चाहिए थोड़ा दुख
खबरें देखता रहता हूं दिन भर और
कुछ नहीं लिखता मैं
देखता हूं रील, तस्वीर और वीडियो
दूसरों का नाच गाना सोना नहाना
सब कुछ पर बेमन
सीने में जाने किसका है वजन
जो काटे नहीं कटता वक्त की तरह
गोकि मैं हूं बहुत बहुत व्यस्त और
ऐसा सिर्फ दिखाने के लिए नहीं है चूंकि
मैं फोन नहीं उठाता किसी का
मैं वाकई व्यस्त हूं, और जाने
किन खयालों में मस्त हूं कि अब
कुछ भी छू कर नहीं जाता
निकल लेता है ऊपर से या नीचे से
या दाएं से और बाएं से
सर्र से पर मेरी रूह को तो छोड़ दें
त्वचा तक को कष्ट नहीं होता।
ये जो वजन है
यही दुख का सहन है
वैसे कारण कम नहीं हैं दुखी होने के
दूसरी सहस्रा��्दि के तीसरे दशक में, लेकिन
दुख की कमी अखरती है रोज-ब-रोज
जबकि समृद्धि इतनी भी नहीं आई
कि खा पी लें दो चार पुश्तें
या फिर कम से कम जी जाएं विशुद्ध
हरामखोर बन के ही बेटा बेटी
या अकेले मैं ही।
मैंने सिकोड़ लिया खुद को बेहद
तितली से लार्वा बनने के बाद भी
फोन आ जाते हैं दिन में दो चार
और सभी उड़ते हुए से करते हैं बात
चुनाव आ गया बॉस, क्या प्लान है
मेरा मन तो कतई म्लान है यह कह देना
हास्यास्पद बन जाने की हद तक
संन्यस्त हो जाने की उलाहना को आमंत्रित करता
बेकल आदमी का एकल गान है।
एक कल्पना है
जिसका ठोस प्रारूप कागज पर उतारना
इतना कठिन है कि महीनों हो गए
और इतना आसान, कि लगता है
एक रोज बैठूंगा और लिख दूंगा
रोज आता है वह एक रोज
और बीत जाता है रोज
अब उसकी भी तीव्रता चुक रही है
तारीख करीब आ रही है और धौंकनी
धुक धुक रही है
कि क्या 4 जून के बाद भी करते रहना होगा
वही सब चूतियापा
जिसके सहारे काट दिए दस साल
अत्यंत सुरक्षित, सुविधाजनक
बिना खोए एक क्षण भी आपा
बदले में उपजा लिए कुछ रोग जिन्हें
डॉक्टर साहब जीवनशैली जनित कहते हैं
जबकि इस बीच न जीवन ही खास रहा
न कोई शैली, सिवाय खुद को
बचाने की एक अदद थैली
आदमी से बन गए कंगारू
स्वस्थ से हो गए बीमारू
कीड़े पनपते रहे भीतर ही भीतर
बाहर चिल्लाते रहे फासीवाद और
भरता रहा मन में दुचित्तेपन का
गंदा पीला मवाद।
यार, ऐसे तो नहीं जीना था
सिवाय इस राहत के कि
जीने की भौतिक परिस्थितियां ही
गढ़ती हैं मनुष्य को
यह दलील चाहे जितना डिस्काउंट दे दे
लेकिन मन तो जानता है (न) कि
दुनिया के सामने आदमी कितनी फानता है
और घर के भीतर चादर कितनी तानता है।
अगर ये सरकार बदल भी जाए तो क्या होगा मेरा
यही सोच सोच कर हलकान हुआ जाता हूं
जबकि सभी दोस्त ठीक उलटा सोच रहे हैं
जरूरी नहीं कि दोस्त एक जैसा सोचें
बिलकुल इसी लोकतांत्रिक आस्था ने दोस्त
कम कर दिए हैं और जो बच रहे हैं
वे फोन करते हैं और मानकर चलते हैं
मैं उनके जैसी बात कहूंगा हुंकारी भरूंगा
मैं तो अब किसी को फोन नहीं करता
न बाहर जाता हूं मिलने
बहुत जिच की किसी ने तो घर
बुला लेता हूं और जानता हूं कि
दस में से दो आ जाएं तो बहुत
इस तरह कटता है मेरा क्लेश और
बच जाता है वक्त
चूंकि मैं हूं बहुत बहुत व्यस्त
बचे हुए वक्त में मैं कुछ नहीं करता
यह जानते हुए भी लगातार लोगों से बचता
फिरता हूं क्योंकि वे जब मिलते हैं तो
ऐसा लगता है कि बेहतर होता कुछ न करते
घर पर ही रहते और ऐसा
तकरीबन हर बार होता है
हर दिन बस यही संतोष
मुझे बचा ले जाता है
कि मेरा खाली समय कोई बददिमाग
पॉलिटिकली करेक्ट
बुनियादी रूप से मूर्ख और अतिमहत्वाकांक्षी
लेकिन अनिवार्यत: मुझे जानने वाला मनुष्य
नहीं खाता है।
लोगों को ना करते दुख होता है
ना नहीं करने के अपने दुख हैं
आखिर कितनों की इच्छाओं, महत्वाकांक्षाओं
और मूर्खतापूर्ण लिप्साओं की आत्यंन्तिक रूप से
मौद्रिक परियोजनाओं में
आदमी कंसल्टेंट बन सकता है एक साथ?
आपके बगैर तो ये नहीं होगा
आपका होना तो जरूरी है
रोज दो चार लोग ऐसी बातें कह के मुझे
फुलाते रहते हैं और घंटे भर की ऊर्जा
उनके निजी स्वार्थों की भेंट चढ़ जाती है
इतने में दस आदमी कांग्रेस से भाजपा में और
चार आदमी भाजपा से कांग्रेस में चले जाते हैं
हेडलाइन बदल जाती है
किसी के यहां छापा पड़ जाता है
तो किसी को जेल हो जाती है
फिर अचानक कोई ऐसा नाम ट्रेंड करने लगता है
जिसे जानने में बची हुई ऊर्जा खप जाती है।
मुझे वाकई ये बातें जानने का शौक नहीं
ज्यादा जरूरी यह सोचना है कि अगले टाइम
क्या छौंकना है लौकी, करेला या भिंडी
और किस विधि से उन्हें बनना है
यह और भी अहम है पर संतों के कहे
ये दुनिया एक वहम है और मैं
इस वहम का अनिवार्य नागरिक हूं
और औसत लोगों से दस ग्राम ज्यादा
जागरिक हूं और यह विशिष्टता 2014 के बाद
अर्जित की हुई नहीं है क्योंकि उससे पहले भी
मैं जग रहा था जब सौ करोड़ हिंदू
सो रहा था इस देश का जो आज मुझसे
कहीं ज्यादा जाग चुका है और
मेरे जैसा आदमी बाजार से भाग चुका है
भागा हुआ आदमी घर में दुबक कर
खबरें ही देख सकता है और गाहे-बगाहे सजने वाली
महफिलों में अपने प्रासंगिक होने के सुबूत
उछाल के फेंक सकता है।
दरअसल मैं इसी की तैयारी करता हूं
इसीलिए खबरें देखता रहता हूं
पर लिखता कुछ नहीं
बस देखता हूं दूसरों का नाच गाना
सोना नहाना सब कुछ
नियमित लेकिन बेमन।
कब आ जाए परीक्षा की घड़ी
खींच लिया जाए सरेबाजार और
पूछ दिया जाए बताओ क्या है खबर
और कह सकूं बेधड़क मैं कि सरकार बहादुर
गरीबों में बांटने वाले हैं ईडी के पास आया धन।
छुपा ले जाऊं वो बात जो पता है
सारे जमाने को लेकिन कहने की है मनाही
कि एक स्वतंत्र देश का लोकतांत्रिक ढंग से
चुना गया प्रधानमंत्री कर रहा था सात साल से
धनकुबेरों से हजारों कर���ड़ रुपये की उगाही
खुलवाकर कुछ लाख गरीबों का खाता जनधन।
सच बोलने और प्रिय बोलने के द्वंद्व का समाधान
मैंने इस तरह किया है
बीते बरसों में जमकर झूठ को जिया है
स्वांग किया है, अभिनय किया है
जहां गाली देनी थी वहां जय-जय किया है
और सीने पर रख लिया है एक पत्थर
विशालकाय
अकेले बैठा पीटता रहता हूं छाती हाय हाय
कि कुछ तो दुख मने, एकाध कविता बने
लगे हाथ कम से कम भ्रम ही हो कि वही हैं हम
जो हुआ करते थे पहले और अकसर सोचा करते थे
किसके बाप में है दम जो साला हमको बदले।
ये तैंतालीस की उम्र का लफड़ा है या जमाने की हवा
छूछी देह ही बरामद हुई हर बार जब-जब
खुद को छुवा
हर सुबह चेहरे पर उग आती है फुंसी गोया
दुख का निशान देह पर उभर आता हो
मिटाने में जिसे आधा दिन गुजर जाता हो
दुख हो या न हो, दिखना नहीं चाहिए
ऐसी मॉडेस्टी ने हमें किसी का नहीं छोड़ा
भरता गया मवाद बढ़ता गया फोड़ा
अल्ला से मेघ पानी छाया कुछ न मांगिए
बस थोड़ा सा जेनुइन दुख जिसे हम भी
गा सकें, बजा सकें और हताशाओं के
अपने मिट्टी के गमले में सजा सकें
और उसे साक्षी मानकर आवाहन करें
प्रकृति का कि लौट आओ ओ आत्मा
कम से कम कुछ तो दो करुणा कि
स्पर्श कर सकें वे लोग, वे जगहें, वे हादसे
जिनकी खबरें देखता रहता हूं मैं
दिन भर और कुछ भी नहीं लिख पाता।
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राजस्थान में तेज बारिश का अलर्ट:प्रदेश के 17 जिलों में तीन दिन तक रहेगा बरसात का दौर; एक्टिव हुआ नया सिस्टम
जयपुरराजस्थान में मानसून को लेकर यह माना जा रहा था कि सितंबर के बाद विदाई हो जाएगी, लेकिन अक्टूबर महीने में एक बार फिर से बारिश का दौर शुरू होगा। मौसम केन्द्र जयपुर ने 5 अक्टूबर से राजस्थान के कई हिस्सों में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है।अनुमान है कि ये दौर अगले तीन दिनों तक जारी रहेगा। नए सिस्टम का असर पूर्वी राजस्थान के भरतपुर, कोटा, जयपुर और उदयपुर संभाग के 17 जिलों में देखने को मिल सकता है।
मौसम केन्द्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि पूर्वी राजस्थान से मानसून की विदाई फिलहाल अगले 7-8 दिन तक नहीं होगी। उन्होंने बताया कि बंगाल की खाड़ी में एक लो-प्रेशर सिस्टम बन रहा है, जो आगे बढ़ते हुए उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश होते हुए राजस्थान की पूर्वी सीमा तक आएगा।
इन जिलों को लेकर चेतावनी
मौसम केन्द्र जयपुर के मुताबिक भरतपुर संभाग के भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर के अलावा कोटा संभाग के कोटा, बारां, बूंदी, जयपुर संभाग के अलवर, जयपुर, दौसा, सीकर, उदयपुर संभाग के चित्तौड़गढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा उदयपुर के अलावा अजमेर संभाग के टोंक, भीलवाड़ा जिलों में भी कहीं-कहीं आसमान में बादल छाने के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
राजस्थान समेत मध्य और दक्षिण भारत के कई हिस्सों में अक्टूबर के महीने में सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान इस बार केन्द्रीय मौसम विभाग ने जताया है। राजस्थान की बात करें तो यहां अक्टूबर के शुरूआती सप्ताह में बंगाल की खाड़ी से आने वाले सिस्टम से बारिश की गतिविधियां होंगी।
इसके अलावा दीपावली के आसपास और उससे पहले एक-दो पश्चिमी विक्षोभ आ सकते हैं, जिसके असर से गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू समेत उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के हिस्सों में बारिश हो सकती है।
रबी की फसल के लिए फायदेमंद होगा साबित
निदेशक शर्मा ने बताया कि इस सिस्टम से जो बारिश होगी वह आगामी रबी की फसल बोने वालों के लिए फायदेमंद होगी। इससे जमीन में नमी का स्तर बढ़ जाएगा और खेती के लिए जमीन उपयोगी हो जाएगी। क्योंकि वर्तमान में जिस तरह धूप पड़ रही है और मौसम साफ है उससे अनुमान है कि जमीन की नमी का लेवल कम होगा।
इस सिस्टम से होने वाली बारिश से किसानों को फायदा होगा। हालांकि उन किसानों के लिए चेतावनी या सलाह है कि जिन्होंने खरीफ की फसलों की कटाई नहीं की है या कटाई के बाद फसल खेतों में पड़ी है। उनके पास अभी 3-4 दिन का समय है, वे इन फसलों को खेतों से हटाकर कहीं सुरक्षित स्थानों पर ले जाएं।
अब तक सामान्य से 36 फीसदी
राजस्थान में अब तक बारिश की स्थिति देखें तो प्रदेश में 30 सितम्बर तक 594.2MM बरसात हो चुकी है, जो औसत बरसात 435.6MM से 36 फीसदी ज्यादा है। सबसे ज्यादा बरसात इस सीजन में झालावाड़ जिले में हुई, जहां 1316.9MM बरसात हुई है, जो सामान्य बारिश 884.3MM से 49 फीसदी ज्यादा है। वर्तमान में मानसून अभी राजस्थान के आधे हिस्से में एक्टिव है, ऐसे में संभावना है कि मानसून की विदाई तक प्रदेश में बारिश का औसत और बढ़ जाएगा।
आईरा वार्ता इक़बाल खान
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