हमारे धर्म गुरु स्वर्ग से ऊपर कुछ जानते ही नहीं हैं
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सूक्ष्मवेद में बताया है कि विश्व के सभी जीवात्मा परमशांति वाले सनातन परम धाम में उस परमात्मा के पास रहते थे जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है कि हे भारत! तू सर्वभाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परमशांति को तथा (शाश्वतम् स्थानम्)सनातन परम धाम यानि सत्यलोक को प्राप्त होगा। जो 16 शंख कोस दूर है।
संत रामपाल जी महाराज जी सत्संग में मोक्ष का रास्ता बताते हैं जो चारों वेद, छह शास्त्र, 18 पुराण से प्रमाणित है। सत्संग ही मोक्ष का द्वार है जहां पर लोग सत्य ज्ञान प्राप्त करते हैं और सत भक्ति करके सतलोक चले जाते हैं।
এক অন্ধ মহাত্মাকে নিজের শাড়ি ছিঁড়ে সেই শাড়ির টুকরো দান করেছিলেন। তার ফলে কবীর পরমাত্মা দ্রোপদীর বস্ত্র হরণের সময় দ্রোপদীর বস্ত্র বাড়িয়ে দিয়ে সম্মান রক্ষা করেন।
600 సంవత్సరాల క్రితం కలియుగంలో జ్యేష్ఠ మాసం శుక్ల పక్షం పూర్ణమాసం లో విక్రమీ సం.1455 సం.13980లో ఉదయం బ్రహ్మ ముహూర్తంలో లహార్థారా చెరువులో కమలం పువ్వు పై శిశువు రూపం లో కబీర్ పరమేశ్వర్ ప్రకటితమైనారు.
गीता अध्याय 7 श्लोक 29 और अध्याय 8 श्लोक 3 में कहा गया है कि जो व्यक्ति वृद्धावस्था और मृत्यु के कष्ट से छुटकारा पाना चाहता है वह परम अक्षर ब्रह्म को जानता है।
भ्रम निवारण:- गीता अध्याय 15 श्लोक 18 में गीता ज्ञान दाता ने बताया है कि मैं लोकवेद (दंत
कथा) के आधार से पुरूषोत्तम प्रसिद्ध हूँ क्योंकि मैं अपने अंतगर्त सब प्राणियों से उत्तम हूँ।
विचार करो:- गीता ज्ञान दाता ने गीता अध्याय 8 श्लोक 3 में परम अक्षर ब्रह्म (पुरूष) अपने से अन्य बताया है। श्लोक 5-7 में अपनी भक्ति करने को कहा है तथा गीता अध्याय 8 के ही श्लोक 8-9-10 में अपने से अन्य परम अक्षर ब्रह्म यानि परम अक्षर पुरूष सच्चिदानंद घन ब्रह्म यानि दिव्य परम पुरूष यानि परमेश्वर की भक्ति करने को कहा है। गीता अध्याय 8 श्लोक 9 में भी उसी को सबका धारण-पोषण करने वाला बताया है।
वास्तविक भक्ति विधि के लिए गीता ज्ञान दाता प्रभु काल ब्रह्म किसी तत्वदर्शी की खोज करने को कहता है (गीता अध्याय 4 श्लोक 34) इस से सिद्ध है गीता ज्ञान दाता (ब्रह्म) द्वारा बताई गई भक्ति विधि पूर्ण नहीं है।
गीता ज्ञान दाता काल गीता अध्याय 2 श्लोक 12, अध्याय 4 श्लोक 5, अध्याय 10 श्लोक 2 में अपने को नाशवान यानि जन्म-मरण के चक्र में सदा रहने वाला बताया है। कहा है कि हे अर्जुन! तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं। तू नहीं जानता, मैं जानता हूँ।
छठी मैया और सूर्य देव की पूजा करने से संतान प्राप्ति, सुख शांति और दीर्घायु होती तो आज कोई भी दुखी नहीं होता तथा कोई भी आकस्मिक मृत्यु को प्राप्त नहीं होता। वास्तव में सुखदायक परमात्मा तो कबीर साहेब जी ही हैं। जिनकी सतभक्ति पूर्ण संत रामपाल जी महाराज जी के पास उपलब्ध है। जिनसे नाम प्राप्त कर लाखों भक्तों को सर्व सुख प्राप्त हो रहे हैं
छठ पूजा पर यह मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव और छठी मैया की पूजा से संतान प्राप्ति और और उसकी जीवन रक्षा दोनों हो जाती है।
जबकि संतान प्राप्ति व जीवन रक्षा प्रारब्ध कर्म फल पर आधारित है, जिसमें फेर बदल कबीर परमेश्वर की सतभक्ति के सिवा किसी भी पूजा या क्रिया से संभव नहीं है।
सामवेद संख्या नं. 822 तथा ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 162 मंत्र 2 में यह प्रमाणित है कि कविर्देव (कबीर) अपने विधिवत साधक की आयु बढ़ा सकता है।
इस नवरात्रि पर जानिए कौन है वह पूर्ण परमेश्वर जो सभी कष्टों को दूर करके दुखों का अंत कर सकता है। उस पूर्ण परमेश्वर की जानकारी के लिये अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।