कहां गये वो दोस्त
वो न जाने कहां चले गए जो सब साथ रहने की कसमें खाते थे, वो साथ में खाते थे, साथ में रहते थे और कभी-कभी तो साथ में नहाते थे। ऐसा लगता था कि नहीं है कुछ अपना सिर्फ इनके सिवा, ना कपड़े अपने, ना साबुन अपना,ना तौलीया अपना, ना खाना अपनाजो था सब में बटं जाया करता था ।कभी सोते को भी बिना कारण जगाया करते थे,लड़ाई को हर हद तक लड़ जाया करते थेरूठना मनाना किसका ,वह हमारे हिस्से की भी खा जाया करते थे ।ना शरम…
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