Teesta Seetalvad Case: तीस्ता सीतलवाड़ और आर बी श्रीकुमार को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
Teesta Seetalvad Case: तीस्ता सीतलवाड़ और आर बी श्रीकुमार को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
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14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजे गए तीस्ता सीतलवाड़ और आर बी श्रीकुमार
सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट पर गुजरात दंगों के मामले में साजिश रचने का आरोप है
एक हफ्ते पहले दोनो के गुजरात पुलिस ने किया था गिरफ्तार
Teesta Seetalvad Case: गुजरात में अहमदाबाद स्थित एक अदालत ने शनिवार को मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस महानिदेशक आर.बी.श्रीकुमार को 14 दिनों की…
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गुजरात दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को दी अंतरिम जमानत
New Delhi: सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दे दी है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने गुजरात हाई कोर्ट के तत्काल सरेंडर करने के आदेश पर रोक लगा दिया है।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि तीस्ता को सरेंडर करना चाहिए। उनकी याचिका को विशेष तरजीह…
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2002 गुजरात दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाडी को अंतरिम जमानत दी
2002 गुजरात दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाडी को अंतरिम जमानत दी
एक्सप्रेस समाचार सेवा
NEW DELHI: लगभग दो महीने की कैद के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दे दी, जिस पर 2002 के गुजरात दंगों में राज्य के उच्च अधिकारियों को फंसाने के लिए कथित तौर पर झूठे सबूत बनाने का आरोप लगाया गया है।
सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस एसआर भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने उसे कल मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने और निचली अदालत द्वारा उचित समझे जाने वाली…
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गुजरात दंगा: सुप्रीम कोर्ट ने उचित जांच की मांग करने वाली याचिकाओं का किया निपटारा
नई दिल्ली, 30 अगस्त (SK)। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 मामलों को बंद करने का आदेश दिया है। इन सभी मामलों से जुड़ी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित थीं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामलों को निष्फल मानते हुए निपटाया। यह देखा गया कि अदालत ने दंगों से जुड़े नौ मामलों की जांच और मुकदमा चलाने के लिए एक एसआईटी का गठन किया था और उनमें से आठ मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है, और एक मामले में निचली अदालत में अंतिम बहस चल रही है।अधिवक्ता अपर्णा भट ने सुनवाई में कहा कि कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, जिनके एनजीओ सिटीजन फॉर पीस एंड जस्टिस ने दंगा मामलों में उचित जांच के लिए शीर्ष अदालत में एक आवेदन दायर किया था, द्वारा सुरक्षा की मांग की गई एक याचिका लंबित थी। भट ने कहा कि उन्हें सीतलवाड़ से निर्देश नहीं मिला, क्योंकि वह इस समय गुजरात पुलिस द्वारा दर्ज एक नए मामले में हिरासत में हैं। शीर्ष अदालत ने सीतलवाड़ को सुरक्षा के लिए संबंधित प्राधिकरण से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी, जो कानून के अनुसार उसके आवेदन पर फैसला करेगी।एसआईटी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि नरोदा गांव क्षेत्र से संबंधित नौ मामलों में से केवल एक मामले में मुकदमा लंबित है और यह अंतिम बहस के चरण में है। रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया गया कि अन्य मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है और वे मामले या तो उच्च न्यायालय या शीर्ष अदालत के समक्ष हैं।शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकतार्ओं की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने जांच पूरी करने के एसआईटी के बयान को स्वीकार कर लिया है। पीठ ने कहा कि चूंकि सभी मामले अब निष्फल हो गए हैं, इसलिए अदालत को अब इन याचिकाओं पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है।शीर्ष अदालत ने कहा, इसलिए मामलों को निष्फल होने के रूप में निपटाया जा रहा है। साथ ही कहा गया है कि नरोदा गांव मुकदमे को कानून के अनुसार निष्कर्ष तक पहुंचाया जाना चाहिए।
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2002 के दंगों में बड़ी साजिश का कोई सबूत नहीं, विचार 'मटका उबाल' रखने का है: एसआईटी से एससी
2002 के दंगों में बड़ी साजिश का कोई सबूत नहीं, विचार ‘मटका उबाल’ रखने का है: एसआईटी से एससी
2002 के गुजरात दंगों के संबंध में गुलबर्ग सोसाइटी मामले का फैसला करने वाली निचली अदालत ने कोई बड़ी साजिश नहीं पाई थी और सांप्रदायिक घटनाओं की जांच करने वाले एक विशेष जांच दल ने कहा कि “मटका उबलने” के लिए पहले से ही निपटाए गए मुद्दों को फिर से उठाया जा रहा था। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट।
एसआईटी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया,…
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गुजरात दंगों पर बनी SIT के चीफ को बाद में उच्चायुक्त बना दिया गया, सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल की दलील
गुजरात दंगों पर बनी SIT के चीफ को बाद में उच्चायुक्त बना दिया गया, सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल की दलील
हाइलाइट्स
2002 गुजरात दंगों में जाकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
SIT के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी व अन्य को क्लीन चिट को दी गई चुनौती
जाफरी के वकील कपिल सिब्बल का SIT चीफ रहे आरके राघवन पर सवाल
SIT ने अपना काम नहीं किया, चीफ को बाद में उच्चायुक्त बनाया: सिब्बल
सुप्रीम कोर्टगुजरात दंगे मामले में एसआईटी द्वारा तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ…
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गुजरात दंगों: सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी को एसआईटी क्लीन चिट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका को स्थगित कर दिया
गुजरात दंगों: सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी को एसआईटी क्लीन चिट के खिलाफ जकिया जाफरी की याचिका को स्थगित कर दिया
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई 2 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2002 के दंगों के मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल (SIT) की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली दिवंगत सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति ए.एम.
सर्वोच्च…
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Gujarat Riots: Supreme Court Adjourns Zakia Jafri's Plea Against SIT Clean Chit To Narendra Modi
Gujarat Riots: Supreme Court Adjourns Zakia Jafri’s Plea Against SIT Clean Chit To Narendra Modi
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सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी जांच रिपोर्ट को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई 2 सप्ताह के लिए स्थगित कर दी
नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने 2002 के दंगों के मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को विशेष जांच दल (SIT) की क्लीन चिट को चुनौती देते हुए दिवंगत सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
न्यायमूर्ति…
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गुजरात दंगे पर SC से पीएम मोदी को क्लीन चिट, बीजेपी ने कहा- राजनीतिक प्रतिशोध के कारण कांग्रेस ने फर्जी जाल बुना
गुजरात दंगे पर SC से पीएम मोदी को क्लीन चिट, बीजेपी ने कहा- राजनीतिक प्रतिशोध के कारण कांग्रेस ने फर्जी जाल बुना
2002 गुजरात दंगा मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया है. हैदराबाद में संपन्न राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने राजनीतिक प्रस्ताव पास कर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है और कहा कि कांग्रेस को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए. इतना ही नहीं, प्रस्ताव में बीजेपी ने कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति पर भी हमला बोला…
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27 फरवरी, 2002: गोधरा कांड, जिसने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को कलंकित कर दिया
27 फरवरी, 2002: गोधरा कांड, जिसने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को कलंकित कर दिया
27 फरवरी, 2002 भारत के इतिहास का एक काला अध्याय है, जिसने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को आग लगा दी थी। इस दिन गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन को मुस्लिम उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। इसमें ट्रेन में सवार 90 से अधिक कारसेवक जलकर मर गए थे। इस हादसे के बाद गुजरात में दंगा भड़क उठा था। इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमिशन नियुक्त किया था, जिसका मानना था कि यह महज एक दुर्घटना थी। इस निष्कर्ष से…
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गुजरात दंगा मामले में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची तीस्ता सीतलवाड़, 22 अगस्त को होगी सुनवाई
गुजरात दंगा मामले में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची तीस्ता सीतलवाड़, 22 अगस्त को होगी सुनवाई
द्वारा एएनआई
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को 22 अगस्त को कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया, जिसमें 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित रूप से दस्तावेज बनाने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने मामले को 22 अगस्त को न्यायमूर्ति…
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मोदी से कोई बैर नहीं, नीतीश तेरी खैर नहीं। आजकल बिहार की राजनीति में इसकी चर्चा खूब हो रही है। शायद, ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई पार्टी गठबंधन से अलग होकर भी उसी गठबंधन की एक पार्टी को खुलकर सपोर्ट कर रही है। दरअसल, लोजपा ने इस बार एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वह जदयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेगी, लेकिन भाजपा के खिलाफ नहीं।
लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने कहा है कि इस बार बिहार में भाजपा और लोजपा की सरकार बनेगी, उन्हें नीतीश कुमार का नेतृत्व पसंद नहीं है। लोजपा के इस फैसले को लेकर सियासी गलियारों में कयासबाजी शुरू हो गई है। कोई इसे भाजपा का माइंड गेम बता रहा है तो कोई लोजपा के अस्तित्व की लड़ाई। लेकिन, इससे हटकर भी एक कहानी है जिसकी नींव आज से करीब 15 साल पहले रखी गई थी।
दरअसल 70 के दशक में बिहार के तीन युवा नेता लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और राम विलास पासवान राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर उभरे थे। तीनों दोस्त भी थे, तीनों की पॉलिटिकल फ्रेंडशिप की गाड़ी आगे भी बढ़ी लेकिन, रफ्तार पकड़ती उससे पहले ही ब्रेक लग गया। 1994 में नीतीश ने जनता दल से अलग होकर समता पार्टी बना ली तो 1997-98 में लालू और पासवान के रास्ते अलग हो गए।
तस्वीर साल 2000 की है। तब नीतीश और राम विलास साथ मिलकर चुनाव लड़े थे।
2000 के विधानसभा चुनाव में नीतीश और पासवान ने साथ मिलकर लालू का मुकाबला किया, लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा। जैसे तैसे राज्यपाल की कृपा से नीतीश मुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन 7 दिन के भीतर ही उन्हें इस्तीफा देना। और राज्य में फिर से राजद की सरकार बनी। इसके बाद नवंबर 2000 में पासवान ने लोजपा नाम से खुद की पार्टी बनाई। 2002 में गुजरात दंगा हुआ तो पासवान एनडीए से अलग हो गए।
2005 विधानसभा चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव को घेरने की मोर्चाबंदी हो रही थी। भाजपा और जदयू गठबंधन तो मैदान में थे ही, उधर नई नवेली लोजपा भी राजद को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी। वजह थी दलित- मुसलमानों का वोट बैंक और मुख्यमंत्री की कुर्सी।
नीतीश कुमार ने राम विलास पासवान को साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया लेकिन शर्त रख दी कि सीएम वही बनेंगे। पासवान मान तो गए लेकिन उन्होंने भी एक शर्त रख दी कि आपको भाजपा का साथ छोड़ना होगा, जो नीतीश को नागवार गुजरा और गठबंधन नहीं हो पाया।
फरवरी 2005 में चुनाव हुए। लालू कांग्रेस के साथ, नीतीश भाजपा के साथ और राम विलास पासवान अकेले चुनावी मैदान में उतरे। जब चुनाव के नती��े घोषित हुए तो किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला लेकिन, सत्ता की चाबी रह गई राम विलास पासवान के पास। संपर्क लालू ने भी किया और नीतीश भी बार-बार गुजारिश करते रहे, लेकिन पासवान ने पेंच फंसा दिया। न खुद सीएम बने न किसी को बनने दिया। आखिरकार विधानसभा भंग हो गई और राष्ट्रपति शासन लग गया।
6 महीने बाद अक्टूबर 2005 में चुनाव हुए। लालू, नीतीश और पासवान तीनों यार फिर से अलग-अलग लड़े, लेकिन इस बार बिहार की जनता ने क्लियर कट मेजोरिटी नीतीश भाजपा गठबंधन की झोली में डाल दी थी।पासवान और लालू के पास लेकिन किंतु परंतु के सिवा कुछ खास बचा नहीं था, पासवान 203 सीटों पर लड़ने के बाद भी 29 से घटकर महज 10 सीटों पर सिमट कर रह गए।
मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने लोजपा के दलित वोट बैंक में सेंधमारी शुरू कर दी। बिहार में करीब 16 फीसदी दलित हैं, जिनमें 4-5 फीसदी पासवान जाति के हैं। नीतीश ने बिहार के 22 दलित जातियों में से 21 को महादलित में कन्वर्ट कर दिया। अब बिहार में सिर्फ पासवान जाति ही दलित रह गई।
वोट बैंक की बानगी देखिए कि 2015 में जब जीतन राम मांझी ने पासवान जाति को महादलित में जोड़ा तो नीतीश ने वापस सीएम बनते ही फैसले को पलट दिया। हालांकि, नीतीश ने 2018 में पासवान जाति को भी महादलित कैटेगरी में जोड़ दिया।
जिन जातियों को नीतीश ने महादलित में जोड़ा था वो लोजपा की झोली से निकलकर नीतीश के वोट बैंक में शिफ्ट हो गईं। राम विलास और उनकी पार्टी दलितों के नाम पर बस पासवान जाति की पार्टी बनकर रह गई। इसका असर उसके बाद के हुए चुनावों में भी दिखा। लोजपा का ग्राफ दिन पर दिन गिरता गया। 2010 में लोजपा को जहां तीन सीटें मिलीं, वहीं 2015 में महज दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा।
बिहार में 243 सीटों में से 38 सीटें रिजर्व हैं। 2015 के विधानसभा चुनाव में 14 सीटें राजद को, 10 जदयू और पांच-पांच सीटें कांग्रेस और भाजपा को मिली। लोजपा के खाते में एक भी सीट नहीं गई।
इस समय राम विलास पासवान राजनीति में थोड़ा कम सक्रिय हैं, उन्होंने पार्टी की कमान चिराग पासवान को सौंप दी है। इस बार के चुनाव का दारोमदार चिराग के कंधों पर ही है। वोटिंग से पहले एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने से लोजपा को कितना फायदा होगा वो तो 10 नवंबर को ही साफ हो पाएगा। लेकिन, इस फैसले को लेकर अभी बिहार में सियासी पारा उफान पर है।
नीतीश की सख्ती के बाद मंगलवार को भाजपा बचाव की मुद्रा में दिखी और लोजपा से कहा कि वह पीएम मोदी की तस्वीर का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में नहीं करें। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नीतीश कुमार को सत्ता से बाहर करने के लिए भाजपा का माइंड गेम बता रहे हैं।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल कहते हैं, 'भाजपा पूरी मजबूती के साथ नीतीश कुमार के साथ खड़ी है। एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ना ये लोजपा का अपना फैसला है। इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है। हम भला क्यों चाहेंगे कि कोई साथी हमें छोड़कर जाए।'
चिराग पासवान ने घोषणा की है कि चुनाव बाद भाजपा का मुख्यमंत्री होगा और लोजपा उसे सपोर्ट करेगी। इसको लेकर वो चुटकी लेते हुए कहते हैं कि 2015 में जब हमारे साथ मिलकर वो सिर्फ दो सीट जीत सके तो इस बार अकेले कितनी सीट जीतेंगे, पहले ये बात वो साफ कर दें फिर सरकार बनाने का दावा करेंगे।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, 'चुनाव से पहले ही एनडीए का खेल खत्म हो गया। चिराग को पता चल गया है कि अब नीतीश कुमार की वापसी नहीं होने वाली है। इसलिए वे पहले ही साइड हो गए।'
वहीं राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के ऐसे विधायक या नेता जिनका टिकट काटकर जदयू को दिया जाएगा, अगर वे लोजपा से लड़ते हैं तो इसका नुकसान जदयू और एनडीए को उठाना पड़ सकता है।
यह भी पढ़ें :
लोजपा के कारण भाजपा की फजीहत / नीतीश ने कसी नकेल तो सीएम आवास दौड़ी भाजपा, निकलकर सिर्फ दो लाइनें कहीं-बिहार एनडीए में सिर्फ वही रहेगा जो नीतीश को नेता माने
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बिहार के सीएम नीतीश कुमार और लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान। इस बार चिराग एनडीए से अलग होकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
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जकिया के वकील का कहना है कि सहयोग का 'चमकदार' सबूत, SC ने SIT द्वारा दायर आरोपों की ओर इशारा किया
जकिया के वकील का कहना है कि सहयोग का ‘चमकदार’ सबूत, SC ने SIT द्वारा दायर आरोपों की ओर इशारा किया
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गुजरात में 2002 के गोधरा दंगों के दौरान मारे गए कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी से पूछा कि वह कैसे कह सकती हैं कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने “सहयोग” किया। आरोपी जब टीम ने चार्जशीट दायर की थी जो दंगा से संबंधित मामलों में दोषसिद्धि में समाप्त हुई थी।
“आप एसआईटी द्वारा की गई जांच के तरीके पर हमला कर रहे हैं। यह वही एसआईटी है…
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2002 गुजरात दंगा मामला: जकिया जाफरी की याचिका पर 26 अक्टूबर को SC में सुनवाई
2002 गुजरात दंगा मामला: जकिया जाफरी की याचिका पर 26 अक्टूबर को SC में सुनवाई
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को गुजरात के पूर्व दिवंगत सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी (Zakia Jafri) की याचिका पर सुनवाई टाल दी है. इस याचिका पर अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी. जकिया जाफरी ने ये याचिका विशेष जांच दल (SIT) द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने के खिलाफ दायर की है. SIT ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों को क्लीन…
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दिल्ली की हिंसा 18 साल में देश का तीसरा सबसे बड़ा सांप्रदायिक दंगा नई दिल्ली. राजधानीदिल्ली में 4 दिन तक चले सांप्रदायिक दंगे में अब तक 38 लोगों की जान जा चुकी है। 364 से ज्यादा लोग घायल हैं। मौतों की संख्या के लिहाज से यह 18 साल में देश का तीसरा सबसे बड़ा दंगा है।2005 में यूपी के मऊ जिले में रामलीला कार्यक्रम में मुस्लिम पक्ष ने हमला कर दिया था। इसके बाद जिले में हुए दंगे में दोनों पक्षों के 14 लोगों की जान चली गई थी। 2006 में गुजरात के वडोदरा में प्रशासन द्वारा एक दरगाह को हटाने को लेकर हुए दंगे में 8 लोगों की मौत हुई थी। 2013में उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में लड़की से छेड़छाड़ को लेकर हुए दो पक्षों के विवाद ने सांप्रदायिक दंगे का रूप ले लिया। इसके बाद पश्चिमी यूपी के अलग-अलग जिलों में हुई हिंसा में 62 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। 18 साल पहले 2002 में गुजरात दंगों के दौरान 2000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।सरकारी आंकड़े: 2014 से 2017 तक देश में 2920 दंगे हुए, 389 मौतें हुईंभारत में 2014, 2015, 2016, 2017 में कुल 2920 सांप्रदायिक दंगे हुए, इनमें 389 लोगों की मौत हुई,जबकि 8,890 लोग घायल हुए। यह जानकारी गृह मंत्रालय की ओर से फरवरी 2018 में दी गई थी। इन चार सालों में सबसे ज्यादा 645 दंगे यूपी में हुए, दूसरे नंबर पर 379 दंगे कर्नाटक में हुए, महाराष्ट्र में 316 हुए। 2017 की नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) और गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार साल में देश में सांप्रदायिक दंगों में कमी आई है।2004 से 2017 के बीच देश में 10399 दंगे हुए, 1605 लोगों की जान गईएक आरटीआई केजवाब में गृह मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि 2004 से 2017 के बीच 10399 सांप्रदायिक दंगे (छोटे-बड़े) हुए। इन दंगों में 1605 लोगों की जान गई, 30723 लोग घायल हुए। सबसे ज्यादा 943 दंगे 2008 में हुए। इसी साल दंगों में सबसे ज्यादा 167 जानें भी गईं, 2354 लोग घायल हुए। सबसे कम 2011 में 580 दंगे हुए। इस साल 91 लोगों की जान गई थी। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें Delhi Violence Riots Death Toll | Delhi Violence Is The 3rd Biggest Communal Riots After Muzaffarnagar Haryana Panchkula Sirsa Punjab Violence <p class="wpematico_credit"><small>Powered by <a href=" target="_blank" rel="noopener noreferrer">WPeMatico</a></small></p>
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