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#अभ्यर्थी गायब
best24news · 2 years
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Golmaal: PM आवास योजना के 17 हजार अभ्यर्थी गायब
Golmaal: PM आवास योजना के 17 हजार अभ्यर्थी गायब
दिल्ली: प्रधानमत्री आवास योजना के लिए आवेदन करने वालों में से 17029 लोग Survey में गायब हो गए। उन्होंने आवेदन करते समय जो मोबाइल नंबर दिया था, अब वह Mobile नंबर बंद आ रहा है। अब ऐसे में किस पात्र को यह लाभ दिया जाएगा। सरकार की तरफ से दोबारा सर्वे करवाया जा रहा है, जिस वजह से उन्हें काफी परेशानियों काभी सामना करना पड़ रहा है। अब अप्लाई करने वाले ही जब गायब है तो सब्सिडी किसे दे। Political News:…
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dainiksamachar · 6 months
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नीतीश-तेजस्वी के रिश्ते में 'बिगाड़' का कारण बनी शिक्षकों की भर्ती! जानिए विपक्ष को क्या मिला नया सियासी शिगूफा
पटना: बिहार में नवनियुक्त शिक्षकों को सीएम ने एक भव्य समारोह में नियुक्ति पत्र बांटा। बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर जहां देश भर में बिहार की चर्चा हो रही है, वहीं इसे लेकर विवाद भी छिड़ गया है। नियुक्ति में डोमिसाइल की बाध्यता खत्म किए जाने से शिक्षक अभ्यर्थी नाराज हैं तो चुनावी रणनीतिकार और कभी जेडीयू के साथ रहे प्रशांत किशोर का कहना है कि डोमिसाइल की बाध्यता खत्म होने से बिहार के सिर्फ 25 हजार युवाओं को ही नौकरी मिल पाई है। बाकी सीटों पर बाहरी लोगों को मौका मिला है। बिहार में रोजगार के द्वार खोलने की बात इससे हास्यास्पद हो जाती है। मांझी को धांधली नजर आती है पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का कहना है कि शिक्षक भर्ती परीक्षा में धांधली हुई है। उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से की है। कहा तो उन्होंने यह भी है कि बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को भी शिकायत भेजेंगे। हालांकि सीएम नीतीश पहले ही किसी तरह की गड़बड़ी की बात से इनकार चुके हैं। मांझी नियुक्ति में गड़बड़ी से इतने आहत हैं कि एक तरफ नीतीश कुमार नवनियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे और दूसरी ओर नौकरी से वंचित शिक्षक अभ्यर्थियों की अदालत मांझी अपने आवास पर लगाए हुए थे। उन्होंने पहले ही ‘बिहारी शिक्षक अभ्यर्थी अदालत’ लगाने की घोषणा की थी। मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा, ‘आज पटना में दो बड़े कार्यक्रम होंगे, एक कार्यक्रम सरकारी ईवेंट होगा, जहां बिहारियों को दरकिनार कर नियुक्ति पत्र बांटा जाएगा। दूसरा कार्यक्रम HAM (हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा) का होगा, जिसमें बिहार, बिहारियत और बिहार के भविष्य को लेकर शिक्षक अभ्यर्थी अदालत लगाई जाएगी। पीके खोलेंगे शिक्षक नियुक्ति की पोल चुनावी रणनीतिकार और इन दिनों बिहार में जन सुराज यात्रा कर रहे प्रशांत किशोर तो आरजेडी-जेडीयू के पीछे ही पड़ गए हैं। वे अक्सर इन दोनों दलों के तीन दशक से अधिक के राज को बिहार के पतन का कारण मानते हैं। प्रशांत का कहना है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्त होने पर इतरा रहे हैं। लेकिन सच यह है कि बिहार के तकरीबन 25 हजार लोगों को ही नौकरी मिल पाई है। बाकी लोग बाहरी हैं। चूंकि राज्य सरकार ने शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल की बाध्यता खत्म कर दी थी, इसलिए बाहरी लोगों ने इसका फायदा उठा लिया। सीएम पहले नियुक्ति पत्र बांट लें, उसके बाद वे पोल खोलेंगे। नौकरी आरजेडी की वजह से मिली इस बीच आरजेडी समर्थकों ने बड़े पैमाने पर शिक्षक नियुक्ति का श्रेय नीतीश कुमार की बजाय तेजस्वी यादव को देना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के पोस्टर फ्लोट किए गए हैं। आरजेडी का दावा ह कि तेजस्वी ने ही 10 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था। इसी क्रम में नियुक्तियां हो रही हैं। इसलिए नियुक्ति का श्रेय तेजस्वी को जाता है। नीतीश इससे इतने नाराज हुए कि नियुक्ति पत्र बांटने के लिए आयोजित समारोह के मंच पर लगे बैनर से तेजस्वी ही गायब कर दिया। नीतीश का तर्क है कि यह किसी एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि सरकार की कोशिश का परिणाम है। इसका श्रेय किसी एक को नहीं दिया जा सकता। 1979 के बा�� पहली बार बंटा नियुक्ति पत्र वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर बताते हैं कि 1979 में 1200 इंजीनियरों को सामूहिक रूप से नियुक्ति पत्र बांटा गया था। तब बिहार में कोई इंजीनियर बेरोजगार नहीं बचा था। किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत भी नहीं हुई थी। वह कर्पूरी ठाकुर का राज था। सुरेंद्र किशोर का इशारा आज शिक्षक नियुक्ति पर उठ रहे सवाल की ओर था। अभ्यर्थियों के एतराज और विपक्ष के विरोध के बावजूद वर्षों बाद हुई बड़े पैमाने पर हुई शिक्षकों की नियुक्ति में राज्य सरकार ने डोमिसाइल लागू नहीं किया। इससे बिहार से बाहर के युवाओं को बड़े पैमाने पर नौकरी मिली है। शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर पहले ही कह चुके थे कि बिहार में योग्य शिक्षक नहीं मिल पाएंगे, इसलिए डोमिसाइल खत्म किया गया है। http://dlvr.it/SyHtwD
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live18news · 3 years
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अध्याय 5
जब परमेश्वर मानवजाति से उन माँगों को करता है जिन्हें उनके लिए समझाना कठिन है, और जब उसके वचन सीधे मानव हृदय में चोट करते हैं और लोग अपने ईमानदार हृदयों को उसके आऩंद के लिए अर्पित करते हैं, तो परमेश्वर लोगों को विचार करने, संकल्प करने, और अभ्यास काएक मार्ग को खोजने का अवसर देता है। इस तरह, वे सभी जो उसके लोग हैं, एक बार फिर से, दृढ़ संकल्प में मुट्ठियाँ भींच कर, अपना पूरा अस्तित्व परमेश्वर को अर्पित कर देंगे। कुछ, संभवतः, कोई योजना तैयार कर सकते हैं और एक दैनिक कार्यक्रम बना सकते हैं, जब इस योजना को महिमान्वित करने और इसके निष्कर्ष में तेजी लाने के लिए, अपने हिस्से की ऊर्जा को परमेश्वर की प्रबंधन योजना के लिए समर्पित करते हुए, वे स्वयं को उत्तेजित करने और काम पर लगने के लिए तैयार करते हैं। और, जैसे ही लोग इस मनोवैज्ञानिक अवस्था में लिप्त हो जाते हैं, इन बातों को अपने मन में करीब रखते हुए जब वे दैनिक कामों को करते हैं, जब वे बात करते हैं, और जब वे कार्य करते हैं, तो परमेश्वर,तुरंत इसमें सहायता करते हुए, पुनः बोलना शुरू करता है: "जब मेरा आत्मा आवाज देता है, तो यह मेरे सम्पूर्ण स्वभाव को व्यक्त करता है।क्या तुम लोग इस बारे में स्पष्ट हो?" मनुष्य जितना अधिक दृढ़ संकल्पी होगा, उतना ही दुस्साहसपूर्ण ढंग से वह परमेश्वर की इच्छा को समझने की लालसा करेगा और उतना ही अधिक आग्रहपूर्वक लालसा करेगा कि परमेश्वर उससे माँग करे; और इसलिए, लंबे समय से तैयारी में रखे अपने वचनों को, उनके अस्तित्व की अंतरतम कोटरिकाओं को देने के लिए इस अवसर का लाभ उठाते हुए परमेश्वर लोगों को वह देगा जो वे चाहते हैं। यद्यपि ये वचन थोड़ा कठोर या अशिष्ट प्रतीत हो सकते हैं, किन्तु मानवजाति के लिए वे तुलना से परे मीठे हैं। तत्काल, हृदय आनन्द से खिल उठता है, मानो कि मानवजाति स्वर्ग में हो, या किसी अन्य जगत में, कल्पना के किसी वास्तविक स्वर्ग में पहुँचा दी गई हो, जहाँ बाहरी दुनिया के मामले मानवजाति से अब और नहीं टकराएँगे। ताकि लोग बाहर से बात नहीं करें और बाहर से कार्य नहीं करें, जैसी कि अतीत में उनकी करने की आदत थी, और इस कारण उचित जड़ों को बिछाने में विफल हो जाएँ: इस संभाव्यता को नाकाम बनाने के लिए, जब वह प्राप्त हो जाता हैजो लोग अपने हृदय इच्छा करते हैं, और इसके अतिरिक्त जब वे भावुक उत्साह के साथ कार्य करने के लिए तैयारी करते हैं, तो परमेश्वर तब भी उनकी मनोवैज्ञानिक अवस्था से बोलने के अपने तरीके को अपनाता है, और, फौरन बिना हिचकिचाए, उनके हृदय की समस्त उत्कण्ठा और धार्मिक रस्मों का खण्डन करता है। जैसा कि परमेश्वर ने कहा है: "क्या तुम लोगों ने इसमें निहित महत्व को वास्तव में देखा है?" चाहे किसी व्यक्ति के अपने संकल्प को नियत करने से पहले हो या बाद में, वह परमेश्वर को उसके क्रिया-कलापों में या उसके वचनों को जानने को अधिक महत्व नहीं देता है, बल्कि इस प्रश्न पर विचारमग्न रहता है: "मैं परमेश्वर के लिए क्या कर सकता हूँ? यह मुख्य मुद्दा है!" यही कारण है कि परमेश्वर कहता है: "और तुम लोगों में मेरे सामने अपने आप को मेरे लोग कहने की धृष्टता है—तुम लोगों में जरा सा भी शर्म का बोध नहीं है, कोई समझ तो और भी कम है!" जैसे ही परमेश्वर ये वचन बोल लेता है, तो परमेश्वर के क्रोध को दूसरी बार भड़काने से डरे हुएलोग तुरंत अपने बोध में आ जाते हैं, और मानो कि बिजली का झटका झेल रहे हों, वे शीघ्रता से अपने हाथों को खींच कर अपने वक्षस्थल की सुरक्षा में रख लेते हैं। इसके अलावा, परमेश्वर ने यह भी कहा है: "कभी न कभी, इस तरह के लोग मेरे घर से निर्वासित कर दिए जाएँगे। मेरे साथ तुम पुराने सिपाही के जैसे मत आओ, यह सोचते हुए कि तुम ने मेरी गवाही दी थी!" इस तरह के वचनों को सुनकर, लोग और भी अधिक डर जाते हैं, जैसे कि वे किसी शेर को देखे डरेंगे। वे अपने हृदय में पूरी तरह से जानते हैं। एक तरफ, वे चिंतित होते हैं कि शेर द्वारा नहीं खाए जाएँ जबकि दूसरी तरफ यह सोच नहीं पाते हैं कि बच कर कहाँ निकलें। इस क्षण में, मानव हृदय के अंदर की योजना बिना कोई निशान छोड़े, सर्वथा और पूरी तरह से गायब हो जाती है। परमेश्वर के वचनों के माध्यम से, मुझे महसूस होता है मानो कि मैं मानवजाति की लज्जाजनकता के हर एक पहलू को देख सकता हूँ: लटका हुआ सिर और लज्जित आचरण, ऐसे अभ्यर्थी की तरह जो महाविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में असफल हो गया हो, उसके शानदार आदर्श, सुखी परिवार, उज्ज्वल भविष्य, आदि इसी तरह की अन्य बातें, सभी—वर्ष 2000 तक चार आधुनिकीकरणों के साथ—विज्ञान की काल्पनिक फिल्म का एक काल्पनिक परिदृश्य बनाते हुए, खोखली बात में बदल गए हों। यह सक्रिय तत्वों के लिए निष्क्रिय तत्वों का विनिमय करना है, लोगों कोउनकी निष्क्रियता के बीच, उस स्थान में खड़ा करवाना है जो परमेश्वरने उनके लिए निर्दिष्ट किया है। असाधारण रूप से महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मनुष्य इस पदवी को खोने से गहराई से भयभीत है, और इसलिए वे प्यारे जीवन के लिए कार्यालय के अपने बिल्लों से चिपके रहते, इस बात से भयभीत कि कोई उन्हें छीन सकता है। जब मानवजाति इस मनोदशा में होती है, तो परमेश्वर चिंता नहीं करता कि वे निष्क्रिय हो जाएँगे, और इसलिए वह तदनुसार अपने न्याय के वचनों को पूछताछ के वचनों में बदल देता है। न केवल वह लोगों को उनकी साँस को बहाल करने का अवसर देता है, बल्कि वह उन्हें वैसी ही अभिलाषा रखने का अवसर देता है जैसी वे अबसे पहले रखते थे और उन्हें भविष्य में काम आने के लिए सुलझाने का अवसर देता है: जो अनुपयुक्त है वह संशोधित किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि परमेश्वर ने अभी तक अपना कार्य शुरू नहीं किया है—यह महान दुर्भाग्य के बीच में अच्छे भाग्य का एक अंश है—और इसके अतिरिक्त, उनकी निंदा नहीं करता है। तो मुझे अपनी सारी भक्ति उसे देते रहनेदो!
इसके बाद, अपने डर के कारण, तुम्हें परमेश्वर के वचनों को एक ओर अवश्य नहीं करना चाहिए। यह देखने के लिए एक नज़र डालो कि क्या परमेश्वर की कोई नई माँगें हैं। निश्चित रूप से, तुम इस प्रकार की माँग को पाओगे: "अब से आगे, तुम्हें सभी बातों में अभ्यास की वास्तविकता में प्रवेश करना चाहिए; मात्र अपनी बकवास करने से, जैसे कि तुम किया करते थे, अब और कार्य नहीं चलेगा।" इसमें भी परमेश्वर की बुद्धि अभिव्यक्त होती है। परमेश्वर ने हमेशा अपनी स्वयं की गवाही को सुरक्षित रखा है, और जब अतीत के वचनों की वास्तविकता अपने निष्कर्ष पर पहुँच गई है, तो कोई भी ज़रा भी "अभ्यास की वास्तविकता" के ज्ञान की थाह पाने में समर्थ नहीं है। यह उस सच को साबित करने के लिए पर्याप्त है जो परमेश्वर ने कहा है "मैं कार्य करने का बीड़ा अपने आप उठाता हूँ।" इसका दिव्यता में कार्य के सच्चे अर्थ से संबंध है, और इसका इस कारण से भी संबंध है कि क्यों मानवजाति, शुरुआत की एक नई स्थिति तक पहुँचने के बाद भी अभी भी परमेश्वर के वचनोंके सही अर्थ की थाह लेने में असमर्थ है। इसका कारण यह है कि, अतीत में, बहुसंख्य लोग परमेश्वर के वचनों में सच्चाई से चिपके रहा करते थे, जबकि आज उन्हें अभ्यास की सच्चाई के बारे में कोई भनक नहीं है, लेकिन इन वचनों के सार को समझे बिना इन वचनों के केवल सतही पहलुओं को समझते हैं। इससे भी महत्वपूर्ण रूप से, ऐसा इसलिए है क्योंकि आज, राज्य के निर्माण में, किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करने, बल्कि केवल मशीनी-मानव की तरह परमेश्वरका आज्ञापालन करने की अनुमति है। इसे अच्छी तरह से याद रखो! हर बार जब परमेश्वर अतीत की बात उठाता है, तो वह आज की वास्तविक स्थिति के बारे में बात करना शुरू करता है; यह बोलने का एक प्रकार है जो पहले क्या आता है और बाद में क्या आता है उसके बीच असाधारण भेद उत्पन्न करता है, और इस कारण से, लोगों को अतीत के साथ-साथ वर्तमान को रखनेमें सक्षम बनाते हुए, और भी अधिक बेहतर परिणामों को प्राप्त करने में समर्थ है, और इस तरह से दोनों के बीच भेद को अस्तव्यस्त होने से बचाता है। यह परमेश्वर की बुद्धि का एक पहलू है, और इसका उद्देश्य कार्य के परिणामों को प्राप्त करना है। इसके बाद, परमेश्वर एक बार पुनः मानवजाति की कुरूपता को प्रकट करता है, ताकि मानवजाति हर दिन परमेश्वर के वचनों को खाना और पीना कभी भी नहीं भूलेगी, और इससे भी महत्वपूर्ण ताकि वे रोज़ाना स्वयं को जानेंगे और इसे एक सबक के रूप में लेंगे जिसे उन्हें हर दिन सीखना चाहिए।
जब वह इन वचनों को बोलना समाप्त करता है, तो परमेश्वर ने उस प्रभाव को हासिल कर लिया है जो उसका मूल उद्देश्य था। और इसलिए, इस बात पर और ध्यान नहीं दिए बिना कि मानवजाति ने उसे समझ लिया है या नहीं, वहइसे कुछ वाक्यों में स्पर्श करते हुए तेजी से निकल जाता है, क्योंकि शैतान के कार्य का मनवजाति के साथ कोई संबंध नहीं है—इसकी मानवजाति को कोई भनक नहीं है। अब, आत्मा की दुनिया को पीछे छोड़ते हुए, आगे देखो कि कैसे परमेश्वर मानवजाति से अपनी माँगें करता है: "अपने निवास में विश्राम करते हुए, मैं ध्यानपूर्वक देखता हूँ: पृथ्वी पर सभी लोग "दुनियाभर की यात्रा करते हुए" और इधर-उधर भागते हुए, अपनी नियति, अपने भविष्य के वास्ते, दौड़-धूप करते हैं। परन्तु किसी एक के पास भी मेरे राज्य का निर्माण करने के लिए ऊर्जा नहीं है, यहाँ तक कि उतनी ताकत भी नहीं है जितनी कोई व्यक्ति साँस लेने के लिए उपयोग कर सकता है।" मानवजाति के साथ इन प्रथाओं का आदान-प्रदान करने के बाद, परमेश्वर अभी भी उन पर ध्यान नहीं देता है, बल्कि आत्मा के परिप्रेक्ष्य से बोलना जारी रखता है, और, इन वचनों के माध्यम से, मानवजाति के जीवन की सामान्य परिस्थितियों को उनकी समग्रता में प्रकट करता है। "दुनियाभर की यात्रा करते हुए" और "इधर-उधर भागते हुए", से यह देखना स्पष्ट है कि मानव जीवन संतुष्टि से विहीन है। यदि परमेश्वर द्वारा सर्वसामर्थ्य उद्धार नहीं होता, तो चीन के शाही घराने के दीन-हीन विस्तारित परिवार में जन्मे लोगों ने भी और भी अधिक संपूर्ण जीवनकाल व्यर्थ में जीया होता और वे भी संसार में आते ही अधोलोक और नरक में गिर सकते थे। बड़े लाल अजगर के अधिकार क्षेत्र के अधीन, उन्होंने खुद की जानकारी के बिना, परमेश्वर के विरुद्ध अपमान किया और इसलिए, स्वाभाविक रूप से और पुनः अनजाने में वे, परमेश्वर की ताड़ना के अधीन पड़ गए। इस कारण से, परमेश्वर ने "क्लेश से बचाए गए" और "कृतघ्नों" को लिया और उन्हें भेद निरूपण करते हुए एक साथ रख दिया, ताकि परमेश्वर के बचाने के अनुग्रह के लिए एक विषमता उत्पन्न करते हुए, मनुष्य स्वयं को और भी अधिक स्पष्टता से जान सकें। क्या यह एक और भी अधिक प्रभावोत्पादक परिणाम नहीं देता है? निस्संदेह, यह मेरे इतना स्पष्ट कहे बिना है कि, लोग परमेश्वर के बोलने की सामग्री से, भर्त्सना के एक तत्व का, और फिर, उद्धार और फरियाद के एक तत्व का, और फिर से, उदासी की थोड़ी सूचना का अनुमान लगा सकते हैं। इन वचनों को पढ़ कर, लोग अनजाने में अपने हृदयों में एक संकोची प्रकार केमलाल कोमहसूस करन��� लगते हैं, और आँसू बहने से नहीं रोक सकते हैं ... लेकिन परमेश्वर थोड़ी सी दुःख की भावनाओं के कारण नहीं रुकेगा, न ही वह, पूरी मानवजाति की भ्रष्टता के कारण, अपने लोगों को अनुशासित करने और उनसे माँग करने के अपने कार्य को छोड़ेगा। इस वजह से, उसके विषय सीधे आजकल के जैसी परिस्थितियों पर चर्चा करते हैं, और इसके अतिरिक्त वह मानवजाति के लिए अपनी प्रशासनिक आज्ञाओं की महिमा की घोषणा करताहै, ताकि उसकी योजना आगे बढ़ती रहे। यही कारण है कि उचित गति से इसका अनुसरण करके और अवसर का तुरंत उपयोग करके, परमेश्वर इस महत्वपूर्ण समय पर अभी की परिस्थिति के लिए एक संविधान, ऐसे संविधान की घोषणा करता है जिसके हर अनुच्छेद को सावधानीपूर्वक ध्यान से अवश्य पढ़ा जाना चाहिए इससे पहले कि मानवजाति परमेश्वर की इच्छा को समझ सके। अब इसमें और अधिक कहने की कोई आवश्यकता नहीं है—उन्हें केवल अधिक ध्यान से अवश्य पढ़ना चाहिए।
आज, तुम लोग—यहाँ लोगों का यह समूह—ही एकमात्र हो जो वास्तव में परमेश्वर के वचनों को देख सकते हो। फिर भी, परमेश्वर को जानने में, आज के लोग अतीत के युग के किसी भी अकेले व्यक्ति से बहुत पीछे रह गए हैं। इससे यह पर्याप्त रूप से स्पष्ट है कि शैतान ने लोगों पर कई हज़ार वर्षों तक जिस हद तक प्रयास किया है, और जिस हद तक इसने मानवजाति को भ्रष्ट कर दिया है, वह इतनी अधिक है कि, यद्यपि परमेश्वर ने इतने सारे वचनों को बोला है, फिर भी मानवजाति परमेश्वर को न तो समझती है और न ही जानती है, बल्कि इसके बजाय उठने और उसका सार्वजनिक रूप से विरोध करने का साहस करती है। और इसलिए परमेश्वर प्रायः अतीत के युगों के मनुष्यों को आज के लोगों के लिए तुलना के रूप में प्रदर्शित करता है, ताकि बाद के मनुष्य को, जो स्वभाव से इतने बेसुध और उन्मत्त हैं, संदर्भ का एक यथार्थवादी बिंदु दे। क्योंकि मनुष्य को परमेश्वर का कोई ज्ञान नहीं है, और क्योंकि उनमें वास्तविक विश्वास का अभाव है, इसलिए परमेश्वर ने मानवजाति में योग्यता और समझ के अभाव होना घषित किया है, और इसलिए, उसने बार-बार, लोगों को सहिष्णुता दिखायी है और उन्हें उद्धार दिया है। आत्मा के जगत में इन्हीं के अनुसार लड़ाई लड़ी जाती है: मानवजाति को एक निश्चित अंश तक भ्रष्ट करना, दुनिया को कलुषित और दुष्ट बनाना, और इस तरह मनुष्य को दलदल में खींच कर परमेश्वर की योजना को नष्ट करना, शैतान की निरर्थक आशा है। किन्तु परमेश्वर की योजना समस्त मानवजाति को ऐसे लोग बनाना नहीं है जो उसे जानते हों, बल्कि पूरे का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक हिस्से को चुनना है, शेष को अपशिष्ट उत्पादों, दोषपूर्ण वस्तुओं के रूप में, कचरे के ढेर पर फेंके जाने के लिए छोड़ देना है। और इसलिए, यद्यपि, शैतान के दृष्टिकोण से कुछ व्यक्तियों पर अधिकार करना परमेश्वर की योजना को नष्ट करने का एक शानदार अवसर प्रतीत होता है, लेकिन इसके जैसा कोई मूढ़मति परमेश्वर की मंशा के बारे में क्या जान सकता है? यही कारण है कि परमेश्वर ने बहुत पहले कहा था, "मैंने इस दुनिया को देखने से बचने के लिए अपना चेहरा ढक लिया है।" हम इस बारे में थोड़ा सा तो जानते हैं, और परमेश्वर यह नहीं माँगता है कि मनुष्य कुछ भी करने में सक्षम हो, बल्कि कहता है कि वह जो करता है उसे वे चमत्कारी और अथाह के रूप में पहचानें और परमेश्वर को अपने हृदय में श्रद्धा से धारण करें। यदि, जैसा मनुष्य कल्पना करता है, परमेश्वर उसे परिस्थितियों की परवाह किए बिना ताड़ना देता, तो पूरा विश्व बहुत पहले ही नष्ट हो गया होता। क्या इसका अर्थ सीधे शैतान के फंदे में गिरना नहीं होता? और इसलिए परमेश्वर उन परिणामों को प्राप्त करने के लिए जो उसके मन में हैं केवल अपने वचनों का उपयोग करता है; शायद ही कभी तथ्यों का आगमन होता है। क्या यह उस बात का एक उदाहरण नहीं है जो उसने कहा था:"यदि मैंने तुम लोगों की योग्यता, तर्क-शक्ति और अंतर्दृष्टि के अभाव पर दया नहीं की, तो तुम सभी मेरी ताड़ना के बीच ही नष्ट हो जाओगे, अस्तित्व से ही मिट जाओगे। परन्तु जब तक पृथ्वी पर मेरा कार्य पूरा नहीं होता है, मैं मानवजाति के प्रति सौम्य बना रहूँगा।"?
                                                     स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया
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cnnworldnewsindia · 6 years
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महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती में सामने आ रहीं उच्च शिक्षा निदेशालय की गड़बड़ियां, अधियाचन 138 का, काउंसिलिंग 48 की और रिक्तियां सिर्फ 54
महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती में सामने आ रहीं उच्च शिक्षा निदेशालय की गड़बड़ियां, अधियाचन 138 का, काउंसिलिंग 48 की और रिक्तियां सिर्फ 54
अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या 37 का परिणाम जारी होने के बाद उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय की कारगुजारियों ने खुद के फंसने का जाल भी तैयार कर लिया है। मार्च 2018 में उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानी यूपीएचईएससी से 138 पदों पर घोषित परिणाम, निदेशालय की ओर से रिक्त पदों के आधार पर ही जारी किया गया था लेकिन, छह महीने में इनमें 84 पदों को गायब कर दिया गया है। निदेशालय की ओर से जारी एक पत्र में कहा गया है कि परीक्षण के बाद 54 पद ही रिक्त बचे हैं। 1महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए निदेशालय ने यूपीएचईएससी से 138 पदों के लिए विभिन्न विषयों में साक्षात्कार कराने के लिए कहा था। यूपीएचईएससी की ओर से मार्च 2018 में जारी परिणाम के साथ यह भी उल्लिखित किया गया कि यह चयन उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से प्राप्त अधियाचन के आधार पर किए गए हैं। जाहिर है कि निदेशालय ने परीक्षा संस्था को 138 पदों की महाविद्यालयवार सूची दी। 20 से 23 म���र्च के बीच जारी परिणाम के आधार पर सितंबर 2018 में निदेशालय ने 48 पदों पर भर्ती के लिए काउंसिलिंग शुरू कराई। इसमें भी पूरे अभ्यर्थी नहीं आ सके। शेष 90 अभ्यर्थियों को प्राथमिकता व इसके बाद प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को दूसरी वरीयता न देकर पहले बुलाए गए 48 अभ्यर्थियों में ही शेष को दोबारा मौका देने के लिए 14 नवंबर को काउंसिलिंग निर्धारित की है। अक्टूबर में संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ पीके वाष्ण्रेय ने एक पत्र में रिक्तियों को लेकर ठीकरा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों पर फोड़ा। कहा है कि निदेशक की ओर से गठित समिति ने यूपीएचईएससी को भेजे गए पदों के पुन: निर्धारण में पाया कि क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से भेजी गई सूचनाएं अपूर्ण और भ्रामक थीं। वास्तविक स्थिति में कुल 54 पद ही रिक्त हैं। इसलिए अन्य अभ्यर्थियों की आसन व्यवस्था करना संभव नहीं है। हालांकि यहां भी बड़ा सवाल है कि जब निदेशालय ने अपनी जांच में कुल 54 पद ही रिक्त पाए तो काउंसिलिंग के लिए पूरे न बुलाकर 48 अभ्यर्थियों को ही क्यों बुलाया।’
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Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/10/138-48-54.html
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best24news · 2 years
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Haryana News: फिर गहराया DAP का संकट
Haryana News: फिर गहराया DAP का संकट
हरियाणा: ​खरीब फसलो के बाद अब रबी की फसलों की बिजाई शुरू होने वाली है। किसान फसलों की बिजाई से पहले ही DAP की मांग करने लगे हैं। उन्हें डर है कही भविष्य में उन्हें DAP की किल्लत का सामना ना करना पड़ जाए। Golmaal: PM आवास योजना के 17 हजार अभ्यर्थी गायब इसलिए वे पहले ही DAP खरीदकर खरीदकर चिंता मुक्त् होना चाहते हैं, परंतु किसानों को अभी से सरकारी एजेंसियों पर DAP नहीं मिल पा रही है, जिसे लेकर…
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cnnworldnewsindia · 6 years
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प्रवक्ता भर्ती की स्क्रीनिंग परीक्षा देने पहुंचे 54 फीसद अभ्यर्थी
प्रवक्ता भर्ती की स्क्रीनिंग परीक्षा देने पहुंचे 54 फीसद अभ्यर्थी
इलाहाबाद : एक तरफ तो शिक्षक भर्ती में युवाओं के बढ़ते रुझान से सरकार भी उत्साह में है तो वहीं रविवार को राजकीय इंटर कालेजों में प्रवक्ता भर्ती के लिए यूपीपीएससी की ओर से हुई स्क्रीनिंग परीक्षा में अभ्यर्थियों की उपस्थिति चिंताजनक रही। इलाहाबाद और लखनऊ में परीक्षा एक पाली में हुई जिससे करीब 46 फीसद अभ्यर्थी गायब रहे। कुल 53.9 फीसद अभ्यर्थी परीक्षा देने पहुंचे। यूपीपीएससी ने प्रवक्ता राजकीय इंटर कालेज स्क्रीनिंग परीक्षा-2017, इलाहाबाद और लखनऊ के 89 केंद्रों में संपन्न कराई। इलाहाबाद में 28 और लखनऊ में 61 केंद्रों पर परीक्षा दिन में 11:30 से 1:30 बजे तक हुई। इसमें कुल 38679 अभ्यर्थियों का पंजीयन रहा जबकि परीक्षा में 20848 यानि 53.9 फीसद अभ्यर्थी शामिल हुए। 17831 अभ्यर्थी परीक्षा देने नहीं पहुंचे।रा
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Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/09/54.html
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cnnworldnewsindia · 6 years
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पीसीएस मेंस परीक्षा 2017 की निरस्त परीक्षा के बाद की जाएगी प्रिंटिंग प्रेस पर कार्रवाई
पीसीएस मेंस परीक्षा 2017 की निरस्त परीक्षा के बाद की जाएगी प्रिंटिंग प्रेस पर कार्रवाई
इलाहाबाद : यूपीपीएससी ने उस प्रिंटिंग प्रेस के खिलाफ जांच पूरी कर ली है जिसके चलते पीसीएस मेंस परीक्षा 2017 के दूसरे दिन सामान्य हंिदूी की बजाए निबंध का पर्चा बांटा था। अफसरों का कहना है कि प्रिंटिंग प्रेस की गलती से गड़बड़ी हुई। आयोग ने सिविल लाइंस थाने में एफआइआर भी करा दी है। परीक्षा होने के बाद प्रेस के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।1यह था मामला : पीसीएस मेंस के दूसरे दिन ही इलाहाबाद के केंद्र जीआइसी में प्रथम पाली में सामान्य हंिदूी की बजाय निबंध का पेपर बांटने से हंगामा हुआ, अभ्यर्थियों ने परीक्षा का बहिष्कार करके सड़क पर विरोध जताया था, यूपीपीएससी ने दोनों पालियों की परीक्षाएं निरस्त कर दी थी।परीक्षा के 14वें दिन गायब रहे 36 अभ्यर्थी : पीसीएस मेंस 2017 में गुरुवार को रसायन विज्ञान और विधि की परीक्षा हुई। रसायन विज्ञान में पंजीकृत 48 के सापेक्ष 41 व विधि में 176 के बजाए 147 अभ्यर्थी परीक्षा देने पहुंचे।
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Read full post at: http://www.cnnworldnews.info/2018/07/2017_66.html
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cnnworldnewsindia · 4 years
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UPTET 2019: टीईटी की कॉपी गायब करने पर अभ्यर्थी नामजद
UPTET 2019: टीईटी की कॉपी गायब करने पर अभ्यर्थी नामजद
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cnnworldnewsindia · 6 years
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41556 शिक्षक पदों पर नियुक्ति के ऑनलाइन आवेदन में गड़बड़ियों की भरमार, आधार नंबर की अनदेखी UP Primary Ka Master,
41556 शिक्षक पदों पर नियुक्ति के ऑनलाइन आवेदन में गड़बड़ियों की भरमार, आधार नंबर की अनदेखी UP Primary Ka Master,
इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों की सहायक अध्यापक भर्ती 2018 की लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पाने के पहले चरण में जूझना पड़ रहा है। एनआइसी की ओर से शुरू की गई वेबसाइट में गड़बड़ियों की भरमार है। पहले दिन से शुरू ओटीपी न मिलने की समस्या दूसरे दिन भी बरकरार रही। कई को घंटों तक इसका इंतजार करना पड़ रहा है। इससे प्रदेश भर में हड़कंप मचा रहा। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों के लिए 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती की लिखित परीक्षा में 41556 अभ्यर्थी सफल हुए हैं। उनसे लिखित परीक्षा के लिए हुए आवेदन के आधार पर ही नियुक्ति के लिए जिला वरीयता व अन्य सूचनाएं मांगी जा रही हैं। अभ्यर्थी अपना अनुक्रमांक, जन्म तारीख व मोबाइल नंबर वेबसाइट पर दर्ज करने के लिए ओटीपी यानी वन टाइम पासवर्ड का घंटों इंतजार कर रहे हैं। कई अभ्यर्थियों का ओटीपी आया ही नहीं, उन्हें फिर से सारी सूचनाएं दर्ज करनी पड़ी हैं। कई जिलों में ओटीपी आने के बाद अपने आप आगरा जिले के अभ्यर्थियों के आवेदन पत्र भी खुल रहे हैं। इससे सभी परेशान हुए।1वेबसाइट पर जिला वरीयता देने में अंबेडकर नगर जिले का नाम दो बार दर्ज मिला, जबकि बलिया जिला वेबसाइट से गायब था। शिकायत होने के बाद बुधवार दोपहर बाद एनआइसी ने वेबसाइट दुरुस्त की है। अंतर जिला तबादलों में भी बलिया जिले में शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं हो सका था। तबादले भी एनआइसी की वेबसाइट से हुए। नियुक्ति के आवेदन में फिर वही गड़बड़ी दोहरा दी गई। आधार नंबर की अनदेखी एक ओर बेसिक शिक्षा महकमा सभी शिक्षकों को आधार नंबर देना अनिवार्य कर रहा है, जिन शिक्षकों ने आधार नंबर नहीं दिया है, उनका वेतन रोकने के आदेश हुए। वहीं दूसरी ओर नियुक्ति के लिए आवेदन में पहचान के लिए आधार नंबर गायब है। अभ्यर्थियों से पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस व निवास पत्र प्रमाणपत्र मांगा गया है। इसके अलावा प्रदेश में पांच साल से निवास और वैवाहिक स्थिति पूछी जा रही है। वहीं, शिक्षामित्रों को कौन सा स्कूल कब ज्वाइन किया बताना है।
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