कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि, महत्व, मुहर्त और इस दिन ...
कार्तिक पूर्णिमा, हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा को कहा जाता है और यह त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्वपूर्ण है। इसे 'दीपावली पूर्णिमा' भी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। यह पूर्णिमा हिन्दू कैलेंडर के कार्तिक मास में होती है, जिसे सूर्योदय के साथ शुरू किया जाता है और चंद्रोदय के साथ समाप्त किया जाता है। इस दिन विशेष पूजा विधि, महत्व, मुहूर्त, और इसका अनुष्ठान किया जाता है।
पूजा विधि:
कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा विधि का अनुसरण किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। लोग घरों को साफ-सुथरा करते हैं और उन्हें दीपों से सजाते हैं। विशेष रूप से तिल, गुड़, और दाना आदि से बने दीपों की सजाकर उन्हें बुद्धिमानी और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रज्वलित किया जाता है।
महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा को मनाने का मुख्य महत्व है सत्य, दान, और तप की महिमा को समझाना। इस दिन किए गए पुण्यकर्मों का फल विशेष रूप से मिलता है और व्यक्ति अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि प्राप्त करता है।
मुहूर्त:
कार्तिक पूर्णिमा का विशेष मुहूर्त ध्यानपूर्वक चयन किया जाता है ताकि पूजा की सही रीति-रिवाज़ के साथ हो सके। विशेष रूप से सूर्योदय के समय या चंद्रोदय के समय पूजा करने का महत्वपूर्ण मुहूर्त होता है।
इस दिन:
कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग व्रत रखकर विशेष रूप से गंगा स्नान करते हैं और तीर्थस्थलों में जाकर पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन दीपों का प्रज्वलन, विशेष रूप से तिल के दीपों का, विशेष महत्वपूर्ण है।
कार्तिक पूर्णिमा एक धार्मिक और सामाजिक उत्सव है जो सत्य, धर्म, और दया की महिमा को मनाता है और लोगों को एक-दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना के साथ जोड़ता है।
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कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि, महत्व, मुहर्त और इस दिन ...
कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग विशेष रूप से व्रत, पूजा, और धार्मिक क्रियाएं करते हैं और इसे दीपावली के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पर्व मानते हैं। यह त्योहार भगवान शिव, विष्णु, और ब्रह्मा की पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
कार्तिक पूर्णिमा को मनाने के लिए लोग सुबह से ही घातकाशी का व्रत रखते हैं और उसे रात्रि में ब्रज में खेतों में विशेष रूप से दीपकों की सजावट के साथ मनाते हैं। इस दिन लोग गंगा स्नान करते हैं और ब्रज के तट पर यात्रा करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष पूजा अर्चना और अनुष्ठानों के साथ ही, ज्ञान दान और अन्नदान का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन का महत्व इसे विशेष रूप से विभिन्न क्षेत्रों में चलने वाले मेले और उत्सवों के माध्यम से बढ़ाता है।
कार्तिक पूर्णिमा का मुहर्त भी बहुत अधिक महत्वपूर्ण है, और इस दिन का शुभ मुहर्त मान्यता प्राप्त करता है। इसे धार्मिक ग्रंथों में स्पष्टता से बताया गया है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से पूजा, दान, और ध्यान का करना अत्यंत पुण्यदायक होता है।
समग्र रूप से, कार्तिक पूर्णिमा एक सामाजिक और धार्मिक उत्सव है जो लोगों को सात्विक भावनाओं के साथ एकजुट करता है और उन्हें धार्मिकता और आध्यात्मिकता की ओर मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
विधायिका का महत्त्व
विधायिका का निर्वाचन जनता द्वारा किया जाता है, और इसका कार्य भी जनता का प्रतिनिधित्व करना ही है।
कानून बनाना इसके महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक है। संसद में कार्य के लिए बहस, सरोकार, विरोध प्रदर्शन, सहयोग आदि इसके अस्तित्व को जीवित रखने का काम करते हैं।
इससे जनप्रतिनिधि जनता के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को सुनिश्चित करते हैं�� लेकिन आज के समय में कई लोकतान्त्रिक देशों में…
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विधानसभेच्या…
Jaya Ekadashi 2024, a significant Hindu fasting day, holds a revered place in the Hindu calendar. Falling on the 11th day of the bright fortnight (Shukla Paksha) in the month of Magh (magh Ekadashi 2024), it is dedicated to Lord Vishnu and is observed with great devotion and enthusiasm.
Jaya Ekadashi 2024 date:
Jaya Ekadashi 2024 will be observed on Tuesday, 20th February. The fasting for Jaya Ekadashi begins on 19th February 2024 at 8:49 am and concludes on 20th February 2024 at 9:55 am.
The Parana, or the breaking of the fast, should be done on 21st February 2024, between 6:55 am and 9:11 am.
Auspicious Yoga:
Jaya Ekadashi is associated with auspicious yogas such as Preeti, Ayushman, Tripushkar, and Ravi Yoga. These yogas are believed to enhance the benefits of worshiping Lord Vishnu on this day.
Jaya Ekadashi significance:
Jaya Ekadashi is considered a powerful fast that can cleanse one of the sins and grant worldly pleasures.
The month of Magh, in which Jaya Ekadashi falls, is auspicious for the worship of Lord Shiva, adding to the significance of this day.
The fast ends with Parana, ideally done as soon as possible after the end of Dwadashi.
In some South Indian communities, Jaya Ekadashi is also known as Bhoomi Ekadashi (Jaya ekadashi vrat Katha) and Bhishma Ekadashi.
Devotees observe this fast with dedication and perform rituals to seek the blessings of Lord Vishnu for the fulfillment of their desires and spiritual growth.