गुप्त नवरात्रि: पूजा के अंत में करें यह आरती, जरूर पूरी होगी मनोकामना
चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। एक साल में चार नवरात्रि आती है। जिसमें दो प्रत्यक्ष नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होती है। चैत्र और अश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि आती है और माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस नवरात्रि का महत्व प्रकट नवरात्रि से भी अधिक माना गया है। गुप्त नवरात्रि में देवी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना को गुप्त रखा जाता है। गुप्त साधना से देवी जल्दी प्रसन्न होती हैं। नवरात्रों में दुर्गा मां की कृपा पाने के लिए पूजन का अंत अम्बे मां की आरती से करना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है अम्बे मां की आरती...
10 देवियों की होगी पूजा
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं की साधना व उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में भक्त त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।इस पूजा से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उनकी मनोकामना पूरी होती है।
शुभ मुहूर्त
इसके लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5:31 बजे से 7:47 बजे तक है।
इस बार गुप्त नवरात्रि में बन रहा उत्तम योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार गुप्त नवरात्रि के अवसर पर उत्तम योग बन रहें हैं। इसकी शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है। गुप्त नवरात्रि पूजा की शुरुआत में आर्द्रा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से उत्तम योग बन रहा है। ज्योतिष विद के अनुसार, गज पर सवार होकर मां दुर्गा के आगमन से उत्तम वृष्टि के आसार हैं।
ये हैं गुप्त नवरात्रि के अचूक उपाय
गुप्त नवरात्री की प्रतिपदा तिथि को माता को घी का भोग लगाएं। इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती हैं एवं शरीर निरोगी होता है।
द्वितीया तिथि को माता को शक्कर का भोग लगाएं। इससे उम्र लंबी होती है।
तृतीया तिथि को माता को दूध का भोग लगाएं। इससे सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति मिलती है।
चतुर्थी तिथि को माता को मालपुआ का भोग लगाएं। इससे समस्याओं का अंत होता है।
पंचमी तिथि को माता को केले का भोग लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
षष्ठी तिथि को माता को शहद का भोग लगाएं। इससे धन लाभ होने के योग बनते हैं ।
सप्तमी तिथि को माता को गुड़ का भोग लगाएं। इससे हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
अष्टमी तिथि को माता को नारियल का भोग लगाएं। इससे घर में सुख-समुद्वि आती है
नवमी तिथि को माता को विभिन्न प्रकार के अनाज का भोग लगाएं। इससे वैभव व यश मिलता है।
अम्बे मां की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी ।
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
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गुप्त नवरात्रि: पूजा के अंत में करें यह आरती, जरूर पूरी होगी मनोकामना
चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। एक साल में चार नवरात्रि आती है। जिसमें दो प्रत्यक्ष नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होती है। चैत्र और अश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि आती है और माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस नवरात्रि का महत्व प्रकट नवरात्रि से भी अधिक माना गया है। गुप्त नवरात्रि में देवी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना को गुप्त रखा जाता है। गुप्त साधना से देवी जल्दी प्रसन्न होती हैं। नवरात्रों में दुर्गा मां की कृपा पाने के लिए पूजन का अंत अम्बे मां की आरती से करना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है अम्बे मां की आरती...
10 देवियों की होगी पूजा
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं की साधना व उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में भक्त त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।इस पूजा से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उनकी मनोकामना पूरी होती है।
शुभ मुहूर्त
इसके लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5:31 बजे से 7:47 बजे तक है।
इस बार गुप्त नवरात्रि में बन रहा उत्तम योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार गुप्त नवरात्रि के अवसर पर उत्तम योग बन रहें हैं। इसकी शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है। गुप्त नवरात्रि पूजा की शुरुआत में आर्द्रा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से उत्तम योग बन रहा है। ज्योतिष विद के अनुसार, गज पर सवार होकर मां दुर्गा के आगमन से उत्तम वृष्टि के आसार हैं।
ये हैं गुप्त नवरात्रि के अचूक उपाय
गुप्त नवरात्री की प्रतिपदा तिथि को माता को घी का भोग लगाएं। इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती हैं एवं शरीर निरोगी होता है।
द्वितीया तिथि को माता को शक्कर का भोग लगाएं। इससे उम्र लंबी होती है।
तृतीया तिथि को माता को दूध का भोग लगाएं। इससे सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति मिलती है।
चतुर्थी तिथि को माता को मालपुआ का भोग लगाएं। इससे समस्याओं का अंत होता है।
पंचमी तिथि को माता को केले का भोग लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
षष्ठी तिथि को माता को शहद का भोग लगाएं। इससे धन लाभ होने के योग बनते हैं ।
सप्तमी तिथि को माता को गुड़ का भोग लगाएं। इससे हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
अष्टमी तिथि को माता को नारियल का भोग लगाएं। इससे घर में सुख-समुद्वि आती है
नवमी तिथि को माता को विभिन्न प्रकार के अनाज का भोग लगाएं। इससे वैभव व यश मिलता है।
अम्बे मां की आरती
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी
तुम को निस दिन ध्यावत
मैयाजी को निस दिन ध्यावत
हरि ब्रह्मा शिवजी ।
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
माँग सिन्दूर विराजत टीको मृग मद को
उज्ज्वल से दो नैना चन्द्रवदन नीको
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर साजे
रक्त पुष्प गले माला कण्ठ हार साजे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी
सुर नर मुनि जन सेवत तिनके दुख हारी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
शम्भु निशम्भु बिडारे महिषासुर धाती
धूम्र विलोचन नैना निशदिन मदमाती
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
चण्ड मुण्ड शोणित बीज हरे
मधु कैटभ दोउ मारे सुर भय दूर करे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी
आगम निगम बखानी तुम शिव पटरानी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
चौंसठ योगिन गावत नृत्य करत भैरों
बाजत ताल मृदंग और बाजत डमरू
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
तुम हो जग की माता तुम ही हो भर्ता
भक्तन की दुख हर्ता सुख सम्पति कर्ता
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
भुजा चार अति शोभित वर मुद्रा धारी
मन वाँछित फल पावत देवता नर नारी
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती
माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योती
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
माँ अम्बे की आरती जो कोई नर गावे
कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पति पावे
बोलो जय अम्बे गौरी ॥
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आज से गुप्त नवरात्रि शुरू, इन अचूक उपायों से पूर्ण होगी मनोकामना
चैतन्य भारत न्यूज
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। एक साल में चार नवरात्रि आती है। जिसमें दो प्रत्यक्ष नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होती है। चैत्र और अश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि आती है और माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 11 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू हो रही है। जोकि नवमी तिथि अर्थात 18 जुलाई को खत्म होगी। इस नवरात्रि का महत्व प्रकट नवरात्रि से भी अधिक माना गया है। गुप्त नवरात्रि में देवी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना को गुप्त रखा जाता है। गुप्त साधना से देवी जल्दी प्रसन्न होती हैं। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि और महत्त्व।
10 देवियों की होगी पूजा
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं की साधना व उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में भक्त त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।इस पूजा से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उनकी मनोकामना पूरी होती है।
शुभ मुहूर्त
इसके लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5:31 बजे से 7:47 बजे तक है।
इस बार गुप्त नवरात्रि में बन रहा उत्तम योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार गुप्त नवरात्रि के अवसर पर उत्तम योग बन रहें हैं। इसकी शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है। गुप्त नवरात्रि पूजा की शुरुआत में आर्द्रा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से उत्तम योग बन रहा है। ज्योतिष विद के अनुसार, गज पर सवार होकर मां दुर्गा के आगमन से उत्तम वृष्टि के आसार हैं।
ये हैं गुप्त नवरात्रि के अचूक उपाय
गुप्त नवरात्री की प्रतिपदा तिथि को माता को घी का भोग लगाएं। इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती हैं एवं शरीर निरोगी होता है।
द्वितीया तिथि को माता को शक्कर का भोग लगाएं। इससे उम्र लंबी होती है।
तृतीया तिथि को माता को दूध का भोग लगाएं। इससे सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति मिलती है।
चतुर्थी तिथि को माता को मालपुआ का भोग लगाएं। इससे समस्याओं का अंत होता है।
पंचमी तिथि को माता को केले का भोग लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
षष्ठी तिथि को माता को शहद का भोग लगाएं। इससे धन लाभ होने के योग बनते हैं ।
सप्तमी तिथि को माता को गुड़ का भोग लगाएं। इससे हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
अष्टमी तिथि को माता को नारियल का भोग लगाएं। इससे घर में सुख-समुद्वि आती है
नवमी तिथि को माता को विभिन्न प्रकार के अनाज का भोग लगाएं। इससे वैभव व यश मिलता है।
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11 जुलाई से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानिए इसका महत्व और पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त
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हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। एक साल में चार नवरात्रि आती है। जिसमें दो प्रत्यक्ष नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होती है। चैत्र और अश्विन महीने में प्रकट नवरात्रि आती है और माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 11 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू हो रही है। जोकि नवमी तिथि अर्थात 18 जुलाई को खत्म होगी। इस नवरात्रि का महत्व प्रकट नवरात्रि से भी अधिक माना गया है। गुप्त नवरात्रि में देवी के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठान संपन्न किए जाते हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली साधना को गुप्त रखा जाता है। गुप्त साधना से देवी जल्दी प्रसन्न होती हैं। आइए जानते हैं गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि और महत्त्व।
10 देवियों की होगी पूजा
गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं की साधना व उपासना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में भक्त त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बंगलामुखी, मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, माता भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, माता मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।इस पूजा से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। उनकी मनोकामना पूरी होती है।
शुभ मुहूर्त
इसके लिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 5:31 बजे से 7:47 बजे तक है।
इस बार गुप्त नवरात्रि में बन रहा उत्तम योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार गुप्त नवरात्रि के अवसर पर उत्तम योग बन रहें हैं। इसकी शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रही है। गुप्त नवरात्रि पूजा की शुरुआत में आर्द्रा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से उत्तम योग बन रहा है। ज्योतिष विद के अनुसार, गज पर सवार होकर मां दुर्गा के आगमन से उत्तम वृष्टि के आसार हैं।
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