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#पश्चिम बंगाल स्कूल टीचर नौकरी
senabharti1 · 7 months
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प्राथमिक स्कूल शिक्षक के पदों पर निकली भर्ती यहां से करे आवेदन WBBPE Recruitment 2023
WBBPE Recruitment 2023 : पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन ने कक्षा IV (प्राथमिक शिक्षा बोर्ड) के लिए शिक्षक के 1000 पदों पर ऑनलाइन आवेदन करने का नोटीफिकेशन जारी किया है। तो दोस्तों जल्द करें आवेदन WBBPE Recruitment 2023, की अधिक जानकारी के लिए निचे दिए गए तालिका में चेक करें। व्हाट्सप्प जॉब्स अपडेट्स | टेलीग्राम जॉब अपड़ेस WBBPE Recruitment 2023 :- हेलो दोस्तों जो छात्र इस सरकारी नौकरी…
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nationalnewsindia · 2 years
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a2znewsplace · 3 years
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सेक्रेड हार्ट स्कूल, सिलीगुड़ी में टीचर, वार्डन और अन्य पदों पर वेकेंसी
सेक्रेड हार्ट स्कूल, सिलीगुड़ी में टीचर, वार्डन और अन्य पदों पर वेकेंसी
पता: सेक्रेड हार्ट स्कूल, सिलीगुड़ी पीएस माटीगाड़ा, पंचानंद सारणी रोड पीओ न्यू रंगिया, सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल 734013 सेक्रेड हार्ट स्कूल, सिलीगुड़ी, आईसीएसई/आईएससी के बाद एक सह-शैक्षिक आवासीय विद्यालय, छात्र संख्या में विस्तार के कारण निम्नलिखित पदों के लिए प्रेरित और उत्साही शिक्षकों से आवेदन मांगता है। छात्रावास वार्डन/मैट्रन नौकरी ५/९/२०२१ को विज्ञापित और अंतिम तिथि “प्रिंट विज्ञापन में…
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getdreamjobonline · 3 years
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Tribal Ministry Recruitment 2021: भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय में निकली 3479 पदों पर भर्तियां, जल्द करें अप्लाई
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नई दिल्ली। सरकारी नौकरी का इंतजार कर रहे युवाओं के लिए भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय में सुनहरा अवसर मिल रहा है। जो उम्मीदवार काम करने के इच्छुक हैं उनके लिए देश भर के 17 राज्यों में यह वैकेंसी निकाली गई है। एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूलों में प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल, PGT और TGT के पद खाली है जिनकी भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए हैं। इच्छुक एवं योग्य उम्मीदवार इन पदों की भर्ती के लिए दी जाने वाली जानकारी के अनुसार आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा Tribal Ministry की आधिकारिक वेबसाइट tribal.nic.in पर जाकर दिए जाने वाले पदों की जानकारी प्राप्त करने के साथ ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं। आवेदन की प्रक्रिया आज 1 अप्रैल से शुरू कर दी गई है। भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय में निकली इस भर्ती में 3479 खाली पदों को भरा जाना हैं। यदि आप इस पद को पाना चाहते है तो इसकी अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2021 है।
Tribal Ministry Recruitment 2021 के लिए महत्वपूर्ण तिथियाँ
आज की तारीख में आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते है। इसकी शुरुआत तिथि 1 अप्रैल 2021 है ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2021निर्धारित की गई है। परीक्षा की तारीख: जून का पहला सप्ताह
भारत सरकार के जनजातीय मंत्रालय में पदों की संख्या
कुल पदों की संख्या – 3479 रिक्तियों
प्रिंसिपल – 175 पद वाइस प्रिंसिपल – 116 पद पोस्ट ग्रेजुएट टीचर – 1244 पद प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक – 1944 पद
Tribal Ministry Recruitment 2021 के लिए योग्यता मानदंड
प्रिंसिपल – जो भी उम्मीदवार इस पद के लिए आवेदन करना चाहते है उन्हें किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषयों की मास्टर डिग्री होनी चाहिए इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान से टीचिंग या पोस्ट-ग्रेजुएट बेसिक ट्रेनिंग में मास्टर या ग्रेजुएट की डिग्री होनी आनिवार्य है। साथ ही पश्चिम बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन / वेस्ट बंगाल काउंसिल ऑफ हायर सेकेंडरी एजुकेशन / सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन / इंडियन काउंसिल ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन द्वारा मान्यता प्राप्त एक इंग्लिश मीडियम हाई या हायर सेकेंडरी स्कूल में शिक्षक का 10 साल का अनुभव भी होना जरूरी है। नीचे दी गई सारणी में आप देख सकते है किस पद के लिए कितनी निकली है भर्तियां..
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from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://www.patrika.com/jobs/tribal-ministry-recruitment-2021-3479-posts-vacant-apply-soon-6774824/
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abhay121996-blog · 3 years
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लॉकडाउन में बढ़ी महिलाओं के साथ हिंसा, छूटी लड़कियों की पढ़ाई.. सर्वे में खुलासा Divya Sandesh
#Divyasandesh
लॉकडाउन में बढ़ी महिलाओं के साथ हिंसा, छूटी लड़कियों की पढ़ाई.. सर्वे में खुलासा
लखनऊ कोरोना और लॉकडाउन का असर जहां लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा है, वहीं इसने महिलाओं और लड़कियों के जीवन पर कई अन्य तरह से भी प्रभाव डाला है। इसकी वजह से महिलाओं पर हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं उन पर काम का बोझ भी बढ़ गया है। लड़कियों की पढ़ाई भी छूटी है जिससे उन पर कम उम्र में शादी का दवाब भी बढ़ा है। हाल ही में महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली स्वंयसेवी संस्था ब्रेकथ्रू की ओर से कराए गए सर्वे में ये बातें सामने आई हैं।
लॉकडाउन में पुरूषों का छूटा रोजगार तो महिलाओं पर बढ़ी हिंसा सर्वे में 70 फीसदी पुरुषों और 72 महिलाओं ने स्वीकार किया कि कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन ने रोजगार पर बुरा असर डाला है। रोजगार छिनने की वजह से पुरुष जहां आक्रमक हो गए वहीं उन्होंने जरा-जरा सी बात पर महिलाओं के साथ हिंसा शुरू कर दी। दोनों में से कुल 42 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अपने आस-पास देखा है और खुद अनुभव किया है कि कोविड/लॉकडाउन की वजह से हिंसा बढ़ी है।
तकरीबन 78.1 फीसदी शहर के और 82.2 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र के उत्तरदाताओं ने माना कि लड़कियों और महिलाओं दोनों के साथ हिंसा हुई है। शहरी क्षेत्रों के 78.5 फीसदी ने कहा कि हिंसा करने वाले पुरुष और लड़के थे। वहीं 15.6 फीसदी ने माना कि हिंसा लड़कों और पुरुषों दोनों के साथ भी हुई है। 41 फीसदी पुरूष और 49 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन और बेरोजगारी की वजह से पुरुष के पास पहले से अधिक खाली समय है जिसकी वजह से वह पीने और स्मोंकिग करने लगे हैं।
इस दौरान घरेलू हिंसा में भी इजाफा देखने को मिला। घरलू हिंसा के कारणों में 44 फीसदी घरेलू काम न करना, 31 फीसदी शराब पीने, 25 फीसदी दूसरों को गाली देने, 18 फीसदी पढ़ाई न करना, 6 फीसदी आर्थिक, 3 फीसदी तनाव, परिवार का दवाब, रोजगार न होना और 1 फीसदी कहने के बाद तुरंत पुरुष के बताए काम को न करना रहा।
महिलाओं का भी काम छूटा तकरीबन 74 फीसदी पुरुषों ने और 66 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन की वजह से महिलाओं की नौकरी पर भी असर पड़ा है और उनको नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। 48 फीसदी लोगो ने बोला कि उनकी नौकरी चली गई है और यदि नौकरी बची भी है तो उनको सैलरी नहीं मिल रही है।
लॉकडाउन ने लड़को की अपेक्षा लड़कियों की पढ़ाई ज्यादा बुरा असर 68 फीसदी पुरूष और 57 फीसदी महिलाओं ने माना कि लॉकडाउन की वजह से लड़कों के अपेक्षा लड़कियों की पढ़ाई ज्यादा प्रभावित हुई है। 10 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि वह ऑनलाइन क्लासेज के लिए बच्चों के पास जरूरी जानकारी नहीं है। वहीं कई के पास मोबाइल, इंटरनेट आदि की सुविधा न होने की वजह से इसे एक्सेस नहीं कर पाते। वहीं 10 फीसदी ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज उतनी प्रभावी नहीं है जितना क्लासरूम में होती है। ऑनलाइन क्लासेज में उनको जानकारी शेयर तो कर दी जाती है लेकिन उनको टीचर से उतना गाइडेंस नहीं मिल पाता जितना स्कूल/कॉलेज में मिलता है।
कोविड ने ब़ढ़ाया बाल विवाह का खतरा सर्वे में 10 फीसदी ने कहा कि इस महामारी की वजह से उनके आस-पास लड़कियों की शादी कम उम्र में हो गई। घर में किसी अन्य महिला सदस्य के न होने की स्थिति में 9 फीसदी महिलाओं को बीमारी के बाद भी घर के काम से छुट्टी नहीं मिली। उनके पास इसके लिए कोई विकल्प नही हैं। सर्वे के मुताबिक यदि कोई पुरूष बीमार पड़ता है तो महिलाओं के ऊपर अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है, जिसमें 80 फीसदी बीमार के देखभाल में, 65 फीसदी घरेलू काम की, 57 फीसदी बच्चों के देखभाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है।
महिला के बीमार होने पर पूरूषों की जिम्मेदारी घर के कामों में 71.8, बीमार की देखभाल में 67.6,बच्चों की देखभाल में 61.5 इजाफा हुआ है। 69 फीसदी पुरूषों और 76 फीसदी महिलाओं ने कहा कि अगर कोई बीमार नहीं भी है तो लॉकडाउन की वजह से परिवार के सभी सदस्यों के घर पर होने से महिलाओं पर घरेलू काम का बोझ काफी बढ़ गया है।
पुरूष के बीमार होने पर महिलाओं ने उठाई खरेलू खर्चे की भी जिम्मेदारी यहां रोचक तथ्य यह भी निकल कर आया कि 68 फीसदी ने माना कि महिलाओं के ऊपर घरेलू खर्चे मैनेज करने की जिम्मेदारी आ जाती है। वहीं सिर्फ सिर्फ 2.3 फीसदी ने माना कि महिला के बीमार होने पर पुरुषों के ऊपर घर के खर्चों को मैनेज करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी आ जाती है।
रैपिड सर्वे में शामिल हुए 9 राज्यों के लोग सर्वे में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, दिल्ली, असम ,राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के लोगों ��ो शामिल किया गया था। इनमें किशोर-किशोरियां, युवा, कम्युनिटी डेवलपर, शिक्षक, फ्रंटलाइन वर्कर्स (आशा-आंगनबाड़ी आदि) और पंचायत के सदस्य शामिल रहे। रैपिड सर्वे में कुल 318 लोग शामिल हुए जिसमें 70 फीसदी औरतें और 30 फीसदी पुरुष थे। सर्वे में 42.5 फीसदी उत्तर प्रदेश से, बिहार से 19.5 फीसदी, हरियाणा से 19.2 फीसदी,दिल्ली से 11 फीसदी, असम से 1.9 फीसदी, राजस्थान से 0.6 फीसदी, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से 0.3 फीसदी लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें ग्रामीण इलाकों से 72 फीसदी और शहरी इलाकों से 28 फीसदी थे।
और अधिक प्रयास की जरूरत इस रैपिड सर्वे के परिणाम पर ब्रेकथ्रू की राज्य प्रमुख ( उत्तर प्रदेश) कृति प्रकाश कहती है कि कोविड और लॉकडाउन ने महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव और हिंसा और अधिक बढ़ा दिया है। उनके साथ जहां हिंसा बढ़ी है वहीं घर के काम के बढ़ते बोझ के साथ ही घरेलू खर्चों को उठाने की जिम्मेदारी भी उन पर आ गई है। लड़कियों की पढ़ाई छूटी है तो कम उम्र में उन पर शादी का दबाव भी बढ़ा है। वह आगे कहती है कि समानता वाला समाज बनाने के लिए अब महिलाओं और लड़कियों के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।
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