मोदी बोले- देश शहीदों का बलिदान कभी नहीं भूलेगा; राहुल ने पूछा- हमले से किसे फायदा मिला?
मोदी बोले- देश शहीदों का बलिदान कभी नहीं भूलेगा; राहुल ने पूछा- हमले से किसे फायदा मिला?
नई दिल्ली. पुलवामा हमले की पहली बरसी के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शहीदों को नमन किया। उन्होंने ट्वीट किया, “पिछले साल पुलवामा हमले में शहीद हुए बहादुर जवानों को मेरी श्रद्धांजलि। वे असाधारण व्यक्ति थे, जिन्होंने हमारे राष्ट्र की सेवा और रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। भारत उनकी कुर्बानी को कभी नहीं भूलेगा।” वहीं, राहुल गांधी ने भी शहीद सीआरपीएफ के जवानों को याद किया और…
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हिंदी न्यूज़ - बर्थडे स्पेशलः 34 साल पुराना वो मैच, जिसे ताउम्र नहीं भूलेगा 'चैंपियन ऑफ चैंपियंस' -rare and unknown facts about birthday boy ravi shastri
हिंदी न्यूज़ – बर्थडे स्पेशलः 34 साल पुराना वो मैच, जिसे ताउम्र नहीं भूलेगा ‘चैंपियन ऑफ चैंपियंस’ -rare and unknown facts about birthday boy ravi shastri
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भारतीय क्रिकेट के बेहतरीन ऑलराउंडर में शुमार रवि शास्त्री ने 80 टेस्ट मैच में 11 शतक और 12 अर्धशतक की बदौलत 3830 रन बनाए. News18Hindi
Updated: May 27, 2018, 4:32 PM IST रवि शास्त्री के कोच रहते हुए टीम इंडिया ने सितंबर 2017 में इंदौर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए तीसरे वनडे…
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सरकार कम करे वैट टैक्स..कम हो जाएगी कीमत..सीएम भूपेश पर साधा निशाना ..धरम ने कहा..नहीं भूलेंगे आपातकाल..पीएम ने स्लोगन को सच किया
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बिलासपुर— हम हर साल लोगों और विपक्ष को अहसास दिलाते रहेंगे कि आपातकाल के बहाने किस तरह लोकतंत्र को बन्धक बनाया गया। इस बात को हम भूलने नहीं देंगे। पिछले एक साल में मोदी सरकार ने वह कर दिखाया जिसे हम स्लोगन में कहा करते थे। मंदिर विवार सुलझ गया। धारा 370 को हटा दिया गया। पुरानी सरकार ने जनता को बहुत दुख दर्द दिए हैं। केन्द्र सरकार ने देशहित में फैसला लेकर जनहित का काम किया है। यह बातें…
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जवानों की शहादत पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पहली प्रतिक्रिया- देश नहीं भूलेगा बलिदान - Rajnath singh reaction on india china face off galwan valley jawan martyr
जवानों की शहादत पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पहली प्रतिक्रिया- देश नहीं भूलेगा बलिदान – Rajnath singh reaction on india china face off galwan valley jawan martyr
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जवानों की शहादत पर राजनाथ सिंह का ट्वीट
फर्ज निभाते हुए दी जान, देश नहीं भूलेगा बलिदान: राजनाथ
भारत और चीन की सीमा पर गलवान घाटी में शहीद हुए भारत के 20 जवानों को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रद्धांजलि दी है. बुधवार को ट्विटर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपना बयान जारी किया. राजनाथ ने लिखा कि गलवान घाटी में सेना के जवानों ने अपना फर्ज निभाते वक्त जान दे दी, देश उनके इस बलिदान को कभी…
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पशुपतिनाथ दर्शन से मिलता है मोक्ष पौराणिक मान्यता
भारत में पौराणिक मान्यता है कि जब पांडव स्वर्गप्रयाण के लिए हिमालय की ओर जा रहे थे, उस समय उत्तराखंड के केदारनाथ में भगवान शिव ने भैंसे के रूप में पांडवों को दर्शन दिया। दर्शन देने के बाद भैंसे के रूप में शिव वहीं जमीन में समाने लगे। यह देख भीम ने उनकी पूछ पकड़ ली। यह जगह केदारनाथ के नाम से विख्यात हुई, जबकि नेपाल में धरती से बाहर उनका सिर प्रकट हुआ, वह पशुपतिनाथ के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
मंदिर की महत्ता का अंदाज इस बात से भी लगाया जा सकता है कि नेपाल के काठमांडू में आएं भूकंप से सबकुछ तबाह हो गया। हजार से ज्यादा मौतें तो सिर्फ काठमांडू में हुई। सारी बुलंद इमारते जमीनदोज हो गईं, लेकिन भगवान शिव का पशुपतिनाथ मंदिर जस का तस खड़ा रहा। अब इसे चमत्कार नहीं तो और क्या कहेंगे। इतने भारी भूकंप के बाद भी पशुपतिनाथ मंदिर में खरोंच तक नहीं आई। इसे भगवान पशुपतिनाथ का मुख्य निवास माना जाता था। कहते हैं निष्ठा के साथ मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है।
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की पहचान है। भगवान शिव को समॢपत इस मंदिर को भहदु धर्म का मुख्य स्तम्भ माना जाता है। काठमांडू के देवपाटन गांव में बागमती नदी के किनारे स्थित इस मंदिर को विश्व विरासत का भी दर्जा दिया गया है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में सूचीबद्ध है।
कहते है भगवान शिव का साक्षात स्वरूप विराजमान हैं। मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग है केदरनाथ, जो उत्तराखंड की देव भूमि में मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। इस ज्योतिॄलग को आधा ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है क्योंकि इसका एक भाग काठमांडू में स्थित है।
काठमांडू स्थिति केदारनाथ का भाग पशुपतिनाथ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति पतिपति नाथ के दर्शन करता है उसका जन्म कभी भी पशु योनी में नहीं होता है। जनश्रुति यह भी है कि इस मंदिर में दर्शन के लिए जाते समय भक्तों को मंदिर के बाहर स्थित नंदी का प्रथम दर्शन नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति पहले नंदी का द���्शन करता है बाद में शिवभलग का दर्शन करता है उसे अगले जन्म पशु योनी मिलती है। इस प्रसिद्ध शक्तिपीठ में देवी की कोई मूॢत नहीं हैं। श्रीयंत्र की पूजा होती है। मंदिर के बाहर आर्य नामक एक घाट है।
कहा जाता है सिर्फ इस पवित्र घाट का पानी ही मंदिर में ले जाया जाता है। अन्य किसी पानी को मंदिर में लेकर जाने की अनुमति नही है। पशुपतिनाथ का शिवभलग काले रंग का पत्थर है। कुछ खास धातुओं से बना होने की वजह से इसकी चमक बेमिसाल है। नेपालवासी तो यहां तक मानते हैं कि इस भलग में पारस पत्थर का गुण है। अर्थात लोहे को सोना में बदला जा सकता है। पशुपतिनाथ नेपाल शासकों के अधिष्ठाता देव माने जाते हैं। इसमें सबसे पहले राजा और राजवंश के सदस्यों को ही पूजा का अधिकार था। इस मंदिर में केवल भहदू ही प्रवेश कर सकते हैं।
मुख्य द्वार पर नेपाल सरकार का संगीनधारी पहरेदार हर समय रहता है। मंदिर में चमड़े की वस्तुएं ले जाना और फोटो खींचना मना है। बागमती के पवित्र जल से भगवान पशुपति का अभिषेक किया जाता है। इस मंदिर की इतनी मान्यता है कि मोक्ष के लिए बागमती के दाहिनी तट पर गर्भ गृह के सामने ही शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। भारत से ही नहीं दुनियाभर के लाखो श्रद्धालु वहां दर्शन करने के लिये आते हैं। मंदिर के अंदर केवल ही प्रवेश की अनुमति है। जबकि विदेशी लोग परिसर में घूम सकते हैं। मंदिर में भारतीय पुजारियों को रखने की ही परंपरा रही है जिनमें दक्षिण भारत के पुजारी मुख्य होते हैं। मंदिर का शिखर सोने का है और दरवाजे चांदी के है।
वैसे इस मंदिर के परिसर में ही आठ छोटे छोटे मंदिर और भी बने हैं। लेकिन मुख्य मंदिर पशुपतिनाथ का ही है। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है और ये कई बार नष्ट हुआ है । वर्तमान स्वरूप में लाने का श्रेय मल्ला राजाओ को दिया जाता है जो कि मल्ल वंश के थे। ‘पशुपति का अर्थ है, पशु मतलब ‘जीवन और ‘पति, स्वामी या मालिक, यानी ‘जीवन का मालिक या ‘जीवन का देवता पशुपतिनाथ। इस मंदिर के गर्भगृह में चारमुखी शिवभलग है। वह भी एक मीटर ऊंचा।
चार मुखों के नाम अलग-अलग हैं जिसमें पूर्व की ओर बने मुख को तत्पुरुषा, दक्षिण की ओर बने मुख को अघोरा, उत्तर की ओर बने मुख को वामदेव और पश्चिम की ओर बने मुख को साध्योजटा के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि पशुपतिनाथ मंदिर के इस शिव के इन मुखों को चार धर्मों और भहदू धर्म के चार वेदों का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा-अर्चना होती है, जिसमें दुनियाभर के सभी देशों से हदू धर्म को मानने वाले लोग यहंा आते हैं। ये चारों चेहरे तंत्र-विद्या के चार बुनियादी सिद्धांत हैं। कुछ लोग ये भी मानते हैं कि चारों वेदों के बुनियादी सिद्धांत भी यहीं से निकले हैं। माना जाता है कि यह ङ्क्षलग, वेद लिखे जाने से पहले ही स्थापित हो गया था।
पौराणिक मान्यताएं
इससे कई पौराणिक कहानियां भी जुड़ी हुई हैं। इनमें से एक कहानी इस तरह है-कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद अपने ही बंधुओं की हत्या करने की वजह से पांडव बेहद दुखी थे। उन्होंने अपने भाइयों और सगे संबंधियों को मारा था। इसे गोत्र वध कहते हैं। उनको अपनी करनी का पछतावा था और वे खुद को अपराधी महसूस कर रहे थे।
खुद को इस दोष से मुक्त कराने के लिए वे शिव की खोज में निकल पड़े। लेकिन शिव नहीं चाहते थे कि जो जघन्य उन्होंने किया है, उससे उनको इतनी आसानी से मुक्ति दे दी जाए। इसलिए पांडवों को अपने पास देखकर उन्होंने एक बैल का रूप धारण कर लिया और से भागने की कोशिश करने लगे। लेकिन पांडवों को उनके भेद का पता चल गया और वे उनका पीछा करके उनको पकडऩे की कोशिश में लग गए। इस भागा दौड़ी के दौरान शिव जमीन में लुप्त हो गए और जब वह पुन: अवतरित हुए, तो उनके शरीर के टुकड़े अलग-अलग जगहों पर बिखर गए। नेपाल के पशुपतिनाथ में उनका मस्तक गिरा था और तभी इस मंदिर को तमाम मंदिरों में सबसे खास माना जाता है। केदारनाथ में बैल का कूबड़ गिरा था। बैल के आगे की दो टांगें तुंगनाथ में गिरीं।
यह जगह केदार के रास्ते में पड़ता है। बैल का नाभि वाला हिस्सा हिमालय के भारतीय इलाके में गिरा। इस जगह को मध्य-महेश्वर कहा जाता है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली मणिपूरक भलग है। बैल के सींग गिरे, उस जगह को कल्पनाथ कहते हैं। इस तरह उनके शरीर के अलग-अलग टुकड़े अलग-अलग जगहों पर मिले। उनके शरीर के टुकड़ों के इस तरह बिखरने का वर्णन कहीं न कहीं सात चक्रों से जुड़ा हुआ है। इन मंदिरों को इंसानी शरीर की तरह बनाया गया था।
यह एक महान प्रयोग था- इसमें तांत्रिक संभावनाओं से भरपूर इंसान का एक बड़ा शरीर बनाने की कोशिश की गई थी। पशुपतिनाथ दो शरीरों का सिर है। एक शरीर दक्षिणी दिशा में हिमालय के भारतीय हिस्से की ओर है, दूसरा हिस्सा पश्चिमी दिशा की ओर है, जहां पूरे नेपाल को ही एक शरीर का ढांचा देने की कोशिश की गई थी। नेपाल को पांच चक्रों में बनाया गया था। ताकि वहां रहने वाले सभी लोग और हरेक प्राणी एक बड़े लक्ष्य के साथ जिए।
एक अन्य कथा के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण सोमदेव राजवंश के पशुप्रेक्ष ने तीसरी सदी ईसा पूर्व में कराया था। इस मंदिर की तर्ज पर कई मंदिरों का भी निर्माण हुआ है जिनमें भक्तपुर (1480), ललितपुर (1566) और बनारस (19वीं शताब्दी के प्रारंभ में) शामिल हैं। मूल मंदिर कई बार नष्ट हुआ। इसे वर्तमान स्वरूप नरेश भूपलेंद्र मल्ला ने 1697 में प्रदान किया। कहते है भगवान शिव एक बार वाराणसी के अन्य देवताओं को छोड़कर बागमती नदी के किनारे स्थित मृगस्थली चले गए, जो बागमती नदी के दूसरे किनारे पर जंगल में है। भगवान शिव वहंा पर भचकारे का रूप धारण कर निद्रा में चले गए।
जब देवताओं ने उन्हें खोजा और उन्हें वाराणसी वापस लाने का प्रयास किया तो उन्होंने नदी के दूसरे किनारे पर छलांग लगा दी। इस दौरान ��नका सींग चार टुकडों में टूट गया। इसके बाद भगवान पशुपति चतुर्मुख भलग के रूप में प्रकट हुए। एक अन्य कथानुसार, मंदिर का रिश्ता नित्यानंद नाम के एक ब्राह्मण से है। कहते हैं नित्यानंद की गाय रोज एक ऊंचे टीले पर जाकर स्वयं दूध बहा देती थी। नित्यानंद को भगवान ने सपने में दर्शन दिया।
इसके बाद जब उस स्थान की खुदाई की गई तो भव्य भलग प्राप्त हुआ। एक और कहानी के मुताबिक भगवान आशुतोष सुंदर तपोभूमि से आकॢषत होकर एक बार कैलाश छोड़ कर यहीं आकर रम गए। वो 3 सींग वाले मृग बनकर विचरण करने लगे। इसी वजह से इस इलाके को पशुपति क्षेत्र या मृगस्थली कहते हैं। शिव को गायब देख कर ब्रह्मा और विष्णु को भचता हुई। खोज करने पर इस इलाके में उनका ध्यान 3 सींग वाले मृग पर गया। ब्रह्मा ने पहचान कर मृग का सींग पकडऩे की कोशिश की, जिससे सींग के 3 टुकड़े हो गए। एक टुकड़ा जहां गिरा शिव की इच्छा से विष्णु ने वहीं शिवभलग स्थापित किया, जो पशुपतिनाथ के रूप में विख्यात हुआ।
ईश्वरत्व का अहसास हर कदम पर
नेपाल में भक्तपुर एक ऐसा जगह है जहां हर कदम पर ईश्वरीय शक्ति का आभास होता है। यहां हर पड़ाव वास्तव में एक मंदिर है। यहंा पानी पीने की जगह भी एक मंदिर है, साफ-सफाई की जगह भी एक मंदिर है और तक कि बात करने की जगह भी एक मंदिर ही है।
महिलाएं सिर्फ लाल रंग के वस्त्रों में होतीं थीं और पुरुष सफेद रंग पहना करते थे। लोग ईंटों की जिन इमारतों में रहते थे, वो आज भी खड़ी हैं। कई लोग आज भी उन्हीं घरों में रहते हैं, 1100 साल पहले उनके पूर्वज रहते थे। हालांकि भक्तपुर अब क��� तरीकों से नष्ट होने की कगार पर है, लेकिन आज भी आने पर आपको अहसास होगा कि हजारों साल पहले के लोगों में कैसा जबर्दस्त सौंदर्य-बोध था। किसी भी चीज को सिर्फ खूबसूरती देने में कितनी मेहनत की थी उन लोगों ने। लेकिन आज कंक्रीट की आधुनिक इमारतों, बेतरतीब से लगे साइन बोर्ड, प्लास्टिक की बोतलों और प्लास्टिक से बने दूसरे सामानो का ढेर देखकर और भक्तपुर की पतली गलियों से शोर मचाते व धुआं उगलते वाहनों को गुजरते देखकर तो लगता है कि हम पावन व पवित्र से भ्रष्ट व अपवित्र की ओर जा रहे हैं।
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Recipe: बकरीद पर रबड़ी खीर से करें लोगों का मुंह मीठा, भूलेंगे सारी मिठाई | recipe - News in Hindi
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इस बार बकरीद के मौक पर आप घर पर मीठे के तौर पर रबड़ी खीर की रेसिपी ट्राई कर सकते हैं. रबड़ी खीर (Rabri Kheer) का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है. वैसे तो इसे चावल से ही बनाया जाता है लेकिन इसे बनाने का तरीका बहुत ही अलग और हेल्दी (Healthy)…
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Edited By Aishwary Rai | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 04 May 2020, 02:38:00 AM IST
विराट कोहली (फाइल फोटो) हाइलाइट्स
विराट कोहली ने हंदवाड़ा में शहीद हुए जवानों को दी श्रद्धांजलि
कहा- वे सच्चे हीरो, बलिदान को भूला नहीं जाना चाहिए, जय हिंद
गौतम गंभीर ने भी किया नमन, आतंकियों से मुठभेड़ में 5 जवान शहीद
नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहलीने जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में…
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सीएम पलानीसामी किसानी करते दिखे, उपराष्ट्रपति ने ट्वीट कर कहा- वे जड़ों को नहीं भूलेंगे
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चेन्नई.उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने रविवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीसामी की खेती करने वाली एक फोटो शेयर की। उसमें वे हाथ दरांती लिए खेत में खड़े हैं। नायडू ने जड़ों को नहीं भूलने के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने लिखा कि यह सिम्बॉलिक है, लेकिन लोगों को प्रेरणा देगा।
Pleased to see Chief Minister of Tamil Nadu, Shri Edappadi K. Palaniswami working in fields as a farmer, who will never…
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मेरे लिए आपने क्या किया है यह कभी नहीं भूलूंगा ’: गांगुली धन्यवाद दोस्त जॉयदीप | क्रिकेट समाचार - टाइम्स ऑफ इंडिया https://tinyurl.com/yyvfrblq #आपन #इडय #ऑफ #कभ #कय #करकट #गगल #जयदप #टइमस #दसत #धनयवद #नह #भलग #मर #यह #लए #समचर #ह
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राशि चक्र के संकेत जो क्षमा कर सकते हैं लेकिन कभी नहीं भूलेंगे | द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया https://tinyurl.com/y6xyz5yp #bollywood #cricket_amp_sports #the_times_of_india_latest_news_india #world_amp_business_news #इणडय #ऑफ #क #कभ #कर #कषम #चकर #ज #टइमस #द #नह #भलग #रश #लकन #सकत #ह
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