से सोता है और सभी को शांतिपूर्ण रातें मिल सकें? इस पूरी गाइड में, हम स्वास्थ्यपूर्ण नींद की…
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casualflowerglitter · 10 months
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लक्ष्मीनारायण बहुत भोला लड़का था | वह प्रतिदिन रात में सोने से पहले अपनी दादी से कहानी सुनाने को कहता था | दादी उसे नागलोक, पाताल लोक, चंद्र लोक, सूर्य लोक, आदि की कहानी सुनाया करती थी | एक दिन दादी ने उसे स्वर्ग का वर्णन सुनाया | स्वर्ग का वर्णन इतना सुंदर था! कि उसे सुनकर लक्ष्मीनारायण स्वर्ग देखने के लिए हठ करने लगा |
दादी ने उसे बहुत समझाया कि मनुष्य स्वर्ग नहीं देख सकता; किंतु लक्ष्मीनारायण रोने लगा रोते-रोते ही वह सो गया | उसे स्वप्न में दिखाई पड़ा कि एक चम-चम चमकते देवता उसके पास खड़े होकर कह रहे थे – बच्चे ! स्वर्ग देखने के लिए मूल्य देना पड़ता है| तुम सर्कस देखने जाते हो तो टिकट देते हो ना ? स्वर्ग देखने के लिए भी तुम्हें उसी प्रकार रुपए देने पड़ेंगे |
स्वप्न में ही लक्ष्मीनारायण सोचने लगा कि मैं दादी से रुपए मांग लूंगा | लेकिन देवता ने कहा -” स्वर्ग में तुम्हारे रुपए नहीं चलते | यहां तो भलाई और पुण्य कर्मों का रुपया चलता है | अच्छा! तुम यह डिबिया अपने पास रखो जब तुम कोई अच्छा काम करोगे तो इसमें एक रुपया आ जाएगा और जब कोई बुरा काम करोगे तो एक रुपया इसमें से उड़ जाएगा | जब यह डिबिया भर जाएगी तब तुम स्वर्ग देख सकोगे |”
जब लक्ष्मीनारायण की नींद टूटी तो उसने अपने सिरहाने सचमुच एक डिबिया देखि | डिबिया लेकर वह बड़ा प्रसन्न हुआ | उस दिन ���ादी ने उसे एक पैसा दिया | पैसा लेकर वह घर से निकला | एक रोगी भिखारी उससे पैसा मांगने लगा | लक्ष्मीनारायण भिखारी को बिना पैसे दिए भाग जाना चाहता था | इतने में उसने अपने अध्यापक को सामने से आते देखा | उसके अध्यापक उदार लड़कों की बहुत प्रशंसा किया करते थे | उन्हें देखकर लक्ष्मी नारायण ने भिखारी को पैसा दे दिया | अध्यापक ने उसकी पीठ ठोकी और प्रशंसा की |
घर लौटकर लक्ष्मी नारायण ने वह डिबिया खोली; किंतु वह खाली पड़ी थी | इस बात से लक्ष्मीनारायण को बहुत दुख हुआ वह रोते रोते सो गया | सपने में उसे वही देवता फिर दिखाई पड़े और बोले – ” तुमने अध्यापक से प्रशंसा पाने के लिए पैसा दिया था | सो प्रशंसा मिल गई | अब रोते क्यों हो | किसी लाभ की आशा से जो अच्छा काम किया जाता है | वह तो व्यापार है | वह पुण्य थोड़ी है |”
दूसरे दिन लक्ष्मीनारायण को उसकी दादी ने दो आने पैसे दिए | पैसे लेकर उसने बाजार जा कर दो संतरे खरीदे | उसका साथी मोतीलाल बीमार था | बाजार से लौटते समय वह अपने मित्र को देखने उसके घर चला गया | मोतीलाल को देखने उसके घर वैद्य आए थे | वैद्य जी ने दवा देकर मोतीलाल की माता से कहा इसे आज संतरे का रस देना | मोतीलाल की माता बहुत गरीब थी | वह रोने लगी और बोली मैं मजदूरी करके पेट भर्ती हूं | इस समय बेटे की बीमारी में कई दिन से काम करने नहीं जा सकी | मेरे पास संतरे खरीदने के लिए एक पैसा भी नहीं है |
लक्ष्मीनारायण ने अपने दोनों संतरे मोतीलाल की मां को दिए | वह लक्ष्मीनारायण को आशीर्वाद देने लगी | घर आकर जब लक्ष्मीनारायण ने अपनी डिबिया खोली तो उसमें दो रुपये चमक रहे थे |
एक दिन लक्ष्मी नारायण खेल में लगा था | उसकी छोटी बहन वहां आई और उसके खिलौनों को उठाने लगी | लक्ष्मीनारायण ने उसको रोका; जब वह नहीं मानी तो उसने उसे पीट दिया | बेचारी लड़की रोने लगी | इस बार जब उसने डिबिया खोली तो देखा कि उसके पहले के इकट्ठे कई रुपए उड़ जाते हैं | उसे बड़ा पश्चाताप हुआ | आगे से उसने कोई बुरा काम नहीं करने का पक्का निश्चय कर लिया |
लक्ष्मीनारायण पहले रुपए के लोभ से अच्छा काम करता था | धीरे-धीरे उसका स्वभाव ही अच्छा काम करने का हो गया; अच्छा काम करते-करते उसकी डिबिया रुपयों से भर गई | वह स्वर्ग देखने की आशा से प्रसन्न होता | उस डिबिया को लेकर वह अपने बगीचे में पहुंचा |
लक्ष्मीनारायण ने देखा कि बगीचे में पेड़ के नीचे बैठा हुआ | एक बूढ़ा साधु रो रहा है | वह दौड़ता हुआ साधु के पास गया और बोला – ” बाबा ! आप क्यों रो रहे हैं |”
साधू बोला – ” बेटा ! जैसी डिबिया तुम्हारे हाथ में है | वैसी ही एक डिबिया मेरे पास थी | बहुत दिन परिश्रम करके मैंने उसे रुपयों से भरा था | बड़ी आशा थी कि उसके रुपयों से स्वर्ग देखूंगा; किंतु आज गंगा जी में स्नान करते समय वह डिबिया पानी में गिर गई |
लक्ष्मीनारायण ने कहा – ” बाबा ! आप रोओ मत, मेरी डिबिया भी भरी हुई है! आप इसे ले लो |”
साधू बोला – ” तुमने इसे बड़े परिश्रम से भरा है! तुम्हें इसे देने से दु:ख होगा |”
लक्ष्मीनारायण ने कहा – ” मुझे दुख नहीं होगा बाबा ! मैं तो लड़का हूं | मुझे अभी पता नहीं कितने दिन जीना है | मैं तो ऐसी कई डिबिया रुपए इकट्ठे कर सकता हूं | आप बुड्ढे हो गए हैं | आप अब दूसरी डिबिया पता नहीं भर पाओगे या नहीं! मेरी डिबिया ले लीजिए |”
साधु ने डिबिया लेकर लक्ष्मी नारायण के नेत्रों पर हाथ फेर दिया | लक्ष्मीनारायण के नेत्र बंद हो गए | उसे स्वर्ग दिखाई पड़ने लगा; ऐसा सुंदर स्वर्ग की दादी जी ने स्वर्ग का वर्णन किया था | वह वर्णन तो स्वर्ग के एक कोने का भी ठीक वर्णन नहीं था |
जब लक्ष्मी नारायण ने नेत्र खोला तो साधु के बदले स्वपन में दिखाई पड़ने वाला वही देवता उसके सामने प्रत्यक्ष खड़ा था | देवता ने कहा – ” बेटा! जो लोग अच्छे काम करते हैं, स्वर्ग उनका घर बन जाता है | तुम इसी प्रकार जीवन में भलाई करते रहोगे तो अंत में स्वर्ग में पहुंच जाओगे |”
देवता इतना कहकर वही अदृश्य हो गये |
मित्रो" मनुष्य जैसे काम करता है | वैसा उसका स्वभाव हो जाता है जो बुरे काम करता है, उसका स्वभाव बुरा हो जाता है | उसे फिर बुरा काम करने में ही आनंद आता है | जो अच्छा काम करता है, उसका स्वभाव अच्छा हो जाता है | उसे बुरा काम करने की बात भी बहुत बुरी लगती है |”
*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।*
~PPG~
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n7india · 7 days
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Breaking: चालक को आई झपकी, पेड़ से टकराई कार, दो बच्चे समेत 3 की मौत, मुंडन कराने बाबाधाम आ रहे थे सभी
Deoghar: देवघर-चकाई मुख्यमार्ग स्थित बसबुटिया गांव के समीप शुक्रवार की अहले सुबह करीब 4 बजे एक स्वीफ़्ट कार पेड़ से  टकरा गई। जिसमें दो बच्चा समेत तीन की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। वहीं छह लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बताया जाता है कि चालक को नींद लगने से उक्त घटना घटी। मृतक की पहचान आरा जिला के शहर थाना क्षेत्र अंतर्गत नवादा गावं निवासी नागेंद्र कुमार राम के 5 वर्षीय पुत्र अभिनंदन कुमार एवं…
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abhinews1 · 11 months
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कुंडा भगवानदा के स्कूली छात्र छात्राओं को जलभराव की समस्या बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं
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कुंडा भगवानदा के स्कूली छात्र छात्राओं को जलभराव की समस्या बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं
डीग के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय कुंडा भगवानदास इन दिनों बरसात होने से विद्यालय का भवन जलभराव के कारण तालाब जैसा दिखाई देने लगा स्कूल जाने वाले बच्चों को मजबूर होकर पानी में ईद निकलकर विद्यालय जा रहे हैं कभी-कभी तो बरसात तेज हो जाती है तो विद्यालय में भी पानी भर जाता है इन दोनों बच्चों को विद्यालय जाने में बहुत काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है विद्यालय में बरसात का पानी भर जाने से मौसमी जैसी बीमारियों का फैलने की आशंका लगी रहती है एक तरफ राजस्थान सरकार शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है वही सरकार के आदेश को दरकिनार करते हुए शिक्षा विभाग के बड़े-बड़े अधिकारी कुंभकरण की नींद सोते नजर आ रहे हैं जबकि विद्यालय के प्रधानाचार्य ने नगर पालिका प्रशासन शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी कई बार अवगत करा दिया गया लेकिन प्रशासन कोई एक्शन नहीं लिया जिससे पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा प्रभावित होती नजर आ रही है वही विद्यालय के कुछ घरों तक पानी भी भर गया बरसात अधिक होने के कारण कुछ घरों के मकानों में दरार तक आ गई लेकिन नगरपालिका प्रशासन कुंभकरण नींद सो रहा है
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asitbali · 1 year
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15-4-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – एक दो को खुशी की खुराक खिलाते रहो”
स्लोगन:- “जहाँ एकता और एकाग्रता की शक्ति है वहाँ सफलता सहज प्राप्त होती है।“ - ओम् शान्ति।
शिव भगवानुवाच : “एक दो को खुशी की खुराक खिलाते रहो, सदा खुशमौज़ में रहना और खुशी बांटना, यही है जब-रदस्त खातिरी करना”  प्रश्नः अपनी ऊंची अवस्था बनाने की विधि क्या है? किन मुख्य बातों का ध्यान रखना है? उत्तर:- ऊंची अवस्था बनानी है तो .. नष्टोमोहा बनने की हिम्मत रखनी है। अपना चार्ट रखना है कि बाबा को याद करते समय उनसे क्या–क्या बातें की? कितना समय याद किया? नींद को जीतने वाला बनना है। पुराने…
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