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#आजकल छूट के
best24news · 2 years
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Laptop Sale offer: केवल 2000 रुपए में मिल रहा ये लैपटॉप, यहाँ चेक करें लेटेस्ट रेट
Laptop Sale offer: केवल 2000 रुपए में मिल रहा ये लैपटॉप, यहाँ चेक करें लेटेस्ट रेट
Laptop Sale offer: महंगाई के समय बाजार में आजकल नया सामान खरीदना बहुत आसान हो गया है। प्रतिस्पर्धा के चलते कंप​नियां नए नए आफर दे रही है। इतना ही आजकल छूट के साथ एक्सचेंज आफर (offer ) की भी भरमार है। लेपटॉप पर आफर ही आफर: आप लैपटॉप लेने का मन बना रहे हैं तो मार्केट में एक अच्छे फीचर वाले लैपटॉप (Laptop) को खरीदने के लिए 30 हजार से 50 हजार रुपये तक का बजट होना ही चाहिए। Premium ब्रांड का लैपटॉप…
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helputrust · 2 months
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लखनऊ, 12.04.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में काशीश्वर इंटर कॉलेज, मोहनलालगंज, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 160 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा काशीश्वर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री सत्यप्रकाश तिवारी, शिक्षकों श्री सतीश चन्द्र यादव, श्री योगेन्द्र सिंह एवं रेड ब्रिगेड से सुष्मिता भारती ने दीप प्रज्वलित किया |
काशीश्वर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री सत्यप्रकाश तिवारी ने हेल्प यू एजुकेशनल एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि, “महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केवल कानून ही काफी नहीं है, हमें समाज में बदलाव लाने की भी जरूरत है । नियमों का पालन तो सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन यह समाज के हर व्यक्ति की भी जिम्मेदारी है । हमें महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलनी चाहिए और उन्हें समानता और सम्मान का हक देना चाहिए । आजकल कई सारी परिस्थितियों में महिलाओं को खुद की रक्षा करने की जरूरत होती है । अगर हम किसी संघर्षपूर्ण स्थिति में मोबाइल नहीं ले सकते और किसी से भी संपर्क नहीं कर सकते, तो अपनी रक्षा के लिए हमें अपने आप पर भरोसा करना होगा । हमें आत्मसंयम, शारीरिक दक्षता, और आत्मरक्षा तकनीकों का अभ्यास करना चाहिए । यह हमें विपरीत परिस्थितियों  में सुरक्षित रखने और मुश्किलों का सामना करने में मददगार साबित हो सकता है |”
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका सुष्मिता भारती ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला में काशीश्वर इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य श्री सत्यप्रकाश तिवारी एवं शिक्षकों श्री सतीश चन्द्र यादव, श्री योगेन्द्र सिंह, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, सुष्मिता भारती तथा हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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अपना हाता
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
कुछ दोस्तों ने मुखौटे बदल लिए हैं
कुछ दुश्मनों ने चेहरे।
एक बस है जो लगता है छूटने वाली है
एक और बस है ठसाठस भरी हुई
उसका खलासी गायब है
चलने का वक़्त भी नहीं पता
लोग भाग रहे हैं बेतहाशा
इधर से उधर
उधर से इधर
कुछ खड़े हैं जो असमंजस में
छूट जाने के डर से अकेले
दांव तौल रहे हैं
इधर जाएं
या उधर
किसी को मिल गए हैं बारहमासा टिकाऊ जूते
किसी ने तान ली है छतरी धूप में।
मुझसे कहता है पकी दाढ़ी वाला घुटा हुआ एक आदमी
बेटा जी लो अपनी ज़िन्दगी, कमा लो पैसे
फिर नहीं आने का सुनहरा मौका
क्यों जी रहे हो जैसे तैसे
वह अभी अभी चढ़ा है एक बस में
और पुकार रहा है मुझे सीढ़ी से ही
वो छूटने वाली बस का है मुसाफिर
उसकी दौड़ ज़्यादा लंबी नहीं, जानते हुए भी
दे रहा है मुझे आखिरी आवाज़
दिस इज़ द लास्ट कॉल फॉर पैसेंजर नंबर फलां फलां
मैं असमंजस में हूं
पैरों के नीचे की धरती कर सकता हूं महसूस
थोड़ा और शिद्दत के साथ
वह मुझे गुब्बारे दिखाता है
गुब्बारे रंग बिरंगे उसकी छतरी हैं गोया उल्टा पैराशूट
आकाश की ओर उतान जिनमें भरी है
निष्प्राण, निरर्थक, नीरस गैस
मेरे सिर के ठीक ऊपर चमकाता है वह
अपने बारहमासा जूते
जिनसे अगले पांच माह वह काट लेगा कम से कम
ऐसा दावा करता है।
मेरे साथी कह रहे हैं चढ़ जाओ
मेरी संगिन कहती है तोड़ दो दीवारें जो
बना रखी हैं तुमने अपने चारों ओर।
एक देश है जहां उत्तेजना ऐसी है गोया
सोलह मई को नेहरू जी संसद से करेंगे
ट्रिस्ट विद डेस्टिनी का भाषण
और आज़ाद हो जाएंगे सवा अरब लोग
चौक चौराहों और ट्रेनों में बैठे लोग किसी को
देख रहे हैं आता हुए सवार सफेद घोड़े पर
उसके पीछे उड़ती हुई एक चादर है और उसके
हाथों में जादू की एक छड़ी
बिल्कुल ऐसा ही हुआ था पांच साल पहले
लेकिन कोई याद नहीं करना चाहता उस घोड़े को
जिसकी टाप ने कर दिया था हमें बहरा
जिसके खुरों से उड़ने वाली धूल का कण अब भी
गड़ता है हमारी आंखों में और घुड़सवार के उतरते ही
हुई थी आकाशवाणी
हार कर जीतने वाले को बाज़ीगर कहते हैं
उसने हवा में जो रुमाल लहराया था उसमें लगी इत्र
की मादकता अब भी सिर चढ़ कर बोलती है
आदमी पागल
औरत पागल
बच्चे पागल
पागल बुज़ुर्ग
भीतर से दरकता हुआ एक दुर्ग
बाहर सवारियों को समेटती खचाखच भरी बस
कोई छूटने न पाए
सबका साथ ही सबका विकास है।
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
और मैं असमंजस में हूं और यह क���ई नई बात नहीं है
क्योंकि शादियों में उदास हो जाना अचानक बचपन से मेरी फितरत रही है
कोई मर जाए तो निस्संग हो कर मलंग हो जाना पुरानी
अदा रही है अपनी
एकाध बार पूछते हैं, कहते हैं लोग हाथ बढ़ाकर-
चढ़ जाओ
फिर प्रेरणा के दो शब्द कह कर हो लेते हैं फरार
अबकी बार मजबूत सरकार।
मैंने पिछले एक हफ्ते में दर्जनों लोगों से पूछा है कि प्रियंका गांधी के आने से कांग्रेस का वोट कैसे बढ़ेगा
सबके मन में केवल विश्वास है
पूरा है विश्वास हम होंगे कामयाब वाला
विश्वास पर दुनिया कायम है तो कांग्रेस क्यों नहीं?
एक बस में अंधविश्वास का भरा है पेट्रोल
दूसरे में विश्वास का
संदेह वर्जित है
विरासत में मिला जो कुछ भी है वही अर्जित है
हाउ इज़ द जोश
सब महामिलावट का है दोष।
मेरे आसपास आजकल बहुत कुछ घट रहा है
और बहुत तेजी से
इसीलिए
मैंने किया है निश्चय बहुत धीरे धीरे
ऐन चुनाव के बीच बच्चों को गणित पढ़ाऊंगा
तेजी से घटती हुई दुनिया में उन्हें जोड़ना सिखाऊंगा
न इस बस से आऊंगा
न उस बस से जाऊंगा
अपनी हदों में रहूंगा
पकी दाढ़ी वाले घुटे हुए आदमी की बातों में
नहीं आऊंगा
न पहनूंगा जूता न तानूंगा छाता
किसी के बाप का क्या जाता
अपना खेल
अपना हाता।
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igsdc · 2 years
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एमएसएमई पंजीकरण - भारत में एमएसएमई पंजीकरण की अवधारणा को समझना
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2019 में कोरोना महामारी के प्रकोप ने भारत में सब कुछ बदल दिया और ज्यादातर युवा स्टार्टअप की ओर झुकने लगे, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव आए। इसे देखने के बाद, भारत सरकार ने MSME पंजीकरण के नियमों में भी कई संशोधन किए  हैं जो इन स्टार्टअप के लिए बेहतर भविष्य लेकर आए हैं। इन छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप को स्थिरता प्रदान करने के लिए एमएसएमई पंजीकरण एक महत्वपूर्ण कारक है। यह लेख एमएसएमई पंजीकरण पर सटीक रूप से प्रकाश डालने के इरादे से लिखा गया है।
एमएसएमईडी अधिनियम 2006
वर्ष 2006 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के व्यवसायियों को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करने के लिए एक नया अधिनियम लागू किया गया था। इस अधिनियम के तहत, प्रत्येक व्यवसाय को व्यावसायिक ऋण प्राप्त करने तथा विभिन्न प्रकार की सरकारी सुविधाएं प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करवाना जरूरी है। इस अधिनियम के तहत पंजीकृत किए जाने वाले विभिन्न उद्योगों के बारे में जानकारी जानकारी नीचे दी जा रही है-
अति लघु उद्योग
इस प्रकार की योजनाओं के तहत 25 लाख रूपयों तक का निवेश किया जा सकता है और यह इस सीमा से ऊपर नहीं हो सकती है। भारत में एमएसएमई पंजीकरण की बुनियादी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उपकरण तथा मशीनों की लागत 10 लाख रूपये से कम होनी चाहिए।
छोटे पैमाने के उद्यम
प्लांट और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश 25 लाख से 5 करोड़ के बीच होना चाहिए। जबकि मशीनरी और बुनियादी लागत 19 लाख से 2 करोड़ रुपये के दायरे के बीच होनी चाहिए।
मध्यम स्तर के उद्यम
इस तरह के उद्यम के लिए न्यूनतम 5 करोड़ और अधिकतम 20 करोड़ के निवेश की आवश्यकता होती है। इसलिए बुनियादी पूंजी और मशीनरी की लागत 5 करोड़ से 10 करोड़ के बीच होनी चाहिए।
 एमएसएमई पंजीकरण के लिए बुनियादी आवश्यकता की सूची
MSME पंजीकरण एक ऑनलाइन प्रक्रिया है जिसके तहत सत्यापन करवाने के लिए आपके मूल दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। इसके लिए जरूरी दस्तावेजों में आधार कार्ड प्रमुख है। हालांकि कोई व्यक्ति आधार कार्ड की भौतिक प्रति प्रदान किए बिना भी ऑनलाइन तरीके से प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है। 
जो लोग पहले से एमएसएमई उद्यमों का संचालन कर रहे हैं उन लोगों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को पूर्ण करना अधिक आसान होता है और वे एमएसएमई पंजीकरण के साथ-साथ आईएसओ प्रमाणपत्र भी सरलता से प्राप्त कर सकते हैं।
MSME के ​​तहत पंजीकृत होने के लाभ
एमएसएमई पंजीकरण करवाने के कई लाभ है आईये इनके बारे में विस्तार से जानें-
बैंक ऋणों तक बेहतर पहुंच
कम बिजली बिल
आईएसओ प्रमाणन शुल्क प्रतिपूर्ति
औद्योगिक प्रोत्साहन सब्सिडी पात्रता
ओवरड्राफ्ट ब्याज दर में छूट
विलंबित भुग��ानों से सुरक्षा
आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड
अब आप एमएसएमई पंजीकरण और इसके निकटवर्ती लाभों से अवगत हो चुके हैं जो आपके व्यवसाय को गुणवत्ता आश्वासन के साथ अधिक ऊंचाईयां प्राप्त करने में मदद करते हैं। आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड सुरक्षा और गुणवत्ता आश्वासन के उच्चतम स्तर के साथ आपकी सभी सीए सेवाओं के लिए एक वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म है। हालाँकि आजकल सुरक्षा और गुणवत्ता के पहलू प्रदान करने के लिए हर व्यवसाय को MSME के ​​तहत पंजीकरण करना अनिवार्य है। आप आईजीएस डिजिटल सेंटर लिमिटेड के प्रमाणित एजेंट बनकर आसानी से अपने ग्राहकों का एमएसएमई रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं और 300 से अधिक सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाएं प्रदान करके बढ़िया कमाई कर सकते हैं।
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abhi12-3 · 1 month
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Uttarakhand: प्रदेश में महंगी बिजली का करंट, 
Uttarakhand: प्रदेश में महंगी बिजली का करंट, 6.92 फीसदी बढ़े दाम, एक अप्रैल से लागू होंगी नई दरें
DYSUN SOLAR
देहरादून:-
उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष एमएल प्रसाद ने पत्रकारवार्ता कर बिजली की नई दरों के बारे में महत्वपूर्ण सूचना दी।
विस्तार:-
प्रदेश में बिजली करीब सात फीसदी महंगी हो गई है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने नई दरें जारी कर दी हैं, जो एक अप्रैल से लागू होंगी। अगले महीने के बिल में उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का दाम चुकाना होगा। ऊर्जा निगमों ने 27 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था, जिसके सापेक्ष 6.92 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
नियामक आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद ने कहा, प्रदेश के करीब साढ़े चार लाख बीपीएल उपभोक्ताओं, हिमाच्छादित क्षेत्रों के उपभोक्ताओं के बिजली दरों और फिक्स चार्ज में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। उनके मुताबिक, चार किलोवाट तक के घरेलू उपभोक्ताओं के फिक्स चार्ज में 15 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह की बढ़ोतरी की गई है।
चार किलोवाट से ऊपर वालों के लिए 20 रुपये प्रति किलोवाट, सिंगल प्वाइंट बल्क सप्लाई के लिए 20 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज की बढ़ोतरी की गई है। घरेलू श्रेणी के 100 यूनिट प्रतिमाह खर्च करने वालों की बिजली दरों में 25 पैसा प्रति यूनिट, 101 से 200 यूनिट वाले उपभोक्ताओं की बिजली दरें 30 पैसा प्रति यूनिट, 400 यूनिट से अधिक उपभोग करने वालों की बिजली दरों में 40 पैसा प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की गई है। सिंगल प्वाइंट बल्क सप्लाई के उपभोक्ताओं की बिजली 75 पैसे प्रति यूनिट महंगी हुई है।
ये छूट जारी रहेंगी:- सोलर वाटर हीटर में 75 रुपये प्रति 50 लीटर की छूट।
सोलर पावर प्लांट लगाने पर सरकार द्वारा 70% की मुफ़्त सब्सिडी किसकी बिजली दरों में कितनी बढ़ोतरी
उपभोक्ता श्रेणी
2023 की दरें
2024 की दरें
बढ़ोतरी (पैसे)
घरेलू
5.33
 5.82    
0.49
अघरेलू  
 7.74
8.43
 0.69
गवर्नमेंट पब्लिक यूटिलिटी
7.70
8.36
 0.66
प्राइवेट ट्यूबवेल
 2.37
 2.64
 0.27
एलटी इंडस्ट्री
7.20
 7.84
0.64
एचटी इंडस्ट्री
7.26
 7.90
 0.64
मिक्स लोड
6.95
7.47
 0.52
रेलवे  
6.89
7.43
 0.54
ईवी चार्जिंग स्टेशन
6.25
7.00
   0.75
किस श्रेणी के कितने उपभोक्ता होंगे प्रभावित:- बीपीएल श्रेणी के 4,30,201 प्रभावित नहीं होंगे। इसके अलावा घरेलू श्रेणी के 19,64,440, व्यावसायिक के 2,89,867, एलटी इंडस्ट्री के 14,071, एचटी इंडस्ट्री के 2,402, प्राइवेट ट्यूबवेल के 42,718 आदि मिलाकर करीब 27,50,872 बिजली उपभोक्ता हैं। बढ़ते बिजली के दामों से बचने का सही उपाय:- जैसा की आप देख रहे है आजकल उत्तराखंड सरकार ने प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना चलायी है जिस पर अपने घरो में सोलर पावर प्लांट लगाने पर सरकार  पर काफी अच्छी सब्सिडी दे रही है तथा काफी लोग इस योजना का लाभ भी ले रहे है | इस परियोजना का लक्ष्य हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली प्रदान करके 1 करोड़ घरों को रोशन करना है। अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहते है तो आज ही DYSUN SOLAR से जुड़े।
पीएम सूर्य घर सब्सिडी:- रूफटॉप सोलर योजना के तहत, सरकार सौर पैनल स्थापित करने के लिए सब्सिडी देगी. इस योजना में केंद्र सरकार 2 किलोवाट तक - 30,000 रुपये प्रति किलोवाट, तथा 3 किलोवाट या उस्से अधिक पर सरकार 78,000 रुपये की सब्सिडी दे रही है और उत्तराखंड सरकार इस योजना में 2 किलोवाट तक - 34,000 रुपये प्रति किलोवाट, तथा 3 किलोवाट या उस्से अधिक पर सरकार 51,000 रुपये की सब्सिडी दे रही है।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे:-
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dainiksamachar · 5 months
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कभी SC तो कभी हाई कोर्ट.. गुजरात दंगों पर जब अदालतों ने तीस्ता की मंशा पर उठाए सवाल
अहमदाबाद: सामाजिक कार्यकर्ता और दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के आरोपों का सामना कर रही तीस्ला सीलतवाड़ (Teesta setalvad) को लेकर गुजरात हाई कोर्ट की नाराजगी नई नहीं है। तीस्ता सीतलवाड़ की मंशा पर पहले भी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से टिप्पणियां की गई हैं। एक बार तो सुप्रीम कोर्ट ने को जांच में सहयोग नहीं करने पर गिरफ्तारी के लिए तैयार रहने की सख्त हिदायत देने पड़ी थी। ताजा मामला में गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta setalvad) को मामले में किसी प्रकार की राहत नहीं दी जाएगी। 2005 में गोधरा हिंसा के बाद पंचमहल जिले के पंडरवाड़ा के पास एक कब्रिस्तान से कब्र खोदने और 28 शवों को निकालने के मामले में तीस्ता का नाम दर्ज है। कोर्ट ने इस बार राजनीतिक उत्पीड़न की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि ये आजकल सब बोलते हैं। कड़ी शर्तों पर मिली है रेगुलर बेल सुप्रीम कोर्ट से रेगुलर बेल पाने तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta setalvad) को शीर्ष कोर्ट ने कड़ी शर्तों पर जमानत दी है। कोर्ट ने पांच महीने पहले जब सीतलवाड़ की जमानत मंजूरी की थी। तब गुजरात गुजरात पुलिस को गुजरात पुलिस को छूट दी थी कि कहीं भी गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की जाए तो सीधे सुप्रीम कोर्ट आएं। इतना ही नहीं तीस्ता का पासपोर्ट अहमदाबाद सेशन कोर्ट में ही जमा रहने का आदेश दिया था। इससे पहले भी तीस्ता सीतलवाड़ की मुश्किलें भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही बढ़ी थीं। इस टिप्पणी के बाद हुई थीं अरेस्ट सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ याचिका को 24 जून, 2022 को खारिज कर दिया था। इसे जकिया जाफरी ने दाखिल किया था। जकिया जाफरी के पति और कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की इन दंगों में मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जकिया की याचिका में मेरिट नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मामले में को-पिटीशनर तीस्ता ने जकिया जाफरी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया। कोर्ट ने तीस्ता की भूमिका की जांच की बात कही थी। इसके बाद तीस्ता को मुंबई से गिरफ्तार किया गया। जांच में करें सहयोग नहीं तो...आठ साल पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta setalvad) को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने गुजरात की गुलबर्ग सोसाइटी में म्यूजियम बनाने के नाम पर इकट्ठा की गई राशि में कथित हेराफेरी मामले में तीस्ता और उनके पति की गिरफ्तारी पर रोक तो लगाई थी लेकिन न्यायमूर्ति अनिल आर दवे, न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद कलीफुल्ला और न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा की खंडपीठ आगाह भी किया कि वे जांच में पुलिस को सहयोग करें अन्यथा गिरफ्तारी के लिए तैयार रहें। सीतलवाड़ गुलबर्ग सोसाइटी में ‘म्यूजियम ऑफ रेसिस्टेंस’ के लिए जमा राशि का के गबन के आरोपों का भी सामना कर चुकी हैं। तुंरत सुनवाई का नहीं आधार... इसी साल अगस्त महीने में गुजरात हाई कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta setalvad) की अर्जी पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया था। तब गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप भट्‌ट ने कहा था कि तुंरत सुनवाई का कोई आधार नहीं है। जब 2018 के मामले अभी अटके हुए हैं। तीस्ता सीतलवाड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों में फंसाने और इसकी साजिश रचने के मामले में राहत के लिए हाई कोर्ट पहुंची थीं। इससे पहले तीस्ता द्वारा सेशन कोर्ट में अपील लगाई गई थी उसके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है, इस खारिज कर दिया था। जिसे सेशन कोर्ट नामंजूर कर दिया था। इसी मामले में गुजरात हाई कोर्ट एक और जस्टिस निर्जर देसाई ने तीस्ता की रिट याचिका खारिज करते हुए कहा था कि तीस्ता को बेल देने से गुजरात में सांप्रदायिक धुव्रीकरण हो सकता है। बाद में तीस्ता सुप्रीम कोर्ट गईं थीं। जहां उन्हें राहत मिली थी। http://dlvr.it/T0s2sY
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paisekagyan1 · 8 months
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20 सबसे ज्यादा कैशबैक देने वाला ऐप - अब खर्चो से भी पैसे कमाएं!
Sabse Jyada Cashback Dene Wala App - सबसे ज्यादा कैशबैक देने वाला ऐपइंटरनेट ने भारत में डिजिटल क्रांति ला दी है और इस समय यहां 60 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं। इंटरनेट और स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के साथ, हमारे अधिकांश दैनिक कार्य निर्बाध हो गए हैं। किराने का सामान और कपड़ों की खरीदारी से लेकर खाना पहुंचाने तक, रेस्तरां में टेबल बुक करना, इलेक्ट्रॉनिक्स और दवाएं खरीदना, ट्रेन और हवाई यात्रा टिकट बुक करना और भी बहुत कुछ, हमारे काम को आसान बनाने के लिए कई ऐप मौजूद हैं। मोबाइल ऐप्स हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं और इन ऐप्स के जरिए होने वाला खर्च हमारी आमदनी का अहम हिस्सा है। आजकल लगभग सभी काम मोबाइल ऐप्स के माध्यम से किए जाते हैं क्योंकि इससे पैसे, मेहनत और समय की बचत होती है। जहां ऐप्स आपके खर्च करने के तरीके को आसान बना सकते हैं, वहीं कई मोबाइल ऐप्स भी हैं जो आपके पैसे बचाने में भी काफी मदद कर सकते हैं। ये ऐप्स आपके खर्च पर छूट पाने और अति��िक्त कैशबैक कमाने में आपकी मदद कर सकते हैं। किसी भी खर्च पर छूट पाना भोजन के बाद मिठाई की तरह है और कैशबैक केक के ऊपर चेरी की तरह है। Sabse Jyada Cashback Dene Wala App - सबसे ज्यादा कैशबैक देने वाला ऐप Read the full article
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igamravatirange · 1 year
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Post#4
काली-शाला के पास पोस्ट और टेलीग्राफ का ऑफ़िस था। माँ का बचत खाता इसी डाकघर में ही था। मेरे नाम पर पाँच रुपए महीने का रिकरिंग जमा खाता था। रक़म जमा कराने पर वहाँ का क्लर्क पीतल के दस्तेसे पासबुक में मुहर लगाता था। उसके पीछे खिड़की के क़रीब तारयंत्र पर ऑपरेटर कड़कड़ किटऽऽ की आवाज़ के साथ संदेश भेज रहा होता या फिर संदेश ले रहा होता था । पोस्ट काउंटर के इस तरफ़ लकड़ी की बेंच रखी रहती और बग़ल में लिखने के लिए लेक्टर्न होता था। लेक्टर्न के दाहिनी या बायीं ओर, गोंद रखने के लिए लकड़ी की सतह पर ही छिद्र बना रहता था। बुक किए गए ट्रंक-कॉल लगने की प्रतीक्षा में लोग बेंच पर बैठे रहते और ट्रंक-कॉल लगने पर बायाँ कान में उँगलीसे बंद और दाहिने कान पर बैकलाइट का काला रिसीवर लगाकर भाषण ठोकने जैसी ऊँची आवाज़ में बात करते थे।
चश्मे से पोस्टमास्टर की पहचान हो जाती थी। उसकी मेज़ पर आने-जाने वाली डाक के लिए दो ट्रे रखी रहती थीं। काउंटर पर बैठे क्लर्क पासबुक, नेशनल सेविंग सर्टिफ़िकेट आदि रजिस्टर के भीतर रखकर पीछे मुड़कर “इन” ट्रे में धड़ाम से डाल देते। बीच-बीच में पोस्टमास्टर उसे उठाकर एंडार्समेंट कर “आऊट” ट्रे में डाल देता था। इस रूटीन में कोई किसी से ज़्यादा बात नहीं करता था। एक ठप्पा इंक पैड पर और दूसरा छाँटे गए पत्रों पर ठापऽऽ ठूपऽऽ की लय पर ठप्पा लगाने की आवाज़, टेलीग्राफ की कडऽऽ कड कट्ट, ट्रंक कॉल पर बोलने वालों की आवाज़ का स्वर बैक-ग्राउंड में उठता रहता था। छाँटे गए पत्रों को रखने के लिए बने छोटे-छोटे खानों में बीट के नाम लिखे होते थे। बरामदेमें चटख लाल रंग की पत्र-पेटी होती थी। उस पर स्टेंसिल्स से संदेश लिखे होते थे।
पोस्ट के प्रति मुझे बचपनसेही अपनापन लगता है। आगे जब मैं बोस्निया देश के ओराशिया गाँव में गया, तब वहाँ के पोस्ट-ऑफ़िस में मोबाइल का सिम-कार्ड भी मिलते देखा। वहाँ की काउंटर क्लर्क महिला को मैंने ‘क्रासना गॉस्पॉजित्सा’ कहा, तो वह हैरत में पड़ गई और हँसने लगी थी। ‘क्रासना’ मतलब सुंदर और ‘गॉस्पॉजित्सा’ मतलब श्रीमती जी। ख़ैर...
हर साल वारकरी संप्रदाय की वारी आलंदी से पंढरपुर जाते समय सासवड़ में ज्ञानेश्वरमाऊली और तुकाराम महाराज पादुकाओं की पालकियों का मुक़ाम होता था। उस समय पालकीयाँ कंधे पर उठाकर पैदल चलते हुए ले जाई जाती थी। पादुका दर्शन करने पालकीतल पर बड़ा जमावड़ा लगता था। हालाँकि आजकल पालकी में होने वाले जमावड़े की तुलना में तब का जमावड़ा कुछ भी नहीं था। मिलिट्री ग्रीन रंग के तंबू में पालकी रखी जाती थी और क़तार में बिना धक्का-मुक्की किए दर्शन होते थे। सासवड़ से सोपानदेव महाराज की पालकी निकलती थी। पालकियों की भेंट का कार्यक्रम नियोजित होता था। सासवड़ से बड़ी संख्या में जन-समुदाय पालकीयोंके साथ जेजुरी नाका तक पैदल जाता था।
सासवड़ में हमारे घर के पास छोटी हवेली की तरह दिखने वाला एक उत्तरमुखी घर था। इस घर में शांताबाई नामक बुज़ुर्ग महिला रहती थी। घर के उत्तर, पूर्व और पश्चिम की ओर एक पुरुष भर ऊँचाई वाली मिट्टी और पत्थर की चारदीवारी थी। दक्षिण दिशा में पाँच-छः कमरों का ओसार और उसके पीछे घर का मध्य भाग हुआ करता था। हमें इस मकान में खेलने की छूट थी। छोटी हवेली जैसा यह घर आज भी मुझे याद है। क्योंकि किसी भी कहानी में महलों का ज़िक्र होने पर मेरी आँखों के सामने यह घर तैर जाता है। यहाँ तक कि मेरे स्मृति-पटल पर बादशाह अकबर का दरबार भी इसी घर में लगता था। लंका में, अशोक वाटिका में बैठी माता सीता को निशानी के तौर पर अंगूठी दिखाते हनुमान जी का प्रसंग भी, मेरे कल्पना-लोक में इसी घर में साकार होता था।
बच्चोंके लुका-छिपी के खेल को ‘स्टॉप-पल्टी’ कहा जाता था। यह स्टॅाप ॲन्ड पार्टी खेल का देहाती वर्जन था। छुपने वाले अनेक और उन्हें ढूँढनेवाला एक। ढूँढनेवाले के उपर "राज्य आया" ऐसा कहा जाता था और उसके भोज्य को छूकर आने तक अन्य लोगों को छिप जाना होता था। फिर जो कोई उसे दिखाई दे जाता उसका नाम लेकर स्टॉप कहने पर वह आउट हो जाता। यदि जिस पर राज्य आया हो, उसके स्टॉप कहने से पहले ही आउट न हुए किसी खिलाड़ी ने, उसकी पीठ पर थपकी देकर पल्टी कह दिया, तो स्टॉप किए गए सारे लोग फिर जीवित होकर खेल की दूसरी बारी होती थी। छिपते समय कभी-कभार खिलाड़ी आपस में शर्ट बदल लेते। ऐसे में शर्ट की पहचान के आधार पर राज्य झेल रहे खिलाड़ी ने ग़लत नाम लेकर स्टॉप कह दिया तो मामला ड्यू हो जाता था। सासवड़ में उसे बच्चे ‘अंडा होना’ कहते थे। अंडा होने पर फिर से सामने वाले पर राज्य आ जाता। सबको सही नाम लेकर स्टॉप करने पर ही राज्य उतरता और जिसे सबसे पहले स्टॉप किया गया हो, उस पर राज्य आ जाता था। इस खेल में घंटों कब बीत जाते, पता ही नहीं चलता था। सासवड़ में बरसाती दिनों में खुली जगहों पर तीन-चार फुट की चटक चांदनी घास उग आती थी। स्टॉप-पल्टी खेलते समय ऐसी घास में शरीर खुजलाते बच्चे छिपे रहते।
खेलने का दूसरा ठिकाना जेजुरी जकात नाका के सामने नीम के नीचे था। वहाँ कंचे-कौड़ियों का खेल चलता था। शंकर और अरुण, दोनों पक्के निशानेबाज़ थे। निशानेबाज़ शंकर बायाँ अंगूठा ज़मीन पर टिकाकर बीच की उँगली में छोटी गोटी रखता और दाएँ हाथ के अंगूठे, तर्जनी और मध्यमिका के सहारे धनुष से बाण छोड़ने की तरह गोटी मारता। अरुण निशानेबाज़ी का यही करतब दाएँ हाथ का अंगूठा ज़मीन पर बिना टिकाए करता था।
टाइम-पास करने का तीसरी जगह थी, पेंटर मामा की बाडी। उनके बेटे शामा और राजू मेरे अच्छे मित्र थे। राजू का बड़ा भाई अरविंद पेंटिंग करता था। उसे विज्ञापन रंगने का काम मिलने पर कभी-कभार, मैं भी राजू के साथ रंग के डिब्बे पकड़ने जाया करता था। दीवार पर रंगा गया तंबाकू का एक मराठी विज्ञापन मुझे आज भी याद है ̶ ‘नाव मदार्नी, जर्दा तूफ़ानी , ध्यानीमनी एकच मागणी, संभाजी जर्दा।’
लोहगाँव एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरने वाले फ़ाइटर जेट्स बेहद कम ऊँचाई से कानफाड़ू शोर मचाते उड़ते थे। हमारे लिए यह उल्लास का क्षण होता था। ये विमान आकाश में कभी-कभी अलग तरह के करतब भी दिखाते थे। केंद्र सरकार में मंत्री रहे यशवंतराव चव्हाण की सभा देखने सुरेश मामा मुझे अपने साथ ले गए थे। जब हम सासवड़ के वर्तमान पी.एम.टी. स्टैंड के पास पहुँचे, तो उनका हेलीकॉप्टर हमारे सिर के ठीक ऊपर से उड़ता हुआ गया। हेलीकॉप्टर का पहला दर्शन उस जगह हुआ था। दौलत टॉकीज़ जाते समय रास्ते में नगर-निगम की पानी की टंकी पड़ती है। पानी की टंकी के सामने की खुली जगह पर सभा का आयोजन किया गया था। सुरेश मामा ने मुझे कंधे पर बिठाकर गांधी टोपी पहने हुए यशवंतराव चव्हाण को दिखाया था। इसके बाद वाघिरे कॉलेज की खुली जगह पर बने हेलीपैड और वहाँ उतरे हेलीकॉप्टर को भी दूर से दिखाया। सभा के समापन के बाद प्रचंड धूल उड़ाते हेलीकॉप्टर की रवानगी तक हम वहीं रुके थे।
इस बीच दादा ने आसपास के रावड़ी गाँव के प्राथमिक स्कूल टीचर आनंदराव के साथ हौसा बुआ का विवाह बड़ी धूमधाम से करवाया। मैं बहुत छोटा था, लेकिन मुझे याद है कि विवाह में मुंबई से पुलिस बैंड मंगवाया था। जब नानी तान्हुबाई गुज़र गईं, तब माँ आक्रोश में सुरेश मामा से कह रही थीं कि उसे जीने की इच्छा नहीं है, दवा खाकर मरना है। यह सुनकर मैं बहुत डर गया था।
-Jayant Naiknavare, IPS
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bestinbareilly · 1 year
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Ignou se b.ed kaise kare
Ignou se b.Ed kaise kare
Ignou se b.ed kaise kare.
Ignou se b.ed kaise kare बीएड कोर्स आमतौर वे लोग करते हैं जो भविष्य में शिक्षक (Teacher) बनना चाहते हैं। इसलिए अगर आप आप भी एक शिक्षक बनने की ख्वाइश रखते हैं तो बीएड आIपके लिए एक सबसे अच्छा कैरियर विकल्प साबित हो सकता है। क्योंकि शिक्षक बनने के लिए सबसे ज्यादा मांगी जाने वाली डिग्री बीएड होती है। टीचिंग एक बहुत ही अच्छा प्रोफेशन माना जाता है।
बीएड कोर्स की खास बात ये है कि इस कोर्स को करने के बाद आप सराकरी और प्राइवेट दोनों तरह के सेक्टरों में जॉब कर सकते हैं। वैसे तो आजकल बीएड की डिग्री लिए हजारों लोग घूम रहे हैं, ये लोग बेरोजगार इसलिए रह जाते हैं, क्योंकि इनके अंदर अपने सब्जेक्ट का अच्छा नॉलेज नही होता है और सिर्फ सरकारी नौकरी के भरोसे बैठे रहते हैं, जबकि प्राइवेट स्कूलों, इंटर कॉलेज, हाई स्कूल कॉलजों में भी आप 30 हजार से 50 हजार महीने के बीच सैलरी पा सकते हैं। आगे आर्टिकल में आपको सारी जानकारी डिटेल में मिल जायेगी। (Be.d Course details in Hindi).
Ignou se B.ed kaise kare.
इग्नू से बीएड करने के लिए कैंडिडेट को सबसे पहले IGNOU के बीएड एंट्रेंस के लिए आवेदन करना होता है। जिसमे ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के कैंडिडेट आवेदन कर सकते हैं। फिर इस परीक्षा को पास करने के बाद पास करने वाले टॉप कैंडिडेट की मेरिट लिस्ट जारी की जाती है। फिर इसी मेरिट लिस्ट के आधार पर एडमिशन होता है। इस तरह से आप Ignou se B.ed kar sakte hain.
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Ignou Me Admission ke liye Entrance Exam
वह कैंडिडेट जो इग्नू से बीएड कोर्स में एडमिशन लेना चाहते है , तो उनमें निम्न योग्यता का होना आवश्यक है-
कैंडिडेट ने किसी भी यूजीसी के द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से न्यूनतम 55% अंको के साथ ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन किया हो।
जो आरक्षित क्षेणी के उम्मीदवार हैं उन छात्रों को अंको में 5% की छूट प्रदान की जाती है।
अगर आप इस एजुकेशनल कालीफिकेशन को पूरा करते है तो आप इग्नू मेवबीएड कोर्स में प्रवेश के लिए अप्लाई कर सकते है। अप्लाई करने के बाद में कैंडिडेट को प्रवेश परीक्षा में शामिल होना होता है।अगर उम्मीदवार प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर लेता है तो वह इग्नू के बीएड कोर्स में एडमिशन पा सकता है।
Ignou B.ed ke liye apply kaise kare
उम्मीदवार बीएड प्रवेश परीक्षा में उम्मीदवार निम्न तरह से आवेदन कर सकते है जोकि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) के द्वारा आयोजित की जाती है।
उम्मीदवार ऑनलाइन माध्यम से इग्नू की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर अप्लाई कर सकते है। उम्मीदवार को आवेदन फॉर्म भरने के लिए सबसे पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा।
रजिस्ट्रेशन के बाद, आपको आवेदन फॉर्म को भरना होगा है और मांगी गय��� उसमे प्रत्येक जानकारी को सावधानी से भरना होगा।
इसके बाद उम्मीदवार को आवश्यक दस्ताबेज अपलोड करना होगा। जिसमें आपको अपना फोटोग्राफ, सिग्नेचर व शैक्षिक प्रमाण पत्र आदि अपलोड करना होता है।
फिर इसके बाद आपको इग्नू की बीएड की प्रवेश परीक्षा की आवेदन फीस जमा करनी है।
प्रवेश परीक्षा मेबआवेदन करने के कुछ दिन बाद GNOU ��िश्वविद्यालय की ओर से प्रवेश परीक्षा तिथि जारी की जाती है, और आपको इस प्रवेश प्रवेश परीक्षा को पास करना होगा।
उम्मीदवार ये भी सुनिश्चित करले कि परीक्षा आने से पहले ही प्रवेश परीक्षा की अच्छी तैयारी कर लें, जिससे कि आप इस प्रवेश परीक्षा को पास कर सकें और Ignou se B.ed करने का सपना पूरा कर सकते हैं।
इग्नू की बीएड प्रवेश परीक्षा नेशनल लेवल की प्रवेश परीक्षा होती है, जिसमे तमाम उम्मीदवार आवेदन करते हैं। जिस वजह से कंपटीशन काफी बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आपकी अच्छी तैयारी है तो आप एडमिशन पॉ सकते हैं। इसलिए आपके लिए बेहतर होगा, कि आप 1 साल पहले से ही इसकी प्रवेश परीक्षा की तैयारी करना शुरू कर दें, जिससे आप अपना एडमिशन इस यूनिवर्सिटी में सुनिश्चित कर सकें।
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Ignou Entrance Exam Fees
वह उम्मीदवार जो इग्नू की बीएड प्रवेश परीक्षा में आवेदन कर रहे है, उनको 1000 रुपये आवेदन फीस के रूप में जमा करने होंगे। आवेदन फीस का भुगतान आप डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग के जरिए कर सकते है।
Ignou B.ed ki Course Fees
इग्नू में बीएड कोर्स की कुल फीस 55,000 रूपये है, लेकिन अगर आप इसमे अच्छी रैंक ला पाते हैं, तो आपको बहुत ही कम फीस भरनी होगी।
इग्नू बीएड कोर्स की फीस को जमा करने के लिए आप Ignou नजदीकी रीजनल सेंटर में जाकर डिमांड ड्राफ्ट के जरिये करनी है। उम्मीदवार को इस डिमांड ड्राफ्ट के ऊपर बड़े- बड़े शब्दों में अपना नाम और कोर्स का नाम लिखना होगा।
Ignou Bed Entrance Exam Pattern
जो लोग इग्नू की बीएड प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या करना चाहते हैं, तो उनको इसके एग्जाम का पैटर्न पता होना चाहिए। जिससे आप ये जान पाएंगे, कि इसकी परीक्षा में किस सब्जेक्ट से कितने मार्क्स के क्वेश्चन आते हैं। इग्नू की बीएड प्रवेश परीक्षा का पैटर्न आप देख सकते हैं।
परीक्षा मोड — ऑनलाइन (कंप्यूटर आधारित परीक्षा) अवधि — -120 मिनट (2 घंटे) कुल अंक — 100 प्रश्नो की संख्या — 100 सेक्शन 2 (A & B)
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Ignou B.ed ke liye कब आवेदन किया जाता है?
इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू ) हर साल अक्टूबर और नवंबर के महीनों में आवेदन फार्म रिलीज करता है, जिनमे इछुक और योग्यता रखने वाले कैंडिडेट ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
B.ed Me Career Scope kya hai?
बीएड कोर्स करने के बाद आप टीचर यानिकि शिक्षक बन सकते हैं, जोकीं समाज को शिक्षित करने में अहम भूमिका निभाता है। जंहा समाज शिक्षित होता है, तो वंहा समाज मे ग्रोथ भी होती है। इसलिए बीएड कोर्स करने के बाद जॉब के अवसरों की कमी नही होती है। इस कोर्स के बाद बीएड डिग्री धारक गवर्नमेंट और प्राइवेट दोनों तरह के सेक्टर में जॉब कर सकते हैं।
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प्राइवेट सेक्टर में बीएड के डिग्री धारक के लिए कैरियर के बहुत ही अच्छे अवसर होते हैं। क्योंकि आज के समय मे इतने ज्यादा स्कूल, कॉलेज, इंस्टीट्यूट हो चुके हैं, जंहा पर अच्छे टीचर की खूब डिमांड रहती है। अच्छे बीएड डिग्री टीचर महीने में 40 से 50 हजार या इससे भी ज्यादा प्राइवेट सेक्टर में सैलरी पा सकते हैं
प्राइवेट सेक्टर में सैलरी आपकी टीचिंग स्किल, सब्जेक्ट पर अच्छी पकड़ के अनुसार होती है। अगर आप अपने सब्जेक्ट के ज्ञाता है और आपकी टीचिंग स्किल, कॉम्युनिकेशन स्किल अच्छी है, तो फिर आप मनचाही सैलरी पॉय सकते हैं, जितनी कि गवर्नमेंट सेक्टर में भी नही मिलेगी।
लेकिन दुर्भाग्यवश बहुत से ऐसे बीएड डिग्री धारक भी हैं, जोकीं 5 से 10 हजार की नौकरी करने पर विवश है, लेकिन उनकी इतनी कम सैलरी इसलिए मिल रही है, क्योंकि उनको अच्छे स्कूल में नौकरी मिलने के लायक नॉलेज नही है। बहुत से लोग बीएड की डिग्री करने के बावजूद बेरोजगारी का शिकार हैं। इस फील्ड में नौकरी और सैलरी की कमी नही है, लेकिन आपको उस लायक अपने आपको बनाना होगा, जिससे कि आपको भी लाखों रुपए महीने की सैलरी मिल सके।
आमतौर पर इंग्लिश मीडियम स्कूलों में सैलरी अच्छी मिलती है। इसलिए अपने आपको इंग्लिश मीडियम स्कूल में नौकरी पाने के लायक बनाएं। आपको अपने सब्जेक्ट में महारत हासिल करनी होगी और इसके साथ हीं आपकी इंग्लिश स्पीकिंग और रीडिंग व राइटिंग की अच्छी स्किल भी होनीं चाहिए। इसके साथ ही आपकी टीचिंग स्किल भी एकदम बिंदास होनीं चाहिए। फिर देखना आप जितनी चाहें उतनी सैलरी अच्छे स्कूलों में ले सकते हैं। (Ignou se b.ed kaise kare).
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ये भी ध्यान रखें अगर आपको अच्छी सैलरी चाहिए तो आपको एक अच्छा टीचर बनना पड़ेगा और साथ ही अच्छे स्कूल में जॉब हासिल करनी पड़ेगी। अगर आप छोटे- मोटे स्कूलों में पढ़ाएंगे तो सैलरी भी छोटी- मोटी ही मिलेगी।
B.ed ke baad job कंहा मिलेगी?
गवर्नमेंट स्कूल प्राइवेट स्कूल इंस्टिट्यूट एनजीओ काउंसलिंग सेक्टर केंद्रीय विद्यालय राज्य स्तरीय विद्यालय कॉरपोरेट सेक्टर कोचिंग सेंटर कंसल्टेंसी
B.ed ke baad job किन पदों पर मिलेगी?
टीचर प्रिंसीपल काउंसलर एजुकेशनल रिसर्चर एजुकेशनल कंसल्टेंट कंटेंट राइटर
B.ed ke baad job kaise milegi
बीएड करने के बाद अगर आप अच्छी जॉब हासिल करना चाहते हैं तो इस कोर्स के बाद आप TET या CTET एग्जाम को पास करें, अपने सब्जेक्ट में माहिर बनें। अपनी कॉम्युनिकेशन स्किल्स स्ट्रांग करें और साथ ही आपकी टीचिंग स्किल बहुत ही इंटरेस्टिंग होनीं चाहिए। अगर आपके अंदर ये स्किल्स हैं तो फिर आप अब ज्यादा से ज्यादा अच्छे निजी College, इंस्टीट्यूट, स्कूल, कोचिंग सेंटर्स में अपना Resume जमा करें। फिर उसके बाद आपको इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। अगर आप इंटरव्यू पास कर लेंगे तो आपकी नौकरी पक्की।
वंही B.ed ke baad Sarkari naukri पाने के लिए सबसे पहले आप TET या CTET एग्जाम पास करें, फिर उसके बाद गवर्नमेंट टीचिंग की वैकेंसी आने पर आवेदन करें। फिर आपका एक एग्जाम होगा। अगर आप इस एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाने में कामयाब हो जाते हैं तो फिर आपकी सरकारी नौकरी पक्की।
Bed ke baad sarkari naukri kare या प्राइवेट ज्यादातर बीएड डिग्री धारकों में सरकारी नौकरी पाने का सपना रहता है, इसलिए लिए वो अनेकों साल बर्बाद कर देते हैं और बैठे- बैठे सरकारी वैकेंसी आने का इंतजार करते रहते हैं, उनके अंदर कंही न कंही भृम रहता है, कि प्राइवेट सेक्टर में सरकारी जॉब की तुलना में कम सैलरी रहती है और प्राइवेट में भविष्य सिक्योर नही है, लेकिन ऐसा नही है। अगर आपके अंदर टैलेंट हैं तो आपके लिए एक से बढ़कर एक जॉब होंगी और मनचाही सैलरी मिलेगी।
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फिलहाल Bed ke baad sarkari naukri kare या प्राइवेट ये आपकी पसंद पर निर्भर करता है, लेकिन इतना जरूर कहना चाहूंगा कि सरकारी नौकरी के चक्कर मे टाइम बर्बाद न करें, और बीएड के बाद तब तक प्राइवेट जॉब करें, जब तक कि Sarakri Job न मिल जाये। कम से कम आप बेरोजगार तो नही रहेंगे और साथ ही आपका नॉलेज भी बढ़ता रहेगा।
Ignou se B.ed kaise kare इससे संबंधित गूगल में सर्च किये जाने वाले प्रश्न-
क्या IGNOU के बीएड की मान्यता सराकरी नौकरी में नही होती है?
मैं आपको बता दूं, इग्नू काफी अच्छी यूनिवर्सिटी है और इसका B.ed एंट्रेंस एग्जाम नेशनल लेवल का एंट्रेंस एग्जाम होता है। जिसकी बीएड डिग्री की वैल्यू हर जगह होती है। आप इस बात को दिल से निकाल दें कि Ignou के B.ed की मान्यता हर जगह नही होती है।
Ignou se B.ed karne ke Fayde
इग्नू से बीएड करने का फायदा ये है कि इसको डिस्टेंस एजुकेशन से भी किया जा सकता है। अगर आप टीचिंग की जॉब कर रहे हैं तो आप अपनी जॉब के साथ- साथ भी Ignou से B.ed कर सकते हैं।
B.ed kaise kare
बीएड करने के लिए स्टूडेंट्स को किसी भी स्ट्रीम से ग्रेजुएशन होना चाहिए, इसके बाद B.Ed Course में एडमिशन लिया जा सकता है। ये कोर्स 2 साल का होता है।
B.ed Full Form in Hindi
बीएड की फुल फॉर्म बैचलर ऑफ एजुकेशन होती है। जोकि एक एजुकेशन के फील्ड में बैचलर डिग्री होती है।
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12 ke baad b.ed kaise kare
जो स्टूडेंट्स 12वीं के बाद बीएड करना चाहते हैं, वे BEL.ED. कोर्स कर सकते हैं। इसका फुल फॉर्म Bachelor of Elementary Education होता। ये 4 साल का अंडरग्रेजुएट कोर्स है। इसकी फीस 20 हजार से 1.5 लाख के बीच होती है।
12th ke baad Teacher kaise bane
अगर आप 12वीं के बाद सरकारी या प्राइवेट स्कूल में टीचर बनना चाहते हैं तो आप 12th के बाद NTT यानिकि नर्सरी टीचर ट्रेनिंग कोर्स , D.El.ED. या B El.ED. Course करें , फिर उसके बाद TET या CTET एग्जाम पास करें। फिर उसके बाद आप सरकारी टीचर या प्राइवेट Teacher बनने के योग्य हैं।
B.ed kitne saal ka hota hai?
ये कोर्स 2 साल का होता है, जिसमे 4 सेमेस्टर होते हैं।
B.ed Course details in hindi
बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.ed) एक यूजी प्रोफेशनल डिग्री प्रोग्राम होता है। ये कोर्स दो साल की अवधि का होता है। इस कोर्स के बाद TET या CTET पास करने के बाद माध्यमिक और उत्तर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाने के योग्य हो जाते हैं। इसको ग्रेजुएशन के बाद किया जा सकता है। (Ignou se b.ed kaise kare).
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बी एड में कौन कौन से सब्जेक्ट होते है?
English (अंग्रेजी) Hindi (हिंदी) Mathematics (गणित) Physics (भौतिक विज्ञान) Chemistry (रसायन विज्ञान) Biology (जैविक विज्ञान) Economics (अर्थशास्त्र) , आदि
अगर आप शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं, तो इसके लिए अब करीब तमाम राज्यों में TET यानी ‘Teacher Eligibility Test’ जिसे हम हिंदी में ‘शिक्षक पात्रता परीक्षा’ भी कह सकते हैं, लाजमी करार दे दिया गया है, जिसमें कामयाबी हासिल किए बगैर सरकारी शिक्षक बनना मुमकिन नहीं है. तो आइए हम आपको बताते हैं कि TET क्या होता है और उसका इम्तिहान कैसा होता है और इस एग्जाम में कौन लोग हिस्सा ले सकते हैं.
TET व CTET का मतलब क्या है?
नेशनल और स्टेट लेवल पर सरकारी टीचर बनने के लिए दो तरह के एग्जामस होते हैं। राज्य स्तर पर एग्जाम TET होता है, जबकि नेशनल स्तर पर एग्जाम CTET कराया जाता है।
टीईटी और सीटीईटी दोनों ही कॉमन टेस्ट हैं जिसके माध्यम से अलग-अलग तरह के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति होती है। सीटीईटी (CTET) का फुल फॉर्म सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट होता है, जबकि टीईटी (TET) का फुल फॉर्म टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट होता है।
CTET के बाद कहां टीचर बन सकते हैं?
सीटीईटी का एग्जाम साल में दो बार कराया जाता है। इस एग्जाम को को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) कराता है। इस एग्जाम को पास करने के बाद केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) और नवोदय विद्यालय समिति (NVS) जैसे केंद्र सरकार के स्कूलों में आप टीचर बनने के योग्य हो जाते हैं।
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TET ke baad Naukri कंहा मिलती है?
टीईटी एग्जाम भी सीटीईटी की तरह ही होता है। ये एग्जाम राज्य सरकार के द्वारा कराया जाता है। हर राज्य में TET की तरह अलग- अलग राज्य स्तर के टीचर बनने के एग्जाम होते हैं। जैसेकि UP में यूपीटीईटी (UPTET), बिहार एसटीईटी (Bihar STET), एमपी टीईटी (MPTET), पीएसटीईटी (PSTET), केटीईटी (KTET), आदि। इसको पास करने के बाद आप सिर्फ संबंधित राज्य सरकारों के द्वारा संचालित किये जाने वाले स्कूलों में शिक्षण कार्य के योग्य हो जाते हैं।
TET और CTET के लिए योग्यता
TET और CTET एग्जाम के लिये उम्मीदवार को 50 फीसदी अंकों के साथ क्लास 12th होना चाहिए और प्रारंभिक शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा (D.EL.ED) या प्रारंभिक शिक्षा कार्यक्रम में चार वर्षीय ग्रेजुएशन (B.EL.ED). होना चाहिए। वहीं रिजर्व कैटेगरी के कैंडिडेट के लिए जरूरी है कि उनके कक्षा 12 की परीक्षा में 45 प्रतिशत अंक कम से कम होने चहिए।
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उम्मीद है Ignou se b.ed kaise kare ये आर्टिकल आपको पसंद आया होगा, क्योंकि इस आर्टिकल में maine B.ED Course ki Details में जानकारी दी है, जोकीं आपके लिए काफी यूजफुल साबित होगी।
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डिलीवरी के बाद नर्सिंग ड्रेस के लाभ
नर्सिंग ड्रेस अब धीरे-धीरे नवजात माताओं को पसंद आने लगी है। वह उनकी जरूरत को समझने लगी है। क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इन ड्रेसेस में काफी आराम मिलता है।
किसी भी मां को अपने नवजात शिशु को पहले दूसरे महीने में अक्सर स्तनपान कराने की जरूरत होती है। ऐसे में नर्सिंग ड्रेस मां के लिए काफी उपयोगी साबित होती है। वह एक साधारण पोशाक की तुलना में अधिक आराम से स्तनपान करा सकती है।
डिलीवरी के बाद नर्सिंग ड्रेस क्यों?
इसके लिए महिलाएं नर्सिंग वियर ड्रेस और नाइट नर्सिंग मैक्सी ड्रेस का इस्तेमाल कर सकती हैं, जो एक खास फीचर के साथ आती है, ताकि मां बिना किसी परेशानी के बच्चों को स्तनपान करा सके।
क्या नर्सिंग ड्रेस आवश्यक हैं
आजकल महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर समाज में अपना योगदान दे रही हैं। ऐसे में उन्हें घर छोड़ना पड़ रहा है। इसके साथ ही मातृत्व की जिम्मेदारी भी निभानी होती है। ऐसे में एक स्टाइलिश नर्सिंग ड्रेस महिलाओं के लिए टू-इन-वन का काम करती है। यह स्टाइल के साथ-साथ काफी कंफर्टेबल भी है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान काफी आराम मिलता है और महिला आराम से पब्लिक प्लेस पर भी ब्रेस्ट फीडिंग कर सकती है।
नई माँ के लिए नर्सिंग ड्रेस
समाज में महिलाओं की बढ़ती जिम्मेदारी के साथ-साथ ब्रेस्टफीडिंग ड्रेस का चलन भी बढ़ रहा है। और अब उनकी जरूरत महसूस होने लगी है।
नर्सिंग ड्रेस के लाभ
नर्सिंग ड्रेस के कई फायदे हैं। यह जानकर कि आपको किसकी देखभाल करनी चाहिए, कपड़े पहनें
खरीदना चाहेंगे। आइए जानते हैं कि नर्सिंग ड्रेस से मां को किस तरह के फायदे मिल सकते हैं।
1. टू इन वन ड्रेस
अब तक महिलाओं के लिए स्टाइलिश ड्रेस के साथ बच्चों को दूध पिलाना बहुत मुश्किल था, लेकिन अब स्टाइलिश नर्सिंग ड्रेस बाजार में उपलब्ध हैं, या आप नर्सिंग ड्रेस ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं, यह आपको स्टाइलिश लुक के साथ स्तनपान कराने की सुविधा देता है। अब फैंसी नर्सिंग ड्रेस का समय है।
2. स्तनपान की सुविधा
यदि आपके पास विशेष स्तनपान पोशाक नहीं है, तो आपको अपने बच्चे को स्तनपान कराने में बहुत असुविधा का सामना करना पड़ता है। आप मुश्किल से स्तनपान करा सकती हैं।
लेकिन अगर आपके पास नर्सिंग ड्रेस है, तो आप बहुत आसानी से अपने बच्चे को अपने कपड़ों को खराब किए बिना और बिना किसी शारीरिक तनाव के स्तनपान करा सकती हैं। आपको किसी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा।
3. दूध पिलाने के तनाव से छूट
अक्सर नवजात बच्चे को दूध पिलाना महिलाओं के लिए किसी परेशानी से कम नहीं होता है। क्योंकि महिलाओं को कपड़ों को लेकर काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
क्योंकि अभी तक नर्सिंग ड्रेस बाजार में उपलब्ध नहीं थी, जो आपको ब्रेस्टफीडिंग की सुविधा प्रदान करती थी। अब एक महिला अपने नवजात शिशु को ब्रेस्टफीडिंग ड्रेस की मदद से बिना किसी परेशानी के आसानी से स्तनपान करा सकती है।
पारंपरिक साधारण परिधानों में यह कार्य काफी कठिन था। इसमें महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब यह समस्या खत्म हो गई है.
4. बच्चे के साथ यात्रा करने की सुविधा
आजकल बाजार में स्टाइलिश नर्सिंग ड्रेस आसानी से मिल जाती है। हम सभी जानते हैं कि स्टाइलिश कपड़ों के अंदर स्तनपान की अनुमति नहीं है।
लेकिन आजकल स्टाइलिश नर्सिंग वियर ऑनलाइन आसानी से मिल जाते हैं। इस तरह की फीडिंग ड्रेस आपके लुक को अच्छा बनाने में भी मदद करती है और साथ ही आपको ब्रेस्टफीडिंग में भी मदद करती है।
5.पार्टी फ्रेंडली - पार्टी फ्रेंडली मैटरनिटी और नर्सिंग ड्रेस
आपको विशेष अवसरों या भारतीय परिधानों की देखभाल के लिए मातृत्व और नर्सिंग पोशाक की आवश्यकता होती है
यह बाजार में या ऑनलाइन आसानी से उपलब्ध है। जो आपके पार्टी लुक को भी सपोर्ट करेगा और ब्रेस्टफीडिंग में भी आपकी मदद करेगा।
यदि आपके पास स्टाइलिश नर्सिंग आउटफिट उपलब्ध हैं, तो आप आसानी से पार्टी का आनंद ले सकते हैं और साथ ही अपने नवजात शिशु को भी खिला सकते हैं।
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venkysglobal · 2 years
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🇦🇪DIGITAL🇮🇳PLANETT🇱🇰:
TIME TO UPDATE UPGRADE OUR SELVES👇🙏
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समय के साथ चलिए वरना.?🙆
1998 में KODAK में 170000 कर्मचारी काम करते थे और वो दुनिया का 85% फ़ोटो पेपर बेचते थे.चंदसाल में ही NEW DIGITAL PHOTOGRAPHY ने उनको बाज़ार से बाहर कर दिया. KODAK दिवालिया हो गयी उनके कर्म चारी सड़कपे आ गए.
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HMT (घडी)
BAJAJ (स्कूटर)
DYANORA (टीवी)
MURPHY (रेडियो)
NOKIA (मोबाइल)
RAJDOOT (बाईक)
AMBASSDOR (कार)
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मित्रों☝️इन सभी की गुणवक्ता में कोई कमी नहीं थी फिर भी बाजार ��े बाहर हो गए.
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कारण उन्होंने समय के साथ बदलाव नहीं किया.
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आपको अंदाजा है कि आने वाले 10 सालों में (TILL 2030) दुनिया पूरी तरह बदल जायेगी आज चलने वाले 70- 90% उद्योग बंद होगे.
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2021 चौथी औद्यो गिक क्रान्ति / WEL COME TO 4TH INDUSTRIAL RE VOLUTION 2021 में आप का स्वागत है.
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UBER सिर्फ SOFT WARE है. उनकी अपनी खुद की 1 भी CAR नहीं इसके बाव जूद दुनिया की बड़ी Taxi Company है.
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AIRBNB दुनिया की सबसे बड़ी Hotel Chain Company है जब कि उनके पास अपना खुद का 1 भी होटल नहीं है.
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PAYTM / OLA CABS / OYO ROOMS जैसे अनेक उदाहरण हैं.
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USA में युवा वकीलों के लिए कोई काम नहीं है क्योंकि IBM WATSON SOFT WARE पल में बेहतर LEGAL ADVICE दे देता है. अगले 10 साल में US के 90% वकील बेरोजगार होगे. जो 10% बचेंगे वो SUPER SPECIALISTS होंगे.
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WATSON SOFT WARE मनुष्य की तुलना में CANCER DIAGNOSIS 4 गुना ज़्यादा ACCURACY से करता है. 2030 तक COMPUTER मनुष्य से ज़्यादा IN TELLIGENT होगा.
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अगले 10 साल में द��निया की सड़कों से 90% CARS गायब होगी. जो बचेंगी वो या ELECTRIC CARS होंगी या HYBRID. सडकें खाली होंगी PETROL खपत 90% घट जाये सारे अरब देश दिवालिया हो जायेंगे.
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आप UBER जैसे एक SOFTWARE से CAR मंगाएंगे कुछ ही क्षणों में DRIVER LESS कार आपके दरवाज़े पे खड़ी होगी. उसे यदि आप किसी के साथ शेयर कर लेंगे तो वो RIDE आपकी BIKE से सस्ती पड़ेगी.
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CARS के DRIVER LESS होने के कारण 99% ACCIDENTS होने बंद होगे. इस से CAR INSURANCE धन्धा बंद होगा.
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ड्राईवर जैसा कोई रोज़ गार धरती नहीं बचेगा. जब शहर और सड़कों से 90% CARS गायब होगी TRAFIC PARKING जैसी सम स्याएं स्वतः समाप्त हो जायेंगी क्योंकि 1 कार आज की 20 CARS के बराबर होगी.
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आज से 5-10 साल पहले ऐसी कोई जगह नहीं होती थी जहां PCO न हो. फिर जब सबकी जेब मोबाइल फोन आया PCO बंद होने लगे फिर उन सब PCO वालों ने फोन RECHARGE शुरू कर दिया. अब रिचार्ज ऑनलाइन होने लगा है.
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आपने कभी ध्यान दिया है.
🙆👇👇🙏👇
आजकल बाज़ार में हर तीसरी दुकान मोबाइल फोन की है.
SALES SERVICE RECHARGE WIT ACCESSORIES REPAIRS & MAIN TENANCE की.
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अब सब PAYTM PHONE PE & GOOGLE PAY से हो जाता है. अब तो लोग रेल का टिकट भी अपने फोन से ही बुक कराने लगे हैं. अब पैसे का लेनदेन बदल रहा है. CURRENCY NOTE की जगह PLASTIC MONEY ने ली अब DIGITAL हो गया है लेनदेन.
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दुनिया बहुत तेज़ी से बदल रही है. आँख कान नाक खुले रखिये वरना आप पीछे छूट जायेंगे.
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helputrust · 3 months
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लखनऊ, 14.03.2024 l माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की मुहिम आत्मनिर्भर भारत को साकार करने तथा महिला सशक्तिकरण हेतु गो कैंपेन (अमेरिकन संस्था) के सहयोग से हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस, मल्हौर, लखनऊ में आत्मरक्षा कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें 81 छात्राओं ने मेरी सुरक्षा, मेरी जिम्मेदारी मंत्र को अपनाते हुए आत्मरक्षा के गुर सीखे तथा वर्तमान परिवेश में आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को जाना l
कार्यशाला का शुभारंभ राष्ट्रगान से हुआ तथा एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ कैंपस से प्रो (डॉ.) मंजू अग्रवाल, अध्यक्ष, छात्र कल्याण, डॉ प्राची श्रीवास्तव, सह प्राध्यापक, ए.आई. बी., डॉ रूपल अग्रवाल, न्यासी, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट एवं रेड ब्रिगेड से रूबी खान, यास्मीन बानो, सुष्मिता भारती ने दीप प्रज्वलित किया |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ. रूपल अग्रवाल ने कहा कि आज इस आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला में हमारे कुशल प्रशिक्षक आपको आ��्मरक्षा के गुर सिखाएंगे । ये गुर आपको किसी भी आपात स्थिति से निकलने में मदद करेंगे ताकि भविष्य में आप उन्हें उपयोग करके अपनी सुरक्षा कर सकें । आज मैं आप सभी से यह कहना चाहूंगी कि आपके जीवन में कोई भी परेशानी आए, आपको किसी भी विषम परिस्थिति से गुजरना पड़े, कभी निराश मत होना, कभी हार मत मानना | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट हमेशा आपके साथ है | हम सब मिलकर आपकी समस्या का समाधान निकालेंगे |
प्रो (डॉ) मंजू अग्रवाल ने हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट का धन्यवाद करते हुए कहा कि "हम सभी यहाँ आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग ले रहे हैं । कई बार हमें लगता है कि लड़कियाँ कमजोर होती हैं लेकिन हमें इस बात को गलत साबित करना है हमें यह दिखाना है कि हम सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत हैं एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षण प्राप्त करके हम और अधिक ऊर्जावान हो जाएंगे एवं महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे ।"
डॉ. प्राची श्रीवास्तव ने कहा कि, हमें आत्मरक्षा प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों है ? ऐसा इसलिए है क्योंकि आजकल की महिलाएं अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए अधिक जागरूक हैं । वे आत्मरक्षा प्रशिक्षण की तकनीकों को सीखकर अपनी सुरक्षा स्वयं करने में सक्षम हो रही हैं । सेल्फ डिफेन्स को सीखने का महत्व इसलिए है कि इससे लोग सुरक्षित और आत्मनिर्भर महसूस करते हैं । हमें कभी भी शर्मिंदा नहीं होना चाहिए अगर हमारे साथ कोई अपराध कर रहा है । हमें स्थिति का सामना करने और अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए । मैं अपने इंस्टिट्यूट के छात्राओं से अनुरोध करती हूँ कि वे आत्मरक्षा प्रशिक्षण को प्राप्त करें क्योंकि इससे उनकी सुरक्षा में वृद्धि होगी, और वे अपने आत्मविश्वास को भी बढ़ा सकेंगी ।
कार्यशाला में रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख श्री अजय पटेल ने बालिकाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण के महत्व को बताते हुए कहा कि, "किसी पर भी अन्याय तथा अत्याचार किसी सभ्य समाज की निशानी नहीं हो सकती हैं, फिर समाज के एक बहुत बड़े भाग यानि स्त्रियों के साथ ऐसा करना प्रकृति के विरुद्ध हैं | महिलाओं एवं बालिकाओं के खिलाफ देश में हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं तथा सरकार निरंतर महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है लेकिन यह अत्यंत दुख की बात है कि हमारा समाज 21वीं सदी में जी रहा है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या व लैंगिक भेदभाव के कुचक्र से छूट नहीं पाया है | आज भी देश के तमाम हिस्सों में बेटी के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता है या बेटी और बेटे में भेदभाव किया जाता है | महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा होती है तथा उनको एक स्त्री होने की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है | आत्मरक्षा प्रशिक्षण समय की जरूरत बन चुका है क्योंकि यदि महिला अपनी रक्षा खुद करना नहीं सीखेगी तो वह अपनी बेटी को भी अपने आत्म सम्मान के लिए लड़ना नहीं सिखा पाएगी | आज किसी भी क्षेत्र में नजर उठाकर देखियें, नारियां पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रगति में समान की भागीदार हैं | फिर उन्हें कमतर क्यों समझा जाता है यह विचारणीय हैं | हमें उनका आत्मविश्वास बढाकर, उनका सहयोग करके समाज की उन्नति के लिए उन्हें साहस और हुनर का सही दिशा में उपयोग करना सिखाना चाहिए तभी हमारा समाज प्रगति कर पाएगा | आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित करने का हमारा यही मकसद है कि हम ज्यादा से ज्यादा बालिकाओं और महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा सके तथा समाज में उन्हें आत्म सम्मान के साथ जीना सिखा सके |"
आत्मरक्षा प्रशिक्षण की प्रशिक्षिका यास्मीन बानो, रूबी खान, सुष्मिता भारती ने लड़कियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाते हुए लड़कों की मानसिकता के बारे में अवगत कराया तथा उन्हें हाथ छुड़ाने, बाल पकड़ने, दुपट्टा खींचने से लेकर यौन हिंसा एवं बलात्कार से किस तरह बचा जा सकता है यह अभ्यास के माध्यम से बताया |
कार्यशाला के समापन के बाद, छात्राओं ने अपने विचार साझा करते हुए बताया कि, "हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्याशाला से हमने स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए नए कौशल सीखे । यहाँ हमें ऐसी तकनीकें सिखाई गईं जो आगे चलकर हमारी सुरक्षा में मदद करेंगी ।"
कार्यशाला में एमिटी यूनिवर्सिटी, लखनऊ कैंपस से प्रो (डॉ) मंजू अग्रवाल, डॉ. प्राची श्रीवास्तव, डॉ नेहा माथुर, डॉ प्रेक्षी गर्ग, हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल, छात्राओं, रेड ब्रिगेड ट्रस्ट से श्री अजय पटेल, यास्मीन बानो, रूबी खान, सुष्मिता भारती तथा एमिटी यूनिवर्सिटी एवं हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वयंसेवकों की गरिमामयी उपस्थिति रही l
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scprabhakar · 3 years
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छठ पर्व 🙏🏻
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*दुनिया का इकलौता ऐसा पावन पर्व जिसकी महत्ता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है*।आज ये पर्व हिंदुस्तान ,मलेशिया के अलावे लंदन,अमेरिका में भी बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है।
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*ये छठ पूजा जरुरी है*
*धर्म के लिए नहीं*,
*अपितु*..
हम-आप सभी के लिए
जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं ।
अपनी परंपरा, सभ्यता,संस्कृति, परिवार से दूर होते जा रहे है।
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*ये छठ जरुरी है*
उन बेटों के लिए
जिनके घर आने का ये बहाना है ।
*ये छठ जरुरी है*
उस माँ के लिए
जिन्हें अपनी संतान को देखे
महीनों हो जाते हैं,
उस ��रिवार के लिये
जो आज टुकड़ो में बंट गया है ।
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*ये छठ जरुरी है*
उस आजकल की नई बहु/पुतोहु
के लिए
जिन्हें नहीं पता कि
दो कमरों से बड़ा भी घर होता है ।
*ये छठ जरुरी है*
उनके लिए जिन्होंने नदियों को
सिर्फ किताबों में ही देखा है ।
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*ये छठ जरुरी है*
उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए
जो समानता की वकालत करता है ।
*ये छठ जरुरी है*
जो बताता है कि
बिना पुरोहित/ब्राह्मण भी पूजा हो सकती है ।
*ये छठ जरुरी है*
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं
डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सिखाता है ।
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*ये छठ जरुरी है*
गागर , निम्बू और सुथनी जैसे
फलों को जिन्दा रखने के लिए ।
*ये छठ जरुरी है*
सूप और दउरा को
बनाने वालों के लिए,
ये बताने के लिए कि,
इस समाज में उनका भी महत्व है ।
*ये छठ जरुरी है*
उन दंभी पुरुषों के लिए
जो नारी को कमज़ोर समझते हैं ।
*ये छठ जरुरी है*
भारतीयों के योगदान
और हिन्दुओ के सम्मान के लिए ।
*ये छठ जरुरी है*
सांस्कृतिक विरासत और आस्था को
बनाये रखने के लिए ।
*ये छठ जरुरी है*
परिवार तथा समाज में
एकता एवं एकरूपता के लिए ।
II संयमित एवं संतुलित व्यवहार
=सुखमय जीवन का आधार II जय छठी मैया।। 🙏🏻
🙏 *ये छठ है। ये हठ है। ये मानवता की हठ है।*🙏
*तमाम पाखंडों से दूर प्रकृति से जुड़ने की हठ है।* नदी में घुलने की हठ है। रवि के साथ जीने की हठ है। रवि का साथ देने की हठ है। कौन कहता है कि जो डूब गया सो छूट गया। कौन कहता है कि जो अस्त हो गया वो समाप्त हो गया। जैसे सूर्य अस्त होता है वैसे फिर उदय भी होता है। अगर एक सभ्यता समाप्त होती है तो दूसरी जन्म लेती है। अगर आत्मा अस्त होती है तो वो फिर उदय भी होती है । जो मरता है वो फिर जन्म लेता है। *जो डूबता है वो फिर उभरता है। जो अस्त होता है वो फिर उदयमान होता है।* जो ढलता है वो फिर खिलता भी है। यही चक्र छठ है। यही प्राकृतिक सिद्धांत छठ का मूल है। यही भारतीय संस्कृति है। *छठ इसी प्रकृति चक्र और जीवन चक्र को समझने का पर्व है।*
छठ अंत और प्रारंभ की समग्रता को समान भाव से जीवन चक्र का हिस्सा मानना है। पूजा दोनों की होनी है। प्रारम्भ की भी और अंत की भी। छठ प्रकृति चक्र की इसी शाश्वतता की रचना है, मानव सभ्यता की अमर होने की कल्पना है तो आत्मा की अजय होने की परिकल्पना है। छठ सिर्फ महापर्व नहीं है छठ जीवन पर्व है। जीवन के नियमों को बनाने का संकल्प छठ है। उन नियमों का फिर पालन छठ है। अपनों का साथ, अपनों की पूजा छठ है। *घर की तरफ लौटने का नाम छठ है।* सात्विकता का सामूहिक संकल्प छठ है। जो गलती हुई हो, जो गलती करते हों वो अब नहीं दोहराने का नाम छठ है। *अपराधी का अपराध ना करना छठ है। प्रकृति का हनन रोकना छठ है।*
👉 *गन्दगी, काम, क्रोध, लोभ को त्यागना छठ है।* नैतिक मूल्यों को अपनाने का नाम छठ है। सुख सुविधा को त्यागकर कष्ट को पहचानने का नाम छठ है। शारीरिक और मानसिक संघर्ष का नाम छठ है। छठ सिर्फ प्रकृति की पूजा नहीं है। ये व्यक्ति की भी पूजा है। व्यक्ति प्रकृति का ही तो अंग है। छठ प्रकृति के हर उस अंग की उपासना है जो हठी है। जिसमें कुछ कर गुजरने की , *कभी निराश न होने की, कभी हार ना मानने की, डूब कर फिर खिलने की , गिर कर फिर उठने की हठ है।* ये हठ नदियों में है, ये हठ बहते जल में है, ये हठ अस्तोदय होते सूर्य में है, ये हठ किसान की खेती में है, ये हठ छठ व्रतियों में है।
👉इसलिए छठ नदियों की पूजा है, सूर्य की पूजा है, परम्पराओं की पूजा है। अपने खेत से उगे उस केले के उगने की, गन्ने के जन्म लेने की, सूप को बुनने की, दौरा को उठाने की, निर्जल अर्घ्य देने की पूजा है। व्रत करने वाले व्रतियों की पूजा है। *क्योंकि छठ व्रती भी उतने ही पूज्यनीय है जितनी की छठी मइया और उनके भास्कर भइया।* छठ प्रत्यूषा की पूजा है तो ऊषा की भी पूजा है। ये जल की पूजा है तो वायु की भी पूजा है। व्यक्ति के कठोर बनने की प्रक्रिया है। ४ दिनों तक होने वाले तप की पूजा है। छठ में कला भी है और कृति भी है। वास्तव में छठ सिर्फ पूजा नहीं है ये आध्यात्मिक क्रिया है।
👉व्यक्ति को अपनी प्रकृति से जोडने की प्रक्रिया है। ये प्रक्रिया योग साधना जैसी है। *इसमें संपूर्ण योग है। शरीर और मन को पूरी तरह साधने वाला योग है। इसमें यम भी है इसमें नियम भी हैं। कम से कम साधन उपयोग करने का नियम है, सुखद शैय्या को त्यागने का नियम है तो तामसिक भोज को त्यागने का नियम भी है। काम, क्रोध, लोभ से दूर विचारों में सत्यता और ब्रह्मचर्य का यम भी है।* छठ का अर्घ्य आसन स्वरूप है। शरीर को साधने का आसन है, जल के अंदर उतर कर कमर तक पानी में लम्बे समय तक खड़ा रहना योगासन है। पानी में सूर्य देव को अर्घ्य देकर पंच परिक्रमा कठिन शारीरिक आसन है। छठ में अगर आसन है तो प्राणायाम भी है। कठिन छठ व्रत बिना श्वास उपासना के संभव नहीं है। सूर्योपासना श्वास नियंत्रण से ही संभव है। नियंत्रण तो खान पान का भी है। अन्न जल त्याग कर दूसरे दिन एकान्त में खरना ग्रहण करने का अनुशासन है। ये अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण करने जैसा है। इसलिए छठ में प्रत्याहार भी है। छठ के केन्द्र में सूर्य पूजा और व्रत है। चारों दिन की धारणा में आदित्य का मूर्त रूप है। निर्जल व्रत चंचल मन को स्थायित्व प्रदान करता है। व्रती ध्यान मग्न होता है। ध्यान मग्न व्रती आदित्य की धारणा में सूर्य समाधि की और अग्रसर होता है। *छठ अपनी संपूर्णता में बुद्ध के अष्टांग योग की तरफ बढ़ता दिखाई देता रहता है।*
🙏उस महान दृश्य की कल्पना कीजिए जब अपने आराध्य भगवान भास्कर को मनुजता साहस दे रही होती है।🙏 वो डूबते भास्कर को अर्घ्य देती है। प्रणाम करती है। शक्ति देती है। भास्कर भगवान है। ईश्वर की कल्पना है। सूर्य अपने भक्तों से अपने अस्तगामी पथ पर मिलने वाली इस अतुल्य मानवीय शक्ति को देख कर जरूर भावुक होते होंगे। डूबते सूरज को अर्घ्य देते हजारों लोगों को देख कर सूर्य की ओर देखो तो सूर्य भी शक्तिमानी दिखने लगते हैं। ढलते सूरज भी स्वाभिमानी लगने लगते हैं। ढलती, गुजरती किरणें भी प्रफुल्लित सी चहक उठती हैं। अनवरत बहती नदियां भी इस अदभुत मानवीय शक्ति को निहारती रहती है। कुछ पल के लिए ठहर जाती है और अलौकिक आनंद में सहर्ष रम जाती हैं।
👉जब सूर्य समाधि में व्यक्ति स्वयं निर्जल होकर भास्कर को जल समर्पित करता है तो प्रकृति और व्यक्ति के अतुल्य समर्पण के दर्शन होते है। व्यक्ति के प्रकृति को स्वयं से ऊपर रखने के दर्शन के दर्शन होते है। इस दर्शन से यह भरोसा निकलता है कि *जब तक छठ है तब तक प्रकृति ही ईश्वर है, सूर्य ही ईश्वर है।* व्यक्ति प्रकृति का ही अंग है और प्रकृति को स्वयं से ऊपर भी रखता है। *छठ में व्यक्ति और प्रकृति का ये सम्बन्ध जैसे आत्मा और परमात्मा का सम्बन्ध दिखाता है।* छठ भारतीय संस्कृति के कृतज्ञता दर्शाने के दर्शन का भी नाम है। उत्तर भारत के एक बड़े भूभाग का जीवन दर्शन सिर्फ और सिर्फ मां गंगा, उनकी बहनों और भगवान भास्कर की धुरी पर घूमता है।
नदियों से मिले जल और सूर्य से मिली किरणों ने हमेशा से मानवता को पाला और पोषा है। बड़ी बड़ी सभ्यताएं और संस्कृतियां नदियों और सूर्य के परस्पर समन्वय से ही विकसित हो पाई है। छठ इन नदियों, तालाबों के जल और सूर्य की किरणों को हमारी कृतज्ञता दर्शाने का तरीका है। इस महापर्व के माध्यम से पूरी की पूरी उत्तर भारतीय संस्कृति माँ गंगा, यमुना, सोन, घाघरा, सरयू, गंडक ना जाने और कितनी असंख्य धाराओं, जलाशयों, पोखरों, तालाबों की ओर अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रही होती है। *ये हमारी संस्कृति का दर्शन है कि हम कृतज्ञ हैं उस अस्त होते रवि के और उदय होते भास्कर के और उस कृतज्ञता को छठ महापर्व के रूप में प्रकट भी कर रहे हैं।*
👉जरा सोचिए *जब एक साथ हम सभी सूर्य को अर्घ्य देंगे तो कितनी विशाल सामूहिक कृतज्ञता प्रकट होगी।* पूरी की पूरी एक सभ्यता और संस्कृति नतमस्तक होगी इन प्राकृतिक स्रोतों के सामने। *हम बता रहे होंगे कि आप हैं तो हम हैं। नदियां हैं तो हम हैं। सूर्य हैं तो हम हैं। जलाशय हैं तो हम हैं।* इस सामूहिक कृतज्ञता को दर्शाना ही हमारा उत्सव है, पर्व है, त्यौहार है। ये कृतज्ञता हम अपने मेहनत से उगाए केले, गन्ने और मन से बनाए खरना और ठेकुआ के लोकमन के माध्यम से दर्शा रहे होंगे। लोकमन का छठ वो अदृश्य सूर्याकर्षण भी है जो हर व्यक्ति को सूर्य की तरफ खींचता है ये शायद वही गुरुत्वाकर्षण है जिससे सूर्य पृथ्वी को अपनी ओर खींचता है। छठ में गंगाकर्षण भी है जो पूरे समाज को नदियों और जलाशयों की तरफ मोड़ता है।
*नदियों और सूर्य की तरफ मुड़ता समाज अपनी पुरातन सामाजिक चेतना को जगाता रहता है।* जीवन शैली में होने वाले बदलावों से अपनी सांस्कृतिक चेतना पर आंच नहीं आने देता है। अक्षुण्ण लोक संस्कृति ही समाज के संगठित स्वरूप का निर्माण करती है और उसे समय समय पर विघटन से बचाती है। संगठित समाज लोकपर्व के माध्यम से ही अपने अंदर आई दरारों को भरने का काम करता है। अपने आप को पुनः स्वस्थ करता है।
नदियों पर आया समाज, सूर्य को अर्घ्य समर्पित करती संस्कृति वहां उन घाटों पर एक सामाजिक संवाद करती भी दिखती है। *इतना बड़ा समाज एक जगह एक समय पर एक विषयवस्तु पर एक राय होता है।* सब प्रकृति के सामने नतमस्तक होते हैं। अपनी अपनी कृतज्ञता प्रकट कर रहे होते हैं। कौन किस रंग का है, किस जाति का है, किस वर्ण से है और कितना अर्थ लेकर जीवन यापन कर रहा है ये सब सूर्य के सामने निरर्थक हो जाता है।
👉 छठ पूजा ना सिर्फ सामाजिक संवाद कराती है अपितु समाज में आपसी आकर्षण बढ़ा कर समरसता लाती है। *वर्ण, जाति , रंग भेद से कहीं ऊपर उठ जाता है सामाजिक संवाद।*
हमें ज़रूरत है तो छठ जैसे पर्वों को संभालने की, उन्हें अगली पीढि़यों तक पहुंचाने की, लोक मानस के इस महापर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाने की। हमें ज़रूरत है तो छठ में निहित तत्वों के मूल अर्थों को समझने की, उन अर्थों के व्यापक विस्तार की, उस विस्तार को सामाजिक स्वीकार्यता द��लाने की, स्वीकृत विस्तार को लोक मन में ढालने की, छठ को हमेशा मनाते रहने की, लोक पर्व के माध्यम से सशक्त समाज और जाग्रत राष्ट्र को बनाने की, छठ के माध्यम से गंगा की संस्कृति को विश्व की सबसे श्रेष्ठ संस्कृति बनाने की।
*लोकआस्था के अभूतपूर्व महापर्व छठ की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।*
साभार- व्हाट्सएप एप से।
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ajay1891 · 3 years
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Digital Marketing में क्या होता है काम…???
डिजिटल मार्केटिंग  के प्रकार [Types of Digital Marketing]
सबसे पहले आपको बता दें कि डिजिटल मार्केटिंग का काम करने के लिए एक मात्र साधन ‘Internet’ ही है। इंटरनेट पर ही हम अलग-अलग वेबसाइट के द्वारा डिजिटल मार्केटिंग कर सकते हैं। इसके कुछ प्रकार के बारे में हम आपको बताने जा रहे है। इंटरनेट  पर ही हम अलग-अलग वेबसाइट के द्वारा डिजिटल मार्केटिंग कर सकते हैं । इसके कुछ प्रकार के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं –
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(i) सर्च इंजन औप्टीमाइज़ेषन या SEO
SEO: यह एक ऐसा तकनीकी माध्यम है जो आपकी वेबसाइट को सर्च इंजन के परिणाम पर सबसे ऊपर जगह दिलाता है जिससे दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी होती है। इसके लिए हमें अपनी वेबसाइट को कीवर्ड और SEO guidelines के अनुसार बनाना होता है।
सरल भाषा अगर जानें SEO जैसा कि नाम से पता चल रहा है search engine optimization इसका मतलब ये हुआ कि गूगल, bing, yahoo और भी कई सारे सर्च engine है जहाँ आप जा कर कुछ भी सर्च करते है उसे सर्च engine कहते है हालाँकि सबसे ज्यादा प्रचलित google है तो जो भी हम नाम डाल कर सर्च करते है और जो रिजल्ट आता है हमारे सामने उसको किस तरह अपने वेबसाइट में keyword डालें की अपना वेबसाइट सबसे पहले आये वही SEO कहलाता है।
(ii) सोशल मीडिया (Social Media)
सोशल मीडिया का वैसे तो काफी वेबसाइट है जिसे सभी को social media के नाम से जाना जाता है – जैसे Facebook, Twitter, Instagram, LinkedIn, आदि । सोशल मीडिया के माध्यम से व्यक्ति अपने विचार हजारों लोगों के सामने रख सकता है । आप में से ज्यादातर लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल किये होंगे, सोशल मीडिया एक ऐसा जरिया है जिससे लोग अपने विचार के साथ साथ टैलेंट को भी लोगो के सामने लाने का काम करता है, साथ ही अब ये एक ऐसा माध्यम हो गया है जो business को प्रचार करने के लिए सबसे बेहतरीन जरिया माना जाता है। जिसे सोशल मीडिया मार्केटिंग के नाम से जाना जाता है ।
(iii) ईमेल मार्केटिंग (Email Marketing)
किसी भी कंपनी द्वारा अपने उत्पादों को ई-मेल के द्वारा पहुंचाना ई-मेल मार्केटिंग है। ईमेल मार्केटिंग हर प्रकार से हर कंपनी के लिये आवश्यक है क्योकी कोई भी कंपनी नये प्रस्ताव और छूट ग्राहको के लिये समयानुसार देती हैं जिसके लिए ईमेल मार्केटिंग एक सुगम रास्ता है।
(iv) यूट्यूब चेनल (YouTube Channel)
जब से jio आयी हैं तब से डेटा इतना सस्ता हो गया है और 4g आने पर स्पीड अच्छी मिलने लगी है जिस वजह से आज के समय मे लोग कंटेंट पढ़ने से ज्यादा वीडियो देखते है और वीडियो सबसे ज्यादा यूट्यूब पर upload या देखे जाता है। ये एक ऐसा प्लेटफॉर्म हो गया है जहाँ अब लोग वीडियो ब्लॉगिंग कर के भी पैसे कमा रहे है। जिस वजह से यूट्यूब पर काफी promotion भी देखने को मिल रहे है। जिसमे उत्पादक अपने उत्पादों को लोगों के समक्ष प्रत्यक्ष रुप से पहुंचाना है। लोग इस पर अपनी प्रतिक्रया भी व्यक्त कर सकते हैं। ये वो माध्यम है जहां बहुत से लोगो की भीड़ रहती है या यूं कह लिजिये की बड़ी संख्या में users/viewers यूट्यूब पर रह्ते हैं।  ये अपने उत्पाद को लोगों के समक्ष वीडियो बना कर दिखाने का सुलभ व लोकप्रिय माध्यम है।
(v) अफिलिएट मार्केटिंग (Affiliate Marketing)
एफिलिएट मार्केटिंग एक ऐसा जरिया है जिसमें आप किसी और का product अपने वेबसाइट, ब्लोग या लिंक के माध्यम से प्रोडक्ट के प्रचार करने से जो मेहनताना मिलता है, इसे ही Affiliate marketing कहा जाता है। इसके अन्तर्गत आप अपना लिंक बनाते हैं और अपना उत्पाद उस लिंक पर डालते है । जब ग्राहक उस लिंक को दबाकर आपका उत्पाद खरीदता है तो आपको उस पर मेहनताना मिलता है।
सिम्पल भाषा में इसमे आप किसी और के समान को बेचने पर आपको जो Commission मिलता है उसे affiliate marketing कहते है।
(vi) पे पर क्लिक ऐडवर्टाइज़िंग या PPC Marketing
PPC इंटरनेट मार्केटिंग का एक module है जिसमें विज्ञापनकर्ता अपने विज्ञापनों में से किसी एक विज्ञापन पर क्लिक होने पर कुछ धनराशि देते है। इसीलिए इसका नाम है इसीलिए इसका पूरा नाम है, Pay-Per-Click पे-पर-क्लिक (मतलब की प्रति क्लिक की पेमेंट)। PPC का लक्ष्य विज्ञापन देखने वाले व्यक्ति को वेबसाइट या ऐप पर लाना है, ताकि वह व्यक्ति विज्ञापनकर्ता की वेबसाइट से कुछ खरीद सकें या कोई फॉर्म भर सकें।
PPC advertisement विभिन्न प्रकार के होते हैं, लेकिन सबसे लोकप्रिय है, “paid search ad” “पेड सर्च एड” इसमें विज्ञापन तब दिखाई देता है जब google जैसे search Engine का उपयोग करते है औऱ जो भी सर्च करने पर रिजल्ट आता है उसपे क्लिक करने पर जो cost लगता है वो PPC में आता है खासकर जब वे कुछ खरीदने के लिए सर्च कर रहे होते है जैसे:- Pizza Near Me, Gift For Mother, या Best Mobile Under 10,000 इत्यादि। PPC विज्ञापन के अन्य रूपों में डिस्प्ले एड Display Ad और रीमार्केटिंग Remarketing शामिल हैं।
जिस विज्ञापन को देखने के लिए आपको भुगतान करना पड़ता है उसे ही पे पर क्लिक ऐडवर्टीजमेंट कहा जाता है। जैसा की इसके नाम से पता चलता है की इस पर क्लिक करते ही पैसे कटते हैं । यह हर प्रकार के विज्ञापन के लिये है। यह विज्ञापन बीच में आते रह्ते हैं। अगर इन विज्ञापनो को कोई देखता है तो पैसे कटते हैं । यह भी डिजिटल मार्केटिंग का एक प्रकार है।
(vii) एप्स मार्केटिंग (Apps Marketing)
इंटरनेट पर अलग-अलग ऐप्स बनाकर लोगों तक पहुंचाने और उस पर अपने उत्पाद का प्रचार करने को ऐप्स मार्केटिंग कहते हैं । यह डिजिटल मार्केटिंग का बहुत ही उत्तम रस्ता है। आजकल बड़ी संख्या में लोग स्मार्ट फ़ोन का उपयोग कर रहे हैं । बड़ी-बड़ी कंपनी अपने एप्स बनाती हैं और एप्स को लोगों तक पहुंचाती है।
निष्कर्ष [Digital Marketing Kya hai?]
डिजिटल मार्केटिंग एक ऐसा माध्यम बन गया है जिससे कि marketing(व्यापार) को  बढ़ाया जा सकता है। इसके उपयोग से सभी लाभान्वित हैं । उपभोक्ता व व्यापारी के बीच अच्छे से अच्छा ताल-मेल बना रहे हैं , इसी सामजस्य को डिजिटल मार्केटिंग द्वारा पूरा किया जा सकता है । डिजिटल मार्केटिंग आधुनिकता का एक अनूठा उद्धरण है।
आशा है की आप भी डिजिटल मार्केटिंग से लाभांवित होंगे।
“उत्पादो की बहार, हमारा डिजिटल व्यापार।”
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disuv · 3 years
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मुक्ति भवन- काशीनगरी मोक्षम:
दिल्ली/02.01.2021
चोला ओढ़ लिया मैंने ..अब क्या देह देखूँ - आया आया.. रे काशी!
काशी-लाभ ; मुक्ति भवन में देश-विदेश से वृद्ध एक बक्सा में जरूरी सामान को भरकर कुछ बर्ष पहले तक अंतिम स्वांस लेने के लिए पहुंच जाया करते थे । छोटे छोटे कमरे - कीर्तन-भजन करती हुई मंडली , सुबह-शाम आरती और गंगाजल पान के साथ अंतिम पहर में कैसे भी करके गौ-दान के उपरांत आये हुए वृद्ध प्रविष्ट कर ही जाया करते थे !
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लेकिन अब इस मुक्ति भवन में कोई नही आता - लोगों से जीने का मोह छूट ही नही रहा । कुंजी पर से हाथ हट नही पा रहे - भला कैसे कोई काशी पहुँचे । अब ना कोई भक्ति भाव बची न कोई जीवन के बारे में रहस्य ! सबकुछ साफ है - कोई आत्मा नही होती । सब एक ढोंग के सिवाय कुछ भी ना था । बर्षों तक लोगों को पोंगा पंडितों ने जमकर ठगा है पर अब और नही ।
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यह मुक्ति भवन आजकल वीरान है । एक दो लोग भूले भटके कभी कभार मरने के लिए पहुंच जाते हैं अन्यथा अब तो सभी कमरे खाली ही पड़े रहते हैं ।
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जिनको अभी भी आत्मा में अटूट विश्वास है और हृदय में काशीधाम पहुँच कर मरने की अभिलाषा जागृत है - वे तो मोक्ष के लिए काशी पहुँच ही जाते हैं । अंतिम पड़ाव काशी में - अंतिम विदाई काशी में ।
जैसे किसी होटल में कमरे के लिए रिसेप्शन पर नाम और पता की खानापूर्ति की जाती है वैसे ही मुक्ति भवन में ठहरने के लिए पूरा पता लिखबाने के बाद ही ठहरने दिया जाता है । बड़े बड़े ..पुराने रजिस्टरों में इस भवन के माध्यम से मोक्ष पा चुके आत्माओं के स्थूल शरीरों के नाम पता-ठिकानों के साथ दर्ज हैं - एकदम सुरक्षित ।
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अब तो लोग अमृत खोज चुके हैं - मरना किसे है ! सभी जीवित रहेंगे , फिर कैसा मोक्ष और कौन सा मोक्षद्वार !! मृत्यु और मोक्ष पुरानी बात है। वर्तमान में सभी अचल हैं , धुरी पर घूमते रहेंगे - जीवन अगम्य है तभी तो बेईमानी , धोखाधड़ी करने में मस्त हैं । पूँजी को बढ़ा रहे हैं । जानते हैं एक एक ढेला को फोड़ेंगे - सम्पूर्ण भोग विलास और अनंत जीवन जीने के लिए आवश्यकता से कईं गुना अधिक संपत्ति पास में होना जरूरी है - अन्यथा जीवन जिया कैसे जाएगा ! काशीधाम में अब तो दीन-हीन के चिता जलते हैं - भ्र्ष्टाचार में जो लिप्त हैं उन्हें मरने की फुर्सत कहाँ ।
बात ठिक भी है , घर पे मरो - अंतिम कौर खाकर मरने में निश्चित ही संतोष है तभी तो काशी में लोग अब मरने नही जाते । या फिर एक कारण और भी हो सकता है - इतना जो धन कमाकर रख छोड़ा है वह कब काम आवेंगे । पुत्र/पुत्रियों को तो सेवा देना ही होगा - काशी क्यों!
जो भी हो - इस लेख से मेरा तात्पर्य बस इतना है कि काशी मुक्तिधाम में जानेवाले अक्सर एक महीने में मोक्ष पा लेते थे - ये मैं नही मुक्ति भवन के रेकॉर्ड कहते हैं । मरनेवाले को अंतिम समय का बोध कैसे हो जाया करता था ये अभ भी एक रहस्य है । मुक्तिबोध की इतनी प्रगाढ़ता एवं सघनता शायद ही अब कभी किसी मनुष्य में जागृत हो । मैं भी हैरान हूँ - सोच रहा हूँ - क्या मुझे पता चलेगा । मैं तो लोभी नही ! क्या अंतिम समय मे मैं मोक्ष के लिए काशी जाने का निर्णय ले सकूँगा । मुझे जीवन भी पलपल याद है और मृत्य भी - लेकिन बात काशी जाने की है । कब ? पता नही ।
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allgyan · 3 years
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किशोर और समाज में सतत परिवर्तन -
किशोर को इंग्लिश में 'टीनेजर' कहा जाता है। अगर आप ध्यान से देखे तो 2020 को केवल कोरोना के लिए ही याद नहीं रखा जायेगा। बहुत सी ऐसी चीजें हुई है जिन्होंने पूरा का पूरा परिवर्तन कर दिया है।टीनेजर का साफ़ सा मतलब होता है 18 साल से कम उम्र के बच्चे। आप खुद के बचपन से ये अंदाज़ा लगा सकते है की आप इस उम्र में क्या कर रहे थे।और क्या आपने भी विश्व के किसी भी अच्छे परिवर्तन में सहायक थे। हम जैसे -जैसे बड़े होते है हम हमेशा सोचने लगते है की जो भी हमसे कम उम्र के है या तो वो विश्वास करने लायक नहीं है और या तो वो पिछड़े है। कई ऐसी भ्रांतिया है जो हम नहीं समझ सकते है।क्योकि समाज सतत परिवर्तित हो रहा है और जिस तरह से सोशल मीडिया और आईटी सेक्टर की फील्ड में विकास हो रहा है।
उसका समाज पर असर साफ़ दिख रहा है।लेकिन अभी जो पीढ़ियों की सोच में अंतर साफ़ देखने को मिल रहा है। लेकिन आज के जो भी किशोर है वो हर बात साफ़ -साफ़ कहने में विश्वास रखते है। और मैं कहना चाहता हूँ सभी लोगों से अब वक़्त आ गया है की हम इन किशोरों को बच्चे कहके टाले नहीं और उनकी बातें को भी जिम्मदेरी से सुने। क्योकि वो जो बात करेंगे या विचार प्रकट करेंगे वो उनके विचार के साथ ही साथ टीनेजर की बात या विचार होंगे। जिससे हमे उनके साथ सामजस्य बिठाने में मदद मिलेगी।आये अब आपको बताते है कौन से किशोर है जिन्होंने दुनिया को बता दिया है हम आ रहे है।
गीतांजलि राव-युवा वैज्ञानिक-
गीतांजलि राव एक भारतीय-अमेरिकी आविष्कारक, लेखक, वैज्ञानिक और विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित प्रवर्तक हैं। उसने 2017 में डिस्कवरी एजुकेशन 3M यंग साइंटिस्ट चैलेंज जीता, और अपने नवाचारों के लिए फोर्ब्स 30 अंडर 30 में पहचाना गया।एक 15 साल की भारतीय मूल की अमेरिकी लड़की इस समय खूब चर्चा में है। इसकी वजह यह है कि मशहूर टाइम मैग्जीन (Time Magzine) ने उन्हें साल 2020 में पहली ‘किड ऑफ द ईयर (Kid of the Year) के खिताब से नवाजा है लेकिन उससे भी अहम बात यह है कि गीतांजली राव ( इतनी कम उम्र में ही एक बहुत ही मेधावी युवा वैज्ञानिक और इंवेंटर हो चुकी है।
गीतांजली को इंसानी समस्याएं सुलझाने का जुनून सा है जो उनके काम में साफ तौर पर दिखाई देता है गीतांजलि राव का जन्म 19 नवंबर 2005 लोनेटरी कोलोरडे अमेरिका में हुआ है।अभी वो एक स्कूल की छात्रा है। राव आगे की पढ़ाई के लिए मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान में जाने का मन बना चुकी है इतनी छोटी उम्र की लड़की का कहे तो कांसेप्ट एकदम साफ़ है उसे पता है उसे क्या करना है। वो जेंडर पे गैप के बारे में भी बात करती है। विज्ञान और तकनीक के उपयोग के बारे में सामाजिक बदलावों के लिए गीतांजली ने दूसरी और तीसरी कक्षा से ही शुरू कर दिया थ।
उन्होंने देखा उनकी पीढ़ी कई तरह की समस्या से गुजर रही है तो उन्होंने अपना मिशन ही इन समस्याओं के सुलझाने के लिए युवा इनोवेटर्स का वैश्विक समुदाय बनाना में लगा दिय।उनका मानना है कि युवा लोगों को सारी समस्याएं सुलझाने के बजाए किए एक समस्या का मजेदार हल निकालने का प्रयास करना चाहिए। राव बताती है वो विज्ञानं के प्रति तब आकर्षित हुई जब उनके चाचा ने उन्हें 4 साल की उम्र एक साइंस किट दी थी।अमेरिका की शीर्ष युवा वैज्ञानिक के तौर पर नामित की गईं गीतांजली ने साल 2017 में टेथिस नाम का उपकरण बनाया था जो पानी में सीसे की मिलावट की पहचान करता है।आप समझ सकते है की राव की सोच कितनी सटीक और क्लियर है।
बिली ईलिश-अमेरिकी गायक-
बिली ईलिश एक अमेरिकी गायक-गीतकार हैं। उन्होंने पहली बार 2015 में ध्यान आकर्षित किया जब उन्होंने साउंडक्लाउड के लिए "ओशन आइज़" गीत अपलोड किया, जिसे बाद में इंटरस्कोप रिकॉर्ड्स की सहायक कंपनी डार्करूम ने रिलीज़ किया।बिली का जन्म 18 दिसंबर 2001 में कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स शहर में हुआ था। यहां वे अपने माता-पिता के साथ रहा करती थीं।उनके माता-पिता पैट्रिक ओ कोनेल और मैगी बेयर्ड दोनों ही एंटरटेन्मेंट इंडस्ट्री में थे।
बचपन में बिली ने कभी किसी स्कूल में दाखिला नहीं लिया।उन्होंने घर में ही पढ़ाई की। समय की कोई कमी ना होने की वजह से वे पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों में भी हिस्सा लिया करती थीं।केवल 8 साल की उम्र में ही बिली लॉस एंजिल्स के चिल्ड्रन्स कोरस में शामिल हो गईं थीं।यहां वे करीब तीन साल तक रहीं। केवल 11 साल की उम्र में ही उन्होंने गाने लिखना शुरू कर दिया था। बिली ने कई शॉर्ट फिल्म्स भी बनाई हैं।वे उन्हें अपने कैमरे से ही बना लिया करती थीं और एपल की वीडियो एडिटिंग एप से एडिट भी खुद ही करती थीं।
एक्टिंग और म्यूजिक के अलावा उन्हें डांस का भी शौक था।उन्होंने अपनी टीनेज में डांस सीखा भी था।इतनी सारी स्किल्स के साथ वे शो बिजनेस में कुछ बड़ा कर दिखाने का इरादा रखती थीं। बिली की मां भी गाने लिखती थीं और पिता तरह-तरह के म्यूजिकल यंत्र बजाया करते थे। बड़े भाई फीनिस को भी संगीत में कम दिलचस्पी नहीं थी।इतनी कम उम्र में इनके 2 गिन्नीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड  और 2 म्यूजिक अवार्ड और ग्रैमी अव��र्ड भी मिल चूका है।इनका जन्म 18 दिसंबर 2001 लॉस एंगेल्स में हुआ है। इनको माता अध्यापक रही है।
डारा मैकआनल्टी-एक प्रकृतिवादी लेखक
एक उत्तरी आयरिश प्रकृतिवादी, लेखक और पर्यावरण प्रचारक है। वह RSPB पदक के सबसे कम उम्र के विजेता हैं और पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किए जाने वाले सबसे कम उम्र के लेखक होने के बाद 2020 में यूके प्रकृति लेखन के लिए वेनराइट राइट पुरस्कार जीता।इनका जन्म 2004 आयरलैंड में हुआ था। प्रकृतिवाद एक दार्शनिक विचारधारा है जो पदार्थ को आधार एवं यथार्थ मानती है। हमे आपको बस ये बताना है की आप की जो भी सोच है उसके आगे की सोचते हुए बच्चे और भी जागरूक हो रहे है। ये अपने विचार में सटीक और पारदर्शी है।
डाफ्ने अलमेज़ॉन  -हार्वर्ड से सबसे कम उम्र के मास्टर डिग्री लेने वाली -  
मैक्सिको  को एक लड़की जिसने सबसे कम उम्र में हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री ली है इनके माता -पिता ये दावा करते है की ये भगवान की देन है या कहे की गिफ्टेड है क्योकि इसको पढ़ने लिखने और याद करने किसी के हेल्प की आवश्यकता नहीं पड़ी। इन्होने बाकायदा पढाई तब शुरू की जब ये 8 साल की थी और इनका जब टेस्ट लिया गया तो इनको हाई स्कूल लायक माना गया और इन्होने हाई स्कूल में एडमिशन लिया।और ये 13 साल तक पह्चते ही ये साइकोलॉजी से डिग्री कर ली और 17 साल की उम्र पहुंचते मास्टर के लिए ही हार्वर्ड ने इनका एडमिशन स्वीकार किया।उन्होंने बताया की मुझे एक अलग अनुभव से भी गुज़रना पड़ा क्योकि जब ये हार्वर्ड में गयी पढ़ने तो सब इनसे उम्र कही बड़े थे।लेकिन ये बात है की सब इन्हे सपोर्ट करते थे।
ग्रेटा थनबर्ग स्वीडन की एक पर्यावरण कार्यकर्ता-
ग्रेटा थनबर्ग  स्वीडन की एक पर्यावरण कार्यकर्ता हैं जिनके पर्यावरण आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली है।स्वीडन की इस किशोरी के आंदोलनों के फलस्वरूप विश्व के नेता अब जलवायु परिवर्तन पर कार्य करने के लिए विवश हुए हैं।अगस्त 2018 में, 15 की उम्र में, थनबर्ग ने स्कूल से समय निकालकर हाथ में स्वीडन की भाषा में "Skolstrejk för klimatet " ( जलवायु के लिए स्कूलबन्दी (स्कूलबंदी)) लिखी तख्ती लिए स्वीडन की संसद के बाहर प्रदर्शन करना शुरू किया।11 दिसम्बर 2019 को इन्हे 'टाइम पर्सन ऑफ़ द ईयर' पुरस्कार प्रदान किया गया। ग्रेटा अपने सीधे-साधे शब्दों में बात करने के लिए भी जानी जातीं हैं।अपनी सार्वजनिक सभाओं में और राजनीतिक नेताओं के साथ वार्ता में वे जलवायु संकट पर तुरन्त कार्वाई करने का आग्रह करतीं हैं।देखिये ऐसे बहुत से किशोर छूट रहे है क्योकि ये आर्टिकल बहुत बड़ा हो जायेगा। हमारा काम ये है की आपको बता सके की परिवर्तन हो रहा है और आजकल के किशोर भी बहुत वेल अवेयर है हर तरह के आने वाली समस्या से। और आने वाली पीढ़ी हर तरह की जिम्मेदारी उठा सकती है। अगर आपको हमारा आर्टिकल पसंद आ रहे है तो हमे समर्थन दे।
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