महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, असम सहित देश के कईराज्यों से आये 1.5 लाख से भी ज्यादा लोग संत रामपाल जी महाराज द्वारा कराए जा रहे भंडारे में पहुंचे। जिन्हें शुद्ध देसी घी से बना पौष्टिक भण्डारा कराया गया। आपको बता दें, यह भण्डारा संत रामपाल जी के सानिध्य में
परमेश्वर कबीर जी माघ महीना शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी विक्रम संवत 1575 (सन 1518) को सशरीर सतलोक गए थे। कबीर साहेब अविनाशी हैं। सशरीर प्रकट होते हैं, सशरीर चले जाते हैं - प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 93 मंत्र 2, मण्डल 10 सूक्त 4 मंत्र 3
श्राद्ध करना मनमाना आचरण है। यह शास्त्रों में अविद्या कहा गया है। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 और 24 में कहा है कि जो शास्त्रविधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनकी न तो गति होती है, न ही उन्हें किसी प्रकार का
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।