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dystopiatoreason · 3 years
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अल्लाह ताल्हा के सौ नामो में 9 नामो के मतलब देखिये
😃 अज्जार (ﺍﻟﻀﺎﺭ) = घमंडी, हानिकर्ता और कष्ट दाता जब्बार (ﺍﻟﺠﺒّﺎﺭ )= तानाशाह, जबरदस्ती करने वाला क़ह्हार (ﺍﻟﻘﻬّﺎﺭ )= गुलाम बनाने वाला खफीज (ﺍﻟﺨﺎﻓﺾ )= उत्पीड़क, अत्याचारी मुजल्लिल (ﺍﻟﻤﺬﻟِﻞ )= अशिष्ट, उद्दण्ड मुमीत (ﺍﻟﻤﻤﻴﺖ)= प्राण घाती, जानलेवा मुंतकीम (ﺍﻟﻤﻨﺘﻘﻴﻢ )= प्रतिशोधक, बदला लेने वाला मुतकब्बिर (ﺍﻟﻤﺘﻜﺒِّﺮ )= दम्भी, डींगबाज माकिर (ﺍﻟﻤﺎﻛﺮ )= धोखेबाज, मक्कार बताइये अल्लाह के ऐसे दुर्गुणी नाम जपने या उनका स्मरण करने से मुसलमान शांतिप्रिय और सदाचारी बनेगे या महा अपराधी ? दुनिया भर में बढ़ते हुए अपराध , आतंक और भ्रष्टाचार के पीछे अल्लाह को याद करना ही है 😜 ऐसा मुझे लगता है.
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dystopiatoreason · 3 years
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अल्लाह ने इब्राहीम को अपनी सब से प्यारी चीज़ कुरबान करने कहा जिस से अलाह खुश हो जाए इब्राहीम ने पहले दिन 100 ऊंट की कुर्बानी दी अल्लाह खुश नहीं हुवा फिर... इब्राहीम ने दुसरे दिन फिर से 100 ऊंट की कुर्बानी दी अल्लाह खुश नहीं हुवा... फिर... इब्राहीम ने तीसरे दिन फिर से 100 ऊंट की कुर्बानी दी अल्लाह खुश नहीं हुवा... *इसी से पता चलता है *इसे से ही पता चलता है अल्लाह कितना जालिम है *अल्लाह इब्राहीम को रोक सकता था *जब के मुसलमान ही कहते ही की अलाह सब कुछ जाननेवाला है **जो सब कुछ जाननेवाला है उसे क्यों पता नहीं चला की के इब्राहीम निर्दोष और बेजुबान जानवरों की हत्या कर देगा *और उस तिन दिन की कुर्बानी अल्लाह खुश भी नहीं होगा तो कुर्बानी तो कुछ काम नहीं आयी *फिर चोथे दिन इब्राहीम ने अपने बेटे इस्माइल की बलि देने को सोचा **जब छुरी चलाने की कोशिश की तब अल्लाह ने छुरी से बात कर के छूरी को चलने से मना कर दिया हा हा हा हा हा 😃 अल्लाह छूरी से बात कर रहा था 🤗 फिर अल्लाह ने इस्माइल के जगह पे एक दुम्बा (मेंढा) रख दिया और उसकी कुर्बानी हो गई और अल्लाह खुश हो गया के इब्राहीम मेरे लिए अपने बेटे तक की कुरबानी दे सकता है, तो सवाल ये है की गाय बकरी को क्यों काटते हो अल्लाह को खुश करना है तो अपने अपने बेटो की गर्दने क्यों नहीं काटते 🤔 दूसरा सवाल ये है की अगत अल्लाह छूरी से बात करके उसे रोक सकता था तो तिन दिन जब इब्राहीम ऊंट काट रहा था तब क्या अल्लाह सो रहा था जब अल्लाह खुश नहीं होने वाला था तो उस वक़्त भी छुरी को क्यों नहीं रोका... उन ऊँटो का पाप किस पे जाएगा इब्राहीम पे या अलाह पे... *सवाल ये भी परीक्षा इब्राहीम की थी तो अल्लाह खुश हुवा ना तो उसे रिवाज़ बनाकर क्यों जानवरों की हत्या करते आ रहे हो.. *मुसलमान कहते है कुरबानी अपने मेहनत की पैसे की होनी चाहिए *इब्राहीम कोनसी मेहनत कर के लाया था मेंढा 😊 *तो फिर कुरबानी जायज़ कैसे हुवी बे.....
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dystopiatoreason · 3 years
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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के मुताबिक
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dystopiatoreason · 3 years
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dystopiatoreason · 3 years
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अल्लाह कौन था ?
(यह लेख  हमने 8 दिसंबर 2010 को  तैयार किया था  यानी    लगभग   10 साल  पहले  ,हमने इस लेख में प्रमाणों के साथ साबित कर दिया था कि अल्लाह सर्वशक्तिमान     यानी ईश्वर नहीं  हो सकता  है  , यह मुहम्मद की कल्पना  थी  , जो मुहम्मद की मौत के साथ ही गायब  हो गयी   , आज  मेरी यह बात   सही  साबित  हो  गयी  ,  आज मुस्लमान  काबा  में रहने वाले  अल्लाह  को छोड़ कर भाग  रहे  हैं  ,  अगर सचमुच  अल्लाह होता तो  किसी फरिश्ते  को  भेज   देता  ?मुझे  यह  जानकर ख़ुशी  हुई कि इतने  साल  बाद  किसी ने मेरे लेख  को विडिओ  के रूप  में यू  ट्यूब  में डाल दिया   है  यद्यपि  हम उन महोदय  को नहीं  जानते फिर भी  आभार प्रकट  करते  हैं  ,) यदि कुरान और हदीसों को ध्यान से पढ़ें ,तो उसमे अल्लाह के द्वारा जितने भी आदेश दिए गए हैं ,सब में केवल जिहाद ,ह्त्या ,लूट ,बलात्कार और अय्याशी से सम्बंधित है .कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति इनकी ईश्वर के आदेश मानने से इंकार कर देगा .अप देखेंगे की अल्लाह हमेशा मुहम्मद का पक्ष लेता है ,मुहम्मद के हरेक कुकर्म को किसी न किसी आयात से जायज बता देता है .मुहम्मद के लिए औरतों का इंतजाम करता है ,मुहम्मद के घरेलु विवाद सुलझाता है ,मुहम्मद के पापों पर पर्दा डालता है ,आदि यूरोप के विद्वान् इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि वास्तव में अल्लाह एक कल्पित चरित्र है .अल्लाह का कोई अस्तित्व नहीं है .अल्लाह और कोई नहीं मुहम्मद ही था .जो अल्लाह का रूप धरकर पाखण्ड कर रहा था ,और लोगों को मूर्ख बनाकर अपनी मनमर्जी चला रहा था .और अय्याशी कर रहा था .कुरान अल्लाह की किताब नहीं ,बल्कि मुहम्मद ,आयशा ,और वर्क बिन नौफल की बेतुकी बातों का संग्रह है .और हदीसें मुहम्मद के साथियों द्वारा चुगली की गयी बातें हैं  (इसके बारे में अगले लेख में विस्तार से दिया जायेगा ) यहाँ पर उन्हीं तथ्यों की समीक्षा की जा रही है ,जिस से साबित होता है ,की मुहम्मद अलाह की खाल ओढ़कर अपनी चालें कैसे चलता था .इसके लिए प्रमाणिक हदीसों और कुरान से हवाले लिए गए हैं - 1 -अल्लाह को केवल मुहम्मद ही जानता था  "रसूल ने कहा कि केवल मुझे ही अलह के बारे में पूरी पूरी जानकारी है ,कि अल्लाह कैसा है ,और कहाँ रहता है ,और भवष्य में क्या करने वाला है " सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5814  "आयशा ने कहा कि ,जब भी मोमिन रसूल के पास आकर,उन से अल्लाह और रसूल के अधिकारों ,के बारे में कोई सवाल करता था ,तो रसूल एकदम भड़क जाते थे ,और कहते थे कि ,मैं अल्लाह को अच्छी तरह पहिचानता हूँ .मुझ में और अल्लाह में कोई फर्क नहीं है .मैं अल्लाह के बारे में तुम सब से अधिक जानता हूँ " बुखारी -जिल्द 1 किताब 2 हदीस 19  सईदुल खुदरी ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जन्नत में केवल उन्हीं लोगों को ऊंचा स्थान मिलेगा जो ,अल्लाह के साथ मुझे भी आदर देंगे ,और मुझे चाहेंगे " बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 478 . 2 -अल्लाह मुहम्मद को औरतें भेजता था  "खौला बिन्त हकीम नामकी एक औरत रसूल के पास गयी ,रसूल ने उस से सहवास कि इच्छा प्रकट की ,लेकिन आयशा को यह पसंद नहीं आया .इस पर रसूल ने कहा कि ,आयशा क्या तुम नहीं चाहती हो ,आल्लाह मुझे औरतें भेजकर मुझे ख़ुशी प्रदान नहीं करे .इस औरत को अल्लाह ने मेरे लिए ही भेजा है " .बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 48 . 3 -अल्लाह मुहम्मद का पक्ष लेता था  "अब्ब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब ने कहा कि ,रसूल से मैंने सुना कि रसूल ने कहा अल्लाह हमेशा मेरा ही पक्ष लेता है .और मेरी हरेक बात को उचित ठहरा देता है .मेरे मुंह से अल्लाह ही बोलता है " सहीह मुस्लिम -किताब 1 हदीस 54 . 4 -मुहम्मद को गाली,अल्लाह को गाली  "अबू हुरैरा ने कहा कि ,जब कुरैश के लोग रसूल को मुहम्मद कि जगह "मुहम्मम "कहकर चिढाते थे तो,रसूल ने कहा क्या तुम लोग यह नहीं जानते हो कि ,तुम अल्लाह को चिढ़ा रहे हो .इस से तुम पर अजाब पड़ेगा " बुखारी -जिल्द 4 किताब 56 हदीस 773  5 -मुहम्मद कि जुबान अल्लाह कि जुबान  "अबू मूसा ने कहा कि ,रसूल ने कहा ,मैं जो भी कहता हूँ वह मेरी नहीं बल्कि अल्लाह कि जुबान है .जिसने मेरी बात मानी समझ लो उसने अल्लाह कि बात को मान लिया " अबू दाऊद-किताब 3 हदीस 5112  "आयशा ने कहा कि ,हिन्दा बिन्त उतबा रसूल के पास शिकायत लेकर आई और बोली कि ,मुझे अबू सुफ़यान से खतरा है ,क्या मैं अपना घर छोड़ कर चली जाऊं ,क्या सुफ़यान को अल्लाह का खौफ नहीं है .रसूल ने कहा तुम डरो नहीं ,तुम्हें कुछ नहीं होगा .यह मेरा नहीं अल्लाह का वायदा है " सहीह मुस्लिम -किताब 18 हदीस 4254 . 6 -मुहम्मद को अल्लाह का डर नहीं था  "आयशा ने कहा कि ,एक बार जैसे ही रसूल घर में दाखिल हुए तो ,एक यहूदिन ने चिल्लाकर रसूल से कहा कि ,क्या तझे पता नहीं है कि ,कयामत के दिन अल्लाह तेरे गुनाहों के बारे में सवाल करेगा .रसूल ने कहा कि मुझे इसका कोई डर नहीं है .मैं खुद अपने आप से सवाल क्यों करूंगा " मुस्लिम -किताब 4 हदीस
1212 . "अम्र बिन आस ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,अल्लाह तो मेरा दोस्त है .और वह मुझसे या मेरे बाप दादाओं या मेरे साथियों से उनके गुनाहों के बारे में कोई सवाल नहीं करेगा .और मई सब गुनाह माफ़ कर दूंगा " मुस्लिम -किताब 1 हदीस 417 . इब्ने माजा -किताब 1 हदीस 93  7 -मुहम्मद से नीची आवाज में बोलो  "हे ईमान वालो ,अपनी आवाजें रसूल की आवाजों से ऊंची नहीं करो ,और जो लोग रसूल के सामने अपनी आवाजें नीची रखते है .अल्लाह उनके लिए क्षमा और उत्तम बदला देगा "सूरा -अल हुजुरात 49 :2 और 3  8 -अल्लाह के नाम पर मुहम्मद का कानून  "जब अल्लाह का रसूल की फैसला कर दे ,तो किसी को कोई अधिकार नहीं रह जाता है कि ,वह रसूल कि वह रसूल के फैसले कि अवज्ञा कर सके ." सूरा -अहजाब 33 :36 .  "इब्ने अब्बास ने कहा कि ,जो रसुल के आदेश को कबूल करेगा और मान लेगा समझ ले कि उसाने अल्लाह केअदेश को मान लिया .और जो रसूल के आदेश का विरोध करेगा वह अल्लाह का विरोध माना जाएगा " बुखारी -जिल्द 5 किताब 59 हदीस 634 .  9 -मुहम्मद का आतंक अल्लाह का आतंक  "अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,मैं लोगों ले दिलों में आतंक पैदा कर दूंगा .और जो आतंक होगा वह अल्लाह के द्वारा पैदा किया आतंक समझा जाये " सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1066 और 1067 .  10 -अल्लाह ने शादियाँ तय करवायीं  "जब मुहम्मद ने अपनी पुत्रवधू जैनब बिन्त से अपनी शादी करवाई थी ,वह शादी खुद अल्लाह ने ही करवायी थी .उस समय अल्लाह के आलावा कोई दूसरा नहीं रसूल ही थे " सहीह मुस्लिम -किताब 4 हदीस 1212 . 11 -अल्लाह के बहाने अली बोलता था  "जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि ,अक्सर जब रसूल कोई महत्वपूर्ण आयत सुनाने वाले होते थे तो ,सब को बुला लेते थे .फिर अपने घर के एक गुप्त कमरे में अली को बुला लेते थे .जबीर ने कहा कि इसी तरह एक बार रसूल ने हमें बुलाया ,फिर कहा कि एक विशेष आयत सुनाना है .फिर रसूल अली को एक कमरे में ले गए .आर कहा कि इस आयत में काफी समय लग सकता है इसलिए अप लोग रुके रहें ,हमने चुप कर देखा कि अली ,रसूल से अल्लाह की तरह बातें कर रहा था .वास्तव में कमरे में रसूल और अली के आलावा कोई नहीं था .अलह कि तरह बातें करने वाला और कोई नहीं बल्कि रसूल का चचेरा भाई अली था " शामए तिरमिजी हदीस 1590 .  इस सारे विवरणों से साफ पता चलता है कि ,अल्लाह का कोई अस्तित्व ही नहीं है .यह मुहम्मद की चालबाजी और पाखंड था .अरब के मुर्ख ,लालची लोग मुहाम्मद की बे सर पैर की बातों को अल्लाह का आदेश मान लेते थे .आज भी कई ढोंगी बाबा ,फकीर इसी तरह से लोगों को ठगते रहते है .चूंकि आज विज्ञानं का प्रचार होने से लोग ऐसे ढोंगियों को जल्द ही भंडा फोड़ देते हैं .और पाखंडियों को जेल के अन्दर करा देते हैं .और ढोंगियों के जाल से बच जाते है . आज इस बात की अत्यंत जरुरत है कि दुनिया के सबसे बड़े धूर्त ,पाखंडी ,और अल्लाह के नाम पर आतंक करने वाले स्यंभू रसूल का विश्व स्तर पर भंडा फोड़ा जाये .तभी लोग शांति से जी सकेंगे .अल्लाह को मानाने या उस से डरने कि कोई जरुरत नहीं है .मुहम्मद ही अल्लाह बना हुआ था . (87/1) Video-अल्लाह कौन था-10/02/2019 https://www.youtube.com/watch?v=OItcpEX1twY&t=43s Who is Allah || अल्लाह कौन हैं || من هو الله || خدا کون ہے || દેવ કોણ છે? || Ajab Gajab India https://www.youtube.com/watch?v=jabs9HaYV9g (87/1)Dt 12/04/2020
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dystopiatoreason · 3 years
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dystopiatoreason · 3 years
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फ़रिश्ते नहीं परियां कहिये !!
इस्लाम में फरिश्तों का इतना बड़ा ऊँचा दर्जा है कि अल्लाह और रसूल के साथ उन पर भी विश्वास करने के लिए कहा गया है .लेकिन लोग बिना किसी तर्क के इस बात को स्वीकार कर लेते है . और इस विश्वास को ईमान(Faith ) कहा जाता है .और अल्लाह के साथ फरिश्तों ,किताबों ,और रसूलों पर इमान रखने को इमाने मुफस्सिल कहा जाता है ,अरबी में इस प्रकार है - "آمَنْتُ بِاللهِ وَمَلاَئِكَتِه وَكُتُبِه وَرُسُلِه وَالْيَوْمِ الآخِرِ وَالْقَدْرِ خَيْرِه وَشَرِّه مِنَ اللهِ تَعَالى وَالْبَعْثِ بَعْدَ الْمَ " I have faith in Allah and His Angels, His Books and His Messengers, and the Day of Judgement and that all good and evil and fate is from Almighty Allah and it is sure that there will be resurrection after death. इस ईमाने मुफस्सिल में अल्लाह के बाद दुसरे नंबर पर फरिश्तों पर ईमान रखने को कहा है ,और फरिश्तों को अरबी में "मलायकतु" कहा काया है .जिसे लोग अंगरेजी में Angels या Fairy भी कहते हैं .फरिश्तों का काम,उनके बारे में कुरान और हदीसों में यह लिखा है , 1-फरिश्तों की संख्या और काम  वैसे तो फरिश्तों का मुख्य काम अल्लाह की रात दिन बंदगी करना है ,लेकिन वह उन से और भी काम करवाता है ,जैसे कि, "और वह फ़रिश्ते अल्लाह की बंदगी करने और उसके हुक्म का पालन करने में लगे रहते है  सूरा -अस साफ्फात 37 :165  "यह तुम्हारे ऊपर जासूसी भी करते हैं ,और तुम जोभी करते हो वह बारीकी से लिखते रहते हैं " सूरा-अल इन्फितार 82 :10 से 12 "और आदमी के मुंह से जोभी बात निकलती है ,उसे सुनने के लिए ताक में रहते हैं " सूरा -काफ 50 :18  "अल्लाह लोगों के आगे पीछे फ़रिश्ते लगा देता और जब अल्लाह का आदेश होता है वह उस व्यक्ति की रक्षा करते हैं "सूरा -रअद 13 :11 "मौत से समय तुम्हारे ऊपर मौत का फ़रिश्ता लगा दिया जाएगा जो ,तुम्हें ग्रस्त कर लेगा ,और तुम अल्लाह के पास वापस भेज दिए जाओगे " सूरा -अस सजदा 32 :11  "जो नेक लोग जन्नत में जायेंगे तो उनको बधाई देने के लिए हर दरवाजे पर फ़रिश्ते खड़े मिलेंगे " सूरा-रअद 13 :23  "अल्लाह का सिंहासन उठाने के लिए आठ फ़रिश्ते उसे किनारों से पकड़ कर रखेंगे " सूरा -हाक्का -69 :17  "कठोर लोगों को काबू करने के लिए बलवान फ़रिश्ते लगाये जाते हैं ,जो अल्लाह के आदेशों का पालन करवाते हैं "सूरा -अत तहरीम 66 :6  "और निश्चय ही यह सन्देश (कुरान ) एक फ़रिश्ते द्वारा ही पहुंचाई हुयी बात है " सूरा -अत तकवीर 81 :19  "नरक वासियों के ऊपर उन्नीस फ़रिश्ते नियुक्त किये गए हैं "सूरा -अल मुदस्सिर 74 :30  इन सभी विवरणों से पता चलता है कि अल्लाह कि हुकूमत में फ़रिश्ते ,मजदूरी ,जासूसी ,और चुगली के साथ जेलर का काम भी करते हैं .और जरुरत होने पर पोस्टमेन का काम भी करते हैं . 2-फरिश्तों के कितने पंख कुछ लोगों को ऐसा लगता होगा कि फरिस्तों कन्धों पर दायें और बाएं एक एक पंख होगा ,जैसे पक्षियों के होते हैं .ईसाई भी दो ही पंख मानते है .लेकिन इस्लाम की बात और ही है .इसमे फरिश्तों के पंखों की संख्या दी जा रही है , "कुछ ऐसे भी फ़रिश्ते हैं ,जिनके ,दो -दो ,तीन-तीन , चार -चार पंख होते हैं "सूरा -फातिर 35 :1 हदीस ने तो एक फ़रिश्ते के 600 पंख बताये है ,हदीस इस प्रकार है "अबू इशाक शैवानी ने कहा कि जब वह जिब्रील से मिलने गए तो उनके बीच में दो कमान की दूरी (two bow length ) थी .और उन्होंने जरीर बिन मसूद से कहा था कि जिब्रील के 600 पंख हैं  "बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 455  3-फरिश्तों को स्त्रियाँ बताने का विरोध  अभी तक फरिश्तों के बारे में जोभी दिया गया वह विश्वास यानि ईमान पर आधारित है .चूँकि लगभग 97 % मुसलमान कुरान की व्याकरण नहीं समझते ,और उनको जो अर्थ बताया जाता है ,उसी को सही मानते है .यद्यपि कुरान में भी फरिश्तों को अल्लाह की बेटियां कहा गया है ,जिसका मुसलमान विरोध करते हैं ,क्योंकि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसमे स्त्रियों को हीन समझा जाता है .और जब लोगों ने फरिश्तों को अल्लाह की बेटियां या स्त्रियाँ कहा तो ,अल्लाह इस बात का खंडन करने के लिए दलीलें देने लगा ,और कहने लगा , "यह लोग अल्लाह की बेटियां होने को बुरा मान रहे हैं ,क्योंकि जब इनके यहाँ जब जीसी को बेटी होने की सूचना मिलाती है ,तो इनके मुंह काले पड़ जाते हैं ,और वह कुढ़ जाते हैं सूरा -अन नहल 16 :57 और 58  "क्या तुम इसे बड़ी भारी बात मान रहे हो कि अल्लाह ने फरिश्तों को बेटियां बना लिया है सूरा बनी इस्रायेल 17 :40  "क्या अल्लाह ने लड़कों की जगह लड़कियों को पसंद कर लिया है ? सूरा -अस साफ्फात 37 :153  "क्या तुम्हारे दिलों में यह बात खटकती है ,कि अल्लाह के घर में बेटियां हों ,और तुम्हारे घर बेटे पैदा हों " सूरा -अस साफ्फात 37 :149  "क्या अल्लाह ने खुद के लिए बेटियां पसंद कर लीं ,जो आभूषणों और श्रृंगार में पलती हैं ,और वादविवाद में ठीक से जवाब नहीं दे सकती हैं
" सूरा-जुखुरुफ़ 43 :16 और 18  "तुम्हारे घर बेटे हों ,और अगर अल्लाह के घर बेटियाँ हों तो तुम्हें बहुत गलत लग रहा है " सूरा -अन नज्म 53 :21 और 22  4-फरिश्तों का स्त्रियाँ होने का प्रमाण  सब जानते हैं कि ,झूठे बहाने बनाकर सच को नहीं छुपाया जा सकता .और जैसे अदालत में जिरह के दौरान सच बाहर निकल ही आता है ,वैसे अल्लाह के इस झूठ की पोल खुद कुरान ने खोल दी है कि फ़रिश्ते स्त्रियाँ नहीं है .यह बात तब खुली जब अल्लाह ने यह कहा था ,(इस आयत को गौर से पढ़ने की जरुरत है .) देखिये "क्या हमने फरिश्तों को स्त्रियाँ बनाया ,तब यह साक्षी थे "सूरा -अस साफ्फात 37 :150 Did We create the angels as females the while they witnessed?” 37:150 ."اَمۡ خَلَقۡنَا الۡمَلٰٓٮِٕكَةَ اِنَاثًا وَّهُمۡ شٰهِدُوۡنَ‏"37:150(अम खलक ना मलायकतु निसा अन व् हुम शाहिदून) इसी आयत की तफ़सीर में भी फरिश्तों को स्त्री बताने का खंडन किया है . "وجعلوا الملائكة الذين هم عباد الله والإناث " And they make the angels who are servants of the  Allah  are females. 5-अरबी व्याकरण से प्रमाण  लेकिन अल्लाह की इस आयत में खुद विरोधाभास है ,क्योंकि वह अरबी में जिन फरिश्तों के लिए "मलायकतुملائكة "  "शब्द का प्रयोग कर रहा है वह व्याकरण के अनुसार स्त्रीलिंग बहुवचन  Feminine GendarPlular शब्द है .जिसे अरबी में "मुअन्निस जमा " कहते हैं .जो इस प्रकार है मुअन्निसالمؤنث सीगा जमाصيغة الجمع .अर्थात फ़रिश्ते स्त्रियाँ ही हैं .क्योंकि अरबी व्याकरण के अनुसार किसी भी संज्ञा (Noun ) या सर्वनाम (Pronoun ) का स्त्रीलिंग (Feminine ) बनाने के लिए उसके आगे गोल ते के साथ ऊपर दो पेश(ةٌ ) लगा दिए जाते हैं ,जिसे ते मरबूता कहते हैं .. उदाहरण- हामिद ( حامِدُ) एक वचन पुर्लिंग इसका स्त्रीलिंग होगा (حامِدةٌ ) हामिदः जिसे हामिदतुन लिखते हैं और हामिदा बोलते हैं .ऐसे ही नासिर ( ناصِرُ) का स्त्रीलिंग नासिरा (ناصِرةٌ ) होगा .इस व्याकरण के नियमानुसार ("मलायकतुملائكة "  शब्द स्त्रीलिंग ही है .भले मुसलमान फरिश्तों (परियों ) को अल्लाह की बेटियां मानने से इनकार करें ,लेकिन इस बात से कोई मुल्ला इंकार नहीं कर सकता की अरबी व्याकरण के अनुसार फ़रिश्ते स्त्रियाँ ही है .और अल्लाह ने औरतों की सेना बना रखी है .शायद अल्लाह से ही प्रेरणा लेकर गद्दाफी ने औरतों की सेना बना डाली थी . मुझे पूरा यकीन है कि जब इस लेख को पढ़ने के बाद मुस्लिम बहिनों को यह पता चलेगा कि फ़रिश्ते वास्तव में पुरुष नहीं ,बल्कि स्त्रियाँ हैं ,तो वह जरुर खुश होंगी ,और उनको स्त्री होने पर गर्व होगा .लेकिन आगे से उनको जहाँ भी फ़रिश्ता लिखा हुआ दिखे ,उसकी जगह "फरिश्तिनी " या "परियां " शब्द प्रयोग करना होगा , आपने   ऐसे कई विडिओ देखे होंगे जिसमे मुस्लिम विद्वान् मुस्लिमों   से कहते हैं कि जन्नत में निकाह के बिना ही  हूरों  के साथ सहवास करने की आजादी   होगी  , अर्थात अल्लाह लोगों को व्यभिचार करने की छूट  देता है   ,सोचिये  अगर फ़रिश्ते मर्द   होते हैं ,और हूरें  स्त्रियां  होती हैं  ,तो फ़रिश्ते हूरों  के  साथ सहवास   या व्यभिचार  क्यों  नहीं  करते  ? और अल्लाह  इसलिए हूरों  और   फ़रिशतिनि   के साथ  इसलिए कुछ नहीं  कर सकता क्योंकि खुद उसकी योनि   है   ! बताइए क्या अब भी आप फरिश्तों को परियां कहने से इंकार करेंगे ? (200/16)
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dystopiatoreason · 3 years
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मांसाहारी आदमखोर खुदा !!
चूंकि ईसाई और मुसलमान भारतीय धर्म ग्रंथों को मानवनिर्मित और कपोलकल्पित बताते हैं , और अपनी किताबों जैसे तौरेत ,जबूर,इंजील और कुरान को अल्लाह की किताबें और प्रमाणिक बताते हैं ,इसी लिए उन्हीं को सही मानकर चलते हैं .यह सभी मानते हैं कि तौरेत यानी बाइबिल कुरान से काफी पहले की अल्लाह की किताब है . यद्यपि मुसलमान यह भी कहते हैं कि तौरेत में लोगों ने बदलाव कर दिया है .लेकिन अधिकांश बाते बाइबिल और कुरान में एक जैसी मिलती हैं यही नहीं कुछ ऐसी परम्पराएँ और रिवाज है ,जो मुसलमानों ने तौरेत से अपना लिए हैं , जिनको यह सुन्नते इब्राहीम भी कहते हैं , जैसे खतना कराना और कुर्बानी का रिवाज ,यानि अल्लाह के नाम पर जानवरों कि हत्या करना ईसाई और मुसलमान दौनों यह मानते हैं कि अल्लाह के पहला व्यक्ति आदम को बनाया था ,जिसके दो पुत्र काबिल और हाबिल हुए थे .जिनमे से एक की संतान से सारे मनुष्य पैदा हुए है .मुसलमानों का यह भी दावा है कि , अल्लाह ने इब्राहीम की परीक्षा लेने के लिए अपने लडके इस्माइल की क़ुरबानी देने को कहा था .लेकिन इस्माइल की जगह एक मेंढा रख दिया था .और उसी की याद में जानवरों की हत्या की जाती है .मुसलमानों का यह भी दावा है कि , अल्लाह को न मांस चाहिए और न खून चाहिए .इस बात में कितनी सच्चाई है , और हकीकत क्या है ,यह बाइबिल और कुरान के आधार पर दिया जा रहा है , देखिये 1-अल्लाह  को मांस  का चस्का  बाइबिल के अनुसार आदम का बड़ा बे टा काबिल खेती करने लगा ,और छोटा बेटा भेड़ बकरियां पालने का काम करने लगा .कुछ समय बाद जब काबिल अपनी उपज से कुछ भेंट खुदा को चढाने के लिए गया तो खुदा ने उसे अस्वीकार कर दिया .लेकिन जब हाबिल ने एक पहिलौठे भेड़ को मारकर उसकी चर्बी खुदा को चढ़ाई ,तो खुदा ने खुश होकर कबूल कर लिया ." बाइबिल -उत्पत्ति 4 :1 से 6  इस बात से पता चलता है कि अल्लाह स्वभाव से हिंसक और मांसप्रेमी है उस समय खुदा का घर नहीं था ,इसकिये उसने आसान तरकीब खोज निकाली 2-स्थायी वधस्थान  कुछ समय के बाद खुदा ने एक जगह स्थायी वधस्थल ( slaughter place ) बनवा दिया जिसे मिज्बह Altars (Hebrew: מזבח‎, mizbe'ah,  कहते हैं ,वहीँ पर खुदा जानवरों की बालियां .स्वीकार करता था .ताकि भटकना नहीं पड़े .खुदा ने कहा , "तू मेरे लिए एक मिट्टी की वेदी बनवाना ,और उसी पर अपनी भेड़ -बकरियां और अपने गाय बैलों की होम बलियां चढ़ाना .और मैं वहीँ रह कर तुझे आशीष दूंगा .और अगर तू पत्थर की वेदी बनाये तो तराशे हुए पत्थरों की नहीं बनाना "बाइबिल .व्यवस्था 20 :24 -25  3-खुदा की मांसाहारी पसंद  जब एक बार खुदा में मुंह में मांस का स्वाद लग गया तो छोटे बड़े सभी शाकाहारी जानवरों की कुर्बानियां लेने लगा ,और उनकी आयु .रंग और मरने की तरकीबें भी लोगों को बताने लगा ,जो बाइबिल और कुरान में बतायीं हैं "खुदा ने कहा ,क्या मनुष्य के और क्या पशु के जोभी अपनी माँ की बड़ी संतान हो ,वे सब तू मेरे लिए रख देना " Exodus 13:2  "खुदा ने कहा कि याजक पाप निवारण के लिए वेदी पर निर्दोष मेंढा लेकर आये " बाइबिल .लेवी 5 :15  अल्लाहने मूसा से कहा गाय न बूढ़ी हो और न बछिया .इसके बीच की आयु की हो " सूरा -बकरा 2 :68  "तुम ऊंटों को पंक्ति में खड़ा कर देना ,और जो गोश्त के भूखे हों वह धीरज रखें ,जब ऊंट ( रक्तस्राव ) के किसी पहलू पर गिर जाये तो उसको कट कर खुद खा लेना और भूखों को खिला देना " सूरा -हज्ज 22 :36  ऊंट के गले में छेद कर देते हैं ,इसे नहर कहते है .कुरान ने विधि बताई है . 4-जानवर कटने के लिए हैं  अपने लिए मांस पहुंचता रहे इसलिए अल्लाह ने घर बैठे ही इतजाम कर लिया और कहा कि, "क़ुरबानी के जानवरों की बस यही नियति है की , उनको क़ुरबानी की पुरानी जगह तक पंहुचना है "सूरा -हज्ज 22 :33  "हमने प्रत्येक गिरोह के लिए क़ुरबानी का तरीका ठहरा दिया है "सूरा-हज्ज 22 :34  5-खून का प्यासा अल्लाह  मुस्लिम विद्वान् खून को हराम बताने के पीछे अनेकों कुतर्क करते हैं ,लेकिन असली कारण तौरेत यानि बाइबिल में मिलता है ,खून खुदा को सबसे अधिक पसंद है .कुरान और बाइबिल के कथन देखिये "क्योंकि हरेक देहधारी के प्राण उसके खून में रहते हैं ,और इसलिए मैंने लोगों से वेदी पर खून चढाने को कहा है .इसलिए कोई भी व्यक्ति खून नहीं खाए .  बाईबिल लेवी -17 -11 -13  "याजक पशु का खून वेदी के पास रखदे " बाइबिल लेवी -4 : 30  क्योंकि बलि का खून तो खुदा का भोजन है .इसलिए तुम खून नहीं खाना " बाइबिल लेवी -3 :17 "मूसा से खुदा ने कहा ,की तुम पर मुरदार ,खून ,और सूअर और जिसपर अलह के सिवा किसी का नाम लिया गया हो ,सब हराम" सूरा -बकरा 2 :173 और सूरा-मायदा 5 :3  "तुम मांस को प्राणों के साथ यानि खून के साथ नहीं खाना  बाइबिल उत्पति 9 :4 -5  6-खुदा मांस खाकर ऊब गया  जब कई बरसों तक खुदा जानवरों का कच्चा मांस खा कर ,और खून पी चुका तो वह अघा गया ,और उसे इन चीजों से अरुचि होने लगी थी ,
जो बाइबिल में इन शब्दों में वर्णित है खुदा ने कहा अब जानवरों की कुर्बानियां मेरे किसी काम की नहीं हैं ,मैं मेढ़ों और  जानवरों  के खून से अघा गया हूँ .अब में बछड़ों भेड़    के बच्चों और बकरों के खून से प्रसन्न नहीं होता "  बाइबिल .यशायाह 1 :11 -12  नोट -इन प्रमाणों  से सिद्ध हो जाता है कि खून  अल्लाह की प्रिय  खुराक  है  , और जैसे कोई मांसाहारी जानवर  अपनी खुराक  किसी दूसरे को नहीं खाने  देता  उसी तरह अल्लाह ने  खून को हराम कर  दिया है  , यही कारण है कि यहूदी  और मुस्लिम खून  नहीं   खाते ,इसीलिए  मुसलमान  कुर्बानी  करने के लिए जानवर की  मुख्य  धमनी काट  कर छोड़ देते हैं  , जिस से जानवर  का सारा खून बह जाता  है  जिसे अल्लाह पी जाता  है , तब खुदा ने सोचा कि नमक से मांस में स्वाद आयेगा ,तो उसने कहा , "खुदा ने कहा ,तू क़ुरबानी की बलियों को नमकीन बनाना ,और बलि को बिना नमक नहीं रहने देना ,इसलिए चढ़ावे में नमक भी रख देना " बाइबिल लेवी 2 :13  और जब जानवरों  के नमकीन मांस   खाकर  और उनका  खून पीकर  अल्लाह का दिल भर गया तो वह मनुष्यों की क़ुरबानी मांगने  लगा 7-लड़कों  की कुर्बानी  जब खुदा को जानवरों कि कुर्बानियों से संतोष नहीं हुआ ,तो वह इसानों के लडके लड़कियों कि क़ुरबानी लेने लगा .इब्राहीम और इसहाक ( इस्माइल ) की कथा तो लोग जानते हैं ,लेकिन खुदा ने लड़की की क़ुरबानी भी ले ली थी .देखिये . "खुदा ने इब्राहिम से कहा तू मेर��� द्वारा बताई गयी जगह मोरिया पर जा ,और अपने प्रिय बेटे इसहाक की मेरे लिए होम बलि चढ़ा दे "Genesis 22:1-18 फिर इब्राहीम ने लडके को माथे के बल लिटा दिया ,तब हमने उसकी जन बचाने के लिए एक विशेष  तरकीब    पेश कर दी " सूरा -अस साफ्फात 37 :103 से 107 8-लड़कियों  की कुर्बानी  बाद में खुदा लड़कियों की कुर्बानियां भी लेने लगा ,यानि मनुष्यभक्षी बन गया .जो बाइबिल से सिद्ध होता है . "यिप्ताह के कोई पुत्र नहीं था,उसने मन्नत मांगी कि यदि वह युद्ध से कुशल आ जायेगा तो अपनी संतान कि क़ुरबानी कर देगा ,एक ही पुत्री मिज्पाह थी थी . उसने पुत्री की कुर्बानी कर दी . Judges 11:29-40  विश्व के अनेकों लोग मांसाहार करते हैं ,और उसके पक्ष में तरह तरह के तर्क भी देते हैं .और कुछ ऐसे भी धर्म हैं , जिनमे पशुबलि और नरबलि की कुरीति पाई जाती है.जिसको वह लोग अपने धर्मग्रंथ की किसी कथा से जोड़कर ,रिवाज और आवश्यक धार्मिक कार्य मानते हैं .इस्लाम की ऐसी ही परंपरा क़ुरबानी की है , पैगम्बर इब्राहीम द्वारा अपने पुत्र की क़ुरबानी से सम्बंधित है . ,और इसकी कथा , बाइबिल ,और कुरान में मौजूद है . यद्यपि इब्राहीम द्वारा बाइबिल में इसहाक की क़ुरबानी , और कुरान में इस्माइल की क़ुरबानी बताई गई है .अब सवाल यह उठता है कि एक विवादग्रस्त किंवदंती के आधार हर साल करोड़ों निरीह मूक प्राणियों की क्रूर हत्या को एक धार्मिक कार्य मानना कहाँ तक उचित मानना चाहए .जबकि उसी इब्राहीम के अनुयायी यहूदियों और ईसाईयों ने क़ुरबानी को धार्मिक रूप नहीं दिया है .क्या कारण है कि दयालु , और कृपालु ईश्वर , खुदा ,God या अल्लाह अचानक इतना हिंसक और रक्तपिपासु कैसे बन गया कि वह जानवरों के साथ मनुष्यों की कुर्बानियां भी लेकर खुश होने लगा . जो खुदा लोगों के सत्कर्मों से नाराज ,और पशुबलि (कुर्बानी ) से प्रसन्न होता है ,वह ईश्वर नहीं हो सकता .इसलिए यदि हम कहें कि अल्लाह रहमान  और रहीम   बल्कि "मानव मांस भक्षी और रक्त पिपासु है  ,तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं   होगी "
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dystopiatoreason · 3 years
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हराम और हलाल इस्लाम का कमाल !
सभी लोग अच्छी तरहसे जानते हैं कि भारत के मुसलमान हमेशा "वन्देमातरम " का विरोध करते हैं . और कहते हैं कि ऐसा बोलना हराम है .यानि पाप है .इस्लाम में जायज -नाजायज ,वैध -अवैध अर्थात हलाल और हराम की बड़ी विचित्र और तर्कहीन अवधारणा है ,जो कुरान ,हदीसों ,और मुफ्तियों द्वारा समय समय पर दिए फतवों के आधार पर तय की जाती है . जिसे मानना हर मुसलमान के लिए अनिवार्य होता है . वर्ना उसे काफ़िर समझा जाता है .इसलिए मुसलमान हमेशा हर विषय हराम और हलाल के आधार पर ही तय करते हैं , चाहे वह देश के संविधान या कानून के विरुद्ध ही क्यों न हो .वह विना समझे अंधे होकर उसका पालन करते हैं . इस संक्षिप्त से लेख में कुरान ,हदीसों ,फतवों ,और समाचारों में प्रकाशित खबरों से चुन कर एक दर्जन ऐसे मुद्दे दिए जा रहे हैं , जिनको पढ़ कर प्रबुद्ध पाठक ठीक से समझ जय्र्गे कि इस्लाम के अनुसार हराम क्या है ,और हलाल क्या है . 1 -अल्लाह का नाम लिए बिना जानवर को मारना हराम है . लेकिन जिहाद के नाम से हजारों इंसानों का क़त्ल करना हलाल है . 2-यहूदियों ,ईसाइयों से दोस्ती करना हराम है . लेकिन यहूदियों ,ईसाईयों का क़त्ल करना हलाल है . 3-टी वी और सिनेमा देखना हराम है . लेकिन सार्वजनिक रूप से औरतों को पत्थर मार हत्या करते हुए देखना हलाल है . 4-किसी औरत को बेपर्दा देखना हराम है . लेकिन किसी गुलाम औरत को बेचते समय नंगा करके देखना हलाल है . 5-शराब का धंदा करना हराम है . लेकिन औरतों ,बच्चों को गुलाम बना कर बेचने का धंदा हलाल है . 6-संगीत सुनना हराम है . लेकिन जिहाद के कारण मारे गए निर्दोष लोगों के घर वालों की चीख पुकार सुनना हलाल है . 7-घोड़ों की दौड़ पर दाव लगाना हराम है . लेकिन काफिरों के घोड़े चुरा कर बेचना हलाल है  8-औरतों को एक से अधिक पति रखना हराम है . लेकिन मर्दों लिए एक से अधिक पत्नियाँ रखना हलाल है . 9-चार से अधिक औरतें रखना हराम है . लेकिन अपने हरम में सैकड़ों रखेंलें रखना हलाल है . 10-किसी मुस्लिम का दिल दुखाना हराम है . लेकिन किसी गैर मुस्लिम सर कटना हलाल है . 11-औरतों के साथ व्यभिचार करना हराम है . लेकिन जिहाद में पकड़ी गयी औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार करना हलाल है . 12-जब किसी औरत की पत्थर मार कर हत्या की जारही हो ,तो उसे बचाना हराम है . जब उसी अपराध के लिए औरत को जिन्दा जलाया जा रहा हो ,तमाशा देखना हलाल है . इन थोड़े से मुद्दों को ध्यान से पढ़ने से उन लोगों की आँखें खुल जाना चाहिए तो इस्लाम को शांति का धर्म समझ बैठे हैं .इसलिए "भंडाफोडू " ब्लॉग पिछले चार सालों से अपने प्रमाण सहित लेखों के माध्यम से देश प्रेमी लोगों को इस्लाम से सचेत करता आया है . ताकि भूले से भी कोई व्यक्ति जकारिया नायक जैसे धूर्त के जाल में नहीं फसे .जिनको भी इस लेख के सम्बन्ध में इस्लामी किताबों के प्रमाण चाहिए वह "भंडाफोडू " के सभी लेख पढ़ने का कष्ट करें . ऐसे कमाल के तर्कहीन इस्लाम से जितनी दूरी बनाये रखोगे उतने ही निरापद रहोगे !! (200/70)
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dystopiatoreason · 3 years
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इस्लाम का भविष्य क्या होगा ?
मुसलमान अक्सर अपनी बढ़ती जनसंख्या की डींगें मारते रहते है .और घमंड से कहते हैं कि आज तो हमारे 53 देश हैं .आगे चलकर इनकी संख्या और बढ़ेगी .इस्लाम दुनिया भर में फ़ैल जायेगा .विश्व ने जितने भी धर्म स्थापक हुए हैं ,सभी ने अपने मत के बढ़ने की कामना की है .लेकिन मुहम्मद एकमात्र व्यक्ति था जिसने इस्लाम के विभाजन ,तुकडे हो जाने और सिमट जाने की पहिले से ही भविष्यवाणी कर दी थी .यह बात सभी प्रमाणिक हदीसों में मौजूद है . यदि कोई इन हदीसों को झूठ कहता है ,तो उसे मुहम्मद को झूठ साबित करना पड़ेगा .क्योंकि यह इस्लाम के भविष्य के बारे में है .सभी जानते हैं कि किसी आदर्श ,या नैतिकता के आधार पर नहीं बल्कि तलवार के जोर पर और आतंक से फैला है .इस्लाम कि बुनियाद खून से भरी है .और कमजोर है .मुहम्मद यह जानता था .कुरान में साफ लिखा है - 1-इस्लाम की बुनियाद कमजोर है "कुछ ऐसे मुसलमान हैं ,जिन्होंने मस्जिदें इस लिए बनायीं है ,कि लोगों को नुकसान पहुंचाएं ,और मस्जिदों को कुफ्र करने वालों के लिए घात लगाने और छुपाने का स्थान बनाएं .यह ऐसे लोग हैं ,जिन्होंने अपनी ईमारत (इस्लाम )की बुनियाद किसी खाई के खोखले कगार पर बनायीं है ,जो जल्द ही गिरने के करीब है .फिर जल्द ही यह लोग जहन्नम की आग में गिर जायेंगे "सूरा -अत तौबा 9 :108 और 109 2 -इस्लाम से पहिले विश्व में शांति थी . यद्यपि इस्लाम से पूर्व भी अरब आपस में मारकाट किया करते थे ,लेकिन जब वह मुसलमान बन गए तो और भी हिंसक और उग्र बन गए .जैसे जैसे उनकी संख्या बढ़ती गयी उनका आपसी मनमुटाव और विवाद भी बढ़ाते गए .वे सिर्फ जिहाद में मिलने वाले माल के लिए एकजुट हो जाते थे .फिर किसी न किसी बात पर फिर लड़ने लगते थे ,शिया सुनी विवाद इसका प्रमाण है . इसके बारे में मुहमद के दामाद हजरत अली ने अपने एक पत्र में मुआविया को जो लिखा है उसका अरबी के साथ हिंदी और अंगरेजी अनुवाद दिया जा रहा है - 3 -हजरत अली का मुआविया को पत्र हजरत अली का यह पत्र संख्या 64 है उनकी किताब" नहजुल बलाग -   نهج البلاغة "में मौजूद है . http://www.imamalinet.net/EN/nahj/nahj.htm "यह बात बिलकुल सत्य है कि,इस्लाम से पहिले हम सब एक थे .और अरब में सबके साथ मिल कर शांति से रह रहे थे .तुमने (मुआविया )महसूस किया होगा कि ,जैसे ही इस्लाम का उदय हुआ ,लोगों में फूट और मनमुटाव बढ़ाते गए .इसका कारण यह है ,कि एक तरफ हम लोगों को शांति का सन्देश देते रहे ,और दूसरी तरफ तुम मुनाफिक(Hypocryt )ही बने रहे ,और इस्लाम के नाम पर पाखंड और मनमर्जी चलाते रहे.तुमने अपने पत्र में मुझे तल्हा और जुबैर की हत्या का आरोपी कहा है .मुझे उस पर कोई सफ़ाई देने की जरुरत नहीं है .लेकिन तुमने आयशा के साथ मिलकर मुझे मदीना से कूफा और बसरा जाने पर विवश कर दिया ,तुमने जो भी आरोप लगाये हैं ,निराधार है ,और मैं किसी से भी माफ़ी नहीं मांगूंगा " मुआविया के पत्र का हजरत अली का मुआविया को जवाब -नहजुल बलाग -पत्र संख्या 64 ومن كتاب له عليه السلام كتبه إلى معاوية، جواباً عن كتاب منه أَمَّا بَعْدُ، فَإِنَّا كُنَّا نَحْنُ وَأَنْتُمْ عَلَى مَا ذَكَرْتَ مِنَ الاَُْلْفَةِ وَالْجَمَاعَةِ، فَفَرَّقَ بيْنَنَا وَبَيْنَكُمْ أَمْسِ أَنَّا آمَنَّا وَكَفَرْتُمْ، وَالْيَوْمَ أَنَّا اسْتَقَمْنَا وَفُتِنْتُمْ، وَمَا أَسْلَمَ مُسْلِمُكُمْ إِلاَّ كَرْهاً وَبَعْدَ أَنْ كَانَ أَنْفُ الاِِْسْلاَمِكُلُّهُ لِرَسُولِ اللهِ صلى الله عليه وآله حرباً وَذَكَرْتَ أَنِّي قَتَلْتُ طَلْحَةَ وَالزُّبَيْرَ، وَشَرَّدْتُ بِعَائِشَةَ وَنَزَلْتُ بَيْنَ الْمِصْرَيْنِ وَذلِكَ أَمْرٌ غِبْتَ عَنْهُ، فَلاَ عَلَيْكَ، وَلاَ الْعُذْرُ فِيهِ إِلَيْكَ [ A reply to Mu'awiya's letter. ] It is correct as you say that in pre-Islamic days we were united and at peace with each other. But have you realized that dissensions and disunity between us started with the dawn of Islam. The reason was that we accepted and preached Islam and you remained heathen. The condition now is that we are faithful and staunch followers of Islam and you have revolted against it. Even your original acceptance was not sincere, it was simple hypocrisy. When you saw that all the big people of Arabia had embraced Islam and had gathered under the banner of the Holy Prophet (s) you also walked in (after the Fall of Makkah.) In your letter you have falsely accused me of killing Talha and Zubayr, driving Ummul Mu'minin Aisha from her home at Madina and choosing Kufa and Basra as my residence. Even if all that you say against me is correct you have nothing to do with them, you are not harmed by these incidents and I have not to apologize to you for any of them. 4 -इस्लाम का
विभाजन इस्लाम के पूर्व से ही अरब के लोग दूसरों को लूटने और आपसी शत्रुता के कारण लड़ते रहते थे .लेकिन मुसलमान बन जाने पर उनको लड़ने और हत्याएं करने के लिए धार्मिक आधार मिल गया .वह अक्सर अपने विरोधियों को मुशरिक ,मुनाफिक और काफ़िर तक कहने लगे और खुद को सच्चा मुसलमान बताने लगे .और अपने हरेक कुकर्मों को कुरान की किसी भी आयत या किसी भी हदीस का हवाला देकर जायज बताने लगे .धीमे धीमे सत्ता का विवाद धार्मिक रूप धारण करता गया .मुहम्मद की मौत के बाद ही यह विवाद इतना उग्र हो गया की मुसलमानों ने ही मुहम्मद के दामाद अली ,और उनके पुत्र हसन हुसैन को परिवार सहित क़त्ल कर दिया .उसके बाद ही इस्लाम के टुकडे होना शुरू हो गए .जिसके बारे में खुद मुहम्मद ने भविष्यवाणी की थी .- "अबू हुरैरा ने कहा कि,रसूल ने कहा था कि यहूदी और ईसाई तो 72 फिरकों में बँट जायेंगे ,लेकिन मेरी उम्मत 73 फिरकों में बँट जाएगी ,और सब आपस में युद्ध करेंगे " अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4579 "अबू अमीर हौजानी ने कहा कि ,रसूल ने मुआविया बिन अबू सुफ़यान के सामने कहा कि ,अहले किताब (यहूदी ,ईसाई ) के 72 फिरके हो जायेंगे ,और मेरी उम्मत के 73 फिरके हो जायेंगे ..और उन में से 72 फिरके बर्बाद हो जायेंगे और जहन्नम में चले जायेंगे .सिर्फ एक ही फिरका बाकी रहेगा ,जो जन्नत में जायेगा " अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4580 . "अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,ईमान के 72 से अधिक टुकडे हो जायेंगे ,और मुसलमानों में ऐसी फूट पड़ जाएगी कि वे एक दुसरे की हत्याएं करेंगे ." अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4744 . "अरफजः ने कहा कि मैं ने रसूल से सुना है ,कि इस्लाम में इतना बिगाड़ हो जायेगा कि ,मुसलमान एक दुसरे के दुश्मन बन जायेंगे ,और तलवार लेकर एक दुसरे को क़त्ल करेंगे " अबू दाऊद -जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4153 . "सईदुल खुदरी और अनस बिन मालिक ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,पाहिले तो मुसलमान इकट्ठे हो जायेंगे ,लेकिन जल्द ही उनमें फूट पड़ जाएगी .जो इतनी उग्र हो जाएगी कि वे जानवरों से बदतर बन जायेगे .फिर केवल वही कौम सुख से जिन्दा रह सकेगी जो इनको इन को ( नकली मुसलमानों )को क़त्ल कर देगी .फिर अनस ने रसूल से उस कौम की निशानी पूछी जो कामयाब होगी .तो रसुलने बताया कि,उस कौम के लोगों के सर मुंडे हुए होंगे .और वे पूरब से आयेंगे " अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 हदीस 4747 . 5 -इस्लाम के प्रमुख फिरके आमतौर पर लोग मुसलमानों के दो ही फिरकों शिया और सुन्नी के बारे में ही सुनते रहते है ,लेकिन इनमे भी कई फिरके है .इसके आलावा कुछ ऐसे भी फिरके है ,जो इन दौनों से अलग है .इन सभी के विचारों और मान्यताओं में इतना विरोध है की यह एक दूसरे को काफ़िर तक कह देते हैं .और इनकी मस्जिदें जला देते है .और लोगों को क़त्ल कर देते है .शिया लोग तो मुहर्रम के समय सुन्नियों के खलीफाओं ,सहबियों ,और मुहम्मद की पत्नियों आयशा और हफ्शा को खुले आम गलियां देते है .इसे तबर्रा कहा जाता है .इसके बारे में अलग से बताया जायेगा . सुन्नियों के फिरके -हनफी ,शाफई,मलिकी ,हम्बली ,सूफी ,वहाबी ,देवबंदी ,बरेलवी ,सलफी,अहले हदीस .आदि - शियाओं के फिरके -इशना अशरी ,जाफरी ,जैदी ,इस्माइली ,बोहरा ,दाऊदी ,खोजा ,द्रुज आदि अन्य फिरके -अहमदिया ,कादियानी ,खारजी ,कुर्द ,और बहाई अदि इन सब में इतना अंतर है की ,यह एक दुसरे की मस्जिदों में नमाज नहीं पढ़ते .और ना  ही      एक दुसरे की हदीसों को मानते है .सबके नमाज पढ़ने का तरीका ,अजान ,सब अलग है .इनमे एकता असंभव है .संख्या कम होने के से यह शांत रहते हैं ,लेकिन इन्हें जब भी मौका मिलाता है यह उत्पात जरुर करते हैं . 6 -इस्लाम अपने बिल में घुस जायेगा मुहम्मद ने खुद ही इस्लाम की तुलना एक विषैले नाग से की है .इसमे कोई दो राय नहीं है .सब जानते हैं कि यह इस्लामी जहरीला नाग कितने देशों को डस चुका है .और भारत कि तरफ भी अपना फन फैलाकर फुसकार रहा है .लेकिन हम हिन्दू इतने मुर्ख हैं कि सेकुलरिज्म ,के नामपर ,और झूठे भाईचारे के बहाने इस इस्लामी नाग को दूध पिला रहे हैं .और तुष्टिकरण की नीतियों को अपना कर आराम से सो रहे है .आज इस बात की जरुरत है की ,हम सब मिल कर मुहम्मद की इस भविष्यवाणी को सच्चा साबित करदें ,जो उसने इन हदीसों में की थीं . - "अबू हुरैरा ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,निश्चय ही एक दिन इस्लाम सारे विश्व से निकल कर कर मदीना में में सिमट जायेगा .जैसे एक सांप घूमफिर कर वापिस अपने बिल में घुस जाता है ' बुखारी -जिल्द 3 किताब 30 हदीस 100 . "अब्दुल्ला बिन अम्र बिन यासर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ,जल्द ही एक ऐसा समत आयेगा कि जब लोग कुरान तो पढेंगे ,लेकिन कुरान उनके गले से आगे कंधे से निचे नहीं उतरेगी.और इस्लाम का कहीं कोई निशान नहीं दिखाई देगा " बुखारी -जिल्द 9 किताब 84 हदीस 65 "अबू हुरैरा ने कहा कि ,रसूल ने कहा है कि ,इस्लाम सिर्फ दो मस्जिदों
(मक्का और मदीना )के बीच इस तरह से रेंगता रहेगा जैसे कोई सांप इधर उधर दो बिलों के बीच में रेंगता है " सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 270 . "इब्ने उमर ने कहा कि ,रसूल ने कहा कि ऐसा निकट भविष्य में होना निश्चय है ,कि इस्लाम और ईमान दुनिया से निकलकर वापस मदीने में इस तरह से घुस जायेगा ,जैसे कोई विषैला सांप मुड़कर अपने ही बिल में घुस जाता है " सही मुस्लिम -किताब 1 हदीस 271 और 272 . अब हम देखते हैं कि मुसलमान इन हदीसों को झूठ कैसे साबित करते है .?  आज लीबिया ,यमन और दूसरे इस्लामी देशों में जो कुछ हो रहा है ,उसे देखते हुए यही प्रतीत होता है कि मुहम्मद साहिब की यह हदीसें एक दिन सच हो जायेगीं ,जिनमे इस्लाम के पतन और विखंडन की भविष्यवाणी की गयी है .! B.N.Sharma (200/1)
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dystopiatoreason · 3 years
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रसूल की भारतविरोधी भूतवाणी !
( गजवा ए हिन्द  )"यह अरबी शब्द है ,इसका अर्थ भारत पर  हमला  है  , पाकिस्तान के मुल्लों   ने यह बात फैला राखी  है की  मुहम्मद  ने यह भविष्यवाणी  की   है की  एक दिन मुस्लिम  हिंदुस्तान  पर हमला  करके   भारत पर कब्ज़ा  करके इसे इस्लामी देश बना  देंगे  , दुर्भाग्य के यहाँ के मुस्लिम  पाकिस्तान के इस  झूट  को सही   मानकर  आतंक   फैलते रहते  हैं   ताकि मुहम्मद के वचन  सत्य   हो  जाएँ  ,  इसी विषय में प्रमाणिक  जानकारी  दी  जा रही है   , जो भी इस लेख को पढ़े  कृपया  सब  को  शेयर  जरूर करे   "भविष्य में आगे होने वाली घटनाओं के बारे में पहले से ही जानकारी देने को "पूर्वकथन prediction " कहा जाता है .और इसी को "भविष्यवाणी Prophecy " भी कहा जाता है .विश्व में अनेकों ऐसे व्यक्ति हुए हैं ,जिन्होंने किसी न किसी आधार पर आगे होने वाली घटनाओं के बारे में सटीक वर्णन किया है . ऐसे लोगों को "भविष्यवक्ता " कहा जाता हैं .लेकिन किसी व्यक्ति की मौत के काफी बाद भी कोई दूसरा व्यक्ति उस मृतक के नाम से निराधार भविष्यवाणी करता है . और लोगों को गुमराह करत��� है ,तो हम उसकी बातों को भविष्यवाणी नहीं " भूतवाणी " कहेंगे .इस लेख में हम मुहम्मद की भूतवाणी का भंडाफोड़ कर रहे हैं . क्योंकि कुछ दिन पूर्व हमारे मित्रों ने बताया था कि पाकिस्तान का एक भारतविरोधी मुसलमान " जैद हामिद "मुहम्मद की कुछ हदीसों का हवाला देकर मुसलमानों को भारत के विरुद्ध जिहाद करने , आतंक फ़ैलाने और युद्ध के लिए उकसा रहा है .इसलिए यह लेख अत्यंत महत्त्वपूर्ण है .1-मुहम्मद भविष्यवक्ता नहीं थेपहले तो हमें यह बात समझना होगी कि जब खुद मुहम्मद को ही भविष्य में होने वाली घटनाओं का ज्ञान नहीं था , तो वह कोई भविष्यवाणी कैसे कर सकते थे . क्योंकि कुरान में कहा है ," हे नबी तुम लोगों से कह दो कि न तो मैं परोक्ष ( गैब -Unseen Future ) की बातें जानता हूँ , और न मैं कोई फ़रिश्ता हूँ 'सूरा अन आम 6:50" हे नबी तुम कह दो कि यदि मैं परोक्ष की बातें(Knoledge of  unseen  जानता होता ,तो बहुत से फायदे बटोर लेता "सूरा -अल आराफ 7:188" हे नबी जो लोग तुम से क़यामत के आने का समय पूछते हैं ,तो कह दो इसका ज्ञान सिर्फ अल्लाह को है , मुझे नहीं " सूरा -अहजाब 33:632-भारत पर जिहादी हमले क्योंभारत सरकार सेकुलरिज्म के नाम पर मुस्लिम देशों से चाहे जितनी मित्रता दिखाए , और पाकिस्तान से चाहे जितने शांति समझौते कर डाले , और चाहे देश के सभी हिन्दुओं को आतंकी घोषित करके जेल में बंद कर दे . लेकिन इस्लामी आतंक तब तक बंद नहीं होगा , जब तक भारत में इस्लामी शरीयत लागू नहीं होती .यानि भारत इस्लामी देश नहीं बन जाता .क्योंकि कुछ मक्कार मुल्लों ने पाकिस्तान सहित भारत में यह बात फैला रखी है ,कि मुहम्मद साहब ने भविष्यवाणी की थी ,एक दिन भारत पर मुसलमान जिहादी हमला करेंगे , और भारत से युद्ध करके इस्लामी हुकूमत कायम कर देंगे .इसलिए हरेक मुसलमान का फर्ज है कि वह रसूल की इस भविष्यवाणी को पूरा करें ,यही कारण कि भारत पर होनेवाले हरेक हमले को मुसलमान आतंकवाद नहीं बल्कि "गज़वतुल हिन्द  غزوة الهند "कहते हैं , जिसका अर्थ भारत से लड़ाई( Battle of India ) होता है .उर्दू में इस लड़ाई को " गजवा ए हिन्द  غزوه هند" भी कहा जाता है .और पाकिस्तान के सुरक्षा विश्लेषक security analyst" जैद हामिद ' ने कुछ हदीसों के हवाले देकर यह दुष्प्रचार शुरू कर दिया है कि जल्द ही भारत पर जिहादियों हमला होगा , और भारत को इस्लामी देश बनाने के लिए हर मुसलामन जिहादियों की सहायता करे ,इस लेख के द्वारा हम क्रमशः जैद हामिद के जिहादी विचारो( ideology  ) उन सभी हदीसों , उनकी सत्यता को नंगा कर देंगे .इस से पाठकों को पता चलेगा कि मुसलमान कितने झूठे होते हैं .3-गजवतुल हिन्द की हदीसेंपाकिस्तान के जैद हामिद और उसके जैसे जिहादी विचार रखने वाले भारत के दुश्मन मुसलमान जिन हदीसों के आधार पर भारत पर आतंक फैलाते रहते हैं , उनकी संख्या केवल पांच है .जो कई किताबों से इकट्ठी की गयी हैं .और जिन किताबों से यह हदीसें जमा की गयी है , हदीस के बाद उनके सन्दर्भ दिए गए हैंहदीस .1"अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने कहा है , मेरी यह उम्मत दल बना कर हिन्द और सिंध पर चढ़ाई करेगी ""في هذه الأمة، سيرأس القوات نحو السند والهند"“In this Ummah, the troops would be headed towards Sindh & Hind”सन्दर्भ -इमाम हम्बल की मसनद , इब्न कसीर की अल बदया व् नहया . और नुईम बिन हम्माद की किताब अल फितनहदीस .2"हजरत सुबान ने कहा कि रसूल ने कहा है , मेरी उम्मत के दो दल होंगे ,एक को अल्लाह जहन्नम की आग से बचा लेगा और एक दल भारत पर आक्रमण करेगा .फिर लौट कर ईसा मसीह से मिलेगा ""واضاف "بين مجموعتين أمتي أن يكون من هذا القبيل، لعنهم الله وتحررت من النار؛ مجموعة واحدة ستهاجم الهند والثاني سيكون أن الذي سيرافق عيسى ابن مريم-"“Two groups amongst My Ummah would
be such, to whom Allah has freed from fire; One group would attack India & the Second would be that who would accompany Isa Ibn-e-Maryam .”सन्दर्भ-मसनद ,इमाम निसाई की सुन्नन अल मुजतबा ,इब्न असीम की किताब अल जिहाद ,नुईम बिन हम्माद की किताब अल फितनहदीस .3"अबू हुरैरा ने कहा ,रसूल ने हम लोगों से कहा , निश्चय ही तुम लोगों से एक दल हिंदुस्तान पर हमला करेगा . और युद्ध में विजयी होगा . फिर वहां के राजाओं को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड कर घसीटते हुए सीरिया तक लायेगा . अल्लाह उन सभी मुसलमानों के गुनाह माफ़ कर देगा . अबू हुरैरा ने यह भी कहा कि यदि मुझे इस लड़ाई में जाने का मौका मिलेगा तो मैं अपना सब बेच कर इस लड़ाई में शामिल हो जाऊंगा .""بالتأكيد، واحدة من القوات الخاصة بك ستفعل حرب مع هندوستان، والله يوفق هؤلاء المحاربين، بقدر ما سيجلب ملوكهم عن طريق سحبها في سلاسل / الأغلال. وسوف يغفر الله هؤلاء المحاربين (من بركة هذه الحرب كبيرة). وعندما سيعود هؤلاء المسلمين، فإنها تجد حضرة عيسى بن مريم. في سوريا ".أبو هريرة. وقال ان 'إذا كنت قد وجدت أن غزوة، ثم ستبيع كل ما عندي من منتجات جديدة وقديمة وستشارك فيها ".सन्दर्भ-नुईम बिन हम्माद की किताब अल फितनहदीस .4"हजरत कअब ने कहा कि रसूल ने कहा , यरूशलेम के बैतूल मुक़द्दस के एक राजा के मुजाहिद भारत पर हमला करेंगे और वहां की सारी संपत्ति लूट लेंगे .और भारत के सभी राजाओं को कैद करके यरूशलेम के राजा के सामने प्रस्तुत कर देंगे . और उस राजा के मुजाहिद पूरब से पश्चिम तक सम्पूर्ण भारत पर कब्ज़ा कर लेंगे,और पूरे भारत को बर्बाद कर देंगे ""وأضاف "كان ملك القدس (بيت المقدس المجاهدين) جعل القوات المضي قدما نحو هندوستان. ووريورز تدمير أرض هند، وسوف تمتلك كنوزها، ثم الملك سوف تستخدم تلك الكنوز للديكور القدس. التي من شأنها أن تجلب القوات الهندية ملوك أمام الملك (القدس). ومحاربيه بأمر الملك قهر كل المنطقة الواقعة بين الشرق والغرب. وهل البقاء في هندوستان ".“A King of Jerusalem (Bait-ul-Muqaddas) would make a troop move forward towards Hindustan. The Warriors destroy the land of Hind; would possess its treasures, then King would use those treasures for the décor of Jerusalem. That troop would bring the Indian kings in front of King (of Jerusalem). His Warriors by King’s order would conquer all the area between East & West. And would stay in Hindustan ”.सन्दर्भ-नुईम बिन हम्माद की किताब अल फितनहदीस .5"सफ़वान बिन उमरू ने कहा ,रसूल ने कहा मेरी उम्मत के कुछ लोग हिंदुस्तान पर हमला करेंगे और अल्लाह उनको इस में सफलता प्रदान करेगा . यही नहीं हमारे लोग भारत के सभी राजाओं को हथकड़ी और बेड़ियों में जकड कर कैद कर सीरिया ले जायेंगे ,वहां ही मरियम पुत्र ईसा भी मिल जायेंगे ""بعض الناس من أمتي قتال مع هندوستان، الله يمنح لهم النجاح، حتى لو وجدوا ملوك الهندي الوقوع في الأغلال. والله يغفر لهؤلاء ووريورز. عندما ستتحرك تجاه سوريا، سوف تجد بعد ذلك عيسى ابن مريم هناك. "“Some people of My Ummah will fight with Hindustan, Allah would grant them with success, even they would find the Indian kings being trapped in fetters. Allah would forgive those Warriors. When they would move towards Syria, then would find Isa  Ibn Mariyam over there.”सन्दर्भ-नुईम बिन हम्माद की किताब अल फितनयदि हम भारत पर हमले "गजवतुल हिन्द " के बारे में इन पाँचों हदीसों को गौर से पढ़ें तो,पता चलता है कि यह सभी हदीसें " नुईम बिन हम्माद "के द्वारा संकलित की गयी हैं ,और इनकी सत्यता को परखने के लिए पहले "नुईम बिन हम्माद "का परिचय देना जरूरी है .4-नुईम बिन हम्माद का परिचयजैद हामिद भारत पर हमले के बारे में जिन पांच हदीसों के हवाले देता है .उनको जमा करने वाला एक ही व्यक्ति था . जिसका पूरा नाम "अबू अब्दुल्लाह नुईम बिन हम्माद इब्न मुआविया अल खुजैयी अल मरवाजी था .लेकिन लोग सिर्फ " नुईम बिन हम्मादنعيم بن حماد " ही कहते हैं.नुईम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा इराक के हिजाज शहर में प्राप्त की थी . फिर वह मिस्र में चला गया और वहां कई उलेमाओं से हदीसों का ज्ञान हासिल किया .जिनमे मुख्य "अबू हमजा सुक्करी ,अबू बकर इब्न अयास .हफ्स इब्न गियास भी शामिल हैं .लेकिन इब्न मूसा ,अबू दाऊद ,और अबुल फतह अज्दी ने कहा है कि नुईम फर्जी हदीसें बनाता था(he used to fabricate narrations  ) .यही नहीं इसने इमाम अबू हनीफा पर भी फर्जी हदीसें गढ़ने का आरोप लगाया था . जो झूठा साबित हुआ था .इसी तरह नुइम ने एक बार कह दिया था कि कुरान किसी की रचना है , या किसी ने बना कर दी है(  Noble Qurān being created   ) .इस अपराध के लिए नुइम को 223 हिजरी सन 845 में जेल की सजा भी दी गयी थी .और जेल में ही 229 हिजरी सन 851 में नुइम की मौत हो
गयी थी .इस्लाम की इतिहास की किताब के मुताबिक नुइम की बड़ी दर्दनाक मौत हुई थी (he had a very bad death)जिसका सबूत यहाँ दिया जा रहा है .जिसको शंका हो वह इस साईट को खोल कर देख लेقال أحمد بن محمد بن سهل الخالدي: سمعت أبا بكر الطرسوسي يقول: أخذ نعيم بن حماد في أيام المحنة سنة ثلاث أو أربع وعشرين ومئتين، وألقوه في السجن، ومات في سنة تسع وعشرين ومئتين، وأوصى أن يدفن في قيودهسير أعلام النبلاء - (10 / 610)http://wup-forum.com/viewtopic.php?f=12&t=145-किताब अल फ़ित्नहमने नुईम बिन हम्माद का परिचय देते हुए प्रमाणित कर दिया है कि वह एक जालसाज , धोखेबाज व्यक्ति था , और वह फर्जी हदीसें बनाने का अपराधी था .और उसने भारत पर हमले " गजवतुल हिन्द " के बारे में जो हदीसें प्रस्तुत की हैं , वह अपनी किताब " किताब अल फित्न- كتاب الفتن"से नकल की हैं .यह किताब मूल अरबी में है , और इसमे दस अध्याय हैं .जिनमे अलग अलग देशों के बारे में भविष्य में होने वाली घटनाओं का वर्णन दिया गया है .यह किताब अरबी में है और इस साईट में दी गयी है ,http://www.discoveringislam.org/nuaim_bin_hammad_1.htm.परन्तु इस्लाम के अनेकों विद्वान् और उलेमा नुइम बिन हम्माद की हदीसों की किताब को अप्रमाणित ,झूठी ,और बनावटी मानकर अमान्य ठहरा चुके हैं .उलेमाओं ने इसके यह कारण बताये हैं6-झूठी होने का प्रमाणपाकिस्तानी मुल्ले और जिहादी भले ही "गजवतुल हिन्द "की हदीसें दिखा कर लोगों को धोखा देते रहें ,लेकिन कई साल पहले ही कई मुस्लिम उलेमाओं द्वारा इन हदीसों को झूठा और अविश्वनीय सिद्ध कर दिया था .सबूत के लिए इस लिंक को पाकिस्तानी लोग ऑंखें खोल कर देख लें ,फिर भारत पर हमले का सपना देखें .इसके लिए यह तीन सबूत ही काफी हैं1.इमाम अल बानी ने इन हदीसों की जाँच करके इन्हें "मौजूअ موضوع-" यानि फर्जी (abricated ) हदीसों में वर्गीकृत किया है . और इसका पहला कारण यह बताया है कि यह हदीसें विश्वास करने के योग्य नहीं हैंوهذا متن موضوع، وإسناده واهٍ مسلسل بالعلل:الاولى / المؤلف نفسه؛ نعيم بن حماد، فإنه مع كونه من أئمة السنة والمدافعين عنها، فليس بحجة فيما يرويه، فقال النسائي:“ليس بثقة “.واتهمه بعضهم بالوضع. والحافظ الذهبي مع صراحته المعهودة، لم يستطع أن يقول فيه – بعد أن ذكر الخلاف حوله – إلا: “قلت: ما أظنه يضع “!2.शेख अबू उमर अस सफार ने इन् हदीसों देखा और कहा की यह वास्तव में अपुष्ट हैं ,और इनके कथन जाँच करने योग्य नहीं हैं , और यही बात अल बुखारी ने भी कही है .لثانية: شيخه أبو عمر – وهو: الصفار: كما وقع له في غير هذا الحديث -، واسمه: حماد بن واقد، وهو ضعيف، بل قال البخاري: “منكر الحديث “3.इमाम इब्न लुहैया ने जब इन हदीसों को पढ़ा तो उन्हें इतना अपुष्ट और फर्जी पाया कि इन हदीसों की किताब को आग में झोंक दिया . और जला कर राख कर दिया .لثالثة: ابن لهيعة، وهومعروف بالضعف بعد احتراق كتبهhttp://ummuabdulazeez.wordpress.com/2012/07/29/fabricated-hadeeth/7-जैद हामिद कौन है ?मुसलमानों को फर्जी हदीसें दिखा कर उनको भारत पर हमला करने और भारत में आतंक की योजनाओं का सूत्रधार पाकिस्तानी भड़काऊ भाषण देने के लिए कुख्यात मुस्लमान का पूरा नाम " सय्यद जैदुज्जमा हामिद- زید الزمان حامد" है . लोग इस नीच को "जैद हामिद " के नाम से जानते हैं. .इसका जन्म कराची में 14 मार्च सन 1964 में हुआ था . और इसका बाप कर्नल "जमान हामिद " सेना से रिटायर्ड हो चूका है .आजकल यह पाकिस्तानी सरकार में सुरक्षा सलाहकर और राजनीतिक टिप्पणीकार है .और भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है .कहा जाता है कि इसका भारत के कई मुस्लिम नेताओं से और कट्टर मुल्लों से भी सम्बन्ध है ,यह अक्सर अखबारों में भी भारत के खिलाफ लिखता रहता है , और इसके लिए अपनी एक साईट भी बना रखी है , जिसका नाम यह है ,http://www.brasstacks.pk/Contact numbers: Office: +92 51 5598046Moblile: 0321 500 1370Email : [email protected]जैद हामिद अपने भाषणों में भारत और हिन्दुओं के विरुद्ध क्या भौंकता है , इसके सबूत के लिए यह दो विडिओ दिए जा रहे हैं ,Zaid Hamid " we will kill all brahamins"http://www.youtube.com/watch?v=ISUFo-cbmnwaid Hamid: Final call to hindus towards Islam before ghazwa e Hind ! Hujjathttp://www.youtube.com/watch?v=dCE1TK_c79Q8-जिहादी मुल्ले सावधानहम इस लेख के माध्यम से उन सभी जिहादी विचार के लोगों को सचेत कर रहे हैं जो फर्जी हदीसों पर विश्वास करके भारत पर जिहाद या लड़ाई का सपने देख रहे है , उन्हें पता होना चाहिए कि अल्लाह ने रसूल को भी अल्लाह के नाम से बातें गढ़ने की यह सजा बताई है ,जैसा कुरान में कहा है ,"और अगर यह नबी हमारी तरफ से कोई फर्जी बातें गढ़ता ,तो हम उसका हाथ जकड लेते ,फिर उसकी गर्दन की रग काट देते "सूरा -हाक्का 69: 44 से 46 तकतो मुसलमान खुद सोचें अगर कोई रसूल के नाम से फर्जी हदीसें गढ़ता
है ,तो वह उस व्यक्ति को क्या सजा देंगे . वैसे हमें इन हदीसों से कोई अंतर नहीं पड़ता , भारत में इतनी शक्ति है .पाकिस्तान को खाकिस्तान बना सकता है .(200/88)-(06/02/2013)B.N.Sharma
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dystopiatoreason · 3 years
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अल्लाह क्या देखने का शौक़ीन है ?
अपने  भी सुना होगा कि मुस्लिम  अक्सर  कहते रहते  हैं  कि अल्लाह  की नजर में कोई बात नहीं  छुप  सकती , क्योंकि अल्लाह  सब  देखता  रहता  है  , मुसलमानों   की ऐसी  बातें  सुन  कर हिन्दू  भी अल्लाह  को सर्वदृष्टा  (Omnicient  )मानने की  भूल  कर  बैठते  हैं  , क्योंकि  उनको पता ही नहीं  है कि वास्तव  में मुसलमानों  का अल्लाह  क्या देखता  रहता  है  और क्या देखना  पसंद  करता  है  .हमने कुरान    की तफ़्सीर  और हसिसों  से खोज कर  अल्लाह के बारे में यह जानकारी प्राप्त की  है  ,  और  यह सौ प्रतिशत प्रमाणिक  है ,अल्लाह के बारे में सही जानकारी कुरान में है . चूँकि कुरान की सूरतों में कोई तारतम्य (Continuity ) नहीं है इसलिए ददिसों की मदद के बिना कुरान समझना मुश्किल है .अल्लाह कितना समर्थ और सर्वज्ञ है , और उसकी नजर किस पर रहती है , इसे जानने के लिए कुरान की सूरा हूद की आयत 4 और 5 दी जाती है . फिर इन आयतों के बारे में बुखारी में जो तफ़सीर ( व्याख्या ) दी है , उनको पढ़िए .1-अल्लाह देखता और ज��नता हैयह दौनों आयतें अल्लाह के महान गुणों को व्यक्त करती है ,1."तुम्हें उसी की ओर पलट कर जाना है , और वह हर चीज का सामर्थ्य रखता है "सूरा -हूद 11 :4إِلَى اللَّهِ مَرْجِعُكُمْ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ   -Sura Hud 11:2."देखो , यह लोग अपने सीनों को मोड़ते हैं ,ताकि उस से छिप जाएँ . मगर जान रखो जब ये अपने कपड़ों से अपने आप को ढांपते हैं , तो अल्लाह सब जान लेता है ,को कुछ यह छिपाते हैं , और जो कुछ खोलते है. वह तो अन्दर के भीतर जानने वाला है " सूरा - हूद 11 :5أَلا إِنَّهُمْ يَثْنُونَ صُدُورَهُمْ لِيَسْتَخْفُوا مِنْهُ أَلا حِينَ يَسْتَغْشُونَ ثِيَابَهُمْ يَعْلَمُ مَا يُسِرُّونَ وَمَا يُعْلِنُونَ إِنَّهُ عَلِيمٌ بِذَاتِ الصُّدُورِ   -Sura Hud 11:5इन आयतों को पढ़कर लोगों को ऐसा प्रतीत होगा , जैसे अल्लाह सर्वद्रष्टा है , और उस से कोई भी चीज नहीं छुप सकती है . लेकिन दीगयी इन दो हदीसों से पता चकता है . कि कुरान की आयतें किन लोगों के लिए कही गयी है .और अल्लाह क्या देखता रहता है .2-अल्लाह क्या देखता हैरसूल के सहाबी और मुसलमान क्या करते थे ,जो छुपाने के बावजूद अल्लाह देखता रहता था , यह हदीसें बताती हैं .1-.अल हसन बिन मुहम्मद बिन सब्बाह ने कहा कि अब्बाद बिन जाफर ने रसूल से इस आयत के बारे में पूछा "ये लोग अपने सीनों को मोड़ते है , ताकि उस से छिप जाएँ "इस का तात्पर्य क्या है . तो रसूल ने बताया , हमारे लोग खुले आसमान के नीचे मैदान में टट्टी और औरतों के साथ सम्भोग करते हैं . इस लिए यह आयत नाजिल हुयी है .حَدَّثَنَا الْحَسَنُ بْنُ مُحَمَّدِ بْنِ صَبَّاحٍ حَدَّثَنَا حَجَّاجٌ قَالَ قَالَ ابْنُ جُرَيْجٍ أَخْبَرَنِى مُحَمَّدُ بْنُ عَبَّادِ بْنِ جَعْفَرٍ أَنَّهُ سَمِعَ ابْنَ عَبَّاسٍ يَقْرَأُ ( أَلاَ إِنَّهُمْ تَثْنَوْنِى صُدُورُهُمْ ) قَالَ سَأَلْتُهُ عَنْهَا فَقَالَ أُنَاسٌ كَانُوا يَسْتَحْيُونَ أَنْ يَتَخَلَّوْا فَيُفْضُوا إِلَى السَّمَاءِ ، وَأَنْ يُجَامِعُوا نِسَاءَهُمْ فَيُفْضُوا إِلَى السَّمَاءِ ، فَنَزَلَ ذَلِكَ فِيهِمْSahih Al-Bukhari -Vol 6Hadith203Sahih Bukhari Hadith Serial No. 4681-नोट -इस हदीस में अरबी  में लिखा है "" व्  इन युजामऊ उनसाअ हुम् -وَأَنْ يُجَامِعُوا نِسَاءَهُمْ  "इसका अंगरेजी अर्थ  है -they had sexual relation with their women2-." मुहम्मद बिन अब्बास बिन जाफ़र ने कहा , इसमे कोई शक नहीं है कि लोग अपने सीनों को मोड़ते है , और कारण पूछने पर रसूल ने बताया ,कि लोग खुले आसमान के नीचे टट्टी और अपनी औरतों से सम्भोग करते है . और जब कोई देख लेता है , तो शर्म से सीने मोड़ लेते हैं . लेकिन अल्लाह सब देखता रहता है . इसी लिए यह आयत उतरी है .حَدَّثَنِى إِبْرَاهِيمُ بْنُ مُوسَى أَخْبَرَنَا هِشَامٌ عَنِ ابْنِ جُرَيْجٍ وَأَخْبَرَنِى مُحَمَّدُ بْنُ عَبَّادِ بْنِ جَعْفَرٍ أَنَّ ابْنَ عَبَّاسٍ قَرَأَ ( أَلاَ إِنَّهُمْ تَثْنَوْنِى صُدُورُهُمْ ) قُلْتُ يَا أَبَا الْعَبَّاسِ مَا تَثْنَوْنِى صُدُورُهُمْ قَالَ كَانَ الرَّجُلُ يُجَامِعُ امْرَأَتَهُ فَيَسْتَحِى أَوْ يَتَخَلَّى فَيَسْتَحِى فَنَزَلَتْ ( أَلاَ إِنَّهُمْ يَثْنُونَ صُدُورَهُمْ )Sahih Al-Bukhari -Vol 6Hadith204Sahih Bukhari Hadith Serial No. 4682-नोट -इस हदीस में अरबी में लिखा  है -"व कानर्र रुजुल युजाम उ अमर अत हु -كَانَ الرَّجُلُ يُجَامِعُ امْرَأَتَهُ  "इसका अंग्रेजी अर्थ है -having sexual relation with his wife .इन  दौनों  हदीसों  से सिद्ध होता  है कि रसूल के साथी   टट्टी  करने के बहाने  औरतों  के साथ  सम्भोग किया करते  थे  , चाहे वह उनकी पत्नी  हो या कहीं से पकड़ी  गयी औरत हो. इसके अनुसार मुहम्मद साहब जब अपने साथियों के साथ जिहाद में जाते थे तो शाम को किसी खुले मैदान में ही टट्टी करते थे . और वहीँ पकड़ी गयी
औरतो के साथ बलात्कार भी करते थे . और देखे जाने के डर से सीने मोड़ कर उकडूं बैठ जाते थे . लेकिन अल्लाह यह नज़ारे देखता रहता था . यही कुरान की आयतों का भावार्थ है .इन   सबूतों  को देख  कर आपको मानना   ही पड़ेगा कि अल्लाह ईश्वर की तरह सर्वदर्शी   नहीं  ,बल्कि  अश्लील दर्शी ( Voyeurist   ) है,क्या आप ऐसे ताकझांक    करने वाले  अल्लाह को मानेंगे   ,सोचिये जब  अल्लाह   की ऐसी गन्दी नजर है तो मुसलमानों  से शराफत की उम्मीद  कैसे  रखें  ?(441)
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dystopiatoreason · 3 years
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सऊदी सरकार ने इस्राइल के डर से कुरान बदली !
हमेशा   मुस्लिम   नेता  और  विद्वान्     दवा  करते  आये   हैं  कि कुरान  अल्लाह  की किताब   है   ,इसमें  एक  शब्द  तो  क्या   एक  अक्षर या एक नुक्ता  भी नहीं  बदला  जा  सकता  है  ,इसके  आलावा  मुस्लमान   यह   भी  कहते  हैं  कि आज  भले  तुम  लोग  राम  मंदिर बना    लो   ,क्योंकि  हम   अल्पसंख्यक  हैं  ,लेकिन   जब  हमारी  संख्या  बढ़  जाएगी  हम  भारत  पर शरीयत  लागु  कर  देंगे  और  एक  भी  मंदिर  नहीं   रहने   देंगे  ,यह  सुन  कर सेकुलर लोग  और उनके  साथ  कुछ  मूर्ख  हिन्दू  भी  मुसलमानों   की  खुशामद  करने  लगते  हैंलेकिन  सभी  हिन्दुओं   को  यह  जानकार   जोश   में भर  जाना  चाहिए  कि एक  छोटे  से  देश  इसराइल    के भय  से  सऊदी सरकार   इतनी  डर गयी कि उसने  कुरान  में ऐसे  ऐसे  परिवर्तन     कर  दिए   जो   कोई  सोच  भी  नहीं  सकता   .,1-अंगरेजी  में  खबर (News in ENG )इसलिए  आप  सबसे  पहले यह  खबर  अंगरेजी  में पढ़िए ,Palestine Post 24-Jan 29,2020Saudi Arabia changes verses of Holy Quran to appease IsraelSaudi Arabia changes verses of Holy QuranOne of the changes is the replacement of the name of Al Aqsa Mosque with the Jewish name of the Islamic holy site –the Temple Mount.Saudi Arabia changes verses of the Holy Quran to satisfy Israeli occupation, Palestinian researcher and specialist in Israeli affairs revealed on Tuesday.King Fahd Complex for the Printing of the Holy Quran printed and distributed copies of the Holy Quran that included changes in more than 300 verses.The translation of the Holy Quran into Hebrew was approved by the Saudi authorities. The changes included the replacement of the name of Al Aqsa Mosque with the Jewish of the Islamic holy spot –Temple Mount.Another change is the omission of the name of the Prophet Muhammed (pbuh), who is mentioned at least four times in the Muslim holy text.The name "Muhammad" is mentioned four times in the Quran, and the name "Ahmad" (another variant of the name of Muhammad) is mentioned one time.The name "Muhammad" is mentioned four times in the Quran, and the name "Ahmad" (another variant of the name of Muhammad) is mentioned one time.Saudi Arabia changes verses of the Holy Quran to satisfy Israeli occupation, Palestinian researcher and specialist in Israeli affairs revealed on Tuesday.2-हिंदी   सरल  अनुवादसऊदी  सरकार ने कुरआन  की  आयतें  बदलीँसऊदी  सरकार ने इस्राइल को खुश करने के लिए पवित्र कुरान की�� आयतें  बदलीँसबसे  परिवर्तन  यह  किया कि पहले कुरान में जहाँ  " अल  अक्सा  -    " को मस्जिद   लिखा था  उसे  बदल कर  हिब्रू    नाम  कर  दिया ,सऊदी सरकार ने   इसराइल के कब्जे वाले फिलिस्तान  के कारन    इसराइल को संतुष्ट करने के लिए  ऐसा  किया   है ,यह  बात फिलिस्तीन  के  शोधकर्ता  , विशेषज्ञ  और  तत्सम्बन्धी  इस्राईली  अधिकारीयों  ने मंगल को  बताया  ,इसके आलावा    किंग  फहद   प्रेस      द्वारा   कुरआन  की   नया   संस्करण   भी  वितरित   किया  गया जिसमे  कुरान  की  300 गलतियां     सुधारी गयी   हैं  ,इसके  साथ  ही कुरान   का हिब्रू अनुवाद   भी  प्रकाशित  किया  गया  है जिसमे  अल  अक्सा वाली  गलती   निकाल दी  गयी   है ,इस   नयी  कुरान  में सबसे  बड़ा  परिवर्तन  यह  किया  गया  है   कुरान  में पहले चार  बार  मुहम्मद  और एक  बार  अहमद    लिखा  था   उसे   हटा  दिया  गया  है  ,कुछ  कट्टर  मुस्लिम  नेताओं  ने  सऊदी  सरकार पर आरोप  लगाया कि वह कुरान  में तहरीफ़  कर  रही  है  ,  जबकि  मदीना  और अरब के विद्वानों  ने  इसे    "संशोधन   (Amendment     ) अरबी  में   "  तअदील -  تعديل  " कहा  है3-तहरीफ़  क्या    है  ?किसी किताब या  लेख में इस तरह के बदलाव को अरबी  में  " तहरीफ़  - تحريف "  कहा  जाता  है  , इसके अनुसार  किसी  शब्द  या वाक्य  की जगह  दूसरा  जोड़ देना  ,या किसी शब्द या वाक्य को  बिलकुल हटा देना  , किसी  शब्द की  वर्तनी  (Spelling)ल देना   , और  व्याकरण   सम्बन्धी  (Grammatical change   )  बदलाव करदेना  , जैसे एक वचन को बहुवचन  ,  पुलिंग  को स्त्री लिंग     बना  देना  ,  और  ऐतिहासिक (Historical change   ) बदलाव   जैसे  बाप  को बेटा बहिन  को पत्नी  बता  देना   सब  तहरीफ़ की परिभाषा  में  आते  हैं  .सऊदी  सरकार ने जो नयी  संशोधित कुरआन  मदीना  से प्रकाशित  की  है    उसके मुख्य  महत्वपूर्ण  बदलाव  इस प्रकार  हैं  '4--पहली  तअदीलकुरान  की सूरा  इसराइल  में  एक  जगह  यहूदियों  के  राजा  सुलेमान  द्वारा  बनाये गए मंदिर(Temple of Solomon  को " मस्जिद  -   مسجد"  लिखा  है  ,"दूसरा मौका मिला तो
हमने तुम्हारे मुकाबले  दूसरे  लोग उठाये जो तुम्हारे  चेहरे बिगाड़  दें ,और मस्जिद   (   बैतूल मुक़द्दिस ) में घुस  जाएँ ,जिस तरह पहली  बार घुसे  थे  " सूरा -इस्राइल  17 :7"" And so, when the prediction of the second [period of your iniquity] came true, [We raised new enemies against you, and allowed them] to disgrace you utterly, and to enter the Temple as [their forerunners] had entered it once before, and to destroy with utter destruction all that they had conquered. (17:7लेकिन इस नयी कुरान  में मस्जिद की जगह   "बैतुल मुक़द्दिस  - بئت المُقدس" लिखा  है  ,  यही नहीं  कुरान  के हिब्रू  अनुवाद  में  " बैत ह मक़दिस -בֵּית־הַמִּקְדָּשׁ   "   लिख  दिया  है  ,दौनों  का अर्थ  एक  ही  है   ,  पवित्र  घर   यानी देवालय .5--दूसरी   तअदीलसऊदी  सरकार  ने कुरान  में  जो  महत्वपूर्ण  बदलाव किया  है    उसे  जानकर  मुल्ले   अपनी  दाढ़ी  नोचने लगेंगे   अगर भारत सर्कार ऐसा करती  तो मुल्ले   और सेकुलर  जमीं   आसमान एक  कर  देते    क्योंक  सऊदी  सरकार  ने कुरान में से मुहम्मद  शब्द  ही निकाल  दिया  है  .  पूरी कुरान  में मुहम्मद   शब्द  चार बार  और अहमद  एक  बार  आया  है  ,1-सूरा -आले इमरान  3 :1442-सूरा -अहज़ाब 33:403-सूरा -मुहम्मद 47:24-सूरा -अल फतह  48:29और पूरी कुरान  में एक  ही बार  "अहमद  " शब्द  आया   है  (61:6)लेकिन  कुरान  के इस  नए  संस्करण में पांचों जगह  से मुहम्मद     का  नाम  हटा  दिया गया   है  ,नयी कुरान  छप   चुकी   है6-कुरान  गलतियों  का भंडार  हैअभी  तक मुस्लिम  मुल्ले  यही     बताते  रहते  थे कि कुरान  अल्लाह की किताब  है ,इसमें कोई शक  नहीं  है   लेकिन   सऊदी  विद्वानों  ने ऐसे मुल्लों   को झूठा  साबित  कर  दिय  और स्वीकार  किया की कुरान  मेंहजारों  गलतिया  है   , पिछले    लगभग    डेढ़  हजार साल से मुसलमान  जिस कुरान को पढ़ते  आ रहे  हैं  उस कुरआन में  मौजूद कुरान में गलतियों कारण विस्तार   से अंगरेजी में  दिया   जा  रहा  है  ,January 10, 2020 article, titled "Amending The Quran," Saudi journalist Ahmad Hashem wrote: "The Quranic Text As We Know It Contains Some 2,500Mistakes Of Spelling And GrammarTwo unusual articles published this year on Saudi websites called to amend scribal errors in the Quran, and also to reexamine religious texts in light of modern perceptions, so as to make them more readable and adapt them to the present age.January 10, 2020 by Saudi journalist Ahmad Hashem on the "Saudi Opinions" website pointed out that the Quran as it is known today was written down after the Prophet's lifetime, in the period of the third caliph 'Uthman bin 'Affan (ruled 644-656) using the 'Uthmanic script, which is named after him. Since this writing system is a human invention, argues Hashem, there is no reason to sanctify it, as many Muslims do. In fact, he says, it is time to correct some 2,500 errors of spelling and grammar that were made by the scribes in that period and remain part of the Quranic text to this day. He  presents numerous examples of such spelling mistakes, and calls to rewrite the words in their present-day standard form, so as to "make the text more readable for [present-day] Muslims and more linguistically correct."7-नयी कुरान   छपने  वाले प्रेस   का पताप्रमाणिक   कुरान   मदीना  में  छपती  है  ,  उस प्रेस  का नाम  और पता  यह  है  'अरबी में   "मजमअ मलिक फहद लि तबाअत लि मुसनफ शरीफ  -  مجمع الملك فهد لطباعة المصحف الشريف    "King Fahd Complex for the Printing of the Holy Qur'anMedina, Saudi Arabia that publishes the Qur'an in Arabic and other languages.CONTACT DETAILS-PRIMARY ADDRESSKing Fahd Complex for the Printing of the Holy Quran BuildingTabuk Trunk Road,Al Medina Al Munawwarah Area-6262Saudi Arabia-MedinaCONTACTTel: +966 14-861-5600Fax: +966 14-861-5495Email: [email protected]निष्कर्ष -इन प्रमाणों को  परखने के बाद    दो बातें सिद्ध होती  हैं  कि कुरान अल्लाह की भेजी  आसमानी किताब नहीं  है  ,  इसमें अनेकों प्रकार  की गलतियां  है  ,  मुल्ले मौलवी  इस सत्य को छुपाते  आये  हैं   , और समझदार मुस्लिम    काफिर होने के डर से मुंह  नहीं  खोलते  थे  , यह   ख़ुशी की  बात  है कि इस्लाम  के  इतने  साल  होने  पर  अरब  की सरकार ने इस सत्य  को स्वीकार  किया ,   , सोचिये  जब  कुरान  की कुल    6666 आयतों  में  2500 गलतियां  मिलीं   तो  हदीसों  में कितनी  गलतियां   होंगी   ?दूसरी  बात  यह है कि
यह  साबुत  जिहादी  उन  जिहादी  विचार वाले इस्लाम के    एजेंटों के मुंह पर  चपेट  है जो  दावा करते  है  कि जल्द  ही हमारी इतनी  संख्या   हो  जाएगी की हम आसानी  से भारत पर इस्लामी  हुकूमत कायम   कर  देंगे  , और तब  राम मंदिर  की जगह फिर  से बाबरी  मस्जिद  बना  देंगे  ,  हम  ऐसे लोगों  को चुनौती  देते  हैं    तुम्हारी  संख्या कितनी  भी बढ़  जाये  , अगर थोड़े  से ही हिन्दुओं  ने इसराइल  की निति   अपनाना  सुरु    कर  दिया  तो   दुनियां   से  मक्का  मदीना   नाम की जगह    गायब    हो  जाएगी  , जब  ज़रा   से इसराइल  के डर से  अरब  सरकार  ने कुरान  बदल  दी  तो भारत  इसराइल   से मिल  कर  इस्लाम  का सफाया  क्यों  नहीं  कर  सकता  ,जो लोग इस बात पर आश्चर्य  कर रहे हैं कि एक  छोटे  से देश इसराइल ने इस्लाम के गढ़  सऊदी अरब  की कट्टर इस्लामी  सरकार को  कुरान में  सुधार करने पर कैसे मजबूर कर दिया  ? तो इसका एकहि उत्तर  है   , इजराइल मेंएक भी सेकुलर  नहीं है  और न वहां कांग्रेसी जैसे  दोगले  और कम्युनिस्ट   हैंहमें  निष्ठावान  लोगों  की जरुरत  है  , हमारे   मित्र श्री  धर्मवीर  सिंह  ने  काम  शुरू  कर  दिया  है   .Quran in Hebrew Languagehttps://islamtics.com/wp-content/uploads/2020/01/photo_2020-01-28_01-04-13.jpg(442)
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dystopiatoreason · 3 years
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अल्लाह के खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो !
हम  अपने सभी  प्रबुद्ध  पाठकों  के समक्ष  पहले  ही  स्पष्ट  कर देना  चाहते  हैं  कि हमें  कानून   का ज्ञान  नहीं   है लेकिन  फिर भी  हम   अल्लाह या ईश्वर  ( God   ) के बारे में जो तथ्य    दे रहे  हैं  जिसे    दुनिया के सभी   देशों  की अदालतें   मानती    है  , कोई भी अदालत  इसके विरुद्ध   फैसला   नहीं   दे  सकेगा    ,1-अल्लाह के होने  का सबूतअल्लाह  के अस्तित्व  को सिद्ध  करने के लिए किसी किताब  को  पेश करने की जरूरत  नहीं   , अधिकांश  देशों   अल्लाह यानि  ईश्वर  के नाम    से शपथ  ली   जाती     है   ,  जो अदालत में मानी  जाती  है  ,  यही नहीं  जब  कोई  ऐसी   प्राकृतिक   आपदा   आती  हो  जिसके  लिए  किसी मनुष्य    या कई मनुष्यों  को जिम्मेदार  नहीं  ठहराया   जा  सकता  हो  , जैसे भूकंप  , बाढ़  ,  आसमान   से बिजली  गिरना  इत्यादि  तो    इसे  ईश्वर   का  काम  माना  जाता   जिसे  " Act of  God  ) कहा  जाता  है   अदालत   भी इस  से इंकार  नहीं    करती है   , इस  से  साबित होता  है   ईश्वर   बुरे  काम  भी  कर  सकता  है  .2-क्या   ईश्वर  और  अल्लाह  एकहि  हैयद्यपि   मो क़ गांदी नामके  एक    सनकी  से  ईश्वर  और अल्लाह को  एक  ही  साबित करने के काफी   बरसों  तक लोगों  को धोखे में  रखा   और हिन्दू  नादाँ हिन्दू  इस झूठ  को  सही  समझते रहे  लेकिन   काफी बरस पहले   कुरान  ने  सच   बता  दिया  ,   इसमें साफ   लिखा  है   " ला  इलाहा िललाल्लाह " अर्थात    अल्लाह  के अलावा  कोई  ईश्वर   नहीं      है   ,  इसी  लिए कानूनी  कार्यवाही    ईश्वर  के खिलाफ  नहीं  बल्कि  अल्लाह  के खिलाफ  होनी   चाहिए  .3-क्या  भारत  का कानून  अल्लाह् पर लागु होगा  ?कुरान की   सूरा  काफ  50:16  में बताया गया कि अल्लाह  मुसलमानों  की गर्दन  की मुख्य  धमनी  निकट   है  यानी  सर्वप्यापि   है  इस आयत की तफ़्सीर में अंगरेजी   में  लिखा  है"  Allah is  omnipresent ? His presence as in his energy is present everywhere. As he says, that he is closer to you than your jugular vein in quran 50:16,कुरान  इस  आयात  के अनुसार   अगर   अल्लाह सर्वव्यापी   है  तो  यह   मान  लिया जायेगा कि अल्लाह  भारत  में  भी  रहता    है  , और उसके ऊपर   वह   सभी  कानून  लागु   होंगे  जो  भारत   के अन्य   रहवासियों  पर   है  , या मुसलमान  घोषित  कर  दें  की  अल्लाह  भारत  में  नहीं     है  किसी  अन्य   देश  में  रहता   है  ,4-जन्नत  का निर्माणअल्लाह  ने   कुरान  भेजने  से पहले  यानी  लगभग  सन 610 ई ० से पहले  आसमान  में एक  बहुत  बड़ा  बगीचा  बनवाया  था  जिसका नाम उसने  "जन्नत  -  " रखा  , क्योंकि  जन्नत  का अर्थ    बाग़    (  Garden  )    ही  है , फिर अल्लाह  ने इस बाग़  का  विज्ञापन कुरान   के माध्यम   से  किया   और  मुसलमानों  को  जन्नत में आने  का प्रलोभन   देकर  कहा  ,"فَادْخُلِي فِي عِبَادِي ,89:29وَادْخُلِي جَنَّتِي  "89:39(फद्खुली इबादी   , वद्खुली जन्नती """अब पहुंच जा मेरे बन्दों  में  और पहुँच  जा  मेरी जन्नत  में  "सूरा -फज्र  89 :29 -30Enter thou among my Bondmen ,and thou enter my  Garden  "89:29-30नॉट  -इस आयत में आये इबादी शब्द  का अर्थ  मुस्लिम विद्वान् इबादत करने वाले  बताते  हैं  लेकिन  सही अर्थ   "बंधुआ लोग  ( Bondmen  )   है5-जन्नत  एक  वेश्यालय  है-फिर अल्लाह  ने  जन्नत  में   9  से  30 साल  की आयु वाली  कुंवारी  लड़कियों  को   कैद   कर   लिया  ,  अल्लाह ने  उन्ही  लड़कियों  को चुना जिनके  स्तन गोल ,कठोर  और उठे हुए हों  ,  और जिनकी योनि   सील बंद   हो  यानी किसी ने उनके साथ  सहवास नहीं  किया  हो   ,  सबसे बुरी बात  तो यह  है  की अल्लाह  ने इन   बच्चियों  और युवतियों   मुसलमानों  से निकाह  कररने  या  बच्चे पैदा  कराने  के लिए नहीं नहीं  रखा  है  , बल्कि निकाह  के बिना मुसलमानों  को उनके साथ  , व्यभिचार   और सामूहिक बलात्कार  करने के लिए रखा  है  ,  इस बात  को  साबित करने के लिए किसी किताब की जरुरत नहीं  दुनिया का  कोई भी मुस्लिम  इंकार नहीं  कर  सकेगा  ,हमारे  विचार  से अल्लाह इन  अपराधों  का दोषी   है    ,  1 -वेश्यालय  चलना  , उसका विज्ञापन करना   2 -नाबालिग  ,बालिग   सभी  लड़कियों  को  कैद करके   रखना   ,  3 - अपने जिहादी    लोगों  द्वारा उन    स्त्रियों    का बलात्कार  करवाना   ,  या सामूहिक  व्यभिचार  करानानोट -जो भी लोग कानून के जानकर  हैं  कृपया   कमेंट करें    या   सूचित करें की  भारतीय  कानून के अधीन अल्लाह पर  किस किस धरा के अधीन  केस  किया  जा सकता  है  ?ध्वस्त  करके  मस्जिद  बना  देना  ,  देश  में तोड़फोड ,दंगे  करते  रहना   , हमेशा अशांति  का माहौल  बनाये  रखना  , और अगर ऐसे महान  काम  करते  में मर  गए  तो  जन्नत   का टिकट कोई भी मुल्ला  तुरंत  दे  देगा  ,  उसे  देखते  ही
अल्लाह  जन्नत  का गेट खुलवा  देगा   , जन्नत  के लिए इनइन  पवित्र  धार्मिक  कामों  की  प्रेरणा  देने  के लिया अल्लाह  पर कौन  कौन  सी  धाराएं  लग  सकती  है   ,कृपया गंभीरता  से इसका उत्तर  दीजिये    ताकि  अल्लाह  पर क़ानूनी  कर्यवाही  हो  जाये  ,क्योंकि  जब हमारे कानून  में अज्ञात  के ऊपर भी  केस  हो  सकता  तो  अदृश्य  के ऊपर केस  क्यों  नहीं   हो  सकता ?(443)
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dystopiatoreason · 3 years
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अध्याय 2-1-3-1 कुरान में अल्लाह के बारे में गलतियाँ और गलतियाँ।
अध्याय २-१-३-२ कुरान में कुरान के बारे में गलतियाँ और गलतियाँ।
अध्याय २-१-३-३ कुरान में मुहम्मद के बारे में गलतियाँ और गलतियाँ।
अध्याय 2-1-3-4 कुरान में अवैध "संकेत" और "सबूत"।
अध्याय 2-1-3-5 कुरान में गैर-मुसलमानों के बारे में गलतियाँ और गलतियाँ।
अध्याय 2-1-3-6 कुरान में यीशु के बारे में गलतियाँ और गलतियाँ।
अध्याय 2-1-3-7 कुरान में बाइबिल के बारे में गलतियाँ और गलतियाँ।
अध्याय 2-1-3-8 कुरान में भगवान / यहोवा के बारे में गलतियाँ और त्रुटियाँ।
अध्याय २-१-३-९ कुरान में नियति के बारे में गलतियाँ और त्रुटियाँ।
अध्याय २-१-३-१० कुरान में दृश्यमान आकाश के बारे में गलतियाँ और त्रुटियाँ।
अध्याय २-१-३-११ कुरान में पृथ्वी के बारे में गलतियाँ और त्रुटियाँ।
अध्याय २-१-३-१२ कुरान में मनुष्य और जीवित प्राणियों के बारे में गलतियाँ और त्रुटियाँ।
अध्याय 2-1-3-13 कुरान में इतिहास के बारे में गलतियाँ और त्रुटियाँ।
अध्याय 2-1-3-14 कुरान में अंत के बारे में गलतियाँ और त्रुटियाँ।
अध्याय २-१-३-१५ कुरान में किंवदंतियों और परियों की कहानियों से गलतियाँ और त्रुटियां।
अध्याय २-१-३-१६ कुरान में विभिन्न विषयों के बारे में गलतियाँ और त्रुटियाँ।
अध्याय 2-1-4-1 सूरह 1 - 5 कुरान में तथ्य गलतियों और त्रुटियों का "विश्वकोश"।
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