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#सरिया कानून
sharpbharat · 1 year
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Jamshedpur : मुस्लिम कानून को लेकर इमारते शरिया का तीन दिवसीय सेमिनार शुरू, जुटे देश भर के काजी और मुस्लिम पर्सनल लॉ के जानकार, जमशेदपुर जिला जज और अधिवक्ता कर रहे हैं शिरकत
Jamshedpur : मुस्लिम कानून को लेकर इमारते शरिया का तीन दिवसीय सेमिनार शुरू, जुटे देश भर के काजी और मुस्लिम पर्सनल लॉ के जानकार, जमशेदपुर जिला जज और अधिवक्ता कर रहे हैं शिरकत
जमशेदपुर : मुस्लिम कानून को लेकर साकची धालभूम क्लब में रविवार से इमारते सरिया (बिहार, झारखंड और ओड़िशा) के तीन दिवसीय सेमिनार का आगाज हो गया.इसमें जमशेदपुर जिला जज, प्रिंसीपल जज, बडी संख्या में अधिवक्ता, देश भर के 250 काजी और मुस्लिम पर्सनल लाॅ से जुड़े स्काॅलर भाग ले रहे हैं. (नीचे भी पढ़ें) इमारते सरिया के प्रतिनिधि रेयाज शरीफ ने बताया कि तीन सत्र में काजियों का सेमिनार होगा जिसे मौलाना खालिद…
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kaminimohan · 2 years
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काव्यस्यात्मा 1156
वक़्त पर मरहम
-© कामिनी मोहन पाण्डेय।
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वक़्त पर मरहम
रूंधे गले से
काँपते शब्द लगा नहीं पाते हैं
गिरी हुई मनुष्यता में
नरसंहार के कृत्य
धर्म के खोल में छुप जाते हैं।
कब्ज़ा के लिए अलगाव का बीज बोता है
मौका मिले तो नस्लभेद का खेल खेलता है
जंगल में भी ऐसा नहीं होता
क्योंकि जानवर पैंतरा नहीं बदलता है
लेकिन लोकतंत्र कहकर
अख़्तियार में है जिनके सत्ता
वो चुप की चादर तान कर सोता है।
फ़ाइल देखकर कहता हूँ
मौसम बदल सकता है
लेकिन
मज़हब का पेट ख़ून से भरने की
नहीं बदल सकती मानसिकता
क्योंकि देख रहा हूँ
लम्बी फ़ेहरिस्त है
कविता को ख़ून में रंगने की
बेघर हुए जो उनके दर्द को तमाशा कहने की।
यह सब देख
भला कैसे ख़ुश हो सके वो
जिनके जेब में सत्ता का चाबुक था।
और
बे-कसूर समझते हैं वो ख़ुद को
जिनके हाथों में सरिया, राॅड, दराँती
पैना आरी और चाकू था।
बंदूक का घोड़ा मासूमों को
कत्तई नहीं छोड़ता है
वह सिर्फ़ धर्म देखता है
जिस माथे पर धर्म चिह्न टीका लगा है
वहाँ राॅड घुसेड़ता है।
आदमी, आदमी नहीं रहता है
शांतिप्रिय कहकर ख़ुद को तौलता है
कविता को पढ़कर भी
कुछ नहीं बोलता है।
ऐसे में,
क्या करे?
वर्षों तक सिर्फ़ फ़ाइल बनाते रहे
प्रोजेक्ट पर प्रोजेक्ट सबमिट कर
सबको दिखाते रहे।
बात सिर्फ़ इल्म की नहीं
बात सिर्फ़ फ़िल्म की नहीं
ज़ेहन में पहुँची कविता को
आसानी से दफ़न कर जाते हैं
ढाढ़स भी देने से कुछ कतराते है
कविता को भी सोची-समझी रणनीति बताते हैं।
ग़ज़ब है
नंगापन देखकर भी अनदेखा कर जाते हैं
आतंकी आतताइयों को पालते-पोषते जाते हैं
सज़ा देने के लिए कानून की घुट्टी पिलाते हैं
और वे
ता-उम्र देश की रोटी खाकर तगड़े हुए जाते हैं।
हास्यास्पद लगता है उन्हें
हमारी व्यवस्थागत लाचारी
ज़मीर बेचकर
पड़ोस प्रायोजित आतंक से हैं यारी
इल्ज़ाम धरकर उनपर
करते रहते हैं ज़हरीली गद्दारी।
- © कामिनी मोहन पाण्डेय।
#kaminimohan
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सरिया कानून https://www.instagram.com/p/CRdjgwNjpKM/?utm_medium=tumblr
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asr24news · 3 years
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प्रतापगढ़ में दबंगो ने क्षेत्र पंचायत सदस्य पर किया कातिलाना हमला
प्रतापगढ़ में दबंगो ने क्षेत्र पंचायत सदस्य पर किया कातिलाना हमला
परिवार के चार सदस्यों को लाठी, डंडा और सरिया से पीटा प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कानून व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। 25 दिसंबर 2020 दिन शुक्रवार को विकास खंड गौरा के मेडुआडीह गांव के क्षेत्र पंचायत सदस्य सूर्य प्रकाश मिश्र और उनके परिवार के सदस्यों पर गांव के ही दबंगो ने कातिलाना हमला कर दिया। घटना की जानकारी डायल 100 से पुलिस को दी गयी तो पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस…
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onlinekhabarapp · 4 years
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कानून आयोगका सदस्य परस्त्रीसँग रंगेहात पक्राउ, २८ कोर्रा हानियो
हामीकहाँ कानून बनाउनेले नै कानूनको उल्लंघन गर्ने तर शक्तिका भरमा उन्मुक्ति पाउने गरेका अनेकन घटनाहरु हुने गर्दछन् । तर इण्डोनेसियामा चाहीँ आफैले बनाएको कानून तोड्ने एक व्यक्तिलाई कडा सजाइँ दिइएको छ ।
इण्डोनेसियाको सुमात्रामा धोकाधडी तथा व्यभिचार विरुद्धको कानून बनाउने मध्येका एकजना मुखलिस बिन मुहम्मद नामका व्यक्ति आफैले उक्त कानूनको उल्लंघन गर्दै अपराध गरे । जसका कारण उनलाई सजायँ स्वरुप २८ कोर्रा हानिएको छ ।
इण्डोनेसियामा कुनै विवाहित पुरुषले अरु परस्त्रीसँग सम्बन्ध राख्नुलाई ठूलो व्यभिचारको अपराध मानिन्छ । सुमात्रा टापुस्थित एकेह प्रान्तमा त्यहाँको एकेह उलेमा काउन्सिलले यस सम्बन्धमा कडा कानून तयार गरी लागू गरेको थियो । उक्त काउन्सिलको कानून तर्जुमाका क्रममा मुखलिस पनि सहभागी थिए । तर पछि उनले आफैले बनाएको त्यो कानून तोडे र पक्राउ परे ।
समाचार अनुसार सामुद्रिक तटको नजिकै एउटा कारमा ती व्यक्ति अर्की एक महिलासँग रंगेहात पक्राउ परेका थिए । घरमा आफ्नी श्रीमती हुँदाहुँदै कारमा अर्की महिलासँग रोमान्स गरेको पाइएपछि उनीमाथि व्यभिचार विरुद्धको कानून अन्तर्गत गत बिहिबार कडा सजायँ दिइयो । त्यसक्रममा मुखलिसलाई २८ कोर्रा हानियो भने मुखलिस सँग सल्किएकी ती महिलालाई २३ कोर्रा हानियो । साथै मुखलिसलाई काउन्सिलबाट पनि बर्खास्त गरिएको छ ।
४६ वर्षका मुखलिस धर्मगुरु समेत भएको बताइएको छ । सन् २००५ मा सरिया कानून लागू भएपछि सार्वजनिक रुपमा कोर्रा हान्ने सजायँ पाउने उनी नै पहिलो धर्मगुरु भएको बताइएको छ ।
स्मरण रहोस्, एकेह प्रान्तमा जुवा खेल्न, समलिंगी सम्बन्ध कायम राख्न, विवाह अघि यौन सम्पर्क राख्न, रक्सी पिउन सख्त प्रतिबन्ध छ । एजेन्सीको सहयोगमा
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aapnugujarat1 · 4 years
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दुष्कर्म पर कठोर कानून कैसे बनेगा, जब कानून बनाने वालों के खिलाफ ही दर्ज है दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध..?
-दुष्कर्म केस में एक माह में ही फैंसला, तुरन्त फांसी, यदि ऐसा होता तो पुलिस पर फूल नहीं बरसते…..!! -दुष्कर्म कानून में कठोर से कठोर प्रावधान के लिये भी सत्ता मिली हैजी…. -गेंगरेप के आरोपीओं के एन्काउन्टर के बाद पुलिस पर फूल बरसना राजनेताओं के लिये डूब मरने जैसा….?राजनेताओ को कहीं ये तो डर नही कि कठोर कानून से तो अपने भी लटक जायेंगे फांसी पर….? -लोगों को अब राजनेता पर नहीं पुलिस पर विश्वास अधिक हो गया….? (जी.एन.एस., प्रविण घमंडे) दि.6 जैसे को तैसा…..जैसी करनी वैसी भरनी….ऐसे दरिंदों के साथ तो ऐसै ही होना चाहिये……अदालत में उनके खिलाफ केस चलता तो उन्हें कब सजा मिलती….? दिल्ही के निर्भया रेप केस को ही ले लिजिये. हमारी न्याय प्रणालि और सरकारी सीस्टम ही ऐसी है की अभी तक निर्भया के अपराधीयों को फांसी नहीं दी गई, तो हैदराबाद के केस में दोषियों को कब तक बक्सा जाता…?! यै है प्रतिक्रिया हैदराबाद के उस गेंगरेप के दोषियों को एन्काउन्टर में मार गिराने की घटना के लिये जिन्हों ने एक सरकारी महिला डाक्टर को सोची समझी साजिश के तहत अगुवा किया, जबरन शराब पिलाई, जबरन दुष्कर्म किया फिर सबूत मिटाने के लिये उसे जिन्दा जला कर हत्या कर दी….! जरा गैर किजिये. हैदराबाद पुलिस ने इन चारो आरोपीओं को उस पुल के नीचे जहां एन्काउन्टर में ढेर किये जहां आरोपीओं ने पिडिता को जिन्दा जलाई थी. बात फैल गई. लोग पुल के उपर जमा हो गये. भारी भीड उमड पडी. पुलिस पुल के नीचे एन्काउन्टर के बाद की कारवाई कर रही छी की अचानक उन पर फूल बरसने लगे….! पुल पर खडे लोंगो ने एन्काउन्टर करनेवाले पुलिस पर फूल बरसा कर उनका स्वागत किया. मानो देर आये दुरस्त आये….! जी, हां यही प्रतिक्रिया दी हे सांसद और फिल्म अभिनेत्री जया बच्चन ने एन्काउन्टर की खबर सुनने के बाद. कई नेता और सेलेब्स ने इस गेंगरेप के दोषियों के एन्काउन्टर को ले कर भिन्न भिन्न प्रतिक्रिया दी. मानो अपनी डफली अपना राग…..! दिन पर गेंगरेप कैा आरोप लगा उनके खिलाफ कोर्ट में कोइ चार्जशीट दायर हो या केस चले उससे पहले उनका काम तमाम करने वाले पुलिस पर फूल बरसना या बरसाना ये इस बात का गवाह है की भारत की न्याय प्रणालि और सरकारी सीस्टम कीतनी खोखली है….! भारत में या विदेश में ऐसे मामले पहलीबार नहीं हुये. विदेश में ते न्याय प्रणालि ऐसी बनाई गइ है की वहां तारीख पे तारीख….तारीख पे तारीख….नहीं होता. अरब देशों मे ते कुढ ही घंटो में ऐसे मामलों में दोषियो को फांसी की सजा मिल जाती है. और सोने की चिडियावाले भारत में….? दिसंबर 2012 में देश की राजधानी दिल्ही में चलती बस में एक मेडिकल छात्रा के साथ गेंगरेप हुआ था. इतनी दरिंदगी और हैवानियत की उसके नीजी अंग में लोहे का सरिया डाल दिया था. और फिर उसे चलती बस से कपडे उतार कर फेंक दी गई थी. इस गेंगरेप को निर्भया कांड नाम दिया गया था. पूरा देश हिल गया था इस दुष्कर्म की घटना की भयानकता देखकर. निर्भया को नहीं बचाई जा सकी. लेकिन उस पर गेंगरेप करनेवाले और अदालत से फांसी की सजा होने के बाद भी आज तक यानि 7 वर्ष तक वे जिन्दा है. हो सकता है की उन्हें अभी तक जिन्दा देख कर हैदराबाद गेंगरेप के मामले में लोगो ने ये अवधारणा बनाई होगी की निर��भया कांड वाले को अभी तक फांसी नहीं मिल सकी तो हैदराबाद हैवानियत कांड में दोषीयों को कब फासी मिलेंगी…? पुलिस पर पुल पर से जो फूल बरसे वह इस कारण से बरसे की दोषीयों का तुरन्त सफाया….! भारत के लोगों की ऐसी मानसिकता के लिये यदि कोइ जिम्मेवार है तो वे है राजनेता. सरकार में बैठे मंत्री-मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री. सिर्फ वर्तमान प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री नहीं लेकिन वे सभी जिन्हों ने ऐसे मामले में दोषीयों को जल्द से जल्द सजा देने के लिये कानून में ऐसा कोइ प्रावधान नहीं किया. क्या ऐसा नहीं हो सकता या नहीं हो सकता था की निर्भया कांड के बाद गेंगरेप के केस में पकडे गये आरोपीओं के खिलाफ एक ही महिने में या ज्यादा से ज्यादा 6 महिने के भीतर ही केस पूरा हो और जजमेन्ट घोषित हो… क्या ऐसा नहीं हो शकता या नहीं हो सकता था की यदि ऐसे मामले में लोअर कोर्ट ने आरोपीओं को दोषित करार कर फांसी की सजा दी हो तो उसके खिलाफ कीसी भी अदालत में कोइ अपील नहीं….एक ही जजमेन्ट फाइनल और सीधे उसका अमल करते हुये तुरन्त ही फांसी दी जाय…. हो सकता है और हो सकता था लेकिन नहीं हुआ…. क्योंकि फिर तो उन्नाव का कुलदिप सेंगर भी लपेटे में आ जाता….. फिर तो चिन्मयानंद भी लटका दिया जाता…. फिर तो नित्यानंद भी भाग कर कैलाश नामक देश नहीं बना सकता था….. फिर तो केरल के वह गिरजाघर का प्रिस्ट भी लटक जाता जिस के खिलाफ कुछ महिला नन ने दुष्कर्म की शिकायत दर्ज करवाई लेकिन न्याय नहीं मिला….. फिर तो रामरहिम भी लटक जाता…. फिर तो वे सभी फटाफट फांसी के फंदे पर नजर आते जिनके खिलाफ ऐसे मामले आये….लेकिन सियासी क्षेत्र में कोइ नहीं चाहता की रेप या गेंगरेप के मामले में तुरन्त न्याय मिले. सरकार चाहे तो सबकुछ संभव है. 1 जुलाई 2017 की आधी रात को आधा चंद्रमा टीमटीमा रहा हो तब संसद के द्वार खुलवाकर जीएसटी को लागू करने का काम हो सकता है….. रात के अंधेरे में नींद से जगा कर बेचारे राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन दूर करने के लिये लिये जाते हो…… तो जिस देश की आधी आबादी महिलाओं की हो, उस देश की महिला को सुरक्षित बनाने के लिये दुष्कर्म के मामले में कठोर प्रावधान जो उपर दिखाये गये, उसके लिये कानून में संशोधन क्यों नहीं हो सकता…..? कहते तो है की, मुझे जनता ने देश के हित में कठोर से कठोर निर्णय लेने के लिये फिर से सत्ता सौंपी है. तो फिर महिला के हित में ऐसा कठोर कानून क्यों नहीं की दुष्कर्म के केस का नियत समय में ही निपटारा हो, सजा का अमल नियत समय में ही हो. एक ही जजमेन्ट.. उसके उपर कोइ अपील वपील न हो… कोइ तारीख पे तारीख नहीं… फास्ट से फास्ट कोर्ट की रचना हो… और तुरन्त फांसी का प्रावधान किया जाता तो हैदराबाद के उस पुल से पुलिस पर फूल नहीं बरसते. क्योंकि लोगों को मालुम हो जाता कि आरोपी पकडे गये है तो तुरन्त ही न्याय होंगा. लेकिन कीसी सरकार ने कलतक…आजतक… ऐसा नहीं किया. जो संसद में बैठे है आज उसमें से कितनों के खिलाफ दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध दर्ज है…..? ऐसे संगन मामले दर्ज हो फिर भी उसे चुनाव में मिलती है टिक्ट. वे जीत भी जाते है. तो फिर यदि कठोर कानून बनेंगा तो तो राजनीतिक दलों को ये डर तो लगेंगा ही की यदि ऐसा करेंगे तो फिर तो अपने ही लटक जायेंगे…..! रहने दो. पुलिस को बोल देंगे की एन्काउन्टर में सजा दे देना. लोग भी खुश….पिडिता या उसके परिवारजन भी खुश…. मगर साहेबान, ये उपाय नहीं, अपनी चमडी बचाने की बात है. कठोर फैंसला नोटबंदी वाला नहीं हो सकता. कठोर फैंसला ये होता या अभी भी हो सकता है की लोगो को विश्वास हो कि दुष्कर्म के मामले में उसे चिंता करने की जरूर नही, क्योंकि सरकार ने कठोर से कठोर कानून बनाया है और पिडिता को न्याय मिल कर ही रहेंगा…..! बरसों बीत गये ये गाते गाते कि- वो सुबह कभी तो आयेंगी…..कभी तो आयेंगी…..लेकिन तीन रंगा पंजा हो या केसरीलाल का फूल हो, वह सुबह नहीं आई….. वो सुबह आ सकती है. लेकिन कैसे….? उसके लिये सरकार में बैठे सियासी नेताओं में राजनीतिक इच्छाशक्ति-पोलीटीकल वीलपावर होनी चाहिये. क्या ऐसी कोई पोलीटीक्ल वील पावर है आजके 302 वाले “नये भारत” के भारतमाता के केसरी “लाल” में…..? Read the full article
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clipper28 · 5 years
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जिला पुलिस की ओर से चलाया जा रहा पुलिस मित्र अभियान
जिला पुलिस की ओर से चलाया जा रहा पुलिस मित्र अभियान
सरिया:छत्तीसगढ़ में पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह के निर्देश पर जिला पुलिस की ओर से जिले के सभी थानों में पुलिस मित्र अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत पुलिस की टीम स्कूलों में जाकर बच्चों को कानून के प्रति जागरुक रहे हैं।
टीआई. ग्रेस द्वारा बच्चों को घर तथा घर के बाहर यदि किसी का गलत तरीके से छूना आपको अच्छा नहीं लगता तो अपने परेंटस को बतायें, डरें नहीं। टी.आई. ग्रेस ने बच्चों को डॉयल 112 का…
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सरिया कानून जल्द से जल्द बंद होना चाहिए सुप्रीम कोर्ट में हिन्दुओ को fir सरिया कानून पर लाना चाहिए जिस दिन सरिया बंद होगा श्री राम मंदिर अपने  आप बन जायेगा। ...?
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jodhpurnews24 · 6 years
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वीडियो: गौमास के शक में कांवड़ियों का तांडव, ट्रक को लगाई आग और ड्राइवर को लोहे के सरिए की राड से..
हर साल हरिद्वार जाने वाले रास्तों पर कांवड़ियों का तांडव देखने को मिलता है. आपसी संघर्ष और आम लोगों से मारपीट की घटनाओं के अलावा पिछले कुछ सालो से महिलाओं के साथ बदसलूकी की वारदातों सामने आई है, देशभर में धर्म के नाम पर कांवड़ियों गुंडागिर्दी देखने को मिल रही है, क्या कांवड़ियों को कानून तोड़ने का लाइसेंस मिला है? क्या कांवड़ियों के लिए खुद कानून के मुहाफिज़ हर कानून को ताक पर रख देते हैं?
हाल ही में पिछले दिनों दिल्ली के मोती नगर इलाके में आस्था के नाम पर कांवड़ियों की गुंडागर्दी की तस्वीर सामने आई है. यहां कांवड़ियों ने सड़क हादसे के बाद जमकर हंगामा किया और एक कार पर उनका गुस्सा जमकर फूटा जिसके वीडियो देशभर में वायरल हुए थे। कल सावन के आखिरी सोमवार को भी कांवड़ियों का तांडव देखने को मिला।
उत्तर प्रदेश में कांवड़ियों ने बीफ के शक के के चलते एक ट्रक को आग के हवाले कर दिया और ट्रक ड्राइवर कीबेरहमी से पिटाई की। हर बार की तरह इस मामले में भी पुलिस पीछे खड़े होकर तमाशा देखती रही। मारपीट और आगज़नी की दिल दहला देने वाली तस्वीरें यूपी के शाहजहांपुर की हैं जहां कांवड़ियों ने जमकर उमद्रव मचाया।
यूपी के शाहजहांपुर में कांवड़ियों ने एक ट्रक को आग के हवाले कर दिया और ट्रक ड्राईवर को खेतों में दौड़ा दौड़ा कर लहू लोहान कर दिया, जानकारी के मुताबिक थाना कलान इलाके में बदायुं और शाहजहांपुर की सीमा पर एक ट्रक गुजर रहा था जिसमें गोमांस होने का शक हुआ। जिसको कांवड़ियों ने रोक लिया।
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  कांवड़ियों को आक्रामक होता देख ट्रक के ड्राइवर ने भागने की कोशिश की लेकिन कांवड़ियों ने ड्राईवर को पकड़ लिया और खेत में लोहे और सरिया की रोड से जमकर पिता। इतना ही नहीं गुस्साए कांवडियों ने ट्रक को आग के हवाले भी कर दिया। चौंकाने वाली बात ये है कि सड़क पर घन्टों तक हंगामा चलता रहा लेकिन कांवड़ियों के गुस्से के सामने पुलिस ने भी मौके पर पहुंचने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।
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source http://hindi-news.krantibhaskar.com/latest-news/hindi-news/ajab-gajab-news/viral-news/12326/
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jayveer18330 · 6 years
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भारत मे महिला सुरक्षा का सच दिखानेववाले 5 मामले
भारत में महिला सुरक्षा का सच दिखाते बलात्कार के 5 मामले
साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ कई नृशंस वारदातें हुईं, जो हमें रुककर सोचने को मजबूर करती हैं और महिला सुरक्षा के खोखले वादों की पोल खोलती हैं.
निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर देश में बड़े-बड़े वादे किए गए. महिलाओं के खिलाफ इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए 'सख्त कानून से लेकर पैनिक बटन' तक तमाम तरह के वादों की झड़ी लगा दी गई, लेकिन इस साल महिलाओं के खिलाफ कई नृशंस वारदातें हुईं, जो बता रही हैं कि देश में महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति में ज्यादा कुछ नहीं बदला है.
इस कड़ी में देश में दुष्कर्म के उन पांच झकझोरने वाली वारदातों को पेश किया गया है, जो मोदी के 'न्यू इंडिया' के दौर में सच्चाई की परत दर परत खोलती है.
इस साल 18 जून को एक रिपोर्ट जारी हुई, जिसमें बताया गया कि इस साल दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले घटे हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, 31 मई 2017 तक दिल्ली में दुष्कर्म के 836 मामले दर्ज किए गए, जो 2016 की समान अवधि में 924 थे.
वर्ष 2017 की शुरुआत में यमुना एक्सप्रेसवे पर जेवर-बुलंदशहर मार्ग पर चार महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले ने सबकी भौंहे तान दी थीं. कार में सवार एक परिवार जेवर से बुलंदशहर जा रहा था. रास्ते में कार का टायर पंक्चर होने पर ड्राइवर मदद मांगने के लिए कार से उतरा. इस दौरान छह लोगों ने सरिया, चाकू और बंदूक से उन पर हमला किया और महिलाओं को पास की झाड़ी में खींचकर ले गए और उनके साथ साम���हिक दुष्कर्म किया.
दूसरे चर्चित मामले में दिल्ली-गुरुग्राम सीमा पर चलती कार में तीन लोगों ने सिक्किम की 26 वर्षीया महिला के साथ दुष्कर्म किया. महिला को रात दो बजे गुरुग्राम से अगवा किया गया था और पांच घंटे तक उसकी आबरू तार-तार किए जाने के बाद हैवान पीड़िता को सड़क पर फेंककर फरार हो गए.
दुष्कर्म की इन घटनाओं पर जब देश उबल रहा था, तो इसी बीच शिमला में एक स्कूली बच्ची के साथ दिल दहलाने वाली घटना हुई. चार जुलाई को नाबालिग स्कूली छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. पीड़ित बच्ची शाम को स्कूल से घर लौट रही थी, लेकिन वह घर नहीं पहुंची. बच्ची की लाश दो दिन बाद कोटखाई के जंगल में मिली.
इस मामले की जांच के लिए राज्य पुलिस की विशेष टीम भी गठित की गई. हालांकि, हिमाचल प्रदेश पुलिस ने मामले में छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक की हिरासत में मौत हो गई थी. इस मामले को 'एक और निर्भया कांड' कहा गया.
इस साल चौथा चर्चित दुष्कर्म मामला गुरुग्राम का रहा. गुरुग्राम के मानेसर में 19 साल की युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म ने एक बार महिला सुरक्षा के खोखले दावों की पोल खोल दी थी. यह महिला अपने आठ महीने के बच्चे के साथ ऑटो से सफर कर रही थी कि ऑटो चालक और ऑटो में सवार दो अन्य लोगों ने मौका पाकर महिला के साथ दुष्कर्म किया. इस बीच जब बच्चा रोया, तो हैवानों ने गुस्से में आकर उसे सड़क पर फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई.
दिल्ली दुनिया का सबसे भयानक महानगर
खतरनाक शहर
जून से जुलाई 2017 के बीच दुनिया के 19 महानगरों में यह सर्वे कराया गया था. दिल्ली में हुये निर्भया गैंगरेप की पांचवी बरसी से ठीक दो महीने पहले एक बार फिर सामने आया है कि दिल्ली महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक शहर है.
चौथा स्थान
दिल्ली दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला दूसरा सबसे बड़ा महानगर है. इसकी आबादी लगभग 2 करोड़ 60 लाख है. इस सर्वे में बलात्कार, यौन अपराधों और उत्पीड़न के मामलों में दिल्ली को बेहद खराब स्थान मिला. नतीजों में दिल्ली दुनिया का चौथा सबसे भयानक महानगर साबित हुआ.
बांग्लादेश से भी पिछड़ा
महिलाओं की सुरक्षा के मामले में दिल्ली की स्थिति बांग्लादेश के ढाका से भी बदतर निकली. सर्वे के नतीजों में ढाका को सातवां स्थान मिला वहीं लाओस को आठवां स्थान मिला .
सबसे खतरनाक शहर
इस लिस्ट में दुनिया का सबसे खतरनाक शहर के तौर पर मिस्र के काहिरा का नाम सामने आया. वहीं महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के मामलों में पाकिस्तान का कराची शहर दुनिया का दूसरा सबसे भयानक महानगर साबित हुआ.
आर्थिक मामलों में भी खराब
महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के मामलों के अलावा आर्थिक स्त्रोत जैसे शिक्षा, जमीन में हिस्सा, बैंक अकाउंट आदि में भी महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर भी दिल्ली को नीचे से तीसरा स्थान मिला. इस सूची में लंदन सबसे बेहतरीन अंकों के साथ पहले पायदान पर रहा.
स्वास्थ्य के मामले में भी बुरी हालत
दिल्ली की मातृ मृत्यु दर पर नियंत्रण सहित स्वास्थ्य सेवाओं के लिए महिलाओं की पहुंच को लेकर भी स्थिति खराब है. दिल्ली फिर से नीचे से पांचवें स्थान पर है, जो लाओस से भी नीचे है, जबकि लंदन एक बार फिर शीर्ष पर रहा.
सबसे सुरक्षित शहर
महिलाओँ के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों के खतरों के मामले में टोक्यो सबसे सुरक्षित शहर के तौर पर सामने आया. दिल्ली की तुलना में यौन अपराधों के मामले में पाकिस्तान के कराची शहर को बेहतर माना गया.
पांचवां मामला विशाखापट्टनम से है, जहां दिन के उजाले में सड़क किनारे एक महिला के साथ दुष्कर्म के मामले ने सभी के होश उड़ा दिए. इस मामले में समाज की संवेदनहीनता भी सामने आई, क्योंकि जिस वक्त एक शख्स शराब के नशे में चूर होकर खुलेआम महिला के साथ दुष्कर्म कर रहा था, उस वक्त सड़क पर काफी लोग आ-जा रहे थे. लेकिन किसी ने भी हैवान को रोकने की कोशिश नहीं की, बल्कि तमाशबीन बने रहे. इतना ही नहीं, कुछ लोग तो इस घटना का मोबाइल पर वीडियो भी बनाते दिखे.
ये मामले यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा को लेकर कुछ नया नहीं हुआ है. इस बीच केंद्र में सरकार बदली. परिवर्तन और अच्छे दिन लाने के वादे के साथ आई नई सरकार भी पुराने ढर्रे पर चलती दिख रही है, इसलिए महिला सुरक्षा के मामले में कुछ भी नहीं बदला है. इसी बात को समझाते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल कहती हैं कि कानून को कड़ा करना होगा और समाज को भी अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा.
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामले
सामाजिक दबाव
2015 में भारत में महिलाओं से बलात्कार के 34651 मामले सामने आए थे. लेकिन ऐसे मामलों की संख्या भी कम नहीं जिनमें समाजिक दबाव के चलते बलात्कार के मामले पुलिस में दर्ज नहीं कराये जाते.
बलात्कार के प्रयास
इसी तरह 2015 में बलात्कार के प्रयास के 4434 मामले दर्ज किये गये थे. 2014 में इस तरह के 4232 मामले सामने आये थे. 2014 की तुलना में इन आंकड़ों में बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी.
अपहरण
अपहरण के मामलों में 2014 की तुलना में 2015 में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2015 में महिलाओं के अपहरण के 59277 मामले दर्ज किये गये. वहीं 2014 में यह आंकड़ा 57311 मामलों का था.
दहेज
दहेज के चलते हुई मौतों का आंकड़ा 2015 में 7,634 था. 2014 में दहेज के चलते मौतों के 8455 मामले दर्ज हुए थे. इस कमी के बावजूद हर साल महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा के कुल आंकड़े बढ़ ही रहे हैं.
छेड़खानी
छेड़खानी के मामलों का आंकड़ा काफी बड़ा है. साल 2015 में महिलाओं से छेड़खानी के 82,422 मामले दर्ज हुए. इसमें तेज वृद्धि हुई है. यह आंकड़ा 2011 में 42,968 मामलों का था.
घरेलू हिंसा
सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के दर्ज हुए. इस मामले में 2015 में 1,13,403 मामले दर्ज किये गये. यही आंकड़ा 2011 में 99,135 का रहा. रिपोर्ट के अनुसार घरेलू हिंसा के मामले हर साल बढ़ रहे हैं.
हिंसा के मामले
गृह मंत्रालय की 2016-17 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2016 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के कुल 3,27,394 मामले दर्ज किए गए थे. जबकि 2011 में इनकी तादाद 2,28,650 थी.
वैवाहिक बलात्कार
महिला संगठन वैवाहिक बलात्कार को अपराध बनाना चाहती हैं, जबकि भारत सरकार का कहना है कि ऐसा करने से महिलाओं को पतियों को तंग करने का हथियार मिल जायेगा.
स्वाति ने आईएएनएस से कहा, "निर्भया कांड के बाद लगा था कि महिला सुरक्षा को लेकर तस्वीर बदलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और न ही होता दिख रहा है. कानूनों को कड़े करने के साथ-साथ समाज को अपने नजरिए में बदलाव लाना होगा. किसी घटना पर आंख मूंदकर बैठने के बजाय तुरंत उसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू करनी होगी. महिलाओं के साथ जुल्म के मामलों में समाज की संवेदनहीनता भी देखने को मिल रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है."
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myviralbook-blog · 7 years
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इण्डोनेशिआ के दो युवको को वहाँ की इस्लामिक अदालत ने , एक दूसरे के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए 85 कोरो की सजा सुनाई
इण्डोनेशिआ के दो युवको को वहाँ की इस्लामिक अदालत ने , एक दूसरे के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए 85 कोरो की सजा सुनाई
इंडोनेशिया एक इस्लामिक देश जहा दो ऐस युवको को मार्च में महीने मे एक ऐसी सजा सुनाई जिसने बहोत से सवाल खरे कर दिए | क्या आज भी हम पूरी तरह आजाद नहीं है ? और अगर है तो अप्राकृतिक यौन सम्बंद सही है या गलत | और भी कई ऐसे सवाल है जो समय समय पर भारत सहित और भी कई देशो मे उठे रहे है | इण्डोनेशिआ जो एक मुस्लिम बहुसंखयक मुल्ख है, वहां के सरिया कानून क अनुसार समलैंगिकता इंडोनेशिया मे क़ानूनन अपराध है , और…
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onlinekhabarapp · 7 years
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ह्वाट्सएपमा तीनपटक ‘तलाक’ लेखेर सम्वन्धविच्छेद !
हिना फतिमाले केही साताअघि चार बर्षदेखिका श्रीमान सैयद फयाजुद्दिन हुसेनबाट तीनपटक तलाक लेखिएको सन्देश पाएकी थिइन् । त्यसपछि हुसेनले अमेरिकाबाट भारतको हैदराबादमा रहेकी पत्नीलाई डिभोर्सपेपर पठाए ।
सारिया कानूनअनुसार तीन पटक तलाक भनेर श्रीमतीसँग सम्वन्धविच्छेद गर्न पाइन्छ । यो काम उनीहरुले एप्समार्फत गरेका हुन् ।
यस्तै हुसेनका भाई मोहम्मद अब्दुल अकिलसँग बिहे गरेकी मेहरिन नुरले पनि आफ्ना पतिबाट त्यस्तै खालको सन्देश पाइन् ।
‘यिनीहरुले बिहेलाई ठट्टा सम्झेका छन्,’ मेहरिनले भनिन् । दुवै महिलले यो तरिकाबाट सम्वन्धविच्छेद गर्न नमिल्ने दावी गर्दै इस्लामिक प्रहरीमा उजुरी दर्ता गरेका छन् ।
सरिया कानून अनुसार कुनै पनि पुरुषले अदालतको सहमतिबिनै सम्वन्धविच्छेदको घोषणा गर्न सक्छ, तर यसलाई उल्टाउनका लागि तीन महिनाको म्याद दिनुपर्ने हुन्छ । यो म्याद गुजि्रएपछि मात्रै सम्वन्धविच्छेदले आधिकारिकता पाउँछ र उनीहरुले फेरि बिहे गर्न सक्छन् । तर, यी दाजुभाईले पुनर्मिलनको कुनै सम्भावना नरहेको भन्दै तीन महिने अवधि छल्नका लागि यो तरिका अपनाएका थिए ।
यद्यपि यस प्रकरणमा सरिया कानून र भारतीय कानून आपसमा बाझिन्छ किनकी भारतीय कानूनले सम्वन्धविच्छेदको मामलामा महिलालाई संरक्षण गरेको छ । सरिया कानूनका अन्य सिद्दान्तहरुसँग पनि दाजुभाईको कदम मेल नखान सक्छ ।
‘तेहरो तलाक’ को वैधानिकताको मुद्दा सर्वोच्च अदालतमा विचाराधिन रहेका बेला यो समाचार बाहिर आएको हो । अदालतले हालै भनेको थियो कि धार्मिक अभ्यासले महिला हक अधिकारलाई संकुचित बनाउन सक्दैन ।
हिनाले भनिन्, ‘सरिया कानूनले मसँग सम्वन्धविच्छेद गर्न तपाईंलाई अधिकार दिएको छ, तर हाम्रो बालबच्चालाई कसले हेर्छ ? सरिया कानूनले बालबच्चाको हेरचाह गर्नुपर्छ भन्दैन ?’
मेहरिनले आफ्नो श्रीमानको पहिचानमाथि पनि प्रश्न उठाएकी छिन् । विवाह गर्दा श्रीमानले आफूलाई ढाँटेको हुन सक्ने उनको आशंका छ ।
‘मैले बिहेपछि थाहा पाएँ कि मेरो श्रीमानको वास्तविक नाम उस्मान कुरेसी हो । अहिले कुनै पनि कारण नदेखाइकन उनले मलाई डिभोर्स दिएका छन् ।’
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onlinekhabarapp · 7 years
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ह्वाट्सएपमा तीनपटक ‘तलाक’ लेखेर सम्वन्धविच्छेद !
हिना फतिमाले केही साताअघि चार बर्षदेखिका श्रीमान सैयद फयाजुद्दिन हुसेनबाट तीनपटक तलाक लेखिएको सन्देश पाएकी थिइन् । त्यसपछि हुसेनले अमेरिकाबाट भारतको हैदराबादमा रहेकी पत्नीलाई डिभोर्सपेपर पठाए ।
सारिया कानूनअनुसार तीन पटक तलाक भनेर श्रीमतीसँग सम्वन्धविच्छेद गर्न पाइन्छ । यो काम उनीहरुले एप्समार्फत गरेका हुन् ।
यस्तै हुसेनका भाई मोहम्मद अब्दुल अकिलसँग बिहे गरेकी मेहरिन नुरले पनि आफ्ना पतिबाट त्यस्तै खालको सन्देश पाइन् ।
‘यिनीहरुले बिहेलाई ठट्टा सम्झेका छन्,’ मेहरिनले भनिन् । दुवै महिलले यो तरिकाबाट सम्वन्धविच्छेद गर्न नमिल्ने दावी गर्दै इस्लामिक प्रहरीमा उजुरी दर्ता गरेका छन् ।
सरिया कानून अनुसार कुनै पनि पुरुषले अदालतको सहमतिबिनै सम्वन्धविच्छेदको घोषणा गर्न सक्छ, तर यसलाई उल्टाउनका लागि तीन महिनाको म्याद दिनुपर्ने हुन्छ । यो म्याद गुजि्रएपछि मात्रै सम्वन्धविच्छेदले आधिकारिकता पाउँछ र उनीहरुले फेरि बिहे गर्न सक्छन् । तर, यी दाजुभाईले पुनर्मिलनको कुनै सम्भावना नरहेको भन्दै तीन महिने अवधि छल्नका लागि यो तरिका अपनाएका थिए ।
यद्यपि यस प्रकरणमा सरिया कानून र भारतीय कानून आपसमा बाझिन्छ किनकी भारतीय कानूनले सम्वन्धविच्छेदको मामलामा महिलालाई संरक्षण गरेको छ । सरिया कानूनका अन्य सिद्दान्तहरुसँग पनि दाजुभाईको कदम मेल नखान सक्छ ।
‘तेहरो तलाक’ को वैधानिकताको मुद्दा सर्वोच्च अदालतमा विचाराधिन रहेका बेला यो समाचार बाहिर आएको हो । अदालतले हालै भनेको थियो कि धार्मिक अभ्यासले महिला हक अधिकारलाई संकुचित बनाउन सक्दैन ।
हिनाले भनिन्, ‘सरिया कानूनले मसँग सम्वन्धविच्छेद गर्न तपाईंलाई अधिकार दिएको छ, तर हाम्रो बालबच्चालाई कसले हेर्छ ? सरिया कानूनले बालबच्चाको हेरचाह गर्नुपर्छ भन्दैन ?’
मेहरिनले आफ्नो श्रीमानको पहिचानमाथि पनि प्रश्न उठाएकी छिन् । विवाह गर्दा श्रीमानले आफूलाई ढाँटेको हुन सक्ने उनको आशंका छ ।
‘मैले बिहेपछि थाहा पाएँ कि मेरो श्रीमानको वास्तविक नाम उस्मान कुरेसी हो । अहिले कुनै पनि कारण नदेखाइकन उनले मलाई डिभोर्स दिएका छन् ।’
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