वह समर्थ परमात्मा कौन है, जिसके विषय में ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 80 मंत्र 2 व ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 161 मंत्र 2 में कहा गया है कि वह परमात्मा अपने सच्चे साधक की आयु भी बढ़ा देता है।
संत रामपाल जी महाराज के सानिध्य में उनके 73 वें अवतरण दिवस के अवसर पर तीन दिवसीय विशाल भंडारे का आयोजन 6 से 8 सितंबर 2023 को किया जा रहा है। इस विशाल भंडारे का निमंत्रण संत रामपाल जी महाराज के अनुयायियों द्वारा देश-विदेश में दिया जा रहा है। आप सभी इस भंडारे में सह परिवार आमंत्रित हैं।
शेखतकी ने कहा कि कबीर का तोप से गोले मारकर काम तमाम कर दो। ऐसा ही किया गया तोप यंत्र से गोले चलाए गए परंतु परमेश्वर कबीर साहेब जी के पास एक भी नहीं गया। कोई तो वहीं गंगा जल में जाकर गिर जाय। कई दूसरे किनारे पर जाकर गंगा किनारे शांत हो जाएं। कोई कुछ दूर तालाब में जाकर गिरे। परन्तु परमेश्वर के निकट एक भी न जाय। इस प्रकार शेखतकी 4 पहर (12 घंटे) तक यह जुल्म करता रहा।
तब परमेश्वर कबीर साहेब जी अंतर्ध्यान होकर रविदास जी की कुटिया पर गए और दोनों परमात्मा की चर्चा करने लगे।
शेखतकी ने एक बार अपने कुछ गुंडों को साथ लेकर रात में सो रहे कबीर साहेब पर तलवार से अनेकों वार करवाकर कबीर साहेब के टुकड़े टुकड़े कर दिए। और फिर कबीर साहेब को मरा हुआ जानकर वापस चले तो पीछे से कबीर परमेश्वर ने कहा कि, पीर जी दूध पीकर जाना। ऐसे थोड़े ही जाते हैं। इस पर शेखतकी और गुंडे भूत समझकर भाग गए।
काल लोक/पृथ्वी लोक एक कैद खाना है। जहाँ पर 21 ब्रह्मांड का स्वामी ज्योति निरंजन काल/ब्रह्म आत्माओं को दुःखी करने के लिए 84 लाख योनियों में उत्पन्न करता है।
जबकि सतलोक परमेश्वर कविर्देव (कबीर साहेब) का लोक है जो अजर अमर अविनाशी लोक है। जहाँ 84 लाख योनियों का कष्ट नहीं है।
सांसारिक होली के रंग फीके हैं। जो कुछ ही घंटों में धुल जाते हैं। लेकिन राम नाम की होली के रंग कभी नहीं धुलते बल्कि समय के साथ और गहरे होते चले जाते हैं।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब के अवतार संत रामपाल जी महाराज के बोध दिवस पर सभी देशवासियों को भंडारे का निमंत्रण दिया गया है सभी देशवासियों को भंडारे में आना अनिवार्य है 👫👫👫👫?
मलूक दास जी कहते हैं, हिंदू तथा मुसलमान दोनों के दर्द को समझने वाले कबीर परमेश्वर, करौंत जैसे पाखंड का खात्मा करने के लिए काशी से चलकर मगहर आए। और जब शरीर को गाड़ने तथा जलाने को लेकर नकली धर्मगुरु हिंदू मुस्लिम का झगड़ा करवाना चाहते थे। किंतु उन पाखंडी धर्मगुरुओं को पता ही नहीं था कि कबीर परमेश्वर तो अजर अमर हैं उनका तेजोमय नूरी शरीर है अर्थात उन्हें ना जलाया जा सकता है और ना ही दफन किया जा सकता है।
परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सतलोक सशरीर गये। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
जब राजा परीक्षित को सर्प ने डसा तब स्वर्ग से सुखदेव इसी को बुलाया गया उस टाइम क्या पृथ्वी पर कोई ऋषि नहीं था जो राजा परीक्षित को कथा सुना सकते थे ऋषि तो बहुत थे पर किसी भी ऋषि को कथा सुनाने का आदेश नहीं था इसलिए राजा परीक्षित को स्वर्ग लोक से बुलाया गया सच्चा�� जानने के लिए अवश्य देखें नीचे दी गई वीडियो