Tumgik
nnikhilpatel · 4 years
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तेरी याद आयी
तेरी याद आयी ओ तेरी याद आयी तेरी याद आयी ओ तेरी याद आयी
बीते किसी सपने को ढूंढ़कर जगाने
धड़कनों से अपनी रूबरू कराने  .. ओ
तेरी याद आयी ओ तेरी याद आयी तेरी याद आयी ओ तेरी याद आयी
पलकों में थी मेहफ़ूज़ जो हर लम्हे की बातें चाँद की रौशनी से जो थी छुपी वो अपनी मुलाकातें  
मीठी उन्ही रातों को मुझसे चुराने
मुरझाए  अरमानों को फिर से मनाने  .. ओ
तेरी याद आयी ओ तेरी याद आयी तेरी याद आयी ओ तेरी याद आयी
बारिश की बूँदे छूकर तुम्हे गुज़रा करती थी मुस्कुराके अंगड़ाईया तुम जब भी लेती जी भर के मुझको सताके
बुझी हुई सूरतों पे ज़िन्दगी सजाने लफ़्ज़ों को मेरी नज़्म बनाने  ... ओ
तेरी याद आयी ओ तेरी याद आयी तेरी याद आयी फिर तेरी याद आयी तेरी याद आयी ओ तेरी याद आयी
- निखिल पटेल (०२/०६/२०२०)
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nnikhilpatel · 4 years
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ये यादें
यादों को तहज़ीब नहीं है बिलकुल यूँही किसी शाम, बिनबताए, एक चाय के प्याले को लिपटकर ..  आ जाती है
उस शाम का सूरज भी ...   जैसे शर्माकर ...  कुछ ज्यादा ही लाल हो डूबता है लगता है .. उसे अंदाज़ा हो जाता हो ... उन यादों में छुपे हसीं लम्हों का
शाम फिर रात में तब्दील हो जाती है  .. चाय के प्याले में बची चाय भी सूख जाती है   पर ये यादेँ .. बद्तमीज़ तो इतनी .. मिटने-मिटाने की सभी कोशिशें नाकाम कर, ठहर जाती है .. 
बेहया ये यादेँ .. फिर किसी दोपहर, लम्हों का गुलदस्ता बनकर आती है   हर हसीन पल के लिए जैसे एक फूल चुना हो कहीं ..
ये मतलबी गुलदस्ते फिर .. पलकों में दबाए रखें .. उन अनगिनत निजी लम्हों को .. बेवक्त ..बेपर्वा होकर .. बिना चेतावनी ..  दस्तक देकर .. खिंचकर बाहर बुलाते है ..  
यादों से नम पलकों की नमी में खुदको सिंचकर .. फ़िज़ाओं में उन लम्हों की महक छोड़ जाते है ..
काश .. इन यादों की कोई उम्र भी होती ..   तो जिद्दी यादों के ये गुलदस्तें मुरझा भी जाते .. 
और फिर कभी ज़िंदगी यूँ न थमती कभी.. किसी बीते पल के लिए।      
- निखिल पटेल (२९/०३/२०२०)
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nnikhilpatel · 6 years
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अंजान
तुम जानकर अंजान बनोगी तो कैसे हो पायेगा  .. अपनी नादानी पे हंसकर बस ये वक़्त निकल जायेगा |
ढल ही जाएगी ये शाम भी क्या रुकी है वो कभी  .. थंड फ़िज़ा में कोहरे को लेकर चाँद निकल आएगा |
रात फिर हँसी होकर जब संभल सी जाएगी उम्मीद का दामन थामे हम फिर से वो दोहराये क्या    
तुम जानकर अंजान बनोगी तो कैसे हो पायेगा  ..
हर पहेली देख कर ही सुलझा लेती तुम कभी आज खुद पहेली हो गई ये कौन मान पायेगा |
कह न पाओगी अगर   तो नजरों से ही दिल बहल जायेगा। पर फिक्र नजारों को है के पलके झपकने को वजह बताया जायेगा  ...
ये जानकर तुम अंजान बनो���ी तो कैसे हो पायेगा  ..
अँधेरी तनहा रात को भी   होती है सुबह की उम्मीद क्या ऐसा सवेरा कभी मुझे गले लगाएगा  
पर तुम जानकर अंजान बनोगी तो ये कैसे हो पायेगा  ..
- निखिल पटेल (०१/१०/२०१८)
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nnikhilpatel · 6 years
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ए ज़िन्दगी तू कौन है
ए  ज़िन्दगी तू कौन है 
तू ख्वाब की कोई फिज़ा,    या हक़ीक़त भरी सज़ा है |   तू धुप है या छाँव,  या है बाढ़ का बहाव तू |
ए  ज़िन्दगी तू कौन है 
तू कल की है उम्मीद, या फरेब आज का | करम की साख पर,  भरम है ताज़ का |  
ए ज़िन्दगी तू कौन है  
कोई प्रश्न है जवाब है,  फ़क़ीर या नवाब तू | तू ढलता कोई सूरज है क्या, या उभरता हुआ शबाब तू |   
ए ज़िन्दगी तू कौन है  
है दुःख का प्रतिबिंब तू,  या सुख की अभिलाषा | तू प्यार की किरण कोई,   या  स्वर्ण मृग का झाँसा |
ए ज़िन्दगी तू कौन है 
नववर्ष की है आस तू,  या गतवर्ष की याद कोई |  चिढ की तू चीख है,  या सच्चाई का है मौन तू |
- निखिल पटेल (०१/०८/२०१८)
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nnikhilpatel · 6 years
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जी लूँ ज़रा
ज़िंदा हूँ मैं तो जी लू जरा मदीरा जीवन की मैं भी पी लू जरा   हलका हलका सा है ये कैसा नशा महका बहका सा कश में ले लू जरा  
चलती रहती है ये सांसे कटती रहती है ये रातें थरथर काँपे क्यूँ तू सच से डटकर कह दे अपनी बातें  
गिरने के डर से संभल लू ज़रा दबी सी साँसे खुलके ले लू जरा जो होना है होगा क्या है फिकर खुद ही खुद सा जीकर में देखू जरा
चल आ फैला दे ये बाहें खुशियाँ ताके तेरी राहें पल पल गिनकर, हर दम घूँटकर ना भर तनहाई में आँहें  
पलके उठाके देखु जरा अँधेरा है या सवेरा हुआ ना मंजिल पता ना है रास्ता अब बैठे बहुत चल दूँ ज़रा
- निखिल पटेल (२८/०५/२०१८)  
.  
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nnikhilpatel · 6 years
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ख्वाहिश
है कैसी ये गुजारिश, लगती है एक साजिश  
सब्र के इन्तेहाँ में, बुझाओ ना यूँ पहेली 
बता दे मुझे 
क्या है ख्वाहिश तेरी (२)  
ये यूँ मुस्कुराना, दबे पाँव आना 
बिना कुछ कहे ही, बहुत कुछ जताना 
ये इनायत है, या आदत कोई
बता दे मुझे 
क्या है ख्वाहिश तेरी (२)  
तेरा रुक कर यूँ मुड़ना, तेरी जुल्फों का उड़ना 
हलकी पलकें झुकाकर, फिर नजरों का मिलना 
ये अदा है या फ़साना 
बता दे मुझे 
क्या है ख्वाहिश तेरी (२)  
शामें कितनी दफा, रोक दी मैंने यूँही 
सोचकर ये, तू रुकेगी 
ये चाहत है या जरुरत कोई 
बता दे मुझे 
क्या है ख्वाहिश तेरी (२)  
  चाहे कितना भी चाहु, तेरे पास आना 
गुलाबी महक को, मेरी साँसो में समाना 
कर ना पाउ, जिद ये पूरी 
क्या सुनेगी कभी  
जो है ख्वाहिश मेरी (२)  
मेरी जान बता दे 
क्या है ख्वाहिश तेरी 
आ कर लूँ पूरी सारी   
ख्वाहिशें तेरी 
- निखिल पटेल (११/०२/२०१८)
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nnikhilpatel · 7 years
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ख्वाबों के बोझ
ख्वाबों के ये बोझ है, उलझन सभी ये ख्वाब है | 
यूँ तो में ठीकठाक हु, बेचैन मेरे बस ख्वाब है |
हर पल का जो हिसाब में, 
करने लगा हूँ आजकल 
इस हिसाब की गुत्थी को, 
फिर सुलझाता हूँ में रातभर |  
दो दिन की ये ज़िन्दगी, 
कट जाती वैसे तो यूँही 
मन मानेना ये बांवरा, 
कहता है कुछ तो कर गुजर |
ख्वाबों के ये बोझ है, उलझन सभी ये ख्वाब है | 
यूँ तो में ठीकठाक हु, बेचैन मेरे बस ख्वाब है |
अगली घड़ी का ना है पता, 
ना अगले मोड़ की है खबर 
क्या थम जाना है बस यहीं, 
सवालों का ये है भँवर  |
नहीं ये लड़ाई किसी और से, 
ये द्वन्द है कहीं भीतर 
कुछ पाने की कशिश में तू 
कोशिश तो अपनी पूरी कर  |
ख्वाबों के ये बोझ है, उलझन सभी ये ख्वाब है | 
यूँ तो में ठीकठाक हु, बेचैन मेरे बस ख्वाब है |
निखिल पटेल (०५\०८\२०१७)
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nnikhilpatel · 7 years
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नीले आसमान
रूठे है लफ्ज़ सारे, रूठा है ये समां ए नीले आसमान, अब तू ही बता क्या हो गयी मुझसे कोई खता
ये बादल अब बरसते, है बेमौसम यूँही परछाईं मेरी  गुम है , इन बूंदो में कहीं   मेरे आंसू भी मुझसे हुए बेईमान
ए नीले आसमान, अब तू ही बता क्या हो गयी मुझसे कोई खता  
ये काली काली रैना ,बस वक़्त का एक  किस्सा तेरे भूरे मदहोश नैना अब है यादों का हिस्सा ये लम्हें, बातें, यादें  अभी है मेहरबान
ए नीले आसमान, अब तू ही बता क्या हो गयी मुझसे कोई खता
पा तो में लूँगा ये आसमान, ये जमीं पर लगता है बस तू ही,  मेरे बस में अब नहीं आ लफ़्ज़ों को कर दे पूरा बनके तू मेरी जुबान
ए नीले आसमान, अब तू ही बता क्या हो गयी मुझसे कोई खता
गुमराह होते है, अगर मुसाफिर जब कभी यूँ रूठती नहीं है मंजिले ,उनसे यूँही जानती है वो सफर था अनजान  
ए नीले आसमान, अब तू ही बता क्या हो गयी मुझसे कोई खता
- निखिल पटेल (१५/०४/२०१७)
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nnikhilpatel · 7 years
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सच का झूठ
तू सच की बात ही मत कर ये बिकाऊ है झूठ ही सुन ले आजकल यही टिकाऊ है
सच कहने से दिल टूटे बहुत है सच कह भी दे बोलने वाले ही सच सुनकर रूठे बहुत है
यहीं इस दुनिया की आप बीती है झूठ से ही चलती राजनीती है
सच का भी अपना अलग ही वजूद है   झूठ से मेल खाये वैसा ही सच अब मौजूद है
कहते है सच सामने जरूर आता है पर झूठ के घने कोहरे में क्या ये दिख भी पाता है
पुराना हो गया है सत्यमेव जयते का वो नारा यहाँ तो सच की ऊँगली पकड़कर दौड़ने वाला जित कर भी हारा  
ए सच की जयजयकार करने वाले तू यूँही मत रूठ मान भी ले ये कलयुग के सच का ये सफ़ेद झूठ 
- निखिल पटेल (०३ / ०२ / २०१७)
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nnikhilpatel · 8 years
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याद
बातों में यूँही आज तुम्हारी बात जब निकली है .. 
चुपकेसे चेहरे पर,  एक हलकी सी मुस्कान झलकी है 
गुजर गए थे  .. लम्हे, दिन, महीने कईं 
आज पता चला दिल ने तो दिन बदले ही नहीं ..
लगा था ये अफसाना अब ख़त्म हो गया है  ..
तुम्हारी यादों के साथ ये कहीं दफ़न हो गया है ..
पर शायद कुछ चीजें चाहकर भी भुलाई नहीं जाती 
वक़्त के साथ हर लकीर मिट नहीं पाती ..
नींद न आने पर लगा शायद कुसूरवार है राते ..   
फिर जाना .. इस बेचैनी की वजह है तुमसे न होनेवाली बाते .. 
मौसम बदलता रहता है आजकल बस महसूस नहीं होता .. 
तुमसे जुदा होने का है गम मगर .. अफ़सोस नहीं होता ..
सोचा मनालू एकबार फिरसे तुम्हे, के अभी तुम सिर्फ रूठी तो नहीं ..
पर फिर याद आया, सच कह न पाओ इतनी तुम झूठी तो नहीं ..
ये जज्बातो का सिलसिला भी कहीं तो रुक जायेगा .. 
उम्मीद है ये दिल फिरसे जल्द ही संभल जायेगा ..
- निखिल पटेल (२८/०८/२०१६)
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nnikhilpatel · 8 years
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कसूर
कसूर इश्क का नहीं .. इसे निभाने का है ..
दर्द तेरे खयालों में .. किसी और के आने का है ..
तुम्हे तो खबर ही  नहीं ...  
की ये खयाल भी दर्द देता है 
दर्द नींद और चैन तो क्या ..
पूरी ज़िन्दगी लूट लेता है 
कसूर इश्क का नहीं .. इसे निभाने का है 
दर्द तेरे खयालों में .. किसी और के आने का है 
शिकवा किसी से नहीं है हमें  ..
पर गम ये रहेगा 
तुम्हे कुछ कह ना पानेकी मजबूरी में ..
दिल ये जलेगा 
कसूर इश्क का नहीं  .. इसे निभाने का है 
दर्द तेरे खयालों में .. किसी और के आने का है 
- निखिल पटेल (२९\०५\२०१६)
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nnikhilpatel · 8 years
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तुमने देखा हि नहीं
तुमने देखा हि नहीं ..
तुमको फुरसत से कभी,
देख लेती तो समझ पाती ..
हमारी उलझने सभी ..!!
तुमने सुनी ही नहीं ..
तुम्हारी खिलखिलाती ये हंसी,
अगर सुन लेती तो समझ पाती ..
ये जान क्यों है तुम में फसीं ..!!
गौर तुम फर्माती अगर कभी अपनी ..
इन नशीली आँखों पे,
समझ लेती जाम क्यों छलका था ..
उस दिन हमारी हातों से ..!!
तुमने महसूस नहीं की है ..
शायद अपनी दिल की धड़कने कभी,
महसूस कर पाती तो ..
समझ लेती मेरे दिल का हाल अभी ..!!
- निखिल पटेल (१६/०३/२०१६)
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nnikhilpatel · 8 years
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खुदा ने मुझसे पूछा….
खुदा ने मुझसे पूछा के, तुम मेरे बारेमे क्या कुछ जानते हो.........
मैंने हंस कर कहां, ये तोह आप मुझसे बेहतर पहचानते हो........
 मंजिले पाने की चाहत आप ही जगाते हो......
राहों में मुश्किलें भी तोह आप ही लाते हो.......
 किसी को अपनों से तोह, किसी को सपनो से रुलाते हो.....
और कभी रोते हुए चेहरे पर भी मुस्कान लाते हो.....
 शोहरत की उंचाइयों पर आप ही पोहोचाते हो......
उंचाइयों से निचायियाँ भी आप ही दिखाते हो......
 कभी गैरों को अपना .....
तोह कभी अपनों को गैर बनाते हो......
 एक इतनी सी ज़िन्दगी में न जाने ....
आप क्या क्या खेल दिखाते हो.........
 ये सुनकर खुदा ने मुझसे कहां.....
सुख दुःख मै नहीं देता, न मुश्किलें मेरी देन रे ........
तुम खुद ही ये सोचो के किसमे सुख है और किसमे चैन रे ....
बात मेरी सुनो अगर तोह सदा खुश रहोगे....
खुदा को कोसना छोड़, जब तुम अपनी ज़िन्दगी की सही राह चुनोगे......
 - निखिल पटेल (२३/०२/२०१३)
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nnikhilpatel · 8 years
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जिंदगी में जी रहीं हूँ.....
ख़ुशी से में जी रही हूँ
हवा से बाते कर रही हूँ.....
तनहाSSSSS हूँ मगर खुलके साँसे ले रही हूँ...
ज़िन्दगी में जी रहीं हूँ......
 आँखों में सपने है, मंजिले है धुंद सी  ...
धुंद में नजर है आयी, खोयी हुई हंसी ...
ख्वाबों में खो कर बढ़ रहीं हूँ ....
राहों से मुलाकाते कर रही हूँ ..........
ज़िन्दगी में जी रहीं हूँ......
 सिखा है मैंने तोह अपनों से काफी, नहीं महसूस हुई परायों की कमी...
आगे ही चलना है, सुबह है हुई....
रूह से आवाज़ है आयी,  ज़िन्दगी ये नयी….
उलझी सी, मुरझाई ज़िन्दगी में मेरी ..
सुलझी सी कोशिशों से मुस्काने छायी....
सुलझी मुस्काने भर रहीं हूँ..
ज़िन्दगी में जी रहीं हूँ......
 प्यारे थे गम भी तोह, जीना सिखाया ...
ज़माने की सच्चायिओं से रुबरुं कराया ......
कमजोरियां सी रहीं हूँ ..
मजबूत में हो रही हूँ .....
अब तक जो खोया, अब पा रहीं हूँ..
ज़िन्दगी में जी रहीं हूँ ......
 -निखिल पटेल (१३/०३/२०१३)
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nnikhilpatel · 8 years
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चाहत !!!!!!
चाहकर चाहतों को हमें क्या मिला है..
के चाहते है अभी हम उसी चाहत को...
जिंदगी ने जैसे बनाया है
मंजिलो को पाती धुंदली राहों को...
कहते है लोग के दीवाना पन है ये..
के तुफानो में कश्ती किनारे लगायी नहीं जाती ..
हम अभी डंटे है इस सोच से....
के कोशिशों की नय्या मुश्किलों के तुफानो में, य़ू आसानी से साहिल में डुबाई नहीं जाती..
सूरज की किरणों को भी धरती को सजाने के लिए आसमान को चीरना पड़ता है...
दिये को भी रोशन होने के लिए आग से झुलसना पड़ता है..
हम तोह इंसान है फिर भी ए दोस्त....
किस्मत की डोर को पकडके, मंजिल की तलाश में अनजान गलियारों में भटकनाही पड़ता है...
-निखिल पटेल (२६/०५/२०१३)
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nnikhilpatel · 8 years
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बेवफा दिल
दिल ने कभी देखा नहीं, तेरी आँखों का ये धोखा ..
आँखे भी मेरी कहती रही, दिल ने आखिर क्यों नहीं रोका |
तनहाई का ऐसा भी क्या मातम छाया था ..
के किसी बेवफा दिलको तूने अपना बनाया था |
 कुछ दिन बीते यूँही तेरे ख्वाबों को सजने में ..
कुछ कट जायेंगे यूँही तेरे जाने के सदमें में |
 कुछ लम्बी लग रही है अब रातें ..
न चाहकर भी क्यों याद आती है तुम्हारी बातें |
 आखिरी बार आकर समझा दे जरा ..
बेपरवा होकर चाहना गुनाह न था मेरा |
 - निखिल पटेल (२५/०७/२०१५)
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nnikhilpatel · 8 years
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रोना है मुझे..
रोना है मुझे  
तुझको गलें लगाकर
मुस्कुराते मुस्कुराते युहीं तेरी बाहों में खोकर  
एकबार फिरसे कुछ पल साथ बीताकर
रोना है मुझे  
तुझको गलें लगाकर
आँखों से आँखे मिलानी नहीं है
जो बात हुई वो दोहरानी नहीं है
रात रूठी है अब नींद आनी नहीं है
खोया है कुछ तोह.… बहुत कुछ हमने पाकर
रोना है मुझे  
तुझको गलें लगाकर
कर रहा हूँ में जो.… ना है मेरे समझ में
ना समझ था में या.…  बन रहा ना समझ में
बुला लो मुझे तुम सब भुलाकर
रोना है मुझे  
तुझको गलें लगाकर
परछाईयाँ अब डराने लगी है
ख़यालों में तनहाई छाने लगी है
ख़ामोशी दूरियाँ बढ़ाने लगी है
दर्द बढ़ता ही रहता है
अपनों को खोकर
रोना है मुझे  
तुझको गलें लगाकर
- निखिल पटेल (०७/०३/२०१४)
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