जगदाचार्य श्रीमद्विष्वक्सेनाचार्य श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज की पावन जयंती ‘तिरुनक्षत्र’
॥श्रीमते रामानुजाय नमः॥॥ श्रीवादिभीकर महागुरवे नमः॥
जगदाचार्य श्रीमद्विष्वक्सेनाचार्य श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज की पावन जयंती ‘तिरुनक्षत्र’26 अप्रैल 2024 ई
श्रीवैष्णव जगत् के देदीप्यमान मार्तण्डश्री सनातनधर्ममूर्ति पदवाक्यप्रमाण पारावारीण महान योगी जगद्वन्द्य जगदाचार्य श्रीमद्विष्वक्सेनाचार्य श्रीत्रिदण्डी स्वामी जी महाराज कीआज शुक्रवार को पावन जयंती पर्व ‘ तिरुनक्षत्र अनुराधा है।भारत के…
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परम भागवत श्रीहनुमान् जी
महानुभाव! श्रीहनुमज्जयंती के पावन अवसर पर निम्नलिखित लघुप्रबन्ध को अवश्य ही पढ़ें।
इस वासनाविजड़ित शरीर से भक्ति के परमाचार्य श्रीहनुमान् जी के समग्र चरित्रों का यथार्थ निरुपण तो सम्भव नहीं है,फिर भी यथामति किंचित् निवेदन कर रहा हूँ ।श्रीहनुमान् जी पवनसुत,आंजनेय आदि अनकों नामों से पूजित हैं,वेभक्तों को श्रीराम जी की अमोघ शरणागति कराने का कैंकर्य करते रहते हैं।श्रीहनुमान् जी अपने आचरण के द्वारा…
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गोस्वामीतुलसीदासजयंती
वासनाविजड़ित शरीर से भगवद्भक्ति के महान आचार्य संत तुलसीदास जी की जीवन गाथा का यथार्थरूप से समग्र निरुपण शक्य नहीं है।भारतीय आस्तिक जन आक्रांता मुग़ल साम्राज्य के कपटपूर्ण विध्वंसक व्यवहार से व्यथित होकर पूर्ण सनातनब्रह्म भगवान् श्रीनारायण से आर्त्त क्रन्दन करते हुए प्रार्थना किये तब आदिकाव्य श्रीरामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार संत तुलसीदास के रूप में हुआ था,ऐसी आस्तिक हिन्दुओं की…
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श्रीभगवान् की पूजा।
भगवान् श्रीविष्णु के किसी भी स्वरूप के मंदिरों में पाँच प्रकार से पूजा की विधि आगम शास्त्रों में मिलती है।ये है पाँच प्रकार-
१.अभिगमन
२.उपादान
३.इज्या
४.स्वाध्याय
५. योग।
उपर्युक्त पाँच प्रकार की पूजा कैसे की जाती है उसे समझें।१.अभिगमन- नित्य श्रीभगवान् के मन्दिर में जाकर वहाँ की व्यवस्था में यथासम्भव सह��ोग करना अभिगमन कहलाता है।यथा सम्भव मन्दिरों में सेवा की जाती है- तन, मन, धन के द्वारा…
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काल गणना
सन्दर्भ ग्रन्थ- श्रीमद्भागवतरसपीयूष
सनातनधर्म को माननेवाले हिन्दुओं में प्रचलित शास्त्रीय काल की गणना श्रीमद्भागवत महापुराण के आधार पर आप महानुभावों की जानकारी के लिए लिख रहा हूँ।ज्ञातव्य है कि { पृथ्वी,जल,तेज,वायु,आकाश }मिट्टी,पानी,हवा,अग्नि एवं आकाश के जो सूक्ष्म अंश है उसे ही परमाणु कहा जाता है।जब काल की शक्ति से प्रभावित होकर दो परमाणु आपस में मिलते हैं तो वे अणु बन जाते हैं ।दो अणु आपस में…
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श्रीजगन्नाथ रथयात्रा
जगद्गुरू रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य
*अलौकिक श्रीजगन्नाथ रथयात्रा की बधाई हो *
दोहा-जगन्नाथ स्वामी सुभग शेष सुभद्रा साथ।नीलाचल हरि राजते कृपासिंधु यदुनाथ।चौपाई –दारुब्रह्म अव्यय अविनाशी ।कृपासिन्धु घट-घट के वासी॥राम चक्र भद्रा गुणखानी।जगन्नाथ पुरुषोत्तम नामी॥शुक्ल षाढ़ तिथि नेत्र खरारी।रथ आरूढ़ भा पुष्य मुरारी॥मन्मथ-मन्मथ अघ-हर पावन।शौरिराज कमनीय सुहावन॥कृपा सिन्धु सिन्धुजा रानी।गावैं…
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अमृतसन्देश - ॥ ऋत संदेश ॥
महानुभाव ! आप सभी निम्नलिखित लघुप्रबन्ध को अवश्य ही पढ़ें । ॥ ऋत संदेश ॥
हम सभी को विवेक से कार्य करने की आवश्यकता है।‘विवेचनं विवेकः’।वर्तमान समय में सनातन हिन्दूधर्म की रक्षा करते हुए भारत को समृद्ध करने के लिए‘ ऋत’ कार्यों को करने की आवश्यकता है ।वर्ण एवं आश्रम धर्म मिटने के कागार पर है।जिनके आचार्य हिन्दू राष्ट्र का सदैव विरोध करते हुए रामराज्य की परिकल्पना करते हुए ऋषिकल्प जीवन व्यतीत…
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॥शरणागति॥
ज्ञातव्य है कि भगवान् की शरणागति में अमोघ शक्ति होती है।शरणागति श्रीभगवान् के दिव्य पादपद्मों में केवल एक ही बार की जाती है।सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते।अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम॥{ श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण ६।१८।३३ }एकबार को संस्कृत में ‘ सकृदेव ‘ कहा गया है ।
श्रीभगवान् शरण में आये हुए का कभी भी परित्याग नहीं करते क्योंकि यह उनका व्रत है-‘एतद्व्रतं मम व्रतवदिदं कस्यांचिदपि…
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॥शरणागति॥
जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी राजनारायणाचार्य
ज्ञातव्य है कि भगवान् की शरणागति में अमोघ शक्ति होती है।शरणागति श्रीभगवान् के दिव्य पादपद्मों में केवल एक ही बार की जाती है।सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते।अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं मम॥{ श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण ६।१८।३३ }एकबार को संस्कृत में ‘ सकृदेव ‘ कहा गया है ।
श्रीभगवान् शरण में आये हुए का कभी भी परित्याग नहीं करते क्योंकि यह उनका…
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॥ चिन्तन ॥
महानुभाव ! आप सभी भी मेरे साथ चिन्तन करें।॥ चिन्तन ॥सम्पूर्ण वेद, इतिहास, पुराण, रामायण, मीमांसा, प्रस्थानत्रयी आदि दिव्य ग्रन्थों का अन्तिम निर्णय है कि सर्वशक्तिमानश्रीमन्नारायण ही परमतत्त्व हैं,वे ही भगवान् सगुण हैं तथा गुणों से परे भी हैं,क्योंकि गुण तो प्रकृति का विषय है, जबकि वे तो प्रकृति के नियन्त्रक हैं, सर्वज्ञ हैं,सर्वेश्वर हैं,सर्वोपास्य हैं, सच्चिदानन्द हैं ।यतो वा इमानि भूतानि…
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जनसंख्या
विश्व का अद्वितीय जनतांत्रिक देश भारत पर शासन करना अत्यंत कठिन कार्य है।ज्ञातव्य है कि भारत की समस्याओं की जड़ जनसंख्या की उत्तरोत्तर वृद्धि ही है,इस समस्या का समाधान यदि आदरणीय प्रधानमंत्री श्रीनरेन्द्र मोदी जी नहीं कर पाये तो भविष्य में हो पाना अशक्य के साथ ही ख़तरनाक भी हो सकता है।इससे भूखमरी,बेरोज़गारी,अशिक्षा बढ़कर देश विखण्डित होने के कागार पर पहुँच जायेगा।ज्ञातव्य है कि भारत में अधिकतर लोग…
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