कपास की खेती में फायदेमंद है स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर का इस्तेमाल
कपास की खेती और स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर: पूरी दुनिया में कपास की खेती (Cotton Farming) में क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का स्थान पहला है, लेकिन उत्पादन के मामले में ये पहले नंबर पर नहीं आता। कपास की उत्पादकता कम होने की कई वजहें हैं, सही मिट्टी न होना, सिंचाई की उचित व्यवस्था न होना और उर्वरकों का सही वितरण नहीं होना।कपास की खेती में खाद व उर्वरकों की बहुत अहम भूमिका है।अधिक उत्पादन के लिए इनका सही मात्रा में उपयोग ज़रूरी है। हाथ से उर्वरक का छिड़काव करने पर ये सभी पौधों में सही मात्रा में नहीं पहुंच पाते। इसलिए वैज्ञानिकों ने स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर (Spot Fertilizer Applicators) बनाया। इस उपकरण के इस्तेमाल से उर्वरक समान रूप से सभी पौधों में डाला जाता है और उर्वरक की बर्बादी भी नहीं होती, जिससे खेती की लागत में कमी आती है।
कपास की खेती
भारत पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा क्षेत्रफल में कपास का उत्पादन करता है और देशभर में कपास की सबसे ज़्यादा खेती होती है महाराष्ट्र में। कपास महाराष्ट्र की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसल है। राज्य खानदेश, सोलापुर, सांगली, सतारा, जलगांव ज़िलों में बड़े पैमाने पर कपास की खेती की जाती है। महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, गुजरात और आंध्रप्रदेश में भी इसकी खेती में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
दरअसल, कपास में ज़्यादा पानी की ज़रूरत नहीं होती है, इसलिए पानी की कमी वाले इलाकों में भी किसान इसकी खेती कर सकते हैं। हां, इसकी खेती में उर्वरक का सही इस्तेमाल बहुत ज़रूरी है और ये काम स्पॉट फर्टिलाइज़र एप्लीकेटर की बदौलत आसान हो गया है।
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