#NeetuKumar 🇮🇳 After watching #URI I am sharing pain of Nagrotta attack martyr's widow. This real story is part of the film and i couldn't stop tears. After Attack Major Akshay's Wife wrote her painful story and her pain got viral on social media. Salute to Major Akshay and his brave wife. मैंने आज तक अपने पति की वर्दी मैंने धोयी नहीं है. जब भी उसकी बहुत याद आती है, तो उनकी जैकेट पहन लेती हूं. उसमें उसे महसूस कर पाती हूं. शुरू में अपनी बेटी नैना को समझाना मुश्किल था कि उसके पापा को क्या हो गया, वह अब इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन कुछ दिनों के बाद बड़ी हिम्मत करके मैंने अपनी बेटी से कह दिया कि अब उसके पापा आसमान में एक तारा बन गए हैं. आज हमारी जमा की चीज़ों से ही मैंने एक दुनिया बना ली है, जहां वो जीता है, मेरी यादों में, हमारी तस्वीरों में. आंखों में आंसू हों, फिर भी मुस्कुराती हूं. जानती हूं कि वो होता तो मुझे मुस्कुराते हुए ही देखना चाहता. 2009 में उसने मुझे प्रपोज़ किया था. 2011 में हमारी शादी हुई, मैं पुणे आ गयी. दो साल बाद नैना का जन्म हुआ. उसे लम्बे समय तक काम के सिलसिले में बाहर रहना पड़ता था. हमारी बच्ची छोटी थी, इसलिए हमारे परिवारों ने कहा कि मैं बेंगलुरु आ जाऊं. मैंने फिर भी वहीं रहना चुना जहां अक्षय था. मैं हमारी उस छोटी सी दुनिया से दूर नहीं जाना चाहती थी, जो हमने मिल कर बनायी थी. उसके साथ ज़िंदगी हंसती-खेलती थी. उससे मिलने नैना को लेकर 2011 फ़ीट पर जाना, स्काईडाइविंग करना, हमने सबकुछ किया. 2016 में उसे नगरोटा भेजा गया. हमें अभी वहां घर नहीं मिला था, इसलिए हम ऑफ़िसर्स मेस में रह रहे थे. 29 नवम्बर की सुबह 5:30 बजे अचानक गोलियों की आवाज़ से हमारी आंख खुली. हमें लगा कि ट्रेनिंग चल रही है, तभी ग्रेनेड की आवाज़ भी आने लगी. 5:45 पर अक्षय के एक जूनियर ने आकर बताया कि आतंकियों ने तोपखाने की रेजिमेंट को बंधक बना लिया है. उसके मुझसे आखरी शब्द थे "तुम्हें इसके बारे में लिखना चाहिए". सभी बच्चों और महिलाओं को एक कमरे में रखा गया था. संतरियों को कमरे के बाहर तैनात किया गया था, हमें लगातार फ़ायरिंग की आवाज़ आ रही थी. मैंने अपनी सास और ननद से इस बीच बात की. 8:09 पर उसने ग्रुप चैट में मेसेज किया कि वो लड़ाई में है. 8:30 बजे सबको सुरक्षित जगह ले जाया गया. अभी भी हम सब पजामों और चप्पलों में ही थे. दिन चढ़ता रहा, लेकिन कोई ख़बर नहीं आ रही थी. मेरा दिल बैठा जा रहा था. मुझसे रहा नहीं गया, मैंने 11:30 बजे उसे फ़ोन किया. किसी और ने फ़ोन उठा कर कहा कि मेजर अक्षय को दूसरी लोकेशन https://www.instagram.com/p/BtLA4v5ByLQWeiS8cXRKmygmCwlzCzyydbmh840/?utm_source=ig_tumblr_share&igshid=18d1w1c7nzyve
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पैरों का आकार खोलता हैं हर मर्द और औरत के राज़, ऐसे जानिए किसी की भी खास बातें
आपको जानकर थोड़ी हैरानी हो सकती है, लेकिन ये सच है कि लोगों के अलग-अलग पैरों के आकार से उस व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ पता चलता है. आपने ऐसे कई लोगों को देखा होगा जो हाथ देखकर भविष्य बताते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं शरीर के अंगों को देखकर किसी का स्वभाव जाना जा सकता है.ज्योतिष के अंतर्गत शरीर के अंगों और लक्षणों के देखकर किसी का व्यक्तित्व जानने की विधि को सामुद्रिक शास्त्र कहा जाता है. सामुद्रिक विद्या में मनुष्य के सिर से लेकर पैर तक हर अंग के आकार का वर्णन किया गया है. शरीर के अंगों की बनावट, आकार और रंग से किसी का भी रहस्य जाना जा सकता है. सामुद्रिक विद्या के अलावा गरुड़ पुराण और भविष्य पुराण में भी महिलाओं और पुरुषों के अंगों का वर्णन किया गया है.
स्क्वेयर फुट
स्क्वेयर फुट यानि पैर का मतलब सभी उंगलियों की लंबाई का समान होना है. जिस व्यक्ति के पैरों की सभी उंगलियां समान हो वह काफी शांत और सुलझे हुए स्वभाव का होता है. ऐसे व्यक्ति कोई भी फैसला जल्दबाजी में नहीं बल्कि काफी सोच समझकर लेते हैं.
ग्रीक फुट
ग्रीक फुट यानि पैर का अर्थ अंगूठे के बगल वाली उंगली का अंगूठे से बड़ा होना होता है. इस तरह के पैर वाले लोग काफी क्रिएटिव (रचनात्मक) होते हैं. ऐसे लोगों का पेशा आम तौर पर खेल, आर्टिस्ट या पब्लिक स्पीकर्स होता है. ये लोग किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम होते हैं.
रोमन फुट
रोमन पैर का अर्थ अंगूठे और उसके बाद की दोनों उंगलियां का आकार एक समान होना है.अगर किसी का पैर इस आकार का है तो वो काफी मिलनसार होता है. ऐसे लोगों को सभी से मिल-जोल बढ़ाना काफी पसंद होता है.
स्ट्रेच्ड फुट
इस प्रकार के पैर में अंगूठा सबसे बड़ा और छिंगुनिया सबसे छोटी होता है. इस प्रकार के पैर में उंगलियों का आकार घटते हुए क्रम में होता है. इस प्रकार के पैर वाले लोग अक्सर शांत और किसी से बात करना न पसंद करने वाले होते हैं. ये लोग अकेले रहना पसंद करते हैं.
पैर की सबसे छोटी उंगली
ऐसा व्यक्ति जिसकी छोटी उंगली पैर से थोड़ा निकली हुई हो वह हर काम अपनी मर्जी से करना चाहते हैं.
तीसरी उंगली तिरछी..
ऐसा व्यक्ति जिसकी तीसरी उंगली थोड़ी तिरछी हो वह अपना हर काम प्लान से करता है. ऐसे व्यक्ति किसी भी काम को करने से पहले एक योजना बनाते हैं.
तीसरी उंगली के बीच में गैप…
ऐसा व्यक्ति जिसकी दूसरी और तीसरी उंगली के बीच में गैप हो वह हमेशा खुद को परेशानियों से दूर ही रखते हैं. लेकिन एक बार किसी के साथ जुड़ जाये तो सबसे ज्यादा परेशान भी यही होते हैं.
पतला पैर
ऐसा व्यक्ति जिनका पैर पतला हो वो अक्सर एक जगह रहना पसंद करता है. वो दूसरों को औरों की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली ढंग से समझा और किसी काम को करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. लेकिन, अगर इस आकार के पैर वाला व्यक्ति एक बार नाराज हो जाये तो उसे मनाना या समझाना काफी मुश्किल हो सकता है.
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"मां, ओरल सेक्स क्या होता है...?"तब मुंह से अभी ढंग से बोल भी नहीं फूटा था
सोचिए, सर्दियों की शाम हो, और आप भारत और इंग्लैंड के बीच खेला जा रहा रोमांचक वन-डे क्रिकेट मैच देख रहे हों, तभी आपका बेटा, जो बहुत जल्द किशोरावस्था में प्रवेश करने जा रहा है, इस तरह का कोई सवाल पूछ बैठे… उस वक्त जिस कंबल को आपने अब तक ठंड से बचने के लिए ओढ़ा हुआ था, आप उसी कंबल के भीतर इस तरह धंस जाना चाहते हैं, ताकि बाहर न निकलना पड़े, लेकिन आप भी जानते हैं, ऐसा मुमकिन नहीं है… वैसे, मैं खुद को आधुनिक युग की सबसे बढ़िया किस्म की मां मानती हूं, जो बच्चों की मां कम, दोस्त ज़्यादा है, ‘कूल’ है, और आसानी से विचलित नहीं होती…
खैर, मेरे मुंह से अभी ढंग से बोल भी नहीं फूटा था कि मेरे बड़े बेटे ने दखल दिया, “उफ… मां तो ऐसे बता रही हैं, जैसे यह बायोलॉजी का कोई लेसन हो… मैं तुम्हें बाद में ढंग से समझा दूंगा…”
“नहीं, तुम ऐसा नहीं करोगे, और ‘ढंग से समझा दूंगा’ का क्या मतलब होता है…?” मैंने सोचा, लेकिन ज़ोर-ज़ोर से धड़कते मेरे दिल का एक कोना यह भी कह रहा था, यह बच निकलने का बिल्कुल सटीक मौका है, दोनों भाई आपस में समझ लेंगे, सो, मैं बच निकल सकती हूं, लेकिन फिर हिम्मत जुटाकर मैंने खुद जवाब देने का फैसला किया, और फिर एक के बाद एक कई सवालों और उनके जवाबों के बाद दिल की धड़कन सामान्य हो पाई… यहां ध्यान देने लायक बात यह है कि इस सारे किस्से के दौरान पतिदेव ने चुप्पी साधे रहने का फैसला किया था, और उनके गले से निकलतीं कुछ अजीब आवाज़ों के अतिरिक्त उनकी ओर से कुछ भी सुनाई नहीं दिया…
12 साल के हो चुके बेटे की सवालिया आंखें मेरी ओर ताक रही थीं, और मैंने कहा कि यह ऐसा कुछ होता है, जो एक-दूसरे से प्यार करने वाले दो लोग किया करते हैं… वे दोनों अपनी इच्छा से यह करते हैं, दोनों ही वयस्क हो चुके होते हैं, यानी दोनों 18 साल की उम्र पार कर चुके होते हैं, और दोनों ही यह करना चाहते हैं… और ऐसा करने से बच्चे पैदा नहीं होते…
फिर एक और सवाल : लेकिन यह सामान्य सेक्स से किस तरह अलग है…?
मैंने दिया जवाब : इसका तरीका अलग होता है, और जब तुम सही उम्र में आ जाओगे, तुम भी वह तरीका जान जाओगे… सुपरहीरो की सुपरपॉवर की तरह इसके बारे में भी समझाना या बताना मुश्किल होता है, लेकिन वक्त और उम्र के साथ सब पता चल जाता है…
वह लगभग संतुष्ट हो चुका था, और लगभग उसी वक्त रविचंद्रन अश्विन की फेंकी एक शानदार गेंद ने भी उसका ध्यान बंटा दिया, और मैं बच गई…
जब दोनों बच्चे सोने के लिए जा रहे थे, मैंने खुद से पूछा – क्या हम उन्हें कुछ ज़्यादा ही सवाल पूछने की इजाज़त दे रहे हैं… क्या अभी इस तरह की चर्चा के लिए उनकी उम्र कुछ कम नहीं है… वे ये सब सवाल ढूंढकर कहां से लाते हैं…?
मैं इस तरह का कोई सवाल अपने माता-पिता से कर पाने की कल्पना भी नहीं कर सकती थी… मैं परमात्मा का शुक्रिया अदा करती हूं कि मेरी मां ने मुझे मासिक धर्म के बारे में बताया था, लेकिन बस… सिर्फ उतना ही… जब हम बड़े हो रहे थे, किसी भी मुश्किल सवाल के जवाब तय थे – “अभी ये सब जानने की तुम्हारी उम्र नहीं हुई…”, “यह कुछ भी नहीं होता…”, “मैं तुम्हें बाद में बताऊंगा / बताऊंगी…” या “बस, इतना ही काफी है…” और हां, हमें इस जवाब के बाद दोबारा उसी मुद्दे पर बात करने की इजाज़त भी नही होती थी…
शायद यही वजह है कि मैंने अपने बच्चों को हमेशा मुझसे सवाल करने के लिए प्रोत्साहित किया, कुछ भी, सब कुछ… लेकिन क्या हमारे माता-पिता ज़्यादा चतुर थे…? खासतौर से हदों को साफ-साफ तय करने के मामले में… शायद… लेकिन आज के ‘हर जानकारी हाथ में’ वाले युग में, कोई अभिभावक जानकारी को बच्चों तक पहुंचने से रोककर रख सकता है…? क्या मुझे ऐसा करना चाहिए…?
हमने अपने बड़े बेटे को मोबाइल फोन तब दिया था, जब वह 13 साल का हो गया था, और हमें बताया गया कि हमने ऐसा सबसे बाद में किया है… बेटे द्वारा दिए गए ‘सभी दोस्तों के पास सेलफोन है’ वाले तानों-उलाहनों के अलावा बहुत-सी मांओं ने भी मुझसे कहा था, “उसके पास फोन नहीं होना बहुत नुकसानदायक हो सकता है…” खैर, अब हमारे बीच इस मुद्दे पर लगातार बहस होती रहती है कि वह कितना वक्त अपने फोन के साथ बिताएगा… स्नैपचैट, व्हॉट्सऐप, यूट्यूब और उसके फोन में मौजूद 208 अन्य ऐप एक ऐसी दुनिया बना दे रहे हैं, जिनसे मुझे दिक्कत है, लेकिन अगर आप अपने बच्चे की ज़िन्दगी में अपना दखल बरकरार रखना चाहते हैं, तो आपको उस तकनीक की खासियतें और खामियां मालूम होनी ही चाहिए, जो आपका बच्चा इस्तेमाल कर रहा है…
कभी-कभी बच्चों से ‘यूं ही’ बातचीत करने और वे अपने मोबाइल फोन से क्या-क्या सीख रहे हैं, यह जानने के बीच संतुलन बनाए रखना ही शायद उनकी ज़िन्दगी में झांकने का एकमात्र रास्ता है, और यह सुनिश्चित करने का भी कि वे सही रास्ते पर जा रहे हैं या नहीं… कभी-कभी अचानक शुरू की गई बातचीत में भी तरह-तरह के सवाल सामने आ सकते हैं…
मसलन…
नाश्ते की मेज़ पर…
12-वर्षीय पुत्र ने पूछा, “मां, ‘परपलेक्सिंग’ (perplexing) का क्या अर्थ होता है…?”
मैंने कहा, “‘वेरी पज़लिंग’… (Very puzzling)”
मैं फिर बोलती हूं, “वैसे, तुम्हें मालूम है न, कि किन्डल में इनबिल्ट डिक्शनरी होती है, और तुम वहां किसी भी शब्द का अर्थ देख सकते हो…?”
12-वर्षीय पुत्र का जवाब आता है, “हां, मैं जानता हूं… मैंने कल ही ‘होर’ (Whore) का अर्थ देखा था…”
मैं इस ‘झटके’ से तुरंत ही उबर आई, और मेज़ पर हो रहे वार्तालाप को महिलाओं को हमेशा सम्मान दिए जाने की तरफ घुमा दिया, और उन्हें बताया कि ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए, जिनसे उनका असम्मान होता हो, भले ही हमें वे शब्द कितने भी मज़ाकिया या ���कूल’ क्यों न लगें…
यूं तो यह जानना ही मुमकिन नहीं होता कि वे कुछ सुन भी रहे हैं या नहीं, सो, यह जानना तो कतई नामुमकिन है कि उन्होंने आपकी कही बातों में से कितना याद रखा और कितना नहीं… किशोरावस्था वह उम्र होती है, जिसमें असमंजस, गुस्सा, प्यार, उम्मीदें, सपने और शरीर में ‘उछलकूद मचाते’ हारमोन आपकी सोच तय करते हैं, और कोई भी यह नहीं जान सकता कि दरअसल उनके मन में चल क्या रहा है… आमतौर पर न तो बच्चा यह जान पाता है, और अभिभावक तो कतई नहीं जान पाते…
सो, ऐसे में बेहद अहम होता है कि माता-पिता किसी भी मुद्दे से बचने की कोशिश न करें, भले ही उस मुद्दे पर चर्चा करना कितना भी मुश्किल या शर्मिन्दगी का एहसास देने वाला हो… उन्हें कभी भी रूखे या टालने वाले वे जवाब न दें, जो ‘बड़े’ अब तक देते रहे हैं… उन्हें सच बताएं, सच्चाई बताएं, और उन्हें यह भी बताएं कि आप किसी भी विषय को लेकर बातचीत करने पर उनके बारे में कोई राय कायम नहीं करेंगे, भले ही बातचीत का मुद्दा आपके हिसाब से सही न हो, या आप उससे सहमत न हों.लेकिन अब ये जरुरी हो गया है
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