Tumgik
margdarsanme · 3 years
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तोंद-पेट तेजी से कम करने वाले 3 योगा-आसन एवं मांसपेशिया रखे दुरस्त Stomach Reduce Yoga in Hindi
तोंद का बढ़ना आजकल आम बात है। तरक्की, विकास के लिए दौड़ती भागती जिन्दगी में व्यक्ति अपने दैनिक दिनदर्या व संतुलित आहार प्रणाली पर सही तरह से ध्यान नहीं दे पाता। बाहर का खाना, व्यायाम एक्सरसाइज, योगा पर ध्यान न देना व अपने दैनिक आहार में संतुलित पौष्टिक आहार की कमी, कार्यालय में बैठकर काम करना, चलना फिरना कम, जंकफूड, फास्ट फूड खाना इत्यादि तोंद बढ़ने के कारण हैं।
पेट तोंद तेजी से कम करने वाले 3 योगा आसन / 3 Yoga Asanas to Reduce Belly Fat / Pet Tond Ghatane wale 3 Yoga Asanas
बढ़ी तौंद- पेट घटाने के अजमाये हुये 3 ऐसे योगासन हैं, जिन से व्यक्ति तोंद-पेट तेजी से कम आराम से कर सकते हैं। और बड़े आसानी से कम समय में बढे पेट - तोंद को समतल बराबर कर सकते हैं। इन योगा करने से सीधे पेट पर असर पड़ता है। और पेट की चर्बी घट कर अपने पुराने लेबल पर आसानी से आ जाती है। ये योगासन रोज सुबह शाम 30-35 मिनट जरूर करें। यह खास योगा असान करने से फायदा अवश्य होता है। ये खास तीन तरह तोंद-पेट के योगा असान हैं।
भुजंग आसन
भुजंगासन करने के लिए सीधे पेट के बल लेट जाइये और हाथों के बल पर सिर सीना उठायें, जैसे कि कोबरा सांप सिर फन उठाता है। उसी तरह से दोनों हाथों के बल पर गर्दन ऊपर करें। भुजंगासन से सीधे पेट पर असर पड़ता है, 15 सेकेंड करने बाद 2 मिनट पहले वाली पोजिशन में लेटे रहें, फिर दुबारा से करें। इसी तरह 8 बार भुजंगासन करने से तोंद घटने में शीघ्र फायदा होता है।
धनुर आसन
धुनर आसन करने के लिए व्यक्ति को पेट के बल लेटना होता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। और हाथ नीचे की तरफ रखें। फिर आराम से धीरे-धीरे सिर, कंधा, पैर बराबार लेवल में ऊपर की ओर उठायें, केवल पेट ही जमीन पर रहे। दोनों हाथो से पैर पीछे पकड़े। इस पोजिशन को 15 सेकेंड तक बना कर स्थिर रहें। इस से सीध बल पेट पर पड़ता है। धनुर योगासन से पैर, हाथ, कंधों, छाती की मांसपेशियां खिच जाती है। और पेट पर दबाव पड़ता है। 15 सेकेंड करने बाद 2 मिनट पहले वाली पोजिशन में लेटे रहें, फिर दुबारा से करें। इसी तरह 10 बार धनुर योगासन करने से शीघ्र फायदा होता है। 
पश्चिमोत्थान आसन
पश्चिमोत्थान करने के लिए बैठ जायें, दोनों पावों को सीधे फैला कर, दोनों हाथों से सिर पावों पर झुकायें। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। फिर दोनों हाथों सीना को सीधे ऊपर की ओर करें, समकोण की तरह। इसी तरह से फिर हाथों को पैरों के अगूंठे से पकड़ कर 15 सेकेंड तक छुके। फिर दोबारा करें, इसी तरह से 10-15 बार पश्चिमोत्थान आसन करें। पश्चिमोत्थान आसन रोज करने से पेट तोंद अन्दर चली जाती है। शरीर सुन्दर सुडौंल बन जाता है। 
इस तरह से रोज सुबह खाली पेट व शाम को बिना कुछ खाये भुजंग आसन, धनुर आसन और पश्चिमोत्थान आसन करें। तीनों आसनों को रोज आधा-आधा घण्टे करने से मात्र 1-2 महीने तीनों योगा आसन बारी-बारी से करने से तोंद घटकर अन्दर चली जाती है। पेट समतल दिखने लगता है। और पेट अन्दर चला जाता है। और शरीर सुन्दर सुडौल रोगमुक्त बन जाता है। तोंद को तेजी से घटाने में तीनों योगासनों की अहम महत्वपूर्ण भूमिका है। योगासनों से तोंद के साथ साथ पेट, मांसपेशियों से सम्बन्धित तरह-तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
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margdarsanme · 3 years
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तोंद-पेट तेजी से कम करने वाले 3 योगा-आसन एवं मांसपेशिया रखे दुरस्त Stomach Reduce Yoga in Hindi
तोंद का बढ़ना आजकल आम बात है। तरक्की, विकास के लिए दौड़ती भागती जिन्दगी में व्यक्ति अपने दैनिक दिनदर्या व संतुलित आहार प्रणाली पर सही तरह से ध्यान नहीं दे पाता। बाहर का खाना, व्यायाम एक्सरसाइज, योगा पर ध्यान न देना व अपने दैनिक आहार में संतुलित पौष्टिक आहार की कमी, कार्यालय में बैठकर काम करना, चलना फिरना कम, जंकफूड, फास्ट फूड खाना इत्यादि तोंद बढ़ने के कारण हैं।
पेट तोंद तेजी से कम करने वाले 3 योगा आसन / 3 Yoga Asanas to Reduce Belly Fat / Pet Tond Ghatane wale 3 Yoga Asanas
बढ़ी तौंद- पेट घटाने के अजमाये हुये 3 ऐसे योगासन हैं, जिन से व्यक्ति तोंद-पेट तेजी से कम आराम से कर सकते हैं। और बड़े आसानी से कम समय में बढे पेट - तोंद को समतल बराबर कर सकते हैं। इन योगा करने से सीधे पेट पर असर पड़ता है। और पेट की चर्बी घट कर अपने पुराने लेबल पर आसानी से आ जाती है। ये योगासन रोज सुबह शाम 30-35 मिनट जरूर करें। यह खास योगा असान करने से फायदा अवश्य होता है। ये खास तीन तरह तोंद-पेट के योगा असान हैं।
भुजंग आसन
भुजंगासन करने के लिए सीधे पेट के बल लेट जाइये और हाथों के बल पर सिर सीना उठायें, जैसे कि कोबरा सांप सिर फन उठाता है। उसी तरह से दोनों हाथों के बल पर गर्दन ऊपर करें। भुजंगासन से सीधे पेट पर असर पड़ता है, 15 सेकेंड करने बाद 2 मिनट पहले वाली पोजिशन में लेटे रहें, फिर दुबारा से करें। इसी तरह 8 बार भुजंगासन करने से तोंद घटने में शीघ्र फायदा होता है।
धनुर आसन
धुनर आसन करने के लिए व्यक्ति को पेट के बल लेटना होता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। और हाथ नीचे की तरफ रखें। फिर आराम से धीरे-धीरे सिर, कंधा, पैर बराबार लेवल में ऊपर की ओर उठायें, केवल पेट ही जमीन पर रहे। दोनों हाथो से पैर पीछे पकड़े। इस पोजिशन को 15 सेकेंड तक बना कर स्थिर रहें। इस से सीध बल पेट पर पड़ता है। धनुर योगासन से पैर, हाथ, कंधों, छाती की मांसपेशियां खिच जाती है। और पेट पर दबाव पड़ता है। 15 सेकेंड करने बाद 2 मिनट पहले वाली पोजिशन में लेटे रहें, फिर दुबारा से करें। इसी तरह 10 बार धनुर योगासन करने से शीघ्र फायदा होता है। 
पश्चिमोत्थान आसन
पश्चिमोत्थान करने के लिए बैठ जायें, दोनों पावों को सीधे फैला कर, दोनों हाथों से सिर पावों पर झुकायें। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। फिर दोनों हाथों सीना को सीधे ऊपर की ओर करें, समकोण की तरह। इसी तरह से फिर हाथों को पैरों के अगूंठे से पकड़ कर 15 सेकेंड तक छुके। फिर दोबारा करें, इसी तरह से 10-15 बार पश्चिमोत्थान आसन करें। पश्चिमोत्थान आसन रोज करने से पेट तोंद अन्दर चली जाती है। शरीर सुन्दर सुडौंल बन जाता है। 
इस तरह से रोज सुबह खाली पेट व शाम को बिना कुछ खाये भुजंग आसन, धनुर आसन और पश्चिमोत्थान आसन करें। तीनों आसनों को रोज आधा-आधा घण्टे करने से मात्र 1-2 महीने तीनों योगा आसन बारी-बारी से करने से तोंद घटकर अन्दर चली जाती है। पेट समतल दिखने लगता है। और पेट अन्दर चला जाता है। और शरीर सुन्दर सुडौल रोगमुक्त बन जाता है। तोंद को तेजी से घटाने में तीनों योगासनों की अहम महत्वपूर्ण भूमिका है। योगासनों से तोंद के साथ साथ पेट, मांसपेशियों से सम्बन्धित तरह-तरह की बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
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margdarsanme · 3 years
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बवासीर का आर्युवेद सटीक ईलाज Piles Home Treatment in Hindi
बवासीर होना आजकल आम बात रह गई है। बवासीर, हैमराइड या पाईल्स - आज के वक्त में किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को हो सकती है। अनियमित खानपान, मिर्च मसाला, तीखा, फास्टफूड, जंकफूड, कम सोने से, भोजन सही तरह न पचना, शराब - बीयर - तम्बाकू - गुटका सेवन, उल्टी सीधी चीजों का सेवन इत्यादि कई बवासीर होने के मुख्य कारण हैं। 
पाईल्स कोई गम्भीर बीमारी नहीं है। परन्तु पाईल्स ईलाज समय पर लेना जरूरी है। बवासीर दो तरह की होती है, पहली गूदे के बाहर एंव दूसरी गूदे की अन्दर नसों पर।
बवासीर का आर्युवेद सटीक ईलाज /Piles Home Treatment in Hindi / Bawaseer ka Gharelu upay / Piles Ilaj
बवासीर के लक्षण
गूदे से खून आना
पाखाने में तकलीफ होना
पेट सूख जाना
गूदे के अन्दर नसों में सूजन
गांठे पड़ना व खून आना
गूदे पर तेज पीड़ा होना
रूक रूक कर पाखाने में खून की बूदें आना
गूदे पर जख्म बनना
गूदे का फट जाना इत्यादि लक्षण हैं 
बवासीर होने के मुख्य कारण 
तेज मिर्च - मसाले वाले भोजन खाना।
जंक फूड एवं फास्टफूड का ज्यादा सेवन।
पर्याप्त मात्रा में नींद न ले पाना।
भोजन का सही तरह से न पचना।
पेट में गैस, कब्ज समस्या देरी तक रहना।
गुटका, तम्बाकू, शराब का सेवन करना।
उल्टी सीधी चीजों का सेवन करना।
दैनिक दिनचर्या में बदलाव।
ज्यादा दिनों तक दवाईयों के सेवन से इन्फेक्शन।
एक्सरसाईज व योगा न करना।
बावासीर से छुटकारा पाने के सटीक उपाय खाने में क्या खायें और क्या न खायें: सबसे पहले व्यक्ति का मिर्च, मसाले, नमकीन, तीखा, खट्टा, फास्टफूड, जंक फूड, कोल्ड, साॅफ्ट ड्रिंक व बाहर की सारी चीजे खाना पीना छोड देना चाहिए। केवल घर का बना खाना खायें। सादा बहुत कम मिर्च मसाले वाले भोजन खाना शुरू करें। हो सके तो नमक मिर्च वाला खाना एक वक्त ही खायें। खाने में हरी पत्ती वाली सब्जी जैसे पालक, राई, सरसों, फल, दूध व तरल चीजें, दालें, दलिया आदि तरल भोजन का सेवन करें। हरी मिर्च से भी पूरी तरह से परहेज करें। पाईल्स रोग के विभिन्न सफल कारगर उपचार विस्तार से दिये गये हैं। 
थैक्स ओटी टयूब और टैब्लेटस - कैप्सूलस
पाईल्स रोगी के लिए थैक्स ओटी टयूब और कैप्सूलस अति लाभकरी है। शौच साफ सफाई के बाद गुदा को गर्म पानी से धोयें, फिर टयूब लगायें और सुबह शाम थैक्स ओटी टैब्लेटस खायें। थैक्स ओटी पाईल्स की अचूक दवाई है।
अर्शकल्प कैपसूल 
अर्शकल्प कैपसूल बवासीर के लिए उत्तम एवं प्रसिद्व आयुर्वेदिक है। अर्शकल्प कैपसूल के साथ-साथ ऊपर बताये गये भोजन प्रणाली का सेवन करें। इस से बवासीर तुरन्त ठीक हो जाता है। एक सप्ताह तक हल्का मिर्च नमक वाला खाना एक वक्त खायें तो बेहतर है। जीरा  छांछ - मट्ठा को प्यास लगने पर पीयें, छांछ में 10-15 ग्राम जीरा का पाउडर व हल्का स्वाद के लिए नमक मिला कर तीनों वक्त सुबह, दोपहर, रात को छानकर पीयें। इस प्रक्रिया से बवासीर में बने गुदे के मस्से व नसों की गांठे जल्दी सामान्य ठीक हो जाती है। जल्दी फायदे के लिए जीरा पाउडर कच्ची हल्दी रस के साथ पाईल्स मस्सों, जख्म पर लगाना फायदेमंद है। नींबू  2 नींबू का पानी सुबह उठकर खाली पेट पीयें, लगातार 2-3 सप्ताह तक करने से बवासीर के ठीक होने के विकल्प ज्यादा होते हैं। एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू निचैंड़ कर पीयें। दालचीनी चूर्ण एवं शहद आध चम्मच शहद के साथ चुटकी भर दालचीनी चूर्ण अच्छे से मिलाकर सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाती है।
किशमिश रोज सोने से पहले एवं सुबह नाश्ता करने के बाद 50-50 ग्राम किशमिश दूध के साथ खाने से बवासीर पीड़ा व सूजन से तुरन्त लाभ मिलता है। किशमिश को 4-5 घण्टे के लिए भिगों कर रखें। बड़ी इलायची 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवें में हल्का लाल भून लें, फिर ठंड़ा होने पर बारीक पीस कर चूर्ण तैयार कर कांच की शीशी में रख लें। सुबह उठकर बिना कुछ खाये पीये बड़ी इलायची चूर्ण को सादे पानी में अच्छे से 5-10 मिनट मिलायें फिर छान कर सेवन करें। इलायची चूर्ण पानी सेवन करने से बवासीर धीरे-धीरे ठीक करने में सहायक है। इसबगोल बवासीर में पेट सूख जाने पर, या फिर गूदे में दर्द से छुटकारा पाने के लिए इसबगोल भूसी फायदेमंद है, इसबगोल से पेट साफ रहता है और साथ में दर्द से छुटकारा मिलता है। जामुन आम चूर्ण  खूनी बवासीर होने पर आम की गुठली और जामुन की गुठली को सूखा कर अन्दर का भाग बारीकी से पीस कर चूर्ण तैयार करें। जामुन एवं आम की अन्दर की गुठली के बने चूर्ण बवासीर में अत्यन्त लाभकारी है। कलौंजी तेल, बीज  चुटकी भर कलौंजी बीज पाउडर, सब्जी, खाने में इस्तेमाल करें। कलौंजी स्वाद में कड़वी जरूरी है। परन्तु पाईल्स जैसी गम्भीर बीमारियों को ठीक करने में कलौंजी सहायक है। पाईल्स होने पर रोज कलौंजी तेल, सब्जी में, कलौंजी तेल सुबह गर्म पानी के साथ मिलाकर सेवन करें। कलौंजी दानें और कलौंजी तेल बावासीर ठीक करने में सहायक है।
हरी पत्तेदार सब्जियां  सब्जियों में पाईल्स होने पर पालक, सरसों, राई, चैलाई, प्याज पत्ते, मेथी पत्ते, मूली पत्ते, चुकंदर खूब खायें। चुकंदर और हरी पत्तेदार सब्जियां पाईल्स - बवासीर ठीक करने का अच्छा माध्यम है। सब्जी में र्मिच इस्तेमाल नहीं करें। हर तरह की मिर्च मशाले तीखा खाने से पूरी तरह से परहेज करें। हल्दी दूध  पाईल्स होने पर 1 चम्मच कच्ची हल्दी का रस एक गिलास दूध के साथ रोज सुबह शाम सेवन करने से पाईल्स-बवासीर जल्दी ठीक होती है। पाईल्स में कच्ची हल्दी और दूध मिश्रण खास अचूक औषधि है। अदरक रस और शहद पाईल्स समस्या में आधा चम्मच अदरक और एक चम्मच शहद मिश्रण रोज सुबह शाम सेवन करना फायदेमंद है। अदरक शहद मिश्रण सेवन पाईल्स जख्म से सक्रामण नष्ट करने में सहायक है।
नींम पत्ती और कच्ची जंगली हरी बेर 
पाईल्स होने पर रोज सुबह खाली पेट 10 नींम पत्तियां और 4 कच्ची हरी जंगली बेर को मिलाकर खाने से पाईल्स शीघ्र ठीक होती है। पाईल्स उपचार में नींम और जंगली कच्ची बेर प्राचीनतम औषधि है।
बवासीर कोई बड़ी गम्भीर बीमारी नहीं है, कई लोग बवासीर होने पर अधिक घबरा जाते हैं, और शर्म, लज्जा महसूस करते हैं। बवासीर किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को हो सकता है। मरीज पैसा पानी की तरह बहा लेते हैं, जैसेकि आॅपेरेशन में, लम्बी दवाई रूटीन में इत्यादि तरह से पैसा व वक्त बर्वाद कर बैठते हैं और फायदा कम। बताये गये उपरोक्त नुस्खों उपायों को करके से बवासीर ग्रसित व्यक्ति आसानी से रोगमुक्त होकर स्वस्थ हो सकता है। 
बवासीर अगर कई सालों से व ज्यादा पुराना व गम्भीर जख्म हैं तो डाॅक्टर की सलाह लें। रोगमुक्त रहने के लिए रोज योगा, व्यायाम, सैर करें। धूम्रपान, गुटका, शराब नशीले चीजों से दूर रहें, पोष्टिक व सन्तुलित भोजन ग्रहण करें एवं रोगमुक्त स्वस्थ जीवन यापन करें।
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margdarsanme · 3 years
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बवासीर का आर्युवेद सटीक ईलाज Piles Home Treatment in Hindi
बवासीर होना आजकल आम बात रह गई है। बवासीर, हैमराइड या पाईल्स - आज के वक्त में किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को हो सकती है। अनियमित खानपान, मिर्च मसाला, तीखा, फास्टफूड, जंकफूड, कम सोने से, भोजन सही तरह न पचना, शराब - बीयर - तम्बाकू - गुटका सेवन, उल्टी सीधी चीजों का सेवन इत्यादि कई बवासीर होने के मुख्य कारण हैं। 
पाईल्स कोई गम्भीर बीमारी नहीं है। परन्तु पाईल्स ईलाज समय पर लेना जरूरी है। बवासीर दो तरह की होती है, पहली गूदे के बाहर एंव दूसरी गूदे की अन्दर नसों पर।
बवासीर का आर्युवेद सटीक ईलाज /Piles Home Treatment in Hindi / Bawaseer ka Gharelu upay / Piles Ilaj
बवासीर के लक्षण
गूदे से खून आना
पाखाने में तकलीफ होना
पेट सूख जाना
गूदे के अन्दर नसों में सूजन
गांठे पड़ना व खून आना
गूदे पर तेज पीड़ा होना
रूक रूक कर पाखाने में खून की बूदें आना
गूदे पर जख्म बनना
गूदे का फट जाना इत्यादि लक्षण हैं 
बवासीर होने के मुख्य कारण 
तेज मिर्च - मसाले वाले भोजन खाना।
जंक फूड एवं फास्टफूड का ज्यादा सेवन।
पर्याप्त मात्रा में नींद न ले पाना।
भोजन का सही तरह से न पचना।
पेट में गैस, कब्ज समस्या देरी तक रहना।
गुटका, तम्बाकू, शराब का सेवन करना।
उल्टी सीधी चीजों का सेवन करना।
दैनिक दिनचर्या में बदलाव।
ज्यादा दिनों तक दवाईयों के सेवन से इन्फेक्शन।
एक्सरसाईज व योगा न करना।
बावासीर से छुटकारा पाने के सटीक उपाय खाने में क्या खायें और क्या न खायें: सबसे पहले व्यक्ति का मिर्च, मसाले, नमकीन, तीखा, खट्टा, फास्टफूड, जंक फूड, कोल्ड, साॅफ्ट ड्रिंक व बाहर की सारी चीजे खाना पीना छोड देना चाहिए। केवल घर का बना खाना खायें। सादा बहुत कम मिर्च मसाले वाले भोजन खाना शुरू करें। हो सके तो नमक मिर्च वाला खाना एक वक्त ही खायें। खाने में हरी पत्ती वाली सब्जी जैसे पालक, राई, सरसों, फल, दूध व तरल चीजें, दालें, दलिया आदि तरल भोजन का सेवन करें। हरी मिर्च से भी पूरी तरह से परहेज करें। पाईल्स रोग के विभिन्न सफल कारगर उपचार विस्तार से दिये गये हैं। 
थैक्स ओटी टयूब और टैब्लेटस - कैप्सूलस
पाईल्स रोगी के लिए थैक्स ओटी टयूब और कैप्सूलस अति लाभकरी है। शौच साफ सफाई के बाद गुदा को गर्म पानी से धोयें, फिर टयूब लगायें और सुबह शाम थैक्स ओटी टैब्लेटस खायें। थैक्स ओटी पाईल्स की अचूक दवाई है।
अर्शकल्प कैपसूल 
अर्शकल्प कैपसूल बवासीर के लिए उत्तम एवं प्रसिद्व आयुर्वेदिक है। अर्शकल्प कैपसूल के साथ-साथ ऊपर बताये गये भोजन प्रणाली का सेवन करें। इस से बवासीर तुरन्त ठीक हो जाता है। एक सप्ताह तक हल्का मिर्च नमक वाला खाना एक वक्त खायें तो बेहतर है। जीरा  छांछ - मट्ठा को प्यास लगने पर पीयें, छांछ में 10-15 ग्राम जीरा का पाउडर व हल्का स्वाद के लिए नमक मिला कर तीनों वक्त सुबह, दोपहर, रात को छानकर पीयें। इस प्रक्रिया से बवासीर में बने गुदे के मस्से व नसों की गांठे जल्दी सामान्य ठीक हो जाती है। जल्दी फायदे के लिए जीरा पाउडर कच्ची हल्दी रस के साथ पाईल्स मस्सों, जख्म पर लगाना फायदेमंद है। नींबू  2 नींबू का पानी सुबह उठकर खाली पेट पीयें, लगातार 2-3 सप्ताह तक करने से बवासीर के ठीक होने के विकल्प ज्यादा होते हैं। एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू निचैंड़ कर पीयें। दालचीनी चूर्ण एवं शहद आध चम्मच शहद के साथ चुटकी भर दालचीनी चूर्ण अच्छे से मिलाकर सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाती है।
किशमिश रोज सोने से पहले एवं सुबह नाश्ता करने के बाद 50-50 ग्राम किशमिश दूध के साथ खाने से बवासीर पीड़ा व सूजन से तुरन्त लाभ मिलता है। किशमिश को 4-5 घण्टे के लिए भिगों कर रखें। बड़ी इलायची 50 ग्राम बड़ी इलायची को तवें में हल्का लाल भून लें, फिर ठंड़ा होने पर बारीक पीस कर चूर्ण तैयार कर कांच की शीशी में रख लें। सुबह उठकर बिना कुछ खाये पीये बड़ी इलायची चूर्ण को सादे पानी में अच्छे से 5-10 मिनट मिलायें फिर छान कर सेवन करें। इलायची चूर्ण पानी सेवन करने से बवासीर धीरे-धीरे ठीक करने में सहायक है। इसबगोल बवासीर में पेट सूख जाने पर, या फिर गूदे में दर्द से छुटकारा पाने के लिए इसबगोल भूसी फायदेमंद है, इसबगोल से पेट साफ रहता है और साथ में दर्द से छुटकारा मिलता है। जामुन आम चूर्ण  खूनी बवासीर होने पर आम की गुठली और जामुन की गुठली को सूखा कर अन्दर का भाग बारीकी से पीस कर चूर्ण तैयार करें। जामुन एवं आम की अन्दर की गुठली के बने चूर्ण बवासीर में अत्यन्त लाभकारी है। कलौंजी तेल, बीज  चुटकी भर कलौंजी बीज पाउडर, सब्जी, खाने में इस्तेमाल करें। कलौंजी स्वाद में कड़वी जरूरी है। परन्तु पाईल्स जैसी गम्भीर बीमारियों को ठीक करने में कलौंजी सहायक है। पाईल्स होने पर रोज कलौंजी तेल, सब्जी में, कलौंजी तेल सुबह गर्म पानी के साथ मिलाकर सेवन करें। कलौंजी दानें और कलौंजी तेल बावासीर ठीक करने में सहायक है।
हरी पत्तेदार सब्जियां  सब्जियों में पाईल्स होने पर पालक, सरसों, राई, चैलाई, प्याज पत्ते, मेथी पत्ते, मूली पत्ते, चुकंदर खूब खायें। चुकंदर और हरी पत्तेदार सब्जियां पाईल्स - बवासीर ठीक करने का अच्छा माध्यम है। सब्जी में र्मिच इस्तेमाल नहीं करें। हर तरह की मिर्च मशाले तीखा खाने से पूरी तरह से परहेज करें। हल्दी दूध  पाईल्स होने पर 1 चम्मच कच्ची हल्दी का रस एक गिलास दूध के साथ रोज सुबह शाम सेवन करने से पाईल्स-बवासीर जल्दी ठीक होती है। पाईल्स में कच्ची हल्दी और दूध मिश्रण खास अचूक औषधि है। अदरक रस और शहद पाईल्स समस्या में आधा चम्मच अदरक और एक चम्मच शहद मिश्रण रोज सुबह शाम सेवन करना फायदेमंद है। अदरक शहद मिश्रण सेवन पाईल्स जख्म से सक्रामण नष्ट करने में सहायक है।
नींम पत्ती और कच्ची जंगली हरी बेर 
पाईल्स होने पर रोज सुबह खाली पेट 10 नींम पत्तियां और 4 कच्ची हरी जंगली बेर को मिलाकर खाने से पाईल्स शीघ्र ठीक होती है। पाईल्स उपचार में नींम और जंगली कच्ची बेर प्राचीनतम औषधि है।
बवासीर कोई बड़ी गम्भीर बीमारी नहीं है, कई लोग बवासीर होने पर अधिक घबरा जाते हैं, और शर्म, लज्जा महसूस करते हैं। बवासीर किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को हो सकता है। मरीज पैसा पानी की तरह बहा लेते हैं, जैसेकि आॅपेरेशन में, लम्बी दवाई रूटीन में इत्यादि तरह से पैसा व वक्त बर्वाद कर बैठते हैं और फायदा कम। बताये गये उपरोक्त नुस्खों उपायों को करके से बवासीर ग्रसित व्यक्ति आसानी से रोगमुक्त होकर स्वस्थ हो सकता है। 
बवासीर अगर कई सालों से व ज्यादा पुराना व गम्भीर जख्म हैं तो डाॅक्टर की सलाह लें। रोगमुक्त रहने के लिए रोज योगा, व्यायाम, सैर करें। धूम्रपान, गुटका, शराब नशीले चीजों से दूर रहें, पोष्टिक व सन्तुलित भोजन ग्रहण करें एवं रोगमुक्त स्वस्थ जीवन यापन करें।
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margdarsanme · 3 years
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रस्सी कूदने के फायदे Rassi kudne ke fayde
रस्सी कूदना सेहत के फायदेमंद है। शरीर को चुस्त फुर्तीला रोग मुक्त रखने में रस्सी कूद सक्षम है। रस्सी कूद करने से सम्पूर्ण शरीर की व्यायाम एक साथ हो जाता है। रस्सी कूद शरीर मांसपेशियों, रक्त विकार, मोटापा, मस्तिष्क स्वस्थ, पेट पाचन विकार दुरूस्त करने, शरीर को चुस्त और ऊर्जावान रखने में सहायक है। 
रस्सीकूद तेजी से कैलोरी बर्न करने में सक्षम है। व्यक्ति को रस्सीकूद अपने जीवनचर्या में जरूरी शामिल करना चाहिए। आधुनिक दौड़ा-भाग व्यस्त जीवन शैली में व्यक्ति अपने शरीर को फिट रखने के लिए वक्त कम ही निकाल पाता है। 
रस्सीकूद घर 10-15 मिनट मात्र रोज करने से सम्पूर्ण शरीर की एक्‍सरसाइज एक साथ हो जाती है। कम समय में पूरे शरीर की एक साथ अच्छी तरह व्यायाम करने का रस्सीकूद उत्तम तरीका है। रस्सीकूद करने के लिए सुबह का वक्त और खुले मैदान शांत वातावरण ज्यादा ज्यादा फायदेमंद है। 
रस्सीकूद करने के फायदे / Rassi Kudne ke Fayde, Skipping Rope Benefits
तेजी से वजन घटाये रस्सी कूदने से शरीर का वजन तेजी से घटाने में सक्षम है। रस्सीकूद करने से तेजी से कैलोरी बर्न करने करने में सहायक है। मात्र 10-15 मिनट रस्सीकूद करने से 200 से 250 तक कैलोरी आसानी से बर्न हो जाती है। मोटापा से परेशान लोगों के लिए रस्सीकूद करना अच्छा माध्यम है। हड्यिां मांसपेशियां रखे मजबूत  रस्सी कूद करने से हड्यिां मांसपेशियां मजबूत बनती है। हाथ-पांव मांसपेशियां मजबूती के साथ रोगमुक्त और शक्तिशाली बनाने में सक्षम है। दिल रखे स्वस्थ रस्सीकूद करने से हार्ट स्वस्थ और सुचारू रहता है। रस्सीकूदने से दिल, फेफड़े, धमनियों और धडकन का आॅक्सीकरण सुचारू एवं तीब्र रहता है। रस्सीकूद हार्टअटैक से बचाने में सहायक है। Healthy Heart / दिल को स्वस्थ रखने में रस्सीकूद करना फायदेमंद है। लम्बाई बढ़ाये रस्सीकूद  जिन बच्चों की लम्बाई कम रह जाती है। उसके लिए रस्सी कूद करना फायदेमंद हैं। रस्सी बच्चों की रूकी लम्बाई बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। मस्तिष्क रखे स्वस्थ तनावमुक्त  शरीर को तनावमुक्त रखने में रस्सीकूद सक्षम है। रस्सीकूद करने से बेकार की टेंशन, दिमाग चंचलता, मस्तिष्क को विकार मुक्त रखने में सहायक है। तनावमुक्त रखने में रस्सीकूद अच्छा माध्यम है। घुटनों पैरो के दर्द से मुक्ति रस्सी कूद करने से हाथों, कूल्हों, घुटनों, एड़ियों में होने वाले दर्द से जल्दी छुटकारा मिलता है। शरीर अंगों में होने वाले दर्द से निजात के लिए रस्सी कूद अच्छा तरीका है। रक्त विकार विषाक्त पसीने से निकाले  रस्सी कूदने से रक्त संचार तीब्र होता है जिससे शरीर के रक्त विषाक्त पसीने के माध्यम से त्वचा से आसानी से बहर निकलने में सहायक है। जिन लोगों को त्वचा विकार हैं, उनके लिए रस्सीकूद अच्छा माध्यम है। गैस कब्ज दूर करे पेट की गैस कब्ज एसिडिटी दूर करने के लिए रस्सीकूदना अच्छा माध्यम है। डायबिटीज में रस्सीकूद डायबिटीज में शर्करा लेवल नियत्रंण करने में रस्सीकूद फायदेमंद है। रस्सीकूद लगातर करने से शरीर से काफी पसीना बहता है। पसीना बहाना डायबिटीज मरीज की अच्छा होता है। पसीना बहाने से शुगर नियत्रंण में रखने में सहायक है। त्वचा रोग दूर करे, निखारे त्वचा  रस्सीकूद करने से त्वचा में मौजूद रक्त विकार त्वचा रोमछिद्रों से पसीने के साथ बाहर निकल जाते हैं। त्वचा रोग से मुक्ति पाने के लिए रस्सीकूद अच्छा तरीका है। रस्सी कूद से त्वचा विकार दूर करने और त्वचा में नेचुरली स्वस्थ निखारने में सहायक है। रस्सीकूद में सावधानियां
सर्जरी, घातक विकार में रस्सीकूद नहीं करनी चाहिए।
रस्सीकूद खाली पेट करें। सबुह का वक्त सबसे अच्छा माना जाता है। शाम को भी रस्सीकूद कर सकते हैं।
रस्सीकूद करते समय ढीले, खुले कपड़े पहनें।
शुरूआत में रस्सीकूद धीरे-धीरे करें। फिर रस्सीकूद गति बढ़ायें।
रस्सीकूद करने के तुरन्त बाद बैंठे नहीं। 1-2 मिनट तक हाथ पांव हिलायें और धीमा चलें।
Summery : skipping rope health benefits, jump rope exercise benefits in hindi, रस्सी कूदने के फायदे और नुकसान इन हिंदी,  रस्सी कूदने के  नुकसान , Rassi Kudne Ke Fayde Aur Nuksan In Hindi., रस्सी कूदने के गजब फायदे
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margdarsanme · 3 years
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रस्सी कूदने के फायदे Rassi kudne ke fayde
रस्सी कूदना सेहत के फायदेमंद है। शरीर को चुस्त फुर्तीला रोग मुक्त रखने में रस्सी कूद सक्षम है। रस्सी कूद करने से सम्पूर्ण शरीर की व्यायाम एक साथ हो जाता है। रस्सी कूद शरीर मांसपेशियों, रक्त विकार, मोटापा, मस्तिष्��� स्वस्थ, पेट पाचन विकार दुरूस्त करने, शरीर को चुस्त और ऊर्जावान रखने में सहायक है। 
रस्सीकूद तेजी से कैलोरी बर्न करने में सक्षम है। व्यक्ति को रस्सीकूद अपने जीवनचर्या में जरूरी शामिल करना चाहिए। आधुनिक दौड़ा-भाग व्यस्त जीवन शैली में व्यक्ति अपने शरीर को फिट रखने के लिए वक्त कम ही निकाल पाता है। 
रस्सीकूद घर 10-15 मिनट मात्र रोज करने से सम्पूर्ण शरीर की एक्‍सरसाइज एक साथ हो जाती है। कम समय में पूरे शरीर की एक साथ अच्छी तरह व्यायाम करने का रस्सीकूद उत्तम तरीका है। रस्सीकूद करने के लिए सुबह का वक्त और खुले मैदान शांत वातावरण ज्यादा ज्यादा फायदेमंद है। 
रस्सीकूद करने के फायदे / Rassi Kudne ke Fayde, Skipping Rope Benefits
तेजी से वजन घटाये रस्सी कूदने से शरीर का वजन तेजी से घटाने में सक्षम है। रस्सीकूद करने से तेजी से कैलोरी बर्न करने करने में सहायक है। मात्र 10-15 मिनट रस्सीकूद करने से 200 से 250 तक कैलोरी आसानी से बर्न हो जाती है। मोटापा से परेशान लोगों के लिए रस्सीकूद करना अच्छा माध्यम है। हड्यिां मांसपेशियां रखे मजबूत  रस्सी कूद करने से हड्यिां मांसपेशियां मजबूत बनती है। हाथ-पांव मांसपेशियां मजबूती के साथ रोगमुक्त और शक्तिशाली बनाने में सक्षम है। दिल रखे स्वस्थ रस्सीकूद करने से हार्ट स्वस्थ और सुचारू रहता है। रस्सीकूदने से दिल, फेफड़े, धमनियों और धडकन का आॅक्सीकरण सुचारू एवं तीब्र रहता है। रस्सीकूद हार्टअटैक से बचाने में सहायक है। Healthy Heart / दिल को स्वस्थ रखने में रस्सीकूद करना फायदेमंद है। लम्बाई बढ़ाये रस्सीकूद  जिन बच्चों की लम्बाई कम रह जाती है। उसके लिए रस्सी कूद करना फायदेमंद हैं। रस्सी बच्चों की रूकी लम्बाई बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। मस्तिष्क रखे स्वस्थ तनावमुक्त  शरीर को तनावमुक्त रखने में रस्सीकूद सक्षम है। रस्सीकूद करने से बेकार की टेंशन, दिमाग चंचलता, मस्तिष्क को विकार मुक्त रखने में सहायक है। तनावमुक्त रखने में रस्सीकूद अच्छा माध्यम है। घुटनों पैरो के दर्द से मुक्ति रस्सी कूद करने से हाथों, कूल्हों, घुटनों, एड़ियों में होने वाले दर्द से जल्दी छुटकारा मिलता है। शरीर अंगों में होने वाले दर्द से निजात के लिए रस्सी कूद अच्छा तरीका है। रक्त विकार विषाक्त पसीने से निकाले  रस्सी कूदने से रक्त संचार तीब्र होता है जिससे शरीर के रक्त विषाक्त पसीने के माध्यम से त्वचा से आसानी से बहर निकलने में सहायक है। जिन लोगों को त्वचा विकार हैं, उनके लिए रस्सीकूद अच्छा माध्यम है। गैस कब्ज दूर करे पेट की गैस कब्ज एसिडिटी दूर करने के लिए रस्सीकूदना अच्छा माध्यम है। डायबिटीज में रस्सीकूद डायबिटीज में शर्करा लेवल नियत्रंण करने में रस्सीकूद फायदेमंद है। रस्सीकूद लगातर करने से शरीर से काफी पसीना बहता है। पसीना बहाना डायबिटीज मरीज की अच्छा होता है। पसीना बहाने से शुगर नियत्रंण में रखने में सहायक है। त्वचा रोग दूर करे, निखारे त्वचा  रस्सीकूद करने से त्वचा में मौजूद रक्त विकार त्वचा रोमछिद्रों से पसीने के साथ बाहर निकल जाते हैं। त्वचा रोग से मुक्ति पाने के लिए रस्सीकूद अच्छा तरीका है। रस्सी कूद से त्वचा विकार दूर करने और त्वचा में नेचुरली स्वस्थ निखारने में सहायक है। रस्सीकूद में सावधानियां
सर्जरी, घातक विकार में रस्सीकूद नहीं करनी चाहिए।
रस्सीकूद खाली पेट करें। सबुह का वक्त सबसे अच्छा माना जाता है। शाम को भी रस्सीकूद कर सकते हैं।
रस्सीकूद करते समय ढीले, खुले कपड़े पहनें।
शुरूआत में रस्सीकूद धीरे-धीरे करें। फिर रस्सीकूद गति बढ़ायें।
रस्सीकूद करने के तुरन्त बाद बैंठे नहीं। 1-2 मिनट तक हाथ पांव हिलायें और धीमा चलें।
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margdarsanme · 3 years
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नीबू के फायदे nimbu ke fayde
नींबू देखते और नींबू के बारे में बातें करते ही तुरन्त मुंह में पानी आना स्वाभाविक है। बड़ी नामी कम्पनियां नींबू का इस्तेमाल हेल्दी पेय पदार्थ, शैम्पू, साबुन, स्किन क्रीम, दवाईयां बनाने में इस्तेमाल करती हैं। नींबू में प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक गुण एक साथ मौजूद हैं। सांइस भी शोधो प्रमाणों से नींबू को बहुउपयोगी साबित कर चुकी है। नींबू नेचुरल रूप से सेवन और इस्तेमाल करना फायदेमंद है।
हेल्दी बहुउपयोगी नींबू, लेमोनेड - पौष्टिक नींबू पानी, नींबू सलाद के साथ, नींबू मैल निकालने, नींबू साफ सफाई, नींबू दांत चमकाने में, नींबू धातु चमकाने में, नींबू पाचन तत्रं के दुरूस्त सुचारू के लिए, नींबू वजन - मोटापा घटाने के लिए, नींबू तनाव- ब्लडप्रेशर नियंत्रण करने लिए, वहिकाऐं सुचारू और हडिडयां मजबूत बनाने में आदि तरह से नींबू सेवन और इस्तेमाल किया जाता है। नींबू शरीर को रोग-सक्रामण वायरल से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। नींबू में प्राकृतिक रूप से विटामिन सी, कैलशियम, साइट्रिक एसिड, मैगनीशियम, फोस्फोरस, कार्बोहाइडेड, प्रोटीन तत्व मौजूद हैं। नीबू बहुत ही गुणकरी है। शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नींबू को "प्राकृतिक औषधि" भी कहा जाता है।
नीबू एक लाभ अनेक / नीबू से फायदे / Lemon Health Benefits / Nimbu ke fayde / Nimbu ke Aushadhi Gun / Healthy Lemon
नीबू पानी पीने से मोटापा कम होता है, क्योंकि नीबू में बिटामिन सी, साइट्रिक एसिड और पिकटिन नामक गुण होता है जोकि खाना पचाने में स���ायक है और साथ में भूख भी कम लगती है। और नींबू शरीर से अतिरिक्त चर्बी घटाने में सहायक है। नींबू सेवन रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का अच्छा माघ्यम है।
चेहरे पर दाग, धब्बे, छाया होने पर नीबू को दूध मलाई के साथ मिश्रण कर चेहरे पर मलना चाहिए इससे चेहरे के सारे दाग 10 से 15 दिनों के अन्दर मिट जाते हैं।दाग-धब्बू मिटाने के लिए बहुत सारी कम्पनियां सौन्दर्य प्रोडक्स् बाजार में लाती है। इसलिए आपको समझना चाहिए कि नीबू सर्वगुण सम्पन्न है, जोकि शरीर के लिए लाभदायक है। यदि त्वचा तैलीय है तो रोज सुबह नीबू पानी पीने से त्वचा में साफ एवं निखार आता है।
पेट में कब्ज होने पर रोगी को रोज सुबह नीबूं शहद पानी पीने से कब्ज से जल्दी फायदा होता है और साथ में पाचन को ठीक करता है जिससे पेट साथ रहता है और कब्ज एसिडिटी नही होने देता।
नीबू में फिटकरी में मिलाकर लगाने से खुजली दूर होती है और साथ में नींबू को कोहनी पर रगड़ने से काली त्वचा का भाग साफ हो जाता है।
नीबू के शहद मिलाकर सुबह पीने से शरीर में दिनभर ऊर्जा बनी रहती है। साथ में पेशब से शरीर के अन्दर मौजूद जीवाणुओं को बाहर निकालता है। नीबू और शहद खाने से एन्टीबायोटिक और एइटियोसाईडेन्ट गुण प्राप्त होते हैं जोकि आने वाले रोगों और अन्य अन्दरूरी बीमारियों से बचाता है। 
गर्भा धारण के 3 महीने से प्रशव काल तक नीबूं की शिकंजी व नीबू पानी पीने से प्रसव कष्ट बहुत कम होता है। इसी लिए गर्भकाल में महिलाएं को नींबू शिंकजी व शहद के साथ देना चाहिए।
नीबू को गुनगुन पानी के साथ पीने से खून शुद्व होता है। नींबू पानी पेट पाचन के साथ शरीर पर एक तरह से प्राकृतिक निखार और त्वचा दमकाने सहायक है। नींबू पानी बहुगुणकारी औषधि पेय है।
कटहल रस, तेल, ग्रीस, केला रस, दाग धब्बे, धातु मैल निकालने और चमकाने में नींबू इस्तेमाल करें। नींबू एक तरह से क्लीनर का काम करता है।
हाई बी.पी, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण करने के लिए नींबू पानी पीयें। नींबू बीपी कोलेस्ट्रॉल से बचाने में सहायक है। नींबू हार्ट अटैक के रिस्क को घटाता है।
फैटी लीवर और लिवर सिरोसिस में आधा कप हरा धनिया रस में आध नींबू निचै़ड़ कर पीना फयदेमंद है। नींबू और हरा धनिया रस लीवर के लिए रामबाण औषधि रूप है।
पेट में कीड़े होने पर 1 नींबू रस को 5 ग्राम गुड़ और आधा चम्मच अजवाइन पाउडर के साथ सुबह शाम खाने से पेट कीड़ों का सफाया करने में सहायक है।
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margdarsanme · 3 years
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नीबू के फायदे nimbu ke fayde
नींबू देखते और नींबू के बारे में बातें करते ही तुरन्त मुंह में पानी आना स्वाभाविक है। बड़ी नामी कम्पनियां नींबू का इस्तेमाल हेल्दी पेय पदार्थ, शैम्पू, साबुन, स्किन क्रीम, दवाईयां बनाने में इस्तेमाल करती हैं। नींबू में प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक और एंटीसेप्टिक गुण एक साथ मौजूद हैं। सांइस भी शोधो प्रमाणों से नींबू को बहुउपयोगी साबित कर चुकी है। नींबू नेचुरल रूप से सेवन और इस्तेमाल करना फायदेमंद है।
हेल्दी बहुउपयोगी नींबू, लेमोनेड - पौष्टिक नींबू पानी, नींबू सलाद के साथ, नींबू मैल निकालने, नींबू साफ सफाई, नींबू दांत चमकाने में, नींबू धातु चमकाने में, नींबू पाचन तत्रं के दुरूस्त सुचारू के लिए, नींबू वजन - मोटापा घटाने के लिए, नींबू तनाव- ब्लडप्रेशर नियंत्रण करने लिए, वहिकाऐं सुचारू और हडिडयां मजबूत बनाने में आदि तरह से नींबू सेवन और इस्तेमाल किया जाता है। नींबू शरीर को रोग-सक्रामण वायरल से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। नींबू में प्राकृतिक रूप से विटामिन सी, कैलशियम, साइट्रिक एसिड, मैगनीशियम, फोस्फोरस, कार्बोहाइडेड, प्रोटीन तत्व मौजूद हैं। नीबू बहुत ही गुणकरी है। शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नींबू को "प्राकृतिक औषधि" भी कहा जाता है।
नीबू एक लाभ अनेक / नीबू से फायदे / Lemon Health Benefits / Nimbu ke fayde / Nimbu ke Aushadhi Gun / Healthy Lemon
नीबू पानी पीने से मोटापा कम होता है, क्योंकि नीबू में बिटामिन सी, साइट्रिक एसिड और पिकटिन नामक गुण होता है जोकि खाना पचाने में सहायक है और साथ में भूख भी कम लगती है। और नींबू शरीर से अतिरिक्त चर्बी घटाने में सहायक है। नींबू सेवन रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का अच्छा माघ्यम है।
चेहरे पर दाग, धब्बे, छाया होने पर नीबू को दूध मलाई के साथ मिश्रण कर चेहरे पर मलना चाहिए इससे चेहरे के सारे दाग 10 से 15 दिनों के अन्दर मिट जाते हैं।दाग-धब्बू मिटाने के लिए बहुत सारी कम्पनियां सौन्दर्य प्रोडक्स् बाजार में लाती है। इसलिए आपको समझना चाहिए कि नीबू सर्वगुण सम्पन्न है, जोकि शरीर के लिए लाभदायक है। यदि त्वचा तैलीय है तो रोज सुबह नीबू पानी पीने से त्वचा में साफ एवं निखार आता है।
पेट में कब्ज होने पर रोगी को रोज सुबह नीबूं शहद पानी पीने से कब्ज से जल्दी फायदा होता है और साथ में पाचन को ठीक करता है जिससे पेट साथ रहता है और कब्ज एसिडिटी नही होने देता।
नीबू में फिटकरी में मिलाकर लगाने से खुजली दूर होती है और साथ में नींबू को कोहनी पर रगड़ने से काली त्वचा का भाग साफ हो जाता है।
नीबू के शहद मिलाकर सुबह पीने से शरीर में दिनभर ऊर्जा बनी रहती है। साथ में पेशब से शरीर के अन्दर मौजूद जीवाणुओं को बाहर निकालता है। नीबू और शहद खाने से एन्टीबायोटिक और एइटियोसाईडेन्ट गुण प्राप्त होते हैं जोकि आने वाले रोगों और अन्य अन्दरूरी बीमारियों से बचाता है। 
गर्भा धारण के 3 महीने से प्रशव काल तक नीबूं की शिकंजी व नीबू पानी पीने से प्रसव कष्ट बहुत कम होता है। इसी लिए गर्भकाल में महिलाएं को नींबू शिंकजी व शहद के साथ देना चाहिए।
नीबू को गुनगुन पानी के साथ पीने से खून शुद्व होता है। नींबू पानी पेट पाचन के साथ शरीर पर एक तरह से प्राकृतिक निखार और त्वचा दमकाने सहायक है। नींबू पानी बहुगुणकारी औषधि पेय है।
कटहल रस, तेल, ग्रीस, केला रस, दाग धब्बे, धातु मैल निकालने और चमकाने में नींबू इस्तेमाल करें। नींबू एक तरह से क्लीनर का काम करता है।
हाई बी.पी, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण करने के लिए नींबू पानी पीयें। नींबू बीपी कोलेस्ट्रॉल से बचाने में सहायक है। नींबू हार्ट अटैक के रिस्क को घटाता है।
फैटी लीवर और लिवर सिरोसिस में आधा कप हरा धनिया रस में आध नींबू निचै़ड़ कर पीना फयदेमंद है। नींबू और हरा धनिया रस लीवर के लिए रामबाण औषधि रूप है।
पेट में कीड़े होने पर 1 नींबू रस को 5 ग्राम गुड़ और आधा चम्मच अजवाइन पाउडर के साथ सुबह शाम खाने से पेट कीड़ों का सफाया करने में सहायक है।
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margdarsanme · 3 years
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यूरिक एसिड ट्रीटमेंट uric acid treatment
यूरिक एसिड क्या बीमारी है ? : यूरिक एसिड का बढ़ने की समस्या बडी तेजी से बढ़ रही है। आयु बढ़ने के साथ-साथ यूरिक एसिड गाउट आर्थराइटिस समस्या का होना तेजी से आंका गया है। जोकि लाईफ स्टाईल, खान-पान, दिनचर्या के बदलाव से भोजन पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिक एसिड (न्यूक्लिओटाइडो) में बदलने की प्रक्रिया को यूरिक एसिड कहते हैं। 
भोजन पाचन प्रक्रिया दौरान प्रोटीन से ऐमिनो एसिड और प्यूरीन न्यूक्लिओटाइडो से यूरिक एसिड बनता है। यूरिक एसिड का मतलब है, जो भोजन खाया जाता है, उसमें प्यूरीन पोष्टिकता संतुलन की कमी से रक्त में असंतुलन प्रक्रिया है। 
जिससे प्यूरीन टूटने से यूरिक एसिड बनता है। यूरिक ऐसिड एक तरह से हड्डियों जोड़ों अंगों के बीच जमने वाली एसिड़ क्रिस्टल है। जोकि चलने फिरने में चुभन जकड़न, जोड़ों गांठों में सूजन दर्द होता है। जिसे यूरिक एसिड कहते हैं। शोध में यूरिक एसिड को शरीर में जमने वाले कार्बन हाइड्रोजन आक्सीजन नाइट्रोजन सी-5, एच-4, एन-4, ओ-3 का समायोजक माना जाता है। 
यूरिक एसिड समय पर नियत्रंण करना अति जरूरी है। यूरिक एसिड बढ़ने पर समय पर उपचार ना करने से जोड़ों गाठों का दर्द, गठिया रोग, किड़नी स्टोन, डायबिटीज, रक्त विकार होने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती है। यूरिक एसिड कण्ट्रोल करना अति जरूरी है। यूरिक एसिड को हाइपरयूरिसीमिया से भी जाना जाता है।
यूरिक एसिड ट्रीटमेंट / Uric Acid Treatment, Uric Acid Ka Ilaj
यूरिक एसिड़ लक्षण / Uric Acid Lakshan
पैरो-जोड़ों में दर्द होना।
पैर एडियों में दर्द रहना।
गांठों में सूजन
जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना।
एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द। फिर दर्द सामन्य हो जाना।
पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना।
शर्करा लेबल बढ़ना।
इस तरह की समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें।
यूरिक एसिड नियत्रंण के आर्युवेदिक तरीके / Uric Acid ka Ayurvedic ilaj, Uric Acid control, Uric Acid Treatment
यूरिक एसिड बढ़ने पर हाईड्रालिक फाइबर युक्त आहार खायें। जिसमें पालक, ब्रोकली, ओट्स, दलिया, इसबगोल भूसी फायदेमंद हैं।
आंवला रस और एलोवेरा रस मिश्रण कर सुबह शाम खाने से 10 मिनट पहले पीने से यूरिक एसिड कम करने में सक्षम है।
टमाटर और अंगूर का जूस पीने से यूरिक एसिड तेजी से कम करने में सक्षम है।
तीनो वक्त खाना खाने के 5 मिनट बाद 1 चम्मच अलसी के बीज का बारीक चबाकर खाने से भोजन पाचन क्रिया में यूरिक ऐसिड नहीं बनता।
1 चम्मच शहद और 1 चम्मच अश्वगन्धा पाउडर को 1 कप गर्म दूध के साथ घोल कर पीने से यूरिक एसिड नियत्रंण में आता है।
यूरिक एसिड बढ़ने के दौरान जैतून तेल का इस्तेमाल खाने तड़के-खाना बनाने में करें। जैतून तेल में विटामिन-ई एवं मिनरलस मौजूद हैं। जोकि यूरिक एसिड नियत्रंण करने में सहायक हैं।
यूरिक एसिड बढ़ने पर खाने से 15 - 20 मिनट पहले अखरोट खायें। अखरोट खाने से पाचन क्रिया शर्करा को ऐमिनो एसिड नियत्रंण करती है। जोकि प्रोटीन को यूरिक एसिड़ में बदलने से रोकने में सहायक है।
विटामिन सी युक्त चीजें खाने में सेवन करें। विटामिन सी यूरिक एसिड को मूत्र के रास्ते विसर्ज करने में सहायक है।
रोज 2-3 चैरी खाने से यूरिक एसिड नियत्रंण में रखने में सक्षम है। चेरी पैरों गांठों में एसिड क्रिस्टल नहीं जमने देती।
सलाद में आधा नींबू निचैड कर खायें। दिन में 1 बार 1 गिलास पानी में 1 नींबू निचैंड कर पीने से यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से निकलने में सक्षम है। चीनी, मीठा न मिलायें।
तेजी से यूरिक एसिड घटाने के लिए रोज सुबह शाम 45-45 मिनट तेज पैदल चलकर पसीना बहायें। तेज पैदल चलने से एसिड क्रिस्टल जोड़ों गांठों पर जमने से रोकता है। साथ में रक्त संचार को तीब्र कर रक्त संचार सुचारू करने में सक्षम है। पैदल चलना से शरीर में होने वाले सैकड़ों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। तेज पैदल चलना एसिड एसिड को शीध्र नियत्रंण करने में सक्षम पाया गया है। पसीना बहाने के बहुत से फायदे हैं।
बाहर का खाना पूर्ण रूप से बन्द कर दें। घर पर बना सात्विक ताजा भोजन खायें। खाने में ताजे फल, हरी सब्जियां, सलाद, फाइबर युक्त संतुलित पौष्टिक आहर लें।
रोज योगा आसान व्यायाम करें। रस्सीकूद, योग आसान, व्यायाय यूरिक एसिड को घटाने में मद्दगार है। साथ में योगा-आसान-व्यायाम करने से मोटापा - वजन नियत्रंण रहेगा। यूरिक एसिड कण्ट्रोल में रहता है।
ज्यादा सूजन दर्द में आराम के लिए गर्म पानी में सूती कपड़ा भिगो कर सेकन करें।
यूरिक एसिड समस्या शुरू होने पर तुरन्त जांच उपचार करवायें। यूरिक एसिड ज्यादा दिनों तक रहने से अन्य रोग आसानी से घर बना लेते हैं।
सुबह शाम 10-10 नींम हरी पत्तियां चबाकर खायें। यह तरीका भी यूरिक एसिड़ में पैरों, गांठों के दर्द से निजात दिलाने में सहायक है। नींम पत्तियां यूरिक एसिड़ नाशक है। नींम पत्तियां सेवन के साथ-साथ रोज फास्ट वाकिंग कर पसीना बहायें।
आधा नींबू, 50 ग्राम हरी अजमोद डंड़ियां, 50 ग्राम अदरक, 1 खीरा , सभी चीजों को बारीका से काट लें। फिर ऊपर से नींबू निचैड़े। स्वाद के लिए चुटकी भर काला नमक मिलायें।
यूरिक एसिड लेवल घटाने के लिए रोज लगभग आधा कप बथुआ का रस पीयें। 2 - 3 घण्टे बाद कुछ खायें।रोज सुबह नास्ते पहले और सोने से 10 मिनट पहले दोनो वक्त सेवन करें। यह खास औषधि तेजी से यूरिक एसिड घटाने में सहायक है।
यूरिक ऐसिड खान-पान परहेज, Uric Acid me Parhej
यूरिक एसिड बढ़ने पर मीट मछली सेवन तुरन्त बंद कर दें। नॉनवेज खाने से यूरिक एसिड तेजी से बढ़ाता है। दवाईयां असर कम करती है।
यूरिक एसिड बढ़ने पर अण्डा का सेवन पूर्ण रूप से बंद कर दें। अण्डा रिच प्रोटीन वसा से भरपूर है। जोकि यूरिक एसिड को बढ़ाता है।
बेकरी से बनी सही खाद्य सामग्री बंद कर दें। बेकरी फूड प्रीजरवेटिव गिला होता है। जैसेकि पेस्ट्री, केक, पैनकेक, बंन्न, क्रीम बिस्कुट इत्यादि।
यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त जंकफूड, फास्ट फूड, ठंडा सोडा पेय, तली-भुनी चीजें बन्द कर दें। जंकफूड, फास्टफूड, सोडा ठंडा पेय पाचन क्रिया को और भी बिगाड़ती है। जिससे एसिड एसिड तेजी से बढ़ाता है।
अधिक ठंड़ा पानी पीने से बचें। सादा शुद्ध पानी पीयें। अधिक ठंड़ा पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
चावल, आलू, तीखे मिर्चीले, चटपटा, तले पकवानों का पूरी तरह से खाना बन्द कर दें। यह चीजें यूरिक एसिड बढ़ाने में सहायक हैं।
बन्द डिब्बा में मौजूद हर तरह की सामग्री ��ाना पूरी तरह से बंद कर दें। बन्द डब्बे की खाने पीने की चीजों में भण्डारण के वक्त कैम्किल रसायन मिलाया जाता है। जैसे कि तरह तरह के प्लास्टिक पैक चिप्स, फूड इत्यादि। हजारों तरह के बन्द डिब्बों और पैकेट की खाद्य सामग्री यूरिक एसिड तेजी बढ़ाने में सहायक है। पलास्टिक पैक्ड फूड्स और प्लास्टिक में खाने पीने की चीजें गर्म करने से बचें। प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
एल्कोहल का सेवन पूर्ण रूप से बन्द कर दें। बीयर, शराब यूरिक एसिड तेजी से बढ़ती है। शोध में पाया गया है कि जो लोग लगातार बीयर शराब नशीली चीजों का सेवन करते हैं, 70 प्रतिशत उनको सबसे ज्यादा यूरिक एसिड की समस्या होती है। यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त बीयर, शराब पीना बन्द कर दें। बीयर शराब स्वस्थ्य व्यक्ति को भी रोगी बना देती है। बीयर, शराब नशीली चीजें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
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margdarsanme · 3 years
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यूरिक एसिड ट्रीटमेंट uric acid treatment
यूरिक एसिड क्या बीमारी है ? : यूरिक एसिड का बढ़ने की समस्या बडी तेजी से बढ़ रही है। आयु बढ़ने के साथ-साथ यूरिक एसिड गाउट आर्थराइटिस समस्या का होना तेजी से आंका गया है। जोकि लाईफ स्टाईल, खान-पान, दिनचर्या के बदलाव से भोजन पाचन प्रक्रिया के दौरान बनने वाले ग्लूकोज प्रोटीन से सीधे यूरिक एसिड (न्यूक्लिओटाइडो) में बदलने की प्रक्रिया को यूरिक एसिड कहते हैं। 
भोजन पाचन प्रक्रिया दौरान प्रोटीन से ऐमिनो एसिड और प्यूरीन न्यूक्लिओटाइडो से यूरिक एसिड बनता है। यूरिक एसिड का मतलब है, जो भोजन खाया जाता है, उसमें प्यूरीन पोष्टिकता संतुलन की कमी से रक्त में असंतुलन प्रक्रिया है। 
जिससे प्यूरीन टूटने से यूरिक एसिड बनता है। यूरिक ऐसिड एक तरह से हड्डियों जोड़ों अंगों के बीच जमने वाली एसिड़ क्रिस्टल है। जोकि चलने फिरने में चुभन जकड़न, जोड़ों गांठों में सूजन दर्द होता है। जिसे यूरिक एसिड कहते हैं। शोध में यूरिक एसिड को शरीर में जमने वाले कार्बन हाइड्रोजन आक्सीजन नाइट्रोजन सी-5, एच-4, एन-4, ओ-3 का समायोजक माना जाता है। 
यूरिक एसिड समय पर नियत्रंण करना अति जरूरी है। यूरिक एसिड बढ़ने पर समय पर उपचार ना करने से जोड़ों गाठों का दर्द, गठिया रोग, किड़नी स्टोन, डायबिटीज, रक्त विकार होने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती है। यूरिक एसिड कण्ट्रोल करना अति जरूरी है। यूरिक एसिड को हाइपरयूरिसीमिया से भी जाना जाता है।
यूरिक एसिड ट्रीटमेंट / Uric Acid Treatment, Uric Acid Ka Ilaj
यूरिक एसिड़ लक्षण / Uric Acid Lakshan
पैरो-जोड़ों में दर्द होना।
पैर एडियों में दर्द रहना।
गांठों में सूजन
जोड़ों में सुबह शाम तेज दर्द कम-ज्यादा होना।
एक स्थान पर देर तक बैठने पर उठने में पैरों एड़ियों में सहनीय दर्द। फिर दर्द सामन्य हो जाना।
पैरों, जोड़ो, उगलियों, गांठों में सूजन होना।
शर्करा लेबल बढ़ना।
इस तरह की समस्या होने पर तुरन्त यूरिक एसिड जांच करवायें।
यूरिक एसिड नियत्रंण के आर्युवेदिक तरीके / Uric Acid ka Ayurvedic ilaj, Uric Acid control, Uric Acid Treatment
यूरिक एसिड बढ़ने पर हाईड्रालिक फाइबर युक्त आहार खायें। जिसमें पालक, ब्रोकली, ओट्स, दलिया, इसबगोल भूसी फायदेमंद हैं।
आंवला रस और एलोवेरा रस मिश्रण कर सुबह शाम खाने से 10 मिनट पहले पीने से यूरिक एसिड कम करने में सक्षम है।
टमाटर और अंगूर का जूस पीने से यूरिक एसिड तेजी से कम करने में सक्षम है।
तीनो वक्त खाना खाने के 5 मिनट बाद 1 चम्मच अलसी के बीज का बारीक चबाकर खाने से भोजन पाचन क्रिया में यूरिक ऐसिड नहीं बनता।
1 चम्मच शहद और 1 चम्मच अश्वगन्धा पाउडर को 1 कप गर्म दूध के साथ घोल कर पीने से यूरिक एसिड नियत्रंण में आता है।
यूरिक एसिड बढ़ने के दौरान जैतून तेल का इस्तेमाल खाने तड़के-खाना बनाने में करें। जैतून तेल में विटामिन-ई एवं मिनरलस मौजूद हैं। जोकि यूरिक एसिड नियत्रंण करने में सहायक हैं।
यूरिक एसिड बढ़ने पर खाने से 15 - 20 मिनट पहले अखरोट खायें। अखरोट खाने से पाचन क्रिया शर्करा को ऐमिनो एसिड नियत्रंण करती है। जोकि प्रोटीन को यूरिक एसिड़ में बदलने से रोकने में सहायक है।
विटामिन सी युक्त चीजें खाने में सेवन करें। विटामिन सी यूरिक एसिड को मूत्र के रास्ते विसर्ज करने में सहायक है।
रोज 2-3 चैरी खाने से यूरिक एसिड नियत्रंण में रखने में सक्षम है। चेरी पैरों गांठों में एसिड क्रिस्टल नहीं जमने देती।
सलाद में आधा नींबू निचैड कर खायें। दिन में 1 बार 1 गिलास पानी में 1 नींबू निचैंड कर पीने से यूरिक एसिड मूत्र के माध्यम से निकलने में सक्षम है। चीनी, मीठा न मिलायें।
तेजी से यूरिक एसिड घटाने के लिए रोज सुबह शाम 45-45 मिनट तेज पैदल चलकर पसीना बहायें। तेज पैदल चलने से एसिड क्रिस्टल जोड़ों गांठों पर जमने से रोकता है। साथ में रक्त संचार को तीब्र कर रक्त संचार सुचारू करने में सक्षम है। पैदल चलना से शरीर में होने वाले सैकड़ों से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। तेज पैदल चलना एसिड एसिड को शीध्र नियत्रंण करने में सक्षम पाया गया है। पसीना बहाने के बहुत से फायदे हैं।
बाहर का खाना पूर्ण रूप से बन्द कर दें। घर पर बना सात्विक ताजा भोजन खायें। खाने में ताजे फल, हरी सब्जियां, सलाद, फाइबर युक्त संतुलित पौष्टिक आहर लें।
रोज योगा आसान व्यायाम करें। रस्सीकूद, योग आसान, व्यायाय यूरिक एसिड को घटाने में मद्दगार है। साथ में योगा-आसान-व्यायाम करने से मोटापा - वजन नियत्रंण रहेगा। यूरिक एसिड कण्ट्रोल में रहता है।
ज्यादा सूजन दर्द में आराम के लिए गर्म पानी में सूती कपड़ा भिगो कर सेकन करें।
यूरिक एसिड समस्या शुरू होने पर तुरन्त जांच उपचार करवायें। यूरिक एसिड ज्यादा दिनों तक रहने से अन्य रोग आसानी से घर बना लेते हैं।
सुबह शाम 10-10 नींम हरी पत्तियां चबाकर खायें। यह तरीका भी यूरिक एसिड़ में पैरों, गांठों के दर्द से निजात दिलाने में सहायक है। नींम पत्तियां यूरिक एसिड़ नाशक है। नींम पत्तियां सेवन के साथ-साथ रोज फास्ट वाकिंग कर पसीना बहायें।
आधा नींबू, 50 ग्राम हरी अजमोद डंड़ियां, 50 ग्राम अदरक, 1 खीरा , सभी चीजों को बारीका से काट लें। फिर ऊपर से नींबू निचैड़े। स्वाद के लिए चुटकी भर काला नमक मिलायें।
यूरिक एसिड लेवल घटाने के लिए रोज लगभग आधा कप बथुआ का रस पीयें। 2 - 3 घण्टे बाद कुछ खायें।रोज सुबह नास्ते पहले और सोने से 10 मिनट पहले दोनो वक्त सेवन करें। यह खास औषधि तेजी से यूरिक एसिड घटाने में सहायक है।
यूरिक ऐसिड खान-पान परहेज, Uric Acid me Parhej
यूरिक एसिड बढ़ने पर मीट मछली सेवन तुरन्त बंद कर दें। नॉनवेज खाने से यूरिक एसिड तेजी से बढ़ाता है। दवाईयां असर कम करती है।
यूरिक एसिड बढ़ने पर अण्डा का सेवन पूर्ण रूप से बंद कर दें। अण्डा रिच प्रोटीन वसा से भरपूर है। जोकि यूरिक एसिड को बढ़ाता है।
बेकरी से बनी सही खाद्य सामग्री बंद कर दें। बेकरी फूड प्रीजरवेटिव गिला होता है। जैसेकि पेस्ट्री, केक, पैनकेक, बंन्न, क्रीम बिस्कुट इत्यादि।
यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त जंकफूड, फास्ट फूड, ठंडा सोडा पेय, तली-भुनी चीजें बन्द कर दें। जंकफूड, फास्टफूड, सोडा ठंडा पेय पाचन क्रिया को और भी बिगाड़ती है। जिससे एसिड एसिड तेजी से बढ़ाता है।
अधिक ठंड़ा पानी पीने से बचें। सादा शुद्ध पानी पीयें। अधिक ठंड़ा पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
चावल, आलू, तीखे मिर्चीले, चटपटा, तले पकवानों का पूरी तरह से खाना बन्द कर दें। यह चीजें यूरिक एसिड बढ़ाने में सहायक हैं।
बन्द डिब्बा में मौजूद हर तरह की सामग्री खाना पूरी तरह से बंद कर दें। बन्द डब्बे की खाने पीने की चीजों में भण्डारण के वक्त कैम्किल रसायन मिलाया जाता है। जैसे कि तरह तरह के प्लास्टिक पैक चिप्स, फूड इत्यादि। हजारों तरह के बन्द डिब्बों और पैकेट की खाद्य सामग्री यूरिक एसिड तेजी बढ़ाने में सहायक है। पलास्टिक पैक्ड फूड्स और प्लास्टिक में खाने पीने की चीजें गर्म करने से बचें। प्लास्टिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
एल्कोहल का सेवन पूर्ण रूप से बन्द कर दें। बीयर, शराब यूरिक एसिड तेजी से बढ़ती है। शोध में पाया गया है कि जो लोग लगातार बीयर शराब नशीली चीजों का सेवन करते हैं, 70 प्रतिशत उनको सबसे ज्यादा यूरिक एसिड की समस्या होती है। यूरिक एसिड बढ़ने पर तुरन्त बीयर, शराब पीना बन्द कर दें। बीयर शराब स्वस्थ्य व्यक्ति को भी रोगी बना देती है। बीयर, शराब नशीली चीजें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
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margdarsanme · 3 years
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एल्युमीनियम बर्तनों के दुष्प्रभाव aluminum bartan ke nuksan
क्यों हानिकारक हैं एल्युमीनियम के बर्तन ?
सिलिकाॅन और आक्सीजन के बाद धरती की सतह पर अधिक मात्रा में पाया जाने वाली धातु एल्युमीनियम ही है। एल्युमीनियम बर्तनों इस्तेमाल लगभग सभी घरों में होता है। एल्युमीनियम बर्तनों में कड़ाही, फ्राईंग पैन, कुकरप्रेशर, पतीला, देगची, केतली, ड्रम, माईक्रोवेव और बाल्टी का उपयोग अधिक है। 
एल्युमीनियम काफी हल्का धातु भी होता है। जोकि ऊष्मा का अधिक सुचालक है। कम ऊर्जा में अधिक गर्म हो जाता है। सभी धातुओं में एल्युमीनियम बहुउयोगी धातु है। एल्युमीनियम बर्तन, इंजीनियरिंग, पेयपदार्थ केन, सौंन्दर्य प्रसाधनों एवं औद्योगिक क्षेत्र में अधिक उपयोग होता है। परन्तु वनस्पति विज्ञान में एल्युमीनियम का उल्लेख नहीं मिलता। क्योंकि एल्युमीनियम खास धातु के श्रेणी में नही आता। नाहि इसके अवशेष फायदेमंद हैं।
शरीर भी एल्युमीनियम लवणों को पसीने, मल, मूत्र, बालों, नाखूनों और त्वचा की बाहरी परत के माध्यम से निरन्तर निकालता रहता है। फिर भी रोज शरीर में लगभग 15 मिलीग्राम से 20 मिलीग्राम तक एल्युमीनियम आक्साइड जमा रहता है। अधिक मात्रा में एल्युमीनियम बर्तनों के गलत इस्तेमाल से लवण शरीर में जमा होने लगते हैं। जोकि स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। क्योंकि एल्युमीनियम में लेड कैडमियम और आर्सेनिक जैसे घातक तत्व भी मौजूद होते हैं।
एल्युमीनियम बर्तनों के इस्तेमाल से नुकसान और सावधानियां / Aluminum Bartan ke Nuksan
एल्युमीनियम धातु में ऊष्मा का जल्दी संचलित होने का गुण है। एल्युमीनियम बर्तन स्टील बर्तनों की तरह जल्दी गर्म होते हैं। जिससे रसोई गैस, चूल्हा ज्यादा जलने की भी बचत होती है। परन्तु अधिक मात्रा में एल्युमीनियम बर्तनों का इस्तेमाल हानिकारक है।
एल्युमीनियम बर्तनों का जला हुआ भोजन भी घातक होता है। कई बार चावल, दाल आदि बनाते वक्त भोजन सड़- जलने लगता है। एल्युमीनियम बर्तनों के सड़े जले भोजन में एल्युमीनियम लवण अधिक मात्रा में इकत्रित हो जाते हैं। हमेशा हल्की आंच का इस्तेमाल करें।
एल्युमीनियम बर्तन अचार, खट्टी चीजों को जल्दी और ज्यादा खटाई बनाती हैं। परन्तु एल्युमीनियम बर्तन में ज्यादा देर तक खाना रहने से भोजन पौषक तत्व कम हो जाते हैं।
एल्युमीनियम बर्तनों की चीजें ज्यादा देर तक रहने से विषाक्त रूप ले सकती हैं। जोकि अधिक मात्रा में एल्युमीनियम लवण अवशोषित कर देती हैं।
खाने पीने के चीजों को ज्यादा देर तक एल्युमीनियम बर्तनों नहीं रखें। खाने पीनी की चीजें ज्यादा देर तक एल्युमीनियम बर्तनों रखने से खाने योग्य नहीं रहती हैं।
एल्युमीनियम बर्तनों में अचार, नमक, मसाले, दूध, घी, दही, आईसक्रीम और पानी नहीं रखें। इस तरह के खाद्यसामग्री एल्युमीनियम बर्तनों में जल्दी अभिक्रिया करती है।
एल्युमीनियम बर्तनों से ज्यादा सिलिकाॅन बर्तनों का इस्तेमाल फायदेमंद है।
एल्युमीनियम बर्तनों में ज्यादा देर तक खाने पीने की चीजें रहने पर व्यक्ति को खुद स्वाद फीका और रंग बदला नजर आता है। एल्युमीनियम बर्तनों के इस्तेमाल ध्यानपूर्वक करें।
एल्युमीनियम धातु से बने कोल्ड ड्रिंक केन, बीयर केन, जूस केन और हर तरह की खाद्य सामग्री हानिकारक होती हैं। बड़ी बड़ी नामी कम्पनियां एल्युमीनियम धातु से पतली पतली केन, डिब्बे, बोतले बनाकर उनमें खाद्य सामग्री, सौन्दर्य प्रसाधन, दैनिक दिनचर्या में इस्तेमाल होने वाली चीजें पैक सीलबंद कर बेचती हैं।
एल्युमीनियम धातु स्वास्थ्य किसी धीमे जहर से कम नहीं है। क्योंकि बहुत ही कम कम्पनियों के एल्युमीनियम धातु से बने केन, बर्तन एनोडाइज होते हैं। अन्यथा सभी कम लागत में सस्ते एल्युमीनियम धातु का इस्तेमाल करती है।
एल्युमीनियम बर्तनों के गलत और अधिक इस्तेमाल करने से गुर्दें, दिमाग, हृदय, आंखों, दातों, हड्डियों और पाचन तंत्र पर पड़ता है। एल्युमीनियम इस्तेमाल हमेशा ध्यानपूर्वक करें।
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margdarsanme · 3 years
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सफल माता-पिता की बच्चों के लिए कौशल, निपुर्ण नीतियां Best Parenting Skills in Hindi
Good Parenting Tips : बच्चे मासूम होते हैं। मासूमियत की वजह से अकसर कई बार बच्चें मना करने के बाद भी मनमानी करते हैं। जिसके कारण पेरेंट्स अभिभावक अपना गुस्सा डांट मासूम बच्चों पर उतारते हैं। बच्चों के साथ हमेशा मुस्कुराहट - प्यार से पेश आयें। ताकि बच्चे पेरेंट्स को दोस्त की तरह समझें। शोध अनुसार 91 प्रतिशत पेरेंट्स बच्चों को समझ नहीं पाते हैं। पेरेंट्स और बच्चों के बीच में बड़ा गैप हो जाता है। जिसके कारण बच्चों का रवैया बर्ताव बदमिजाज दिल दुखदाई बनने लगता है। और बच्चे पेरेंट्स अभिभावकों से दूर बनाने लगते हैं। परिणाम स्वरूप बच्चे पेरेंट्स अभिभावकों की खास बाते इग्नोर करते हैं। जिससे बच्चे पेरेंट्स विरोधी होने लगते हैं। बच्चों को समझें और बच्चों की छोटी-मोटी समस्याओं को सुने और समाधान करें। बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल के साथ बच्चों की भावनाओं समझना भी अति जरूरी है। बच्चों शैक्षणिक शिक्षा, सेहत देखभाल के साथ-साथ नैतिक शिक्षा, अनुशासन, सही व्यवहार, सही गलत में अन्तर जैसे विभिन्न पहलुओं से अवगत करवाना अति जरूरी है। जिन्हें Good Parenting, Effective Parenting कहा जाता है।
माता-पिता का बच्चों के प्रति कर्त्तव्य, निपुर्ण नीतियां / पेरेंटिंग टिप्स / पॉज़िटिव बेस्ट पेरेंटिंग टिप्स (Positive Best Parenting Tips), Good Parenting Skills Hindi Tips
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अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करें  कई पेरेंट्स बात-बात में अपने बच्चों के सामने दूसरे बच्चों की तरीफ और अच्छा प्रतियोगी मानने लगते हैं। जिससे बच्चों में एक तरह से नकारात्मक सोच बनती जाती है। बच्चों के व्यवहार में हीनभावना पैदा होने लगती है। बार-बार बच्चों को कोसने डाटने से बच्चे एकान्त पसंद, गुस्सा- मनमानी व्यवहार से ग्रसित होने लगते हैं। बच्चे होमवर्क, स्टडी काॅम्पिटिशन और अन्य विभिन्न तरह की प्रतियोगिताओं में कमजोर रिजल्ट आने पर उनका आत्मविश्वास घटाये नहीं। बच्चों को डाटें कोसें नहीं। बच्चों का उत्साह बढ़ाये। आने वाले अवसरों के लिए बच्चों को अच्छे से तैयारी करवायें। जिससे बच्चों का आत्मविश्वास मजबूत बनें, और बच्चें आने वाली स्टडी काॅम्पिटिशन एव अन्य तरह की प्रतियोगिताओं के अच्छे से तैयार रहें। अकसर बच्चे धीरे-धीरे ग्रोथ की ओर बढ़ते हैं। धीमी ग्रोथ भी धीरे-धीरे बढ़कर सफलता की चरम सीमा पर पहुंच जाती है। इसलिए जरूरी है कि अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों की ग्रोथ से नहीं करें। अपने बच्चों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए उनका उत्साह बढ़ायें। बच्चों की छोटी-मोटी खुशियों में शामिल रहें। बच्चों को बात बात में शाबाशी दें। बच्चों के लिए समय निकालें  अकसर अधिकत्तर पेरेंट्स नौकरीपेशा या व्यवसायी होते हैं। जिसके कारण पेरेंट्स बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं। और बच्चे चिड़चिड़े, गुस्सेबाज, एकान्तावास और सुस्त हो जाते हैं। बच्चों से दोस्त तरह रहें। जाॅब, बिजिनेस के साथ बच्चों को भी पूरा वक्त दें। घर से बाहर रहने पर भी बच्चों से फोन आदि के माध्यम से जुड़े रहें। बच्चों की हर बात सुनें, फिर प्यार से जबाव दें। और बच्चों की समस्याएं सुलझाएं। छुट्टी वाले दिन बच्चों के साथ रहें, उन्हें घुमाने ले जायें। बच्चों के साथ खूब एन्जाॅय करें। बच्चों को अकेलापन महसूस नहीं होने दें। बच्चों से झूठा वादा नहीं करें  कई बार पेरेंट्स बच्चों से छोटी-छोटी बातों में झूठ बोलकर पीछा छुड़ा देते हैं। परन्तु बच्चे बहुत स्मार्ट होते हैं। बच्चों पेरेंट्स का वादा कभी नहीं भूलते हैं। समय आने पर बच्चे किए गये वादे पर खिलौना, वस्तु, घूमने, फिरने आदि तरह से वादा पूरा करने की जिद्द करते हैं। फिर पेरेंट्स लाचार हो जाते हैं। जिससे बच्चे पेरेंट्स को झूठा, फेंकू और अन्फे्रंडली समझने लगते हैं। बच्चों को घर की वित्तीय समस्याएं और उलझनों के बारे में बतायें। वित्तीय स्थिति खराब होने पर बच्चों के समक्ष बात रखें। बच्चों को घर के दैनिक खर्चें और वित्तीय स्थिति से अवगत करायें। बच्चों से घर वित्तीय स्थिति के बारे में बनायें और फालतू खर्च, सेविंगस से अवगत करायें। बच्चों की जिद से पीछा छुडाने के लिए झूठा वादा नहीं करें। बच्चों को निराश, चिड़चिड़े, गुस्सेबाज, अकेलापन से बचायें। पेरेंट्स के झूठे वादे करने, और बोलने की आदत से बच्चे भी पेरेंट्स से झूठ बोलना सीखते हैं।
बच्चों के साथ खेलें, टीबी देखें और बच्चों के मन की बात जानें 
बच्चों के साथ खेलें, साथ में बैठकर टीवी देखें, बच्चे मोबाईल में सर्च कर रहे हैं, कौन सी गेम्स खेल रहे हैं, सब चीजों पर बारीक नजर रखें। बच्चों के साथ खूब इन्जाॅय करें। बच्चों के साथ दोस्त की तरह पेश आयें। जिससे बच्चे अपने मन की हर बात आप तक आसानी से बोल दें। और पेरेंट्स बच्चों की हर तरह की मन की बातों और दैनिक दिनचर्या में होने वाली विषयों से अपडेट रह सकें। गलत दिखने पर बच्चों का सही मार्गदर्शन कर सकें। माता-पिता सबसे अच्छे शिक्षक  बच्चों के साथ खुलकर बाते हैं। बच्चों को सही और गलत से अवगत करवाते रहें। क्योंकि बच्चों के लिए पेरेंट्स की भूमिका बेस्ट टीचर रूप में होती है। है। बच्चों की समस्याओं को सुलझाएं, बच्चों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन, अकेलापन आदि समस्या जटिल होने पर चाईल्ड काउंसर को दिखायें। कई बार बच्चे पेरेंट्स के बजाय काउंसलर की बातों से ज्यादा प्रभावित होकर उत्साहित एवं मांसिक रूप से स्वस्थ हो जाते हैं। आॅफिस, व्यवसाय व्यस्थ दिनचर्या से समय निकालकर बच्चों से खूब बाते करें। बच्चों को सही गलत में अन्तर दिखायें और बच्चों का सही मार्गदर्शन करें। बच्चों की रूचि को समझें। और बच्चों को सफलता की ओर बढ़ाने के लिए उत्साहित करते रहें। बच्चों का सही विकास मार्गदशन करें  बच्चे जन्म से लेकर युवा अवस्था तक आते-आते पेरेंट्स से बहुत कुछ सीखता है। घर का माहौल बच्चों का भविष्य निर्धारित करता है। बच्चों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक विभिन्न पहलुओं से अवगत करवाते रहें। बच्चों को दूसरों की गलतियों कमजोरियों से सीख लेने की आदत डालवायें। घर, परिवार, समाज अपने आसपास होने वाली अच्छी बुरी घटनाओं से विशलेषण कर सही मार्गदर्शन करवायें। हमेशा अपने उत्तम ज्ञान बच्चों में बांटे। और बच्चों के से ज्ञानवधर्क तथ्यों - विषयों पर खूब चर्चा करें। बच्चों की प्रशंसा करें  बच्चों को प्यार करें। होमवर्क, स्पोट्स या फिर अन्य तरह से कुछ भी अच्छा करने पर नाईस, गुड़, वेलडन, वैरी गुड़ कहकर बात-बात में प्रशंसा करें। बच्चें क्रेडिट पाने से अधिक उत्साहित और प्रोत्साहित होते हैं। और भिविष्य में अच्छा करने की ललक बनी रहती है। कई पेरेंट्स अपने बच्चों के सामने दूसरे बच्चों प्रसंशा करते हैं, और अपने बच्चों को नालायक, मंदबुद्धि बताते हैं। अपने बच्चों को कोसें नहीं, बच्चों का उत्साह प्रोत्साहन बढ़ायें। क्योंकि आज का बच्चा कल का भविष्य है। लड़का-लड़की को समान समझें, भेदभाव करने से बचें  अकसर कई पेरेंट्स बच्चों में भेदभाव करते हैं। लड़का - लड़की को अलग-अलग दर्जा देते हैं। बच्चों को समान प्यार और अवसर दें। उदाहरण के लिए यदि लड़के अच्छी एजुकेशन, महंगे खिलौंना, अच्छे कपड़े, टाॅफी, बिस्किट, आदि मनपसंद चीजों के हकदार हैं तो लड़कियां भी उतनी ही हकदार हैं। दोनों को समान रूप से आंकें। समान रूप से लाड़ प्यार दुलार करें। अकसर कई बार भाई-बहन में भी आपस में लाड़ प्यार दुलार को लेकर शिकायत द्धेष भावना जाग्रत हो जाती है। और बच्चों को भेदभाव द्धेष से दूर रखें। बच्चों को हमेशा अच्छी शिक्षा प्रदान करें। निपुर्ण नीतियां बच्चों के चहुमुखी विकार के लिए अति जरूरी है। उपरोक्त सभी विचार अच्‍छी पेरेंटिंग टिप्स हैं।
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margdarsanme · 3 years
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व्यायाम से महत्वपूर्ण फायदे Benefits of Exercise in Hindi
स्वस्थ निरोग व लम्बी आयु को पाना हर किसी की तम्मना होती है। नित्य व्यायाम करना हर व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी है। यह हर कोई जानता है, परन्तु अधिकत्तर व्यक्ति रोज योगा व्यायाम नही कर पाते और संतुलित पौष्टिक आहार नहीं ले पाते। दौड़ती भागती व्यस्त जीवन शैली में व्यक्ति खानपान, व्यायाम व सन्तुलित आहार प्रणाली का विशेष ध्यान देना जरूरी है।
स्वस्थ शरीर के लिए रोज व्यायाम करना जितना जरूरी है, और फायदों के बारे में भी जानना जरूरी है। जिससे व्यक्ति योगा व्यायाम दैनिक दिनचर्या में शामिल कर सके। रोज लगभग 1 घण्टे योगा व्यायाम करने के फायदे आपको विस्तार से बता रहे हैं, जिससे जो लोग व्यायाम में रूचि नहीं लेते वे भी रूचि के साथ व्यायाम कर सकेगें, व स्वस्थ, निरोग, दीर्घ आयु जीवन यापन कर पायेगें।
व्यायाम से महत्वपूर्ण फायदे / Benefits of Exercise in Hindi / Vyayam ke Fayde / Incredible Benefits of Regular Exercise
नित्य व्यायाम से तन व मन दोनों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। रोज व्यायाम करने से दिमाग शांत रहता है। व्यायाम से मस्तिष्क पर सीधा असर होता है। जोकि पार्किनसन्स, अल्जीर्मस जैसी दिमागी बीमारियों से बचाता है। रोज 30 मिनट व्यायाम जरूरी है।
व्यायाम करने से चुन्ताओं से मुक्ति मिलती है। दिमाग में नई कोशिकओं के विकास होने से आत्मविश्वास बढ़ता है। और कफी हद तक चिन्ताओं का समाधान मिल जाता है। इसके लिए मस्तिष्क योगा व व्यायाम जरूरी है।
रोज व्यायाम करने से हदृय रोगों से छुटकारा मिलता है। दिल की रक्त वाहिकायें समान्तर रूप से रक्त संचार करती है। जिससे हदृय रोग होने से बचाता है। और हदृय रोगी के लिए और भी ज्यादा फायदेमंद है।
मोटापा व वजन को नियन्त्रण रख पाने में व्यायाम की प्रमुख भूमिका है। सन्तुलित पोष्टिक आहार के साथ साथ रोज 45 मिनट व्यायाम अत्यन्त लाभदायक है। मोटापा होना बीमारियों को निमन्त्रण देने के बराबर है। इसलिए रोज सुबह शाम व्यायाम करें।
उम्र बढ़ने के साथ साथ व्यक्ति को मधुमेह का खतरा और भी बढ़ जाता है। रोज सुबह शाम व्यायाम करने से कोलेस्ट्रॉल नियन्त्रण में रहता है। और मधुमेह से छुटकारा पाने में सक्षम है रोज व्यायाम करना।
उच्च रक्तचाप ब्लड़प्रेशर व्यक्ति को सुस्त व गतिहीन करती है। जिससे व्यक्ति मौत की ओर अग्रसर होता है। रक्तचाप नियन्त्रण में करने के लिए प्रतिदिन व्यायाम जरूरी है जिससे मांसपेशियां सही तरीके शिथिल व रक्तचाप नियंत्रण में रहता है।
नित्य व्यायाम से शरीर से पसीना आने से रक्तवाहिकायें व कोशिकायें मांसपेशियों से सन्तुलित रह कर रक्तप्रवाह करती है। पसीने आने से त्वचा के छिद्र से गन्द, मैल निकालने, आक्सीजन प्रवाहित करने में सहायक है। इसलिए खूब व्यायाम करें और पसीना बहायें।
व्यायाम करने से मांसपेशियां, धमनियों मजबूत बनाये रखने में सहायक है। और कोलेस्ट्रॉल नियत्रण में रहता है और मजबूत शरीर बुढापे में आसानी से इधर उधर चलने - फिरने में आसानी रहती है। व्यायाम से पीठ दर्द, हडिडृयों के दर्द से छुटकारा दिलाने में सहायक है।
व्यायाम से शरीर ऊर्जावान चुस्त फुर्तीला रहता है। शरीर में ऊर्जा संचार के साथ साथ मन सहनशक्ति विवेक व सकारात्मक सोच बनाता है। रोज व्यायाम करने से नींद समस्या से आसानी से छुटकारा मिल जाता है।
नित्य योगा व्यायाम ��े कैंसर, आंतों की समस्या, फेफडों की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। व्यायाम से रक्त सम्पूर्ण शरीर में प्यूरीफाई फिलटर का काम करता है। नई रक्त कोशिकओं-सेल्स का निमार्ण करता है। 
पोष्टिक सन्तुलित आहार के साथ - साथ रोज व्यायाम अति जरूरी है। रोज व्यायाम करें और शरीर को चुस्त फुर्तीला, ऊर्जावान बनायें और जीवन स्वस्थ के साथ दीर्घायु होने का सपना पूर्ण करें।
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margdarsanme · 3 years
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मयूरासन के फायदे व विधि Mayurasana Benefits in Hindi
मयूरासन, मयूर की तरह किया जाने वाला आसन है। मयूरासन में शरीर की आकृति मयूर की तरह बन जाती है। मयूरासन में पूरे शरीर का भार केवल दोनों हाथों पर टिकाना पड़ता है। और संतुलन बनाकर रखना पड़ता है। मयूरासन करने का तरीका और मयूरासन करने से फायदें ।
मयूरासन के फायदे व विधि / Mayurasana Benefits / Mayurasana ke fayde
दृष्टि विकार मिटाये  आंखों सम्बन्धित विकारों को दूर करने के लिए मयूरासन अच्छा माध्यम है। आंखों की दृष्टि से सम्बन्धित समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मयूरासन सक्षम है। पाचन तंत्र  मयूरासन  पाचन तंत्र को सुचारू दुरूस्त रखने में सक्षम है। पेट की गैस, पेट में दर्द रहना, पेट साफ न रहना, पेट भारी लगना में मयूरासन पेट से सम्बन्धित बीमारियों को दूर करने में सहायक है। आंतरिक तंत्र मयूरासन शरीर के आंतरिक तत्रं जैसेकि यकृत, आमाश्य, गुर्दे, अग्नाश्य, फेफड़ों इत्यादि समस्याओं को दूर करने में सक्षम है। त्वचा एंव मांसपेशियों  मयूरासन त्वचा में चमक, रक्त संचार को सुचारू करने में सहायक है। पैर, हाथ, कन्धे की मांसपेशियां खिच जाती है और मजबूत बनती है। मधुमेह  मधुमेह रोग होने पर रोज मयूरासन करने से मधुमेह नियत्रंण में रहता है। मयूरासन करने से शरीर चुस्त व फुर्तीला बना रहता है। मयूरासन एक तरह से डायबिटीज निवारण योगा है। आंतों और मूत्राशय  मयूरासन क��ने से आंतों और मूत्राशय से सम्बन्धित समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। मयूरासन की विधि  स्टेप 1: मयूरासन करने के लिए सबसे पहले दोनो घुटनों के बल पर बैठें, फिर धीरे से आगे की ओर सीधे झुकें। स्टेप 2: आगे की ओर दोनों हाथों की कोहनियां मोड़कर पेट नाभि पर सटा यें। फिर शरीर का पूरा संतुलन पंजों हाथों के बल पर रखें और धीरे धीरे पैर और शरीर सीधा करें। स्टेप 3: शरीर मयूर की तरह दिखना चाहिए। दोनों हाथों पर शरीर का पूरा संतुलन पड़ता है। संतुलन बनाकर रखें। नित्य मयूरासन करने से अभ्यास अच्छा हो जाता है। मयूरासन  में सावधानियां
मयूरासन खाली पेट करें, हर आसन खाली पेट करना अच्छा होता है।
मयूरासन को पहले अच्छे से समझें और फिर दोहरायें।
मयूरासन जानकार एक्सपर्ट की देखरेख में करें।
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margdarsanme · 3 years
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सिद्वासन बढ़ाये ध्यान स्मरण शक्ति Learn to Concentrate Siddhasana in Hindi
शरीर सात चक्र से बना हुआ है। जिसमें मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्वि, आज्ञा, सहस्रार प्रमुख हैं। सभी चक्रों का अलग अलग काम हैं। शरीर में शक्ति ऊपर दिशा मूलाधार चक्र से होकर सहस्रार चक्र में जाती है। हमारी जीवन व्यस्तथा, अनियमित, अस्वास्थ, रोग विकारों की स्थिति में सहस्रार चक बाधित प्रभावित हो जाता हैं। जिससे शरीर के कई अंग सही तरह से काम नहीं करते और ऊर्जा रक्त संचार प्रभावित होती है। और शरीर की आकृति और व्यवहार में बदलाव होने लगते हैं। जिसके कारण शरीर में समस्याऐं आरम्भ होनी लगती है। सिद्धासन शरीर के सातों चक्रों को सुचारू करने में सक्षम महत्पूर्ण है।
सिद्वासन बढ़ाये ध्यान स्मरण शक्ति / Learn to Concentrate Siddhasana in Hindi 
सिद्धासन से फायदे  सिद्धासन करने से ध्यान लगाने में एकाग्रता आती है। स्मरण शक्ति में वृद्वि होती है। भूलने की समस्या से छुटकारा पाने में सिद्धासन अहम है। सिद्धासन से शरीर की ऊर्जा आसानी से प्रवाह बहाल रहती है और सभी सातों चक्र संतुलित रहते हैं। व्यक्ति मेहनत करने के साथ अपने कार्य में महारथ सिद्धि हांसिल कर लेता है। इसलिए सिद्धासन प्रमुख व अहम माना जाता है। 
सिद्धासन की विधि  स्टेप 1: सिद्धासन करने के लिए सर्वप्रथम पैर आगे की ओर कर आराम से बैठ जायें। स्टेप 2: फिर धीरे धीरे दायें पैर को मोड़ कर एड़ी को ज्वाइंट से मिला लें। स्टेप 3: फिर धीरे धीरे बायां पैर मोडकर जांघों के मध्य लायें। और एड़ी को दाएं पैर की एड़ी पर लाये। अपनी आसानी के लिए पैरों के क्रम को बदल कर आसन बना सकते हैं। स्टेप 4: अब सीधे बैठें और समान्य रहें। सांस की स्थिति भी सामान्य रखें। और मस्तिष्क ज्ञानचक्र में ध्यान एकाग्रत केन्द्रित करें और शान्त ध्यान मुद्रा में रहें।
सिद्धासन से लाभ
सिद्धासन करना अति लाभदायक है।
बच्चों को पढ़ाई में ध्यान केन्द्रित करने में सिद्धासन सक्षम उत्तम माना जाता है।
सिद्धासन दिमाग स्मरणशक्ति तेजी से बढ़ाने में सक्षम है।
शरीर के कुण्डलियां सक्रीय करने में और सांस, हृदय, दमा आदि अनेकों रोगों से छुटकारा मिलता है।
सिद्धासन शरीर के सातों चक्रों की ऊर्जा सुचारू बहाल करने में अति सक्षम है।
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margdarsanme · 3 years
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बांसुरी योग करे दूर तनाव Flute Yoga to Reduce Stress in Hindi
प्रसिद्ध विख्यात बांसुरी योग प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। बांसुरी की आवाज धुन में कृष्ण जी गोपियों और गाय, पशु पक्षियों, जीवों को मधहोश कर देते थे। प्रसिद्ध बांसुरी योग वर्तमान युग में माईन्ड स्ट्रेस, यानिकि दिमाग का तनाव घटाने में सक्षम है। बांसुरी की आवाज से दिमाग में हर तरह की टेन्सन दूर हो जाता है। अकसर बांसुरी योग तो प्राचीन काल से ही चली आ रह��� है। कृष्ण भगवान बांसुरी की धुन पर सभी का मन मोहित कर लेते थे।
बांसुरी योग तर्ज पर एस. योग व्यास यूनिवर्सिटी के अध्ययन कर सिद्ध कर दिया है। बांसुरी योग से व्यक्ति आराम से 7-8 घण्टे की नींद चैन से सो सकता है और दिमाग में पनपने वाले सम्पूर्ण चिंता फिक्र तनाव से मुक्त आसानी से पा सकता है। हम आपको बांसुरी योग करने के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
बांसुरी योग करे दूर तनाव / Flute Yoga to Reduce Stress in Hindi
  बांसुरी योग विधि स्टेप 1: बांसुरी योग करने के लिए सबसे पहले शान्त स्वच्छ बातावरण होना जरूरी है। स्टेप 2: सीधे खड़े हो जायें। फिर दोनों हाथों को 90 डिग्री कोण में रखें। स्टेप 3: फिर बांसरी बनाने की धुन में गोलाकार आकृति में घुमा कर स्थिर करें। स्टेप 4: अब शान्त दिमाग से ओंकार...... ओमममममम.... शब्द का उच्चारण करें। इसी तरह से लगातार करें और ध्यान मुद्रा में बैठकर करें। ऐसा करने से दिमाग में शान्ति सुकून का अहसास होता है। और शरीर से सम्पूर्ण थकान तनाव दूर होता है।
बांसुरी योग से फायदे  
बांसुरी योग दिमाग को तनाव मुक्त करने में सक्षम है।
मानसिक विकारों से व्यक्ति की मस्तिष्क कोशिकाओं को सुचारू दुरूस्त रखती है।
शरीर से हर तरह की थकान तनाव बांसुरी योग से हट जाती है। दिमाग संतुलित स्थिति में पुनः आ जाता है।
मानसिक रोगी के लिए बांसुरी योग उत्तम फायदेमंद माना जाता है।
बांसुरी योग ध्यान स्मरण शक्ति बढ़ाने में सक्षम व अहम है। रोज सुबह शाम बांसुरी योग करना दिमाग को शान्ति सुकून चैन की पहुंचाने में कारगर है।
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margdarsanme · 3 years
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वज्रासन योग बनाये सुड़ौल चुस्त Vajrasana Yoga Benefits in Hindi
वज्रासन योग आर्यवत में प्राचीनकाल से किया जाने वाला योग है। जोकि आश्रमों पाठशालाओं में बहु प्रचलित था। वज्रासन सारे विश्व में विख्यात है। वज्रासन योग शरीर को फिट चुस्त, दुरूस्त, मोटापा नियत्रंण, शरीर को सुड़ौल व सुन्दर बनाने में सक्षम है। 
वज्रासन योग शरीर की मांसपेसियों को मजबूत बनाने और पेट से सम्बन्धित बीमारियों को दूर करने में अहम माना जाता है। वज्रासन योग से पेट में कब्ज, गैस, पाचन में कमी, पेट भारीपन, भूख न लगना जैसे सम्पूर्ण पेट के विकारों को को नियत्रंण में रखता है।
वज्रासन योग बनाये सुड़ौल चुस्त / Vajrasana Yoga
वज्रासन योग विधि
स्टेप 1: खाना खाने के 10 मिनट बाद किसी साफ स्वच्छ शान्त जगह चुनें। फिर दोनों पैरों को पसार फैलाकर कर बैठ जायें। स्टेप 2: बांए पैर के घुटने को मुड़ाकर पांव के पंजे पीछे की तरफ और थोड़ा ऊपर की ओर करें। फिर दांए पैर के घुटने को उसी तरह से मोड़कर नितम्ब एडियों के मध्य करें। स्टेप 3: अब दोनों पैरों के अंगूठे आपस में एक-दूसरे से बराबर मिलायें। परन्तु एडि़यों के मध्य अन्तर जरूर रखें। स्टेप 4: अब शरीर को ढीला सीधा रखें। शरीर में कसाव तनाव नहीं होना चाहिए। स्टेप 5: फिर दोनों हाथों को घुटने पर ले जाइये, और आंखें बंद रखें। और फिर आराम से लम्बी गहरी पेट के बल सांसे लें और फिर छोडें। इसी तरह से बार बार सांसें ले और छोड़ें। 5 मिनट तक लगातार करें।
वज्रासन से फायदे
खाना पचाने में सक्षम और अति लाभदायक है।
वज्रासन योग करने से पाचन दुरूस्त रहता है।
पेट में गैस की समस्या नहीं होती।
मोटापा से छुटकारा मिलता है।
शरीर फिट सुडौल बना रहता है।
शरीर का बढ़ा वजन नियत्रंण में रहता है।
मन में संयम व संतुलन बनाये रखता है।
घुटनों दर्द, गठिया रोग में आराम दिलाता है।
फेफड़ों से सम्बन्धि बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
नसों, मांसपेशियों के खिचाव समस्या से आराम मिलता है।
रक्तचाप नियत्रंण एवं कम करने में सहायक है।
शरीर में फालतू चर्बी को घटाता है।
सैक्स सम्बन्धित विकारों से छुटकारा दिलाने में वज्रासन योग सक्षम है। दिन में चारों वक्त करने में ज्यादा फायदेमंद है।
शरीर विकृति, आकृति को रचनात्मक सुडौल रूप में बनाने में बज्रासन योग सहायक है।
रीढ़ की हड्डी दर्द दूर करने और हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में वज्रासन अहम है।
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