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"गीता सुगीता कर्तव्या किमन्ये: शास्त्र विस्तरै:।
या स्वयं पद्मनाभस्य मुख पद्माद्विनि: सृता"।।
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#1DayLeft_For_AvataranDiwas
20 वी सदी के अंत से पहले विश्व में हाहाकार मचेगा। वैचारिक युद्ध के बाद अध्यात्मिकता पर आधारित एक नई सभ्यता संभवतः भारत के ग्रामीण परिवार के व्यक्ति के नेतृत्व में जमेगी जो युद्ध को सदा के लिए विदा कर देगा।
- अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता "जीन डिक्सन"
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लखनऊ, 08.03.2024 | महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के इंदिरा नगर स्थित कार्यालय में “शिव पूजन” कार्यक्रम का आयोजन किया गया I आयोजन के अंतर्गत ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल तथा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने भगवान शिव शंकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी आरती की तथा भगवान शिव जी से सभी देशवासियों के ऊपर अपनी कृपा बरसाने हेतु प्रार्थना की |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि,
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
"महाशिवरात्रि के इस अद्वितीय दिन पर हमें अपने जीवन को अध्यात्मिकता और संतोष की ओर ले जाना चाहिए । आज के दिन हम अपने अंतर्यामी परमात्मा के प्रति अपने समर्पण और श्रद्धा का उद्गार करते हैं और उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करते हैं । महाशिवरात्रि के इस महत्वपूर्ण पर्व पर, हमें अपने जीवन में नेक कामों का संकल्प करना चाहिए और अपनी आत्मा को अंतर्मुखी बनाकर अध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ना चाहिए । भगवान शिव की उपासना, ध्यान और प्रार्थना के माध्यम से हम अपने जीवन को संतुलित, शांत और समृद्ध बना सकते हैं । आज के पवित्र दिन पर, हम सभी को भगवान शिव के प्रति हमारी श्रद्धा और समर्पण का प्रत्येक क्षण मनाने का संकल्प लेना चाहिए, यहां तक कि हमें अपने दिल में विशवास और प्रेम जाग्रत करना चाहिए, जिससे हम देशवासियों के बीच एक भाईचारा और सौहार्दता का वातावरण बना सके ।
देवाधिदेव महादेव भगवान शिव जी और माता पार्वती जी के विवाह के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले पवित्र पर्व महाशिवरात्रि की समस्त शिव भक्तों, देश व प्रदेशवासियों को हार्दिक ��धाई एवं शुभकामनाएं | भगवान शिव जी से प्रार्थना है कि सभी के जीवन में ज्ञान, समृद्धि एवं धन-वैभव की वर्षा करें |
ऊँ नमः शिवाय !
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श्रीमद् भगवद्गीता यथारूप 2.45 https://srimadbhagavadgita.in/2/45 त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन । निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान् ॥ २.४५ ॥ TRANSLATION वेदों में मुख्यतया प्रकृति के तीनों गुणों का वर्णन हुआ है । हे अर्जुन! इन तीनों गुणों से ऊपर उठो । समस्त द्वैतों और लाभ तथा सुरक्षा की सारी चिन्ताओं से मुक्त होकर आत्म-परायण बनो । PURPORT सारे भौतिक कार्यों में प्रकृति के तीनों गुणों की क्रियाएँ तथा प्रतिक्रियाएँ निहित होती हैं । इनका उद्देश्य कर्म-फल होता है जो भौतिक जगत् में बन्धन का कारण है । वेदों में मुख्यतया सकाम कर्मों का वर्णन है जिससे सामान्य जन क्रमशः इन्द्रियतृप्ति के क्षेत्र से उठकर अध्यात्मिक धरातल तक पहुँच सकें । कृष्ण अपने शिष्य तथा मित्र के रूप में अर्जुन को सलाह देते हैं कि वह वेदान्त दर्शन के अध्यात्मिक पद तक ऊपर उठे जिसका प्रारम्भ ब्रह्म-जिज्ञासा अथवा परम अध्यात्मिकता पद पर प्रश्नों से होता है । इस भौतिक जगत् के सारे प्राणी अपने अस्तित्व के लिए कठिन संघर्ष करते रहते हैं । उनके लिए भगवान् ने इस भौतिक जगत् की सृष्टि करने के पश्चात् वैदिक ज्ञान प्रदान किया जो जीवन-यापन तथा भवबन्धन से छूटने का उपदेश देता है । जब इन्द्रियतृप्ति के कार्य यथा कर्मकाण्ड समाप्त हो जाते हैं तो उपनिषदों के रूप में भगवत् साक्षात्कार का अवसर प्रदान किया जाता है । ये उपनिषद् विभिन्न वेदों के अंश हैं उसी प्रकार जैसे भगवद्गीता पंचम वेद महाभारत का एक अंग है । उपनिषदों से अध्यात्मिक जीवन का शुभारम्भ होता है । जब तक भौतिक शरीर का अस्तित्व है तब तक भौतिक गुणों की क्रियाएँ-प्रतिक्रियाएँ होती रहती हैं । मनुष्य को चाहिए कि सुख-दुख या शीत-ग्रीष्म जैसी द्वैतताओं को सहन करना सीखे और इस प्रकार हानि तथा लाभ की चिन्ता से मुक्त हो जाय । जब मनुष्य कृष्ण की इच्छा पर पूर्णतया आश्रित रहता है तो यह दिव्य अवस्था प्राप्त होती है । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 2.45 trai-guṇya-viṣayā vedā nistrai-guṇyo bhavārjuna nirdvandvo nitya-sattva-stho niryoga-kṣema ātmavān TRANSLATION The Vedas deal mainly with the subject of the three modes of material nature. O Arjuna, become transcendental to these three modes. Be free from all dualities and from all anxieties for gain and safety, and be established in the self. PURPORT All material activities involve actions and reactions in the three modes of material nature. They are meant for fruitive results, which cause bondage in the material world. The Vedas deal mostly with fruitive activities to gradually elevate the general public from the field of sense gratification to a position on the transcendental plane. Arjuna, as a student and friend of Lord Kṛṣṇa, is advised to raise himself to the transcendental position of Vedānta philosophy where, in the beginning, there is brahma-jijñāsā, or questions on the supreme transcendence. All the living entities who are in the material world are struggling very hard for existence. For them the Lord, after creation of the material world, gave the Vedic wisdom advising how to live and get rid of the material entanglement. When the activities for sense gratification, namely the karma-kāṇḍa chapter, are finished, then the chance for spiritual realization is offered in the form of the Upaniṣads, which are part of different Vedas, as the Bhagavad-gītā is a part of the fifth Veda, namely the Mahābhārata. The Upaniṣads mark the beginning of transcendental life. As long as the material body exists, there are actions and reactions in the material modes. One has to learn tolerance in the face of dualities such as happiness and distress, or cold and warmth, and by tolerating such dualities become free from anxieties regarding gain and loss. This transcendental position is achieved in full Kṛṣṇa consciousness when one is fully dependent on the good will of Kṛṣṇa. ----- #krishna #iskconphotos #motivation #success #love #bhagavatamin #india #creativity #inspiration #life #spdailyquotes #devotion
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OYCOTT OLLYWOOD
दर्शक जो जैसा फिल्म में घटता है, उसे वास्तविकता मानकर उसी अनुरुप आचरण करता है। बढ़ता हुआ फैशन इसका ज्वलंत उदाहरण है। कल जिस फिल्म में जो नया फैशन आया है वह आज युवक-युवतियों में दृष्टिपात होने लगता है।
इसलिए अश्लील फिल्मों से नाता तोड़ो और अध्यात्मिकता से नाता जोड़ो।
संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नामदीक्षा व निःशुल्क पुस्तक प्राप्त करने के लिये संपर्क सूत्र
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SPIRITUAL LEADER SAINT RAMPAL JI
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#Great_Prophecies_2024
श्री चार्ल्स क्लार्क ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि भारत में उठी धार्मिक क्रांति 21वीं सदी के प्रथम दशक में पूरे विश्व को प्रभावित करके सबको अध्यात्मिकता पर विवश कर देगी!
अधिक जानने के लिए देखिए साधना चैनल 7:30 pm से!
यही हैं वो महापुरुष
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--II ● विवेक विचार ● II--
. *–II ● विवेक विचार ● II–**
अखंडित, सातत्यपूर्ण संकल्पाचा २२८३ वा दिवस*
जोपर्यंत शरीरातील रक्त शुद्ध, निर्जंतुक, सतेज आणि शक्तिसंपन्न आहे, तोपर्यंत त्या देहात कुठल्याही रोगाचे जंतू जिवंत राहू शकत नाही. आपले जीवनरक्त म्हणजे अध्यात्मिकता होय. जर ते आपल्या अंगातून स्पष्टपणे वाहत असेल, जर ते जोरदार, शुद्ध आणि बलसंपन्न असे सतत प्रवाहित असेल तर सर्व काही सुरळीत होईल. निर्विकार शरीरासाठी निर्विकार मन…
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#GodMorningTuesday
#tuesdaymotivations
धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज।
इस आध्यात्मिक व्यक्ति के बड़ी संख्या में छोटे-छोटे लोग ही अनुयाई बनकर भौतिकवाद को अध्यात्मिकता में बदल देंगे।
♦️अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़े पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।🙏
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बी एस ए कॉलेज और हरे कृष्णा भक्ति योग सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान "आत्म- साक्षात्कार का विज्ञान" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
बी एस ए कॉलेज और हरे कृष्णा भक्ति योग सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान "आत्म- साक्षात्कार का विज्ञान" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
बी एस ए कॉलेज और हरे कृष्णा भक्ति योग सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान "आत्म- साक्षात्कार का विज्ञान" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में प्रभुपाद श्री रोहिणी नंदन दास ने उपस्थित छात्रों व शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि, आध्यत्मिक चेतना को समझने और उसे जागृत कर स्वयं को पहचाना जा सकता है। स्वयं की पहचान स्थापित होने के पश्चात आत्मा साक्षात्कार बहुत आसान हो जाता है।
उन्होंने कहा कि धर्म एक विज्ञान है और आध्यत्म उसके अनुकरण का एक रास्ता है। यदि मनुष्य इस रास्ते पर चल पड़े तो उसका जीवन सुख और शांति से भर जाएगा।भगवान श्री कृष्ण गीता में यही समझने का प्रयास किया।
इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्य डॉ ललित मोहन शर्मा व प्रभुपाद रोहिणी नंदन दास ने मां सरस्वती व बाबू शिवनाथ जी के चित्र पर दीप प्रज्वलित व माल्यार्पण कर किया।
प्राचार्य डॉ ललित मोहन शर्मा ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम छात्रों के बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के लिये उपयोगी साबित होंगे।
अन्य वक्ताओं में न्यूयार्क से मेडिसिन में परास्नातक डॉ पारुल शर्मा ने कहा कि अध्यात्मिकता के साथ चलना थोड़ा मुश्किल हो सकता है किंतु सत्य से परिचित अध्यात्म के बिना सम्भव नही है।
कार्यक्रम का संचालन अनंत कृष्ण दास ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्रोफेसर
डॉ एस के कटारिया, डॉ वी पी राय, डॉ संध्या अग्रवाल,डॉ रवीश शर्मा, डॉ मुकेश चंद, डॉ खुशवन्त सिंह , डॉ बरखा अग्रवाल, डॉ के वाई सिंह, डॉ बी के गोस्वामी , डॉ यू के त्रिपाठी, डॉ ���त्यपाल सिंह, काश देव शर्मा तथा महाविद्यालय के अन्य शिक्षक और हरे कृष्णा भक्ति योग सोसाइटी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता जर्मनी निवासी बकुल दीदी ,श्रीपद अमितप्रभु, मनोचिकित्सक डॉ इंदु शर्मा आकाश प्रभु, विकाश ,चेतन, मधुकांत प्रभु राजेश ,श्याम प्रभु, अर्चना दीदी उपस्थित रहे।
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#FridayMotivation
अवश्य जानिए क्या कारण है कि वर्तमान में मानव इतना दुखी है कैसे समाज में व्याप्त सभी बुराइयों को समाप्त किया जा सकता है क्या अध्यात्मिकता से होगा समाज का पुनरुत्थान जाने कैसे संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान से बन रहा है एक स्वच्छ समाज।
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ज्ञेयं यत्तत्वप्रवक्ष्यामि यज्ज्ञात्वामृतमश्नुते ।
अनादिमत्परं ब्रह्म न सत्तन्नासदुच्यते ॥
I will declare that which has to be known knowing which one attains to Immortality the beginningless Supreme BRAHMAN.........?.......?!
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#tuesdayvib
अमेरिका की महिला भविष्यवक्ता चीन डिक्शन के अनुसार बीसवीं सदी के अंश से पहले विश्व में हाहाकार मचेगा वैचारिक युक्त के बाद अध्यात्मिकता पर आधारित एक नई अभ्यता अधिक जानकारी के लिए पढ़िए पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा।
Sant Rampal Ji Maharaj
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#MondayMotivation
#Prophecies_About_TheMessiah
#SatlokAsharam
धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज
इस आध्यात्मिक व्यक्ति के बड़ी संख्या में छोटे-छोटे लोग ही अनुवाई बनकर भौतिकवाद को अध्यात्मिकता में बदल देंगे, और अध्यात्मिक ज्ञान के लिए पढ़ें" ज्ञान गंगा "
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श्रीमद् भगवद्गीता यथारूप 2.45 त्रैगुण्यविषया वेदा निस्त्रैगुण्यो भवार्जुन । निर्द्वन्द्वो नित्यसत्त्वस्थो निर्योगक्षेम आत्मवान् ॥ २.४५ ॥ TRANSLATION वेदों में मुख्यतया प्रकृति के तीनों गुणों का वर्णन हुआ है । हे अर्जुन! इन तीनों गुणों से ऊपर उठो । समस्त द्वैतों और लाभ तथा सुरक्षा की सारी चिन्ताओं से मुक्त होकर आत्म-परायण बनो । PURPORT सारे भौतिक कार्यों में प्रकृति के तीनों गुणों की क्रियाएँ तथा प्रतिक्रियाएँ निहित होती हैं । इनका उद्देश्य कर्म-फल होता है जो भौतिक जगत् में बन्धन का कारण है । वेदों में मुख्यतया सकाम कर्मों का वर्णन है जिससे सामान्य जन क्रमशः इन्द्रियतृप्ति के क्षेत्र से उठकर अध्यात्मिक धरातल तक पहुँच सकें । कृष्ण अपने शिष्य तथा मित्र के रूप में अर्जुन को सलाह देते हैं कि वह वेदान्त दर्शन के अध्यात्मिक पद तक ऊपर उठे जिसका प्रारम्भ ब्रह्म-जिज्ञासा अथवा परम अध्यात्मिकता पद पर प्रश्नों से होता है । इस भौतिक जगत् के सारे प्राणी अपने अस्तित्व के लिए कठिन संघर्ष करते रहते हैं । उनके लिए भगवान् ने इस भौतिक जगत् की सृष्टि करने के पश्चात् वैदिक ज्ञान प्रदान किया जो जीवन-यापन तथा भवबन्धन से छूटने का उपदेश देता है । जब इन्द्रियतृप्ति के कार्य यथा कर्मकाण्ड समाप्त हो जाते हैं तो उपनिषदों के रूप में भगवत् साक्षात्कार का अवसर प्रदान किया जाता है । ये उपनिषद् विभिन्न वेदों के अंश हैं उसी प्रकार जैसे भगवद्गीता पंचम वेद महाभारत का एक अंग है । उपनिषदों से अध्यात्मिक जीवन का शुभारम्भ होता है । जब तक भौतिक शरीर का अस्तित्व है तब तक भौतिक गुणों की क्रियाएँ-प्रतिक्रियाएँ होती रहती हैं । मनुष्य को चाहिए कि सुख-दुख या शीत-ग्रीष्म जैसी द्वैतताओं को सहन करना सीखे और इस प्रकार हानि तथा लाभ की चिन्ता से मुक्त हो जाय । जब मनुष्य कृष्ण की इच्छा पर पूर्णतया आश्रित रहता है तो यह दिव्य अवस्था प्राप्त होती है । ----- Srimad Bhagavad Gita As It Is 2.45 trai-guṇya-viṣayā vedā nistrai-guṇyo bhavārjuna nirdvandvo nitya-sattva-stho niryoga-kṣema ātmavān TRANSLATION The Vedas deal mainly with the subject of the three modes of material nature. O Arjuna, become transcendental to these three modes. Be free from all dualities and from all anxieties for gain and safety, and be established in the self. PURPORT All material activities involve actions and reactions in the three modes of material nature. They are meant for fruitive results, which cause bondage in the material world. The Vedas deal mostly with fruitive activities to gradually elevate the general public from the field of sense gratification to a position on the transcendental plane. Arjuna, as a student and friend of Lord Kṛṣṇa, is advised to raise himself to the transcendental position of Vedānta philosophy where, in the beginning, there is brahma-jijñāsā, or questions on the supreme transcendence. All the living entities who are in the material world are struggling very hard for existence. For them the Lord, after creation of the material world, gave the Vedic wisdom advising how to live and get rid of the material entanglement. When the activities for sense gratification, namely the karma-kāṇḍa chapter, are finished, then the chance for spiritual realization is offered in the form of the Upaniṣads, which are part of different Vedas, as the Bhagavad-gītā is a part of the fifth Veda, namely the Mahābhārata. The Upaniṣads mark the beginning of transcendental life. As long as the material body exists, there are actions and reactions in the material modes. One has to learn tolerance in the face of dualities such as happiness and distress, or cold and warmth, and by tolerating such dualities become free from anxieties regarding gain and loss. This transcendental position is achieved in full Kṛṣṇa consciousness when one is fully dependent on the good will of Kṛṣṇa. -----
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हंगरी की महिला ज्योतिषी "बोरिस्का" के अनुसार धरती पर अवतार संत रामपाल जी महाराज इस आध्यात्मिक व्यक्ति के बड़ी संख्या में छोटे-छोटे लोग ही अनुयाई बनकर भौतिकवाद को अध्यात्मिकता में बदल देंगे।🙏📚👇
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हंगरी की प्रसिद्ध भविष्यवक्ता बोरिस्का ने कहा था कि भारत में एक फरिश्ता आएगा! उस फ़रिश्ते के बड़ी संख्या में छोटे-छोटे लोग ही अनुयाई बनकर भौतिकवाद को अध्यात्मिकता में बदल देंगे!
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