मदर टेरेसा जयंती: दिव्य महिला द्वारा प्रतिष्ठित उद्धरण
मदर टेरेसा जयंती: दिव्य महिला द्वारा प्रतिष्ठित उद्धरण
छवि स्रोत: INSTAGRAM/MOTHER_THERESA_SAINT_OF_INDIA मदर टेरेसा जयंती: उनके द्वारा प्रतिष्ठित बातें
मदर टेरेसा उनका जन्म 26 अगस्त, 1910 को मैसेडोनिया के स्कोप्जे में एक समर्पित कैथोलिक परिवार एग्नेस गोंक्सा बोजाक्सीहु के रूप में हुआ था। उसने लोरेटो कॉन्वेंट, डबलिन, आयरलैंड में अपना नाम हासिल किया। मदर टेरेसा को जानने वाले लोगों को पता चला कि उनका अभिषेक होने से पहले उनका एक रहस्यमय स्पर्श था। सेंट…
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ईद मिलाद उन नबी के मौके पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया
ईद मिलाद उन नबी के मौके पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया
ईद मिलाद उन नबी के मौके पर हाजी अकबर जी लूनी वाला मेमोरियल ट्रस्ट एवं केजीएन ब्लड डोनेशन ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में मदर टेरेसा स्कूल के पास मिलाद रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने बढ़ चढ़कर भाग लेते हुए रक्तदान किया ट्रस्ट के ट्रस्टी गनी मोहम्मद सुमरो ने बताया कि मोहम्मद साहब का आज जन्म दिन यौमे विलादत था और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूरी दुनिया के नबी बनाकर भेजे गए थे और उन्होंने इंसानियत की खिदमत करने का आदेश दिया इसी से प्रेरणा लेते हुए नबी की पैदाइश के दिन यह रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिससे प्रेरणा लेकर और लोग भी इंसानियत व मानवता की सेवा में आगे आए |
ट्रस्टी निसार अहमद सूमरो ने बताया कि हमारे बीच बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें समय पर खून नहीं मिलने से दुनिया को अलविदा कह देते हैं इस लिए हमारा कर्तव्य है कि ऐसे कामों के लिए आगे आएं और लोगों को रक्तदान के लिए जागरूक करें. इस तरह का शिविर हर साल नबी सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम के यौमे विलादत (पैदाइश के दिन) आयोजित किया जायेगा, पैगंबर साहब ने पूरी दुनिया को अमन और इंसानियत का पाठ पढ़ाया है.
इस रक्तदान शिविर में 75 यूनिट ब्लड का रक्तदान किया गया इस मौके पर केजीएन ब्लड डोनेशन ग्रुप के अध्यक्ष मोहम्मद अनस रफीक भाई शकूर भाई नवाज़ भाई अनवर भाई मुस्ताक भाई वह लूनी वाला ट्रस्ट की और से जहान आलम सुमरो गुलाम नबी सुमरो मोहम्मद आसिफ मोहम्मद साबिर मोहम्मद शकील मोहम्मद रमजान सूमरो साबिर SM सहित काफी लोगों ने अपनी सेवाएं इस शिविर में प्रदान की रक्तदान करने वाले सभी रक्त वीरों को लूनी वाला ट्रस्ट व केजीएन ब्लड डोनेशन ग्रुप की ओर से सम्मान पत्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर उनकी अनुकरणीय व प्रशंसनीय सेवाओं का आभार व्यक्त किया गया |
ब्लड बेंक बालोतरा के डा. कमल किशोर नर्सिंग सहायक लेब टेक्निसियन महेंद्र पंवार लेब टेक्निसियन मुकेश चौहान व कम्पुटर ऑपरेटर धर्मेंद्र ने अपनी सेवाएं इस रक्तदान शिविर में प्रदान की |
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मदर टेरेसा की 25वीं पुण्यतिथि: नोबेल पुरस्कार विजेता के प्रेरणादायक उद्धरण
मदर टेरेसा की 25वीं पुण्यतिथि: नोबेल पुरस्कार विजेता के प्रेरणादायक उद्धरण
मदर टेरेसा की 25वीं पुण्यतिथि: मदर टेरेसा दुनिया भर के कई लोगों के लिए एक प्रेरणा थीं, क्योंकि उन्होंने अपना जीवन लाखों जरूरतमंद और कमजोर लोगों के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी निस्वार्थता और सेवा ने उन्हें प्रेम, शांति और करुणा का प्रतीक बना दिया। उन्होंने 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता। उन्होंने अपने पूरे जीवन के लिए कोलकाता और दुनिया भर में गरीबों के लिए अथक परिश्रम किया।
मदर टेरेसा का जन्म…
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Mother Teresa Birth Anniversary | भारत में बेसहारों का 'सहारा' बनीं मदर टेरेसा, जानें किसकी सेवा में व्यतीत किया अपना पूरा जीवन
Mother Teresa Birth Anniversary | भारत में बेसहारों का ‘सहारा’ बनीं मदर टेरेसा, जानें किसकी सेवा में व्यतीत किया अपना पूरा जीवन
File Photo
नई दिल्ली : हर साल 26 अगस्त को मदर टेरेसा की जयंती (Mother Teresa’s Jayanti) मनाई जाती हैं। आपने इनका नाम तो जरूर सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते है कि आखिर मदर टेरेसा कौन थी और आज उनकी जयंती के मौके पर उन्हें पूरी दुनिया क्यों याद कर रही है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं। मदर टेरेसा कैथोलिक नन (Catholic Nun) थीं।
इनका जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बानिया (Albania) में हुआ था। 18 साल तक वो…
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क्या मदर टेरेसा को बदनाम करने की साजिश हुई थी?
क्या मदर टेरेसा को बदनाम करने की साजिश हुई थी?
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लाचारों की मदद और गरीबों की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी समर्पित करने वाली संत मदर टेरेसा (Mother Teresa) का आज ही के दिन निधन हुआ था. वैटिकन सिटी (Vetican City) के पोप ने उन्हें संत की उपाधि प्रदान की थी. मदर टेरेसा ने भारत (India) को अपनी कर्मभूमि बनाया था और गरीब, बीमार, लाचार लोगों की सेवा को अपने…
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अरविंद केजरीवाल जीवनी - Arvind Kejriwal Biography in Hindi
Arvind Kejriwal Biography in Hindi : अरविंद केजरीवाल जो कि वर्तमान में दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं. जो कि एक लोकप्रिय राजनीतिज्ञ है. दोस्तो आज में आपको अरविंद केजरीवाल के बारे में बताऊंगी कि कैसे वो इस पद पर विराजमान हुए और लोगों में कैसे इनकी इतनी लोकप्रियता है.
आम आदमी पार्टी के लीडर अरविंद केजरीवाल जो कि राजनीति में आने से पहले ही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में सरकारी कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए संघर्ष करते रहे हैं. जिन्होंने बिना किसी राजनीतिक पद के भारत की जनता के लिए बहुत सारे कार्य किये और गरीब जनता को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए मजबूत किया. इन्होंने अन्ना हजारे के साथ भी कार्य किया तथा बाद में स्वतंत्र पार्टी का गठन कर चुनाव में खड़े हुए और उसमे भारी बहुमत ले कर जीत प्राप्त की.
शुरुआती ��ीवन :
अरविंद केजरीवाल यह बचपन से ही काफ़ी होशियार रहे हैं. फिर बात पढ़ाई लिखाई की हो या फिर कुछ और, क्योंकि एक बार इनकी तबियत खराब थी और इन्होंने बहस प्रतियोगिता में भाग ले रखा था. क्यूँकि जो इनके साथी थे वो हार न जाए इसलिए ये तबियत खराब होने के बावजूद कम्बल ओढ़ कर स्कूल गए और प्रतियोगिता में भाग लिया. ये ऐसे व्यक्ति हैं जो किसी भी कार्य के लिए सोच ले फिर उससे कर कर ही मनाते है.
इनके माता पिता की यह पहली संतान हैं. जिनका जन्म जन्माष्टमी को हुआ इसलिए घर के सदस्यों ने इन्हें कान्हा नाम कहकर बुलाते थे. केजरीवाल जी का पूरा जीवन उत्तर प्रदेश के हिसार सोनीपत और गाजियाबाद के बीच गुजरा है. इन्हें स्कूल के दिनों में नाटक और बहस प्रतियोगिता में भाग लेने का बहुत शौक़ था औऱ इसलिए यह कॉलेज के दिनों में भी भाग लिया करते थे. इनकी स्कूली शिक्षा हिसार में ही हुई थी.
शिक्षा :
सन 1989 में आई आई टी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री अरविंद केजरीवाल ने प्राप्त की. डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने पहली नौकरी के रूप में 1989 में टाटा स्टील कंपनी में कार्य किया और इन्हें जमशेदपुर जाना पड़ा. किन्तु इन्हें अपने इस कार्य में ज्यादा मजा नही आया और इन्होंने टाटा ग्रुप के हैड के पास जाकर सोशल वेल फेयर से जुड़कर सामाजिक कार्य करने की इच्छा जताई .
उन्होंने इन्हें मना कर दिया और फिर 1992 में इन्होंने वह नौकरी छोड़ दी. बाद में उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और पहले परीक्षा में ही उसे पास कर लिया. जिससे उन्हें आई आर एस मिली.
जिस समय वो जमशेदपुर में थे तब उन्होंने मदर टेरेसा के बारे में खूब सुना था और उनके साथ कार्य करने की इच्छा थी. फिर वो कोलकाता चले गए मदर टेरेसा के साथ कार्य करने के लिए क्योंकि वो उनके कार्य करने के तरीके से काफी प्रभावित थे.
जब उन्होंने मदर टेरेसा के सामने अपनी इच्छा प्रकट की तो उन्होंने उन्हें काली घाट जो कोलकाता में है वहाँ उन्हें कार्य करने के लिए भेज दिया. तब केजरीवाल ने वह 2 महीने तक कार्य किया. वह मदर टेरेसा के मार्गदर्शन से गरीब और अभाव ग्रस्त लोगों की मदद किया करते थे और उनका कहना था कि मदर टेरेसा से मिलना उनके जीवन का एक बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट था.
अरविंद केजरीवाल का व्यक्तिगत जीवन :
देश के लिए कुछ कर जाने का जज्बा उनके अंदर पहले से ही था. जिस समय उनके मित्र विदेश में पढ़ाई करने जाने के लिए सोच रहे थे तब वह देश में ही बस कर कुछ करने के लिए सोच रहे थे. इसलिए उन्होंने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास की. फिर 1995 मे उनका विवाह हो गया. अरविंद केजरीवाल जी का विवाह सुनीता जी से हुआ था. जो एक आईआरएस अधिकारी है. अब वे आयकर विभाग में कार्यरत हैं. इनके दो बच्चे है एक लड़की हर्षिता लड़का पुलकित है. इनकी माता का नाम गीता देवी है और पिता का नाम गोबिंद राम केजरीवाल है. इनके एक भाई और बहन भी है भाई का नाम मनोज है और बहन का नाम रंजना है.
अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक सफर कुछ इस प्रकार रहा :
करियर : सन 1995 सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करके केजरीवाल जी आयकर विभाग में जॉइंट कमिश्नर के पद पर नियुक्त हुए और उन्होंने बेहद ईमानदारी के साथ कार्य किया. जब यहाँ पर भी भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें फैलना शुरू कर दिया तो उन्होंने वर्ष 2000 में 2 वर्ष की छुट्टी की अपील की और अपने उच्च शिक्षा की प्राप्ति के बाद इसी पद पे आसीन होने की अनुमति मांगी.
तब वहाँ के अधिकारी ने उनके आगे शर्त रखी कि यदि तुम इस परीक्षा में पास नही हुए तो 2 वर्ष तक जो राशि तुम्हें दी जा���ेगी वह वापस करना पड़ेगा और केजरीवाल ने यह शर्त मान ली. सन 2002 में जब वह परीक्षा पास कर वापस आए तो उन्हें उनकी वह पद 1 वर्ष तक वापस नही दी गई उन्हें बार बार टाल दिया गया और आखिर में उन्होंने अपना इस्तीफ़ा दे दिया.
किन्तु इससे उन्होंने अपना अधिकार पत्र का वादा तोड़ दिया और इस मुद्दे पर कई वर्षों तक प्रशासन में बता चली की केजरीवाल को अपना 2 वर्ष का वेतन वापस करना है या नहीं. अंत मे केजरीवाल ने ही अपने कुछ मित्रों से पैसे उधर लेकर प्रशासन को 9,27,787 रुपये देकर अपनी नॉकरी की छोड़ दिया.
राजनीति करियर : आयकर विभाग से इस्तीफ़ा देने के बाद उन्होंने "परिवर्तन" नामक एक संस्था को खोला और गरीब लोगों की मदद की. वह बिजली विभाग और आयकर विभाग से जुड़ी समस्याओं का समाधान करते थे वो भी फ़्री में, उनका कहना था कि यदि कोई भी अधिकारी आपसे रिश्वत मांगता है तो आप सीधे हमारे पास आये, आपका कार्य हम करके देगे वो भी मुफ्त में . ऐसे करके उन्होंने 1 वर्ष में लगभग 800 सौ लोगों की मदद की .
वह कभी भी प्रत्यक्ष रूप से सहायता नहीं करते थे हमेशा अप्रत्यक्ष रूप से ही सहायता करते थे और जो प्रत्यक्ष होते थे वो उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया थे. इन्होंने 2003 में फिर से आयकर विभाग में कार्य करना शुरू कर दिया करीब 1वर्ष 6 महीने तक उन्होंने नौकरी की फिर बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए इन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया.
फिर इसके बाद वो पूरी तरह से परिवर्तनशीला संस्था से जुड़ गए. भारत भ्रष्टाचार के जड़ो को बढ़ता देख अरविंद केजरीवाल ने आर टी आई के मुद्दे को लोगों के बीच लेकर आए. उन्होंने बताया कि इससे अनुसार जनता को अधिकार था कि वह सरकार द्वारा किए गए किसी भी कार्य को लेकर सरकार से सवाल जवाब कर सकती हैं.
राज्य स्तर पर किए गए कार्य :
*भारत देश की जनता को आर टी आई से जुड़े अधिकारों को लेकर बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी लेकिन इससे जुड़े अधिकारों की जागरूकता अरविंद केजरीवाल ने लोगों तक फैलाई. इनके अंदर सामाजिक कार्य करने की एक अलग से देशभक्ति की भावना जग चुकी थीं. जब जनलोकपाल बिल पास करने के लिए अन्ना हजारे जी एक आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे तब उन्होंने भी उनका साथ दिया और इस आंदोलन को पूरे देश मे फैलाया।
यह सब करते करते न जाने कब इन्होंने सामाजिक चोला छोड़ राजनीतिक चोला पहन लिया पता नही चला किन्तु इनके अंदर की बात को अन्ना हजारे जी पहचान चुके थे. फिर अरविंद केजरीवाल ने अन्ना हजारे को छोड़कर अपना एक अलग पार्टी का गंठन किया 2012 में जब 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है. इस पार्टी का नाम आम आदमी पार्टी था.
इस दौरान इनके काफी साथी ने इनका साथ छोड़ दिया और वापस अन्ना हजारे के पास गए तो कुछ ने अरविंद केजरीवाल का ही साथ दिया जैसे मनीष सिसोदिया. जब उन्होंने राजनीति में अपनी पकड़ बना ली, तब उन्होंने 2013 में दिल्ली में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. किन्तु 49 दिनों तक ही इन्होंने कार्य कर के इस्तीफ़ा दे दी लर हार नही मानी अगले चुनाव में भारी बहुमत से जीत प्राप्त की. दिल्ली के चुनाव में उन्होंने 70 में से 67 सीटों पर जीतकर 14 फ़रवरी 2015 में फिर से शपथ ले राजनीति में अपनी वापसी की.
अरविंद केजरीवाल जी की उपलब्धिया :
* वर्ष 2004 में इन्हें सामाजिक सहभागिता के लिए अशोक फेलो अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
* 2005 में इन्हें आर टी आई कानपुर, सरकार पारदर्शिता में लाने के लिए उनके अभियान हेतु उन्हें सत्येंद्र दुबे मेमोरियल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
* 2006 में इन्हें एक अलग अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. लोकसभा चुनाव में सीएनएन आईबीएन इंडियन ऑफ द ईयर दिया गया.
* 2009 में आईआईटी खड़गपुर में इन्हें विशिष्ट छात्र नेतृत्व के रूप में अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
* अपने सामाजिक कार्य की लेकर 2013 में अरविंद केजरीवाल "फॉरेन पॉलिसी द्वारा" 100 वैश्विक चिंतन लोगों में शामिल हुए.
* 2014 में विश्व के सबसे प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन द्वारा विश्व के प्रभावशाली लोगों में शामिल किया गया.
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नुसरत जहां के बेटे का नाम सुनकर हो जाएंगे हैरान, ट्रोल्स ने पूछा- ऐक्टर यश हैं पिता?
नुसरत जहां के बेटे का नाम सुनकर हो जाएंगे हैरान, ट्रोल्स ने पूछा- ऐक्टर यश हैं पिता?
बांग्ला फिल्म की सुपरहिट ऐक्ट्रेस और तृणमूल कांग्रेस सांसद नुसरत जहां (Nusrat Jaha) ने पिछले दिनों बेटे को जन्म दिया है। अब उन्होंने बेटे के नाम का खुलासा किया है। दरअसल, उन्होंने अपने नवजात बेटे का नाम ईशान रखा है। आप सभी को बता दें कि पिछले गुरुवार को नुसरत जहां ने मदर टेरेसा की जयंती के दिन पार्क स्ट्रीट स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में बेटे को जन्म दिया था। अस्पताल के सोर्स के मुताबिक नुसरत…
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1 Month Crash Course For Haryana Police Male SI (Exam 07/08 August 2021) by Examkityaari
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1. मोटर गाड़ियों से निकलने वाली गैस कौन सी है – कार्बन मोनोऑक्साइड.
2. सोने की शुद्धता को किसमें परिभाषित किया जाता है – कैरेट.
3. सौर मंडल में कितने ग्रह हैं – 7
4. गुब्बारों को भरने के लिए किस गैस का प्रयोग किया जाता है – हाइड्रोजन.
5. वेदों में निम्न में से किसे सृष्टि रचयिता कहा गया है? – शंकराचार्य.
6. चांद पर पहुंचने वाला पहला व्यक्ति कौन था – नील आर्मस्ट्रांग.
7. भारत में हीरे की खानें कहां है – पन्ना मध्य प्रदेश.
8. श्री कृष्ण ने कौरव पांडव युद्ध के समय अर्जुन को दिया उपदेश का वर्णन कहां मिलता है – भगवत गीता
9. सती प्रथा का अंत करने के लिए किस भारतीय नेता ने प्रयत्न किए – राजा राममोहन राय.
10. हमारा राष्ट्रीय गीत कौन सा है – वंदे मातरम.
11. राष्ट्रीय गान को गाने में अधिकतम कितना समय लगता है – 52 सेकंड.
12. कार्नवालिस द्वारा स्थाई बंदोबस्त की पद्धति कब लागू की गई – 1780 मैं
13. साइमन कमीशन कब भारत आया – 1928.
14. जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ – 13 अप्रैल 1919 में
15. अजंता की गुफाएं किस राज्य में स्थित है – महाराष्ट्र.
16. भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ – 8 अगस्त 1942
17. आजाद हिंद फौज की स्थापना किसने की – सुभाष चंद्र बोस
18. दिल्ली चलो का नारा किसने दिया था – सुभाष चंद्र बोस.
19. भाखड़ा नांगल परियोजना किस नदी पर है – सतलुज.
20. हीराकुंड बांध किस राज्य में स्थित है – उड़ीसा.
21. भारत की प्रथम नदी घाटी परियोजना कौन सी थी – दामोदर घाटी परियोजना.
22. विश्व की सबसे लंबी नदी कौन सी है – नील नदी
23. अशोक ने किस धर्म को अपना लिया था – बौद्ध धर्म.
24. धामी गोली कांड कब हुआ – 16 जुलाई 1939 में
25. भारत का संविधान कब लागू हुआ – 26 जनवरी 1950 में.
26. भारत की संविधान का संरक्षण कौन है – उच्चतम न्यायालय.
27. राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम किस वर्ष संसद द्वारा पारित किया गया – 1990 में.
28. छोटा नागपुर पठार की सबसे ऊंची चोटी है – पारसनाथ.
29. भारत में अभ्रक का सर्वाधिक उत्पादन कौन से राज्य से होता है – झारखंड.
30. मदर टेरेसा का जन्म कहां हुआ – अल्बानिया.
31. भारतीय सशस्त्र सेनाओं का प्रमुख सेनापति कौन होता है? – राष्ट्रपति.
32. सौर ऊर्जा किससे प्राप्त होती है- सूर्य.
33. ऐसा कौन सा देश दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना जबकि पहले नंबर पर अमेरिका है? – चीन
34. कारक के कितने भेद हैं – 8
35. अंतरिक्ष की दूरी नापने के लिए कौन सी सही इकाई है – प्रकाश वर्ष.
36. ड्राई आइस क्या होता है – ठोस कार्बन डाइऑक्साइड.
37. खाना पकाने वाली LPG गैस किसका मिश्रण है – प्रोपेन एवं ब्यूटेन का.
38. विद्युत बल्ब में भरी जाती है – नाइट्रोजन गैस.
39. किस साल को स्टैंडर्ड सेल कहते हैं- कैडमियम सेल.
40. किस मच्छर के काटने से डेंगू ज्वर आता है – एंडीज.
41. जल का आपेक्षिक घनत्व अधिकतम होता है – 4 डिग्री सेल्सियस पर.
42. नील क्रांति का संबंध किससे है – मत्स्य उत्पादन से.
43. सफेद क्रांति का संबंध किससे है – दूध उत्पादन से.
44. कौन सा राज्य मसाला उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है – केरल.
45. क्षेत्रफल में भारत का सबसे बड़ा राज्य कौन है – राजस्थान.
46. गुब्बारों में स्वयं उड़ने वाली कौन सी गैस भरी जाती है – हीलियम.
47. प्राथमिक रंग कौन से हैं – लाल हरा नीला.
48. वह यंत्र जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है क्या कहलाता है – बैटरी.
49. एलेग्जेंडर फ्लेमिंग ने क्या खोजा था – पेनिसिलिन.
50. सूर्य एक क्या है – तारा.
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शशिकला नहीं रहीं: 88 साल की शशिकला ने दुनिया को कहा अलविदा, 100 से ज्यादा फिल्में करने वालीं एक्ट्रेस को मदर टेरेसा ने 9 साल पनाह दी थी
शशिकला नहीं रहीं: 88 साल की शशिकला ने दुनिया को कहा अलविदा, 100 से ज्यादा फिल्में करने वालीं एक्ट्रेस को मदर टेरेसा ने 9 साल पनाह दी थी
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गुजरे जमाने की मशहूर एक्ट्रेस शशिकला का 4 अप्रैल को 88 साल की उम्र में मुंबई में निधन हो गया। उनके निधन की खबर राइटर किरन कोट्रियाल ने सोशल मीडिया पर शेयर की है। 100 से ज्यादा फिल्मों में सपोर्टिंग रोल निभा चुकीं शशिकला का जन्म 4 अगस्त 1932 में महाराष्ट्र के सोलापुर में हुआ हुआ था। हलाांकि शशिकला के…
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मदर टेरेसा का जन्मदिन: 68 साल तक जरूरतमंदों की सेवा कर मदर टेरेसा ने दिया इंसानियत का संदेश, नन के पारंपरिक परिधानों से अलग नीली बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनकर खुद को लोगों से जोड़ा
मदर टेरेसा का जन्मदिन: 68 साल तक जरूरतमंदों की सेवा कर मदर टेरेसा ने दिया इंसानियत का संदेश, नन के पारंपरिक परिधानों से अलग नीली बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनकर खुद को लोगों से जोड़ा
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गरीबों की मसीहा बनकर लोगों की सेवा करने वाली मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को एक अल्बेनियाई परिवार में उस्कुब, उस्मान साम्राज्य में हुआ था। मदर टेरेसा का नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। इसका अर्थ होता है 'फूल की कली'। वे रोमन कैथोलिक नन थीं। जनवरी 1929 में वे भारत आईं, और हमेशा के लिए यहीं की होकर रह गईं।
1948 में उन्होंने भारतीय नागरिकता ली। उन्होंने 1950 में कोलकाता में 'मिशनरीज ऑफ…
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🚩ईसाई मिशनरियों के मायाजाल को जानकर हो जाएं सावधान, नहीं तो होगी भयंकर हानि - 16 सितंबर 2021
🚩ईसाई मिशनरी का मायाजाल - गैर ईसाइयों को ईसाई बनाने के लिए किस तरह के षड्यंत्रों का प्रयोग किया जाता है वह विचारणीय है। क्या आपने आजतक कभी सुना है कि कुछ मुस्लिम, ईसाई बने हैं? आखिर हिन्दू ही इतना आसान निशाना क्यों है? कुछ समय पहले झारखण्ड सरकार ने No Conversion ( धर्मान्तरण रोकने का) कानून बनाया तो समस्त ईसाइयों ने इसका जबर्दस्त विरोध किया।
जानिए इनके कुछ छल कपट जो पूर्व में अपनाए गए थे या आज अपनाए जा रहे हैं।
🚩1- जिसे आज हम झारखंड कहते हैं वह उस समय बिहार का हिस्सा था।आदिवासियों में एक अफवाह फैलाई गई कि आदिवासी हिन्दू नहीं ईसाई हैं।
उस समय कार्तिक उरांव, जो वनवासियों के समुदाय से थे एवं कांग्रेस में इंदिरा गांधी के समकक्ष नेता थे, ने इसका बहुत ही कड़ा और कारगर विरोध किया। उन्होंने कहा कि पहले सरकार इस बात को निश्चित करे कि बाहर से कौन आया था? यदि हम यहाँ के मूलवासी हैं तो फिर हम ईसाई कैसे हुए क्योंकि ईसाई पन्थ तो भारत से नहीं निकला और यदि हम बाहर से आये ईसाईयत को लेकर, तो फिर आर्य यहाँ के मूलवासी हुए। और यदि हम ही बाहर से आये तो फिर ईसा के जन्म से हज़ारों वर्ष पूर्व हमारे समुदाय में निषादराज गुह, शबरी, कणप्पा आदि कैसे हुए? उन्होंने यह कहा कि हम सदैव हिन्दू थे और रहेंगे।
🚩उसके बाद कार्तिक उरांव ने बिना किसी पूर्व सूचना एवं तैयारी के भारत के भिन्न-भिन्न कोनों से वनवासियों के पाहन, वृद्ध तथा टाना भगतों को बुलाया और यह कहा कि आप अपने जन्मोत्सव, विवाह आदि में जो लोकगीत गाते हैं उन्हें हमें बताईए। और फिर वहां सैकड़ों गीत गाये गए और सबों में यही वर्णन मिला कि यशोदाजी बालकृष्ण को पालना झुला रही हैं, सीता माता रामजी को पुष्पवाटिका में निहार रही हैं, कौशल्याजी रामजी को दूध पिला रही हैं, कृष्णजी रुक्मिणी से परिहास कर रहे हैं, आदि आदि। साथ ही यह भी कहा कि हम एकादशी को अन्न नहीं खाते, जगन्नाथ भगवान की रथयात्रा, विजयादशमी, रामनवमी, रक्षाबन्धन, देवोत्थान पर्व, होली, दीपावली आदि बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
🚩फिर कार्तिक उरांव ने कहा कि यहाँ यदि एक भी व्यक्ति यह गीत गा दे कि मरियम ईसा को पालना झुला रही हैं और यह गीत हमारे परम्परा में प्राचीन काल से है तो मैं भी ईसाई बन जाऊंगा। उन्होंने यह भी कहा कि मैं वनवासियों के उरांव समुदाय से हूँ। हनुमानजी हमारे आदिगुरु हैं और उन्होंने हमें राम नाम की दीक्षा दी थी। ओ राम, ओ राम कहते कहते हम उरांव के नाम से जाने गए। हम हिन्दू ही पैदा हुए और हिन्दू ही मरेंगे।
🚩2- जेमो केन्याटा केन्या की जनता के बीच राष्ट्रपिता का दर्जा रखते हैं। उन्होंने कहा था जब केन्या में ईसाई मिशनरियां आईं उस समय हमारी धरती हमारे पास थी और उनकी बाइबिल उनके पास।
उन्होंने हमसे कहा– “आँख बंद कर प्रार्थना करो।”
जब हमारी आंखें खुलीं तो हमने देखा कि उनकी बाइबिल हमारे पास थी और हमारी धरती उनके पास।
🚩3- छत्तीसगढ़ - एक मिशनरी के हाथ में 2 मूर्तियाँ- एक भगवान कृष्ण की, दूसरी यीशु की। ईसाई मिशनरी (प्रचारक) गाँव वालों को कहता है कि देखो जिसका भगवान सच्चा होगा वह पानी में तैर जाएगा। यीशु की मूर्ति तैरती है ( क्योंकि वह लकड़ी की बनी थी) और ��्रीकृष्ण की मूर्ति पानी में डूब जाती है (क्योंकि वह POP या मिट्टी की बनी थी)। ये ट्रिक कई गाँवों में अजमाई गई। एक गाँव में एक युवक ने कहा कि हमारे यहाँ तो अग्नि परीक्षा होती है तो मिशनरी बहाना बनाकर निकल जाता है।
🚩4- अभी कुछ साल पहले मदर टेरेसा के बीटिफिकेशन हुआ था अर्थात मदर टेरेसा को सन्त घोषित किया गया, जिसके लिए राईगंज के पास की रहनेवाली किन्हीं मोनिका बेसरा से जुड़े 'चमत्कार' का विवरण पेश किया गया था। गौरतलब है कि 'चमत्कार' की घटना की प्रामाणिकता को लेकर सिस्टर्स आफ चैरिटी के लोगाें ने लम्बा चौड़ा 450 पेज का विवरण वैटिकन को भेजा था। यह प्रचारित किया गया था कि मोनिका के टयूमर पर जैसे ही मदर टेरेसा के लॉकेट का स्पर्श हुआ, वह फोड़ा छूमन्तर हुआ। दूसरी तरफ खुद मोनिका बेसरा के पति सैकिया मूर्मू ने खुद 'चमत्कार' की घटना पर यकीन नहीं किया था और मीडियाकर्मियों को बताया था कि किस तरह मोनिका का लम्बा इलाज चला था। दूसरे राईगंज के सिविल अस्पताल के डाक्टरों ने भी बताया था कि किस तरह मोनिका बेसरा का लम्बा इलाज उन्होंने उसके ट्यूमर ठीक होने के लिए किया।
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🚩ईसाई दयालुता केवल तभी तक है जब तक कोई व्यक्ति ईसाई नहीं बनता। यदि इन्हें लोगों की भूख, गरीबी और बीमारी की ही चिन्ता होती तो अफ्रीका महाद्वीप के उन देशों में जाते जहाँ 95% जनसंख्या ईसाई है। आज जरूरत है कि प्रत्येक भारतीय महर्षि दयानन्द कृत सत्यार्थ प्रकाश पढ़े और विधर्मियों के छल कपट को समझे । यदि हम आज नहीं जागे तो कल तक बहुत देर हो जाएगी। - डॉ. विवेक आर्य
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मां कालरात्रि दुर्गा का सातवां स्वरूप है । यह स्वरूप काल का नाश करने वाला है, इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। इनका वर्ण अंधकार की भांति एकदम काला है। बाल बिखरे हुए हैं और इनकी माला बिजली की भांति देदीप्यमान है। इन्हें तमाम आसुरिक शक्तियों का विनाश करने वाला बताया गया है।
वाहन व स्वरूप
इनका वाहन गर्दभ अर्थात् गधा है। माता कालरात्रि के तीन नेत्र और चार हाथ हैं। एक हाथ में खड्ग है तो दूसरे में लौहास्त्र, तीसरे हाथ में अभय-मुद्रा है और चौथे हाथ में वर-मुद्रा है।
महत्त्व
मां कालरात्रि की आराधना के समय भानु चक्र जाग्रत होता है। हर प्रकार का भय नष्ट होता है। जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है।
भारत की अग्नि मिसाइलें। वे अस्त्र जिनसे हमारे सभी दुश्मन खौफ खाते हैं। वे अस्त्र जिनके जरिए हमें परमाणु हथियारों को दुश्मन की सरजमीं तक पहुंचाने की क्षमता हासिल हुई। यों तो इन मिसाइलों को डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है, मगर इनमें वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. टेसी थॉमस की सबसे बड़ी भूमिका है। वह अग्नि-3 मिसाइल प्रोजेक्ट की एसोसिएट डायरेक्टर रहीं तो अग्नि-4 और अग्नि-5 प्रोजेक्ट्स की डायरेक्टर। यानी अग्नि-4 और अग्नि-5 मिसाइल प्रोजेक्ट्स की अगुवाई पूरी तरह टेसी थॉमस ने की। भारत के किसी मिसाइल प्रोजेक्ट को लीड करने वाली वह पहली महिला हैं। उन्होंने लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए गाइडेंस स्कीम का डिजाइन बनाया है। यही डिजाइन सभी अग्नि मिसाइलों में इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि डॉ. टेसी थामस को भारत की मिसाइल वूमेन और अग्निपुत्री भी कहा गया। अग्नि -3 की मारक दूरी 3 हजार किलोमीटर है, तो अग्नि-4 की 3.5 से 4 हजार किलोमीटर। वहीं, अग्नि-5 मिसाइल 5 हजार किलोमीटर दूर तक दुश्मन पर तबाही बरपा सकती है।
डॉ. कलाम ने मिसाइल कार्यक्रम से जोड़ा
डॉ. टेसी 1988 में डीआरडीओ में शामिल हुईं। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उनको नई पीढ़ी की बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि कार्यक्रम से जोड़ा था। अग्नि-5 मिसाइल का 9 अप्रैल, 2012 को सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इसके बाद उन्हें डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल सिस्टम्स की डायरेक्टर जनरल बनाया गया। मिसाइल तकनीक में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डॉ. टेसी को लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अवार्ड दिया गया।
डॉ. टेसी को तो बॉलीवुड एक्टर से ज्यादा मशहूर होना चाहिए
उन्होंने कलीकट यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल में बीटेक किया है। इसके बाद पूणे यूनिवर्सिटी से एमई (गाइडेड मिसाइल) किया। वह ऑपरेशंस मैनेजमेंट में एमबीए और ��िसाइल गाइडेंस में पीएचडी कर चुकी हैं। उन्हें पांच यूनिवर्सिटीज से डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि मिल चुकी है। बिजनेस टाईकून आनंद महिंद्रा ने एक बार कहा था कि टेसी को किसी बॉलीवुड एक्टर से ज्यादा मशहूर होना चाहिए।
आठवीं क्लास में थीं, जब पिता को हो गया था पैरालिसिस
टेसी का जन्म केरल के अलापुझा (एलेप्पी) में 1963 में हुआ था। मदर टेरेसा के नाम पर उनका नाम टेसी रखा गया। उनके पिता एक छोटे व्यवसायी थे। उनकी चार बहनें और एक भाई हैं। टेसी 8 क्लास में थीं तो उनके पिता को पैरालिसिस हो गया। मां टीचर तो थीं, लेकिन तब वह जॉब नहीं करती थीं। टेसी का कहना है कि इस घटना के बाद मां ने सोचा कि जीवन चलाने के लिए सभी को पढ़-लिखकर कुछ करना जरूरी है। यही बात सभी भाई बहनों के दिल में घर कर गई। मुसीबत के बावजूद सभी ने मेहनत से पढ़ाई की और आज सभी अच्छे पदों पर हैं। डॉ. टेसी के पति सरोज कुमार भारतीय नौसेना में कमांडर हैं। उनका एक बेटा है, जिसका नाम तेजस है।
घर के करीब था रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन, इसलिए पनपा जुनून
टेसी का मिसाइलों की अद्भुत दुनिया से परिचय बचपन में ही हो गया था। दरअसल, थुंबा रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन के पास ही उनका घर था। यहां से उड़ान भरते रॉकेट देखकर उनके मन में रिसर्च के लिए जुनून पैदा हुआ, जो समय के साथ और बढ़ गया। उन्हें कम उम्र से ही मैथ्स और साइंस बेहद पसंद थे। 11 और 12 वीं क्लास में उन्होंने मैथ्स में 100 में से 100 मार्क्स हासिल किए है।
नाकामी भी मिली, मगर कड़ी मेहनत से उसे कामयाबी में बदला
अग्नि-5 की गड़गड़ाहट का सफर आसान नहीं था। हर कदम पर असफलताओं ने भी टेसी का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने इन्हें सुधार का मौका माना और आगे बढ़ती रहीं। जुलाई 2006 में एक मिसाइल परीक्षण नाकाम रहा, लेकिन फौलादी इरादों वाली टेसी ने इसे एक और चुनौती के रूप में लिया। उन्होंने रोज 12 से 16 घंटे काम किया। इस दौरान काम के दौरान कई बार उनका बेटा तेजस बीमार पड़ा, लेकिन वह अपना काम तय शेड्यूल से करती रहीं। अप्रत्याशित रूप से सिर्फ दस महीनों के भीतर उन्होंने मिसाइल सिस्टम की कमियों को दूर कर दिया। इस बार परीक्षण कामयाब रहा।
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Navratri Goddess Kalratri Devi Puja 2020 Day 7th; What is Special? Importance (Mahatva) and Navratri Significance
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जयंती विशेष: ममता, करूणा, दया और सेवाभाव की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा, लोगों को समर्पित था उनका पूरा जीवन
चैतन्य भारत न्यूज
शांति की दूत और मानवता की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा की आज 111वीं जयंती है। मानव सेवा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली इस महिला का जन्म 1910 में आज ही के दिन उत्तरी मेसिडोनिया में हुआ था। मदर टेरेसा का असली नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था। वे एक अल्बेनियाई परिवार में जन्मी थीं। हालांकि आगे चल कर भारत समेत कई देशों ने उन्हें अपने यहां की नागरिकता प्रदान की। उन्होंने भारत के दीन-दुखियों की सेवा की थी, कुष्ठ रोगियों और अनाथों की सेवा करने में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी। उनकी इन्हीं काम के चलते नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
मदर टेरेसा कैथोलिक थीं, लेकिन उन्हें भारत की नागरिकता मिली हुई थी। उन्हें भारत के साथ साथ कई अन्य देशों की नागरिकता मिली हुई थी, जिसमें ऑटोमन, सर्बिया, बुल्गेरिया और युगोस्लाविया शामिल हैं।
साल 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों की सेवा का संकल्प लिया था। निस्वार्थ सेवा के लिए टेरेसा ने 1950 में कोलकाता में 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' की स्थापना की थी। 1981 में उन्होंने अपना नाम बदल लिया था।
अल्बानिया मूल की मदर टेरेसा ने कोलकाता में गरीबों और पीड़ित लोगों के लिए जो किया वो दुनिया में अभूतपूर्व माना जाता है।
उन्होंने 12 सदस्यों के साथ अपनी संस्था की शुरुआत की थी और अब यह संस्था 133 देशों में काम कर रही है। 133 देशों में इनकी 4501 सिस्टर हैं।
मदर टेरेसा को उनके जीवनकाल में गरीबों और वंचितों की सेवा और उत्थान के लिए कई पुरस्कार मिले। इसमें 1979 में मिला नोबेल शांति पुरस्कार सबसे प्रमुख था, जो उन्हें मानवता की सेवा के लिए प्रदान किया गया था।
वेटिकन सिटी में एक समारोह के दौरान रोमन कैथोलिक चर्च के पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी। दुनियाभर से आए लाखों लोग इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने थे।
मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन गरीब और असहाय लोगों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया था। वह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी अपने मानवता के कार्यों के लिए जानी जाती हैं।
मदर टेरेसा अपनी मृत्यु तक कोलकाता में ही रहीं और आज भी उनकी संस्था गरीबों के लिए काम कर रही है। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के साथ भारत रत्न, टेम्पटन प्राइज, ऑर्डर ऑफ मेरिट और पद्म श्री से भी नवाजा गया है। उनका कहना था, 'जख्म भरने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले होंठ से कहीं ज्यादा पवित्र हैं।'
बता दें, अपने जीवन के अंतिम समय में मदर टेरेसा पर कई लोगों ने आरोप भी लगाए। उन पर गरीबों की सेवा करने के बदले उनका धर्म बदलवाकर ईसाई बनाने का आरोप लगाया गया। लगातार गिरती सेहत की वजह से 5 सितंबर 1997 को उनका निधन हो गया।
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भारत की 5 महिला डॉक्टर की कहानी जिन्होंने जमीनी स्तर पर हेल्थ केयर सेक्टर को नई ऊंचाइयां दी, मेडिकल सेवाओं के लिए अब तक मिल चुके हैं कई सम्मान https://ift.tt/3dIeChq
पिछले कुछ महीनों के दौरान कोरोना से जंग जीतने में देश के डॉक्टर्स द्वारा दिए गए योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। सालों से कई महिला डॉक्टर अपने काम से महिलाओं की दशा सुधार रही हैं। इनके खास योगदान के लिए भारत सरकार ने इन्हें कई पुरुस्कारों से सम्मानित भी किया है। डॉक्टर्स डे पर हम बात कर कर रहे हैं भारत की पांच डॉक्टर्स के बारे में जिन्होंने अपनी मेहनत से मेडिकल क्षेत्र में खास मुकाम हासिल किया।
डॉ. तरू जिंदल
पिता भाभा ऑटोमिक रिसर्च सेण्टर में वैज्ञानिक थे. 2013 में उन्होंने मुंबई में जाने माने लोकमान्य तिलक मेडिकल कॉलेज और सायन हॉस्पिटल से ऑब्सटेरिक्स और गाइनेयोकोलोजी में MD की डिग्री ली. MD के बाद इनके पास बड़े कॉर्पोरेट अस्पतालों में नौकरी के विकल्प थे लेकिन डॉ. तरु जिंदल ने “केयर इंडिया” और “डॉक्टर्स फॉर यू” के जरिये बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधारे लाने के लिए मोतिहारी, चम्पारण आने का निर्णय लिया. 2017 में मोतिहारी जिला अस्पताल को भारत सरकार द्वारा ‘कायाकल्प अवार्ड‘ से सम्मानित किया गया। तरू ने बिहार के मसारी में भी हेल्थ केयर सेंटर की शुरूआत की लेकिन ब्रेन ट्यूमर होने की वजह से वे इस अस्पताल में अपना अधिक समय नहीं दे सकीं। उन्होंने एक किताब भी लिखी है। इसका नाम ए डॉक्टर्स एक्सपेरिमेंट इन बिहार है।
डॉ. लीला जोशी
डॉक्टर लीला जोशी ने अपने करियर के शुरूआती दिनों में असम में काम किया था। वहीं उनकी मुलाकात मदर टेरेसा से हुई। मदर टेरेसा से प्रभावित होकर रिटायरमेंट के बाद लीला ने मध्यप्रदेश की आदिवासी महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए काम किया। डॉक्टर लीला आदिवासी अंचलों में जाकर वहां की महिलाओं का निशुल्क इलाज करती हैं। डॉ. जोशी पिछले 22 सालों से इस कार्य में लगी हुईं है और 82 साल की उम्र में भी उनके जोश में कोई कमी नहीं आई है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ लीला जोशी ने आयरन की कमी से जूझती ��दिवासी महिलाओं को सेहतमंद बनाने के लिए कैंप लगाए और मुफ्त इलाज किया। इसी उपलब्धियों के कारण भारत सरकार ने 82 वर्षीय लीला जोशी पद्मश्री देने की घोषण��� की है।
डॉ.पद्मावती बंदोपाध्याय
डॉ.पद्मावती बंदोपाध्याय ने उस समय सेना की डगर पर पांव रखा, जब लड़कियों को घर से निकलने की भी आजादी नहीं थी। उन्होंने वायु सेना में तैनाती के दौरान भारत-पाक के बीच हुए 1971 के युद्ध और कारगिल युद्ध में भी हिस्सा लिया।उन्हें विशिष्ट सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक और राष्ट्रपति से सम्मान पदक सहित देश दुनिया में करीब एक दर्जन से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं। हाल ही में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ने वर्ष 2014 के लिए वुमेन ऑफ द ईयर चुना है। पद्यमावती और उनके पति, दुनिया के पहले ऐसे दंपती हैं, जिन्हें विशिष्ट सेवा पदक एक ही दिन एक साथ मिला था।
डॉ. इंदिरा हिंदुजा
इससे पहले उन्होंने 6 अगस्त 1986 को केईएम अस्पताल में भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म करा कर इतिहास रच दिया था। डॉ. इंदिरा हिंदुजा का परिवार मूल रूप से पाकिस्तान के शिकारपुर का रहने वाला था। उनका जन्म स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले हुआ था और विभाजन के बाद वह परिवार के साथ भारत आ गयी थीं। उन्होंने अपनी शिक्षा-दीक्षा मुंबई में ही की। बॉम्बे यूनिवर्सिटी से स्त्री रोग विज्ञान में एमडी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में लगा दिया। उन्होंने बॉम्बे युनिवर्सिटी से ह्युमन इन वर्टियो फर्टिलाइजेशन व एंब्रियो ट्रांसफर में पीएचडी की डिग्री हासिल की। 15 जुलाई, 1991 को उन्हें मुंबई के सार्वाधिक प्रतिष्ठित माने जाने वाले जसलोक अस्पताल में ऑनरेरी ऑब्सटेट्रीशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट बनाया गया और वे अब तक वहां से जुड़ी हैं। कुछ ही वर्षों में बेहद सम्मानित ब्रीच कैंडी अस्पताल और हिंदुजा अस्पताल में भी उन्हें मानद प्रसूति व स्त्रीरोग विशेषज्ञ का ओहदा मिल गया। वर्ष 2011 में उन्हें भारत सरकार द्वार दिये जाने वाले तीसरे सबसे बड़े पद्म अवॉर्ड पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें वर्ष 2000 में धनवंतरी अवॉर्ड, इंटरनैशनल वूमेन्स डे अवॉर्ड , वर्ष 1999 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, वर्ष 1987 में आउटस्टैंडिंग लेडी ऑफ महाराष्ट्र स्टेट जेसी अवॉर्ड और यंग इंडियन अवॉर्ड भी मिल चुके हैं।
डॉ. शांति रॉय
बिहार के सीवन गांव तक चिकित्सा सेवाएं पहुंचाने में डॉ. शांति रॉय का खास योगदान हैं। गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सटट्रिशियन शांति को पद्मश्री सम्मान प्राप्त है। उन्होंने महिलाओं को दी जाने वाली मेडिकल सेवाओं को विकसित किया। रिटायर होने के बाद वे पटना मेडिकल कॉलेज में गायनेकोलॉजी विभाग की हेड ऑफ द डिपार्टमेंट हैं। काफी व्यस्त होने के बाद वे आज भी महिलाओं को अपनी सेहत के प्रति जागरूक करती हैं। डॉ. शांति रॉय कहती हैं कि भारत की महिलाएं पति और बच्चों की देखभाल में दिन रात लगी रहती हैं। वे अपने परिवार के लिए रोज अच्छे से अच्छा खाना बनाती हैं। लेकिन जब उनके स्वास्थ्य की बात आती है तो खुद की देखभाल करने में वे सबसे पीछे हैं।
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Story of 5 women doctors of India who gave new heights to the health care sector at the grassroots level, so far, many honors have been received for medical services
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