गंगा सप्तमी का पवित्र उत्सव
गंगा सप्तमी का पवित्र उत्सव: धर्म, पर्यावरण और आध्यात्म का संगम
हिंदू संस्कृति में, शुभ नदियों को देवताओं का वास माना जाता है, और उनमें से गंगा नदी का स्थान सर्वोपरि है। वो जीवनदायिनी, मोक्षदायिनी और पापहरणी मानी जाती है, जिसके पवित्र जल में स्नान करके भक्त पाप धोते हैं और आध्यात्मिक रूप से शुद्ध होते हैं। गंगा नदी से जुड़े अनेक त्योहार और पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें से गंगा सप्तमी का विशेष महत्व है।
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सर्वाथ सिद्धि, लक्ष्मीनारायण व रवि योग में आज मनाई जाएगी गंगा सप्तमी व चित्रगुप्त जयंती
वैशाख शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि के दिन श्री गंगा सप्तमी और भगवान चित्रगुप्त जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस वर्ष श्री गंगा सप्तमी एवं भगवान चित्रगुप्त जयंती 14 मई को पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग के सुयोग में मनाई जाएगी।
गंगा के स्मरण, दर्शन एवं स्नान करने मात्र से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति, यश-सम्मान में वृद्धि व सभी पापों का क्षय, अशुभ ग्रहों के कुप्रभाव में कमी व सकारात्मकता का वास होता है। इस दिन दान-पुण्य व धर्म कृत्य करने से जन्म-जन्मांतर तक इसका पुण्य मिलता है।
गंगा स्नान व पूजा और दान-पुण्य का महत्व
वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी की उदयातिथि में आ रही है। इसलिए गंगा सप्तमी 14 मई को मनाई जाएगी। इस पर्व पर गंगा स्नान, व्रत-पूजा और दान का विशेष महत्व है, जो लोग किसी कारण से इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते वो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। ऐसा करने से तीर्थ स्नान का ही पुण्य मिलता है।
पानी से भरी मटकी का दान का महत्व
इस दिन पानी से भरी मटकी का दान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है। गंगा सप्तमी के दिन पुष्य नक्षत्र, फिर अश्लेषा नक्षत्र रहेगा। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग का संयोग भी बन रहा है। खासकर इस दिन गर एवं वणिज करण के योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों करण को शुभ माना गया है। इन योग में स्नान-ध्यान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
बन रहे हैं शुभ संयोग
इस वर्ष सप्तमी तिथि का आरंभ 13 मई, को शाम 5 बजकर 20 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 14 मई की शाम 6 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए इस वर्ष गंगा सप्तमी 14 मई, दिन मंगलवार को पुष्य योग में मनाई जाएगी। इस बार गंगा सप्तमी के दिन कुछ शुभ संयोग का निर्मल भी हो रहा है, जिनके नाम हैं वृद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग, इस दिन पुष्य न���्षत्र भी रहेगा। इन सभी कारणों से इस बार की गंगा सप्तमी बहुत खास मानी जा रही है।
Pandit Subham Shastri Ji
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*🚩🔱ॐगं गणपतये नमः🔱🚩*
🌹 *सुप्रभात जय श्री राधे राधे*🌹
📖 *आज का पंचांग, चौघड़िया व राशिफल(षष्ठी तिथि)*📖
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
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※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
दिनांक:-26-अप्रैल-2023
वार:---------बुधवार
तिथी :-------06षष्ठि:-11:28
पक्ष:---------शुक्लपक्ष
माह:---------वैशाख
नक्षत्र:--------पुनर्वसु:-28:21
योग:---------सुकर्मा:-08:07
करण:--------तैतिल:-11:28
चन्द्रमा:-----मिथुन:-24:18/कर्क
सुर्योदय:-------06:09
सुर्यास्त:--------19:03
दिशा शूल-------उत्तर
निवारण उपाय:---गुड का सेवन
ऋतु :----------------ग्रीष्म-ऋतु
गुलीक काल:---10:48से 12:25
राहू काल:------12:25से14:01
अभीजित-------- नहीं है
विक्रम सम्वंत .........2080
शक सम्वंत ............1945
युगाब्द ..................5125
सम्वंत सर नाम:------पिंगल
🌞चोघङिया दिन🌞
लाभ:-06:09से07:47तक
अमृत:-07:47से09:25तक
शुभ:-11:01से12:37तक
चंचल:-15:51से 17:27तक
लाभ:-17:27से 19:03तक
🌓चोघङिया रात🌗
शुभ:-20:25से21:49तक
अमृत :-21:49से23:12तक
चंचल :-23:12से00:36तक
लाभ :-03:22से04:46तक
🙏आज के विशेष योग 🙏
वर्ष का36वाँ दिन, चन्दन छठ (बंगाल)गंगा सप्तमी गंगोत्पति, गंगापूजन, कुमारयोग समाप्त 11:28, मेला गुमाणो माता (करौली,राज.),
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
👉वास्तु टिप्स👈
उत्तरमुखी घर के बाहरी हिस्से में लाल या पीला रंग ना करवाएं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*सुविचार*
सादगी से रहना चाहिये। विचार उत्तम होना चाहिए👍🏻राधे राधे
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*💊💉आरोग्य उपाय🌱🌿*
उबलते हुए ��ानी मे एक चम्मच अदरक का रस डाल ठंडा कर एक-एक घंटे में लेने से पतले दस्त बन्द हो जाते हैं।
※══❖═══▩राधे राधे▩═══❖══※
*🐑🐂 राशिफल🐊🐬*
☀️ मेष राशि :- आज अत्यंत सावधानीपूर्वक दिन व्यतीत करने की भगवान श्री गणेश जी की सलाह है। सर्दी, कफ और बुखार के कारण स्वास्थ्य किसी का खराब हो सकता है। स्वजनों से वियोग होगा। मानसिक अस्वस्थता का अनुभव होगा।
☀️ वृषभ राशि :- आज परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी। कुटुंब और मित्रों के साथ आनंद के पल बिताएंगे। आपकी आय और व्यापार-धंधे में वृद्धि होगी। रमणीय स्थान में पर्यटन का आयोजन होगा।
☀️ मिथुन राशि :- आज शारीरिक और मानसिक सुख बना रहेगा। नौकरी-व्यवसाय में आपके काम की तारीफ होगी। पदोन्नति का योग है। समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। सरकारी कार्यों में सफलता मिलेगी।
☀️ कर्क राशि :- आज का ज्यादातर समय धर्म, ध्यान और देवदर्शन में लगेगा। किसी तीर्थ स्थान पर जाने का प्रसंग बनेगा। शारीरिक और मानसिक रूप से प्रफुल्लित रहेंगे। भाग्यवृद्धि के अवसर मिलेंगे।
☀️ सिंह राशि :- आज का दिन थोड़ा प्रतिकूल हो सकता है। स्वास्थ्य के सम्बंध में आपको विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। बाहर खाने-पीने से बचें। बीमारी के पीछे धन खर्च हो सकता है।
☀️ कन्या राशि :- आज का दिन अनुकूलता से परिपूर्ण रहेगा। जीवन-साथी के साथ आप निकटता के क्षण का आनंद उठा सकेंगे। दांपत्य-जीवन में मधुरता रहेगी। विपरीत लिंगीय व्यक्तियों की तरफ आकर्षण अनुभव करेंगे।
☀️ तुला राशि :- आज घर में शांति और आनंद का वातावरण रहेगा। सुखदायक घटनाएं घटेंगी। कार्य में यश और सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य बना रहेगा। नौकरी में सफलता मिलेगी। आर्थिक लाभ की संभावना रहेगी।
☀️ वृश्चिक राशि :- आज स्वास्थ्य के सम्बंध में थोड़ी शिकायत रहेगी। मानहानि की आशंका है। शेयर सट्टे में न पड़ने की भगवान श्री गणेश जी चेतावनी देते हैं। संभव हो तो यात्रा या प्रवास से बचें। विद्यार्थियों को पढ़ाई में सफलता मिलेगी।
☀️ धनु राशि :- आज तन-मन में स्फूर्ति का अभाव रहेगा। मन पर चिंता का भार रहेगा। पारिवारिक वातावरण कलुषित रहेगा। अनिद्रा और समय पर भोजन न मिलने से स्वभाव में चिड़चिड़ापन आएगा।
☀️ मकर राशि :- आज दैनिक कार्यों में अनुकूल परिस्थिति निर्मित होने पर राहत महसूस करेंगे। गृहस्थ-जीवन की समस्याएं हल होती हुई प्रतीत होंगी। संपत्ति सम्बंधी कामकाजों का हल मिलेगा।
☀️ कुंभ राशि :- आज वाणी पर संयम रखेंगे तो बहुत सी समस्याओं से बच जाएंगे। वाद-विवाद से दूर रहें। अनावश्यक खर्च पर अंकुश रखें। कार्य में कम सफलता मिलेगी। संतोष की भावना का अनुभव होगा।
☀️ मीन राशि :- आज का दिन आनंद और उत्साह से परिपूर्ण रहेगा। घर में किसी मांगलिक प्रसंग का आयोजन होगा। नए कार्य का आरंभ करने के लिए आज शुभ दिन है।
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 14 जनवरी 2023 सूर्योदय :- 07:11 सूर्यास्त :- 18:02 सूर्य राशि :- धनु चंद्र राशि :- कन्या मास :- माघ तिथि :- सप्तमी वार :- शनिवार नक्षत्र :- हस्त योग :- अतिगण करण :- बव अयन:- दक्षिणायन पक्ष :- कृष्ण ऋतू :- हेमंत लाभ :- 13:57 - 15:18 अमृत:- 15:19 - 16:39 शुभ :- 08:31 - 09:53 राहु काल :- 09:54 - 11:15 जय महाकाल महाराज :- *।। मकर सक्रांति ।।* *मकर संक्रांति पर गंगा स्नान :-* मकर संक्रांति के उपलक्ष्य पर नदियों में स्नान करने का अधिक महत्व है। इस दिन लोग गंगा मैया में स्नान करते हैं। इसलिए मकर संक्रांति के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें। यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो प्रातः घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान अवश्य करे। *मकर संक्रांति पर सूर्य नारायण भगवान की उपासना :-* मकर संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना करने का बहुत महत्व है। इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा करना चाहिए। प्रातः स्नान और पूजा पाठ के पश्चात जल में कुमकुम और काले तिल डालकर सूर्यदेव को अर्घ्यदेंवें। ऐसा करने से जीवन में सुख शांति बनी रहती है। *मकर संक्रांति पर दान पूण्य करने से विशेष पुण्यफल प्राप्त होता है :-* मकर संक्रांति के पर्व पर दान पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन आप जो दान करते हैं उसका कई गुना फल आपको मिलता है। मान्यता है कि इस दिन स्वर्ग के द्वार खुलते हैं ऐसे में इस दिन किया गया दान सीधे भगवान को समर्पित होता है। इसलिए इस दिन ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। आज का मंत्र :- ""|| ॐ शं शनैश्चराय नमः।। ||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय महाकालेश्वर महाराज। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय महाकालेश्वर महाराज🌹🙏 महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 14 जनवरी 2023 ( शनिवार ) जय महाकालेश्वर महाराज। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CnYgx7IrRIc/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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पितृ पक्ष शुरू, नोट कर लें श्राद्ध- विधि, तिथियां, महत्व और पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट
भाद्रपद मास की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इस पक्ष में विधि- विधान से पितर संबंधित कार्य करने से पितरों का आर्शावाद प्राप्त होता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस साल 10 सितंबर 2021 से पितृ पक्ष आरंभ हो गया और 25 सितंबर 2022 को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा।
मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध
• पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां-
• पूर्णिमा श्राद्ध - 10 सितंबर 2022-
• प्रतिपदा श्राद्ध - 10 सितंबर 2022
• द्वितीया श्राद्ध - 11 सितंबर 2022
• तृतीया श्राद्ध - 12 सितंबर 2022
• चतुर्थी श्राद्ध - 13 सितंबर 2022
• पंचमी श्राद्ध - 14 सितंबर 2022
• षष्ठी श्राद्ध - 15 सितंबर 2022
• सप्तमी श्राद्ध - 16 सितंबर 2022
• अष्टमी श्राद्ध- 18 सितंबर 2022
• नवमी श्राद्ध - 19 सितंबर 2022
• दशमी श्राद्ध - 20 सितंबर 2022
• एकादशी श्राद्ध - 21 सितंबर 2022
• द्वादशी श्राद्ध- 22 सितंबर 2022
• त्रयोदशी श्राद्ध - 23 सितंबर 2022
• चतुर्दशी श्राद्ध- 24 सितंबर 2022
• अमावस्या श्राद्ध- 25 सितंबर 2022
पितृ पक्ष का महत्व
• पितृ पक्ष में पितर संबंधित कार्य करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है।
• इस पक्ष में श्राद्ध तर्पण करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आर्शीवाद देते हैं।
• पितर दोष से मुक्ति के लिए इस पक्ष में श्राद्ध, तर्पण करना शुभ होता है।
श्राद्ध विधि
• किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंड दान, तर्पण) करवाना चाहिए।
• श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है।
• इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।
• यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें।
• श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए. मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए।
श्राद्ध पूजा की सामग्री:
• रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़ , मिट्टी का दीया , रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना।
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गंगा दशहरा कब है, क्या है इस दिन का महत्व, घर बैठे कर सकते हैं गंगाजल के 10 प्रयोग #news4
Ganga Dussehra 2022 : प्रतिवर्ष वैशाख माह में गंगा सप्तमी और ज्येष्ठ माह में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दोनों का ही अलग अलग महत्व है। आओ जानते हैं कि कैसे घर बैठे कर सकते हैं आप गंगाजल के 10 प्रयोग।
गंगा दशहरा कब है : 09 जून 2022 को गंगा दशहरा पर्व मनाया जाएगा। प्रतिवर्ष यह पर्व ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
क्या है इसका महत्व : कहते हैं कि गंगा सप्तमी को मां…
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Aaj ka Rashifal 8th May 2022: गंगा सप्तमी पर जानिए क्या कहते हैं आज आपकी राशि के सितारे
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आगरा
आज रविवार का दिन है और तिथि है आठ मई। हिंदी पंचांग के अनुसार आज गंगा सप्तमी का पर्व है। माना जाता है आज के दिन मां गंगा का अवतरण हुआ था। आज के दिन गंगा स्नान का महत्व है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार आज के दिन कई राशिवालों के सितारे बेहतरीन फल देंगे तो कुछ राशिवालों को सावधानी से कार्य करने की जरूरत है।
मेष- आज किसी खास काम में भाई-बहन का सहयोग मिलेगा। आप अपने परिवार के सदस्यों…
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गंगा सप्तमी 2022: जानिए शुभ मुहूर्त, अवसर का महत्व और पूजा विधि
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छवि स्रोत: फ्रीपिक
गंगा सप्तमी पर गंगा नदी में स्नान करें
गंगा सप्तमी का हिंदू संस्कृति में बहुत महत्व है। गंगा सप्तमी प्रतिवर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल गंगा सप्तमी 8 मई 2022 को मनाई जाएगी। वह दिन रविवार है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन देवी गंगा का जन्म हुआ था, इसलिए इसे गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दोपहर के समय मां गंगा की विशेष पूजा करने…
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करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं कानपुर कमिश्नर आईएएस राजशेखर
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Ganga Saptami 2024: गंगा सप्तमी पर अपनी राशि अनुसार करें मंत्रों का जापGanga Saptami 2024: गंगा सप्तमी हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष गंगा सप्तमी 14 मई को है। यह दिन मां गंगा को समर्पित है। इस दिन श्रद्धालु स्नान-ध्यान करने के बाद मां गंगा की पूजा-अर्चना करते हैं।
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गंगा जयन्ती आज ***************** शिवजी की जटाओं में आज के ही दिन पहुंची थी गंगा... ================================== आज यानी 18 मई को गंगा जयंती है। गंगा जयंती हिन्दुओं का एक प्रमुख पर्व है। वैशाख शुक्ल सप्तमी के पावन दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई, इस कारण इस पवित्र तिथि को गंगा जयंती के रूप में मनाया जाता है। गंगा जयंती के शुभ अवसर पर गंगा जी में स्नान करने से सात्विकता और पुण्यलाभ प्राप्त होता है। वैशाख शुक्ल सप्तमी का दिन संपूर्ण भारत में श्रद्धा व उत्साह के साथ मनाया जाता है। पवित्र नदी गंगा के पृथ्वी पर आने का पर्व है गंगा जयंती। स्कन्दपुराण, वाल्मीकि रामायण आदि ग्रंथों में गंगा जन्म की कथा वर्णित है। भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में दर्शाया गया है। अनेक पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है। लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा रखते हैं तथा मृत्यु पश्चात गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं। लोग गंगा घाटों पर पूजा अर्चना करते हैं और ध्यान लगाते हैं। गंगाजल को पवित्र समझा जाता है तथा समस्त संस्कारों में उसका होना आवश्यक माना गया है। गंगाजल को अमृत समान माना गया है। अनेक पर्वों और उत्सवों का गंगा से सीधा संबंध है मकर संक्राति, कुंभ और गंगा दशहरा के समय गंगा में स्नान, दान एवं दर्शन करना महत्त्वपूर्ण समझा माना गया है। गंगा पर अनेक प्रसिद्ध मेलों का आयोजन किया जाता है। गंगा तीर्थ स्थल सम्पूर्ण भारत में सांस्कृतिक एकता स्थापित करता है गंगा जी के अनेक भक्ति ग्रंथ लिखे गए हैं जिनमें श्रीगंगासहस्रनामस्तोत्रम एवं गंगा आरती बहुत लोकप्रिय हैं। गंगा जन्म कथा ============== गंगा नदी हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, और अनेक धर्म ग्रंथों में गंगा के महत्व का वर्णन प्राप्त होता है गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं जो गंगा जी के संपूर्ण अर्थ को परिभाषित करने में सहायक है। इसमें एक कथा अनुसार गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैर के पसीनों की बूँदों से हुआ गंगा के जन्म की कथाओं में अतिरिक्त अन्य कथाएँ भी हैं। जिसके अनुसार गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमंडल से हुआ। एक मान्यता है कि वामन रूप में राक्षस बलि से संसार को मुक्त कराने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के चरण धोए और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया और एक (at Shri Harmilap Prem Mandir) https://www.instagram.com/p/CO_-whGrojf/?utm_medium=tumblr
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।। नमो नमः ।। ।।भाग्यचक्र ।। आज का पञ्चाङ्ग :- संवत :- २०७९ दिनांक :- 08 मई 2022 सूर्योदय :- 05:50 सूर्यास्त :- 18:58 सूर्य राशि :- मेष चंद्र राशि :- कर्क मास :- वैशाख तिथि :- सप्तमी वार :- सूर्यवार नक्षत्र :- पुष्य योग :- गंड करण :- वणिज अयन:- उत्तरायण पक्ष :- शुक्ल ऋतू :- वसंत लाभ :- 09:06 - 10:45 अमृत:- 10:46 - 12:23 शुभ :- 14:02 - 15:40 राहु काल :- 17:20 - 18:58 जय श्री महाकाल :- *गंगा सप्तमी:-* देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे । शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले ।। अर्थात:- हे देवी सुरेश्वरी, भगवती गंगे आप तीनों लोकों को तारने वाली हैं। शुद्ध तरंगों से युक्त, महादेव शंकर के मस्तक पर विहार करनेवाली, हे माँ हमारा मन सदैव आपके चरण कमलों में केन्द्रित है। माँ गंगा जन्मोत्सव की अनेकेश: बधाई। आज का मंत्र :- ""|| ॐ घृणि सूर्याय नमः।।||"" *🙏नारायण नारायण🙏* जय श्री महाकाल। माँ महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके परिवार पर बनी रहे। 🙏🌹जय श्री महाकाल🌹🙏 श्री महाकालेश्वर ज्योर्तिलिंग का आज का भस्म आरती श्रृंँगार दर्शन। 08 मई 2022 ( सूर्यवार ) जय श्री महाकाल। सभी प्रकार के ज्योतिष समाधान हेतु। Whatsapp@9522222969 https://www.facebook.com/Bhagyachakraujjain शुभम भवतु ! 9522222969 https://www.instagram.com/p/CdSMHVxLOhV/?igshid=NGJjMDIxMWI=
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Ganga Saptami 2021: गंगोत्री में शिवजी की जटाओं से नीचे उतरी थीं मां गंगा #news4
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को मां गंगा स्वर्गलोक से शिवशंकर की जटाओं में पहुंची थी। इसलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष गंगा सप्तमी पर्व मंगलवार, 18 मई 2021 को मनाया जा रहा है। जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता…
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*गंगा सप्तमी* स्कंदपुराण के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ही गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव शंकर की जटाओं में पहुंची थी इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिष अनुसार इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। आज वैशाख महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन गंगा सप्तमी मनाई जाती है। इसी तिथि पर चित्रगुप्त का प्राकट्योत्सव भी मनाया जाता है। ज्योतिष अनुसार इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन के कारण तीर्थस्थल जाकर स्नान कर पाना संभव नहीं होगा। तो ऐसे में आप घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। बिना घाट जाए मां गंगा को ऐसे करें प्रसन्न: गंगा सप्तमी के दिन गंगा में स्नान, तप ध्यान और दान पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन गंगा स्नान करते समय कई लोग बिना जाने कुछ गलतियां कर देते हैं। जानते हैं कि कैसे इस बार आप बिना गंगा घाट जाए घर पर ही मां गंगा को प्रसन्न कर सकते हैं। – गंगा स्नान करते समय सूर्य की ओर मुख करके ही नहाएं और स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना न भूलें। उल्टी दिशा में जल चढ़ाने से आपको लाभ नहीं मिलेगा। – घर पर भी गंगाजल से स्नान करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपके मन में कोई छल या कपट न हो। नदी स्नान समझकर ही पूरी श्रद्धा से मां गंगा को प्रणाम करते हुए स्नान करें। – गंगा स्नान के बाद गंगा लहरी और गंगा स्त्रोत का पाठ करना न भूलें। शिव की जटाओं से धरती पर उतरीं थीं मां गंगा: स्कंदपुराण के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ही गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव शंकर की जटाओं में पहुंची थी इसलिए इस दिन को गंगा जयंती और गंगा सप्तमी के रूप म���ं मनाया जाता है और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ के नाम से जाना जाता है। गंगा जयंती के दिन गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का नाश हो जाता है। गंगा सप्तमी कथा और महत्व: मोक्षदायिनी मां गंगा के बारे में मान्यता है कि सूर्यवंशी राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को कपिल मुनि ने शाप से भस्म कर दिया था। तब अपने पितृगणों को मोक्ष प्रदान करने के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या कर माता गंगा को प्रसन्न किया और धरती पर लेकर आए। पुराणों के अनुसार भगीरथी के अथक प्रयास से ही गंगा भगवान शिव की जटाओं से होती हुई पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। एक बार गंगा जी तीव्र गत (at Prayagraj - The Sangam City) https://www.instagram.com/p/B_mFeMbFCxV/?igshid=y3ze1xwslgqi
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गंगा सप्तमी: लॉकडाउन में कैसे उठाएं गंगा स्नान का पुण्य लाभ
भारत में प्रायः सभी पर्वों पर गंगा स्नान पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है।हिन्दू धर्म में गंगा नदी को मां की उपमा दी गई है। कहा जाता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा का अवतरण हुआ था। मान्यता है कि ऋषि भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा धरती पर आईं थीं। इसलिए इस दिन गंगा पूजन भी की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार गंगा सप्तमी 30 अप्रैल यानी कि आज है। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है।
गंगा स्नान का पुण्य लाभ लेने के लिए सुबह स्नान के जल में पवित्र गंगाजल डालकर स्नान करें और मन ही मन मां गंगा का स्मरण करें। यदि घर पर गंगाजल स्टोर नहीं किया है तो भी घबराने की जरूरत नहीं है। मन में शुद्ध विचार रखें। यह भी किसी पूजा से कम नहीं है। भक्त रैदास ने एक बार कहा था कि मन चंगा तो कठौती में गंगा।दरअसल, जब कोई व्यक्ति किसी कारणवश गंगा नदी तक नहीं जा सकता, तो ऐसी स्थिति में वह घर पर रहकर भी पुण्यफल प्राप्त कर सकता है। इसके लिए घर में ही स्नान वाले जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला कर स्नान करें। स्नान करते समय गंगा का ध्यान करें। ऐसा करने से आपको नदी में स्नान का फल प्राप्त होगा।
गंगा के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथाएं- गंगा के जन्म से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के मुताबिक गंगा का जन्म विष्णु के पैर में होने वाले पसीने की बूंद से हुआ है। एक कथा कहती है कि गंगा का जन्म ब्रह्मदेव के कमण्डल से हुआ है। एक मान्यता ये भी प्रचलित है कि राक्षस बलि से जगत को मुक्त करने के लिए ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु के पैर धोए और जल को अपने कमण्डल में भर लिया। इससे गंगा उत्पन्न हुईं। गंगा को धरती पर लाने का प्रयत्न राजा भगीरथ ने किया था। उनके प्रयास से ही गंगा का धरती पर अवतरण हो पाया। ऐसा माना जाता है कि कपिल मुनि ने राजा सागर के 60000 पुत्रों को भस्म कर दिया था। उनके उद्धार हेतु राजा भगीरथ ने तपस्या की।
भगीरथ की तपस्या से मां गंगा धरती पर आने को तैयार तो हो गयीं लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी तीव्र जलधारा पृथ्वी पर प्रलय ला देगी। भगवान शिव के प्रयास से उनका वेग कम हो सकता है। तब राजा भगीरथ ने शिव जी से प्रार्थना की। भगवान शिव ने अपनी जटा से गंगा की तेज धारा को नियंत्रित कर धरती पर भेजा। तब उसमें राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियां विसर्जित कीं और उनका उद्धार हुआ।
गंगा जयंती का महत्व – गंगा सप्तमी के दिन ही गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी। इस दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से शिव जी की जटा में पहुंची थीं। इसलिए इस गंगा-पूजन का विशेष महत्व है। गंगा जयंती के दिन गंगा में स्नान करने तथा पूजन से सभी दुख-क्लेश दूर होते हैं। इस दिन गंगा स्नान का खास महत्व है। अगर आप गंगा नदी में स्नान न कर सकें तो गंगा के जल की कुछ बूंदें पानी में डाल कर स्नान करें। इस प्रकार के स्नान से भी सिद्धि प्राप्त होती है। यश-सम्मान की भी प्राप्ति होती है। मांगलिक दोष से ग्रस्त व्यक्तियों को गंगा जयंती के अवसर पर गंगा-स्नान और पूजन से विशेष लाभ मिलता है।
इस दिन गंगा को धरती पर लाने वाले भगीरथजी की भी विधि-विधान से पूजा की जाती है। उसके बाद लोगों में प्रसाद वितरित किया जाता है। यही नहीं भगवान शिव की आराधना भ��� इस दिन शुभ फलदायी मानी जाती है। गंगा पूजन के साथ-साथ दान-पुण्य करने का भी फल मिलता है। इस दिन किसी गरीब जरूरतमंद को अनाज, फल और मिष्ठान का दान करना चाहिए। हो सके तो कुछ दक्षिणा भी देनी चाहिए।
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Image Source : TWITTER/MAYURRATAN24
गंगा जयंती
आज वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि और गुरूवार का दिन है। सप्तमी तिथि आज दोपहर 2 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। उसके बाद अष्टमी तिथि लग जायेगी। फ़िलहाल बात करेंगे सप्तमी तिथि की- आज गंगा सप्तमी है। शास्त्रों के अनुसार आज ही के दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इसे गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन मध्याह्न के समय माँ…
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